निकिता का स्वयंवर – भाग 4 – राजमहल में चुदाई का खेल

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हाय दोस्तों, मैं रानी निकिता फिर हाज़िर हूँ अपनी नई कहानी के साथ। पिछली कहानी(निकिता का स्वयंवर – भाग- 3 – नंगी रानियां और चुदाई की तलब) में मैंने बताया था कि मैंने काव्या के साथ लेस्बियन सेक्स किया और उसको उसका राज्य सौंपकर वापस आ गई थी और रिया और सावित्री के साथ मिलकर बातें कर रही थी तभी नग्न नगर की स्थापना कर के केशव वापस आ गया था और मेरे चेहरे पर अपना लण्ङ रगड़ने लगा…अब आगे…

केशव ने लण्ङ को मेरे मुंह पर रगड़ना चालू रखा, और अपना पजामा नीचे गिरा दिया फिर मुझको पकड़ के अपने नीचे लिया और अपना लंड मेरे मुख में ठूंस दिया।
अचानक हुए इस हमले से मैं घबरा गई और मुझे सांस लेने में दिक्कत होने लगी।

केशव ने लंड को थोड़ा निकाला और फ़िर से ठूंस दिया।
इस बार मैं तैयार थी और मजे से चूसने लगी।

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फ़िर सावित्री को केशव ने पकड़ा और उनके होंठ चूसने लगा।
जबकि रिया मेरे केशव की गांड के छेद को चाटने लगी।

थोड़ी देर बाद हमने पोजीशन बदली।

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अब सावित्री केशव के लंड को चूस रही थी और केशव रिया के दोनों स्तन को चूसने लगा।
मैं केशव की गांड चाटने लगी।

उसके बाद सावित्री केशव के लंड से खेलने लगी और थोड़ी देर में ही लंड को अच्छे से खड़ा कर लिया।
सावित्री ने अपने सारे कपड़े उतार दिए थे; उसके बड़े बड़े बोबे हिलते हुए देखने में कमाल लग रहे थे।

केशव को लिटा कर वे खुद केशव के ऊपर आ गई … फ़िर लंड को चूत में डालकर जोर–जोर से उछलने लगी।

रिया ने अपनी चूत केशव के मुंह पर रख दी और केशव उसकी चूत को चटकारे लेकर चाटने लगा।
मैं केशव के अंडकोश को चूसने लगी।

थोड़ी देर ऐसा करने के बाद मैंने पोजीशन बदली।
अब केशव मुझे कुतिया बना कर चूत में लंड डालकर पेलने लगा।

सावित्री अब केशव के शरीर को चाट रही थी।
उधर रिया केशव के गांड के छेद को चाटने लगी।

 राजमहल में चुदाई का खेल

थोड़ी देर केशव ऐसे ही धक्कम पेल चुदाई करते रहा।
ताबड़–तोड़ धक्कों से मुझे मजा आ रहा था।

मैं सिसकारियां ले रही थी, चीख रही थी और केशव को बोलीं– कहां था इतनि देर तक राजा … अब मिला है … और जोर से चोद … आह … चोद–चोद कर मेरी चूत का गुफा बना दे … आह … और तेज … आह!

लेकिन थोड़ी ही देर बाद मैं झड़ गई।
फ़िर केशव के अंडकोश चूसने लगी।

अब बारी सावित्री की थी।
केशव ने उसे टेढ़ा लिटाया और उसकी चूत में अपना लण्ङ डाल दिया और तेज झटके देने लगा।

उसके झटको का मार वे सह नहीं पाई और बोलीं– निकालो,मुझे दर्द हो रहा है!
वह थोड़ी देर रुका और उसे चूमने लगा।

उसके बाद केशव उसके बोबों को पीने लगा।
मइस तरह की चीजों के करने के बाद उसका दर्द कम हुआ।

उनके साथ केशव ने काफी समय से संभोग नहीं किया था इसलिए उसकी योनि की दीवारें कस गई थी।

थोड़ी थूक लगाई और केशव झटके बढ़ाने लगा।
इस बार वे संभल गई।

केशव 25 मिनट तक उनको चोदता रहा।
वे अपने मुख से मादक सिसकारियां निकालने लगी।

उसकी सिसकारियां सुनकर मै और रिया भी जोश में आ गई।

सावित्री मदहोशी में बोलने लगी– आह शोना … चोद दो… आह … उई मां … सिर्फ मुझे चोदो … ओह शोना … मै तुम्हारी कुतिया हु … चोदो खूब जोर से … आह!

