निकिता का स्वयंवर – भाग- 3 – नंगी रानियां और चुदाई की तलब

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मैं, आपकी सहेली निकिता, आप सभी पाठकों का इस कहानी में स्वागत करती हूँ। यह कहानी का तीसरा भाग है। पिछली कहानी(निकिता का स्वयंवर – भाग 2 – कालीनाथ का हमला) में मैंने बताया था कि काव्या को नंगी कर के सैनिकों ने नहलाने के लिए ले जाया था। … अब आगे

काव्या का स्नान और उसका अनुपम सौंदर्य

सैनिकों ने काव्या को एक विशेष कक्ष में ले जाकर नहलाना शुरू किया। उसका शरीर लंबा, छरहरा, और बेहद आकर्षक था। उसकी कमर पतली थी और उभरे हुए चूतड उसकी चाल को मोहक बना रहे थे। उसकी छाती पर गोलाई लिए बड़े-बड़े स्तन थे, जो एक-दूसरे से सटी हुई मृदुल गोलाइयाँ दिखा रहे थे। उसकी नाभि गहरी थी, और उसकी त्वचा का रंग हल्का गेहुंआ, मानो किसी मूर्तिकार ने उसे सांचे में ढालकर तराशा हो।

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सैनिकों ने उसे गर्म पानी और खुशबूदार जड़ी-बूटियों वाले तेलों से धीरे-धीरे मल-मलकर नहलाना शुरू किया। पहले उसकी गर्दन और कंधों पर हल्के हाथों से तेल लगाया गया। उसकी पतली कमर और चूतड़ों पर तेल की चिकनाहट उसे और मोहक बना रही थी। फिर उसके स्तनों को साफ करते समय, पानी की धार उनके ऊपर से इस तरह बह रही थी, मानो किसी अनमोल मूर्ति को तराशा जा रहा हो। काव्या का शरीर ठंडे और गर्म पानी के स्पर्श से सिहर उठ रहा था, लेकिन वह पूरी तरह शांत बनी रही। उसके लंबे काले बाल खुले हुए थे, जो भीगे होने पर उसकी पीठ से नीचे तक फैल गए थे और उसकी गांड़ को ढक रहे थे, उसकी चूत एकदम गुलाबी और चिकनी थी, सैनिकों को पता था कि ये अनमोल शरीर अभी उनको चोदने को मिलने वाला है।

स्नान के बाद उसे पारदर्शी रेशमी वस्त्र पहनाए गए, जो उसके नर्म और भरे हुए शरीर को ढँकने के बजाय उभारने का काम कर रहे थे। उसके दोनों निप्पल, उसके शरीर की हर रेखा और हर मांसपेशी उन वस्त्रों के नीचे साफ झलक रही थी। वह एक जीवित कृति की तरह दिख रही थी—इतनी सुंदर कि किसी चित्रकार का सपना साकार हो गया हो।

काव्या का विलाप और निकिता का निर्णय

जब काव्या को मेरे सामने प्रस्तुत किया गया, तो वह मुझसे लिपटकर रोने लगी। उसकी भीगी हुई त्वचा की खुशबू अब भी हवा में थी। उसके बूब्स मेरे बूब्स से चिपक गए थे, उसने सिसकते हुए कहा, “मेरा क्या दोष था? मैंने कुछ गलत नहीं किया। मैं तो बस एक रानी हूँ। तुम्हारे पति केशव ने मुझे चोदा, सबके सामने चोदा, उस पर मुझे कोई पछतावा नहीं, बल्कि गर्व है। वह एक राजा है और उससे चुदाना गर्व की बात है। लेकिन कृपा करके मुझे सैनिकों से मत चुदवाओ।”

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उसकी सुंदरता को देखकर मैं दंग रह गई। उसके भीगे हुए शरीर की चमक और पारदर्शी वस्त्रों के नीचे झलकते मोटे मोटे बूब्स और इतनी चिकनी चूत इतनी आकर्षक थीं कि मैं समझ गई कि ऐसी अनुपम कृति को सैनिकों के हवाले नहीं किया जा सकता। मैंने केशव से कहा, “तुम सही थे, केशव। हमें इसके साथ इतनी क्रूरता नहीं करनी चाहिए।”

केशव ने गंभीरता से कहा, “मुझे पता है, लेकिन समस्या सिर्फ काव्या तक सीमित नहीं है। जिन दूसरे राजाओं की रानियों को कालीनाथ ने इतने समय से नंगी रखा था, उनका क्या दोष? उनके राज्यों का क्या भविष्य होगा? और कालीनाथ के राज्य का क्या करना चाहिए? यह भी हमें सोचना होगा।”

सभा का आयोजन और नग्न नगर की स्थापना

सभा बुलाई गई, जिसमें हम तीनों रानियां,और काव्या भी मौजूद थी, साथ ही उन चारों रानियाँ जिन्हें कालीनाथ ने बंदी बना रखा था —मधु, ज्योति, कंचन, और शीतल—को भी बुलाया गया। उन्हें अब भी निर्वस्त्र रखा गया था, लेकिन ऊपर से हल्के कपड़े डाल दिए गए थे। उनके चेहरे पर दुख और अपमान की छाया थी, लेकिन वे फिर भी शांत थीं। उनसे पूछा गया, “तुम सब क्या चाहती हो?”

