मैं अपने ही बॉस को गर्लफ्रेंड बनी

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नेहा, 24 साल की एक साधारण लेकिन खूबसूरत लड़की थी। बड़े-बड़े सपने और आत्मनिर्भर बनने की चाह उसे उसके छोटे से गांव से दिल्ली जैसे बड़े शहर तक खींच लाई थी। नेहा की आंखों में हमेशा एक चमक रहती थी—कुछ पाने की, कुछ बनने की। लेकिन उसके अंदर एक मासूमियत भी थी, जो उसके चेहरे को और भी आकर्षक बनाती थी।

छोटे शहर में पली-बढ़ी नेहा के लिए बड़े शहर की दुनिया बिल्कुल नई थी। यहां की चमक-दमक, तेज रफ्तार जिंदगी, और खुलापन देखकर कभी-कभी वह थोड़ा सहम भी जाती थी। लेकिन उसे पता था कि अगर उसे कुछ बड़ा करना है, तो अपने डर पर काबू पाना होगा।

नेहा का बचपन भी अलग ही था। जब वह 16-17 साल की थी, तो उसकी सबसे अच्छी दोस्त सुमी ने पहली बार उसे पोर्न दिखाया था। सुमी ने कहा था, “अरे, डर मत, बस देख—मज़ा आएगा।” नेहा पहले तो बहुत घबरा गई थी, लेकिन सुमी की जिद के आगे हार मानकर उसने भी मोबाइल स्क्रीन पर नज़र डाली।

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स्क्रीन पर जो कुछ दिखा, उसने नेहा के दिल की धड़कन बढ़ा दी। उसने सोचा भी नहीं था कि लोग इस तरह से प्यार करते होंगे। सुमी हंसते हुए बोली, “देख, यही असली मस्ती है। जब शादी होगी न, तो सब समझ आ जाएगा।” नेहा ने झेंपते हुए कहा था, “मुझे नहीं देखना ये सब।” लेकिन सच कहें, तो उसके अंदर भी एक अजीब सी हलचल हुई थी।

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सुमी अक्सर ऐसी बातें किया करती थी। कभी लड़कों की बॉडी की तारीफ, तो कभी उनके साथ करने वाली मस्तियों की कल्पनाएं। नेहा उस समय भले ही शांत रहती थी, लेकिन मन ही मन वह भी जानना चाहती थी कि यह सब कैसा होता है।

अब, 24 साल की नेहा, अपनी उस मासूमियत और जिज्ञासा को पीछे छोड़ते हुए खुद को एक जिम्मेदार इंसान में बदल चुकी थी। दिल्ली में उसने अपने लिए एक छोटा सा कमरा किराए पर लिया और नौकरी की तलाश शुरू कर दी।

उसकी किस्मत अच्छी थी कि उसे जल्द ही एक बड़ी मार्केटिंग कंपनी में इंटरव्यू का मौका मिला। इंटरव्यू के लिए तैयार होते समय उसने आईने में खुद को देखा। हल्का गुलाबी कुर्ता, चेहरे पर हल्का मेकअप, और बड़ी-बड़ी आंखों में सपनों की चमक। उसने खुद को हिम्मत देते हुए कहा, “नेहा, तुम ये कर सकती हो।”

जब वह इंटरव्यू के लिए ऑफिस पहुंची, तो उसकी मुलाकात उसके होने वाले बॉस, आकाश से हुई। आकाश एक आत्मविश्वास से भरा, 38 साल का स्मार्ट इंसान था। उसने नेहा को ऊपर से नीचे तक देखा और हल्की मुस्कान के साथ कहा, “आपका रिज्यूमे इम्प्रेसिव है। चलिए, बात करते हैं।”

इंटरव्यू के दौरान, आकाश ने नेहा से कई सवाल पूछे। लेकिन उसकी नजरें बार-बार नेहा के चेहरे से होकर उसकी पतली कमर तक जाती थीं। नेहा को भी इसका अहसास हो रहा था, लेकिन उसने खुद को संयमित रखा।

इंटरव्यू खत्म होते ही आकाश ने कहा, “आपको जल्द ही कॉल करेंगे। लेकिन एक बात कहनी है—आप बहुत डेडिकेटेड लगती हैं। ऐसे लोग हमें हमेशा चाहिए।”

नेहा को आकाश की बातों में भरोसा दिखा, लेकिन उसकी नजरें कुछ और ही कहानी कह रही थीं।

कुछ दिनों बाद नेहा को जॉब के लिए बुलावा आया। उसकी खुशी का ठिकाना नहीं था। उसने सोचा, “अब मैं अपने सपनों को पूरा कर सकती हूं।”

नेहा की नौकरी शुरू होने का दिन आ गया। उसने सुबह जल्दी उठकर खुद को तैयार किया। गुलाबी कुर्ता और सफेद लेगिंग में उसने खुद को आईने में देखा। हल्के काजल और एक सिंपल सी बिंदी ने उसकी मासूमियत को और निखार दिया।

“आज मेरा पहला दिन है, देर नहीं करनी चाहिए,” उसने खुद से कहा और बैग उठाकर निकल पड़ी। उसका पीजी राजेंद्र प्लेस मेट्रो स्टेशन के पास था, और ऑफिस जाने के लिए उसे ब्लू लाइन से येलो लाइन बदलनी पड़ती थी।

मेट्रो में भीड़ हमेशा की तरह भरी हुई थी। नेहा को एक कोने में खड़े होकर खुद को संभालना पड़ा। दिल्ली की लड़कियां मेट्रो में कैसे सहजता से खड़ी रहती हैं, यह देखकर वह सोचने लगी।

ऑफिस गुरुग्राम में था, और नेहा जैसे ही मेट्रो से उतरी, उसे कैब लेनी पड़ी। गुरुग्राम की ऊंची इमारतें और बिजनेस पार्क देखकर वह हैरान थी। “वाह, कितना बड़ा शहर है,” उसने खुद से कहा।

ऑफिस की बिल्डिंग कांच की बनी हुई थी, और अंदर का माहौल बिल्कुल नया और शानदार लगा। रिसेप्शन पर बैठी लड़की ने नेहा का नाम पूछा और उसे आकाश के केबिन में भेजा।

आकाश ने उसे देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “नेहा, आपका स्वागत है। उम्मीद है कि आप यहां अच्छा अनुभव करेंगी।”

नेहा ने हां में सिर हिलाया और धीरे से बोली, “जी सर।”

नेहा को पहले दिन ज्यादातर अपनी टीम से परिचय और ट्रेनिंग सेशन में व्यस्त रहना पड़ा। लेकिन दिन के अंत में, आकाश ने उसे अपने केबिन में बुलाया।

“कैसा लगा आपका पहला दिन?” आकाश ने उसकी तरफ देखते हुए पूछा।

“बहुत अच्छा, सर। लेकिन काम थोड़ा नया है, सीखने में समय लगेगा,” नेहा ने जवाब दिया।

“आप बहुत जल्दी सीख जाएंगी। और कोई दिक्कत हो तो सीधे मेरे पास आ सकती हैं,” आकाश ने कहा। उसकी नजरें नेहा की आंखों पर टिकी हुई थीं, और नेहा को इस बात का एहसास भी हो रहा था।

ऑफिस के काम में नेहा खुद को व्यस्त रखने लगी। लेकिन रात को जब वह अपने कमरे में होती, तो अकेलापन उसे घेरने लगता।

