हेल्लो दोस्तों चूत का दस्तूर ही कुछ ऐसा है ये जिस भी लंड को लेती लेती है उसे अपना बना लेती है | मैं हूँ जम्मन और मेरा कंचनपुर में दारु का काम चलता है | ऐसे तो वह पे कई सारे लोग दारु बेचते है पर एक औरत है जिसका नाम है साधना | क्या कटीला फिगर है उसका लोग उसके यहाँ से दारु इसलिए लेने जले है क्यूंकि उसका बदन मस्त है और वो हमेशा कम कपडे पहनती है | मेरा धंधा भी अच्छा चल रहा था पर जबसे वो आ गयी है लोग उसके यहाँ से ख़राब दारु भी ले लेते है | एक दिन मैंने सोचा साली के यहाँ छापा पडवा देता हूँ पर फिर लगा यार एक बार देख तो लिया जाए है कौन ये साधना |
फिर मैं उसके यहाँ गया एक ग्राहक बनके और उससे कहा मुझे एक बोतल दारु चाहिए | वो लेकर आई तो मैंने देखा उसने साडी पहनी थी और उसका पल्लू बिलकुल खुला था | क्या कसे हुए दूध थे उसके | और जब वो झुकी कुछ उठाने के लिए तो उसकी गांड साडी के ऊपर से ही समझ में आ रही थी | मैंने बोला यार ये तो बड़ा सामान है इसको तो हक बनता है महंगी दारु बेचने का | मैंने सोच लिया था की इसको तो चोद के रहूँगा और इसको अपने धंदे का भागीदार भी बनाऊंगा | मैं रोज़ उसके यहाँ जाने लगा दारु लेने और वहीँ बैठ कर पीता था | उसके बाद उसने मुझसे कहा तुम न अन्दर मेरे कमरे में बैठ कर पी लिया करो यहाँ पर कई सारे लोग आते हैं तो अच्छा नहीं लगता | मैंने कहा ठीक है जैसा आप बोलो मुझे तो बस पीने से मतलब है | फिर अन्दर जब मैं पहुंचा तो देखा उसने अपना घर किसी महल से कम नहीं बना रखा था |
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पैसा तो बहुत कमाया था उसने इस काम से इसमें कोई दोमट नहीं है और मुझे भी लग रहा था इसके साथ कम करके मज़ा आएगा | फिर मेरा ये रोज़ का हो गया अब तो वो खुद मेरे लिए पानी और खाने के लये ले आती थी और उसके पैसे भी नहीं लेती थी | फिर एक दिन मैं वह पहुंचा और मेरे साथ ही कड़ी थी और मुझसे बात कर रही थी उतने में मेरा एक ग्राहक आया और उसने दारु मांगी | मुझे पता था अगर इसने मुझे देख लिया तो ये सब कुछ बक देगा यहीं पर | तो मैंने अपना मुह घुमा लिया पर वो साला मेरे सामने आया और कहा अरे जम्मन भाई आप तो खुद दारु बेचते हो यहाँ से क्यों ले रहे हो | मैंने उससे इशारे में कहा अबे मादरचोद निकल यहाँ से पर शराबी तो शराबी | तब साधना वहाँ पर नहीं थी पर वो यही बोलता रहा और उतने में वो आ गयी और उसने सब सुन लिया | उसने कुछ नहीं कहा और कहा ए बेवडे चल निकल यहाँ से ये मेरा ख़ास ग्राहक है | मुझे लगा सब ठीक है और में अन्दर चला गया |
इस बार चीज़े थोड़ी सी अलग थीं क्यूंकि पहले वो बड़े प्यार से हस्ते हुए खाने के लिए लाती थी और दारु भी खुद ही देती थी | पर इस बार उसने खाने के लिए दिया तो पर बड़े अजीब तरीके से | वो आई और सीधा रख दिया और कहा जो लगे मेरा नौकर अन्दर है आवाज़ लगा देना | मैंने भी कहा ठीक है क्यूंकि उस समय वो गुस्से में थी और मैं कोई भी चांस नहीं लेना चाहता था | मैंने उससे बात करने की कोशिश की पर वो मुह घुमा के चली जाती थी | ऐसे ही तीन चार दिन निकल गए और मैंने उससे बात नहीं की और वो भी गुस्सा ही रहती थी |
एक हफ्ते बाद मेरे सब्र का बाँध तिऊत गया और मैंने उसका हाथ पकड़ लिया | उसने कहा “जम्मन छोड़ मेरा हाथ नहीं थप्पड़ मार दूंगी” मैंने भी कहा नहीं आज तो पता करके ही रहूँगा कि आखिर बात क्या है | उसने नहीं कोई बात नहीं है तू बस जाने दे मुझे | मैंने कहा पति तेरा है नहीं और गुस्सा दिलाने वाला तुझे कोई पैदा नहीं हुआ | तो उसने कहा अगर हो गया होगा तो तू क्या कर लेगा ? तो मैंने कहा जान ले लूँगा साले की अगर किसी ने तुझे तंग किया तो | तो उसने कहा हाँ अच्छा है फिर तू खुद को ही मार डाल |
मूझे समझ आ गया था कि आखिर माजरा क्या है ? उस दिन जो उस बेवडे ने कहा वो सीधा इसके दिल पे लगा और ये गुस्सा हो गई | साधना गयी और उसने खुद को एक कमरे में बंद कर लिया और नौकर से कहा मैं सो रही हूँ कोई भी आए संभाल लेना | मैंने उसके नौकर को बुलाया और कहा छोटू ये ले पकड़ 500 का पत्ता और मुझे अन्दर जाने दे | उसने कहा ठीक है पर दरवाज़ा अन्दर से बंद है मैंने बोला तू वो सब जाने दे | उसने कहा ठीक है फिर वो चला गया | मैंने जाकर साहना को आवाज़ लगायी पर उसने कुछ जवाब नहीं दिया |
