निकिता का स्वयंवर – एक अनोखी सुहागकथा

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हाई दोस्तो! आप तो मुझे जानते ही है, मेरा नाम निकिता है। मेरी पिछली कहानियों –

मेरा वैलेंटाइन्स वीक पार्ट १,

मेरा वैलेंटाइन्स वीक पार्ट २, और

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मेरा वैलेंटाइन्स वीक पार्ट ३

को इतना प्यार देने के लिए धन्यवाद!

जो लोग नए हैं, उन्हें बता दूं कि मेरा नाम निकिता है, और मैं एक हैप्पी-गो-लकी लड़की हूँ।

निकिता का वैलेंटाइन वीक भाग 4

पिछली कहानी के अंत में, मैंने बताया था कि मैंने हॉस्टल के बाहर देखा, तो केशव और रिया बाहर घूम रहे थे। रिया बिल्कुल नंगी थी और कुतिया बनी हुई थी, न जाने क्यों.. खैर, उसके बाद वो अपने रूम में चली गई और मैं और केशव अपने रूम में जाकर सो गए।

मैं उस रात सोई तो मुझे एक अजीब सा सपना आया। जो मैं आपको बताने जा रही हूँ। ये सपना थोड़ा अजीब था, लेकिन मुझे लगता है कि इसमें कुछ सच्चाई हो सकती है। आप यह इंडियन सेक्स स्टोरी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स कहानी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

मेरे सपने में मैंने देखा कि मैं एक अजीब से राज्य में हूँ, जिसका नाम नंगनगर था। यह राज्य बहुत ही सुंदर और विशाल था। मेरे पिता यहाँ के राजा थे, और मैं राजकुमारी थी।

इस राज्य में कपड़ों की कमी थी, इसलिए लोग कम से कम कपड़े पहनते थे। आम प्रजा के कपड़े बहुत छोटे होते थे। पुरुष केवल नीचे के कपड़े पहनते थे, जो उनके शरीर के निचले हिस्से को ढकते थे। महिलाएँ भी सिंगल पीस कपड़े पहनती थीं, जो उनके शरीर के ऊपरी हिस्से को ढकते थे।

यह देखकर मुझे बहुत हैरानी हुई। मैंने सोचा कि यह क्या हो रहा है? क्या यह सच है या सिर्फ एक सपना? मैं आपको आगे की कहानी बताऊँगी कि मैंने उस सपने में क्या देखा। तो आइए, शुरू करते हैं!
मैं उस सपने में देख रही थी कि मेरा स्वयंवर आयोजित किया गया था, जिसमें मुझे अपना वर चुनना था। मेरे पिताजी ने यह स्वयंवर आयोजित किया था, जो हमारे राज्य की एक पुरानी परंपरा थी।

मेरी माँ ने मुझे इस परंपरा के बारे में बताया था, “बेटी, हमारे राज्य में यह परंपरा है कि स्वयंवर में वर का चुनाव लिंग के आधार पर होता है। और चुनाव के बाद, चुने हुए वर के साथ संबोग भी करना होता है, ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि जोड़ी एकदम सही है।”

मुझे यह बात थोड़ी अजीब लगी, लेकिन मैंने सोचा कि यह तो मेरे राज्य की परंपरा है। मैंने अपने श्रृंगार के लिए बहुत समय लिया। मेरी दासियों ने मुझे नहलाया, मालिश की, और मेरे बालों को सजाया। उन्होंने मेरे हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाई और मेरे चेहरे पर सुंदर से आभूषण लगाए।

मेरी दासियों ने भी मिलते-जुलते लहंगे पहने थे, जो थोड़े छोटे थे। उनके लहंगों में चोली नहीं थी, केवल चुन्नी थी, जो उनके कंधों पर लहरा रही थी। उनके लहंगे भी गहरे रंग के थे, जो मेरे लहंगे से मिलते-जुलते थे। उन्होंने अपने बालों को भी सुंदर तरीके से सजाया था और उनके पैरों में भी पायलें बज रही थीं।

इसके बाद मैंने एक बहुत ही सुंदर लहंगा पहना, जो थोड़ा अजीब था। इसका रंग गहरा लाल था और इसमें सोने की कढ़ाई की हुई थी। लेकिन इसकी डिज़ाइन थोड़ी अलग थी, जिसमें मेरी क्लीवेज साफ दिख रही थी। मेरे बालों को नंदिनी, संगीता, और मोहिनी ने बहुत ही सुंदर तरीके से सजाया था। मेरे पैरों में पायलें बज रही थीं।

मेरे मन में एक अजीब सा उत्साह था, जो मुझे इस स्वयंवर के लिए तैयार कर रहा था। मुझे लग रहा था कि मैं अपने जीवन का सबसे महत्वपूर्ण निर्णय लेने जा रही हूँ।

स्वयंवर में चार राजकुमार आए थे:

राजकुमार प्रताप – वह एक शक्तिशाली और साहसी राजकुमार थे, जिनकी आँखें गहरी और आकर्षक थीं। उनकी मुस्कान में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे आकर्षित कर रही थी।

राजकुमार शौर्य – वह एक बुद्धिमान और समझदार राजकुमार थे, जिनकी आँखें चमकदार और गहरी थीं। उनके बाल काले और घने थे, जो उनके चेहरे को और भी आकर्षक बनाते थे।

राजकुमार केशव – वह एक अनजान राजकुमार थे, जिनकी आँखें मुझे आकर्षित कर रही थीं। मैंने उन्हें पहले कभी नहीं देखा था।

