यह मेरी पहली चोदाई की कहानी एक ऐसी औरत के साथ की है, जिससे न मैं कभी मिला था, ना कभी उसको लेकर कुछ सोचा था कि जिंदगी में ऐसी कोई औरत आएगी.
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मेरी रफ्तार इतनी तेज थी कि अगर बीच में कुछ रख दिया जाए तो वह भी टूट सकता था. मैं इतनी जोर के साथ झटके लगा रहा था कि उस चूत से पच पच की आवाज आ रही थी. हम दोनों चुदाई में कितने खोए हुए थे कि हमें पता ही नहीं की हम कहां थे … हम भूल गए कि बाहर कोई बैठा हुआ है.
माफी चाहता हूं … मैंने आपको बिना बताए कहानी शुरू कर दी.
यह कहानी मेरी और एक ऐसी औरत के बीच में है, जिससे न मैं कभी मिला था, ना कभी उसको लेकर कुछ सोचा था कि जिंदगी में ऐसी कोई औरत आएगी.
पहले मैं आपको मेरे बारे में बता दूं. मेरा नाम धर्मेंद्र है, मैं उदयपुर में रहता हूं. मेरी हाइट 5 फुट 9 इंच है. मैं 24 साल का एक हैंडसम बंदा हूं, जिसे देख कर हर किसी की चूत में खुजली मच सकती है. मुझे देख कर प्रिय पाठिकाओं, तुम सब भी अपनी चूत में उंगली कर सकती हो … क्योंकि ऐसा मुझे बहुत सी लड़कियों ने और औरतों ने कहा है.
मैं जिम करता हूं, इसलिए मेरी अच्छी खासी बॉडी है.
ये मेरी लाइफ की पहली अन्तर्वासना कहानी है. मैं बहुत दिनों से सेक्स कहानी लिखने की सोच रहा था. अन्तर्वासना के बारे में सबसे पहले मुझे मेरे दोस्त ने बताया था. मैंने भी इधर की सेक्स कहानी पढ़ना शुरू किया. मुझे अच्छा लगने लगा, तो मैंने मन बनाया कि मेरे साथ जो हादसा गुजरा है, उसे आप लोगों के साथ शेयर करूं.
चूँकि पहली बार लिख रहा हूँ … अगर कोई समझ ना आए … या कुछ गलती हो तो माफ कर देना.
मैं जब छोटा था, तो मेरा बहुत सेक्स का मन करता था. जब मेरा मन सेक्स करने का होता था, तब मैं छिप छिप कर पोर्न फिल्में देखा करता था. जब मैं गंदी फिल्में देखता था, तब चूत चुदाई करने का मेरा मन बहुत होता था, लेकिन उम्र छोटी थी, उस वक्त शक्ल सूरत भी अच्छी नहीं थी … तो कोई लड़की मुझे भाव ही नहीं देती थी. न ही सामने से देखती थी.
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उस वक्त मुझे अपने आपसे बड़ी घिन होती थी कि मैं ऐसा क्यों हूं. मैं क्यों अच्छा नहीं दिखता हूँ.
इन सब वजहों से लड़की पटाने के मामले में मुझे बचपन में बहुत प्रॉब्लम हुई. मैंने अपने हाथ से हिला कर अपने आपको संतुष्ट किया था. जैसे जैसे उम्र बढ़ती गई, मुझे समझदारी आती गई. हालांकि मुझे अब भी ये नहीं मालूम था कि औरतों को क्या चाहिए होता है … या लड़कियां कैसे खुश होती हैं. लड़कियों को कैसे पटाना चाहिए.
फिर धीरे-धीरे मैंने जिम जाना शुरू किया अच्छी बॉडी बनाई. उसके बाद मुझे अच्छा रेस्पॉन्स आने लगा.
ये एक जीता जागता गुजरा हुआ सच्चा मसाला है. जो कि बिल्कुल ही सच है और इसमें सच के सिवा कुछ भी नहीं है.
एक ऐसी लड़की की जो मुझे अचानक मिली जिसको मैंने कभी देखा तक नहीं था न सोचा था कि ऐसी कोई जिंदगी में आई थी बाद उस टाइम की है जब मैं शुरू शुरू में जिम जाया करता था. जिम के पास में खूबसूरत लड़की थी, जिसका नाम मैं नहीं लूंगा … लेकिन दिखने में वो जबरदस्त कमाल की लड़की थी. उसकी तारीफ जितनी भी करो, कम है.