कई बार वह अपने मोबाइल पर पुरानी चीजें देखती—कॉलेज की फोटो, दोस्तों के साथ बिताए पल, और सुमी के साथ की गई बातें। कभी-कभी वह अपने फोन पर ऐसे वीडियो भी देखती, जो उसे एक अजीब सा एहसास देते थे।

वह सोचती, “क्या मुझे भी किसी का साथ चाहिए?” लेकिन अगले ही पल वह खुद को यह कहकर शांत कर लेती, “नहीं, मुझे पहले अपने काम पर ध्यान देना है।”

ऑफिस में हर दिन आकाश का उसके पास आना, उसे काम में गाइड करना, और छोटी-छोटी बातें करना बढ़ने लगा। आकाश का हर बार उससे बात करते वक्त उसकी आंखों में झांकना, और कभी-कभी उसका हाथ पकड़कर चीजें समझाना, नेहा को एक अजीब सी हलचल महसूस कराता।

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एक दिन, जब नेहा एक प्रोजेक्ट पर काम कर रही थी, आकाश ने पीछे से आकर उसके कंधे पर हाथ रखा। “नेहा, आप बहुत अच्छा काम कर रही हैं। बस थोड़ा और ध्यान दीजिए।”

नेहा के शरीर में सिहरन सी दौड़ गई। उसने धीरे से कहा, “जी सर, मैं कोशिश कर रही हूं।”

नेहा समझ नहीं पा रही थी कि आकाश की यह बातें और व्यवहार क्या सच में सिर्फ काम तक सीमित हैं, या उनके पीछे कुछ और है।

वह कभी-कभी खुद को आईने में देखकर सोचती, “क्या मैं इतनी सुंदर हूं कि कोई मुझे देखे बिना रह न सके?”

आकाश का व्यवहार उसे अच्छा भी लगता था और थोड़ा असहज भी। लेकिन वह अपने आपसे कहती, “शायद यह मेरा वहम है। मुझे काम पर फोकस करना चाहिए।”

नेहा अब ऑफिस के काम में पूरी तरह रम चुकी थी। गुरुग्राम की भागदौड़ भरी जिंदगी उसके लिए नई थी, लेकिन उसने खुद को ढाल लिया था। हर सुबह मेट्रो पकड़ते हुए ऑफिस जाना और देर शाम लौटना उसका रूटीन बन गया था।

आकाश का ध्यान नेहा पर बढ़ता ही जा रहा था। वह अक्सर उसे छोटी-छोटी बातें समझाने के बहाने उसके करीब आने की कोशिश करता। नेहा को आकाश की यह हरकतें महसूस तो होतीं, लेकिन वह इसे नजरअंदाज कर देती।

एक दिन आकाश ने टीम के सभी मेंबर्स को एक पार्टी का न्योता दिया। पार्टी शुक्रवार रात को ऑफिस के पास एक हाई-फाई क्लब में रखी गई थी। नेहा को पहले पार्टी में जाने का मन नहीं था, लेकिन आकाश के बार-बार कहने पर उसने जाने का फैसला कर लिया।

शुक्रवार की रात, नेहा ने अपने कमरे में खुद को तैयार करना शुरू किया। उसने हल्की मेकअप के साथ एक नीली ड्रेस पहनी, जो उसकी सादगी के साथ-साथ उसकी खूबसूरती को और निखार रही थी।

क्लब में पहुंचकर नेहा को माहौल थोड़ा अजीब लगा। लाउड म्यूजिक, चमचमाती लाइट्स, और लोग डांस फ्लोर पर झूम रहे थे। नेहा ने सॉफ्ट ड्रिंक का ग्लास उठाया और एक कोने में खड़ी हो गई।

आकाश नेहा को देखते ही उसकी तरफ बढ़ा। “नेहा, आप बहुत खूबसूरत लग रही हैं,” उसने कहा।

नेहा ने झेंपते हुए हल्की मुस्कान दी। “धन्यवाद, सर।”

“सर नहीं, सिर्फ आकाश कहिए। यहाँ हम सब दोस्त हैं,” आकाश ने कहा और उसके पास खड़े होकर बात करने लगा।

थोड़ी देर बाद आकाश ने उसे डांस फ्लोर पर आने का इशारा किया। पहले तो नेहा ने मना कर दिया, लेकिन आकाश के जिद करने पर वह डांस के लिए तैयार हो गई।

डांस फ्लोर पर, आकाश ने नेहा की कमर पर हाथ रखा। नेहा को आकाश का स्पर्श महसूस हुआ, और उसके दिल की धड़कन तेज हो गई। उसने खुद को शांत करने की कोशिश की, लेकिन आकाश का आत्मविश्वास और उसकी नजदीकियां नेहा को और असहज कर रही थीं।

“नेहा, आप बहुत खास हैं,” आकाश ने उसके कान में कहा।

नेहा ने उसकी बात का जवाब नहीं दिया। वह सिर्फ हल्का मुस्कुराई और वापस अपने ड्रिंक की ओर चल पड़ी।

पार्टी खत्म होने के बाद, आकाश ने नेहा से कहा, “मैं आपको घर छोड़ देता हूँ। रात हो गई है, और इस समय अकेले जाना ठीक नहीं है।”

नेहा पहले तो मना करने लगी, लेकिन आकाश के ज़िद करने पर मान गई। रास्ते में, आकाश ने गाड़ी में हल्की म्यूजिक चला दी और नेहा से उसकी जिंदगी के बारे में बात करने लगा।

“आपने कभी किसी को पसंद किया है, नेहा?” आकाश ने अचानक पूछा।

नेहा को यह सवाल सुनकर झटका सा लगा। उसने थोड़ी झिझकते हुए कहा, “नहीं, सर। मेरा सारा ध्यान सिर्फ मेरे करियर पर है।”

“आप बहुत खूबसूरत हैं। यकीन नहीं होता कि किसी ने आपसे अब तक अपने दिल की बात नहीं की,” आकाश ने कहा, उसकी तरफ देखते हुए।

नेहा ने जवाब नहीं दिया। उसकी चुप्पी में एक अजीब सी बेचैनी थी।

घर पहुंचने के बाद, नेहा ने खुद को आईने में देखा। आकाश की बातें और उसका स्पर्श बार-बार उसके दिमाग में घूम रहा था।

नेहा रात को बिस्तर पर लेटी हुई थी। ऑफिस में आकाश के करीब आने के हर छोटे-छोटे पल बार-बार उसकी आंखों के सामने घूम रहे थे—डांस फ्लोर पर उसकी कमर पर रखा आकाश का हाथ, गाड़ी में उसकी तारीफ भरी नजरें, और वह सवाल, “आपने कभी किसी को पसंद किया है?”

उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। वह यह सोचने लगी कि आखिर क्यों आकाश का स्पर्श और उसकी बातें उसे इतनी बेचैन कर रही थीं।

नेहा ने मोबाइल उठाया और यूट्यूब पर कुछ वीडियो देखने लगी, लेकिन उसका ध्यान भटक गया। उसने धीमे से अपने ब्राउज़र में “hot office romance stories” सर्च किया।

स्क्रीन पर दिखाई देने वाली कहानियों के टाइटल्स ने उसके शरीर में एक अजीब सी गर्मी भर दी। उसने एक वीडियो प्ले किया, जिसमें एक लड़का और लड़की ऑफिस में एक-दूसरे के साथ बेहद करीब हो रहे थे।

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वीडियो देखते-देखते नेहा की सांसें तेज होने लगीं। उसने अपने दुपट्टे को एक तरफ किया और अपनी पतली उंगलियों को अपने पेट पर घुमाने लगी।

“आकाश सर…” यह नाम उसके दिमाग में बार-बार गूंज रहा था। उसने अपनी आंखें बंद कीं और खुद को कल्पना में आकाश के करीब महसूस करने लगी।

उसकी उंगलियां धीरे-धीरे नीचे सरकने लगीं। उसने अपने सलवार को हल्का सा खिसकाया और अपनी चूत पर हाथ रखा। उसकी उंगलियां उसकी चूत के पास घूमने लगीं।

“आकाश सर… आप…” उसने खुद से फुसफुसाते हुए कहा। उसकी सांसें अब और भी तेज हो चुकी थीं।

नेहा ने अपनी आंखें बंद करके कल्पना करनी शुरू कर दी। आकाश उसके सामने खड़ा था, उसकी शर्ट के बटन खुले हुए, और वह उसकी तरफ झुक रहा था। “नेहा, तुम बहुत खूबसूरत हो,” आकाश ने कहा।

उसकी कल्पना में आकाश ने उसके दुपट्टे को हटाया और उसकी गर्दन पर हल्की किस करने लगा। नेहा ने अपनी उंगलियों को अपनी चूत के अंदर डाल दिया।

“आह…” उसने धीरे से खुद को महसूस करते हुए कहा। उसकी उंगलियां उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगीं, और वह आकाश के लंड के बारे में सोचने लगी।

नेहा की उंगलियां अब तेजी से उसकी गीली चूत के अंदर जा रही थीं। वह अपनी कल्पना में देख रही थी कि आकाश ने उसे डेस्क पर झुका दिया है और उसका लंड उसकी चूत में डाल रहा है।

“आह… आकाश सर… और तेज़…” नेहा ने अपनी कल्पना में खुद को पूरी तरह से खो दिया।

उसका पूरा शरीर सिहरने लगा, और एक गहरी सिहरन के साथ उसने खुद को रिलीफ करते हुए बिस्तर पर गिरा दिया।

नेहा ने गहरी सांस लेते हुए अपने कपड़े ठीक किए और अपने मोबाइल को बंद कर दिया। वह सोचने लगी, “यह मैं क्या कर रही हूं? मुझे ऐसे नहीं सोचना चाहिए… लेकिन मैं खुद को रोक भी नहीं पा रही।”

उसने तकिए में मुंह छिपा लिया, लेकिन उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। उसने खुद से कहा, “पता नहीं, आकाश सर के साथ ऐसा सच में होगा या यह सिर्फ मेरी कल्पना तक ही रहेगा।”

नेहा सुबह उठकर ऑफिस के लिए तैयार हो गई। उसके चेहरे पर रात की हलचल की छाप साफ दिख रही थी। ऑफिस में पहुंचते ही उसकी नजर आकाश पर पड़ी, जो एक प्रेजेंटेशन तैयार कर रहा था।

“गुड मॉर्निंग, नेहा,” आकाश ने मुस्कुराते हुए कहा।

“गुड मॉर्निंग, सर,” नेहा ने हल्की मुस्कान के साथ जवाब दिया, लेकिन उसकी आंखों में रात की यादें झलक रही थीं।

नेहा ऑफिस पहुंच चुकी थी, लेकिन उसका मन काम में लगने का नाम नहीं ले रहा था। उसकी रात की कल्पनाएँ और आकाश का मुस्कुराता चेहरा हर पल उसके दिमाग में घूम रहे थे।

प्रेजेंटेशन की तैयारी के बीच, आकाश ने जब उसकी तरफ देखा और हल्का सा मुस्कुराया, नेहा का चेहरा गर्म हो गया। उसने अपनी नज़रें नीचे कर लीं, लेकिन उसका दिल तेज़ी से धड़कने लगा।

दोपहर में लंच ब्रेक के दौरान, सभी कर्मचारी कैफेटेरिया में थे। नेहा ने सोचा कि थोड़ी देर वॉशरूम चली जाए, शायद उसे खुद को शांत करने का समय मिल जाए। वह वॉशरूम की ओर बढ़ी, जहां ऑफिस का माहौल शांत था।

दरवाजा बंद करते ही उसने गहरी सांस ली। “यह क्या हो रहा है मुझे?” उसने खुद से कहा।

नेहा ने महसूस किया कि उसकी पैंटी हल्की गीली हो चुकी थी। उसने खुद को आईने में देखा। उसकी सांसें तेज़ हो रही थीं, और उसका चेहरा लाल था।

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“मुझे… शांत होना होगा,” उसने धीरे से कहा। लेकिन जैसे ही उसने अपनी पैंटी को नीचे खिसकाया, उसकी उंगलियां खुद-ब-खुद उसकी चूत के पास पहुंच गईं।

उसने अपनी उंगलियां अपनी चूत पर रखीं और हल्के-हल्के मसाज करने लगी। “आकाश सर…” उसका नाम उसके होंठों पर आ गया। उसने अपनी आंखें बंद कर लीं और कल्पना करने लगी कि आकाश ने उसे वॉशरूम में पकड़ लिया है।

“नेहा, मैं तुम्हें बहुत दिनों से देख रहा हूँ। तुम बहुत खूबसूरत हो,” उसने आकाश की कल्पना में उसकी आवाज सुनी।

नेहा ने अपनी उंगलियां चूत के अंदर डाल दीं। “आह… आकाश सर…” उसकी सिसकारी वॉशरूम की दीवारों में गूंज रही थी।

नेहा ने अपनी कल्पना में देखा कि आकाश ने उसे दीवार के सहारे झुका दिया है। “तुम्हें पता है, नेहा, मैं तुम्हें कबसे चोदना चाहता हूँ,” आकाश ने कहा।

उसकी उंगलियां अब तेजी से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थीं। वह महसूस कर रही थी कि आकाश का मोटा लंड उसकी चूत को भर रहा है।

“आह… और तेज़, आकाश सर…” उसने खुद से कहा। उसकी पैंटी अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी।

नेहा की सिसकारियां और उसकी उंगलियों की हरकतें धीरे-धीरे तेज होती गईं। अचानक, उसने एक गहरी सिहरन महसूस की। उसका पूरा शरीर कांपने लगा, और उसने वॉशरूम की दीवार पर सिर टिका लिया।

उसकी सांसें अब भी तेज़ थीं। उसने पैंटी को ठीक किया और खुद को आईने में देखा।

“यह मैं क्या कर रही हूँ?” उसने खुद से कहा। लेकिन उसके चेहरे पर हल्की मुस्कान थी। आकाश के ख्याल और उसकी कल्पनाओं ने उसे अपनी सीमाओं से परे जाने पर मजबूर कर दिया था।

वॉशरूम से बाहर आकर नेहा ने खुद को संभाला और वापस अपने डेस्क पर आ गई। लेकिन जब आकाश उसकी ओर बढ़ा और हल्की मुस्कान के साथ पूछा, “सब ठीक है, नेहा?”

