निकिता का स्वयंवर – भाग 2 – कालीनाथ का हमला

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जैसा कि आप जानते हैं, मेरा नाम निकिता है। पिछली कहानी(निकिता का स्वयंवर – एक अनोखी सुहागकथा) में मैंने बताया कि मेरा स्वयंवर हुआ और मैंने केशव को चुना। फिर मुझे पता चला कि रिया और सावित्री भी केशव की दो रानी पहले से हैं।

रिया और सावित्री ने मुझे अपनी छोटी बहन मान लिया और मुझे अपने दिल में जगह दी। उन्होंने मुझे बताया कि वे केशव की रानियाँ हैं और उन्हें बहुत प्यार करती हैं।

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फिर हम सुहागयात्रा पर निकले, जहां हमने अलग-अलग जगह सम्भोग किया।

मैं अब भी इस बात से परेशान थी कि जब केशव की पहले से दो रानियाँ थीं, तो उसने मुझसे विवाह क्यों किया। मेरे मन में कई सवाल थे, लेकिन मुझे पता नहीं था कि उनके जवाब कौन देगा।

तभी रिया और सावित्री मेरे पास आईं। उनकी आँखों में आँसू थे और उनके चेहरे पर एक मिश्रित भावना थी।

“निकिता, तुम्हारी चिंता समझ में आती है,” रिया ने कहा। “लेकिन तुम्हें यह जानना चाहिए कि केशव एक सच्चा राजा है, जो हमेशा अपनी रानियों का सम्मान करता है।”

“हाँ, निकिता,” सावित्री ने जोड़ा। राजधर्म के अनुसार “जब कोई राजा किसी दूसरे राजा को हरा देता है, तो वह उसके राज्य को जीत लेता है, उसकी रानियों को वैश्या बनाकर अपने महल में रखता है और हारे हुए राजा को आजीवन कारावास हो जाता है। लेकिन केशव ऐसा नहीं है।”

“उसने हमारे पति को हराया था, लेकिन उसने उन्हें कारावास नहीं दिया,” रिया ने कहा। “बल्कि उसने उन्हें अपनी सेना में शामिल कर लिया और हमें वैश्या न बनाकर अपनी रानी बनाया। उसने हमें अपना सम्मान और प्यार दिया।”

“वह हमेशा हमारी इज्जत का ख्याल रखता है,” सावित्री ने कहा। “और हमें कभी भी अपने महल से बाहर नहीं निकाला।”

मुझे उनकी बातें सुनकर केशव के प्रति मेरी इज्जत बढ़ गई। मैंने महसूस किया कि वह सचमुच एक सच्चा राजा है, जो अपनी रानियों का सम्मान करता है।

तभी हमें मस्ती सूझी, मैंने मेरी दासी प्रिया को मेरे कमरे का गेट बंद करने को कहा और प्रिया दरवाजा बंद कर के अंदर से पहरा देने लगी, मैंने तुरतं सावित्री और रिया की चुन्नी निकल दी और अपनी भी चुन्नी निकाल कर पटाक दी, और उन दोनो को आँख मारी।

अब हम तीनों सिर्फ चोली में थीं. मगर प्रिया ने अभी भी चुन्नी साहित लहंगा पहना हुआ था. मगर वो पहरा दे रही थी.रिया ने उसके पास जाकर उसके चुन्नी को उतारने के लिए हाथ बढ़ाये और प्रिया ने बिना किसी विरोध के चुन्नी उतर जाने दिया.उसकी चोली काफी छोटी थी, उसकी चूचियां सच में मस्त लग रही थीं.

फिर रिया ने अपनी चोली को भी खोल दिया. उसकी चूचियां अब नंगी हो गई थीं.

मैंने भी अपनी चोली को खोल दिया और ऊपर से नंगी हो गई. अब सावित्री और प्रिया की चोली ही उनकी चूचियों पर बची थी. हम दोनों की नंगी चूचियां देख कर सावित्री ने भी अपनी चोली उतार दी और अपनी चूचियों को मसलने लगी.

प्रिया ने देखा कि हम तीनों की चूचियां नंगी हैं मगर अभी भी वो चोली को नहीं उतार रही थी. फिर रिया उसके पास गई और उसकी चोली को खोलने लगी. प्रिया को भी अब वासना का नशा हो रहा था. मगर अभी उतना नशा नहीं था कि वो नंगी होने के लिए तैयार हो जाये.