फिर मुझे हलकी सी आवाज़ आई उसके रोने की आवाज़ आई | मैंने साधना मुझे माफ़ करदे मैंने कुछ भी जानबूझ कर नहीं किया | उसने कहा पहली बार मुझे किसी से इतना लगाव हुआ था और उसी ने मेरा भरोसा तोड़ दिया | मैंने नहीं अगर भरोसा तोडना होता तो ममें यहाँ आता क्या | उसने कहा तूने मुझे बताया नहीं की तू भी वही काम करता है | तू यहाँ मुझे बर्बाद करने आया था करले मैं कुछ नहीं कहूँगी |
मैंने कहा साधना मैं यहाँ बस तुझे देखने आया था पर उजाने अनजाने में तुझसे प्यार हो गया | मैं अपने काम के बारे में तुझे बताने ही वाला था पर तूने सुन लिया | माफ़ करदे यार मेरे मन में कुछ भी गलत नहीं था और मैंने कभी नहीं सोचा था कि ऐसा कुछ हो जाएगा हमारे बीच में | फिर उसने दरवाज़ा खोला रोते हुए | मैंने उसे तुरंत ही गले लगा लिया और वो और सिसक सिसक के रोने लगी | मैंने उसे चुप कराया और उसको चूमने लगा | फिर कुछ देर बाद उसने मुझे देखा और कहा तू सच में प्यार करता है ना मुझसे | मैंने कहा हाँ मेरी माँ अब क्या अपना दिल चीर के दिखाऊ तुझे | उसने कहा वैसे ख्याल बुरा नहीं है | मैंने उसे और कस के गले लगा लिया और उसके बड़े बड़े दूध मुझे महसूस हो रहे थे | मेरा लंड भी धीरे धीरे खड़ा हो रहा था |
मैंने भी सोचा इससे अच्छा मौका मुझे नहीं मिलेगा और मैंने उसे जोर जोर से चूमना चालू कर दिया | फिर उसने मुझसे कहा ये क्या कर रहे हो जम्मन | मैंने कहा बस आज मत रोको | और उसको चूमते चूमते उसके दूध दबाने लगा | क्या कसे हुए और मुलायम दूध थे उसके | मैंने कहा अब इनको आज़ाद करदो और बस इतना ही इएहना था कि उसने अपना ब्लाउज खोल दिया | जैसे ही उसका काला ब्रा और उसमे कसे हुए दूध दिखे मैं तो हिल गया था | मैंने सोचा बस अब इससे बोल ही देता हूँ |
मैंने कहा अब मैं नहीं रुक सकता कल तेरे लिए नया ब्रा ला दूंगा | मैंने उसका ब्रा पकड़ा और फाड़ दिया | उसके बाद क्या था मैंने उसके दूध को इस कदर चूसा और वो मज़ा से सिस्कारियां ले रही थी | उसकी हालत ऐसी थी जैसे उसे कोई सुहागरात पे चोद रहा हो | मैंने उसके निप्पल दबा दबा के चूसे और फिर वो एकदम लाल हो गए थे और कड़क भी | मैं समझ गया था अब ये गरम हो चुकी है और मैंने उसकी साडी उतारी और उसने नीचे पेन्टी नहीं पहनी थी | मैंने उसकी चूत देखी और कहा इतनी शानदार फूली हुयी चूत | उसने कहा अभी तक इसे लंड नहीं मिला है इसे कस के चोदो |
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मैंने अपना मुह उसके नीचे लगाया और उसकी चूत का पानी चाट के साफ कर दिया | फिर मैं उसकी चूत चाटने लगा और उसकी गलाबी की चूत को जमके चाटा | वो सिस्कारियां भर रही थी और उम्म्मम्म्म्मम्म्म्म आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा उम्म्मम्म्म्मम्म्म्म आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा कर रही थी और मुझे बड़ा मज़ा आ रहा था | फिर मुझे भी रहा नहीं गया और मैंने कहा साधना अब तेरी चूत में मेरा लंड जा रहा है | उसने कहा हाब्न्न डाल दे |
मैंने जेसे ही लंड अन्दर डाला उसने फिर उम्म्मम्म्म्मम्म्म्म आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा उम्म्मम्म्म्मम्म्म्म आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह आह्ह्ह्हह्ह्ह्हह्ह ऊऊऊऊईईईईइमा करना शुरू कर दिया | मुझे ये सब सुनके जोश आ गया और मैं उसे और तबियत से चोदने लगा | फिर उसके बाद मैंने उससे कहा अपनी गांड के छेद दिखा और मैंने उसके गांड के छेद को भी चोदा | आधे घंटे बाद मैंने उसके पूरे बदन पे अपना मुठ फैला दिया और वो उसे अपने पूरे बदन पे मल रही थी |
फिर वो नहाके बाहर आई मुझे गले लगाया और कहा अब से हम साथ में काम करेंगे और तू मुझे छोड़ के मत जाना | मैंने भी कहा कभी नहीं जाऊँगा बस चूत देती रहना और हम दोनों हसने लगे | दोस्तों मेरी ये कहानी आप लोगों को कैसी लगी कमेंट कर के जरुर बताइयेगा |
मुझे इंतजार रहेगा |
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