उनमें से एक ने उत्तर दिया, “अब क्या फर्क पड़ता है? इतने समय तक हम सबको नंगी कर के रखा गया। हमारा सम्मान लोगों की आँखों के सामने नष्ट हो चुका है। न हमें कोई गरिमा मिली, न ही अब राजपाठ का कोई अर्थ रह गया है।”

केशव ने सोचा और कहा, “इन सभी रानियों के राज्यों को मिलाकर एक नया राज्य बनाया जाएगा, जिसका नाम ‘नग्न नगर’ होगा। यहाँ किसी को कपड़े पहनने की अनुमति नहीं होगी, चाहे औरत हो या आदमी सब को नंगा रहना होगा, जो भी इस राज्य में आएगा नंगा होकर ही आना होगा, ताकि सब समान महसूस करें और कोई किसी का अपमान न कर सके।”

केशव ने घोषणा करते हुए कहा, “इस नए राज्य नग्न नगर को संभालने की पूरी जिम्मेदारी मैं निकिता को सौंपता हूँ। वह इस राज्य की संरक्षिका और शासिका होगी, जो इसे न्याय और समानता के सिद्धांतों पर चलाएगी।”

इसके साथ ही, उन चारों रानियों—मधु, ज्योति, कंचन, और शीतल—को मेरी आज्ञा में महामंत्री का स्थान दिया गया। केशव ने कहा, “ये रानियाँ अपने-अपने अनुभव और बुद्धिमत्ता से इस राज्य के प्रशासन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएंगी। इनका सम्मान अब इस नए राज्य की व्यवस्था से जुड़ा हुआ है।” हालांकि उन सब का ध्यान इन सब से ज्यादा केशव के लण्ङ पर था ।

मैंने सभा के बीच खड़े होकर गहरी सांस ली, यह जिम्मेदारी मेरे लिए आसान नहीं थी, लेकिन उन सभी रानियों की ओर देखा। उनकी आंखों में अब एक नई उम्मीद की चमक थी। मुझे एहसास हुआ कि यह सिर्फ एक राज्य का प्रशासन नहीं था—यह उनकी खोई गरिमा को वापस लाने और एक नया इतिहास रचने का अवसर भी था।

मैंने केशव और पूरी सभा के सामने सिर झुकाकर कहा, “मैं इस नई जिम्मेदारी को स्वीकार करती हूँ और वचन देती हूँ कि नग्न नगर में हर व्यक्ति समानता और सम्मान के साथ जीवन व्यतीत करेगा।”

सभा में काव्या से पूछा गया, “तुम्हारी क्या इच्छा है?”

काव्या ने बिना किसी संकोच के कहा, “मेरा पति बहुत बुरा इंसान था। उसने मेरे साथ विश्वासघात किया और मुझे अपमानित होने दिया, इतना बलशाली होने के बावजूद अपने मुझे सैनिकों के सामने चोद दिया, ये आपकी ताकत को दिखाता है। अब मैं आपको, इस नए राज्य को संभालते हुए देखना चाहती हूँ। मुझे विश्वास है कि आप न्याय और समानता से शासन करेंगे।”

केशव ने काव्या की बातों को ध्यान से सुना और इसके बाद फैसला लेने की जिम्मेदारी मुझे, काव्या, और शेष दो रानियों— रिया और सावित्री—को सौंप दी। हम चारों ने विचार-विमर्श के बाद एक निर्णय लिया।

हमने तय किया कि केशव अब कालीनाथ के राज्य का महाराज बनेगा, लेकिन उसका प्रशासनिक कार्यभार काव्या के हाथों में सौंपा जाएगा—हालाँकि, वह केशव की रखैल के रूप में उसकी भूमिका निभाएगी, वह दोबारा विवाह नहीं कर सकती और उसकी चूत पर सिर्फ और सिर्फ केशव का हक होगा । यह निर्णय काव्या की सहमति से लिया गया, ताकि उसके अनुभव और क्षमता का उपयोग शासन में हो सके, लेकिन उसकी स्थिति इस नई व्यवस्था के अनुकूल बनी रहे।

