पिछले साल 2014 की होली की बात है। मेरा दोस्त, राहुल, जिसकी नई-नई शादी हुई थी, अपनी ससुराल जाने वाला था होली खेलने के लिए। लेकिन अचानक उसकी माँ की तबीयत खराब हो गई, और वो ससुराल नहीं जा पाया। उसकी बीवी को अपने मायके न जा पाने का गम था, तो उसने अपने भाई को अपने पास ही बुला लिया। मैं होलिका दहन की रात को राहुल के घर गया था, उसकी माँ का हालचाल लेने। जब मैं उसकी माँ के कमरे में पहुंचा, तो देखा वहाँ एक बेहद स्मार्ट, चिकना सा लड़का बैठा था। मैंने उसे पहले कभी राहुल के घर नहीं देखा था। बातों-बातों में पता चला कि ये उसका साला है, नाम था नीर, उम्र करीब 21 साल, गोरा-चिट्टा रंग, हल्का-सा भरा हुआ जिस्म, हाइट लगभग 5 फीट 8 इंच, और कुल मिलाकर मस्त चिकना माल था। वैसे तो मुझे साले जैसे लड़के हमेशा मस्त लगते हैं, हा हा हा, लेकिन ये लड़का तो सही में लाजवाब था।
मैंने उसे देखते ही अपने वासना भरे नयनों से जाँचना शुरू कर दिया। उसका चेहरा, गुलाबी होंठ, और वो भरा हुआ जिस्म, मानो मेरे लंड को सीधा न्योता दे रहा था। मैंने उसी वक्त ठान लिया कि इस माल को तो पटाना ही है। खैर, मैंने उससे बातें शुरू कीं, और सच कहूँ तो खूबसूरत लड़कों को पटाने में मैंने उसी दिन डिप्लोमा कर लिया था, जिस दिन मेरा लंड पहली बार खड़ा हुआ था और उसे एक मस्त गांड की जरूरत पड़ी थी। नीर, कितना प्यारा नाम था उसका! कुछ ही देर में मैंने उसके दिलो-दिमाग में अपनी एक अच्छी-सी छवि बना ली। मैंने उससे वादा किया कि शाम को उसे अपने साथ शहर के पार्क घूमने ले जाऊँगा। ये सुनकर वो थोड़ा शरमाया, लेकिन हल्की-सी मुस्कान के साथ मान गया।
मेरा लंड महाराज तो जैसे नीर को देखते ही समझ गया था कि एक-दो दिन में उसे नया डिश चखने को मिलेगा। ये लंड भी कमाल का है, साला! माल फंसाने में दिमाग की माँ-बहन एक कर देता है। मुँह दर्द करने लगता है गोल-गोल बातें करके, जेब हल्की हो जाती है, और ऊपर से ये मोटा लंड साला कोयल की तरह चिल्लाता रहता है। खैर, शाम को मैं अपनी बाइक लेकर राहुल के घर पहुंचा और नीर को साथ लेकर पार्क की ओर निकल गया। हमने पूरी शाम खूब मस्ती की। जो-जो उसे खाने की इच्छा हुई, मैंने उसे खिलाया। कभी आइसक्रीम, कभी चाट, कभी कोल्ड ड्रिंक। हम पूरे पार्क में इधर-उधर घूमते रहे। नीर अब मुझसे काफी खुल गया था। मैंने हिम्मत करके उसके कंधे पर हाथ रख दिया और दोस्तों की तरह उसके साथ चलने लगा। कभी-कभी मैं जानबूझकर उससे पूरी तरह सट जाता, और वो मुझे रोकता नहीं था। मैंने बातों-बातों में कई बार कह दिया, “यार, साला तो आधा घरवाला होता है!” वो बस हँसकर रह जाता, और उसकी वो हँसी मेरे लंड को और बेकरार कर देती थी।
शाम ढलने के बाद हम राहुल के घर वापस आ गए। मैंने नीर से कहा, “कल होली के दिन तू मेरे घर आ जाना। मेरे घर में कोई नहीं है, सब होली खेलने अपने गाँव गए हैं।” उसने हल्के से सिर हिलाया और मुस्कुरा दिया। उस रात मैंने बिस्तर पर लेटे-लेटे न जाने कितनी बार करवटें बदलीं। मेरा लंड बार-बार खड़ा हो रहा था, और मैं सोच रहा था कि कल का दिन कैसा होगा।