उसकी आंखें क्या मस्त झील सी गहरी थीं कि बस एक बार देख लूं, तो घायल ही हो गया. उसका फिगर साइज 36-30-36 का था. जब वो चलती थी, तो उसकी गांड क्या मटक मटक कर … उछल उछल कर दिखती थी. क्या मस्त उभरी हुई गांड थी. उसकी गांड को देख कर अच्छे अच्छों का लंड खड़ा हो जाए. उसकी गांड देखकर ऐसा मन करता था कि बस अभी के अभी ही अपना 7 इंच का सरिया अन्दर घुसा दूं. उसकी चीखें निकाल दूं. बस रोज इसी तरह दिन निकलते थे.
जब भी मैं वहां जिम के पास से जाता था, उसे देखने का मौका नहीं छोड़ता था. बस उसको देख कर खुश हो जाया करता था. मैंने उसे देखा बस ही था, अब तक मैं उसके बारे में कुछ भी नहीं जानता था कि वो कौन है, कहां से आई है … उसका नाम क्या है … वो करती क्या है. मुझे उस टाइम तक कुछ भी नहीं मालूम था.
एक दिन मैं उसे देख रहा था कि उसने भी मुझे देखा. मैंने नजरें नीचे कर लीं और न जाने क्या समझ आया कि जेब से पेन निकाल कर एक कागज़ के टुकड़े पर अपना फोन नम्बर लिखा और कागज को अपनी मुट्ठी से मरोड़ कर फेंक दिया. इसके बाद उसकी तरफ देखा और चला गया.
मुझे बहुत ज्यादा कोई उम्मीद तो नहीं थी, बस एक बार मन ने कहा और नम्बर लिख कर फेंक दिया.
हालांकि उससे कुछ नहीं हुआ. अब मेरा रोज का यही काम था. जिम से लौट कर अपने कमरे में आता था … उसे अपनी कल्पनाओं में देखता था और उसके नाम की मुठ मारके सो जाता था. मैं मन में दुआ करता था कि एक दिन ये मुझे मिल जाए और दबा दबा कर चोद दूँ. मगर हमारी किस्मत तो गधे के लंड से बंधी हुई थी, इसमें कभी कुछ अच्छा होना ही नहीं था. उम्मीद ही लगा रखी थी कि होगा तो कुछ बुरा ही होगा … साला अच्छा तो कभी हुआ ही नहीं है. इतनी अच्छी लड़की कहां से मिलेगी.
लेकिन आपने सुना ही होगा कि अगर किसी चीज को दिल से चाहो, तो सारी कायनात उसे तुमसे मिलाने की कोशिश में लग जाती है और यह सिर्फ डायलॉग नहीं है, हकीकत भी है. क्योंकि जब तक मेरे साथ हादसा नहीं हुआ, उससे पहले मुझे लगता था कि चाहने से कुछ नहीं होता है, कोई कायनात वायनात नहीं होती.
फिर अचानक कुछ ऐसा हुआ कि मुझे यकीन होने लगा कि ऐसा होता है.
बात को ज्यादा ना घुमाते हुए सीधा पॉइंट पर आते हैं.
मैं रोज की तरह उसके ख्यालों में खोया हुआ था. अचानक मेरे फोन पर एक कॉल आया. उधर से हल्की सी आवाज में कहा गया- हैलो.
मैं एक पल के लिए सोचने लग गया कि ऐसा कौन है, जो मुझे कॉल कर रहा है.
फिर मैंने भी जवाब दिया- हैलो … हां जी बोलिए!
तो उसने कहा कि मैं रूबीना बोल रही हूँ.
(यह उसका काल्पनिक नाम है असली नाम नहीं बताऊंगा)
मैंने चौंकते हुए पूछा कि कौन रूबीना?
तो उसने कहा कि मैं वही रूबीना, जिसे आप रोज देखते हैं और बात तक नहीं करते. आपने ही नम्बर को लिख कर सड़क पर फेंक दिया था न!
इतना सुनते ही मेरे मन में लड्डू फूटने लगे और मैं अपने आपके बारे में सोचने लगा कि साला मैंने अब तक उससे क्यों बात नहीं की … जबकि वो तो मुझसे बात करने को तैयार थी.