यह नया ढाँचा न केवल राज्य की राजनीति को स्थिरता देगा बल्कि उन सभी रानियों को भी एक नई दिशा और भूमिका देगा, जिन्होंने अपने अपमान और पीड़ा का सामना किया था।

चारों रानियों—मधु, ज्योति, कंचन, और शीतल—ने केशव को एक विनती लिखी। उसमें उन्होंने लिखा:

“महाराज, हमारे पति अब हमारे जीवन में नहीं हैं, और हमारी आयु भी ऐसी है कि हम जी भर के चुदाई चाहती हैं, अभी संपूर्ण जीवन का अनुभव करना चाहती हैं। इतने लंबे समय तक बंधन में रहने के कारण हमें कभी भी संभोग का संतोष नहीं मिल पाया। हमारी आपसे विनती है कि कृपया इस आवश्यकता में हमारी सहायता करें।”

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केशव ने पत्र को पढ़कर गंभीरता से विचार किया और फिर सभा में घोषणा की, “आप चारों रानियाँ आज रात एवं प्रत्येक माह में एक रात मेरे पास चुदाई के लिए आ सकती हैं और मैं भी जब आपके राज्य में आऊंगा खूब चोदूंगा । इस तरह आपकी इच्छाओं का सम्मान होगा और संतोष भी प्राप्त होगा।”

रानियाँ यह सुनकर प्रसन्न हो गईं। उनके चेहरों पर अब संतोष की झलक दिखाई दे रही थी—मानो उन्हें अपनी अधूरी इच्छाओं और भावनात्मक पीड़ा से मुक्ति का मार्ग मिल गया हो।

फिर रात को वे चारों रानियां केशव के पास आ गई.

सब लोग मदिरा पीने लगे. केशव और मधु चादर डाल कर बैठे थे. तभी मधु ने अपना हाथ उसके लंड पर फेरना शुरू कर दिया. वो फुल मूड में आ गई थी.

एक मिनट बाद केशव का लंड खड़ा हो गया तो मधु चादर के अन्दर सिर करके लंड को चूसने लगी.

ज्योति, कंचन ओर शीतल अब उन दोनों को ही देखने लगे. मधु ने अचानक से चादर अलग कर दी. अब उन तीनों के सामने केशव का लंड मधु में मुँह में था. वो तीनों उसके खड़े लंड को ही निहार रही थीं.

कुछ पल बाद केशव ने अपना लंड मधु के मुँह से निकाल लिया. उसका लंड उन सभी के सामने लहरा रहा था.

शीतल तो लंड को देख के दंग ही रह गई थी. पहली बार उसने इतना सुडौल और इतना बड़ा लंड देखा था.

मधु ने उससे कहा- क्या तुम भी इसका स्वाद लेना चाहोगी?

फिर क्या था, वो सब खिल उठीं और कंचन व शीतल उठ कर लंड को बारी बारी से चूसने लगीं. केशव तो मानो सातवें आसमान में उड़ रहा था. तीन लड़कियां उसके लंड को चूस रही थीं.

अभी ज्योति यह सब देख रही थी.

केशव ने उन सभी के कपड़े उतारे और ज्योति ने उसे पूरा नंगा कर दिया.

अब वो उन चारों के बारी बारी से दूध दबा रहा था और उन्हें किस कर रहा था. वो भी उसके लंड और अंडकोषों को चूस चूस कर पूरा आनन्द ले रही थीं.

यह सब कुछ मिनट तक चलता रहा.

फिर केशव ने कहा- चलो लंड बहुत चूस लिया. अब यह बताओ कि पहले कौन चुदेगी?
शीतल ने कहा- पहले मुझे चोदो महाराज.

केशव ने शीतल को पकड़ कर बेड पर खींच लिया और उसकी चूत के मुँह पर लंड रख कर अन्दर बाहर करना शुरू कर दिया.

शीतल को हल्का हल्का सा दर्द हो रहा था. वह ‘अअअअ मधु ऊऊउ ईईई … इनका बहुत बड़ा है यार … तुम कैसे लोगी … आह आराम से करो महाराज मेरी फट रही है.

उधर सामने बैठी ज्योति ये सब देख रही थी और अपनी नंगी चुत में उंगली चला रही थी.

दस मिनट तक शीतल को चोदने के बाद केशव सीधा लेट गया. शीतल के बाद कंचन उसके लंड पर आकर बैठ गई और अपनी चुत में लंड फिट करके वो लंड पर गांड उछालने लगी.

केशव अभी शांत लेटा था. कंचन बड़ी मस्ती में उसके लंड पर अपने चूचों को झुल्ला झुलाते हुए कूद रही थी.