उसका चेहरा फिर से गर्म हो गया। उसने सिर हिलाकर कहा, “जी सर, सब ठीक है।”

आकाश के चेहरे पर मुस्कान थी। शायद उसे नेहा की बेचैनी का अंदाजा हो गया था।

वॉशरूम में खुद को शांत करने के बाद भी नेहा की बेचैनी खत्म नहीं हुई। आकाश की मौजूदगी, उसकी मुस्कुराहट, और उसके कहे शब्द हर पल नेहा के दिमाग में घूम रहे थे।

शाम होते-होते, नेहा प्रेजेंटेशन की तैयारी कर रही थी जब आकाश उसके डेस्क के पास आया। उसने धीरे से कहा, “नेहा, क्या आप आज ऑफिस के बाद थोड़ी देर रुक सकती हैं? मुझे कुछ जरूरी काम में आपकी मदद चाहिए।”

नेहा ने उसकी ओर देखा। उसकी गहरी आवाज़ और उसके शब्दों में एक अलग ही वजन था। “जी सर, मैं रुक जाऊंगी,” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।

शाम को सभी कर्मचारी ऑफिस से जा चुके थे। पूरे फ्लोर पर सिर्फ नेहा और आकाश थे। नेहा अपनी सीट पर बैठी कुछ रिपोर्ट्स देख रही थी जब आकाश ने कहा, “आइए, मेरे केबिन में बैठकर काम करते हैं।”

नेहा ने हिचकिचाते हुए हामी भरी और उसके केबिन में चली गई।

केबिन में आकाश ने लाइट्स को थोड़ा डिम कर दिया और टेबल पर फाइल्स रखते हुए कहा, “नेहा, आप वाकई में बहुत मेहनती हैं। मैं देख सकता हूं कि आप अपनी नौकरी को लेकर कितनी डेडिकेटेड हैं।”

नेहा ने झेंपते हुए कहा, “धन्यवाद, सर। मैं बस अपनी तरफ से बेहतर करने की कोशिश करती हूं।”

“सिर्फ काम ही नहीं, आप में कुछ खास है,” आकाश ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।

नेहा ने सिर झुका लिया, लेकिन आकाश की बातें और उसकी नजरें उसे भीतर तक महसूस हो रही थीं।

आकाश ने धीरे से कहा, “आपको डरने की जरूरत नहीं है। मैं हमेशा आपकी मदद करूंगा।”

उसने नेहा की तरफ झुकते हुए उसके कंधे पर हाथ रखा। “आप यहां अकेली हैं, लेकिन आपको कभी अकेला महसूस नहीं होगा।”

नेहा का शरीर सिहर गया। उसने खुद को समझाने की कोशिश की, लेकिन आकाश के करीब आने से उसके दिल की धड़कन तेज हो गई थी।

आकाश ने धीरे से उसके चेहरे के पास हाथ ले जाते हुए कहा, “नेहा, क्या आप मुझ पर भरोसा करती हैं?”

नेहा ने सिर हिलाते हुए कहा, “जी सर, मैं आप पर भरोसा करती हूं।”

यह सुनते ही आकाश ने उसके गाल पर हल्के से हाथ रखा। नेहा की आंखें बंद हो गईं। वह खुद को रोक नहीं पा रही थी।

“आप बहुत खूबसूरत हैं,” आकाश ने कहा और उसके करीब आते हुए उसकी गर्दन पर हल्का सा किस कर दिया।

नेहा ने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी इच्छाएं अब उसके बस में नहीं थीं। आकाश का स्पर्श, उसकी गर्म सांसें, और उसके शब्दों ने नेहा को पूरी तरह से उसकी ओर खींच लिया था।

उसने हल्के से कहा, “सर, यह… यह सही नहीं है।”

“नेहा, अगर आप इसे सही नहीं समझतीं, तो मैं रुक जाऊंगा,” आकाश ने धीरे से कहा।

लेकिन नेहा ने कुछ नहीं कहा। उसकी चुप्पी और उसकी आंखों में झलकती बेचैनी ने आकाश को आगे बढ़ने की इजाजत दे दी।

आकाश ने धीरे-धीरे उसके गले से लेकर उसके कानों तक हल्के किस करते हुए कहा, “तुम मुझ पर भरोसा कर सकती हो, नेहा। मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।”

नेहा ने अपनी आंखें बंद कर लीं और खुद को उसके करीब महसूस किया।

नेहा की आंखें अब भी बंद थीं, और आकाश का गर्म स्पर्श उसके शरीर में हलचल पैदा कर रहा था। लेकिन तभी आकाश ने एक पल के लिए रुककर उसकी तरफ देखा। उसकी सांसें तेज थीं, और उसके चेहरे पर एक अलग ही मुस्कान थी।

“नेहा,” आकाश ने धीरे से कहा। उसकी आवाज में एक अजीब सी गहराई थी।

नेहा ने अपनी आंखें खोलीं और उसकी तरफ देखा। “जी, सर?”

“तुम जानती हो, तुम सिर्फ मेहनती ही नहीं, बल्कि इतनी खूबसूरत हो कि मुझे हर दिन तुम्हें देखते रहना अच्छा लगता है।”

“तुम्हारे होंठ… इतने गुलाबी हैं कि बस उन्हें देखता रहूं। तुम्हारी आंखें इतनी गहरी हैं कि उनमें मैं खुद को खो देता हूं,” आकाश ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।

नेहा ने शर्माते हुए अपनी नजरें झुका लीं।

“और तुम्हारा शरीर…,” आकाश ने उसकी तरफ झुकते हुए कहा, “इतना परफेक्ट है कि मैं अपनी नजरें नहीं हटा पाता। तुम्हारी पतली कमर, तुम्हारे लंबे बाल, और वो मासूम चेहरा… सबकुछ इतना परफेक्ट है।”

नेहा का चेहरा लाल हो गया था। उसकी सांसें और तेज हो गईं।

आकाश ने अपनी कुर्सी से उठकर नेहा के सामने घुटनों पर बैठते हुए कहा, “नेहा, मैं तुमसे कुछ कहना चाहता हूं।”

नेहा ने चौंककर उसे देखा। “सर, आप ऐसा क्यों कर रहे हैं?”

“क्योंकि मैं चाहता हूं कि तुम जानो, तुम मेरे लिए कितनी खास हो। नेहा, मैं तुम्हें पसंद करता हूं। तुम्हारी मासूमियत, तुम्हारा काम करने का जुनून, और तुम्हारी खूबसूरती—सब कुछ मुझे तुम्हारी तरफ खींचता है।”

नेहा यह सब सुनकर हैरान थी। उसका दिल तेजी से धड़क रहा था। “सर, यह सब ठीक नहीं है। मैं… मैं आपके लिए सिर्फ एक कर्मचारी हूं।”

“नहीं, नेहा। तुम मेरे लिए सिर्फ एक कर्मचारी नहीं हो। तुम वो इंसान हो जिसने मुझे फिर से जीना सिखाया।”

आकाश ने उसकी तरफ अपना हाथ बढ़ाते हुए कहा, “क्या तुम मुझे एक मौका दोगी, नेहा? मैं तुम्हें कभी निराश नहीं करूंगा।”

नेहा ने कुछ देर तक कुछ नहीं कहा। उसकी आंखों में एक अजीब सी चमक थी।

“सर, यह सब इतना जल्दी हो रहा है। मुझे थोड़ा समय चाहिए,” उसने धीरे से कहा।

“मैं तुम्हें जितना समय चाहिए उतना दूंगा, नेहा। लेकिन मैं बस इतना चाहता हूं कि तुम जानो, मैं तुम्हारी इज्जत करता हूं और तुम्हारे बिना यह ऑफिस अधूरा लगेगा।”

