Mother Son Sex Story मेरा नाम सुरेश है, उम्र 42 साल, मुंबई का रहने वाला हूँ। मैं एक मध्यमवर्गीय परिवार से हूँ, साधारण कद-काठी का आदमी, गेहुँआ रंग और थोड़ा मोटा। मेरी पत्नी कविता, 37 साल की, 5 फीट 5 इंच लंबी, गोरी-चिट्टी, 36-32-36 का फिगर, लंबे काले बाल, और चेहरा ऐसा कि देखने वाला ठहर जाए। वो हमेशा साड़ी पहनती है, नाभि से 3-4 इंच नीचे बाँधती है, ताकि उसकी गहरी नाभि और गोरा पेट सबको दिखे। उसे अपनी नाभि दिखाने में मज़ा आता है, और मुझे भी। हमारी शादी को 20 साल हो गए, लेकिन कविता की जवानी अभी भी वैसी ही है, जैसे पहली बार देखा था। हमारा बेटा विनोद, 19 साल का, कॉलेज स्टूडेंट, लंबा, दुबला-पतला, और थोड़ा शर्मीला, लेकिन दिमाग बहुत तेज। हमारा दूसरा बेटा अपनी साली के पास रहता है, तो घर में सिर्फ मैं, कविता, विनोद, और मेरे माता-पिता, नारायण (65 साल) और सुदेशना (60 साल) रहते हैं।
ये कहानी मेरे बेटे विनोद की है, जिसने अपनी माँ कविता को अपने दोस्त मुकेश के पिता रोहित से चुदवाने का प्लान बनाया। और ये सब मेरे और पूरे परिवार के सामने हुआ। मुझे गर्व है कि विनोद ने हमें ये मज़ा दिया। रोहित, 48 साल का, 6 फीट लंबा, काला, गंजा, और थोड़ा भद्दा-सा दिखने वाला आदमी, लेकिन उसमें एक अजीब-सी ताकत थी, जो कविता को देखकर और बढ़ गई।
बात शुरू हुई एक रात, जब विनोद ने सपना देखा। सपने में उसने अपनी माँ कविता को रोहित के साथ चुदाई करते देखा। मैं, मेरे माता-पिता, और पूरा परिवार मज़े ले रहा था। कविता की चीखें, उसकी नंगी देह, और रोहित का काला, मोटा लंड उसकी चूत में अंदर-बाहर होता हुआ—ये सब विनोद के दिमाग में छा गया। सुबह उठते ही उसका लंड टाइट था, पूरा शरीर पसीने से भीगा हुआ। उसने अपने लंड को हाथ में लिया और कविता के नाम की मुठ मारी। फिर कॉलेज चला गया।
कॉलेज में विनोद ने अपने दोस्त मुकेश को ये सपना बताया। मुकेश, 19 साल का, विनोद का जिगरी दोस्त, थोड़ा चालाक और मस्तमौला। विनोद ने कहा, “यार, मैंने सपना देखा कि तेरे डैड मेरी मम्मी को चोद रहे थे, और मेरे डैड, दादा-दादी सब मज़े ले रहे थे।” मुकेश चौंका, फिर हँस पड़ा। बोला, “सच में? मेरी माँ के गुज़रने के बाद डैड ने दूसरी शादी नहीं की। वो अकेले मुठ मारते हैं। और यार, तेरी मम्मी तो माल है! लेकिन ये कैसे होगा? मेरे डैड काले, गंजे, और 48 के हैं। तेरी मम्मी गोरी-चिट्टी, सेक्सी, वो क्यों मानेगी?”