मैंने अपने आपको संभालते हुए कहा कि मैं तो आपको नहीं देखता हूं … मैं तो बस अपने काम से काम रखता हूं. वहां से गुजरता हूं और वापस आ जाता हूं.
वह बोली- क्यों … चलो अब बनाओ मत … मुझे सब पता है, तुम मुझे क्यों देखते हो?
मैंने भी पूछ लिया- आप मुझे बताओ न … मैं क्यों देखता हूँ?
उसने भी शरारती अंदाज में कहा- अब इतने भोले मत बनो, जैसे तुम्हें कुछ पता ही नहीं है.
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इस तरह उस दिन हमारे बीच बातें शुरू हुईं. फिर उसने बताया कि मेरी यहां शादी हुई है, मेरा पूरा दिन इसी घर में गुजर जाता है. ना कभी मैं बाहर निकलती हूँ, ना कहीं जाती हूँ. बस पूरा दिन उसी घर में, घर के काम करने में निकल जाता है. मेरा पति भी ऐसा है, जिसे काम से फुर्सत ही नहीं है कि मुझ पर ध्यान दे … मुझसे प्यार करे … मुझसे सेक्स करे, मेरी जरूरतों को पूरी करे.
मैंने उसके मुँह से सब सुना.
जब उसने ये बताया कि उसका पति उसे वह सुख नहीं दे पाता है, जो उसे मिलना चाहिए. तो मुझे समझ आ गया कि सौदा बिना खतरे का है. सिर्फ मजा लेने देने का मामला है.
इस तरह की हमारी बातें होने लगीं. वो अपने दुख मुझे सुनाती. मुझे भी सुनने पड़ते … क्योंकि मुझे तो उसकी चूत और गांड मारनी थी.
एक दिन मैंने उससे कहा- आप ऐसी बातें मत किया करो, सीधी सी बात है … मैंने जब से आपको देखा है, मैं आपके साथ सेक्स करना चाहता हूं.
मेरी यह बात सुनकर वो गुस्सा हो गई और बोली- तुम मेरे बारे में ऐसी सोच रखते हो … मैं तो तुम्हें अच्छा समझती थी … लेकिन तुम तो ऐसे निकले. आज के बाद मुझे फोन मत करना.
अक्सर होता है ना कि लड़की हमसे कुछ और उम्मीद लगाकर बैठी होती है … और हम कुछ और भी लगा कर बैठे होते हैं. मुझे तो उसके साथ सेक्स करना था, तो मैंने खुलकर कह दिया. उसे भी ना जाने कहीं ना कहीं अपने अन्दर अपने पति से ना मिलने वाले सुख के कारण मुझसे बात करना ठीक लगा था. उसे भी सेक्स की जरूरत थी, पर वह मुझसे कह नहीं पाई.
हालांकि वो इतनी जल्दी सेक्स की बात पर खुलना नहीं चाहती थी. शायद मुझे ये बात करने में कुछ और टाइम लेना चाहिए था. लेकिन मैंने बहुत जल्दी कर दी.
जब उसने मुझसे कहा कि मुझसे बात मत करना, तो मामला फ़ैल गया. उसने मुझसे बात करना बंद कर दिया.
मैंने सोचा कि कितना अच्छा माल मिला और क्या गड़बड़ी कर दी यार तूने … माल तो तेरा ही था … थोड़ा सब्र रख लेता, तो सब काम हो जाता.
फिर भी टेंशन में टेंशन होती है. मैं उसे पहले की तरह देखने लगा, पर वो रोज की तरह अब मुझे नहीं दिखती. मैं और परेशान होने लगा.
फिर अचानक चार दिन बाद सुबह के 4:00 बजे उसका कॉल आया. उसने कॉल करते ही कहा- जल्दी से मुझे मिलने आ जाओ.
मैंने कहा- इतनी जल्दी? क्या हुआ?
तो उसने कहा- ज्यादा टाइम नहीं है … मेरे पति अभी सोए हुए हैं. आप जल्दी से यहां पर आ जाइए, मैं आपका वेट कर रही हूं. मैं घर के बाहर ही हूं.
जल्दी में उठकर मैंने अपनी बाइक निकाली और उसके घर के पास चला गया. सुबह के अंधेरे में मैं वहां पहुंचा था. मेरे पहुंचते ही वो मुझसे लिपट गई और रोने लगी.