राजकुमार तुषार – वह भी एक अनजान राजकुमार थे, जिनकी मुस्कान में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे आकर्षित कर रही थी।

मैं एक सिंहासन पर बैठी थी, और चारों राजकुमार मेरे सामने खड़े थे। एक शक्तिशाली शंखनाद हुआ, और इसके साथ ही राजकुमारों ने अपने नीचे के वस्त्र उतार दिए और अपने लिंग दिखा दिए। आप यह इंडियन सेक्स स्टोरी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स कहानी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

राजकुमार प्रताप का लिंग मजबूत और लंबा था, लगभग 8 इंच, जो एक मजबूत हाथी की सूंड की तरह था। इसकी चौड़ाई भी उतनी ही थी। मुझे देखकर लगा कि यह राजकुमार मुझे सुरक्षा और स्थिरता प्रदान कर सकता है, लेकिन इसके आकार को देखकर मुझे थोड़ा डर लगा कि क्या मैं इसके साथ सहज महसूस कर पाऊंगी।

राजकुमार शौर्य का लिंग थोड़ा छोटा था, लगभग 6 इंच, लेकिन इसकी चौड़ाई अधिक थी, लगभग 5 इंच, जो एक सांप की पुच्छ की तरह थी। मुझे लगा कि यह राजकुमार मुझे बुद्धिमत्ता और चतुरता के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है, और इसके आकार को देखकर मुझे लगा कि यह मेरे लिए उपयुक्त हो सकता है।

राजकुमार केशव का लिंग सबसे लंबा था, लगभग 10 इंच, जो एक तलवार की तरह था। इसकी चौड़ाई भी अधिक थी, लगभग 6 इंच। इसके आकार को देखकर मुझे डर लगा कि यह मुझे नियंत्रित कर सकता है और मुझे इसके साथ असहज महसूस हो सकता है।

राजकुमार तुषार का लिंग थोड़ा अलग था, लगभग 7 इंच, और इसकी चौड़ाई 4 इंच थी, जो एक मुरली की तरह था। मुझे लगा कि यह राजकुमार मुझे प्यार और स्नेह के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकता है, और इसके आकार को देखकर मुझे लगा कि यह मेरे लिए उपयुक्त हो सकता है।

अब मुझे अपना निर्णय लेना था… क्या मैं राजकुमार प्रताप की शक्ति और स्थिरता को चुनूंगी, राजकुमार शौर्य की बुद्धिमत्ता और चतुरता को चुनूंगी, राजकुमार केशव की शक्ति और साहस को चुनूंगी, या राजकुमार तुषार की मधुरता और स्नेह को चुनूंगी? मुझे यह सोचना था कि कौन मुझे सहजता और सुरक्षा के साथ जीवन बिताने में मदद कर सकता है।

मैंने अपना निर्णय लिया और राजकुमार केशव को चुन लिया। मुझे लगा कि उनकी शक्ति और साहस मुझे जीवन की चुनौतियों का सामना करने में मदद कर सकती है, भले ही उनके आकार को देखकर मुझे थोड़ा डर लगा था।

इसके बाद, एक अस्थायी तंबू बनाया गया, जिसमें मैं और राजकुमार केशव गए। तंबू के अंदर, हमने एक दूसरे के सामने खड़े होकर अपने कपड़े उतार दिए और अपने शरीर को एक दूसरे के सामने प्रकट किया।

मुझे राजकुमार केशव का शरीर देखकर आश्चर्य हुआ। उनका शरीर मजबूत और सुडौल था, और उनका लिंग भी उतना ही मजबूत और लंबा था। मुझे लगा कि यह मेरे लिए उपयुक्त हो सकता है।

राजकुमार केशव ने भी मेरे शरीर को देखा और मुस्कराए। उन्होंने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और मुझे चूमना शुरू कर दिया। मुझे उनकी गर्मी और स्नेह का अनुभव हुआ, और मैं भी उन्हें चूमने लगी।

लेकिन मुझे अजीब भी लग रहा था कि हमें चाहे कोई न नहीं देख पा रहा है, पर मेरी आवाज तो सबको सुनाई ही दे रही थी। मैंने सोचा कि शायद यह तंबू इतना मजबूत नहीं है जितना मुझे लग रहा था।

तभी मुझे याद आया कि राजगुरु ने कहा था कि यह तंबू सिर्फ हमारे संबोग के लिए बनाया गया है, और हमारी आवाजें राज्य में खुशहाली का संकेत होंगी। उन्होंने कहा था कि राजकुमारी की चीख जितनी तेज होगी, राज्य में उतनी ही खुशहाली आएगी।

मुझे यह सुनकर थोड़ा आश्चर्य हुआ, लेकिन मैंने अपने आप को राजकुमार केशव के साथ जोड़ दिया। हमने एक दूसरे के सामने खड़े होकर अपनी स्वीकृति दी और अपने जीवन की नई शुरुआत की।

जब हम तंबू से वापस निकले, तो हमें एक नए और सुंदर भविष्य की शुरुआत दिखाई दी। राज्य के लोगों ने हमारे संबंध को आशीर्वाद दिया और हमारे लिए खुशहाल जीवन की कामना की। ढोलक की धुन पर नृत्य हुआ, और फूल बरसाए गए। राजमहल के सामने के मैदान में हमारा स्वागत किया गया, जहां हमारे परिवार और मित्र हमारे साथ खुशी मना रहे थे। हमने एक दूसरे को गले लगाया और अपने जीवन की नई यात्रा पर चल पड़े। आप यह इंडियन सेक्स स्टोरी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स कहानी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