रिया ने उसकी चूचियों को चोली के ऊपर से दबा दिया. प्रिया हंसने लगी और पहरा देती रही. फिर रिया ने प्रिया की चोली को खोलने के लिए फिर से कोशिश की. मगर प्रिया अभी भी तैयार नहीं थी. लेकिन रिया कहां रुकने वाली थी. उसने प्रिया की चूचियों को दबाना शुरू कर दिया और प्रिया को मस्ती चढ़ने लगी.

दो मिनट तक वो उसकी चूचियों को चोली के ऊपर से दबाती रही और फिर प्रिया ने खुद ही अपनी चोली को खोल दिया. अब वो भी ऊपर से नंगी हो गई थी. रिया ने उसकी चूचियों को पकड़ कर अपने हाथ में भरना चाहा मगर प्रिया ने चूचियों पर हाथ से ढक लिया. लेकिन रिया ने उसके हाथ हटा कर उसकी चूचियों को पकड़ कर भींच दिया.

अब वो दोनों एक दूसरे की चूचियां दबाने लगीं. इधर सावित्री और मुझे भी मस्ती चढ़ने लगी और हमने भी एक दूसरे की चूचियों को पकड़ कर उनसे खेलना शुरू कर दिया. अब चारों को ही मस्ती चढ़ चुकी थी. कुछ देर हमने एक दूसरे की चूचियों को दबाया और फिर चारों एक ग्रुप बना कर नाचने लगीं.

बहुत मजा आ रहा था. अब प्रिया ने चारों की चोली को उठा लिया और उनको एक साथ अपने हाथ में लेकर हवा में घुमाने लगी. हम तीनों उसको देख कर हंसने लगीं. फिर हमने अपनी-अपनी चोली उसके हाथ से ली और उसको हवा में घुमाते हुए नाचने लगीं.

कुछ देर तक ऐसे ही मस्ती में नाचते रहने के बाद रिया ने प्रिया का घाघरा खोल दिया और प्रिया ने कोई विरोध नहीं किया. वो उसको बेड की तरफ ले गई और उसके घाघरे को उतार कर उसे पूरी नंगी कर दिया.

वो प्रिया की चूत को अपने हाथ से सहलाने लगी और प्रिया बेड पर तड़पने लगी. फिर उसने प्रिया की चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू कर दिया. अब प्रिया कामुक हो गई और रिया के मुंह को अपनी चूत पर दबाने लगी.

उन दोनों को इस तरह से लेस्बियन सेक्स का मजा लेते देख कर मैंने और सावित्री ने भी एक दूसरे को नंगी कर दिया और मैंने सावित्री का मुंह अपनी चूत पर रखवा दिया. वो मेरी चूत में जीभ अंदर देकर चाटने लगी. मैं भी पागल सी हो उठी.

चारों की चारों बेड पर एक दूसरे के नंगे जिस्मों के साथ खेलने लगीं. कभी प्रिया मेरी चूचियों के अपने हाथों से दबा रही थी तो कभी मैं रिया की चूचियों को मसल रही थी. चारों को ही लेस्बियन सेक्स में मजा आने लगा.

फिर रिया ने प्रिया की चूत में उंगली करनी शुरू कर दी और मैंने सावित्री की चूत को चाटना शुरू कर दिया. प्रिया और सावित्री दोनों ही एक दूसरे की चूचियों को हाथों में भर कर दबाने लगीं और कामुक सिसकारियां लेने लगीं.

करीबन दस मिनट तक मैंने और रिया ने उन दोनों की चूत को चाटा और वो दोनों गांड को उठा-उठा कर एकदम से झड़ने लगीं. प्रिया और सावित्री की चूत ने पानी छोड़ दिया.

हमने भी उन दोनों को यही करने के लिए कहा. अब प्रिया मेरी चूत में उंगली करने लगी और सावित्री रिया की चूत में. रिया और मैं एक दूसरे की चूचियों के दबाने लगीं. रिया मेरे निप्पलों को पकड़ कर मसल रही थी. मैं रिया से पहले ही झड़ गई.

