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निशा भाभी की चुदाई

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2023 की बात है, जब मैं, सोनू, अपने ससुराल के पास एक छोटे से कस्बे में अपना साइबर कैफे चला रहा था। शादी को पांच साल हो चुके थे, और जिंदगी एक रुटीन में ढल गई थी। सुबह कैफे खोलो, ग्राहकों के आधार कार्ड, फोटोकॉपी, और ऑनलाइन फॉर्म्स संभालो, फिर रात को घर लौटो। मेरा ससुराल का मोहल्ला तंग गलियों वाला था, जहां हर घर की बालकनी से पड़ोसियों की जिंदगी साफ दिखती थी। गर्मियों की दोपहर में जब बिजली चली जाती, तो पसीने से तरबतर लोग छतों पर या गलियों में गपशप करते नजर आते। यहीं मेरी मुलाकात हुई निशा भाभी से, और मेरी जिंदगी में एक ऐसी आग लगी कि सब कुछ बदल गया।

निशा भाभी, उम्र करीब तीस साल, लेकिन जिस्म ऐसा कि बीस साल की लड़की भी फीकी पड़ जाए। पतली कमर, भरे-भरे उरोज जो हर कुरती में उभरकर बाहर आने को बेताब रहते, और गोल-मटोल नितंब जो चलते वक्त लचकते थे। उसका चेहरा गुलाबी, आंखें कजरारी, और होंठ रसीले—मानो कोई बॉलीवुड की हसीना हो। दो बेटियां थीं उसकी, नौ और सात साल की, लेकिन भाभी की जवानी पर उम्र का कोई असर नहीं था। पहली बार उसे कैफे में देखा, जब वो अपनी बेटी का स्कूल फॉर्म भरवाने आई थी। लाल सलवार-कुरती में वो ऐसी लग रही थी कि मेरा दिल धक-धक करने लगा। उसने मुस्कुराकर मुझसे बात की, और उसकी मीठी आवाज ने मेरे जिस्म में सिहरन दौड़ा दी।

“सोनू भैया, ये फॉर्म जल्दी भर दो, स्कूल में आखिरी तारीख है,” उसने कहा, और उसकी उंगलियां मेरे हाथ से कागज छू गईं। बस, वही पल था जब मेरे मन में कुछ और ही चलने लगा। उस दिन से निशा भाभी का कैफे में आना-जाना बढ़ गया। कभी आधार अपडेट करवाने, कभी बेटी की फोटो प्रिंट करवाने, तो कभी बस यूं ही दो बातें करने। धीरे-धीरे हमारी जान-पहचान गहरी हो गई। एक दिन उसने मेरा नंबर मांगा, बोली, “कभी जरूरत पड़ी तो कॉल करूंगी।” मैंने हंसकर नंबर दे दिया, लेकिन रात को जब उसका मैसेज आया—“सोनू, सो गए क्या?”—तो मेरी नींद उड़ गई।

छह महीने बाद भैया, यानी निशा भाभी के पति, नौकरी के लिए दुबई चले गए। भाभी अकेली पड़ गईं। मैंने मौका देखकर कहा, “भाभी, कोई परेशानी हो तो बेझिझक बताना।” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “ठीक है, सोनू। तू तो पड़ोसी है, मदद तो करेगा ही।” बस, यहीं से हमारी रातों की चैटिंग शुरू हो गई। पहले तो बातें साधारण थीं—बेटियों की पढ़ाई, मोहल्ले की गपशप, कैफे का काम। लेकिन धीरे-धीरे मैंने फ्लर्ट करना शुरू किया। “भाभी, आप तो इतनी खूबसूरत हो, भैया को दुबई जाने की क्या जरूरत थी?” मैंने मजाक में कहा। वो हंसकर टाल देतीं, लेकिन उनकी टिप्पणियों में भी एक शरारत झलकने लगी। “सोनू, तू भी तो कम नहीं है, तेरी बीवी तो लकी है,” वो जवाब देतीं, और मेरे जिस्म में करंट दौड़ जाता।