मेरी विदाई हुई और मैं राजकुमार केशव के साथ उनके राज्य की ओर चल पड़ी। जब हम उनके राज्य में पहुंचे, तो मुझे उसकी सुंदरता देखकर आश्चर्य हुआ। राज्य के लोगों ने हमारा स्वागत किया और हमें आशीर्वाद दिया।

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राजमहल में पहुंचने पर, मुझे एक भव्य स्वागत समारोह में बुलाया गया। राजकुमार केशव ने मुझे अपनी रानी के रूप में पेश किया और मुझे उनके परिवार और दरबारियों से मिलवाया। मुझे राजमहल के सुंदर और विशाल हॉल में ले जाया गया, जहां मेरे लिए एक भव्य सिंहासन तैयार किया गया था।

वहां मैंने रिया और सावित्री को देखा, जो राजकुमार केशव की पहली दो रानियां थीं। रिया की सुंदरता गोरी और पतली थी, उसके बाल लंबे और काले थे, और उसकी आंखें नीली थीं। उसका फिगर 34-24-36 था, जो उसकी सुंदरता को और भी बढ़ाता था। वह एक अद्भुत सुंदरता की मालकिन थी, जो हमेशा मुस्कराती रहती थी।

सावित्री की सुंदरता दूसरी थी। उसकी त्वचा सुनहरी थी, उसके बाल घने और भूरे थे, और उसकी आंखें बड़ी और कातिल थीं। उसका फिगर 36-26-38 था, जो उसकी शक्तिशाली और स्मार्ट व्यक्तित्व को दर्शाता था। वह एक शक्तिशाली और स्मार्ट महिला थी, जो हमेशा अपने लक्ष्य पर केंद्रित रहती थी।

मुझे लगा कि मैं उनके बीच में एक साधारण महिला हूं, लेकिन राजकुमार केशव ने मुझे समझाया कि मेरी सुंदरता उनकी नज़र में सबसे अधिक है, और मैं उनकी सबसे प्रिय रानी हूंगी। उन्होंने मुझे आश्वस्त किया कि मेरा स्थान उनके दिल में सबसे ऊपर होगा।

मुझे उनकी बातों से थोड़ा संतोष मिला, लेकिन मुझे अभी भी यह बात परेशान कर रही थी कि मैं उनकी तीसरी रानी हूं। मैंने सोचा कि मुझे समय लगेगा यह सब समझने में और अपने नए जीवन को स्वीकार करने में।

रस्में शुरू हुईं और सबसे पहली रस्म थी वधू स्नान। इस रस्म में महल में स्थित एक छोटे से सरोवर को बहुत सजाया गया था। मुझे नहलाया और सुध किया जाना था, ताकि मैं राजकुमार केशव के साथ अपने नए जीवन की शुरुआत कर सकूं।

मेरी नई दासियों ने मुझे नंगी किया और नहलाने का प्रबंध किया। रिया और सावित्री भी पूरी नंगी थीं, क्योंकि इस पवित्र सतोवार पर वास्त्र वर्जित थे। उन्होंने मुझे समझाया, “अब तुम्हें अपने शरीर को पूरी तरह से साफ करना होगा। तुम्हारे योनि के बाल भी साफ करने होंगे।”

रिया और सावित्री की योनि सुंदर और आकर्षक थी। उनके योनि के बाल घने और काले थे, जो उनकी सुंदरता को और भी बढ़ा रहे थे। उनके स्तन बड़े और गोल थे, जो उनकी सुंदरता को और भी बढ़ा रहे थे।

इसके बाद, दासी को बुलाया गया और मेरे योनि के बाल साफ कर दिए गए। फिर मेरे शरीर पर चंदन, उबटन और अन्य सुगंधित पदार्थ लगाए गए। मेरे बालों को धोया और साफ किया गया। मेरे हाथों और पैरों पर मेहंदी लगाई गई।

रिया और सावित्री ने मुझे नहलाने के बाद एक सुंदर और सुगंधित तेल से मालिश की। उन्होंने मेरे वक्ष की मालिश की, जिससे मुझे बहुत आराम मिला। फिर उन्होंने मेरे चुताद की मालिश की, जिससे मुझे एक अजीब सी अनुभूति हुई।

हर जगह इत्र की खुशबू थी। मुझे लगा कि मैं एक नई और सुंदर महिला बन गई हूं। रिया और सावित्री ने मुझे बहुत प्यार से मालिश की और मुझे आश्वस्त किया कि मैं उनकी बहन हूं और हमेशा उनके साथ रहूंगी।

शादी का जोड़ा पहनाया गया और मुझे सजाया गया। मेरे हाथों और पैरों पर मेहंदी के डिज़ाइन बनाए गए थे, जो मेरी सुंदरता को और भी बढ़ा रहे थे। मेरे बालों को सजाया गया और मेरे माथे पर एक सुंदर बिंदी लगाई गई थी।

रिया और सावित्री ने मुझे अपनी बहन की तरह तैयार किया और मुझे शादी के मंडप में ले गईं। वहाँ राजकुमार केशव मुझे देखकर मुस्कुराए और मेरी सुंदरता की प्रशंसा की।

फेरे हुए और हमारी शादी सम्पन्न हुई। मैं राजकुमार केशव की पत्नी बन गई और हमारी नई जिंदगी की शुरुआत हुई। राजकुमार केशव के माता-पिता ने मुझे आशीर्वाद दिया और हमारी शादी की शुभकामनाएँ दीं।