रूबीना- मुझे माफ कर दो, मैंने आपसे बात नहीं की.
मैंने कहा- माफी तो मुझे मांगनी चाहिए. मैंने आपको गलत कह दिया था, मुझे सोच समझकर बोलना चाहिए था कि आप मुझसे क्या चाहती हो.
उसने कहा- मैं वही चाहती हूं, जो आपने मुझसे कहा था, लेकिन पता नहीं मुझे उस टाइम क्या हो गया था. मैंने आपसे बात करना बंद कर दिया.
इतना सुनते ही मैं उसे किस करने लगा. मैं रोड पर खड़ा हुआ था और वह भी मेरे साथ खड़ी थी. वहां मुझे कुछ ख्याल ही नहीं रहा. मैं बस उसे किस करने लगा. ये सब मेरे लिए पहली बार था.
उसे तो सब पता था क्योंकि वो एक शादीशुदा थी. मुझे उस टाइम ऐसा लग रहा था, जैसे मानो मुझे जिंदगी का सबसे बड़ा सुख मिल गया हो. मैंने ऐसी फीलिंग आज से पहले कभी महसूस नहीं की थी.
वो मेरे होंठों को इस तरह चूस रही थी, जैसे कई बरसों की प्यासी हो.
उसके होंठ चूसने से मेरी हालत खराब हो रही थी. मेरा लंड इतना कड़क हो चुका था कि अगर दीवार में घुसा दूं, तो दीवार में छेद हो जाए. उसने मेरे लंड को महसूस कर लिया था.
मैंने उसे कसके पकड़ लिया था और लंड को वहीं खड़े खड़े उसके पेट में गड़ाने लगा. जैसे ही मैंने उसके मम्मों को छूने की कोशिश की, तो उसने मेरे हाथों को रोक लिया.
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अब उसने कहा- हम सड़क पर खड़े हैं.
तभी मुझे होश आया और मैंने अपने आपको संभाला.
उसने कहा- बाकी सब बाद में …
उस टाइम मुझे बहत ज्यादा गुस्सा आया, पर मैं क्या कर सकता था. मुझे निराश होना पड़ा … मैं वापस अपने घर आ गया.
अब दोस्तो, बाकी कहानी अगले भाग में. मैंने कैसे उसे चोदा और जब चुदाई की, तब उसका पति आ गया और तब क्या हुआ … ये सब आपको अगले भाग में लिखूँगा.
कहानी का अगला भाग: कुंवारे लड़के को मिली पहली चुत – part 2
Kuware ldke ko mili shadishuda chut in Hinglish
Yeh meri pehli chudai ki kahani hai, jo ek aisi aurat ke saath hui, jisse na main kabhi mila tha, na kabhi socha tha ki meri life mein aisi koi aurat aayegi.
Meri raftaar itni tez thi ki agar beech mein kuch rakh diya jaye, toh woh bhi toot jaaye. Main itni zor se jhatke laga raha tha ki us chut se pach pach ki awaaz aa rahi thi. Hum dono chudai mein itne kho gaye the ki humein pata hi nahi tha ki hum kahaan hain… hum bhool gaye ki baahar koi baitha hua hai.
Maafi chahta hoon… maine bina bataye kahani shuru kar di.
Yeh kahani meri aur ek aisi aurat ke beech hai, jisse na main kabhi mila tha, na kabhi uske baare mein kuch socha tha ki life mein aisi koi aurat aayegi.
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Mera naam Dharmendra hai, main Udaipur mein rehta hoon. Meri height 5 foot 9 inch hai. Main 24 saal ka ek handsome banda hoon, jise dekh kar har kisi ki chut mein khujli mach sakti hai. Mujhe dekh kar priya paathikayein, tum sab bhi apni chut mein ungli kar sakti ho… kyunki aisa mujhe bahut si ladkiyon aur auraton ne kaha hai.
Main gym karta hoon, isliye meri ek achhi body hai.
Yeh meri life ki pehli antarvasna kahani hai. Main kaafi dinon se yeh likhne ka soch raha tha. Antarvasna ke baare mein mujhe pehli baar mere dost ne bataya tha. Maine bhi udhar ki sex kahaniyan padhi aur mujhe wo achhi lagne lagi. Phir socha, jo mere saath guzar chuka hai, wo sab ke saath share karoon.
