नौकरी परमानेंट करवाने के लिए चुदवाया सोनाली ने

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Boss ke saath office sex story मेरा नाम राकेश है, उम्र 34 साल, और मैं एक पब्लिक कंपनी में चीफ के तौर पर काम करता हूँ। ये बात कुछ साल पहले की है, जब मुझे ये पोस्ट मिली थी। मैं 5 फुट 7 इंच का हूँ, गठीला बदन, और मेरा लंड 7 इंच लंबा और 5.5 इंच मोटा है, जिसे देखकर कई लड़कियाँ चीख पड़ती थीं। शादी अभी तक नहीं हुई थी, और मैं अपने काम और जवानी की आग में व्यस्त रहता था। मेरी आँखें गहरी, चेहरा सख्त मगर आकर्षक, और आवाज में वो रौब था जो किसी को भी अपनी तरफ खींच ले। मेरी पर्सनल असिस्टेंट थी सोनाली, 20 साल की जवान, खूबसूरत और मॉडर्न लड़की। उसका फिगर 32-30-36, बड़े-बड़े रसीले स्तन, गोल-मटोल नितंब, गोरी त्वचा, और बड़ी-बड़ी आँखें जो किसी का भी दिल चुरा लें। वो टाइट टी-शर्ट और पैंट में ऑफिस आती थी, जिससे उसका बदन और भी कामुक लगता था।

हर बार जब मैं उसे देखता, मेरे जिस्म में एक सिहरन-सी दौड़ जाती थी। उसके स्तन इतने भरे-भरे थे कि टी-शर्ट के ऊपर से ही उभरकर मेरे लंड को सलामी देने लगते थे। एक दिन ऑफिस में सबके जाने के बाद सोनाली मेरे केबिन में आई। उसकी आँखों में एक अजीब-सी बेचैनी थी। उसने मेरी तरफ देखा और धीरे से बोली, “सर, मुझे आपसे अपनी नौकरी के बारे में बात करनी है।”

“बोलो सोनाली, कोई दिक्कत है?” मैंने कुर्सी पर पीछे झुकते हुए पूछा।

“सर, मैं यहाँ एक साल से काम कर रही हूँ। मेरा कॉन्ट्रैक्ट सिर्फ दो साल का है, और अब बस कुछ महीने बचे हैं। मेरे परिवार में मैं अकेली कमाने वाली हूँ। अगर मेरी नौकरी गई, तो मेरे लिए सब कुछ संभालना मुश्किल हो जाएगा। प्लीज सर, मेरी नौकरी परमानेंट करवा दीजिए। मैं आपकी हर बात मानने को तैयार हूँ,” उसने एक सांस में सब कह डाला। उसकी आवाज में गंभीरता थी, मगर आँखों में एक चमक थी जो कुछ और ही कह रही थी।

मैंने उसकी बात सुनी और मन ही मन सोचा, ये लड़की कितनी मासूमियत से अपनी बात रख रही है, लेकिन उसकी आँखें कुछ और बयान कर रही हैं। मैंने कहा, “सोनाली, मुझे तुम्हारी परेशानी समझ आ रही है। मैं कोशिश करूँगा कि तुम्हारा कॉन्ट्रैक्ट पूरा होने से पहले कुछ हो जाए। लेकिन इसके लिए मुझे तुम्हारा पूरा साथ चाहिए, हर तरह से।”

“ठीक है सर, मैं तैयार हूँ। बस आप बता दीजिए क्या करना है,” उसने तुरंत जवाब दिया।

“कल शाम मेरे क्वार्टर पर आना, 6:30 बजे। वहाँ हम विस्तार से बात करेंगे,” मैंने कहा और उसे अपने घर का पता और लोकेशन भेज दिया। “मैं अकेला रहता हूँ, और कल मेरा नौकर छुट्टी पर है।”

“ठीक है सर, मैं आ जाऊँगी,” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा और चली गई।