दो मिनट के बाद रिया की चूत ने भी पानी छोड़ दिया. हम चारों ही मस्ती में नंगी बेड पर पड़ी रहीं और ऐसे ही सो गईं. सुबह उठी तो चारों के कपड़े यहां-वहां बिखरे हुए थे. मेरी दासी प्रिया का सिर दर्द कर रहा था. मगर अब उसकी शर्म हमारे सामने खुल गई थी.

हम चारों बारी-बारी से फ्रेश हुईं और फिर रिया और सावित्री अपने भवन यानी अपने कमरे में वापस चली गईं.

केशव को ये बात पता चल गई थी कि हम तीनों ने कल क्या किया है पर उसने हमें कुछ नहीं कहा बल्कि रात भर वह कुछ रणनीति बना रहा था

मेरे मन में केशव के प्रति सम्मान बढ़ गया। लेकिन तभी हमें एक अचानक खबर मिली, जिसने हमारे सभी खुशियों को छीन लिया।

“राजा केशव, कालीनाथ ने हमारे राज्य पर हमला कर दिया है!” हमारे सेनापति ने आकर कहा। “वह अपनी विशाल सेना के साथ आया है, जिसमें कई शक्तिशाली योद्धा और खतरनाक हथियार हैं।”

केशव का चेहरा गंभीर हो गया। “तैयार हो जाओ, हमें युद्ध के लिए निकलना होगा,” उन्होंने कहा। “कालीनाथ एक खतरनाक दुश्मन है, लेकिन हमें अपने राज्य की रक्षा करनी होगी।”

मेरे मन में चिंता बढ़ गई। कालीनाथ एक शक्तिशाली राजा था, जिसकी सेना में:

– 100,000 से अधिक सैनिक थे
– 5000 से अधिक घोड़े थे
– कई खतरनाक हथियार थे, जैसे कि आग उगलने वाले तोप और विषाक्त तीर

उसने न जाने आज तक कितने राज्यों की कितनी रानियों को वैश्या बना दिया था, न सिर्फ इतना वह हर युद्ध में हारे हुए राजाओं की रानी को नंगी ही लेके जाता था ताकि अपनी क्रूरता और ताकत का परिचय दे सके

अगर कालीनाथ कालीनाथ में कुछ अच्छाई थी तो यह की उसकी सिर्फ एक ही रानी थी जिससे वह बहुत ज्यादा प्यार करता था ।

क्या केशव कालीनाथ को हरा पाएंगे? और क्या मैं अपनी इज्जत को बचा पाऊँगी?

कालीनाथ ने हमारे राज्य पर हमला कर दिया था। केशव ने अपनी सेना को तैयार किया और हमारे राज्य की रक्षा के लिए निकल पड़े।

युद्ध शुरू हो गया और दोनों सेनाएँ एक दूसरे पर हमला कर रही थीं। युद्ध का मैदान खून से रंग गया था और हर तरफ़ चीख-पुकार मची हुई थी।

तीन दिन तक युद्ध चलता रहा और केशव की सेना ने बहुत से सैनिक खो दिए। केशव खुद भी गंभीर रूप से घायल हो गया था, लेकिन उसने हार नहीं मानी।

“हमें अपने राज्य की रक्षा करनी होगी,” उसने अपने सैनिकों से कहा। “कालीनाथ को हमारे राज्य पर कब्जा नहीं करने देंगे।”

केशव की सेना ने फिर से हमला किया, लेकिन कालीनाथ की सेना बहुत मजबूत थी। केशव की सेना पीछे हटने लगी और मुझे डर था कि हम हार जाएंगे।

लेकिन केशव ने हार नहीं मानी और उसने अपनी सेना को फिर से हमला करने का आदेश दिया। युद्ध अभी भी जारी था, लेकिन शाम होने वाली थी और आज का युद्ध समाप्त हो गया।

रात में केशव मेरे पास आया। वह थका हुआ और घायल था, लेकिन उसकी आँखों में अभी भी संघर्ष की चिंगारी थी।

“निकिता,” उसने मुझे देखकर कहा, “मुझे लगता है कि कल हम हार जाएंगे। कालीनाथ की सेना बहुत मजबूत है और हमारे पास बहुत कम सैनिक बचे हैं।”