अब मेरे मन में सवाल चल रहा था कि सुहागरात कैसे और कब होगी। मैं राजकुमार केशव के साथ अपने नए जीवन की शुरुआत करने के लिए तैयार थी, लेकिन मुझे सुहागरात के बारे में कुछ नहीं पता था।

तभी सावित्री ने मुझे बुलाया और मुझे समझाया, “देखो, यहाँ सुहागरात नहीं होती है, बल्कि एक हनीमून टाइप की यात्रा होती है। इसमें तीन दिन की यात्रा होती है। पहले दिन जल पर सुहागरात मनाई जाती है, दूसरे दिन वायु में और तीसरे दिन रेत पर। अंत में, महल के नादर पुष्प पर और अग्नि के सामने तुम्हें अपने प्यार का इज़हार करना होता है।”

मैं आश्चर्यचकित थी, लेकिन सावित्री की बातें सुनकर मुझे थोड़ा आराम मिला। मैं बहुत उत्साहित थी, और मेरे तंगों के बीच के त्रिकोण ने हुलचल होने लगी थी, यह सोचकर कि राजकुमार केशव के साथ अपने प्यार का इज़हार करना होगा।

सावित्री ने मुझे आगे समझाया, “यह यात्रा तुम्हारे और राजकुमार केशव के बीच के प्यार को मजबूत बनाने के लिए है।”

मैं तैयार थी, और मैं जानती थी कि यह यात्रा मेरे और राजकुमार केशव के बीच के प्यार को मजबूत बनाएगी। मैं राजकुमार केशव के साथ अपने नए जीवन की शुरुआत करने के लिए तैयार थी।

मेरी सुहागरात का सफर या कहें मेरा हनीमून शुरू हो चुका था। मैं और केशव, हम दोनों एक नई जिंदगी की शुरुआत करने के लिए निकल पड़े थे। आप यह इंडियन सेक्स स्टोरी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स कहानी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

पहला दिन – जल में सुहागरात

आज हमें जल में सुहागरात मनानी थी। मेरे शब्दों में बोलूँ तो हमें आज पानी में सेक्स करना था।

हम राज्य की एक छोटी नदी पर पहुँचे, जो जंगल में थी। दास लोग जंगल के बाहर पहरा देने लगे और दासियाँ हमारे साथ नदी पर पहुँची।

नदी पर पहुँचकर केशव ने अपने कपड़े उतारे और मैंने भी अपने कपड़े-जाप्दे उतारे। दासियों को हमने कहा, “तुम हमारे कपड़े लेकर थोड़ी दूर पर जाकर खड़ी हो जाओ।”

दासियाँ हमारे कपड़े लेकर थोड़ी दूर पर जाकर खड़ी हो गईं। अब हम दोनों नदी के किनारे पर खड़े थे, एक दूसरे को देख रहे थे। मैं बिल्कुल नंगी खड़ी थी

मैंने अपनी टाँगें थोड़ी ज्यादा फैला दी जिससे मेरी पूरी चूत उसे दिख गई।
मेरी चूत दिखते ही उसके नज़रें उस पर टिक गई।

मैंने पूछा- मैं कैसी लग रही हूँ?
केशव- तुम तो लाज़वाब दिख रही हो।

मैं पानी में उतर गई और उसके सामने जाकर खड़ी हो गई।

तब हम इतने पानी में खड़े थे कि सिर्फ चूत के ऊपर तक ही मैं पानी में थी।

केशव ने एक हाथ मेरी कमर पर रखा, दूसरा हाथ मेरी चूची पर और मुझे किस करने लगा।
मैं भी उसका पूरा साथ देने लगी।

वो मेरी चूची सहलाने लगा और उसका दूसरा हाथ अब मेरी गांड पर चलने लगा था।

बहुत देर तक हमारी चूम्मा-चाटी चली और उसके बाद हम दोनों एक-दूसरे के जिस्म के साथ खेलने लगे।

केशव ने मेरी दोनों चूचियों को हाथों में पकड़ लिया और फिर एक को दबाते हुए एक को मुँह में भरकर चूसने लगा।

मैं भी पीछे नहीं रही, मैंने उसका लंड पकड़ लिया और मुठ मारने लगी।

करीब 5-7 मिनट तक हम एक-दूसरे के जिस्म को निचोड़ते रहे। मेरे जिस्म के साथ खेलते-खेलते ही उसका लंड पूरा तन गया।

लंड पूरा तन जाने के बाद उसने मुझे घुमा दिया। मैंने अपने हाथ पूल के किनारे पर टिका दिया और थोड़ी झुक गई।

वो मेरे पीछे था। वो मुझसे चिपक गया और अपने उत्तेजित लंड को मेरी चूत पर रगड़ने लगा।
वो अपना लंड मेरी चूत में रगड़े जा रहा था। इससे मैं बहुत तड़प रही थी।
मैंने उससे कहा- चूत में लंड डालकर चोदो मुझे। तड़पा क्यों रहे हो?