अगली सुबह, होली के दिन, करीब 9 बजे नीर मेरे घर आ धमका। मैंने उसे देखते ही रंग लगाया। उसने भी बदले में मेरे गालों पर रंग मला। रंग लगाते-लगाते मैंने अचानक जोर से उसके सीने को दबा दिया। वो चौंक गया और बोला, “अरे जीजाजी, ये क्या!” उसकी आवाज में शरारत थी, लेकिन नाराजगी नहीं। मैंने मन ही मन सोचा, “साले, अभी तो कुछ किया ही नहीं, दो ग्लास चढ़ा लूँ, फिर देख कैसे तुझे पूरा घरवाला बनाता हूँ!” हम दोनों पूरे मोहल्ले में होली खेलने निकल पड़े। कई घरों में हमें ठंडाई, बीयर, व्हिस्की, और भांग के पकौड़े मिले। मैंने जानबूझकर नीर को ढेर सारे भांग के पकौड़े खिला दिए। वो थोड़ा नशे में चूर होने लगा, और मैं भी हल्का-हल्का नशा चढ़ने दे रहा था।
करीब तीन घंटे तक हम मोहल्ले में रंग-गुलाल में सराबोर होकर होली खेलते रहे। जब हम दोनों पूरी तरह थक गए, तो मैंने नीर से कहा, “चल यार, अब घर चलते हैं। घर में मीट और पुलाव रखा है, खा लेंगे।” हम दोनों मेरे घर पहुंचे और नशे की हालत में मीट-पुलाव खाने बैठ गए। खाना खाते-खाते मैं नीर के चिकने चेहरे को देख रहा था, जो अब रंग और गुलाल से सजा हुआ और भी मस्त लग रहा था। नशा अब हमारे दिमाग पर पूरी तरह चढ़ चुका था। मैंने कहा, “नीर, यार, हम दोनों रंग से पूरी तरह तरबतर हैं। चल, बाथरूम में नहा लेते हैं।” नीर ने नशे में हँसते हुए कहा, “हाँ जीजाजी, ठीक है। पर नहाने के बाद पहनूँगा क्या? मेरे कपड़े तो रंग और मिट्टी से सन गए हैं।”
मैंने तपाक से जवाब दिया, “अरे यार, मेरे पास ढेर सारे कपड़े हैं, तू फिकर न कर।” नशे में धुत्त नीर ने मेरे सामने ही अपने सारे कपड़े उतार दिए। अब वो सिर्फ जांघिया में था। उसका चिकना, गोरा जिस्म देखकर मेरा लंड पेंट में ही तंबू बन गया। मैंने भी झट से अपने सारे कपड़े उतार दिए, सिर्फ जांघिया छोड़कर। मुझे कपड़े उतारते देख नीर ने शरारती अंदाज में कहा, “क्या जीजाजी, साथ में नहाने का इरादा है?” मैंने भी बेशर्मी से जवाब दिया, “साले, तुझे देखकर तो कुछ और ही इरादा हो रहा है!” नीर ने हँसते हुए कहा, “जीजाजी, मैं तो आधा घरवाला हूँ ही, चाहो तो पूरा घरवाला भी बना लो। कौन रोक रहा है?” ये कहते हुए वो बाथरूम में घुस गया और शावर को पूरा खोलकर उसके नीचे खड़ा हो गया।
उसके इस जवाब ने मेरे पूरे जिस्म में सनसनी फैला दी। साला, ये तो पूरा पक्का माल निकला! मैं भी तुरंत बाथरूम में घुस गया और उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसने भी अपने दोनों हाथों से मेरे जिस्म को कसकर पकड़ लिया। मैंने देखा, उसका लंड भी पूरी तरह तना हुआ था, और मेरा लंड तो साला लोहे की रॉड की तरह कड़क हो चुका था। मैंने झट से उसका और अपना जांघिया उतार फेंका। नीर ने मेरे मोटे, लंबे लंड को देखकर कहा, “क्या जीजाजी, ये क्या शानदार तेल लगाते हो जो लंड इतना मोटा और लंबा हो गया है?” मैंने बेशर्मी से जवाब दिया, “साले, तुम जैसे चिकने लड़कों की गांड में घुस-घुसकर ये इतना मोटा और लंबा हो गया है!”