वो कहने लगी- महाराज … मजा नहीं आ रहा है, तुम भी नीचे झटके मारो न.

केशव उसको पकड़ कर नीचे लिटा दिया और उसके पैर अपने कंधों पर रख कर पूरा लंड चुत में पेल दिया.

अब उसका लौड़ा कुछ ही झटकों में उसकी चूत की दीवारों को फाड़ते हुए अन्दर बाहर होने लगा.

उसकी आंखों से आंसू बहने लगे, वो चिल्लाने लगी और कहने लगी- आह महाराज … ये क्या कर दिया तुमने … आह मैं मर गई हाय ईईई … शीतल ऊऊउ इस सांड से मुझे बचाओ. रुक जाओ महाराज मार डालोगे क्या.

केशव ने बड़े बड़े झटके दिए तो वो झड़ कर शान्त पड़ गई.

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उसे चोदने के बाद केशव ने ज्योति को खींचा और उसे चूमना चालू कर दिया. नीचे कंचन फिर से चार्ज हो गई थी तो वह उसे फिर से चोदने लगा. दस मिनट की चुदाई के बाद वे दोनों एक साथ झड़ गए. केशव उसकी चुत से लंड निकाल कर अलग लेट गया. वो भी थक कर मरी कुतिया सी लेट गई.

फिर केशव उठा और ज्योति के पास आ गया. केशव ने उससे पूछा- ज्योति जी, कोई चुदने का इरादा है आपका!
उसने झूलते लंड को देखते हुए कहा- बिल्कुल है.

केशव ने ज्योति को पकड़ लिया और उसके मम्मों को जोर जोर से दबाने लगा. मगर ज्योति यह सब करने में डर रही थी. वो मना करने लगी.

केशव ने एक नहीं सुनी और उसे बिस्तर पर पटक कर उसके कपड़े अलग कर दिए. अब उसके मुलायम दूध उसके सामने रहम की भीख मांग रहे थे.

वो तो था ही पूरा नंगा और अब उसने ज्योति को भी पूरी नंगी कर दिया था. उसकी गुलाबी चूत एक लकीर की तरह थी.

उसने किस करते हुए उसके मम्मों को कसकर दबाना चालू कर दिया.

इतने में मधु चूत ने उंगली डालते हुए बोली बोली- जल्दी करो … मुझसे नहीं रुक जा रहा अब.

कंचन भी कहने लगी- हां महाराज, मधू की चूत बहुत गीली हो चुकी है … उस पर भी थोड़ा रहम करो.

केशव ने कहा- तुम लोग बस बैठी रहो, थोड़ी देर बाद मैं तुम चारों को एक साथ चोदूंगा. जब तक मैं ज्योति की चुत खोलकर उसको तैयार कर लूं.

अब ज्योति भी साथ दे रही थी, वो काफी गर्म हो चुकी थी. केशव ने देर न करते हुए सीधे उसकी चूत पर हमला बोला और चुत पर जीभ फेरने लगा. ज्योति सिसकारते हुए आगे को सरकने लगी.

केशव ने उसके कसके पकड़ लिया और 5 मिनट तक उसकी कोमल चूत चाटी.
वो एकदम बेहाल हो गई थी और लंड लेने के लिए मचलने लगी थी.

वो उठ कर खड़ा हुआ तो उसका ढीला लंड अभी उसे चोदने की तैयारी में नहीं था. उसकी आंख बंद थीं. केशव ने उसके मुँह में लंड देने के लिए उसके होंठों पर सुपारा रख दिया.

उसने आंखें खोलीं और बिना देर किए लंड मुँह के अन्दर करके चूसना चालू कर दिया.

थोड़ी देर लंड चुसवाने के बाद केशव ने लंड बाहर निकाला तो लंड बिल्कुल कड़क हो चुका था.

अब केशव ने शीतल को बुला कर कहा- तू जरा इसे सम्भाल लेना.

शीतल समझ गई कि उसे क्या करना था.

अब केशव ने ज्योति को पोजीशन में लिटाया और उसके ऊपर आ गया. वो तीनों उन दोनों को घेर कर बैठ गईं.

उसने लंड चूत पर रखा और शीतल से उसको किस करने कहा.
उसने वैसा ही किया.

केशव ने मधु से कहा- इसको जरा पकड़ लो.

उसने देर न करते हुए एक धक्का दे दिया. लंड अन्दर गया तो ज्योति ने रोना शुरू कर दिया. वो चीखने लगी, आंसू बहाने लगी. उसने छटपटा कर अपनी कमर को झटका दिया तो केशव का लंड अन्दर जाकर बाहर आ गया था.