फिर उसने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर टिकाया और पहले ही झटके में लंड का टोपा अंदर घुसा दिया।
मेरे मुँह से एक लंबी ‘आहहह्’ निकल गई। धीरे-धीरे उसने अपना पूरा लंड मेरी चूत में डाल दिया और पीछे से मेरी चूत बजाने लगा।

उसने मेरे चूतड़ों को पकड़कर पागलों की तरह मुझे चोदना शुरु कर दिया।

फिर उसने मुझे सीधा खड़ा किया, मेरी चूचियाँ पकड़ी और फिर मैंने अपन मुँह घुमाया तो वो मुझे किस करने लगा।

किस करने के बाद उसने मुझे वापस झुका दिया और फिर से मेरी चूत को पीछे से चोदने लगा।
उससे अपनी चूत चुदवाते हुए मुझे बहुत मज़ा आ रहा था।

मैं कहने लगी- हां … आहहह … ऐसे ही … ओहह … चोदो … ज़ोर से … चोदो मुझे!
उसने मुझे कहा- आहह … पीछे से चूत चोदने में अलग ही मज़ा आता है।

नदी के किनारे मैं झुक कर खड़ी थी और केशव पूरे ज़ोर से मेरी चूत चोद रहा था।
मैं सिसकारियाँ लेते हुए बोली- ओहहह केशव … चोदो मुझे … और ज़ोर से … आहह … फाड़ दो आज मेरी चूत!

उसने मेरे चूतड़ पर एक चपाट लगाया और कहा- अगली बार मैं तुम्हारी गांड मारुंगा।

कुछ देर तक ऐसे ही चोदने के बाद उसने कहा- मैं आज तुम्हें हर तरीके से चोदना चाहता हूँ। घूम जाओ!
मैंने कहा- हां केशव … अब मैं तुम्हारे ऊपर आ जाती हूँ, तब मुझे चोदना।

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मैं घुम गई तो उसने मुझे चूतड़ों पर से पकड़कर मुझे गोद में उठा लिया और फिर लंड डालकर चोदने लगा।
आहहह … क्या मज़ा आ रहा था!

वो मुझे अपनी गोद में ऊपर-नीचे कर मेरी चूत में लंड डाल रहा था; मेरी चूचियाँ उसके सीने से रगड़ खा रही थी।

कुछ देर तक ऐसे चोदने के बाद उसने मुझे नीचे उतारा और खड़े-खड़े ही मेरी चूत में लंड डाल दिया।

उसने एक हाथ से मेरी एक टांग उठा लिया जिससे उसका पूरा लंड मेरी चूत में जाने लगा।

ऐसे चूत चुदाई करवाते हुए मज़ा भी बहुत आ रहा था।
मैंने तब उससे कहा- ओहह रमेश … आहह ऐसे ही चोदते रहो। आहहह … मुझे आराम के लिए ऐसी ही चुदाई की जरूरत थी।

तब उसने पाँच मिनट से भी ज्यादा खड़े रहकर चुदाई की।
फिर उसने मुझे नदी से निकालकर किनारे ज़मीन पर बिठा दिया और खुद भी बाहर आ गया।

वहीं किनारे पर उसने मुझे लेटा दिया और फिर खुद मेरे ऊपर आ गया।
उसने अपना लंड मेरी चूत पर सेट किया और फिर उसका लंड मेरी चूत के होठों को चीरता हुआ अंदर घुस गया।

वो मेरे ऊपर था, उसने मेरी एक चूची पकड़ ली और दबाने लगा।
नीचे मेरी चूत और उसके लंड के बीच घमासान जारी था

उसके बाद करीब दो मिनट और उसने मेरी चूत चोदी और फिर कहा- ओहह … लगता है मैं फिर छूटने वाला हूँ।
मैंने फौरन कहा- अपने वीर्य से मुझे भर दो। मेरी चूत की गहराई में पिचकारी मारो।

कुछ ही देर में उसका वीर्य निकलने लगा।
उसने लंड पूरा अंदर तक घुसा दिया और पिचकारी मारने लगा।
उसके वीर्य को अपनी चूत में लेकर मुझे बहुत राहत मिली और मेरी थकावट तो पूरी दूर हो गई।

उसने कुछ देर तक लंड मेरी चूत में ही रखा।
मैंने उससे कहा- यह अद्भुत रहा

दूसरा दिन – वायु में सुहागरात

अगले दिन हमने अपनी यात्रा जारी रखी और राज्य की सीमा में ही स्थित कुछ पहाड़ों की ओर बढ़े। दिन भर हमने यात्रा की और सुंदर वादियों को देखा। शाम को हम पहाड़ों पर चढ़ गए, केशव घोड़े पर और मैं पालकी में वाहाँ पहुँची।

कुछ दासियाँ नीचे वाले पहाड़ पर रुक गईं और सैनिक नीचे पहरा देने लगे। हम दोनों सबसे ऊपर खड़े थे और वहाँ बहुत तेज-तेज हवाएँ चल रही थीं।

केशव ने मेरा हाथ पकड़ा और हमने वहाँ से नीचे की वादियों को देखा। वहाँ की सुंदरता हमें मोहित कर रही थी। हमने एक दूसरे को बहुत प्यार किया और वहाँ के खूबसूरत नजारों का आनंद लिया।

रात को हमने वहीं पहाड़ पर ही रुकने का फैसला किया। दास-दासियों ने हमारे लिए एक सुंदर और आरामदायक स्थान तैयार किया। हमने वहाँ रात का भोजन किया और एक दूसरे के साथ समय बिताया।

रात के समय, जब तेज हवा चल रही थी, हमने एक दूसरे को बहुत करीब से महसूस किया। फिर केशव ने मेरे कपड़े उतारे और तेज हवा के कारण वे उड़ गए। मैं अचानक बिल्कुल नंगी खड़ी थी, हवा में मेरे बाल और शरीर के कपड़े उड़ गए थे। मैंने और केशव ने एक दूसरे को हस्मुख देखा और हवा में खड़े हुए हम दोनों ने एक दूसरे को बहुत प्यार किया।