अगले दिन मैं अपने क्वार्टर में उसका इंतज़ार कर रहा था। मेरे दिमाग में सोनाली का खूबसूरत चेहरा और उसका गदराया हुआ बदन बार-बार घूम रहा था। ठीक 6:30 बजे दरवाजे की घंटी बजी। मैंने दरवाजा खोला तो सामने सोनाली खड़ी थी, एक टाइट ब्लैक टॉप और नीली जींस में। उसका टॉप इतना टाइट था कि उसके स्तन बाहर निकलने को बेताब लग रहे थे। मैंने मुस्कुराकर उसका स्वागत किया और उसे लिविंग रूम में ले गया।

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“बैठो सोनाली, कुछ कोल्ड ड्रिंक लोगे?” मैंने पूछा।

“हाँ सर, ठीक है,” उसने कहा और सोफे पर बैठ गई। मैंने दो ग्लास में कोल्ड ड्रिंक डाली और उसके पास बैठ गया।

“राकेश सर, आपका घर तो बहुत अच्छा है। इतना बड़ा घर, और आप अकेले रहते हैं? कभी अकेलापन नहीं लगता?” उसने ग्लास उठाते हुए पूछा।

“हाँ सोनाली, कभी-कभी तो बहुत अकेलापन लगता है,” मैंने कहा और जानबूझकर उसकी आँखों में देखा। “लेकिन तुम्हारे आने से आज ये घर कुछ भरा-भरा लग रहा है।”

वो हल्का-सा शरमाई और बोली, “सर, आप भी तो बहुत हैंडसम हैं। अभी तक शादी क्यों नहीं की?”

मैं हँसा और बोला, “अरे सोनाली, तुम भी तो इतनी खूबसूरत और जवान हो। कोई बॉयफ्रेंड नहीं बना अभी तक?”

“नहीं सर, मैं इन चक्करों में नहीं पड़ी,” उसने हल्के से हँसते हुए कहा।

“अच्छा? इतनी खूबसूरत लड़की और कोई बॉयफ्रेंड नहीं? ये तो विश्वास नहीं होता,” मैंने मज़ाकिया लहजे में कहा।

“हाँ सर, और आप? आप भी तो अभी सिंगल हैं,” उसने पलटकर पूछ लिया।

हम दोनों हँस पड़े। मैंने धीरे से उसका हाथ पकड़ा और उसे अपनी तरफ खींच लिया। उसने कोई विरोध नहीं किया। मैंने उसके गाल को चूमा, फिर धीरे से उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने भी जवाब में मुझे चूम लिया। मेरे जिस्म में आग-सी लग गई। मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “सोनाली, हम दोनों जवानी की आग में जल रहे हैं। आज इस आग को बुझा देते हैं।”

“हाँ सर, मुझे भी रात-रात भर नींद नहीं आती। ये जवानी मुझे चैन से जीने नहीं देती,” उसने धीमी आवाज़ में कहा। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं।

मैं उसे उठाकर अपने बेडरूम में ले गया। बेडरूम में जाते ही मैंने उसे अपनी बाहों में भर लिया। उसका बदन मेरे बदन से सट गया, और मैं महसूस कर सकता था कि उसका दिल ज़ोर-ज़ोर से धड़क रहा था। मैंने धीरे से उसके टॉप के ऊपर से उसके स्तनों को छुआ। वो इतने मुलायम और भरे-भरे थे कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। मैंने उसका टॉप उतारा, और फिर उसकी काली ब्रा भी खोल दी।

उसके स्तन सामने थे, बिल्कुल बड़े-बड़े संतरे जैसे, रसीले और सख्त। मैंने अपने दोनों हाथों से उन्हें पकड़ा और धीरे-धीरे मसलना शुरू किया। “आह्ह…” सोनाली के मुँह से हल्की-सी सिसकारी निकली। मैंने उसके निप्पल्स को अपनी उंगलियों से सहलाया, फिर एक निप्पल को मुँह में लेकर चूसने लगा। “उम्म… सर… आह्ह…” उसकी सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। मैंने उसके दोनों स्तनों को बारी-बारी चूसा, मसला, और हल्के से काटा। वो चिहुंकी, “सर, धीरे… दर्द हो रहा है।”