उसने उनको 20 मिनट तक चोदा।
फिर सावित्री केशव के ऊपर लेट गई

रिया सावित्री की गांड चाटने लगी।
जबकि मै रिया की गांड चाटने लगी।

केशव 20 मिनट बाद उसकी चूत में झड़ गया।

इस बार सावित्री रिया के चूत को चूसने लगी और मैं केशव के लंड को फ़िर से खड़ा करने लगी।

थोड़ी देर बाद केशव का लंड फुफकारने लगा।

अब केशव ने रिया को अपने ऊपर लिया और रिया की गर्दन जमीन से लगा के टांग ऊपर कर दी।
जिससे उसकी चूत की फांक दिखने लगी।

उसने उसी पोजीशन में अपना लंड पेल दिया।
उसकी गर्दन में दर्द तो हुआ लेकिन मजा भी बहुत आया होगा।

वह उसे पेलने लगा और वह सिसकारियां लेने लगी– आआह्ह … उम्म … उई माँ … मार दिया … मर गई … आआह्ह … और जोर से!
इन शब्दों से कमरा गूंज गया।

थोड़ी देर में वह झड़ गई।

फ़िर केशव ने मुझे बुलाया और घोड़ी बना कर खड़ा कर दिया।
जब तक मै कुछ समझती उसका लुंड मेरी गांड फाड़ते हुए घुस गया था।

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मैं चिल्लाती रही और केशव चोदता रहा।
मैं बोलती रही– ओह … निकालो … निकालो।

वह मेरी एक भी बात बिना सुने मुझे चोदता रहा।
15 मिनट बाद अपना पानी मेरे मुंह में छोड़ दिया।

इसके बाद भी मुझे गोद में उठा कर कर केशव चोदने लगा, मेरी हालत बहुत खराब हो गई थी । मुझसे ठीक से चला भी नहीं जा रहा था मै नंगी ही सो गई । इस तरह हमारा जीवन काफी अच्छा बीत रहा था ।

काफी समय बीत गया था, और एक दिन अचानक खबर आई कि राजा प्रताप हमारे राज्य में आ रहे हैं। वे वही राजा हैं जो मेरे स्वयंवर में आए थे जिनका लण्ङ हाथी की सूंड जैसा था, और अब उनकी शादी एक खूबसूरत राजकुमारी रागिनी से हो चुकी थी।

उनसे आने का कारण पूछा तो उन्होंने बताया कि वे एक समस्या के कारण यहां आए थे ।

राजा प्रताप का राज्य नग्न नगर के समीप था, और उनके राज्य का रास्ता हमेशा हमारे नग्न नगर से होकर गुजरता था। नग्ननगर का एक नियम था कि जो भी यहाँ प्रवेश करेगा, उसे नंगा होकर ही आना होगा। लेकिन राजा प्रताप अपनी पत्नी को निर्वस्त्र कर के यात्रा नहीं कर सकते थे।

उन्होंने मुझसे सहायता मांगी और मैने उनसे थोड़ा समय मांगा और
मैने निर्णय लिया कि अब से कर देकर कोई भी व्यक्ति मेरे राज्य नग्न नगर से यात्रा कर सकता है बिना निर्वस्त्र हुए। इस निर्णय से सभी को राहत मिली।

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शाम को हम सबने एक साथ भोजन किया। भोज के दौरान, मदिरा पीते समय राजा प्रताप ने कहा, ‘क्यों न हम कोई खेल खेलें? यह हमारी दोस्ती को और मजबूत करेगा।’

इस प्रस्ताव पर थोड़ी देर के लिए सब चुप रहे। फिर रागिनी ने मुस्कराते हुए कहा, ‘यह तो मजेदार होगा! हमें कुछ नया करने का मौका मिलेगा।’

मैंने भी हंसते हुए कहा, ‘तो फिर चलिए, देखते हैं कि हमें यह खेल कैसे जोड़ता है।’