मेरा गोरा बदन चंद की रोशनी में बहुत खूबसूरत लग रहा था, और केशव की नज़रें मुझ पर टिकी हुई थीं। हमने अपने प्यार को वायु में महसूस किया।

वो मेरा एक निपल मुँह में लेकर चूसने लगा और मेरे दूसरे निपल को दूनो उंगलियों के बीच दबा कर हल्का हल्का मिंजने लगा, मैं मस्त होने लगी और मुँह से धीरे धीरे आवाज निकलने लगी- आंह … उंहह … पी लो मेरा दूध … आंह मेरी चूत के राजा … आंह … थोड़ा जोर से मम्मे दबाओ न … इस्स … आं…ह … मेरी चूत तुम्हारे लंड के लिए तरस रही है … आज मुझे खूब चुदवाना है.

केशव ने भी कहा- हां मेरे लंड की रानी … आज तेरी चूत जमकर चोदूंगा. जरा लंड चूस दे मेरी जान.
ये सुनकर मैं झट से नीचे बैठ गयी और उसका तना हुआ लंड अपने मुँह में भर कर चूसने लगी.

मैं उसका लंड चूसते हुए कह रही थी- आंह … बहुत कड़क हो गया है … आज तो मैं बहुत मस्ती से चुदवाऊंगी, आज मेरी चूत बहुत खुश हो जाएगी.

वह मेरे दूध मसलने लगा, तो मैं फिर से लंड को मुँह में लेकर चूसने लगी. आप यह इंडियन सेक्स स्टोरी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स कहानी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

अपनी चूत को हाथ लगाकर देखा तो चूत पूरी गीली हो गयी थी.

हम पीछे एक बड़े से पत्थर पर लेट गए
मैंने एक हाथ से उसके सिर के पीछे के बाल पकड़े और दूसरे हाथ से अपना एक दूध पकड़ कर कड़क निप्पल को उसके मुँह में दे दिया.

वो मेरे दूध यानि मेरे स्तन चूसते हुए पीने लगा. मैने उसके दूसरे हाथ को पकड़ कर अपने दूसरे मम्मे पर रखा और मम्मे को दबाने का इशारा किया. केशव अब दो काम एक साथ कर रहा था. दूध चूस भी रहा था और मसल भी रहा था.

कुछ देर बाद वो मेरी चूत को अपनी मुट्ठी में भर कर दबाने लगा,मेरी आह निकल गई.

मैं बहुत गर्म हो गयी थी और लगातार आंह. … उन्ह इ..स्स…’ की आवाजें निकाल रही थी.

उसने एक उंगली से चूत के दाने को हल्का सा छेड़ा और उसी उंगली को अंगूठे की सहायता से दाने को पकड़ लिया.मैं दाने को छेड़ने से ही चिहुंक उठी थी, जब उसने दाने को दो उंगलियों की मदद से मींजा, तो वासना चरम पर पहुंच गई.मैं कसमसाने लगी. वो मेरी चूत को भड़काने के लिए दाने को हल्के से मसलने लगा.

अब मैं बेकाबू होकर जोर जोर से कराहने लगी थी और अपनी गांड ऊपर उठाने लगी थी.

वो लगातार अपनी दोनों उंगलियों से चूत का दाना रगड़ रहा था.

मैं हद से ज्यादा बेकाबू होकर तड़पने लगी और हाथ पैर मारने लगी.

जब उसने मुझे छेड़ना नहीं छोड़ा, तो मैं भी लंड हाथ में लेकर मसलने लगी. लंड मसलने से मुझे भी मजा आने लगा था और उसने भी मेरी चूत के दाने को रगड़ने की स्पीड बढ़ा दी.

मैंने उसका सर अपने मम्मे पर दबा लिया और हाय मेरी चूत ने पानी छोड़ दिया

एक पल रुकने के बाद मैंने घूमकर उसका लंड मुँह में लिया और जोर जोर से चूसने लगी। वह मेरी झड़ी हुई चूत के दाने को अभी भी जोर जोर से रगड़ रहा था।

फिर अचानक मैंने उसके कंधे पकड़ कर उसे नीचे गिरा दिया और गुर्राते हुए उसके ऊपर चढ़ गई। मैं उसके ऊपर दोनों तरफ पैर रखकर बैठ गयी थी और उसका लंड अपनी मुट्ठी में पकड़ कर चूत की फांकों में घिसने लगी थी।

उसने हाथ हटा लिया था। मैंने लंड को चूत की दरार में सैट करके धीरे धीरे से लंड पर बैठने लगी। उसका खड़ा लंड मेरे गीली हुई गर्म चूत में घुसने लगा। मैं उसका पूरा लंड चूत में लेकर बैठ गयी।

एक पल के लिए मैंने लंड की गर्मी को महसूस किया और एक आह निकाल कर खुद की तृप्ति को जाहिर किया। अब मैंने थोड़ा सा नीचे झुककर अपने एक निप्पल को उसके मुँह में दे दिया। वह किसी छोटे बच्चे की तरह निप्पल चूसने लगा.