उसने दूसरी बार में आराम से लंड डालना शुरू किया. वो सीलपैक चूत थी, शायद उसके पति ने उसे कभी छोड़ा ही नहीं था, लंड अन्दर जाने को तैयार ही नहीं था.

फिर केशव ने बिना बताए जोर से एक झटका दिया, तो सील फाड़ते हुए लंड अन्दर पहुंच गया. ज्योति की आंखें पथरा गईं उसकी आवाज ही बंद हो गई.

तभी शीतल ने उसे एक चांटा मारा तो वो जोर से रोने और चिल्लाने लगी. सबकी सांस में सांस आ गई.

अब केशव ने बिना रुके दो मिनट में बीस झटके मारे और उसे चोदने लगा. बीस बार लंड अन्दर बाहर हुआ तो चुत ने मुँह खोल दिया. हालांकि वो अब भी रो रही थी.

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केशव रुक गया था.

ज्योति कहने लगी- मुझे दर्द हो रहा है, मैं रो रही हूँ. जरा रुक नहीं सकते थे.
केशव ने कहा- बेटू, अब दर्द नहीं होगा. इसलिए मैंने तुम्हें बिना रुके इतना किया. अब तुम तैयार हो गई हो, तुम्हें अब दर्द नहीं होगा.

वो घूर कर देख रही थी.

केशव ने दोनों हाथों से उसके चूचे पकड़ लिए और लंड को फिर से अन्दर डालकर धक्के देने शुरू कर दिए.

वह फिर से चीखने लगी- अअह दीदी रोको इन्हें … मधु ऊऊऊह … बस अब बस करो … ऊईओह मम्मीईईईई … मर गई रे … ओ … बस कर दे बेदर्दी.

वो चीखती रही और केशव लंड पेलता रहा. कुछ ही देर बाद उसको मजा आने लगा.

उसका लंड एकदम तना हुआ था.

केशव ने काफी देर तक ज्योति को चोदा. ज्योति इस दौरान दो बार झड़ चुकी थी. केशव ने उसे छोड़ दिया और चित लेट गया.

अब केशव ने बारी बारी से तीनों को लंड पर झूला झुलाया. पहले शीतल ने लंड की सवारी गांठी. फिर मधु ने लंड पर चुत रगड़ी. इसके बाद कंचन सवार हो गई और गांड पटकते हुए उसने अपनी चुत की खुजली शांत की.

इस तरह केशव ने चारों को बार बार चोदा.

रात तक चारों ने एक अकेले लंड का भरपूर मजा लिया. सभी लड़कियां 3-3 बार झड़ चुकी थीं.

चुदाई के बाद केशव की हालत बहुत खराब हो गई थी. वे सब थक कर सो गए.

सुबह तक हम सब सोते रहे. जब मेरी आंख खुली, तो मैंने उनके कमरे में जाकर देखा कि मधु के मुँह में केशव का लंड पहले से दबा था. वो बड़े प्यार से लंड को चूस रही थी.

वो चारों रानियां चुदने के बाद बहुत प्रसन्न थीं.

रानियों का शृंगार और उनकी नई भूमिकाएँ

अगले दिन, चारों रानियों को नए राज्य के कार्यभार के लिए तैयार किया गया। उन्हें विशेष आभूषणों से सजाया गया, लेकिन कपड़े नहीं पहनाए गए।

1. मधु का शृंगार

मधु की त्वचा सांवली और रेशमी थी, जिस पर हर स्पर्श मानो और भी गहराई से उतरता। उसकी गर्दन लंबी और आकर्षक थी, जहाँ सोने की मोटी माला पहनाई गई थी, जो उसकी त्वचा की चमक को और बढ़ा रही थी।

– स्तन: मधु के उभरे हुए गोल स्तन पर सोने के नाजुक कड़े पहनाए गए, जो हर हिलने-डुलने पर हल्के से खनकते। उसकी गहरी गुलाबी स्तनाग्र यानी निप्पल बिना किसी वस्त्र के खुले थे, जो हर सांस के साथ उठते-गिरते रहे।

– कमर: उसकी पतली कमर पर सोने की करधनी लिपटी थी, जो उसकी भरी-भरी चूतड़ों पर कसकर बैठी हुई थी।
उसकी चूत पर करधनी की झल्लर लटक रही थी जो उसकी चूत को पूरी तरह नहीं छिपाती थी।
– नाभि: नाभि के भीतर सोने का नाजुक स्टड जड़ा था, जो उसके हर कदम के साथ चमकता।
– पैर: उसके लंबे पैरों में घुंघरूदार पायल थी, जो उसकी हर चाल को और भी मादक बना रही थी।

मधु का शृंगार उसकी गहन और गंभीर सुंदरता को और निखार रहा था, मानो हर अंग से मोहकता टपक रही हो।