और केशव भी मना कर रहा था पर मेरे कहने पर मान गया ।

राजा प्रताप ने ‘प्रश्नचक्र तलवार’ का खेल खेलने का सुझाव दिया। यह खेल एक गोल चक्र के रूप में खेला जाएगा, जिसमें एक तेज तलवार रखी जाएगी। खेल की शुरुआत में एक व्यक्ति को तलवार को घुमाना होता था। जब तलवार घूमती थी और फिर रुकती थी, तो जिस व्यक्ति की ओर वह मुड़ती, उसे एक वस्त्र उतारना पड़ता था।

मदिरा ने सभी की नीयत को थोड़ा बदल दिया था, और इस नशे में हम इस चुनौती को स्वीकार करने के लिए तैयार हो गए थे।

इस तरह, हम सबने खेल की शुरुआत करने का फैसला किया, और सभी ने एक-दूसरे की ओर देखा, हंसते हुए कहा, ‘चलो, यह तो मजेदार होगा!'”

तो हमने खेल शुरू किया। सबसे पहले तलवार आकर मुझ पर रुकी तो मैने अजीब सी शक्ल बनाते हुए अपनी चुन्नी उतार दी। उसके अंदर मैने बड़े गले की चोली पहना हुआ था। जिसमे मेरे आधे से ज्यादा चुचे दिख रहे थे। वो देख कर प्रताप का लंड खड़ा हो गया।

उसके बाद मैंने तलवार घुमई और वह जाकर केशव पर रुकी तो उसने भी अपना कुर्ता उतार दिया। फिर रागिनी ने तलवार घुमाई और वह आकर मेरे सामने रुक गई। फिर मैने अपनी चोली भीं उतार दी । अब मैं उन सब के सामने केवल घाघरा पहन कर बैठी हुई थी। और अपने बूब्स अपने हाथ से छुपा लिए थे । केशव की नाराजगी साफ झलक रही थी और मै बहुत ज्यादा शर्मिंदा थी ।

फिर केशव ने तलवार घुमाई और वह जाकर रागिनी के सामने रुकी। उसने भी अपनी चुन्नी निकाली और अब वो भी चोली और घाघरे में थी । हम दोनों खूबसूरत लड़कियां उनके सामने चोली, और बिना चोली पहने हुए बैठे थी। जिसे देखकर उन दोनों लड़कों को खुद पर काबू करना मुश्किल हो रहा था।

फिर अगली बारी राजा प्रताप की आई और उसने भी अपना कुर्ता उतारा । अगली बार तलवार दोबारा आकर मेरे सामने रुकी और मुझे अपना घाघरा भी उतारना पड़ा,मै उन सब के सामने अब नंगी बैठी हुई थी और एक हाथ से अपनी चूत और एक हाथ से अपने बूब्स छुपा रही थी, मुझे काफी बुरा लग रहा था कि अपने ही राज्य में मै किसी दूसरे राजा के सामने नंगी हो चुकी हु

फिर लगातार तीन बार तलवार केशव के सामने रुकी और अपने सारे कपड़े उतारने पड़े। आखिर में जो लंगोट बचा था वह भी उतर गया। वह पूरा नंगा होकर सबके सामने बैठ गया। पर अब लगातार तलवार दो बार रागिनी पर रुकी और वह भी पूरी नंगी हो गई, तो मुझे शर्म आना थोड़ा कम हुआ उसके बाद धीरे-धीरे करके सब नंगे हो गए।

सब के कपड़े उतरने के बाद हमने खेल का नियम बदला। जो तलवार घुमाएगा और जिसके सामने तलवार रुकेगी तो उसे घूमने वाले की बात माननी पड़ेगी। वो उसे कोई भी चुनौती दे सकता है। तो सबसे पहले बोतल प्रताप ने घुमाई और वह मेरे सामने रुकी।

प्रताप ने कहा कि जाओ रानी निकिता जाकर केशव की गोद में बैठो और जाकर उसे अपनी चूची पिलाओ। मैने ऐसा ही किया। जैसे ही मैं केशव की गोद में बैठी तो केशव ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया और छोटे बच्चे की तरह मेरे दूध पीने लगा।

फिर केशव ने तलवार घुमाई और वह जाकर रागिनी पर रुकी। तो केशव ने कहां की वो रागिनी की चुचे मसलना और पीना चाहता है। यह सुनकर रागिनी पूरी तरह शरमा गई मना करने लगी। सभी ने उसे बोला की खेल का नियम है और मानना पड़ेगा। तो वो चुप हो गई।

