दिल्ली वाली हॉट भाभी की चुदाई – भाग 2

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कुछ दिनों बाद फिर से मौक़ा मिला जब भैया और मम्मी-पापा किसी रिश्तेदार के यहाँ गए हुए थे। भाभी घर पर अकेली थी, और मैं भी उसी मौक़े का इंतज़ार कर रहा था। जैसे ही मौका मिला, मैं सीधा भाभी के पास पहुँच गया।

कहानी का अगला भाग: Dilli Wali Hot Bhabhi Ki Chudai

भाभी उस वक़्त रसोई में खाना बना रही थी। उन्होंने जींस और टाइट टॉप पहना हुआ था, जिसमें उनकी चूचियों का उभार साफ़ दिखाई दे रहा था। मैं धीरे से उनके पास गया और उनके पीछे खड़ा हो गया। भाभी मेरी मौजूदगी को महसूस कर चुकी थी, पर वो मुस्कुरा रही थी, जैसे उन्हें मेरा इंतज़ार हो। आप यह भाभी की चुदाई की देसी कहानी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स स्टोरी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

मैंने धीरे से अपने हाथ उनकी कमर पर रख दिए और उन्हें अपनी तरफ़ खींचा। वो बिना कुछ कहे मेरी बाहों में समा गई। मैंने उनकी गर्दन पर अपने होंठ रख दिए और वो सिहरने लगी। मैंने उनके कानों में फुसफुसाया, “आज फिर से वही रात दोहराएँगे।”

भाभी ने हल्की सी मुस्कान दी और बोली, “अब और इंतज़ार नहीं होता।”

मैंने उन्हें वहीं रसोई के काउंटर पर बिठा दिया और उनके होंठों को अपने होंठों से दबा लिया। वो भी अब पूरी तरह से मेरी आगोश में थी। धीरे-धीरे मैंने उनके टॉप के बटन खोल दिए और उनकी चूचियों को मसलने लगा। उनका शरीर गर्म हो चुका था और वो आहिस्ता-आहिस्ता मेरे लंड को अपने हाथों से छूने लगी।

मैंने उनकी जींस को खोलकर नीचे खींचा और उनका पैंटी भी उतार दिया। भाभी ने अपने पैर खोल दिए और मैं उनके चूत के पास आ गया। मैंने पहले उनके चूत को अपनी जीभ से चाटा, और भाभी की साँसें तेज़ हो गईं। वो आहें भरने लगी, “आह्ह्ह्ह… और करो, प्लीज़!” आप यह भाभी की चुदाई की देसी कहानी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स स्टोरी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

मैंने बिना देर किए अपना मोटा लंड निकाला और उनके चूत में डाल दिया। भाभी ने अपनी कमर को ऊपर उठाया और मैं जोर जोर से उन्हें चोदने लगा। उनकी आहें और कराहें पूरे कमरे में गूंजने लगीं। वो कभी मेरे लंड को पकड़ती तो कभी मेरी पीठ पर नाखून गड़ा देती।

हम दोनों पसीने से तर हो चुके थे, पर मैं रुकने वाला नहीं था। मैंने उन्हें पलट दिया और पीछे से चोदने लगा। उनकी गोल-गोल गांड मेरे लंड पर जोर जोर से हिल रही थी, और मैं और तेज़ धक्के मारने लगा।

करीब आधे घंटे की चुदाई के बाद भाभी जोर से चिल्लाई, “ओह्ह्ह, अब नहीं सहा जा रहा! डाल दो अंदर सबकुछ!”

मैंने भी बिना देर किए अपना सारा वीर्य उनके चूत में उंडेल दिया। हम दोनों थक कर वहीं रसोई के फर्श पर गिर पड़े और एक दूसरे को कसकर पकड़ लिया।

कुछ देर तक हम दोनों रसोई के फर्श पर लेटे रहे, एक दूसरे की धड़कनों को महसूस करते हुए। भाभी की साँसें अभी भी तेज़ चल रही थीं, और मेरे लंड में फिर से हलचल शुरू हो चुकी थी। मैं देख सकता था कि भाभी की भी वही हालत थी, क्योंकि उनके होंठों पर अब भी एक गहरी मुस्कान थी।

मैंने धीरे से उनकी तरफ़ देखा और बोला, “भाभी, लगता है एक और राउंड के लिए तैयार हो?”

उन्होंने हँसते हुए कहा, “तुमसे बेहतर कोई मुझे समझ नहीं सकता।”

मैंने बिना कुछ कहे उन्हें उठाया और किचन की स्लैब पर बिठा दिया। वो जानती थी कि अब क्या होने वाला है। मैंने धीरे-धीरे उनके पैरों को खोला और अपने लंड को फिर से तैयार किया।

मैंने भाभी की चूचियों को फिर से मसलना शुरू किया, और उनके निप्पल को अपने होंठों से दबाने लगा। भाभी ने अपने सिर को पीछे झुका लिया और अपने शरीर को मेरे सामने पूरी तरह से समर्पित कर दिया।

“और तेज़… और ज़ोर से…” भाभी की धीमी आवाज़ में एक अलग ही चाहत थी। आप यह भाभी की चुदाई की देसी कहानी इंडिया की नम्बर 1 सेक्स स्टोरी वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

मैंने फिर से अपना मोटा लंड निकाला और सीधे उनके गीले चूत में डाल दिया। इस बार मैं और भी तेज़ी से धक्के मारने लगा। भाभी की आहें और कराहें अब और भी तेज़ हो चुकी थीं।

उन्होंने अपने पैरों को मेरी कमर के चारों तरफ़ लपेट लिया और मुझे और करीब खींच लिया। अब मैं बिना रुके उन्हें चोदता जा रहा था। भाभी ने अपने नाखूनों को मेरी पीठ पर गड़ा लिया, और उनकी आँखों में पागलपन सा था।

मैंने भाभी को स्लैब से उठाया और उन्हें दीवार के पास खड़ा कर दिया। पीछे से उनका मखमली शरीर मेरी तरफ़ झुका हुआ था। मैंने एक बार फिर से अपने लंड को उनके चूत में डाल दिया और पीछे से जोर जोर से धक्के मारने लगा।

भाभी की गांड मेरे लंड पर जोर से हिल रही थी, और मैं और तेज़ी से उन्हें चोद रहा था। “ओह्ह्ह… और करो… और तेज़,” भाभी की आवाज़ अब पूरी तरह से बेबस और पागलपन से भरी हुई थी।

करीब बीस मिनट तक बिना रुके चुदाई के बाद भाभी ने जोर से चिल्लाया, “अब बस करो! अब बर्दाश्त नहीं हो रहा!”

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लेकिन मैं भी रुकने वाला नहीं था। मैंने आखिरी जोर का धक्का मारा और अपना सारा वीर्य फिर से उनके चूत के अंदर छोड़ दिया। भाभी ने एक गहरी साँस ली और मेरे ऊपर गिर पड़ी। हम दोनों पसीने से तर थे, और उनकी आंखों में संतुष्टि थी।

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