रात की चैटिंग अब घंटों चलने लगी। कभी वो अपनी पुरानी कॉलेज की बातें बतातीं, तो कभी मैं अपनी जवानी के किस्से सुनाता। एक रात, हिम्मत करके मैंने टाइप किया, “भाभी, मैं तुमसे प्यार करता हूं।” दूसरी तरफ सन्नाटा छा गया। दस मिनट बाद उसका जवाब आया, “सोनू, ये गलत है। मैं शादीशुदा हूं।” मैंने फिर लिखा, “भाभी, दिल की बात है, इसमें गलत क्या? तुम भी तो मुझसे खुलकर बात करती हो।” काफी ना-नुकुर के बाद उसने लिखा, “ठीक है, लेकिन ये सिर्फ हम दोनों तक रहे।” मेरे दिल ने ठोकरें मारीं। अगले दिन से मैं रोज उसके घर जाने लगा। कभी बेटियों के लिए चॉकलेट ले जाता, तो कभी बिजली का बिल जमा करने के बहाने।

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निशा भाभी अब खुलने लगी थीं। कभी वो मुझे चाय पिलातीं, तो कभी अपनी नई साड़ी दिखातीं। एक दिन उसने हल्की गुलाबी साड़ी पहनी थी, जो इतनी पतली थी कि उसकी ब्रा की लाल स्ट्रिप्स साफ दिख रही थीं। “कैसी लग रही हूं, सोनू?” उसने शरारती अंदाज में पूछा। मैंने कहा, “भाभी, तुम तो कयामत हो।” वो हंसकर मेरे कंधे पर हल्का सा थप्पड़ मार गईं। इन मुलाकातों में मैंने सेक्स की बात छेड़नी शुरू की। “भाभी, भैया तो दूर हैं, तुम्हारी जवानी का क्या?” पहले तो वो शरमातीं, सिर्फ किस करने या गले लगाने तक बात रखतीं। लेकिन मेरी जिद के आगे वो पिघलने लगीं।

एक दोपहर भाभी का कॉल आया। “सोनू, कहां है?” मैंने कहा, “घर पर हूं, भाभी।” उसने धीमी आवाज में कहा, “पेंटिंग ब्रश साफ करने वाला तेल ले आ।” मैंने मजाक में पूछा, “इतनी गर्मी में? शाम को आ जाऊं?” वो बोलीं, “घर में अभी कोई नहीं है, सोनू। तेरा काम हो सकता है।” मेरे दिमाग में लड्डू फूटे। मैंने स्कूटी उठाई, हार्डवेयर की दुकान से तेल लिया, और दस मिनट में भाभी के घर पहुंच गया। उनका घर तीन मंजिला था—नीचे वो रहती थीं, ऊपर की दो मंजिलें खाली थीं। भाभी ने मुझे देखते ही कहा, “चल, ऊपर चलते हैं। ब्रश वहीं साफ करेंगे।” उसने नीचे का दरवाजा लॉक किया, ताकि कोई अचानक न आ जाए।

तीसरी मंजिल का कमरा छोटा सा था, जिसमें एक पुराना बेड, कुछ पेंट के डिब्बे, और धूल भरी खिड़कियां थीं। गर्मी से कमरा तप रहा था, लेकिन भाभी की मौजूदगी ने मेरे जिस्म में और आग लगा दी। मैंने खिड़कियां बंद कीं और भाभी को गले से लगा लिया। उसकी सांसें तेज थीं, और उसकी कुरती से उसकी ब्रा का उभार साफ दिख रहा था। मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रखे और चूमना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी जीभ से मिली, और कमरे में सिर्फ हमारी सांसों की आवाज गूंज रही थी। “सोनू, मैंने कभी किसी और के साथ ऐसा नहीं किया। प्लीज, ये बात बाहर नहीं जानी चाहिए,” उसने सिसकते हुए कहा। मैंने उसके गाल सहलाए और कहा, “भाभी, ये सिर्फ हमारा राज है।”

