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भैया ने कल रात भाभी समझकर चोद दिया

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मेरा नाम आकाश है। मेरी शादी को अभी बस एक महीना ही हुआ है। मेरी बीवी, मोना, गजब की हॉट है। उसकी फिगर ऐसी कि बस देखते ही लंड खड़ा हो जाए। 32-28-34 का फिगर, गोरी चमड़ी, और वो चुचियां जो ब्लाउज में से झांकती हैं, मानो बुला रही हों। मैं तो दिन-रात बस उसे चोदने के मूड में रहता हूँ। उसकी चूत इतनी टाइट है कि एक महीने तक रोज चोदने के बाद भी ढीली नहीं हुई। हर रात मैं उसे पेलता हूँ, कभी उसकी चूत में, कभी उसकी गांड में। वो भी मजे से चुदवाती है, आह… ऊह… की आवाजें निकालती है, जो मुझे और जोश दिलाती हैं।

मेरी एक बहन है, सिमर। उसकी शादी मेरी शादी से सिर्फ पंद्रह दिन पहले हुई थी। वो 22 साल की है, और अभी कुछ दिन के लिए हमारे घर आई हुई थी। सिमर भी कम माल नहीं है। उसका फिगर 34-26-36 है, और वो भी नई-नवेली दुल्हन की तरह सजती-संवरती है। मोना और सिमर दोनों एक जैसे कपड़े पहनती हैं—लहंगा, चोली, दुपट्टा, और पायल। देखने में दोनों इतनी मिलती-जुलती हैं कि अंधेरे में फर्क करना मुश्किल हो जाता है।

कल रात की बात है। करीब आठ बजे बिजली चली गई। नीचे गर्मी बहुत थी, तो मैं छत पर चला गया। मैंने बिछावन डाला, एक शराब की बोतल निकाली, और आखिरी पेग बना लिया। नीचे मोना खाना बना रही थी। मैं सोच रहा था कि खाना खाने के बाद आज उसकी गांड मारूंगा। उसकी गोल-मटोल गांड को देखकर मेरा लंड हमेशा तन जाता है। तभी सीढ़ियों पर छन-छन की आवाज आई। मैं समझा मोना आ रही है। मैंने आखिरी पेग खत्म किया था, और नशा चढ़ चुका था।

मैंने सुना कि वो मेरे पास आई और बोली, “लो, नमकीन।” मैंने हंसते हुए कहा, “अरे मेरी जान, जब दारू खत्म हो गई, तब नमकीन लाई?” मैंने उसका हाथ पकड़ा और अपनी ओर खींच लिया। मैंने उसकी चुचियों को जोर से दबाया। वो साड़ी में थी, और उसकी चुचियां साड़ी के ऊपर से उभरी हुई थीं। मैंने कहा, “साली, तू तो रोज मुझे तड़पाती है। मेरा लंड दिन-रात बस तेरी चूत और गांड के लिए तड़पता रहता है।” मैंने फटाफट उसका ब्लाउज खोला, हुक एक-एक करके खुलते गए। उसकी चुचियां बाहर आ गईं—34D की, गोल, मुलायम, और बीच में गुलाबी निप्पल। मैंने एक निप्पल को मुंह में लिया और चूसने लगा।

वो अचानक बोली, “ये क्या कर रहे हो?” मैंने कहा, “चुप साली, कोई सुन लेगा। बस दस मिनट में तेरी चूत का भोसड़ा बना दूंगा।” अंधेरा था, और नशे में मुझे कुछ दिखाई नहीं दे रहा था। मैंने उसका पेटीकोट ऊपर उठाया, उसकी पैंटी खींचकर उतार दी, और चारों तरफ देखा कि कोई आ तो नहीं रहा। फिर मैंने अपना 7 इंच का लंड निकाला, जो पहले से ही तन चुका था। मैंने उसकी चूत पर लंड सेट किया और एक जोरदार धक्का मारा। “आह…” उसकी सिसकारी निकली। मैंने हंसते हुए कहा, “क्या साली, चूत फट गई क्या? आज तो तेरी चूत पहले से भी ज्यादा टाइट लग रही है। जैसे सुहागरात वाली रात थी।”