मेरा मन सहम गया, सर घूमने लगा और जागते जागते स्वप्न आने लगे कि मैं कालीनाथ की सेना में हजारों सैनिकों के बीच नंगी खड़ी हूं, मेरे ही महल में कालीनाथ मुझे चोद रहा है.. मेरी चूत और आंख दोनों गीली होने लगी थी, मैने खुद को संभाला..और केशव का हाथ पकड़ लिया और उसे देखा। “तुम हार नहीं मानोगे, केशव,” मैंने कहा। “तुम एक सच्चे राजा हो और तुम अपने राज्य की रक्षा करोगे।”

केशव ने मुझे देखा और मुस्कराया। “तुम्हारी बातें मुझे मजबूत बनाती हैं, निकिता,” उसने कहा। “मैं कल फिर से युद्ध के लिए तैयार होऊँगा और अपने राज्य की रक्षा करूँगा।”

तभी मैने एक रणनीति बनाई, मैंने केशव को एक विशेष योजना के बारे में बताया, जिससे हम कालीनाथ की सेना को हरा सकते थे। लेकिन क्या थी वह योजना? क्या केशव उसमें सफल होगा?

रात भर मुझे गलत गलत ख्याल आ रहे थे, की हम हार गए तो क्या होगा,कैसे अपनी इज्जत बचाऊंगी, इंतजार करने के बाद सुबह हुई। कालीनाथ की सेना युद्ध के लिए तैयार हो गई, लेकिन वे हैरान थे। केशव की सेना का एक भी सैनिक युद्धस्थल पर नहीं आया था, न ही केशव खुद आया था। उसकी जगह एक बड़े से पत्थर पर केशव का पत्र था।

“कालीनाथ,” पत्र में लिखा था, “जब तक तुम्हें यह पत्र मिलेगा, तब तक तुम्हारी बीवी मुझसे चुद चुकी होगी। तुम्हारे राज्य में इंतजार कर रहा हूँ…”

कालीनाथ का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। उसने अपने सैनिकों को आदेश दिया कि वे केशव की सेना को ढूंढकर हराएं, लेकिन वे नहीं जानते थे कि केशव ने अपनी सेना को कहाँ छुपाया है।

अब क्या होगा? क्या केशव अपनी योजना में सफल होगा? कालीनाथ की सेना को हरा पाएगा या नहीं? यह तो समय ही बताएगा…

हमारी योजना सफल हो रही थी। योजना थी कि केशव कलीनाथ के राज्य पर हमला करेगा, जब कालीनाथ की सेना हमारे राज्य में होगी। इस तरह, कालीनाथ के राज्य में कम सैनिक होंगे और केशव को जीतना आसान होगा।

हमने सोचा था कि कालीनाथ अपनी बीवी की इज्जत बचाने के लिए तुरंत अपने राज्य की तरफ वापस लौटेगा, और तब हम उसके राज्य पर हमला करेंगे। और यही हुआ।

पर उससे पहले ही केशव अपनी सेना लेकर कालीनाथ के राज्य पर चढ़ाई कर चुका था, उसके एक एक योद्धा ने घुटने टेक दिए मजबूरन कालीनाथ की बीवी स्वयं युद्ध करने आई, हाथ में तलवार लिए आंखों में गुस्सा.. कालीनाथ की रानी बहुत बहादुर थी और उसने तुरंत केशव के 5 6 सैनिकों को घायल कर दिया।

केशव स्वयं आगे आया और लड़ना शुरू किया, और उसके एक ही वार में कालीनाथ की पत्नी की चोली काट दी और उसके बूब्स दिखने लगे.. उसका सामर्थ्य केशव से युद्ध का नहीं था, परन्तु उसने तलवार नहीं छोड़ी और केशव मानो उसके साथ खेल रहा था.. उसके अगले ही वार में उसकी चोली काट कर नीचे गिर पड़ी और उसके बूब्स उछाल कर सामने आ गए, घायल सैनिक भी अपना दर्द भूल कर उसके बूब्स देखने लगे थे, फिर केशव ने उसकी चूत के ऊपर वार करना शुरू किया और उसके लहंगे की रस्सी कट गई लहंगा पूरा उतर चुका था और वह तलवार लिए नंगी खड़ी थी, अब केशव ने उसके हाथ से तलवार छीनी और जमीन में पटक दिया .. केशव ने कालीनाथ की बीवी को कमर से पकड़ लिया था और चूत पर हाथ फेरे जा रहा था, फिर केशव ने बोला बता क्या नाम है तेरा तो बोली काव्या।