Jab main chhota tha, tab bhi mujhe sex ka bahut man karta tha. Tab main chupke se porn films dekha karta tha. Jab main gandi filmein dekhta tha, tab chut chudai karne ka mann karta tha, lekin umar chhoti thi aur shakal surat bhi achhi nahi thi… toh koi ladki mujhe bhaav nahi deti thi.
Us waqt mujhe apne aap se ghinn hoti thi. Main sochta tha ki main aisa kyun hoon, main achha kyun nahi dikhta.
Phir dheere-dheere maine gym jaana shuru kiya aur ek achhi body banayi. Uske baad ladkiyon ka response milna shuru hua. Tab samajh aaya ki auratein kya pasand karti hain aur kaise ladkiyan khush hoti hain.
Yeh kahani ek ladki ki hai jo mujhe achanak mili. Maine kabhi socha nahi tha ki meri life mein aisi koi aayegi. Yeh tab ki baat hai jab maine gym jaana shuru hi kiya tha.
Gym ke paas ek khubsoorat ladki rehti thi, jiska naam main nahi loonga. Uska figure tha 36-30-36, aur chalne ka style itna kamaal ka tha ki uski gaand dekh kar kisi ka bhi lund khada ho jaye. Uski gaand ko dekhkar lagta tha ki abhi ka abhi apna 7-inch ka sariyan andar ghusa doon aur uski cheekhein nikal doon.
Main usse dekhte hi rehta tha, lekin ab tak uske baare mein kuch nahi jaanta tha. Ek din maine usse nazrein milayi aur apna phone number ek kaghaz par likhkar uski taraf fenk diya… aur chala gaya.
Mujhe zyada umeed toh nahi thi, bas ek baar dil ne kaha aur phone number likh kar uski taraf fenk diya.
Lekin uska koi asar nahi hua. Ab toh mera roz ka kaam yeh hi tha. Gym se laut kar apne room mein aata, us ladki ko apni kalpanayon mein dekhta, aur uske naam ki muthi maar ke so jaata.
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Dil mein yeh dua karta tha ki ek din woh mujhe mil jaye, aur usse daba daba ke chodh doon. Lekin meri kismat toh ghadhe ke lund se bandhi hui thi. Sahi cheez kabhi hoti hi nahi thi. Aisi ladki kahan se milegi, yeh soch soch ke din nikalte the.
Lekin suna hai na, agar kisi cheez ko dil se chaho toh saari kayanat usse tumse milane ki koshish mein lag jaati hai? Yeh bas ek filmy dialogue nahi hai, sach bhi hai. Pehle toh mujhe lagta tha ki yeh sab bakwaas hai, lekin phir ek din meri life mein kuch aisa hua jo meri soch badal gaya.
Main roz ki tarah uske khayalon mein khoya tha, tabhi mera phone baja. Ek halki si awaz aayi, “Hello.”
Ek pal ke liye main sochne laga, kaun mujhe phone kar raha hai? Phir maine jawab diya, “Hello… haan ji boliye?”
Awaaz aayi, “Main Rubina bol rahi hoon.”
(Yeh uska kalpnik naam hai, asli nahi bataunga.)
Maine chokhte hue pucha, “Kaun Rubina?”
Usne jawab diya, “Wahi Rubina, jise tum roz dekhte ho aur baat tak nahi karte. Tumne hi toh apna number likh kar feka tha na!”
Itna sunte hi, mere dil mein laddoo footne lage. Socha, “Ab tak usse baat kyun nahi ki yaar? Jabki woh toh baat karne ko ready thi!”
Main samajhdari dikhate hue bola, “Main toh aapko nahi dekhta… main toh bas apne kaam se kaam rakhta hoon.”
Woh boli, “Chalo banate raho, mujhe sab pata hai tum mujhe kyun dekhte ho!”
Maine pucha, “Aap hi bata do, main kyun dekhta hoon?”
Woh hans kar boli, “Ab itne bhole mat bano, jaise tumhe kuch pata hi nahi!”
Is tarah baatein shuru hui. Usne bataya ki uski yahan shaadi hui hai. Uska pura din ghar ke kaam karte hue nikalta hai. Uska pati bhi kaam mein busy rehta hai aur us par dhyan nahi deta, na uski zaruratein poori karta hai, na usse pyaar karta hai.
