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चुपके चुपके सगे भाई से चुदाई की कहानी

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(19987)

मैं, रानी, आज आपको अपनी ज़िंदगी का वो हसीन और गुप्त पल सुनाने जा रही हूँ, जिसने मेरी दुनिया को पूरी तरह बदल दिया। जब मैं अठारह साल की हुई, तब मेरे जिस्म में एक अजीब सी बेचैनी शुरू हुई। मेरी चूचियाँ अब इतनी बड़ी और रसीली हो गई थीं कि उन्हें दबाने का मन करता था। गाँव में रहने वाली मैं थोड़ी भोली थी, नादान थी। सेक्स के बारे में कुछ-कुछ सुना था, लेकिन सिर्फ इतना समझती थी कि ये मम्मी-पापा के बीच की चीज़ है। मेरे दिमाग में ये बात बिल्कुल साफ थी कि सेक्स का मतलब बस यही है। लेकिन फिर मेरी एक सहेली, जो कई बार अपने बॉयफ्रेंड्स और यहाँ तक कि अपने चचेरे भाई के साथ चुदाई कर चुकी थी, उसने मुझे सेक्स की दुनिया से रूबरू करवाया। उसने बताया कि वो रोज़ रात को हॉट कहानियाँ पढ़ती है, और मुझे भी ऑनलाइन ऐसी कहानियाँ पढ़ने की सलाह दी।

उसके बाद मैंने रात को चोरी-छिपे ऐसी कहानियाँ पढ़ना शुरू किया। हर रात, जब सब सो जाते, मैं अपने कमरे में लैपटॉप खोलती और कामुक कहानियों में खो जाती। पहली बार जब मैंने ऐसी कहानी पढ़ी, मेरी चूचियाँ सख्त हो गईं, और मेरी चूत में एक अजीब सी गीलापन और गर्मी महसूस हुई। मैंने धीरे-धीरे अपनी चूचियों को सहलाना शुरू किया, फिर अपनी चूत को छुआ। वो एहसास ऐसा था, जैसे मेरे बदन में आग लग गई हो। मेरी साँसें तेज़ हो गईं, और मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़कने लगा। उस रात मुझे पहली बार सेक्स का असली मज़ा समझ आया। मैं सोचने लगी, अगर चूचियाँ सहलाने और चूत छूने से इतना मज़ा आता है, तो अगर कोई सचमुच चोदे, तो कैसा लगेगा? ये ख्याल मेरे दिमाग में बार-बार आने लगा। मैं हर वक्त कामुक हो जाती, और चुदने की इच्छा मेरे दिल में घर करने लगी। लेकिन आप तो जानते हैं, गाँव की लड़की के लिए ये कितना मुश्किल होता है। फ्रीडम तो दूर, सोचने की भी आज़ादी नहीं थी।

मेरा भाई रवि, जो मुझसे सिर्फ एक साल बड़ा था, मेरे लिए अब सिर्फ भाई नहीं रहा। मैं उसकी तरफ आकर्षित होने लगी। दिन-रात उसके बारे में सोचती। उसका लौड़ा कैसा होगा? कितना बड़ा होगा? क्या मैं अपने भाई के साथ सम्बन्ध बना सकती हूँ? ये सवाल मेरे दिमाग में घूमते रहते। कभी लगता कि ये गलत है, समाज क्या कहेगा? लेकिन फिर मन कहता, अगर रवि मान जाए, तो इससे अच्छा क्या हो सकता है? घर का माल घर में ही रहे, इससे बेहतर क्या होगा? पर हर बार ये सोचकर डर लगता कि कहीं उसे बुरा न लग जाए। कहीं वो मुझे गलत न समझ ले।