उसने अंदर से एक सिंहासन को महल के बाहर रखवाया
फिर बिना देर करते हुए वो वहां पर रखे सिंहासन पर काव्या को झुका दिया, और फिर अपने लंड के टोपे को काव्या की कोमल रसीली कमसिन गुलाबी चूत पर सेट कर दिया। फिर एक-दो मिनट काव्या को किस करके अचानक से काव्या की चूत में अपना लंड पेला। पर केशव का लंड फिसल गया, शायद चूत के छेद से लंड फिसल गया था।

फिर से केशव ने काव्या के पैरों को थोड़ा फैलाया, और खुद उसको सिंहासन पर झुका कर उस पर झुक गया। वो पोजीशन डागी स्टाइल की तरह ही था, पर कुछ अलग सा था, और लंड चूत पर सेट करके आराम-आराम से थोड़ा घुसाया। जब लंड को चूत के छेद का रास्ता मिल गया, तो केशव ने जोर का धक्का मारा। कुर्सी थोड़ा आगे खिसक गयी, पर लंड का चूत से मिलन भी हो गया, और लंड चूत की दीवारों को चीरता हुआ अन्दर घुसता चला गया।

केशव ने लंड अन्दर जैसे ही डाला काव्या चीख उठी, और वो बोली, “प्लीज निकालो , प्लीज आह उहहह उइइईईई मां फाड़ डाला रे उहह आआहहहह”। तभी केशव बोला, “बस थोड़ा दर्द होगा, अभी सब खत्म हो जाएगा”। और फिर कुछ देर गज्जू रूक गया और किस करने लगा। फिर कुछ ही सेकेण्डों में केशव ने दूसरा झटका मार दिया। केशव का काफी लंड अन्दर घुस गया, और काव्या की चीख बढ़ गई। वो जोर-जोर से छटपटाने लगी, और रोने लगी। वो छूटने की कोशिश करती पर छूट नहीं पा रही थी।

उधर केशव सटासट-सटासट लंड अन्दर-बाहर कर रहा था, और काव्या की चीख से पूरी सेना के सामने में गूंज रही थी।

काव्या चिल्ला रही थी: उहहहह आह अईईई बहुत दर्द हो रहा है।

केशव: बस-बस मेरी जान, 10 तक गिनती गिनो। अभी सब दर्द खत्म हो जाएगा।

काव्या गिनती गिनना शुरू करती हैं और केशव अपनी स्पीड बढ़ा देता है, और सटासट सटासट सटासट फटाफट फटाफट लंड पेलना स्टार्ट कर देता है।1आह 2‌‌आह 3 आह ऐसे करते-करते काव्या गिनती गिनती है। तभी केशव चौंक जाता है, क्यूंकि काव्या 9 तक गिनती गिनती है और बोलती है, “9 आह”, अब काव्या को मजा आने लगा था।

कुछ ही देर में काव्या को मजा आने लगता है, और वो केशव का साथ देने लगती है। इतना देखते ही केशव काव्या को डाॅगी स्टाईल से हटा कर अब उसे अपनी गोद में उठा लेता है, और अब काव्या की चूचियों को पीने लगता है।

फिर कुछ मिनट बाद ही वो काव्या की चूत में फिर से लंड फंसाता है और एक झटके में ही लंड सट से पेल देता है। फिर काव्या को अपने गले से चिपका कर रखता है। केशव उसी पोजीशन में ही काव्या को अपनी गोद में उठा कर उसकी चूत में सटासट सटासट लंड पेलते हुए सभी सैनिकों को दिखाता है, ताकि सब सही से उनकी चुदाई देख सके।

काव्या की चूचियां तो केशव के सीने से दबी हुई थी, पर काव्या की गांड ऊपर-नीचे होने की वजह से हिलोरे मार रही थी, और सैनिकों को हंसते हुए देख केशव काव्या की गांड पर चमाट मारे जा रहा था, जिससे काव्या की गांड लाल हो चुकी थी।

अब सीन ऐसा था कि झड़ने के बाद भी केशव ने अपना लंड चूत में टाईट होकर अन्दर ही घुसा रखा था। और उसमें से केशव के लंड का वीर्य टपक रहा था।

पर कुछ देर गज्जू वैसे ही काव्या को लेकर खड़ा रहा, और कुछ ही देर में फिर धक्के मारने लगा। अबकी बार काव्या की चूत ने पानी छोड़ दिया, और फिर वैसे ही रिस-रिस कर पानी चूत और लंड के बीच से ही टपकने लगा।