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2. ज्योति का शृंगार

ज्योति की त्वचा दूधिया सफेद थी, और उसके अंगों का आकार एकदम संतुलित और आकर्षक था। उसकी त्वचा की कोमलता पर चांदी के गहनों का ठंडा अहसास बिखरा था।

– स्तन: उसके सुडौल और भरे हुए बूब्स के उभार को खिला छोड़ा गया , जो उसके स्तनों के भार को और भी मोहक बनाते थे। उसकी दोनों स्तनाग्र यानी निप्पल हल्के गुलाबी रंग की थीं, और उनकी नोक पर एक चैन लटकाई गई जो दोनों निप्पल को जोड़ती थी।
– कमर: उसकी कमर के चारों ओर चांदी की पतली करधनी कसी थी, जो उसकी त्वचा पर बर्फ जैसा ठंडा एहसास दे रही थी, हालांकि यह काफी अलग थी जो उसके चूतड़ों को बिल्कुल नहीं ढक रही बस चूत अच्छे से छुपी थी।
– नाभि: ज्योति की नाभि के बीचों-बीच एक छोटा सा हीरे का स्टड चमक रहा था।
– पैर और जांघें: उसके पैरों में चांदी की पायलें बंधी थीं, और उसकी मांसल जांघों पर बारीक तेल की परत चमक रही थी।

ज्योति का शृंगार उसकी कोमलता और सौम्यता को दर्शा रहा था, लेकिन उसकी चाल में मादकता और उत्तेजना छुपी हुई थी।

3. कंचन का शृंगार

कंचन की त्वचा हल्की सुनहरी आभा लिए हुए थी, और उसकी मांसलता में भराव और कामुकता का अद्भुत संगम था। उसके अंगों पर मोती और हीरे के गहनों का शृंगार किया गया था।

– स्तन: कंचन के भरे हुए और उठे हुए स्तन पर मोतियों की माला ढीली-ढाली लटक रही थी, जो हर हिलने-डुलने पर उसके स्तनों को छूकर सिहरन पैदा करती।
– कमर: उसकी कमर पर हीरों से जड़ी करधनी बंधी थी, जो उसकी पतली कमर से होते हुए उसके नितंबों को और उभार दे रही थी।

– पैर और जांघें: उसकी जांघें चिकनी और भरपूर थीं, जिन पर तेल की परत चमक रही थी। पैरों में मोतियों की पायल थी, जो हर कदम पर मधुर ध्वनि कर रही थी।

कंचन का शृंगार उसकी गर्वीली सुंदरता और मादकता को और उभार रहा था, जिससे उसकी चाल में एक राजसी ठाठ झलक रहा था।

4. शीतल का शृंगार

शीतल की त्वचा गुलाबी आभा लिए थी, और उसकी काया में लचीलापन और मादकता का अद्भुत मेल था। उसका शृंगार मोतियों और घुंघरुओं से किया गया था।

– स्तन: शीतल के नर्म और गोल स्तन पर लंबी मोती की माला लिपटी थी, जो दोनों स्तन के बीच से होकर निकलती थी जो हर सांस के साथ हल्के से हिलती। उसकी स्तनाग्र तीखी नोक की तरह उठी हुई थीं, जो हर नजर को ठहरने पर मजबूर करतीं।
– कमर और नितंब: उसकी पतली कमर पर घुंघरुओं की करधनी लिपटी थी, जो उसकी हर चाल के साथ खनकती। उसके चूतड मांसल और उभरे हुए थे, जिन पर हल्का तेल लगाया गया था, ताकि वे और चमकदार दिखें। चूत एकदम चिकनी और साफ दिख रही थी।
– नाभि: शीतल की नाभि में एक छोटी सी चांदी की घंटी बंधी थी, जो उसके हर कदम के साथ मीठी आवाज करती थी।
– पैर: उसके पैरों में घुंघरुओं की पायलें थीं, और उसकी जांघें लचीली और आकर्षक थीं, जो उसकी हर चाल को मादकता से भर देतीं।

शीतल का शृंगार उसकी चंचलता और लचीलापन को दर्शा रहा था, और उसकी चाल में उन्मुक्तता झलकती थी।

यात्रा की शुरुआत

चारों रानियाँ अपने-अपने शृंगार में किसी देवी की तरह लग रही थीं। उनके नग्न शरीरों पर गहनों की चमक ने उनकी सुंदरता को कई गुना बढ़ा दिया था। जब वे चलतीं, तो उनके शरीर पर पड़े गहने खनकते, और उनकी तेल से चमकती त्वचा हर नजर को आकर्षित करती।

मैने केशव को कहा कि इतने बड़े राज्य की स्थापना शायद मेरे लिए मुश्किल हो, इसलिए उसे नग्न नगर भेज दिया और मैने काव्या के राज्य में जाने को कहा ।

मैं काव्या को अपने कमरे में ले गई… और जाते ही उसके कपड़े उतार दिए
मैं उसकी तरफ मुड़ी और उसके होंठों से अपने होंठ लगा कर पागलों की तरह उसे किस करने लगी.
वो भी इसमें मेरा भरपूर साथ दे रही थीं.