मेरे पति केशव ने अपना हाथ दूसरे मम्मे पर रखकर दबाने लगे। अब उनके मुँह में एक निप्पल था और दूसरे हाथ में एक मम्मा दबा था। नीचे चूत में लंड गर्मी ले रहा था। हल्की चांदनी की रोशनी में हमारे दोनों के नंगे बदन खूबसूरत लग रहे थे।

वो मुझे नीचे से दनादन चोद रहे थे। सब तरफ शांति का माहौल था, बस हमारी चुदाई की पचपच, खचपच, पचर पचर, फटफट की आवाज गूंज रही थीं। कोई दो मिनट बाद ही हमारी चुदाई की स्पीड बहुत तेज हो गई थी। मैं अपने चूतड़ों को जोर जोर से ऊपर नीचे करके उनका लंड अपनी चूत में जड़ तक ले रही थी।

“आह … मेरी जान … मजा आ रहा है … तुम्हारा लंड तो मेरी चूत की बैंड बजा रहा है … इस्स … मेरी चूत में कुछ कुछ हो रहा है … ऊई मां … तुम्हारा लंड तो मेरे पेट घुस रहा है … अब दोनों निप्पल एक साथ चूसो … आह … मेरी जान आग लगा दी है.”

मेरी चुदाई की आवाज पहाड़ों में गूंज रही थी.. आप यह इंडियन सेक्स स्टोरी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स कहानी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

मुझे लगता है कि मेरी चूत फिर से पानी छोड़ने वाली है। फिर केशव ने मेरे दोनों मम्मों को हाथों में लिया और मेरे दोनों निपलों को मुंह में लिया और चूसने लगा। जैसे ही केशव मेरे निपलों को चूसने लगा, मैंने उसके सारे बाल अपने हाथों से पकड़ लिए और अपनी गांड उठा-उठा कर उससे चुदने लग गई। मैंने केशव के लंड पर धक्के मार-मार के अपनी चूत का फव्वारा छोड़ दिया। फिर मैं बेहोश सी हो गई और केशव के ऊपर गिर गई। केशव ने मुझसे पूछा, “कैसा लगा?” मैने हांकते हुए कहा, “बहुत अच्छा,
… तुम्हारे लंड ने तो आज मेरी चूत की मस्ती ही निकाल दी, बहुत तड़प रही थी. बहुत खुश है तुम्हारी चूत रानी, इसने तीन बार पानी छोड़ा है. अब तुम्हारी बारी है … जैसा चोदना चाहो, वैसे चोद लो.

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केशव ने मुझे नीचे लिटाया, मेरे पैर घुटनों से मोड़कर फैला दिए और मेरे नीचे पहाड़ी घास से बना एक तकिया रख दिया। उन्होंने मेरे पैर फैलाने की वजह से मेरी चिकनी चूत ने अपना मुँह खोल दिया था। मेरी चूत मानो कह रही थी कि अब मेरे अन्दर तुम अपना लंड डाल दो।

केशव ने अपने लंड पर थोड़ा सा थूक लगाया और मेरी खुली हुई गांड पर रख दिया। मैंने अपने हाथों से दोनों कूल्हे फैला दिए। केशव के लंड का सुपारा अपनी गांड के छेद में रखकर दबा दिया। इधर केशव ने गांड के छेद का अहसास करते ही दबाव बना दिया, तो केशव का सुपारा मेरी गांड के अन्दर प्रवेश कर गया।

उनकी उंह की आवाज आई, तो केशव ने थोड़ा सा और जोर लगाकर धक्का दे मारा। केशव का आधा लंड मेरी गांड में विराजमान हो गया। मेरी सिसकारी निकल गई। अब केशव आधा लंड ही अन्दर बाहर करके चोदने लगा। मुझे हल्का सा दर्द हो रहा था, इसलिए मैं कराह रही थी।

कुछ देर बाद केशव ने अपना लंड गांड से बाहर निकालकर गांड में थूक दिया और फिर से लंड को गांड में डाला, तो केशव का आधा लंड आराम से अन्दर चला गया। केशव ने फिर से चार पांच झटके दिए और अपना लंड थोड़ा बाहर निकाल कर जोर का धक्का लगा कर एक ही बार में पूरा लंड गांड की जड़ में पेल दिया।

गांड में पूरा लंड जाते ही मेरे मुँह से चीख निकल गई। मैं कहने लगी- धक्का मारने से पहले बोलना तो था। केशव ने कहा- अगर बोलकर धक्का मारता, तो तू चीखती ही नहीं। मुझे मजा ही नहीं आता। मैं कराहते हुए हंस दी।

अब केशव अपना लंड गांड में अन्दर बाहर करके आराम से मेरी गांड चोदने लगा। गांड चोदते हुए कभी केशव मेरे चुचे पी रहा था, तो कभी प्यारी मेरे होंठों चूसने लगता। आधे घंटे तक केशव अपनी प्यारी मेरी गांड चोदता रहा। हम दोनों भी थक गए थे।

मैंने पूछा- पानी कहां डालोगे? गांड में या चूत में? केशव ने कहा- तुम्हारी चूत की प्यास बुझाऊंगा। ये कहते हुए केशव ने अपना लंड गांड से निकाल कर खूबसूरत गीली चूत में घुसा दिया। मैंने अपने दोनों हाथ गर्दन के पीछे डालकर केशव को पकड़ लिया।

अब केशव जोर जोर से धक्के मारने लगा। मेरे धक्कों से मैं हिल रही थी, मेरे मोटे मोटे मम्मे भी थिरक रहे थे।

मैं नीचे से गांड उठाते हुए उनका हौसला बढ़ा रही थी- आंह और जोर से … और जोर से, बहुत अच्छा लग रहा है … तुम्हारे जैसा तगड़ा लंड मुझे मेरी चूत चोदने को मिला है … आह बहुत खुशनसीब हूं मैं … आ … हा.