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एक रात की बात है। रात का खाना खाकर मम्मी-पापा नीचे फ्लोर पर सोने चले गए। मैं और रवि, जैसा कि हमेशा होता था, ऊपर पहले माले पर अपने कमरे में आ गए। हम दोनों का बेड एक ही कमरे में था, लेकिन अलग-अलग। रवि अपने मोबाइल पर कुछ पढ़ रहा था, और मैं लैपटॉप पर टाइम पास कर रही थी। कभी अमेज़न खोलती, कभी फ्लिपकार्ट, ड्रेस देखती, लेकिन मेरा दिमाग कहीं और था। मैंने ठान लिया था कि आज रवि से बात करूँगी। जो होगा, देखा जाएगा। रात के बारह बज चुके थे। मैंने फिर से कामुक कहानियाँ पढ़ना शुरू किया। एक कहानी इतनी हॉट थी कि मेरी चूचियाँ सख्त हो गईं, और मेरी चूत से पानी टपकने लगा। मैंने अपनी चूचियाँ मसलनी शुरू कीं, चूत को सहलाया। मेरे होंठ सूखने लगे, साँसें गर्म और तेज़ हो गईं। मैं अपने आप को रोक नहीं पाई।

लाइट बंद करके मैं बेड पर लेट गई, लेकिन नींद कहाँ थी? मेरी धड़कन इतनी तेज़ थी कि मुझे लग रहा था कि मेरा दिल बाहर निकल आएगा। मैंने रवि की तरफ देखा, वो चादर ओढ़कर सो रहा था। मैं उठकर बैठ गई, पानी पिया, और फिर हिम्मत जुटाकर उसके बेड के पास चली गई। मेरी साँसें और तेज़ हो गईं। मैंने सोचा, अगर उसे बुरा लगा, तो कह दूँगी कि सपने में तेरे बेड पर आ गई थी। मैं धीरे से उसके बेड पर लेट गई और उसकी चादर में घुस गई। मेरी साँसें अब और तेज़ हो रही थीं। वो सीधा लेटा था। मैंने उसकी तरफ मुँह किया और धीरे से अपना हाथ उसके पेट पर रखा। हल्के-हल्के सहलाया। फिर थोड़ा और करीब हो गई।

मेरा दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। मैंने अपना हाथ उसके चेहरे पर ले जाकर उसके होंठों को छुआ, फिर उसके गालों को सहलाया। मेरे बदन में आग सी लग रही थी। मैंने धीरे से अपना एक पैर उस पर चढ़ा दिया। फिर से उसका पेट सहलाया। तभी मुझे लगा कि वो जाग गया है। उसकी साँसें गहरी और तेज़ हो रही थीं, और बार-बार थूक निगलने की आवाज़ आ रही थी। मैंने उसका होंठ छुआ, उसकी साँसें गर्म थीं। मुझे यकीन हो गया कि वो जाग चुका है, लेकिन कुछ बोल नहीं रहा। मेरे मन में खुशी की लहर दौड़ गई।

मैंने हिम्मत करके अपना हाथ उसके लौड़े पर रखा। दोस्तों, मेरा शक सही था। उसका लौड़ा खड़ा था, मोटा और टाइट। मैं समझ गई कि रवि जाग रहा है और उसे भी मज़ा आ रहा है। मैंने धीरे से उसके पजामे को नीचे सरकाया, फिर उसका जांघिया खोला और उसका लौड़ा अपने हाथ में ले लिया। वो इतना गर्म और सख्त था कि मेरे बदन में करंट सा दौड़ गया। मैंने अपनी टी-शर्ट उतार दी। मैंने पहले से ही ब्रा नहीं पहनी थी, मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ आज़ाद होकर मचलने लगीं। रवि ने बनियान नहीं पहनी थी, और मैंने उसका पजामा और जांघिया घुटनों तक खींच दिया। तभी मैंने देखा कि वो अपने पैरों से कपड़े पूरी तरह उतार चुका था।