“सोनाली, ये दर्द तो बस शुरुआत है,” मैंने हँसते हुए कहा और उसकी गर्दन पर चूमना शुरू किया। उसका बदन गर्म हो रहा था, और वो मेरे हर स्पर्श पर सिहर रही थी। मैंने धीरे-धीरे उसकी जींस का बटन खोला और उसे नीचे सरकाया। उसकी काली पैंटी में उसकी चूत का उभार साफ दिख रहा था। मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, और उसका नंगा बदन मेरे सामने था।

दोस्तो, उसका बदन किसी अप्सरा से कम नहीं था। गोरी त्वचा, गदराया हुआ फिगर, और उसकी चूत… बिल्कुल साफ, गुलाबी, और तंग। लगता था जैसे उसने कल ही इसे साफ किया हो। मैं एकटक उसे देखता रहा। सोनाली शरमाकर बोली, “सर, ऐसे क्या देख रहे हैं?”

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“सोनाली, तुम्हारा बदन तो कमाल का है। मैंने आज तक ऐसी खूबसूरत और कामुक लड़की नहीं देखी,” मैंने कहा और उसे बिस्तर पर लिटा दिया।

“सर, अब आप भी तो अपने कपड़े उतारिए,” उसने शरमाते हुए कहा।

“नहीं मेरी जान, ये काम तुम करो,” मैंने मज़ाक में कहा।

उसने हँसते हुए मेरी शर्ट उतारी, फिर मेरी पैंट। मेरा अंडरवियर अभी भी था। “सर, इसे भी मैं ही उतारूँ?” उसने हिचकिचाते हुए पूछा।

“हाँ, और किसकी हिम्मत है?” मैंने हँसकर कहा।

उसने धीरे से मेरा अंडरवियर नीचे खींचा, और मेरा 7 इंच का सख्त लंड बाहर आ गया। “हाय राम, सर, ये तो बहुत बड़ा है!” उसने हैरानी से कहा और उसे अपनी मुट्ठी में पकड़ा। “ये तो मेरे हाथ में भी पूरा नहीं आ रहा।”

“सोनाली, डरने की कोई बात नहीं। थोड़ा दर्द होगा, लेकिन बाद में मज़ा आएगा,” मैंने उसे हौसला दिया।

वो हल्का-सा डर गई थी, लेकिन मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी चूत को चूमना शुरू किया। “आह्ह… सर… उह्ह…” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत के आसपास चाटना शुरू किया, फिर धीरे से उसकी चूत के छेद में जीभ डाली। उसका स्वाद इतना नशीला था कि मैं रुक ही नहीं पा रहा था। “उम्म… सर… ये क्या कर रहे हैं… आह्ह…” वो मेरे सिर को अपनी चूत पर दबाने लगी।

करीब 10 मिनट तक मैंने उसकी चूत चूसी। उसका बदन काँप रहा था, और अचानक वो ज़ोर से चिल्लाई, “आह्ह… सर… मैं… मैं झड़ रही हूँ!” उसकी चूत से रस निकलने लगा, और मैंने उसे पूरा चाट लिया।

“सोनाली, अब तैयार हो ना?” मैंने पूछा।

“हाँ सर, अब पेल दीजिए… अब बर्दाश्त नहीं हो रहा,” उसने साँस लेते हुए कहा।

मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और अपने लंड का सुपारा उसकी चूत के छेद पर टिकाया। उसने आँखें बंद कर लीं, और उसके बदन में हल्का-सा कंपन था। मैंने धीरे से एक धक्का दिया, और मेरा सुपारा उसकी चूत में घुस गया। “आह्ह… सर… निकालिए… दर्द हो रहा है!” वो चीख पड़ी।