 राजमहल में चुदाई का खेल

इतने में केशव रागिनी के गोल-गोल सुंदर दूध जैसे चुचो पर फूट पड़ा और उन्हें जोर जोर से दबाने और पीने लगा। शर्म से रागिनी का चेहरा लाल हो गया और वह केशव को हाथ से पीछे हटाने लगी।

लेकिन केशव मानने को तैयार नहीं था कि वह पहले ही रागिनी के पीछे देख कर पागल हो रहा था। काफी देर चुचे पीने के बाद वह वापस अपनी जगह पर बैठा। फिर प्रताप ने तलवार घुमाई और वह दोबारा से जाकर रागिनी पर रुकी।

इस बार तो रागिनी की रोने जैसी हालत हो गई थी। वह बोलने लगी कि, ‘मुझे क्यों हर बार फंसा रहे हो?’ फिर मैंने कहा कि, ‘अब तुम्हारी बारी आई है तो करना तो पड़ेगा।’ प्रताप ने उसे कहा कि वह अपनी दोनों टांगे खोलकर बैठे और वह उसकी फुद्दी चाटेगा।

बहुत ज्यादा शर्म आ रही थी लेकिन उसने अपनी टांगे खोली। तो अंदर पिंक कलर की फुद्दी नजर आ रही थी। जब प्रताप ने अपनी जीभ फुद्दी में डाली तो वो अंदर से पूरी तरह गिली हो चुकी थी। जिससे साफ पता लग रहा था रागिनी को बहुत मजा आ रहा है और वह पूरी तरह गर्म हो चुकी है।

फिर केशव ने तलवार घुमाई और इस बार मुझ पर आकर रुकी। तो केशव ने मुझे कहा की मैं घोड़ी बनकर बैठ जाऊ और वह पीछे से मेरी गांड दबाएगा। फिर मैने ऐसे ही किया और केशव मेरे पीछे होकर काफी समय तक मेरी मोटी गांड से खेलता रहा।

अब मैने तलवार घुमाई और वह आकर प्रताप पर रुकी। तो मैंने उसे कहा कि केशव के होठों पर किस करो। पहले तो उसे बहुत अजीब लगा कि उसने आज तक किसी भी लड़के को इस प्रकार से टच नहीं किया है। लेकिन खेल का नियम था इसलिए कुछ कर नहीं सकते। तो उसने केशव के होंठों पर किस किया। उसके बाद हमने खेल बंद की और चारों बेड पर आ गए।

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यह खेलकर हम चारों काफी ज्यादा गर्म हो चुके थे। और बस अब सब का मन कर रहा था की एक जबरदस्त चुदाई हो जाए।

खेल के दौरान ही हम सभी अपने कपड़े उतार चुके थे। तो बेड पर आते ही सबसे पहले मेरे पति केशव ने रागिनी को पकड़ा। और उसे बेड पर गिरा कर खुद उसके ऊपर चढ़ गया। उसने जोर-जोर से रागिनी के नंगे मम्मे दबाने शुरू कर दिए और उन्हें चूसना शुरू कर दिया।

लेकिन रागिनी अभी भी केशव के साथ यह सब करने में पूरी तरह से नहीं खुली थी। वो अभी भी प्रताप का हाथ पकड़ कर उसे अपने ऊपर खींच रही थी और केशव को पीछे हटा रही थी। मैंने देखा कि केशव को रागिनी के साथ काफी ज्यादा मजा आ रहा था।

और वो उसके मम्मो का दीवाना हो चुका था। इसलिए मैंने सोचा कि चलो कोई बात नहीं इसे थोड़ी देर मजा करने देती हूं।

मैं पलंग पर लेट गई तभी प्रताप मेरे ऊपर आकर लेट गया

यहां प्रताप मेरे मम्मे दबा कर उनसे खेल रहा था वहां केशव ने रागिनी के मम्मे मसल मसल कर लाल कर दिए थे। फिर केशव रागिनी की दोनों टांगें खोलकर पहले उसकी चूत चाटने लगा। वहां रागिनी शर्म के मारे छटपटा रही थी।