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मैंने जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। फच-फच की आवाज छत पर गूंज रही थी। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और कड़ा हो रहा था। मैंने उसकी चुचियों को दोनों हाथों से मसला, निप्पल को चुटकी में दबाया। वो आह… ऊह… की आवाजें निकाल रही थी। मैंने कहा, “साली, कितनी टाइट चूत है तेरी। आज तो तुझे रगड़-रगड़ कर चोदूंगा।” मैंने स्पीड बढ़ा दी, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियां तेज होती गईं। “आह… आह… धीरे… भैया…” उसकी आवाज सुनकर मैं सन्न रह गया।

“कौन? सिमर?” मैंने चौंककर पूछा। वो बोली, “हां भैया, मैं सिमर। भाभी ने कहा था कि नमकीन ऊपर दे आओ। और आपने… ये क्या कर दिया?” मैंने कहा, “अरे, ये क्या हो गया? तू तो चुप थी!” वो हंसते हुए बोली, “भैया, जो हुआ, अच्छा हुआ। मुझे तो मजा आ गया। काश, मुझे भी ऐसा लंड मिले। मेरे पति का तो छोटा सा है, बमुश्किल 4 इंच।” उसकी बात सुनकर मुझे गुस्सा भी आया और जोश भी। मैं समझ गया कि सिमर भी चुदक्कड़ है। उसे भाई से चुदने में कोई शिकायत नहीं थी।

तभी सीढ़ियों पर फिर से छन-छन की आवाज आई। मोना ऊपर आ रही थी। सिमर ने जल्दी से पैंटी पहनी और साड़ी ठीक की। मैंने भी लंड पैंट में डाला। मोना आई और बोली, “क्या बात है जी? अंधेरे में बहन-भाई क्या गप्पे मार रहे हो? ससुराल की बातें सुना रही है क्या?” मैंने कहा, “हां, बस वही ससुराल की बातें।” तभी मेरा फोन बजा। मेरे ससुर जी का फोन था। मोना ने फोन लिया, फिर मुझे दिया, बोली, “पापा आपसे बात करना चाहते हैं।”

मैंने नमस्ते किया। ससुर जी बोले, “बेटा, कल सुबह हम वृंदावन जा रहे हैं। सोचा, मोना को और तुम्हें भी ले चलें।” मैंने कहा, “पापा जी, कल मुझे पलवल में कुछ काम है। मैं नहीं जा पाऊंगा। मोना को ले जाइए।” मोना ये सुनकर खुश हो गई। वो बोली, “ठीक है, मैं मम्मी-पापा के साथ चली जाऊंगी।” मैंने मन ही मन सोचा, “कल घर खाली होगा। सिर्फ मैं और सिमर। बस, अब तो उसकी चूत का पूरा मुआयना करूंगा।”

अगली सुबह सब कुछ प्लान के मुताबिक हुआ। मोना सुबह 7 बजे अपने मम्मी-पापा के साथ वृंदावन चली गई। मम्मी-पापा भी मां जी के घर गए। घर में सिर्फ मैं और सिमर रह गए। मैंने दरवाजा अच्छे से लॉक किया और सिमर के पास गया। वो लाल साड़ी में थी, उसी में, जिसमें कल रात थी। मैंने उसे गोद में उठाया और बेडरूम में ले जाकर पलंग पर पटक दिया।

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मैंने उसकी साड़ी खींची। वो धीरे-धीरे खुलती गई, जैसे कोई गिफ्ट अनरैप हो रहा हो। उसका ब्लाउज टाइट था, चुचियां बाहर निकलने को बेताब। मैंने एक-एक हुक खोला। उसकी 34D की चुचियां मेरे सामने थीं—गोरी, गोल, और बीच में गुलाबी निप्पल। मैंने कहा, “सिमर, तेरी चुचियां तो गजब हैं।” वो शरमाते हुए बोली, “भैया, धीरे… कोई देख लेगा।” मैंने कहा, “अब कौन देखेगा? घर में बस तू और मैं। आज तेरी चूत और गांड दोनों मारूंगा।”