मैंने जल्दी से अपनी टी-शर्ट और जींस उतारी, और भाभी की कुरती खींच दी। उसने हल्की गुलाबी ब्रा और मैचिंग पैंटी पहनी थी, जो उसके गोरे जिस्म पर आग की तरह चमक रही थी। उसकी भरी छातियां ब्रा से बाहर आने को बेताब थीं, और उसकी कमर इतनी नाजुक थी कि मेरा मन उसे कसकर पकड़ने को मचल रहा था। मैंने भाभी को बेड पर लिटाया और उसकी पैंटी उतार दी। उसकी मखमली चूत साफ थी, जैसे कोई गुलाब की पंखुड़ियां हों। मैंने अपना मुंह उसकी चूत पर रखा, और जैसे ही मेरी जीभ ने उसकी गर्मी को छुआ, भाभी सिहर उठी। “आह, सोनू!” उसने सिसकारी भरी और अपनी टांगें मोड़कर चूत को और फैला दिया।

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मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, जैसे कोई भूखा शेर अपनी शिकार को चख रहा हो। उसका रस नमकीन और मादक था, जो मेरी जीभ पर पिघल रहा था। मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत की गहराइयों में डाला, और उसके दाने को होंठों से हल्के से काटा। भाभी की गांड नीचे से उठने लगी, और वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी। “आह, सोनू, रुक मत… और चाट!” उसकी आवाज में हवस और बेकरारी थी। मैंने पूरी शिद्दत से उसकी चूत को चूसा, कभी उसकी जांघों को चाटा, तो कभी उसकी चूत के होंठों को अपनी उंगलियों से सहलाया। उसका जिस्म कांप रहा था, और अचानक उसकी चूत से पानी का फव्वारा छूट पड़ा। मैंने उसका सारा रस पी लिया, और उसकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं।

भाभी के झड़ने के बाद भी मैंने उसकी चूत को चाटना नहीं छोड़ा। मेरी जीभ ने उसकी चूत को फिर से गर्म कर दिया, और वो मचलने लगी। मेरा मूसल अब पत्थर की तरह सख्त हो चुका था, और उसकी चूत की गर्मी उसे और बेकरार कर रही थी। मैंने उठकर अपने अंडरवियर को उतारा, और मेरा लौड़ा बाहर आया—सात इंच लंबा, मोटा, और उभरी नसों वाला। भाभी ने उसे देखा और उसकी आंखें चमक उठीं। “सोनू, ये तो भैया से दोगुना मोटा है,” उसने शरमाते हुए कहा। मैंने हंसकर कहा, “भाभी, ये तुम्हारी चूत का भोसड़ा बनाने को तैयार है।”

मैंने अपने लौड़े को उसकी चूत के मुंह पर रखा और उसके होंठों को चूमना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी जीभ से लिपट गई, और उसकी सांसें मेरे चेहरे पर गर्म हवा की तरह टकरा रही थीं। मैंने धीरे से एक धक्का मारा, और मेरा लौड़ा उसकी गीली चूत में आधा घुस गया। भाभी की आंखें फैल गईं, और उसने सिसकारी भरी, “आह, मर गई!” मैंने उसके होंठों को अपने होंठों से दबाया और एक और जोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लौड़ा उसकी चूत की गहराइयों में समा गया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लौड़ा उसकी दीवारों से रगड़ खा रहा था। मैंने उसे थोड़ा वक्त दिया, और फिर धीरे-धीरे धक्के मारने लगा।