विनोद ने मुकेश को आँख मारकर कहा, “तू फिकर मत कर, मैं प्लान बनाता हूँ। बस तू मेरे साथ चल।” मुकेश ने पूछा, “अगर तेरी मम्मी ने मना कर दिया तो?” विनोद ने हँसते हुए कहा, “तो जबरदस्ती चुदवाएँगे। तेरे डैड का काला लंड मेरी मम्मी की गुलाबी चूत में जरूर घुसेगा।” दोनों हँस पड़े और प्लान बनाने लगे।
मुकेश ने अपने डैड रोहित को एक दिन मुठ मारते पकड़ लिया। रोहित शर्मिंदा हो गया। मुकेश ने कहा, “डैड, कब तक मुठ मारोगे? कोई औरत पटा लो।” रोहित ने उदास स्वर में कहा, “बेटा, 48 की उम्र में, काला, गंजा, कौन मुझसे पटेगी?” मुकेश ने मौका देखकर कविता की तस्वीर दिखाई—नीली साड़ी में, नाभि चमकती हुई, गोरा पेट और गहरी नाभि। रोहित का मुँह खुला रह गया। बोला, “ये तो कोई अप्सरा है! लेकिन इसका पति, बेटा, क्या कहेंगे?” मुकेश ने कहा, “डैड, ये आइडिया विनोद का ही है।” रोहित चौंका, फिर मुकेश ने सारी बात बताई। रोहित तैयार हो गया और बोला, “बेटा, विनोद को बुला, उससे बात करता हूँ।”
विनोद रोहित के घर पहुँचा। रोहित ने पूछा, “बेटा, तू अपनी मम्मी को मुझसे क्यों चुदवाना चाहता है?” विनोद ने कहा, “अंकल, मेरी मम्मी जैसी रंडी को आप जैसा सांड चाहिए। मुझे बस उसे चुदते देखना है। मेरे डैड को मैं मना लूँगा।” रोहित हँस पड़ा, बोला, “ठीक है, बेटा। तेरी मम्मी को मैं अपनी रंडी बनाऊँगा। चाहे बाजार में नंगी करूँ, मुझे कोई परवाह नहीं।” विनोद ने कविता की तस्वीरें दिखाईं। एक तस्वीर में कविता ने टाइट जीन्स पहनी थी, उसकी गोल गांड उभरी हुई। रोहित का लंड खड़ा हो गया। बोला, “विनोद, इसकी गांड तो कुंवारी है ना?” विनोद ने कहा, “हाँ, अंकल। मेरे डैड ने कभी नहीं मारी। आप फाड़ देना।” दोनों हँस पड़े।
विनोद घर लौटा और मुझे मनाने की कोशिश की। मैं पहले माना नहीं। बोला, “विनोद, ये क्या पागलपन है? तेरी माँ को दूसरा मर्द चोदे?” लेकिन विनोद ने मुझे सपने की बात बताई, और मेरे मन में भी कहीं न कहीं ये इच्छा थी। मैंने कहा, “ठीक है, बेटा। रोहित को बुला, देखता हूँ।” विनोद ने मुकेश को फोन किया और रोहित को बाजार भेजा, जहाँ कविता शॉपिंग कर रही थी। रोहित ने कविता को पीछे से गांड पर चटका मारा, नाभि में उंगली डाली, और गाल पर चूमा। कविता चौंकी, लेकिन चुप रही। विनोद ने मुझे बताया तो मैं हँस पड़ा। बोला, “ये तो काला सांड है। कविता को फाड़ देगा।”
अगले दिन रोहित मेरे घर आया। मैं, विनोद, और मुकेश बैठे थे। दीवार पर कविता की तस्वीर लगी थी—सफेद साड़ी में, नाभि चमकती हुई। मैंने कहा, “रोहित, मेरी बीवी गरम माल है। लेकिन पहले उसे पटा।” रोहित बोला, “सुरेश जी, उसकी गांड की खुजली मैं उतार दूँगा।” मैंने हँसकर कहा, “उसकी गांड कुंवारी है। फाड़ देना।” रोहित ने कहा, “उसके मुँह में भी लंड डालूँगा, पानी पिलाऊँगा।” हम सब हँस पड़े। विनोद बोला, “डैड, मुझे मम्मी की चुदाई देखने में मज़ा आएगा।” मैंने कहा, “बेटा, तूने तो कमाल कर दिया।”