फिर अचानक से केशव ने अपना खड़ा लंड रागिनी की गुलाबी चूत में एक ही झटके से उतार दिया। रागिनी दर्द के मारे चिल्लाने लगी। लेकिन केशव ने अपनी स्पीड और तेज कर ली और लगातार झटके लगाने लगा।

यहां प्रताप मुझे चाट चाट कर रिझाने की कोशिश में लगा था। करीब 15 मिनट बाद प्रताप ने केशव को साइड होने के लिए बोला और इशारे में पार्टनर चेंज करने को कहा। जैसे ही केशव रागिनी के ऊपर से उतरा, प्रताप रागिनी की तरफ गया।

तो रागिनी ने उसे पकड़कर अपने ऊपर खींच लिया और उसे जोर-जोर से किस करने लगी। वह बोल रही थी कि, ‘मुझे सिर्फ आपके साथ ही करना है।‘ लेकिन प्रताप ने कहा, ‘कोई बात नहीं आज जिंदगी का पूरा मजा लो।‘

 राजमहल में चुदाई का खेल

ऐसे करते हुए 30 मिनट तक लगातार चुदाई का कार्यक्रम चला और प्रताप रागिनी के अंदर झड़ गया। रागिनी भी झड़ चुकी थी। लेकिन दूसरी तरफ केशव मेरे साथ लगा हुआ था लेकिन उसका अभी डिस्चार्ज नहीं हुआ था।

काफी देर तक ट्राई करने के बावजूद उसका डिस्चार्ज नहीं हुआ और वो मेरे ऊपर से हट गया। फिर हम सब ने कपड़े पहन लिए। कुछ देर के लिए प्रताप ने वह दस्तावेज निकाले जिन पर मैने कर का नियम लिख कर दिया था और पढ़ने लगा । यहां रागिनी और मै बेड पर लेटी हुई थी और हमने चादर ओढ़ रखा था।

पता नहीं एकदम रागिनी के मन में क्या आया। और वह यह सोच कर उदास होने लगी कि केशव का डिस्चार्ज नहीं हुआ है। उस दौरान रागिनी ने केशव को आवाज देकर अपने पास बुलाया।

उसने केशव से कहा कि, ‘यहां आओ मेरे पास चादर में लेटो।‘ केशव तुरंत रागिनी के पास चादर में चला गया। चादर में जाते ही उसने अपने हाथ सीधा रागिनी की चोली के ऊपर से उसके मोमो पर रखे और उन्हें दबाने लगा। साथ ही उसने रागिनी की गर्दन पर किस करना शुरू कर दिया।

रागिनी को भी इस बात का अंदाजा हो चुका था कि केशव को आज मेरे साथ कोई मजा नहीं आ रहा था। इसलिए उसने अपनी दरियादिली दिखाई। और अपना हाथ केशव के पजामे के ऊपर से उसके लंड के ऊपर रख दिया। पजामे के ऊपर से ही उसका लंड मसल रही थी।

इतने में केशव ने रागिनी की चोली को ऊपर करते हुए उसके मम्मे नंगे करता है और उनके साथ खेलने लगा। वो बार-बार रागिनी के निप्पल मसल रहा था और बीच-बीच में दूध जैसे गोरे मम्मे चूस रहा था।

इतने में रागिनी ने भी केशव की पजामे का नाडा खोल और उसका नंगा लंड बाहर निकाल। उसे अपने हाथों से ऊपर नीचे करने लगी। केशव को पूरी मस्ती चढ़ रही थी और वह लगातार रागिनी के मोमो के साथ खेल रहा था। यह काम तो दोनों चुपचाप बिना कोई आवास किए कर रहे थे।

यहां मैं अपनी चूत में उंगली करती हुई उन्हें देख रही थीं और अंदर ही अंदर मजे ले रही थी। करीब 10 मिनट बाद केशव की आवाज आई, ‘आह।।।आह।।।हो गया मेरा।’ और वो अपना नंगा लंड हाथ मे लेकर बाथरूम की तरफ चला गया।

प्रताप ने मुस्कुराते हुए रागिनी से पूछा क्या हुआ। तो रागिनी ने अपना चादर हटाया और हमारी तरफ देखने लगी। उसे याद नहीं रहा की उसके मम्मे बिल्कुल नंगे हैं। जब हमने उसकी तरफ देखा तो उसके मम्मे केशव की थूक लगी होने के कारण चमक रहे थे।