नेहा ने उसकी तरफ देखा और हल्की मुस्कान दी।

नेहा का दिल जोर से धड़क रहा था। आकाश को घुटनों पर देखकर वह पूरी तरह से उलझन में थी। ऑफिस में उसका बॉस, जो हर दिन उसे गाइड करता था, आज उसके सामने अपने दिल की बात कह रहा था।

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आकाश अभी भी घुटनों पर बैठा था। उसकी आंखों में ईमानदारी और उसकी बातों में चाहत थी।

नेहा ने धीरे से हाथ छुड़ाते हुए कहा, “सर, मैं आपसे कुछ कहना चाहती हूं। मुझे ऐसा लगता है कि मैं भी… लेकिन…”

“कोई दबाव नहीं, नेहा। मैं चाहता हूं कि तुम अपने दिल की सुनो। मैं तुम्हारे हर फैसले का सम्मान करूंगा,” आकाश ने उसकी ओर देखते हुए कहा।

ऑफिस का माहौल शांत था। बाहर रात का अंधेरा फैल चुका था। आकाश ने नेहा की आंखों में देखा और कहा, “मैं तुम्हें घर छोड़ देता हूं। यह रात तुम्हारे लिए शायद बहुत भारी रही है।”

नेहा ने सिर हिलाया और चुपचाप उसके साथ चल पड़ी। रास्ते में दोनों के बीच खामोशी छाई रही, लेकिन नेहा के मन में हलचल मची हुई थी।

घर पहुंचकर नेहा ने खुद को बिस्तर पर गिरा दिया। वह हर पल आकाश के शब्दों और उसके घुटनों पर बैठने वाले लम्हे को याद कर रही थी।

“क्या यह सही है? क्या मुझे उनके करीब जाना चाहिए?” उसने खुद से पूछा।

उसने अचानक खुद को गर्म महसूस किया। आकाश की बातें, उसकी तारीफें, और उसकी आंखों में झलकता जुनून बार-बार नेहा के मन में घूमने लगा।

नेहा ने धीरे से अपनी सलवार खिसकाई और अपने हाथों को अपने गीले पैंटी के पास रखा। “आकाश सर…” उसने धीरे से बुदबुदाया।

उसने अपनी उंगलियां अपनी चूत पर रख दीं और हल्के-हल्के घुमाने लगी। “आह… आकाश सर, आपने मुझे इतना बेचैन क्यों कर दिया है?”

उसकी उंगलियां उसकी चूत के अंदर बाहर होने लगीं। उसने कल्पना की कि आकाश उसका लंड उसके होंठों के करीब लाकर कह रहा है, “नेहा, इसे महसूस करो।”

नेहा ने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी उंगलियां अब तेजी से उसकी चूत के अंदर बाहर हो रही थीं। उसकी कल्पना में आकाश ने उसे पकड़कर दीवार से सटाया और उसकी पतली कमर को अपने मजबूत हाथों से कस लिया।

“आह… सर… और तेज़…” नेहा की आवाज उसके कमरे में गूंज रही थी।

उसने एक गहरी सिहरन महसूस की और खुद को बिस्तर पर गिरा दिया। उसकी सांसें तेज थीं, और उसका चेहरा अब भी गर्म था।

सुबह जब नेहा ऑफिस पहुंची, तो उसने खुद को संयमित करने की कोशिश की। लेकिन जैसे ही उसने आकाश को अपनी तरफ मुस्कुराते हुए देखा, उसका दिल फिर से जोर से धड़कने लगा।

“गुड मॉर्निंग, नेहा,” आकाश ने कहा।

“गुड मॉर्निंग, सर,” नेहा ने धीरे से जवाब दिया।

आकाश ने उसकी तरफ एक फाइल बढ़ाते हुए कहा, “आज का दिन खास होने वाला है। मुझे तुम्हारे साथ एक जरूरी मीटिंग में जाना है। तैयार रहो।”

नेहा ने फाइल लेते हुए सिर हिलाया, लेकिन उसके हाथ हल्के से कांप रहे थे। वह आकाश की मुस्कान को नजरअंदाज करने की कोशिश कर रही थी, लेकिन उसके शब्द अब भी उसके दिल में गूंज रहे थे।

लंच ब्रेक के दौरान नेहा अपने डेस्क पर अकेली बैठी थी। आकाश के शब्द और घुटनों पर बैठकर किए गए इज़हार ने उसे बेचैन कर रखा था। उसने सोच लिया कि उसे अब जवाब देना ही होगा। लेकिन कैसे?

उसने एक sticky note उठाया और धीमे-धीमे लिखने लगी:

“Yes. But we have to be careful. Office rules don’t allow dating, and it’s risky. But maybe the risk makes it exciting.”

नेहा ने नोट को मोड़कर अपनी फाइल में रखा और सोचा, “यह नोट सर तक कैसे पहुंचाऊं?”

नेहा ने नोट फाइल में छुपा दिया और आकाश के केबिन में चली गई। “सर, यह फाइल तैयार है,” उसने हल्के झुके हुए कहा।

आकाश ने उसकी तरफ देखा और मुस्कुरा दिया। “थैंक यू, नेहा। मैं इसे देख लेता हूँ।”

जैसे ही नेहा केबिन से बाहर निकली, उसका दिल तेज़ी से धड़क रहा था। “पता नहीं, वह क्या सोचेंगे,” उसने खुद से कहा।

आकाश ने फाइल खोली और नोट को देखा। उसने नोट पढ़ते ही मुस्कुरा दिया। “नेहा, तुमने हां कह दिया,” उसने धीरे से बुदबुदाया।

उसने तुरंत ही अपनी जेब से एक sticky note निकाला और जवाब लिखा:

“Tonight. 9 PM. Room 405, Rosewood Hotel. I’ll be waiting for you. Just tell the receptionist my name.
P.S. Be discreet.”

आकाश ने नोट को फोल्ड किया और उसे एक नई फाइल के साथ नेहा के डेस्क पर भिजवा दिया।

नेहा ने जैसे ही फाइल खोली, उसकी आंखें नोट पर टिक गईं। उसने पढ़ा:
“Tonight. 9 PM. Room 405, Rosewood Hotel…”

उसका चेहरा गर्म हो गया। उसके गाल लाल हो गए, और उसकी सांसें तेज़ हो गईं। “यह सब इतना जल्दी हो रहा है,” उसने खुद से कहा। लेकिन वह खुद को रोक नहीं पा रही थी।

उसने नोट को अपनी डायरी में छुपा लिया।

ऑफिस के बाद नेहा जल्दी से अपने पीजी पहुंची। उसने अपनी अलमारी से अपनी सबसे अच्छी काली साड़ी निकाली। उसके ब्लाउज की गहरी नेकलाइन उसकी खूबसूरती को और बढ़ा रही थी।

उसने हल्का मेकअप किया, अपने बाल खुले छोड़े, और परफ्यूम लगाया। वह खुद को आईने में देखकर मुस्कुरा दी। “आकाश सर, अब देखना,” उसने खुद से कहा।

रात के 8:45 बज रहे थे। नेहा ने टैक्सी बुक की और होटल की ओर बढ़ गई। रास्ते भर उसका दिल तेजी से धड़कता रहा।

होटल पहुंचने पर उसने रिसेप्शन पर आकाश का नाम लिया। रिसेप्शनिस्ट ने मुस्कुराते हुए कहा, “Room 405, ma’am. Please go ahead.”