फिर काव्या ने मेरे कपड़े भी उतार दी और मुझे पूरी नंगी कर दिया.

अब वो मेरी चुचियों को मसलने लगीं और उन्हें बारी बारी से चूसने लगीं. मैं भी काव्या के नंगे बदन को चूम रही थी.

फिर मैंने काव्या को अपने से दूर किया और उनकी चूत की सुगंध को सूंघने लगी. मुझे मस्ती चढ़ने लगी तो मैंने अपना मुँह उसकी बगलों से लगा दिया और उधर की सम्वेदनशील त्वचा को चाटने लगी.

अपनी बगलों में मेरी जीभ को पाकर वो भी पागल सी हो रही थीं. वो कामुक वासना से भरी सिसकारियां भर रही थीं.

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काव्या मुझसे कहने लगीं- रानी निकिता आज मेरी चूत को फाड़ दो … मुझे अपनी रांड बना लो .

यह सब सुनकर मैं और आतुर हो रही थी और उस के चुचों में दांत भी काट रही थी.

मैं भी काव्या की चूचियों को चूसते हुए उसे गाली देने लगी- ले साली लंड की भूखी रांड साली …किसी और का लंड क्यों नहीं ढूंढ लेती कोई मेरे पति से ही चुदाना है … आह बड़ी मस्ती चूचियां हैं.
वो भी मस्ती में बड़बड़ाते हुए कह रही थीं- आहन … उन्ग्ग … ओह … और ज़ोर से काटो मेरे निपल्स को … आह मुझे मज़ा आ रहा है. मेरी चूत को लंड ही नहीं मिल रहा है. तूम अपने पति को ले आओ … उन से चुदवा लूंगी … आह चूस लो.

मैने कहा मुझे अपनी सहेली समझ।

मैं और ज़ोर से उनके मम्मों के ऊपर बड़े और कड़क हो चुके चूचुकों को अपने दांतों से खींच कर हल्के हल्के से काट रही थी.

काव्या अपने हाथ से मेरे सर को दबाते हुए अपने मम्मों को मानो मेरे मुँह में घुसेड़ देना चाह रही थीं.

मैंने उसको लिटा दिया और अपनी जीभ से उनके पूरे जिस्म को चाटने लगी. वो भी पूरा मज़ा ले रही थीं.

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फिर काव्या ने मुझे लिटा दिया और वो मेरा पूरा बदन चूमने लगीं. वो भी शरारत में मेरे बदन पर इधर उधर दांत से काट रही थीं. साथ साथ में वो खुद को गंदी गालियां भी दे रही थीं.

उसने फिर मेरी जांघों पर चूमना शुरू किया और जांघों से चूमते हुए वे मेरी चूत पर आ गईं. मुझे एकदम से सनसनी हुई और मैंने काव्या का सर अपनी चूत पर दबाना चाहा. मगर उसने मुझे पलट दिया और मेरी गांड चाटने लगीं. कसम से मुझे इतना मज़ा आ रहा था कि पूछो ही मत.

मैंने उस से चूत चाटने का इशारा किया तो उस ने मुझे फिर पलट दिया और मेरी चूत पर अपनी जीभ से हरकत करना शुरू कर दी. वो मेरी चूत को पूरी मस्ती से चाट रही थीं. मेरी टांगें खुद ब खुद फ़ैल गई थीं और मैं अपनी गांड उठा कर अपने पति की रखैल से अपनी चूत चटवाने का मजा लेने लगी थी.

फिर उसने पलंग के पास से गुलाब का फूल उठाया
और उसका कुछ पंखुड़ी मेरी चूत के अन्दर डाल दिया. पंखुड़ी का आधे से ज्यादा हिस्सा चूत की फांकों में फंसा था और चूत की गर्मी से पिघलने लगा था. वो अपनी जीभ से गुलाब को चूसने और चाटने लगीं. मैं इतनी ज्यादा एग्ज़ाइटेड हो गयी थी कि मैं 5 मिनट में ही झड़ गयी.

काव्या ने मेरी चूत से निकला सारा माल चाट चाट कर साफ़ कर दिया.

मैं निढाल हो कर बिस्तर पर लेटी हुई लम्बी लम्बी सांसें लेने लगी.

