मेरा नाम महक है, और मैं एक छोटे से परिवार से हूँ, जिसमें मम्मी, पापा और मैं। मम्मी-पापा दोनों जॉब करते हैं, और मैं, जैसा कि लोग कहते हैं, क्यूट और सुंदर हूँ। मेरे लंबे, घने बाल और नाजुक फिगर 32-25-32 की वजह से हर कोई मेरी तारीफ करता है। मेरी हाइट 5 फुट 1 इंच है, और उस वक्त मैं 19 साल की थी, जब ये हसीन और गर्म कहानी शुरू हुई। हम एक अपार्टमेंट में रहते थे, जहाँ की जिंदगी शांत और साधारण थी, लेकिन एक दिन सब कुछ बदल गया।
हमारे पड़ोस के खाली फ्लैट में एक नई फैमिली आई। उस परिवार में एक कपल और उनके बुजुर्ग पिताजी थे। धीरे-धीरे पड़ोसियों के नाते हमारी और उनकी बातचीत शुरू हो गई। अंकल और आंटी जॉब करते थे, और उनके पिताजी, जिन्हें मैं दादा जी बुलाती थी, रिटायर्ड थे। अंकल ने बताया कि उनकी माँ 12 साल पहले गुजर चुकी थीं, और उनकी दीदी शादी के बाद अमेरिका में सेटल थीं। दादा जी, जो 61 साल के थे, उनके साथ रहने आए थे। उनकी हाइट 5 फुट 8 इंच थी, और उनकी बॉडी इतनी मजबूत थी कि वो 50 साल के लगते थे। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जो मुझे पहली बार मिलने पर ही खींच लेती थी।
दो महीनों में हमारी दोनों फैमिली काफी करीब आ गई थीं। मम्मी-पापा उन्हें चाचा जी कहते, और मैं उन्हें दादा जी। एक दिन, स्कूल से लौटते वक्त मैं सिटी बस स्टॉप पर थी। वहाँ दादा जी भी बस का इंतजार कर रहे थे। उस दिन बारिश का मौसम था, और हल्की-हल्की बूँदें गिर रही थीं। हम दोनों बस में चढ़े और अपने घर की ओर निकल पड़े। बस स्टॉप पर उतरते ही बारिश तेज हो गई। हमारे पास छाता नहीं था, सो हम भीगते हुए घर की ओर बढ़े। बस स्टॉप से घर की दूरी 10 मिनट की थी, लेकिन बारिश इतनी तेज हो गई कि दादा जी ने कहा, “महक, चलो उस बड़े पेड़ के नीचे रुकते हैं।” मैंने हामी भर दी, और हम पेड़ के नीचे खड़े हो गए।
तब तक हम दोनों पूरी तरह भीग चुके थे। मैं स्कूल यूनिफॉर्म में थी—सफेद शर्ट और ग्रे स्कर्ट। मेरी शर्ट गीली होकर पारदर्शी हो गई थी, और मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स का शेप साफ दिख रहा था। मेरी स्कर्ट भी जांघों से चिपक गई थी, और मेरे बदन की हर कर्व उभर कर सामने आ रही थी। मैंने देखा कि दादा जी की नजर मेरे बूब्स पर टिकी थी। उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो मेरे गीले बदन को निहार रहे हों। वो इधर-उधर की बातें करने लगे, लेकिन उनकी नजर बार-बार मेरे क्लीवेज पर जा रही थी।
मुझे अंदर ही अंदर एक अजीब सी गुदगुदी हो रही थी। ऐसा पहली बार था कि कोई मुझे इस तरह देख रहा था। मेरे 19 साल की उम्र में, जहाँ मैंने सिर्फ किताबों और कहानियों में वासना के बारे में पढ़ा था, ये नजारा मेरे लिए नया था। मेरे दिल में हलचल मच रही थी, और मुझे ये अहसास अच्छा लग रहा था। 15 मिनट बाद बारिश कम हुई, और हम घर की ओर चल पड़े। रास्ते में दादा जी तिरछी नजरों से मेरे गीले बदन को देख रहे थे। मैं जानबूझकर अनजान बनी रही, लेकिन मुझे उनका ये देखना अब मजा देने लगा था।