मैं रुक गया और उसके होंठ चूमने लगा। “सोनाली, थोड़ा दर्द होगा, लेकिन सब ठीक हो जाएगा,” मैंने कहा और धीरे-धीरे अपने लंड को और अंदर पेला। “उह्ह… सर… फट गई मेरी चूत!” उसने चीखते हुए कहा। मैंने देखा, उसकी चूत से हल्का-सा खून निकल रहा था।

“सोनाली, ये नॉर्मल है। तुम्हारी सील टूटी है,” मैंने उसे शांत करते हुए कहा। मैंने रुमाल उसके मुँह में डाला ताकि उसकी चीख बाहर न जाए, और फिर एक ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “आह्ह… उह्ह… सर… मार डाला!” वो रोने लगी।

मैंने उसे चूमकर शांत किया और धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। “पच… पच…” मेरे लंड और उसकी चूत के टकराने की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। कुछ देर बाद सोनाली को भी मज़ा आने लगा। “आह्ह… सर… और ज़ोर से… उह्ह…” वो नीचे से अपनी गांड उछालने लगी।

“सोनाली, मज़ा आ रहा है ना?” मैंने पूछा।

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“हाँ सर… बहुत मज़ा आ रहा है… और ज़ोर से चोदिए… फाड़ दीजिए मेरी चूत!” उसने कामुक आवाज़ में कहा।

मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। “पच… पच… पच…” हम दोनों की साँसें तेज़ थीं। मैंने उसके स्तनों को मसला, उसके निप्पल्स को चूसा, और उसे और ज़ोर से पेला। “आह्ह… उह्ह… सर… और अंदर… हाय… मज़ा आ गया!” वो चिल्ला रही थी।

करीब 25 मिनट की ज़ोरदार चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैंने अपना लंड बाहर निकाला तो देखा कि चादर पर खून और उसकी चूत का रस फैला हुआ था। मेरा लंड भी खून से सना था। हम दोनों बाथरूम गए, नहाए, और खुद को साफ किया। फिर बिस्तर पर लेट गए।

सुबह मैं जल्दी उठा। मेरा लंड फिर से तन गया था। मैंने उसे सोनाली के मुँह पर रखा। वो जाग गई और बोली, “सर, अभी दर्द हो रहा है। आपका लंड बहुत बड़ा है, मेरी चूत सूज गई है।”

“सोनाली, बस एक बार और,” मैंने ज़िद की।

वो हिचकिचाई, लेकिन फिर मान गई। इस बार मैंने उसे डॉगी स्टाइल में चोदा। “पच… पच…” उसकी गांड मेरे धक्कों से थरथरा रही थी। “आह्ह… सर… धीरे… उह्ह…” वो सिसकार रही थी। मैंने उसके बाल पकड़े और और ज़ोर से पेला। “हाय… सर… फाड़ दी आपने!” वो चिल्लाई।

15 मिनट बाद हम फिर से झड़ गए। नहाने के बाद हम नाश्ता करने बैठे। सोनाली ने पूछा, “सर, आपने पहले कितनी लड़कियों की सील तोड़ी है?”

मैंने सोचा, झूठ बोलना ठीक नहीं। “सोनाली, 20 से 25 की उम्र में मैंने 5 लड़कियों की सील तोड़ी थी। लेकिन अब ये सब छोड़ दिया।”

“अच्छा? तो आप तो बड़े रंगीले निकले, सर!” उसने हँसते हुए कहा। “वो लड़कियाँ भी मेरी तरह चिल्लाई होंगी?”

मैं हँसा, “सोनाली, तुम खुद समझ लो।”

वो बोली, “सर, मेरी चूत और स्तन अभी भी दर्द कर रहे हैं। चलने में भी तकलीफ हो रही है।”

मैंने उसे गर्म पानी से सिकाई करने को कहा। बाद में उसने बताया कि उसकी सूजन 10 दिन तक रही।

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