मैंने उसका पेटीकोट उतारा। उसकी पैंटी गीली थी। मैंने उसे खींचकर उतार दिया। उसकी चूत मेरे सामने थी—गुलाबी, साफ, और हल्की-सी गीली। मैंने कहा, “सिमर, तेरी चूत तो मस्त है। कितनी टाइट है!” वो बोली, “हां भैया, मेरे पति का लंड छोटा है। वो बस दो मिनट में झड़ जाते हैं।” ये सुनकर मेरा 7 इंच का लंड और तन गया। मैंने उसकी टांगें फैलाईं और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उसकी चूत के दाने को छू रही थी। वो सिसकारियां लेने लगी, “आह… भैया… ऊह… कितना मजा आ रहा है।”

मैंने उसकी चूत को और चाटा, मेरी जीभ अंदर-बाहर हो रही थी। उसका रस मेरे मुंह में आ रहा था। वो चिल्ला रही थी, “आह… भैया… और चाटो… ऊह…” मैंने दो उंगलियां उसकी चूत में डालीं और अंदर-बाहर करने लगा। वो तड़प रही थी, “भैया… अब बस करो… लंड डाल दो… प्लीज…” मैंने अपना लंड निकाला, जो अब पूरी तरह तन चुका था। मैंने उसकी चूत पर लंड सेट किया, उसकी चुचियों को दोनों हाथों से पकड़ा, और एक जोरदार धक्का मारा।

“आह…” सिमर चिल्लाई। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। फच-फच की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मैंने धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ उसकी चुचियां उछल रही थीं। मैंने कहा, “साली, तेरी चूत तो जन्नत है। कितनी टाइट है!” वो बोली, “भैया… और जोर से… चोदो मुझे… आह… ऊह…” मैंने स्पीड बढ़ा दी। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी। मैंने उसकी एक टांग उठाई और साइड से पेलना शुरू किया। वो चिल्ला रही थी, “आह… भैया… मेरी चूत फाड़ दो… ऊह…”

मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी गांड मेरे सामने थी—गोल, मुलायम, और गजब की। मैंने उसकी गांड पर एक चपत मारी। वो बोली, “भैया… ये क्या?” मैंने कहा, “साली, आज तेरी गांड भी मारूंगा।” मैंने उसकी चूत में फिर से लंड डाला और जोर-जोर से पेलने लगा। फच-फच… आह… ऊह… की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मैंने उसकी चुचियों को पीछे से पकड़ा और मसलने लगा। वो गांड उठा-उठाकर चुदवा रही थी।

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मैंने कहा, “सिमर, अब तेरी गांड की बारी।” वो थोड़ा डर गई, बोली, “भैया, धीरे… मैंने कभी गांड नहीं मरवाई।” मैंने उसकी गांड पर थोड़ा तेल लगाया, अपने लंड पर भी लगाया, और धीरे से उसकी गांड में लंड डाला। वो चिल्लाई, “आह… भैया… दर्द हो रहा है…” मैंने कहा, “बस थोड़ा सा… अब मजा आएगा।” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उसकी गांड टाइट थी, लेकिन धीरे-धीरे खुलने लगी। वो सिसकारियां ले रही थी, “आह… ऊह… भैया… अब मजा आ रहा है।”

मैंने स्पीड बढ़ा दी। उसकी गांड में मेरा लंड अंदर-बाहर हो रहा था। वो चिल्ला रही थी, “भैया… और जोर से… आह… मेरी गांड मारो…” मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से पेलने लगा। फच-फच की आवाज और उसकी सिसकारियां कमरे में गूंज रही थीं। आखिरकार, मैं झड़ गया। मेरा माल उसकी गांड में भर गया। वो भी थककर पलंग पर गिर गई।

हम दोनों ने कपड़े पहने। वो बोली, “भैया, ये गलत था… लेकिन इतना मजा पहले कभी नहीं आया।” मैंने कहा, “सिमर, ये हमारा राज रहेगा।” तभी दरवाजे की कुंडी बजी। मैंने जल्दी से गेट खोला। मोना वापस आ गई थी। वो बोली, “अरे, इतनी जल्दी वापस आ गई। पापा का काम जल्दी खत्म हो गया।” मैंने कहा, “अच्छा हुआ, आ जा।”

दोस्तों, ये थी मेरी कहानी। आपको कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसी गलती की है? नीचे कमेंट में जरूर बताएं।

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