मैंने हंसते हैं पूछा, ‘क्या हुआ अब मजा आने लग गया?’ इतने में रागिनी दोबारा फिर शर्म आ गई और उसने दोबारा अपने चेहरे को चादर से ढक लिया और अपनी चोली को ठीक कर लिया। 5 मिनट बाद जब केशव बाथरूम से बाहर आया तो उसके चेहरे पर एक संतुष्टि और मुस्कान नजर आ रही थी।

तब रागिनी और प्रताप दोनों दूसरे कमरे में चले गए।
अब मैं और केशव अकेले थे।
केशव भी अब तक सेक्स के मूड में आ चुका था।
फिर केशव मेरे घाघरे में मुंह घुसा कर चूत चाटने लगा,कुछ ही देर में मेरी चूत गीली होने लगी। उधर केशव का भी लंड तन चुका था।
फिर मैं अपने पूरे शरीर को सहलाने लगी।
कुछ ही देर में मेरी हाथ धीरे–धीरे चूत तक पहुँची और अपने आप ही चूत को सहलाने लगी।
थोड़ी देर बाद केशव बिल्कुल मेरे पास आ गया, उसने मुझे हग कर लिया।

मैंने भी उसे हग कर लिया।
फिर हमने चुंबन किया। मेरे होंठों में केशव के होंठ थे। वह मेरे होंठों को चूस रहा था, मैं भी उसके होंठों को चूसने लगी।
मेरी चूचियां केशव की छाती से चिपके हुई थी। उसने मुझे बहुत कस कर हग किया हुआ था। कुछ ही देर में केशव ने मेरा बहुत बुरा हाल कर दिया था। मेरे होंठों में दर्द होने लगा था। एक–दो बार तो केशव ने मेरी चूचियों पर हाथ भी रखा। फिर वह उन्हें ऊपर से ही दबाने लगा। धीरे–धीरे मैं भी जोश में आ रही थी।

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फिर एक जंजीर से मेरे हाथों को बाँध दिया। मैं घबरा गई।
मैंने केशव को तुरंत ही बोला– यह नहीं करना मुझे!
तब वह बोला– मजा आएगा इसमें!
केशव ने मेरे हाथों को बाँध कर मेरी घाघरे के नाडे को खोल दिया। और मेरा घाघरा निकाल कर फेक दिया फिर वह मेरी चूत को चाटने लगा।
तभी अचानक उसने मेरी चोली भी उतार दी।
अब हम 69 की अवस्था में थे। केशव अपना लंड मेरे मुंह में दिए जा रहा था। मैं कुछ भी नहीं कर सकती थी। उधर वह मेरी चूत चाट रहा था। फिर केशव मेरे ऊपर बैठ गया। तब उसने मेरी चूचियों को अपने लंड से चोदा। फिर केशव ने अपने लंड को मेरे मुंह में होंठों से लगा कर मुझसे कहा– मुंह में लंड ले!

उसका लंड चूस कर मैं थक चुकी थी।

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मैंने कहा– केशव मुझे चोद ले! पर वह कहां मानने वाला था। उसने मदिरा पी हुई जो थी। फिर से केशव ने ज़बरदस्ती मेरे मुंह में अपना लंड घुसाया और ज़ोर–ज़ोर से लंड को आगे–पीछे करने लगा।
मुझे समझ में नहीं आ रहा था कि यह मेरे साथ हो क्या रहा है, मुझसे सांस भी लेते नहीं बन रही थी। मुझे उल्टी जैसा भी लग रहा था।

अब वह मुझे चाटने लगा।
उसने मेरे पूरे नंगे बदन को चूमा, निप्पल पर दांती काटा, चूचियों पर भी दांती काटा जिससे उन पर लाल निशान हो गए थे।
अब वह मेरी चूत को ज़ोर–ज़ोर से चाटने लगा। मेरे मुंह से तेज–तेज सिसकारियां निकल रही थी। करीब 5 से 7 मिनट तक चूत को चाटने के बाद केशव ने मेरे पैरों को बिल्कुल ऊपर खड़ा कर दिया।
फिर केशव बैठकर मेरी चूत पर अपना लंड लगाया।
मैं सिहर गई।
लंड मेरी चूत में घुसा तो मेरे मुंह से तेज आवाज़ निकल गई दर्द के कारण।