घर पहुँचकर मैंने कपड़े बदले और दिनभर दादा जी के बारे में सोचती रही। उनकी वो नजर, वो चमक, वो मुस्कान—सब कुछ मेरे दिमाग में घूम रहा था। मैं भूल चुकी थी कि वो 61 साल के हैं और मैं सिर्फ 19 की। उस रात मैं उनके बारे में सोचते-सोचते सो गई।
शाम को मैं होमवर्क खत्म करके छत पर खुली हवा लेने गई। अंधेरा होने लगा था, और छत पर कोई नहीं था। तभी मैंने देखा कि एक कोने में दादा जी बेंच पर बैठे थे। उन्हें देखते ही मेरा दिल जोर से धड़का। मैं उनके पास गई और बगल में बैठ गई। मैंने लॉन्ग स्कर्ट और वी-नेक टॉप पहना था, जिसमें मेरा क्लीवेज हल्का-हल्का दिख रहा था। दादा जी बातें करते हुए बार-बार मेरे बूब्स की ओर देख रहे थे। मैं जानबूझकर अनजान बन रही थी, लेकिन मुझे उनकी नजरें अब और गुदगुदा रही थीं।
उन्होंने मेरी आँखों में देखकर एक मुस्कान दी, और मैंने भी हल्के से स्माइल दी। फिर मैंने कहा, “मम्मी-पापा आने वाले होंगे, मैं नीचे जाती हूँ।” और मैं घर लौट आई। रात को 9 बजे मम्मी-पापा घर आए। मैं सोफे पर टीवी देख रही थी, मम्मी किचन में थीं, और पापा लैपटॉप पर काम कर रहे थे। तभी डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने दादा जी खड़े थे। उनका चेहरा देखकर मेरा दिल फिर से धक-धक करने लगा।
पापा ने उन्हें देखकर गर्मजोशी से स्वागत किया। दादा जी मेरे बगल में सोफे पर बैठ गए और पापा से बात करने लगे। मम्मी उनके लिए चाय बनाने किचन में चली गईं। दादा जी ने धीरे से अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और सामने देखते हुए मुझसे बात करने लगे। मैं चुपचाप उनकी बातें सुन रही थी। उनका हाथ मेरी जांघ पर हल्के-हल्के सहला रहा था। मैंने कोई विरोध नहीं किया। फिर उन्होंने मेरे टॉप के अंदर हाथ डालकर मेरी नंगी पीठ सहलानी शुरू की। मेरे बदन में सिहरन दौड़ गई।
तभी दादा जी ने पापा से मेरी पढ़ाई के बारे में बात शुरू की।
दादा जी: “महक अब 11वीं में आ गई है, उसकी पढ़ाई कैसी चल रही है? तुम हेल्प करते हो?”
पापा: “नहीं चाचा जी, काम का बोझ ज्यादा है, ध्यान नहीं दे पा रहा।”
दादा जी: “अरे, काम तो चलता रहेगा, लेकिन बेटी की पढ़ाई का ध्यान रखना पड़ेगा ना।”
पापा: “सही कह रहे हैं। अगर आपको बुरा न लगे, तो क्या आप महक की पढ़ाई में मदद कर सकते हैं? अगर आपके पास टाइम हो तो।”
दादा जी: “अरे, इसमें बुरा मानने की क्या बात? मैं तो दोपहर में खाली बैठकर बोर होता हूँ। मेरा भी टाइम पास हो जाएगा।” (फिर उन्होंने मेरी ओर देखकर आँख मारी। मैं स्माइल देकर टीवी की ओर देखने लगी।)
तभी मम्मी चाय लेकर आईं। दादा जी ने अपना हाथ मेरे टॉप से बाहर निकाला और मुझे मुस्कुराते हुए देखने लगे।
मम्मी: “चाचा जी, आपको कोई परेशानी तो नहीं होगी?”