Yeh sab sunkar mujhe samajh aa gaya ki yeh ek bina risk ka deal hai. Sirf maza lene-dene ka mamla hai. Ab toh hum roz baat karte. Woh mujhe apne dukh sunati, aur main sunta, kyunki mujhe toh uski chut aur gaand maarni thi.
Ek din maine seedha bol diya, “Aap aise dukh mat sunaya karo… baat simple hai, jab se aapko dekha hai, main aapke saath sex karna chahta hoon.”
Yeh sunkar woh gussa ho gayi, “Tum meri soch ke bilkul opposite nikle. Main toh tumhe achha samajhti thi, lekin tum toh waise hi ho. Aaj ke baad mujhe phone mat karna!”
Samajh gaya ki maine jaldi kar di. Shayad mujhe thoda waqt lena chahiye tha. Uska bhi mann hoga, lekin woh itni jaldi khulkar baat nahi karna chahti thi. Maine ghalti se sab kuch bigaad diya.
Uske baad usne mujhse baat karna band kar diya. Main roz usse dekhne ki koshish karta, lekin woh nahi dikhti. Main aur zyada pareshaan hone laga, sochta tha, “Itna achha mauka mil ke kya gadbad kar di yaar? Thoda sabr rakhta toh sab kuch ho jata!”
Pura chaar din beet gaye the, aur phir ek subah 4 baje achanak uska call aaya. Jaise hi maine call uthaya, usne bina kisi baat ke seedha bola: “Jaldi se mujhe milne aa jao.”
Main ne hairan hoke pucha, “Itni subah? Kya hua?”
Toh usne kaha, “Zyada time nahi hai… mere pati abhi so rahe hain. Jaldi se yahan aa jao, main tumhara wait kar rahi hoon. Main ghar ke bahar khadi hoon.”
Main fatafat bike lekar nikal pada aur uske ghar ke paas pahunch gaya. Subah ke andhere mein us jagah pe aana mere liye ek ajeeb excitement se bhara moment tha.
Jaise hi main uske paas pahunch, woh mujhe dekhte hi mere gale lag gayi aur ro padi.
Rubina: “Mujhe maaf kar do, maine tumse baat nahi ki.”
Main ne kaha, “Mafi toh mujhe mangni chahiye. Maine tumse galat baat ki thi. Mujhe samajhdari se puchhna chahiye tha ki tum kya chah rahi thi.”
Usne aansu ponchte hue kaha, “Main wahi chah rahi thi jo tumne bola tha, lekin pata nahi mujhe us waqt kya ho gaya. Maine tumse baat karna hi band kar diya.”
Yeh sunkar maine use kiss karna shuru kar diya. Us waqt toh mujhe kuch yaad hi nahi tha. Hum road ke kinare khade the aur main bas uske lips ko apne andar sametne laga.
Yeh sab mere liye pehli baar ho raha tha, lekin woh shaadi-shuda thi, usko sab maloom tha. Mujhe laga, jaise mujhe zindagi ka sabse bada sukh mil gaya ho. Usne mere hoth is tarah choos liye jaise saalon ki pyasi ho.
Uske lips choosne ke baad meri halat aur kharab hone lagi. Mera lund itna kadak ho gaya tha ki agar diwaar mein ghusa doon, toh diwaar mein ched ho jaye. Usne mere lund ko apni body ke saath lagte mehsoos kar liya tha.
Main ne use kaske pakad liya aur wahi khade khade apna lund uske pet se lagane laga. Jab maine uske mummon ko choone ki koshish ki, toh usne mere haath rok liye.
Usne dheere se kaha, “Hum sadak par khade hain.”
Tab jaake mujhe hosh aaya aur maine apne aap ko sambhala. Usne muskurate hue kaha, “Baaki sab baad mein…”
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Us waqt mujhe bahut gussa aaya, par main kya kar sakta tha? Mujhe nirasha ke saath wapas apne ghar aana pada.
Lekin doston, asli kahani toh ab shuru hoti hai. Agle part mein main aapko bataunga ki maine kaise usse choda, aur kya hua jab uska pati aa gaya!
कहानी का अगला भाग: कुंवारे लड़के को मिली पहली चुत – part 2
Are you an English reader? you can read same story in English here: Virgin boy got married pussy – part 1
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