मैंने उससे कहा– रूको!
पर वह अब कहां मानने वाला था। वह तो ज़ोर–ज़ोर से अपने लंड को मेरी चूत में अंदर बाहर करने लगा। मेरे मुंह से आह … आह की आवाज निकल रही थी बस। फिर एक जोरदार धक्का मारकर केशव पूरा लंड मेरी चूत में घुसेड़ दिया। वह मुझे जोर–जोर से चोदने लगा। मैं अब मस्त होकर मजे से कराहने लगी।

तभी रागिनी और प्रताप किसी काम से हमारे कमरे में आ गए और हमें चुदाई करते हुए देखने लगे।
मुझे शर्म आ रही थी, मैं दोबारा रागिनी और प्रताप के सामने नंगी थी। पर केशव को इससे कोई फ़र्क नहीं पड़ रहा था। वे दोनों मुझे देख कर हँस रहे थे।

मैंने केशव से कहा– मेरे हाथ तो खोल दो कम से कम!पर उसने मेरी एक ना सुनी। फिर प्रताप और केशव ने एक दूसरे को आँखो ही आँखों में कुछ इशारा किया।

तब प्रताप रागिनी को लेकर मेरे पास आ गया। रागिनी भी सकपका गई कि यह क्या हो रहा है। फिर प्रताप रागिनी के कपड़े उतरने लगा। रागिनी जब तक कुछ समझ पाती तब तक वह सिर्फ चोली में आ चुकी थी। तभी उसके हाथों को केशव ने पकड़ लिया। प्रताप ने रागिनी के सारे कपड़े उतार कर उसे पूरी नंगी कर दिया।

रागिनी ने मेरी ओर देखा।

वह तुरंत ही केशव का लंड चूसने लग गयी। फिर प्रताप ने मेरे हाथ खोले और मुझे चूमने लगा। वह मेरे पूरे बदन को चूमने लगा।
मुझे भी मज़ा आने लगा। उसने अपने भी पूरे कपड़े उतार दिए।
तब प्रताप ने मुझे अपना लंड चूसने को कहा। मैं उसके लंड चूसने लगी। फिर प्रताप ने मुझे अपनी गोद में बैठा लिया। एकाएक उसने मेरी चूत में अपना लंड डाल दिया। मेरी चूचियां उसकी छाती से दब रही थी। वह मुझे ज़ोर–ज़ोर से चोदे जा रहा था।

कुछ देर आराम करने के बाद फिर उसने मुझे घोड़ी बनाया और मुझे चोदने लगा। उधर रागिनी को केशव मज़े दे रहा रहा था। फिर केशव मेरे पास आया और मेरे मुंह में लंड डाल दिया। नीचे प्रताप मुझे पेले जा रहा था।
फिर दोनों ने अदला–बदली कर के मुझे करीब 25 मिनट तक चोदा।
मैं इस बीच 2 बार झड़ चुकी थी।

 राजमहल में चुदाई का खेल

उन दोनों ने अपना वीर्य मेरी चूचियों पर निकाला और मुझसे कहा– अब रागिनी की बारी है तुम जाओ! मैं बाथरूम में आ गयी।
फिर अपने आप को साफ किया और मेरे सारे कपड़े वीर्य से सन चुके थे इसलिए उन्हें वहीं छोड़ कर वापस कमरे में जाने लगी ।
तब तक वे दोनों रागिनी को चोदे ही जा रहे थे।
15 मिनट और चोदने के बाद फिर वह भी साफ होकर आई और कपड़े पहनने लगी।

मैं अभी भी नंगी थी तो प्रताप बोला क्या हुआ रानी निकिता वैसे बिना कपड़ों के और भी सुंदर लगती हो , मै बोली केशव हर बार नई नई चूत चोदता रहता है मैने आज पहली बार किसी और का लण्ङ लिया है, तभी प्रताप ने मेरी गांड़ पर हल्का सा चांटा मारा सब हंसने लगे पर मै बहुत खुश थी ।

रागिनी को देख कर लग रहा था कि उसे बहुत ही मजा आया।
दोनों लड़के भी बहुत खुश थे।

समाप्त

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