नेहा ने कमरे का दरवाजा खटखटाया। आकाश ने दरवाजा खोला और उसकी तरफ देखते ही कहा, “नेहा, तुमने मेरी रात बना दी।”

कमरा एकदम परफेक्ट था—डिम लाइट्स, हल्की खुशबू, और बिस्तर पर गुलाब की पंखुड़ियां।

“सर… यह सब आप…” नेहा ने हल्के से कहा।

“नेहा, अब ‘सर’ मत कहो। आज की रात सिर्फ तुम और मैं,” आकाश ने उसके करीब आकर कहा।

दरवाजा बंद करते ही आकाश ने नेहा की ओर मुस्कुराते हुए कहा, “तुम बहुत खूबसूरत लग रही हो। यह काली साड़ी तुम्हें और भी हॉट बना रही है।”

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कमरे में हल्की खुशबू, डिम लाइट्स, और आकाश की बातों ने माहौल को और रोमांटिक बना दिया।

आकाश ने धीरे से नेहा का हाथ पकड़ते हुए उसे बिस्तर की ओर खींचा। “नेहा, मैं तुम्हारे लिए बहुत दिनों से यह पल इंतजार कर रहा था,” उसने कहा।

नेहा ने हल्के से कहा, “लेकिन… यह सब सही है?”

“नेहा, प्यार और ख्वाहिशें कभी गलत नहीं होतीं। और तुम्हारे साथ हर पल खास है,” आकाश ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।

आकाश ने धीरे से नेहा के गालों पर अपना हाथ रखा। “तुम्हारी नर्म त्वचा… और यह मासूम चेहरा, मुझे पागल कर देता है,” उसने धीरे से कहा।

फिर उसने धीरे से नेहा के होंठों के पास झुकते हुए कहा, “क्या मैं…?”

नेहा ने आंखें बंद कर लीं। आकाश ने हल्के से उसके होंठों को चूमा। यह नेहा के लिए पहली बार था, और उसका पूरा शरीर सिहर उठा।

आकाश ने धीरे-धीरे नेहा की साड़ी का पल्लू खींचा। उसकी पतली कमर अब सामने थी। “तुम्हारी कमर… यह कितनी परफेक्ट है,” आकाश ने कहा।

नेहा का चेहरा लाल हो गया। उसने हल्के से कहा, “आप मुझे इतना शर्मिंदा क्यों कर रहे हैं?”

“क्योंकि तुम यह डिजर्व करती हो, नेहा,” आकाश ने उसके कानों में फुसफुसाते हुए कहा।

आकाश ने धीरे से नेहा के ब्लाउज की डोरी को खोला। उसकी पतली गर्दन और कंधे अब पूरी तरह से सामने थे। “नेहा, तुम्हारा शरीर किसी देवी की तरह है,” उसने कहा।

उसने अपनी उंगलियां नेहा की पीठ पर घुमाईं। नेहा ने सिहरते हुए कहा, “आकाश… यह सब…”

“शांत रहो, नेहा। यह पल सिर्फ हमारा है,” आकाश ने कहा।

आकाश ने नेहा को बिस्तर पर लिटाया और उसके पेट पर हल्के-हल्के किस करने लगा। नेहा ने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन उसकी चूत अब गीली हो चुकी थी।

आकाश ने उसकी पेटीकोट खींची और उसकी गीली पैंटी को देखा। “तुम्हारी चूत तो पहले ही तैयार है,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

नेहा ने शर्म से अपनी आंखें बंद कर लीं। “आप पागल हैं,” उसने धीरे से कहा।

“देखो, ये कितनी गीली हो चुकी है,” आकाश ने उसकी पैंटी को खींचते हुए कहा।

आकाश ने उसकी चूत पर अपनी उंगलियां रखीं। “इतनी गीली… सिर्फ मेरे लिए,” उसने कहा।

उसकी उंगलियां नेहा की चूत के अंदर बाहर होने लगीं। नेहा ने जोर से सिसकारी ली, “आह… आकाश… और तेज़।”

नेहा ने आकाश की तरफ देखते हुए कहा, “अब और मत तरसाओ। मुझे तुम्हारा लंड चाहिए।”

आकाश ने अपनी पैंट उतारी, और उसका मोटा और लंबा लुंड नेहा के सामने आ गया। “ये लुंड सिर्फ तुम्हारे लिए खड़ा है, नेहा,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

नेहा ने शर्माते हुए अपनी नज़रें नीचे कर लीं। “इतना बड़ा…” उसने धीरे से कहा।

आकाश ने नेहा की चूत के पास अपना लुंड रखा। “तुम्हारी चूत इसे महसूस करने के लिए तैयार है। ”

नेहा की चूत से रस टपक रहा था। “आह… आकाश,” उसने सिसकारी ली।

आकाश ने धीरे-धीरे अपना लुंड नेहा की चूत के अंदर डाला। “तुम्हारी चूत इतनी टाइट है… ये मेरी हर प्यास बुझा देगी,” उसने गहरी सांस लेते हुए कहा।

नेहा ने दर्द और सुख का मिश्रण महसूस किया। “आह… आकाश, थोड़ा धीरे,” उसने कराहते हुए कहा।

“बस थोड़ा और सह लो, नेहा,” आकाश ने कहा। “अब मैं रुक नहीं सकता।”

आकाश ने एक जोरदार धक्का लगाया, और उसका पूरा लुंड नेहा की चूत में समा गया। नेहा ने जोर से सिसकारी ली, “आह… आप बहुत बड़े हैं।”

आकाश ने अपना लुंड अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। “तुम्हारी चूत इतनी गीली है कि मेरा लुंड इसे हर बार और गहरा महसूस कर रहा है,” उसने कहा।

नेहा का पूरा शरीर कांप रहा था। “आह… हां… और तेज़, आकाश। मुझे ये बहुत अच्छा लग रहा है,” उसने जोर से कहा।

आकाश ने उसकी टांगों को फैलाते हुए जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए। “तुम्हारी चूत मुझे दीवाना बना रही है,” उसने कहा।

कुछ देर बाद, नेहा की चूत जोर-जोर से कसने लगी। “आकाश… मैं आ रही हूं… आह… और तेज़ करो!” उसने जोर से चिल्लाते हुए कहा।

आकाश ने अपना लुंड और तेज़ी से अंदर-बाहर किया। “नेहा, मैं भी अब नहीं रोक सकता… तुम्हारी चूत ने मुझे पागल कर दिया है!” उसने कहा।

एक जोरदार धक्के के साथ, दोनों ने एक साथ चरम सुख पाया। नेहा का शरीर पसीने से भीगा हुआ था, और उसकी चूत अभी भी हल्के-हल्के कांप रही थी।

आकाश ने नेहा को अपनी बाहों में भर लिया। “तुमने मुझे आज सबसे खूबसूरत एहसास दिया, नेहा,” उसने कहा।

नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा, “आकाश, आप मेरे पहले हो।”

नेहा अभी भी आकाश की बाहों में थी। उसका शरीर पसीने से तर-बतर था, और उसकी सांसें धीरे-धीरे सामान्य हो रही थीं। आकाश उसके बालों को सहलाते हुए मुस्कुरा रहा था। कमरे में हल्की खामोशी थी, लेकिन नेहा के मन में सवालों का सैलाब उमड़ रहा था।

“आकाश,” नेहा ने धीमे स्वर में कहा।

“हां, जान,” आकाश ने उसके माथे पर किस करते हुए कहा।

नेहा ने हल्का सा मुस्कुराते हुए पूछा, “सच-सच बताइए, आपने ये सब कितनी लड़कियों के साथ किया है?”