दादा जी: “बिल्कुल नहीं, बल्कि मुझे खुशी होगी।”
मम्मी: “अकेली लड़की घर पर रहती है, तो डर लगा रहता है। आप साथ होंगे, तो तसल्ली रहेगी।”
दादा जी: “हाँ बेटी, सही कहा। माँ हो, चिंता तो होगी। अब से महक मेरे यहाँ आ जाया करेगी, मैं उसकी पढ़ाई में मदद कर दूँगा।”
पापा: “थैंक यू, चाचा जी। महक, कल से स्कूल के बाद लंच करके चाचा जी के पास पढ़ाई के लिए चली जाना।”
मैं: “जी, पापा।”
चाय पीने के बाद मम्मी किचन में चली गईं। दादा जी ने फिर से अपना हाथ मेरे टॉप के अंदर डाला और मेरी पीठ सहलाने लगे। इस बार उन्होंने मेरी स्कर्ट के अंदर हाथ डालने की कोशिश की, लेकिन स्कर्ट टाइट थी, तो वो कामयाब नहीं हुए। फिर वो मेरी पीठ को सहलाते रहे। थोड़ी देर बाद वो उठे और मुझे स्माइल देकर बोले, “कल इंतजार करूँगा, महक।” और वो चले गए। उस रात मैं अगले दिन के बारे में सोचते-सोचते सो गई।
अगले दिन सुबह मैं स्कूल के लिए तैयार हुई। जाते वक्त मम्मी ने याद दिलाया कि लंच के बाद दादा जी के यहाँ जाना है। मैंने हामी भरी। स्कूल का दिन कैसे बीता, पता ही नहीं चला। घर लौटकर मैंने लंच किया और दादा जी के यहाँ जाने के लिए तैयार हुई। मैंने एक टाइट टॉप और लॉन्ग स्कर्ट पहनी, जिसमें मेरा फिगर और उभर रहा था।
मैंने उनके घर की घंटी बजाई। दादा जी ने दरवाजा खोला। वो सिर्फ पजामे में थे, और उनकी चौड़ी छाती और मजबूत बाजुओं को देखकर मेरा दिल फिर से धड़कने लगा। उनकी आँखों में वही चमक थी। वो मुस्कुराते हुए बोले, “आ जा, बेटी, मैं तेरा ही इंतजार कर रहा था।”
मैं अंदर गई, और उन्होंने दरवाजा बंद कर लिया। मैं सोफे पर बैठी और अपनी किताबें टेबल पर रख दीं। दादा जी मेरे बगल में बैठ गए और एक ग्लास जूस मेरे हाथ में थमा दिया। वो मेरी पढ़ाई के बारे में पूछने लगे, और मैं धीरे-धीरे जूस पीते हुए जवाब दे रही थी। तभी उन्होंने अपना हाथ मेरी जांघ पर रख दिया और सहलाने लगे। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैंने सिर झुकाकर जूस पीना जारी रखा। फिर उन्होंने दूसरा हाथ मेरे टॉप के अंदर डाला और मेरी नंगी पीठ को सहलाने लगे।
उन्होंने पूछा, “महक, बुरा तो नहीं लग रहा ना, जो मैं तुझे टच कर रहा हूँ?” मैंने स्माइल देकर ना में सिर हिलाया। ये सुनकर उनकी हिम्मत बढ़ गई। उन्होंने मेरे हाथ को चूमा और बोले, “यहाँ हम सुरक्षित नहीं हैं। चल, बेडरूम में चलते हैं।”
मेरा दिल और तेज धड़कने लगा। वो मेरा हाथ पकड़कर मुझे बेडरूम में ले गए। वहाँ बेड पर बैठते ही उन्होंने कहा, “यहाँ आराम से बात कर सकते हैं।” उनका लेफ्ट हाथ मेरे कंधे पर था, और राइट हाथ से वो मेरे लेफ्ट बूब को हल्के-हल्के सहलाने लगे। मैंने उनका हाथ पकड़ लिया, लेकिन हटाने की कोशिश नहीं की। वो धीरे-धीरे मेरे बूब्स को दबाने लगे। मेरे बदन में गर्मी सी दौड़ रही थी। मैंने आँखें बंद कर लीं।
उन्होंने मेरे दोनों बूब्स को दबाते हुए पूछा, “कैसा लग रहा है, महक?” मैंने धीमी आवाज में कहा, “अच्छा लग रहा है, दादा जी।”
उनकी उंगलियाँ अब मेरे टॉप के बटन खोलने लगीं। धीरे-धीरे उन्होंने मेरा टॉप उतार दिया। मेरी ब्रा में कैद मेरे बूब्स अब उनके सामने थे। उनकी आँखों में वासना की चमक और तेज हो गई। वो मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे बूब्स को दबाने लगे, और मेरे निप्पल्स को उंगलियों से हल्के-हल्के मसलने लगे। मेरे मुँह से हल्की सी सिसकारी निकल गई।