काव्या की चूचियां उछल रही थी वो दृश्य बहुत ही मनमोहक था। उस दृश्य को देख कोई भी मुट्ठ मार देता,

पर तभी केशव ने अपने लंड को शायद गांड के छेद पर रखा। जैसे ही काव्या को केशव ने बोला कि बैठो, और जैसे ही काव्या बैठने लगी, तो केशव ने काव्या की गांड को पकड़ कर फैला दिया।

जब लंड गांड के छेद पर टच हुआ, और जब तक काव्या उठने का प्रयास करती, केशव ने अपने हाथों से जोर देकर काव्या को लंड पर बैठने को मजबूर कर दिया। फिर लंड गांड के छेद में घुसता चला गया, और करीब 2 इंच ही लंड घुसा रहा होगा, तभी काव्या की कराहने की आवाज आने लगी।

वो उसको हटाने लगी, पर लड़की जात कहां से एक मर्द के सामने जीत पाएगी। केशव ने तुरन्त काव्या को कस कर जकड़ लिया, और तुरन्त गांड में धक्के लगाने के लिए अपनी कमर को उठाया। पर तब तक काव्या उठ गई। पर केशव ने हार नहीं मानी, और तुरन्त काव्या को फिर से पकड़ कर उसके दोनों पैरों को अपने पैरों से जकड़ लिया, और गांड के छेद में अपने लंड को सेट करके जोर का धक्का मार दिया।

काव्या की चीख के साथ केशव की चीख भी निकल गयी। पर कुछ देर में ही केशव फटा फट फटा फट लंड पेलते हुए काव्या की गांड भी बजाने लगा। कुछ देर में ही काव्या की गांड से तेज तेज आवाज आने लगी, जो कि काव्या की गांड पे केशव की जांघ के टकराने से आ रही थी। और उहआह उहआह उफ्फ् आहहहह की आवाज आ रही थी। कुछ ही देर में काव्या को भी मजा आने लगा, और वो गज्जू का साथ देने लगी।

दोनों चुदाई करते-करते एक-दूसरे को चूमते-चाटते और उसी दौरान केशव और काव्या फिर एक बार फिर झड़ गए। केशव ने अपना पूरा माल काव्या की गांड में छोड़ दिया।

कालीनाथ और उसका मंत्री अपनी बीवी की इज्जत बचाने के लिए तुरंत अपने राज्य की तरफ वापस लौटे, लेकिन जब वे पहुँचे, तो उन्होंने देखा कि उनकी बीवी निर्वस्त्र पड़ी हुई थी और केशव उसकी बीवी को सबके सामने चोद चुका था। उसके बदन पर एक भी कपड़ा नहीं था, केशव वहां का राजा बन चुका था और काव्या नंगी पढ़ी थी और उसके पूरे नंगे बदन पर वीर्य फैला था

इसके बाद, केशव को चिंता थी कि उसके राज्य में क्या हो रहा है। उसने अपने सैनिकों को कालीनाथ के राज्य पर हमला करने के लिए लाया था, लेकिन अब उसे डर था कि उसके राज्य में कुछ गलत हो सकता है।

इस बीच, कालीनाथ अपनी बीवी की हालत देखकर और भी गुस्से में हो गया। उसने अपने मंत्री को देखा और कहा, “हमें वापस केशव के राज्य की तरफ बढ़ना होगा। हमें केशव को सबक सिखाना होगा।”

कालीनाथ और उसका मंत्री वापस हमारे राज्य की तरफ बढ़ने लगे। केशव को जब यह पता चला, तो उसने अपने सैनिकों में से आधे को लेकर दूसरे रास्ते से हमारी रक्षा के लिए लौटने लगा।

केशव की सेना और कालीनाथ की सेना के बीच एक बड़ा युद्ध होने वाला था।

मेरी योजना का दूसरा भाग अब अमल में आया। हमारे सभी कैदियों की बीवियों को निर्वस्त्र कर के और उन के शरीर पर विष लगा कर, उन्हें कालीनाथ की सेना के सामने भेजा गया। ये स्त्रियाँ अपने पतियों की मुक्ति के लिए लड़ने के लिए तैयार थीं।