आकाश ने थोड़ा हंसते हुए कहा, “तुम्हें जलन हो रही है क्या?”

“मैं सीरियस हूं, आकाश,” नेहा ने उसकी ओर देखते हुए कहा। “ये ऑफिस में और कितनी लड़कियों के साथ हुआ है?”

आकाश ने गहरी सांस लेते हुए कहा, “नेहा, सच कहूं तो, तुमसे पहले भी कुछ लड़कियों के साथ मेरा अफेयर रहा है। लेकिन तुम उनसे अलग हो।”

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“अलग कैसे?” नेहा ने गुस्से और जिज्ञासा के बीच पूछा।

“तुम्हारी मासूमियत, तुम्हारा शरीर… और तुम्हारा दिल। बाकी सब सिर्फ एक शारीरिक आकर्षण था, लेकिन तुम्हारे साथ मैं खुद को रोक नहीं पाया,” आकाश ने उसकी आंखों में देखते हुए कहा।

नेहा ने हल्की हंसी के साथ कहा, “तो कितनी लड़कियां? गिनती तो पता होगी आपको?”

“तीन… शायद चार,” आकाश ने शरमाते हुए कहा।

“आपको सही गिनती तक याद नहीं? वाह, क्या बात है,” नेहा ने मजाकिया अंदाज में कहा। “तो ये ऑफिस की हर नई लड़की के साथ होता है क्या?”

“नहीं, नेहा। तुम मेरी कमजोरी बन गई हो। बाकी सब मेरे लिए सिर्फ पलभर का आकर्षण था,” आकाश ने गंभीरता से कहा।

“तो, उन लड़कियों में से किसी की चूत मेरी तरह टाइट थी?” नेहा ने थोड़ा उकसाते हुए पूछा।

आकाश ने मुस्कुराते हुए कहा, “नेहा, सच कहूं तो, तुम्हारी चूत सबसे टाइट और सबसे गीली है। तुम्हारे जैसी मजा किसी के साथ नहीं आया।”

नेहा ने शरमाते हुए कहा, “आप झूठे हैं। मुझे भी समझ आ रहा है कि आप कैसे सबको अपनी बातों में फंसा लेते हैं।”

“नेहा, तुमसे ज्यादा कोई और मुझे इतना पागल नहीं कर सका,” आकाश ने उसकी पीठ पर हाथ फेरते हुए कहा।

नेहा ने थोड़ी शरारत करते हुए पूछा, “तो उन लड़कियों के साथ भी आपने ऐसे ही बातों से फंसाया था? और उनके साथ कितना आगे गए थे?”

आकाश ने हंसते हुए कहा, “तुम्हारी चुदाई के बाद मेरे पास अब उनकी यादें भी धुंधली लग रही हैं। बस ये पल और तुम मेरे लिए सब कुछ हो।”

“हम्म,” नेहा ने मुस्कुराते हुए कहा। “पर आप अच्छे खिलाड़ी लगते हो। वैसे मुझे पता था कि आप ऐसे ही होगे।”

नेहा ने आकाश की ओर देखते हुए कहा, “लेकिन याद रखना, अब तुम्हें किसी और की चूत का सपना भी नहीं देखना है। तुम्हारी ये गंदी हरकतें अब मुझ तक ही सीमित रहेंगी। समझे?”

आकाश ने नेहा को अपनी ओर खींचते हुए कहा, “नेहा, अब तुम्हारी चूत के अलावा मुझे किसी की जरूरत नहीं है। तुम मेरी हो, सिर्फ मेरी।”

नेहा ने हल्के से हंसते हुए कहा, “अच्छा, अब ये लुंड भी सिर्फ मेरे लिए रहेगा?”

“हां, नेहा। ये लुंड सिर्फ तुम्हारी चूत का दीवाना है,” आकाश ने कहते हुए उसे एक बार फिर अपनी बाहों में कस लिया।

अगली सुबह, होटल का माहौल अभी भी बीती रात की गर्मी से भरा हुआ था। नेहा बिस्तर पर लेटी थी, उसकी आंखें आधी खुली हुई थीं, और उसकी साड़ी बिस्तर के एक कोने में पड़ी थी। आकाश उसे देखते हुए मुस्कुरा रहा था।

“उठ जाओ, मैडम। हमें ऑफिस भी जाना है,” आकाश ने मजाकिया अंदाज में कहा।

नेहा ने आलस्य भरे स्वर में जवाब दिया, “आपने मेरी नींद भी पूरी नहीं होने दी, और अब ऑफिस की याद दिला रहे हैं?”

आकाश ने उसकी ओर झुकते हुए कहा, “अगर मैं तुम्हारी नींद का इतना ख्याल रखता, तो तुम्हें वो मजा कैसे देता?”

नेहा ने शरमाते हुए तकिया अपने चेहरे पर रख लिया, “आप बड़े खराब हैं। अब मुझे तैयार होने दीजिए।”

नेहा तैयार होकर बाहर आई तो उसने देखा कि आकाश उसकी साड़ी को संभालकर बैग में रख रहा था।

“ये क्या कर रहे हैं आप? वो साड़ी क्यों रख रहे हैं?” उसने हैरानी से पूछा।

“यादों के लिए। तुम्हारी खुशबू इसमें बसी हुई है,” आकाश ने साड़ी को अपने हाथ में लेते हुए कहा।

नेहा ने थोड़ा झेंपते हुए कहा, “ठीक है, लेकिन अब मुझे कुछ पहनने के लिए चाहिए।”

आकाश ने अलमारी से एक पैकेट निकाला। “ये लो, मैंने ये ड्रेस तुम्हारे लिए कल ही खरीदी थी। सोचा था कि तुम्हें गिफ्ट करूंगा। अब इसे पहनकर ऑफिस चलो।”

नेहा ने ड्रेस निकाली—एक खूबसूरत, फॉर्मल स्कर्ट और ब्लाउज। “इतनी जल्दी सब प्लान कर लिया?” उसने मुस्कुराते हुए पूछा।

“तुम्हारे लिए कुछ भी,” आकाश ने जवाब दिया।

नेहा ने जल्दी-जल्दी तैयार होकर कहा, “अब मुझे ऑफिस के पास उतार देना। मैं ऑफिस के अंदर तुम्हारे साथ नहीं जा सकती।”

आकाश ने ऑफिस के पास कार रोक दी। “यहीं उतर जाओ। वैसे, तुम इस ड्रेस में बहुत हॉट लग रही हो,” उसने चिढ़ाते हुए कहा।

नेहा ने गुस्से का नाटक करते हुए कहा, “बंद कीजिए ये सब, और चलिए काम पर ध्यान लगाते हैं।”

आकाश मुस्कुराते हुए बोला, “जैसा तुम कहो, मैडम। लेकिन तुम्हारे बिना काम पर ध्यान लगाना मुश्किल है।”

नेहा ने उसे देखते हुए कहा, “अब ऑफिस के अंदर किसी को शक नहीं होना चाहिए। और जो कुछ भी करना है, सोच-समझकर करना।”

ऑफिस के अंदर सबकुछ सामान्य था। नेहा ने अपनी जगह ली और आकाश अपने केबिन में चला गया। लेकिन दोनों के बीच एक अजीब सी मस्ती भरी नजदीकी थी।

लंच के समय आकाश ने उसे मैसेज किया, “कैसा लग रहा है तुम्हारा नया ड्रेस?”