उसने चुदाई की रफ्तार बढ़ा दी, मुझे महसूस हुआ कि अब उसका लंड पिचकारी छोड़ेगा, तो चार पांच तगड़े धक्के मारकर उस्ने पूरा लंड मेरी की चूत में जड़ तक घुसा दिया और गर्म वीर्य की धार चूत में गिरने लगी.

हम पाहड़ पर ही निर्वस्त्र ही सो गए। सब्हा मेरी दासी ने हमें ऐसे देखा, तो बहुत मुस्कराई। लेकिन मेरे लिए उसकी मुस्कराहट में सम्मान और आदर था। वह जानती थी कि हमारा प्यार कितना गहरा है।

मेरी दासी ने मुझे दूसरे कपड़े लेकर दिए और मैंने उन्हें पहन लिया। राजकुमार केशव ने भी अपने कपड़े पहन लिए और हमने एक दूसरे को देखा। हमारे चेहरे पर खुशी और संतुष्टि के भाव थे।

उस दिन के बाद, हमारे बीच का प्यार और भी गहरा हो गया। हमने एक दूसरे के साथ कई और दिन बिताए और हमारे प्यार को और भी मजबूत बनाया।

तीसरे दिन, हम राज्य के उस स्थान पर पहुँचे जहाँ रेगिस्तान लगता था और रेत ही रेत थी। वहाँ की शांति और एकांत में हमने अपनी सुहागरात का तीसरा दिन मनाने का फैसला किया।

राजकुमार केशव ने मुझे अपनी बाहों में लिया और हम रेत में बैठ गए। रेत की ठंडक में हमारे शरीर की गर्मी बढ़ गई और हमने एक दूसरे को चूमना शुरू कर दिया।

हमारा पूरा शरीर रेत में धंस गया और हम एक दूसरे में खो गए। हमारे प्यार की गर्मी बढ़ती गई और हमने एक दूसरे के साथ चुदाई के खेल खेले। हमारी हँसी और खुशी रेत के धूल में गूंथ गई।

उस पल में, हमारे बीच का प्यार और भी गहरा हो गया। हमने एक दूसरे को गहराई से देखा और हमारे दिल एक दूसरे के साथ धड़क रहे थे। राजकुमार केशव के साथ बिताया गया वह पल मेरे लिए हमेशा के लिए यादगार रहेगा।

अंत में, जब हम अलग हुए, तो मेरे शरीर की दरारों में भी रेत घुस गई थी। राजकुमार केशव ने खुद मेरे शरीर से रेत साफ की और मुझे और भी करीब ले आया।

चौथे दिन, हम दोबारा राजमहल में पहुँचे। वहाँ एक छोटा सा कुंड बनाया गया था, जो बिल्कुल भी गहरा नहीं था। वह कुंड लगभग एक फुट गहरा होगा और उसमें विभिन्न रंगों के सुंदर पुष्प रखे गए थे। कुंड जल से भरा हुआ था और पुष्प जल में तैर रहे थे।

उसमें एक बहुत ही बड़ा और प्राचीन पुष्प था, जिसकी सुगंध और सुंदरता देखकर मैं मंत्रमुग्ध हो गई। राजकुमार केशव ने मुझे उस पुष्प पर लिटाया और हम दोनों एक दूसरे में खो गए।

पुष्प की नरम और मुलायम पंखुड़ियों पर हमारे शरीर एक दूसरे से जुड़ गए। हमने एक दूसरे को चूमना शुरू किया और हमारे प्यार की लौ जल उठी। पुष्प की सुगंध में हमारे प्यार की गर्मी बढ़ती गई।

उस प्राचीन पुष्प पर हमने अपनी सुहागरात का चौथा दिन मनाया। हमारे प्यार की गर्मी और स्नेह उस पुष्प में हमेशा के लिए बस गई। आप यह इंडियन सेक्स स्टोरी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स कहानी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

आज रात, हमारे प्यार की यात्रा का अंतिम चरण था। उसी कुंड के चारों ओर दिए जलाए गए थे, जो हमारे प्यार की गर्मी और स्नेह को और भी बढ़ा रहे थे। दियों के बीच में हमारा बिस्तर लगाया गया था, जो हमारे प्यार की एकांत और निजता को दर्शाता था।

राजकुमार केशव ने मुझे उस बिस्तर पर लिटाया और हम दोनों एक दूसरे में खो गए। दियों की रोशनी में हमारे चेहरे चमक रहे थे और हमारे दिल एक दूसरे के साथ धड़क रहे थे।

हमने एक दूसरे को चूमना शुरू किया और हमारे प्यार की लौ जल उठी। दियों की सुगंध और कुंड की शांति में हमारे प्यार की गर्मी बढ़ती गई।

अब असल जीवन में सुबह हो गई थी और मेरी चेतना जागृत होने लगी थी, माई तुरंट ही घोड़ी बन गई और केशव मेरे ऊपर चढ़ने लग गया

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. और तभी मेरी नींद खुल गई। क्योंकि यह सपना था।

मैं इस कहानी को आगे नहीं बढ़ा सकती क्योंकि यह सिर्फ एक सपना था। अब यह सपना टूट गया है और मेरी वास्तविकता में लौट आई हूँ। आप यह इंडियन सेक्स स्टोरी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स कहानी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

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कहानी का अगला भाग: निकिता का स्वयंवर – भाग 2 – कालीनाथ का हमला

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