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मैंने भी अपना पजामा और पैंटी उतार दी। अब हम दोनों पूरी तरह नंगे थे। मैं उसके बदन से सट गई, उसका लौड़ा पकड़कर हिलाने लगी। तभी रवि मेरी तरफ घूमा और मेरे होंठों को चूसने लगा। “रानी, ये क्या कर रही हो?” उसने धीमी आवाज़ में पूछा, लेकिन उसकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी। “भैया, मुझे मज़ा चाहिए… तुम भी तो चाहते हो ना?” मैंने शरमाते हुए कहा। वो मुस्कुराया और मेरी चूचियों को दबाने लगा। “आह्ह… भैया, और ज़ोर से…” मैं सिसकारी। उसने मेरे निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। “उम्म… आह्ह…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूंजने लगीं। मेरी चूत गीली होकर पानी छोड़ रही थी।

मैं और बर्दाश्त नहीं कर पाई। मैं उस पर चढ़ गई, उसके होंठों को चूसने लगी। मेरी चूचियाँ उसकी छाती से रगड़ खा रही थीं। “रानी, तू कितनी गर्म है…” उसने मेरी चूचियों को सहलाते हुए कहा। उसका सात इंच का लौड़ा मेरी जाँघों के बीच रगड़ खा रहा था। मैंने थोड़ा जगह बनाई, और उसने अपना लौड़ा मेरी चूत के छेद पर सेट किया। “भैया, धीरे से…” मैंने काँपती आवाज़ में कहा। उसने हल्का सा धक्का मारा, और उसका लौड़ा मेरी चूत में घुसने लगा। “आह्ह… उह्ह…” मैं दर्द और मज़े में सिसकारी। चार-पाँच झटकों में उसका पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा गया।

अब असली खेल शुरू हुआ। वो नीचे से धक्के मार रहा था, और मैं ऊपर से। “सट-सट… फच-फच…” की आवाज़ कमरे में गूंज रही थी। “आह्ह… भैया… और ज़ोर से… चोदो मुझे…” मैं चिल्लाई। मेरी चूचियाँ उछल रही थीं, और वो उन्हें पकड़कर मसल रहा था। “रानी, तेरी चूत कितनी टाइट है… उफ्फ…” उसने कहा। हम दोनों जंगली हो गए। वो अचानक उठा, खिड़की और दरवाज़ा चेक किया, लाइट जलाई, और मेरे नंगे बदन को निहारने लगा। “रानी, तू तो माल है…” उसने कहा और मेरी चूत को चाटने लगा।

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“ओह्ह… भैया… आह्ह… क्या कर रहे हो…” मैं पागल हो रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रही थी। “उम्म… आह्ह… और चाटो…” मैंने कहा। उसने मेरी चूचियों को दबाया, मेरे होंठों को चूसा, और फिर मेरे पैर फैलाकर अपना लौड़ा मेरी चूत पर रखा। “अबकी बार तुझे जमकर चोदूँगा,” उसने कहा और ज़ोरदार धक्का मारा। “आह्ह… उह्ह… भैया… फाड़ दो मेरी चूत…” मैं चिल्लाई। वो दे दना दन चोदने लगा। मेरी चौड़ी गाण्ड हिल रही थी, और कमरे में “फच-फच… सट-सट…” की आवाज़ गूंज रही थी।

करीब आधे घंटे तक हमने एक-दूसरे को खुश किया। मैं दो बार झड़ चुकी थी, और आखिरकार रवि भी झड़ गया। हम दोनों हाँफते हुए लेट गए। “रानी, ये बात हमारे बीच रहेगी, ठीक है?” उसने कहा। “हाँ, भैया… और हम रोज़ मज़े करेंगे,” मैंने शरारत से कहा। उस रात हमने दो बार और चुदाई की। सुबह तक मेरा बदन थक गया था, लेकिन मन तृप्त था।

छह महीने बाद मेरी शादी हो गई, और मैं ससुराल चली गई। लेकिन जब भी मायके आती हूँ, रवि से चुदाई ज़रूर करती हूँ। जल्द ही मैं अपनी अगली कहानी लेकर आऊँगी। आपकी राय क्या है? नीचे कमेंट करके बताइए।

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