नेहा ने जवाब दिया, “बहुत अच्छा। लेकिन ये बातें ऑफिस में मत करो।”

आकाश ने जवाब दिया, “चलो, एक छोटा सा गेम खेलते हैं। डबल डियर।”

आकाश ने मैसेज किया, “मैं तुम्हें चैलेंज देता हूं कि मेरे केबिन में आकर मेरी दाढ़ी पर हल्का सा किस करो। सिर्फ 5 सेकंड। किसी को पता नहीं चलेगा।”

नेहा ने जवाब दिया, “आप पागल हो गए हैं। कोई देख लेगा।”

“डरपोक मत बनो। अगर करोगी, तो तुम्हारी बारी होगी।” आकाश ने तंग करते हुए कहा।

नेहा थोड़ी देर बाद आकाश के केबिन में गई। फाइल देने के बहाने, उसने उसके पास जाकर जल्दी से उसकी दाढ़ी पर किस किया और तेजी से वापस चली गई।

अगले दिन से आकाश और नेहा के बीच एक नया खेल शुरू हुआ। ऑफिस में एक-दूसरे को छेड़ने और छोटे-छोटे डेरिंग मूव्स का सिलसिला।

पहला दांव आकाश ने खेला। उसने नेहा को मैसेज किया, “अगर तुम वाकई में हिम्मती हो, तो लंच के दौरान केबिन में आओ और मेरी टाई खोलो।”

नेहा ने मैसेज पढ़कर मुस्कुरा दिया। उसने जवाब में लिखा, “देखती हूं आपकी टाई कितनी टाइट है।”

लंच ब्रेक में नेहा धीमे कदमों से आकाश के केबिन में पहुंची। आकाश अपनी कुर्सी पर बैठा हुआ मुस्कुरा रहा था।

“तुम्हें पता है, तुम जब चलती हो, तो पूरा ऑफिस तुम्हें देखता है,” आकाश ने कहा।

“आपको टाई खोलनी है या तारीफ करनी है?” नेहा ने शरारती अंदाज में कहा।

नेहा ने धीरे-धीरे आकाश के पास जाकर उसकी टाई के नॉट को छुआ। उसकी उंगलियों का स्पर्श आकाश को झनझना गया।

“यह आपकी टाई है, लेकिन आपको खुलने में भी मजा आता है,” नेहा ने कहा।

अगले दिन आकाश ने नेहा को मैसेज किया, “अगर तुम वाकई में बहादुर हो, तो आज मीटिंग के दौरान अपने दुपट्टे को हटाकर मेरे सामने रख दो।”

नेहा ने मैसेज पढ़ा और उसके गाल लाल हो गए। उसने जवाब में लिखा, “आपको मेरी हिम्मत पर शक है?”

मीटिंग के दौरान नेहा ने धीमे से अपना दुपट्टा हटाया और उसे टेबल पर रख दिया। आकाश ने उसे देखते हुए हल्की मुस्कान दी, लेकिन बाकी लोगों को कुछ समझ नहीं आया।

आप यह बॉस से एम्प्लोयी की चुदाई की कहानी हमारे इंडियन सेक्स स्टोरीज की नम्बर 1 वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।

अगले दिन नेहा और आकाश का डेयर गेम एक नए स्तर पर पहुंच गया। दोनों के बीच बढ़ती नजदीकियां अब केवल इशारों और छेड़छाड़ तक सीमित नहीं थीं। अब यह खेल और भी गहरा और खतरनाक हो चुका था।

लंच के बाद नेहा ने आकाश को एक शरारती मैसेज भेजा:
“क्या आप मुझे देखना चाहते हैं, आकाश? कुछ खास।”

आकाश ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया:
“तुम्हें देखना तो हमेशा चाहता हूं। बताओ, इस बार क्या खतरनाक करने वाली हो?”

नेहा ने बिना कुछ लिखे सीधे आकाश को वीडियो कॉल कर दी। आकाश अपने केबिन में बैठा था, और उसने तुरंत कॉल रिसीव कर ली। स्क्रीन पर नेहा की चेहरा दिखाई दिया, उसकी आंखों में वही शरारत थी जो हमेशा आकाश को दीवाना बना देती थी।

नेहा ने धीरे से कहा, “आप बस देखिए और चुप रहिए। मैं ऑफिस के वॉशरूम में हूं।”

आकाश ने हल्की हंसी के साथ कहा, “तुम पागल हो, नेहा। अगर किसी ने देख लिया तो?”

“डरने का कोई मतलब नहीं। मुझे पता है कि मैं क्या कर रही हूं,” नेहा ने जवाब दिया।

नेहा ने फोन को वॉशरूम के सिंक के पास टिकाया, ताकि आकाश उसे साफ-साफ देख सके। फिर उसने अपनी कुर्ती के नीचे से अपनी सलवार धीरे-धीरे उतारी।

नेहा ने अपनी उंगलियों को अपनी गीली चूत के पास ले जाकर हल्का सा स्पर्श किया। “आकाश, ये सब आपकी वजह से हो रहा है। पूरी रात आपके बारे में सोचती रही,” उसने धीमे स्वर में कहा।

आकाश स्क्रीन पर हर चीज को गौर से देख रहा था। उसकी सांसें तेज हो रही थीं। “नेहा, तुम मुझे और पागल बना रही हो। तुम्हारी चूत इतनी गीली है… क्या तुम खुद को रोक भी पाती हो?” उसने पूछा।

नेहा ने हल्की सिसकारी लेते हुए अपनी उंगलियों को चूत के अंदर डाल दिया। “आह… आकाश… आपकी बातों से मेरा पूरा शरीर जलने लगता है,” उसने कहा।

आकाश ने खुद को अपने केबिन में समेटने की कोशिश की, लेकिन उसके चेहरे पर साफ दिख रहा था कि वह भी उत्तेजना से भर चुका है। उसने फोन पर कहा, “नेहा, अगर तुम सामने होती तो तुम्हारी चूत को मैं अपनी जीभ से चाटता।”

नेहा ने और गहरी सिसकारी ली। उसकी उंगलियां अब तेज़ी से चूत के अंदर-बाहर हो रही थीं। “आह… आकाश… और बोलिए… मुझे और उत्तेजित कीजिए,” उसने कहा।

कुछ ही मिनटों में नेहा की चूत से रस बहने लगा। उसने फोन के कैमरे की ओर देखते हुए आहिस्ता से कहा, “आकाश… मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मैं बस नहीं कर पाई।”

आकाश ने मुस्कुराते हुए कहा, “नेहा, तुम्हारी हर हरकत मुझे दीवाना बना देती है। लेकिन अब मैं और इंतजार नहीं कर सकता। अगली बार, तुम्हारी चूत पर सिर्फ मेरी जीभ और लुंड का हक होगा।”

नेहा ने शरमाते हुए फोन बंद कर दिया। उसकी सांसें अब भी तेज थीं, लेकिन उसके चेहरे पर सुकून साफ झलक रहा था।

अब दोनों के बीच का खेल और भी खतरनाक हो गया था। लेकिन क्या ये सब ऑफिस में लंबे समय तक छुपा रह पाएगा? या उनके इस खेल को कोई देख लेगा?

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