नीर ने हँसते हुए जमीन पर बैठ गया और एक ही बार में मेरा पूरा लंड अपने मुँह में ले लिया। “आह्ह… उह्ह…” मैं सिसकारी लेने लगा। वो जोर-जोर से मेरा लंड चूसने लगा, जैसे कोई भूखा शेर अपने शिकार पर टूट पड़ा हो। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं नशे और मजे में डूबता जा रहा था। “नीर, साले… आह्ह… और जोर से चूस… उह्ह…” मैंने उसके बाल पकड़कर उसे और गहराई तक धकेला। वो बिना रुके मेरे लंड को चूसता रहा, और उसका चिकना चेहरा मेरे लंड के इर्द-गिर्द देखकर मेरा जोश और बढ़ गया।
करीब 15 मिनट तक वो मेरे लंड को चूसता रहा। फिर मैंने उसे खड़ा किया और उसकी चिकनी गांड पर हाथ फेरना शुरू किया। उसकी गांड इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उसे दीवार की तरफ झुकाया और उसकी गांड पर अपना लंड रगड़ना शुरू किया। “आह्ह… जीजाजी… उह्ह… ये क्या कर रहे हो?” नीर ने नशे में सिसकारी लेते हुए कहा। मैंने कहा, “साले, अभी तो शुरूआत है, रुक, तुझे पूरा घरवाला बनाता हूँ!” मैंने उसकी गांड के छेद पर थोड़ा तेल लगाया और धीरे-धीरे अपने लंड का टोपा अंदर डाला। “आआह्ह… उह्ह… जीजाजी… धीरे… दर्द हो रहा है…” नीर ने कराहते हुए कहा, लेकिन उसकी आवाज में मजा साफ झलक रहा था।
मैंने धीरे-धीरे अपने लंड को उसकी गांड में गहराई तक उतारा। “पच… पच… पच…” की आवाजें बाथरूम में गूंजने लगीं। नीर की सिसकारियाँ और तेज हो गईं, “आह्ह… उह्ह… जीजाजी… और जोर से… मारो मेरी गांड… उह्ह…” मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। “साले, तेरी गांड तो साला जन्नत है… आह्ह… कितनी टाइट है… उह्ह…” मैं भी जोश में बोल रहा था। उसकी गांड इतनी गर्म और टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के के साथ और सख्त हो रहा था। मैंने उसे करीब 20 मिनट तक चोदा, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियाँ बाथरूम में गूंज रही थीं। “पच… पच… आह्ह… उह्ह…”
फिर मैंने उसे घुमाया और उसका लंड अपने मुँह में ले लिया। उसका लंड भी मस्त मोटा और कड़क था। मैंने उसे चूसना शुरू किया, और वो सिसकारियाँ लेने लगा, “आह्ह… जीजाजी… उह्ह… क्या चूस रहे हो… और जोर से…” हम दोनों एक-दूसरे के जिस्म से चिपककर बाथरूम में गुटम-गुट्टा होने लगे। उसका जिस्म इतना गर्म था कि मुझे लग रहा था जैसे कोई भट्टी मेरे सामने है। मैंने फिर से उसकी गांड चोदनी शुरू की, और इस बार मैंने कोई रहम नहीं किया। “पच… पच… पच…” की आवाजें और तेज हो गईं, और नीर की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… जीजाजी… फाड़ दो मेरी गांड… उह्ह… और जोर से…”
शाम तक हम दोनों बाथरूम में ही रहे। मैंने उसकी गांड को इतना चोदा कि मेरा लंड जख्मी हो गया। साला, नीर तो पक्का गांडू निकला! मैंने उसे हर तरह से चोदा, और वो हर बार मजे में सिसकारियाँ लेता रहा। मेरी होली तो सही में मस्त हो गई। अगर नीर न मिलता, तो शायद मेरा लंड पेंट में ही वॉमिट कर देता, या मुझे कहीं जाकर मुठ मारनी पड़ती।
अब आप बताइए, आपकी होली कैसी रही? क्या आपने भी ऐसा कोई मस्त माल फंसाया? अपनी कहानी कमेंट में जरूर शेयर करें!