भाभी की सिसकारियां अब गालियों में बदल गईं। “साले, मादरचोद, कितना मोटा लौड़ा है तेरा! मेरी चूत फट गई!” उसने कराहते हुए कहा। मैंने हंसकर जवाब दिया, “भाभी, अभी तो शुरुआत है। तुम्हारी चूत को आज मैं पूरा मजा दूंगा।” मैंने उसके एक उरोज को अपने मुंह में लिया और उसका निप्पल चूसने लगा, साथ ही तेज-तेज धक्के मारने लगा। उसकी चूत का गीलापन मेरे लौड़े को और फिसलन दे रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियां तेज हो रही थीं। “आह, सोनू, और जोर से! मेरी चूत को फाड़ दे!” वो चिल्लाई। मैंने उसकी बात मानकर पूरी ताकत से धक्के मारने शुरू किए। कमरे में सिर्फ हमारी सांसों, सिसकारियों, और बेड के चरमराने की आवाज थी।

कुछ देर बाद मैंने भाभी को पलटा और उसे डॉगी स्टाइल में खड़ा किया। उसकी गोल-मटोल गांड मेरे सामने थी, और उसकी चूत गीलेपन से चमक रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और एक ही झटके में पूरा लौड़ा उसकी चूत में पेल दिया। “उई मां!” भाभी चीखी, लेकिन अगले ही पल उसने अपनी गांड पीछे धकेलकर मेरा साथ देना शुरू कर दिया। मैंने उसके बाल पकड़े और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। उसकी चूत का हर कोना मेरे लौड़े से रगड़ खा रहा था, और उसकी सिसकारियां अब चीखों में बदल गई थीं। “हां, सोनू, चोद मुझे! मेरी चूत को तेरा लौड़ा चाहिए!” वो गुर्रा रही थी। मैंने उसकी गांड पर एक हल्का सा थप्पड़ मारा और और तेज धक्के लगाने लगा।

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फिर मैंने उसे मिशनरी पोज में लिटाया। उसकी टांगें मैंने अपने कंधों पर रखीं, और उसकी चूत को फिर से अपने लौड़े से भरा। इस बार मैंने धीरे-धीरे शुरू किया, हर धक्के में उसकी चूत की गर्मी को महसूस करते हुए। भाभी की आंखें बंद थीं, और उसका चेहरा लाल हो चुका था। “सोनू, तूने तो मुझे रांड बना दिया,” उसने सिसकते हुए कहा। मैंने उसके होंठ चूमे और कहा, “भाभी, तू मेरी रानी है, और ये चुदाई तेरा ताज है।” मैंने फिर तेजी पकड़ी, और उसकी चूत में गहरे-गहरे धक्के मारने लगा। उसकी चूत का पानी मेरे लौड़े को भिगो रहा था, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं।

अब हम दोनों का चरम करीब था। “सोनू, मेरे अंदर ही झड़ जा!” भाभी ने कराहते हुए कहा। मैंने अपनी पूरी ताकत झोंक दी, और तेज-तेज धक्कों के साथ हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरा गर्म रस उसकी चूत में भर गया, और उसकी चूत ने मेरे लौड़े को जकड़ लिया। हम दोनों पसीने से तरबतर होकर एक-दूसरे के ऊपर ढेर हो गए। मैंने उसके उरोजों को चूमा, और वो मेरे बालों को सहलाने लगी। “सोनू, तूने तो मुझे जन्नत दिखा दी,” उसने धीमी आवाज में कहा। मैंने हंसकर जवाब दिया, “भाभी, ये तो बस ट्रेलर था। असली फिल्म तो अब शुरू होगी।”

हमने कपड़े पहने और नीचे आए। भाभी ने मुझे चाय पिलाई, और उसकी शरारती मुस्कान बता रही थी कि ये सिर्फ शुरुआत थी। उस दिन के बाद, जब भी मौका मिलता, हम तीसरी मंजिल के उस कमरे में अपनी हवस की आग बुझाते। निशा भाभी मेरी रानी बन गई, और मैं उसका दीवाना।

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