“महक, तू कितनी खूबसूरत है,” उन्होंने धीमी आवाज में कहा, और मेरी ब्रा का हुक खोल दिया। मेरे बूब्स अब पूरी तरह नंगे थे। वो मेरे निप्पल्स को चूसने लगे, और उनकी जीभ मेरे निप्पल्स के चारों ओर गोल-गोल घूम रही थी। मेरे बदन में जैसे बिजली दौड़ रही थी। मैंने उनकी कमर को पकड़ लिया और उनके करीब खींच लिया।
उन्होंने मेरी स्कर्ट को ऊपर सरकाया और मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगे। मेरी चूत पहले से ही गीली हो चुकी थी। उनकी उंगलियाँ मेरी पैंटी के अंदर घुसीं और मेरी चूत के होंठों को सहलाने लगीं। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, और मेरी साँसें तेज हो रही थीं।
“दादा जी, ये… ये गलत तो नहीं?” मैंने हल्के से पूछा, लेकिन मेरी आवाज में वासना साफ झलक रही थी।
“नहीं, महक, इसमें गलत क्या? तू भी तो मजा ले रही है,” उन्होंने कहा और मेरी पैंटी को नीचे खींच दिया। अब मेरी चूत उनके सामने थी, गीली और गर्म। उन्होंने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली, और मैं जोर से सिसक पड़ी। उनकी उंगली धीरे-धीरे अंदर-बाहर होने लगी, और मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं।
फिर उन्होंने अपना पजामा उतारा। उनका लंड, जो अभी भी तना हुआ था, मेरे सामने था। मैंने कभी इतना बड़ा और मोटा लंड नहीं देखा था। उनकी उम्र के हिसाब से वो लंड किसी जवान मर्द का लग रहा था। “दादा जी, ये… इतना बड़ा?” मैंने हैरानी से कहा।
वो हँसे और बोले, “हाँ, बेटी, ये अभी भी तगड़ा है। चल, इसे प्यार कर।” उन्होंने मेरा हाथ पकड़कर अपने लंड पर रख दिया। मैंने धीरे-धीरे उसे सहलाना शुरू किया। उनका लंड गर्म और सख्त था। मैंने उसे मुठ मारना शुरू किया, और वो सिसकारियाँ लेने लगे।
फिर उन्होंने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टांगें चौड़ी कीं। उनकी जीभ मेरी चूत पर थी, और वो उसे चाटने लगे। उनकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “दादा जी… आह… और करो,” मैं सिसकते हुए बोली।
कुछ देर चाटने के बाद वो मेरे ऊपर आए। उनका लंड मेरी चूत के मुँह पर था। “महक, तैयार है?” उन्होंने पूछा। मैंने हाँ में सिर हिलाया। उन्होंने धीरे से अपना लंड मेरी चूत में डाला। मेरी चूत टाइट थी, और उनका लंड इतना मोटा था कि मुझे हल्का दर्द हुआ, लेकिन वो दर्द जल्दी ही मजा में बदल गया।
वो धीरे-धीरे धक्के मारने लगे। उनकी हर धक्के के साथ मेरे बूब्स हिल रहे थे। मैं सिसकारियाँ ले रही थी, और वो मेरे होंठों को चूम रहे थे। उनकी रफ्तार बढ़ती गई, और मेरी चूत उनके लंड को पूरा निगल रही थी। “आह… दादा जी… चोदो मुझे… और जोर से,” मैं चिल्ला रही थी।
उनका तगड़ा लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था, और मैं बार-बार झड़ रही थी। उनकी साँसें भी तेज हो रही थीं। “महक, तू… तू बहुत गर्म है,” वो बोले और और जोर से धक्के मारने लगे। आखिरकार, वो मेरे अंदर ही झड़ गए। उनकी गर्म पिचकारी मेरी चूत में गहरे तक गई, और मैं भी उसी वक्त फिर से झड़ गई।
हम दोनों हाँफते हुए बेड पर लेट गए। दादा जी ने मुझे अपनी बाहों में लिया और मेरे माथे को चूमा। “महक, तूने आज मुझे जवान कर दिया,” वो मुस्कुराते हुए बोले। मैंने भी स्माइल दी और उनकी छाती पर सिर रख लिया।
उसके बाद हमने कपड़े पहने और मैं अपनी किताबें लेकर घर लौट आई।
Ye buddha to “Peadophile predator” hain. Maan-baap ko bachna chahiye ki aise buddho par ya relatives pe vishwas na karen. Sexual predators/abusers are mostly close relatives or neighbours. Ye kahaani acchi likhi hain par …