अगले दिन विनोद ने कविता को बताया कि मुकेश और उसका डैड आएँगे। कविता ने सफेद साड़ी पहनी, नाभि 4 इंच नीचे, बिना बाँह का ब्लाउज, एक बूब्स हल्का-सा दिखता हुआ। होंठों पर गुलाबी लिपस्टिक, आँखों में काजल। रोहित और मुकेश आए। कविता ने चाय-नाश्ता दिया। रोहित ने मुझसे धीरे से कहा, “सुरेश, तेरी चिकनी चमेली कहाँ है?” मैंने हँसकर कहा, “किचन में तेरे लिए माल तैयार कर रही है।” कविता बाहर आई, रोहित की आँखें फटी रह गईं। उसने माफी माँगी, “कविता जी, मैंने मॉल में बदतमीजी की, माफ कर दो।” मेरे माता-पिता ने कहा, “माफ कर दे, बहू।” कविता ने कहा, “ठीक है, रोहित जी।”
रोहित ने कहा, “मुझे कविता डार्लिंग कहो।” मैंने कहा, “हाँ, कविता। अब ये तेरा दोस्त है।” विनोद ने कहा, “मम्मी, अंकल से गले मिलो।” कविता हिचकिचाई, लेकिन रोहित ने उसे बाहों में भर लिया, गाल पर चूमा। कविता शरमा गई। विनोद ने कहा, “मम्मी, अब आप अंकल को किस करो।” कविता ने मना किया, लेकिन सबके कहने पर रोहित के होंठ चूम लिए। रोहित ने उसकी नाभि में उंगली डाली, कविता शरम से लाल हो गई।
अगली सुबह रोहित फिर आया। कविता ने टाइट नीली जीन्स और काला स्लीवलेस टॉप पहना था। उसकी गांड जीन्स में उभरी हुई, बूब्स टॉप में कसे हुए। रोहित ने उसे देखते ही बाहों में भर लिया। कविता इस बार खुलकर लिपट गई, दोनों चूमने लगे। रोहित ने पूछा, “कविता, मेरी बीवी बनोगी?” कविता ने कहा, “सुरेश का क्या होगा?” मैंने कहा, “तू नाम की बीवी मेरी रहेगी, असल में रोहित की। वो तुझे जब चाहे चोदेगा, नंगी करेगा।” विनोद बोला, “मम्मी, अंकल आपको हमारे सामने चोद सकते हैं।” कविता ने शरमाते हुए कहा, “ठीक है, बेटा। मुझे कोई ऐतराज नहीं।”
रोहित ने कविता को नंगा करना शुरू किया। पहले उसकी साड़ी खींची, फिर ब्लाउज के बटन खोले। कविता की गोरी चमड़ी चमक रही थी। उसने सफेद ब्रा और पैंटी पहनी थी। रोहित ने ब्रा खींचकर फाड़ दी, कविता के 36 इंच के बूब्स उछल पड़े। निप्पल गुलाबी, कड़क। रोहित ने एक निप्पल मुँह में लिया, चूसने लगा। कविता सिसकारी, “उम्म्म… रोहित… धीरे…” रोहित ने पैंटी भी उतार दी। कविता की गुलाबी चूत, हल्के बालों वाली, चमक रही थी। रोहित ने अपनी पैंट उतारी, 10 इंच का काला, मोटा लंड बाहर आया। कविता की आँखें फटी रह गईं।
रोहित ने कविता को सोफे पर लिटाया, उसका लंड चूसने को कहा। कविता ने हिचकते हुए लंड मुँह में लिया, धीरे-धीरे चूसने लगी। “उम्म… आह्ह…” रोहित सिसकार रहा था। कविता की जीभ लंड के सुपाड़े पर घूम रही थी। मैंने कहा, “रोहित, ये रंडी मेरा लंड कभी नहीं चूसी।” कविता ने लंड निकाला, बोली, “मैं सिर्फ असली मर्द का लंड चूसती हूँ।” सब हँस पड़े। मेरे पिता नारायण बोले, “सुरेश, ये तुझे नामर्द कह रही है।” मैंने कहा, “रोहित, इसकी चूत और गांड फाड़ दे।”