कालीनाथ के सैनिक उन्हें देखकर हक्के बक्के रह गए। वे अपने सैनिकों की हालत देखकर समझ नहीं पा रहे थे कि क्या हो रहा है क्योंकि जो भी सैनिक उनके नंगे बदन को चूमने का प्रयास करता उसको विष चढ़ जाता । जब कालीनाथ लौटा, तो उसने देखा कि उसके बहुत से सैनिक उन नंगी स्त्रियों के विष का शिकार होकर मर चुके हैं।

मेरी स्त्री सेना हाथ में तलवार लिए युद्ध कर रही थी। वे कालीनाथ की सेना को हरा रही थीं। तभी केशव की सेना आ चुकी थी, जिसने युद्ध जीत लिया और कालीनाथ को बंदी बना लिया।

केशव ने मुझे देखा और मुस्कराया। “निकिता, तुम्हारी योजना सफल हुई,” उसने कहा। “तुमने मेरी सेना को जीत दिलाई।”

मैंने केशव को देखा और कहा, “यह हमारी संयुक्त जीत है। हमने मिलकर कालीनाथ को हराया।”

केशव ने कालीनाथ को देखा और कहा, “तुम्हारी हार हुई। तुम्हें अपने किए की सजा मिली।”

तभी काव्या यानी कालीनाथ की बीवी को भी महल में लाया गया वह अभी भी वीर्य में सनी हुई थी पर उसके फटे हुए कपड़ों से ही उसको थोड़ा बहुत ढक दिया गया था

कालीनाथ ने अपनी हार स्वीकार की और कहा, “मैंने अपनी गलती की सजा पाई। मैं कभी भी तुम्हारे खिलाफ नहीं उठूंगा।”

केशव ने मुझसे पूछा, “निकिता, इन लोगों के साथ क्या करना चाहिए? क्या हमें उन्हें माफ कर देना चाहिए या उन्हें सजा देनी चाहिए?”

मैंने केशव को देखा और कहा, सबसे पहले तो मेरी स्त्री सेना को सम्मानित करना चाहिएवौर उनके पतियों को रिहा करना चाहिए और “नहीं, इस कालीनाथ ने मेरे सम्मान पर नज़र डाली थी। इसे माफ नहीं कर सकते। इसके लिए इसको कड़ी सजा मिलनी चाहिए।”

केशव ने मेरी बात सुनी और कहा, “तुम्हारी बात सही है, निकिता। इसने तुम्हारे सम्मान को ठेस पहुंचाई है। इसके लिए इसको सजा मिलनी चाहिए।”

मैंने आगे कहा, “और साथ ही, मैं तुम्हारी और नई बीवी बर्दाश्त नहीं कर सकती। इसके लिए इसको वेश्या बनाकर रखा जाना चाहिए।”

केशव ने मेरी बात सुनी और कहा, “तुम्हारी इच्छा अनुसार, निकिता। कालीनाथ को कड़ी सजा मिलेगी।”

केशव ने अपने सैनिकों को आदेश दिया, “कालीनाथ को निर्वस्त्र कर के जेल में डालो और उसकी बीवी को वेश्या का दर्जा देकर महल में रखो।” युद्ध से पहले और युद्ध के बाद हमारे सैनिकों को खुश करने के लिए इसकी जरूरत पड़ेगी ।

सैनिकों ने कालीनाथ को निर्वस्त्र कर के जेल में डाल दिया और उसकी बीवी को वेश्या का दर्जा देकर महल में रख लिया गया।

कालीनाथ की बीवी ने मुझे देखा और कहा, “मैंने तुम्हारे साथ कुछ गलत नहीं किया। मुझे माफ कर दो।”

मैंने उसे देखा और कहा, “तुमने गलत का साथ दिया है, अब तुम्हें इसकी सजा भुगतनी होगी। तुम्हारी जिंदगी अब वेश्या की होगी।”

कालीनाथ की बीवी ने अपना सिर झुका लिया और महल में रहने के लिए मजबूर हो गई।

कालीनाथ की बीवी को दोबारा नंगा किया गया और सैनिकों ने उसको नहलाना चालू किया ….

कालीनाथ जेल में अपनी सजा भुगतने लगा। मैं और केशव ने मिलकर अपने राज्य को सुख और समृद्धि की ओर ले जाने का फैसला किया।

कहानी जारी रहेगी

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