उन्होंने मुझसे कहा- निकिता तेरा तो हो गया … अब मेरी बारी है.

मैं उसकी चूत के पास अपना मुँह ले गयी. उनकी चूत से महक आ रही थी, पर इस वक्त मुझे वो महक बड़ी मस्त लग रही थी. मैंने काव्या की चूत को चाटना शुरू कर दिया.

मैंने अपनी जीभ को नुकीला करके पूरी उस की चूत की गहराइयों में डालना शुरू कर दी.

वो भी गंदी तरह बोल रही थीं. मैने बुरा नहीं माना, उस ने मुझसे कहा- तू मुझे मर्द बन कर चोद … … अपनी चूत मेरी चूत से रगड़ कुतिया … फिर ज्यादा मज़ा आएगा.

मैं मान गयी. मैंने उस की एक टांग को उठा कर अपने कंधों पर रखा और अपनी चूत उनकी चूत पर चिपका कर ज़ोर ज़ोर से रगड़ने लगी.

काव्या भी इसमें मेरा भरपूर साथ दे रही थीं. कभी मैं उसके ऊपर हो जाती थी, कभी वो मेरे ऊपर चढ़ जाती थीं.

हम दोंनो एक दूसरे से बेइंतेहा प्यार कर रहे थे. हमारी चूत इतनी गरम हो चुकी थीं … जैसे धड़कती हुई भट्टी हों. हम दोनों एक दूसरे को बेतहाशा चोद रहे थे.

तभी काव्या ने मुझे बीच में ही रोका और वो जल्दी से एक खीरा ले आईं और आधा अपनी चूत में डाल लिया. फिर उन्होंने मुझसे कहा कि आधा तू अपनी चूत में डाल कर मुझे चोद.

मैंने कहा कि इतने मोटे खीरे से तो मेरी चूत ही फट जाएगी.
तो उस ने कहा- साली लड़कियों की चूत की गहराई इतनी होती है कि वो चूत के अन्दर कुछ भी घुसा सकती हैं. ये तो साला एक मामूली सा खीरा है. केशव का लण्ङ लेती है तो ये क्या चीज है

मैंने काव्या की बात मान ली. अब मैं उसे खीरे के साथ पेल रही थी. करीब आधे घंटे हम दोनों एक दूसरी को चोदती रही.

फिर उसने मुझसे कहा- महारानी, मैं अब झड़ने वाली हूँ.
मैंने कहा- मुझे भी तेरा माल पीना है.

काव्या ने मुझे झट से अपनी चूत से सटा लिया. मैंने काव्या का झड़ा हुआ सारा माल पी लिया. उसकी चूत का रस काफी नमकीन था … और टेस्टी था.

फिर काव्या ने मुझे किस किया और हम दोनों थके हुए पसीने पसीने बेड पर नंगे ही लेट गए.

फिर मैं काव्या के साथ उसके राज्य सौंदर्य नगर गई और काव्या को विशेष रूप से सजाया गया था—एक रानी के समान। उसका रूप इतना अद्वितीय था कि उसे देखकर कोई भी मंत्रमुग्ध हो जाए।

हालाँकि, इस बार काव्या के प्रति पूरी तरह से विश्वास न करने के कारण हमने एक विशेष निर्णय लिया। उसकी वफादारी सुनिश्चित करने के लिए, उसके स्तनों के बीच केशव का नाम गुदवा दिया गया, जो स्थायी था। यह चिह्न अब उसकी पहचान और उसके समर्पण का प्रतीक बन गया था। इसके बाद काव्या को उसके राज्य का कार्यभार सौंप दिया गया।

नगन नगर राज्य का प्रशासनिक कार्यभार केशव ने संभाल लिया और चारों रानियों यानी मंत्रियों को उनकी भूमिकाएँ स्पष्ट रूप से तय कर उन्हें सौंप दीं।

रात को मैं बाकी रानियों— रिया और सावित्री—के साथ अपने कक्ष में थी। हम सभी अपनी नई भूमिकाओं और भविष्य को लेकर चर्चा कर रहे थे, तभी केशव वहाँ आ गया। उसने आते ही अपने वस्त्र उतारने शुरू कर दिए।

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मैंने उसे रोकते हुए कहा, “केशव, अभी ये रानियाँ भी यहीं हैं…”

केशव मुस्कुराया और शांत स्वर में बोला, “चिंता मत करो, ये भी मेरी ही पत्नियाँ हैं।

इतना कहते ही केशव मेरे मुंह पर अपना लण्ङ रगड़ने लगा..

कहानी का अगला भाग: निकिता का स्वयंवर – भाग 2 – कालीनाथ का हमला

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