रोहित ने कविता को पेट के बल लिटाया, उसकी चूत पर लंड रगड़ा। कविता सिसकारी, “उई… रोहित… धीरे… मेरी चूत…” रोहित ने एक झटके में लंड अंदर पेल दिया। “आआह्ह… मर गई… मेरी चूत फट गई… उईईई…” कविता चिल्लाई। रोहित ने धक्के शुरू किए, “फच-फच” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। कविता की चूत गीली हो चुकी थी। रोहित का लंड उसकी बच्चेदानी तक जा रहा था। कविता चिल्ला रही थी, “आह्ह… उई… रोहित… मेरी चूत… ओह्ह…” मेरी माँ सुदेशना बोली, “रंडी, आज तुझे असली मर्द मिला।” कविता ने विनोद की ओर देखा, “बेटा… थैंक यू… आह्ह… इस मर्द के लिए…”
रोहित ने 20 मिनट तक कविता की चूत ठोकी। हर धक्के के साथ कविता की सिसकारियाँ बढ़ रही थीं, “उम्म… आह्ह… और जोर से… ओह्ह…” आखिरकार रोहित ने उसकी चूत में वीर्य की पिचकारी मार दी। कविता तड़प रही थी, “आह्ह… गर्म… ओह्ह…” दोनों थककर सोफे पर लेट गए। कविता की चूत से वीर्य टपक रहा था, थोड़ा खून भी।
रोहित ने कविता को डोगी स्टाइल में बैठाया। उसकी गांड गोल, गोरी, चमक रही थी। रोहित ने लंड पर थूक लगाया, कविता की गांड के छेद पर रगड़ा। कविता डर गई, “रोहित… नहीं… मेरी गांड फट जाएगी…” रोहित ने कहा, “छम्मक छल्लो, अब तेरी गांड की बारी है।” उसने सुपाड़ा अंदर डाला, कविता चिल्लाई, “उईई… मम्मी… मर गई… बाहर निकालो…” रोहित ने और जोर से पेला, “फटाक” की आवाज़ के साथ लंड अंदर गया। कविता की आँखें सफेद हो गईं, “आआह्ह… मेरी गांड… उईई… भगवान…” मैंने कहा, “रोहित, फाड़ दे इस रंडी की गांड।” मेरी माँ बोली, “हाँ, बेटा। इस छिनाल को सजा दे।”
रोहित ने कविता की गांड पर चटका मारा, “सटाक!” कविता चिल्लाई, “हरामी… मार मत…” रोहित ने हँसकर कहा, “रंडी, हिला अपनी गांड।” कविता ने दर्द से गांड हिलाई, “उई… आह्ह…” रोहित का लंड अंदर-बाहर हो रहा था, “फच-फच” की आवाज़ गूँज रही थी। विनोद ने कविता के बूब्स दबाए, “मम्मी, और हिलाओ।” कविता बोली, “हिला रही हूँ… उई… मेरी गांड…” रोहित ने 15 मिनट तक उसकी गांड मारी। आखिरकार उसकी गांड से खून टपकने लगा, सील टूट चुकी थी। रोहित ने वीर्य अंदर छोड़ा, कविता चिल्लाई, “आआह्ह… मेरी गांड… ओह्ह…”
दोनों थककर लेट गए। आधे घंटे बाद कविता उठी, ताजा महसूस कर रही थी। मुकेश ने भी कविता को चोदा, फिर रोहित और मुकेश ने मिलकर उसकी चुदाई की। कविता की गांड और चूत लाल हो चुकी थीं। बाद में कविता ने साड़ी पहनी, और सब मंदिर गए। वहाँ रोहित ने कविता से शादी की। कविता ने एक एग्रीमेंट पर साइन किया, जिसमें लिखा था कि वो रोहित की बीवी है और उसकी मर्ज़ी से किसी से भी चुदेगी। कविता ने हँसकर कहा, “तो मुझे पूरी रंडी बनाओगे?” मैंने कहा, “हाँ, अब तू रोहित की गुलाम है।”
क्या आपको लगता है कि कविता को रोहित की रंडी बनना चाहिए था, या उसे सुरेश के साथ रहना चाहिए था? अपनी राय कमेंट में बताएँ।