पड़ोसन दीदी को चोदा

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Padosan ke sath sex मेरा नाम गुरमीत है, दिल्ली का रहने वाला हूँ, और लोग मुझे प्यार से गुरु बुलाते हैं। ये मेरी पहली कहानी है, जिसमें मैं बताऊँगा कि कैसे मैंने अपनी पड़ोसन दीदी प्रीति को चोदा। पहले मैं अपने बारे में थोड़ा बता दूँ। मैं बीए फर्स्ट ईयर में हूँ, मेरी हाइट 6 फीट 2 इंच है, दिखने में ठीक-ठाक हूँ, और मेरा लंड 7 इंच का है, जो हर लड़की की ख्वाहिश होता है। अब मैं प्रीति दीदी के बारे में बताता हूँ। वो बीकॉम थर्ड ईयर में हैं, और उनकी फिगर 36-30-38 है। उनकी भारी-भारी चूचियाँ और मस्त गाण्ड देखकर कोई भी पागल हो जाए। उनके कसे हुए सूट में से चूचियाँ ऐसी लगती थीं जैसे अभी उछलकर बाहर आ जाएँगी, और उनकी गाण्ड इतनी मस्त थी कि बस मन करता था कि लंड डाल दूँ।

मैं शुरू से ही दीदी को लाइन मारता था। जब वो सुबह अपने कमरे में झाड़ू-पोछा करती थीं, तो मैं अपनी बालकनी से उनकी चूचियों को घूरता रहता था। फिर टॉयलेट में जाकर मुठ मारकर शांत होना पड़ता था। मैं हमेशा से उन्हें चोदना चाहता था। इसीलिए उनके घर आता-जाता रहता था। कभी-कभी मस्ती में उनके चूचों को दबा देता था, लेकिन उन्होंने कभी गौर नहीं किया। मैं हमेशा यही प्लान करता रहता था कि कैसे उनकी चूत मारूँ।

फिर एक दिन मुझे मौका मिल ही गया। हमारी गली में किसी की शादी थी, और सभी को इनवाइट किया गया था। प्रीति दीदी को भी उनके परिवार के साथ बुलाया गया था, लेकिन उन्होंने एग्जाम की तैयारी का बहाना बनाकर जाने से मना कर दिया। जब मुझे ये पता चला, तो मैंने भी एग्जाम का बहाना बनाकर मना कर दिया। मम्मी ने कहा, “जब तक हम वापस न आएँ, तुम सामने दीदी के साथ बैठकर पढ़ाई करना, और खाना भी वही खा लेना। मैंने प्रीति की मम्मी से बात कर ली है।” ये सुनकर मैं तो जैसे पागल हो गया। मेरी तो लॉटरी लग गई थी। आखिरकार मैं और दीदी अकेले रहने वाले थे।

मैं मम्मी-पापा के जाने का इंतज़ार करने लगा। थोड़ी देर बाद मेरे और दीदी के मम्मी-पापा एक ही कार में शादी में चले गए। शादी रात की थी, तो मुझे पता था कि देर से लौटेंगे। मैं तुरंत दीदी के घर चला गया। दीदी ने दरवाजा खोला, और यार, क्या लग रही थीं वो! उन्होंने टाइट टॉप और जीन्स पहनी थी। टॉप इतना टाइट था कि उनकी चूचियाँ जैसे फटने को तैयार थीं। मन कर रहा था कि टॉप फाड़कर उनकी चूचियों को आज़ाद कर दूँ। उनकी गाण्ड जीन्स में एकदम उभरी हुई थी, जैसे मुझे बुला रही हो।

दीदी ने मुझे अंदर बुलाया। मैं अंदर जाकर टीवी ऑन कर लिया और सोचने लगा कि अब क्या करूँ। तभी दीदी मेरे लिए कोल्ड ड्रिंक और चिप्स ले आईं। हमने साथ बैठकर कोल्ड ड्रिंक पी और चिप्स खाए। फिर दीदी ने कहा, “गुरु, चलो पढ़ाई करो।” मैंने मना कर दिया और बोला, “दीदी, आज हम बस बातें करेंगे। एग्जाम तो अगले महीने से हैं। मम्मी-पापा के आने के बाद पढ़ लेंगे।” काफी मान-मनौव्वल के बाद दीदी मान गईं।

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तभी मुझे टॉयलेट जाना पड़ा। मैं बाथरूम में गया, तो वहाँ दीदी की पैंटी लटकी हुई थी। मैंने वो पैंटी उठाई और अपने लंड पर रगड़ने लगा। मुठ मारते हुए मैंने सारा माल उस पैंटी पर गिरा दिया। फिर मैं बाहर आया और दीदी के साथ बैठकर बातें करने लगा। हम मस्ती-मज़ाक करने लगे। मैंने कई बार उनके चूचों पर हाथ फेरा, लेकिन उन्होंने कुछ नोटिस नहीं किया। मैं उन्हें देख-देखकर पागल होता जा रहा था।

तभी दीदी ने कहा, “बहुत गर्मी हो रही है, मैं नहाने जा रही हूँ। मैं रोज़ रात को नहाती हूँ।” वो बाथरूम चली गईं। तभी मुझे याद आया कि मैंने तो उनकी पैंटी में माल गिराया था। मेरी तो जान निकलने लगी। मैं सोचने लगा कि अगर दीदी ने पैंटी देख ली, तो सब पता चल जाएगा। कहीं वो मेरे घर न बता दें। मैं बाहर बैठा यही सोच रहा था कि तभी बाथरूम के सामने वाले कमरे से आवाज़ आई। मैं देखने गया कि वहाँ कौन है।

वहाँ दीदी सिर्फ़ एक तौलिये में थीं, कुछ ढूँढ रही थीं। मैं समझ गया कि वो दूसरी पैंटी ढूँढ रही हैं। नहाने के बाद उनके गीले बाल खुले हुए थे, और वो तौलिये में इतनी सेक्सी लग रही थीं कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया। उनकी पीठ मेरी तरफ थी। मैं बस उन्हें देखता रहा। फिर मैंने पूछा, “दीदी, क्या हुआ?” वो मुझे देखकर डर गईं और बोलीं, “तुम यहाँ क्या कर रहे हो? टीवी रूम में जाओ, मैं कपड़े पहनकर आती हूँ।” मैंने कहा, “दीदी, आप क्या ढूँढ रही हैं?” उन्होंने कहा, “तुम रूम में जाओ।”

जैसे ही मैं जाने वाला था, दीदी ने वो पैंटी उठाई, जिस पर मैंने माल गिराया था। उन्होंने मेरी तरफ देखकर हल्की सी स्माइल दी। मैं समझ गया कि उन्हें सब पता चल गया है। वो बाथरूम जाने वाली थीं कि तभी उनका तौलिया दरवाज़े के लॉक में फंस गया और खुल गया। दीदी मेरे सामने एकदम नंगी खड़ी थीं। मेरी आँखें फटी की फटी रह गईं। उनकी चूचियाँ, जिन्हें मैं हमेशा मसलना और चूसना चाहता था, मेरे सामने थीं। उनकी चूत एकदम साफ थी, शेव की हुई। मेरा लंड तो पैंट में तंबू बन गया।

मैंने हिम्मत की और कमरे को अंदर से लॉक कर दिया। दीदी ने तौलिया उठाया और बोलीं, “गुरु, ये क्या कर रहे हो?” मैंने उनके तौलिये को खींच लिया और उन्हें अपनी बाहों में दबा लिया। उन्होंने मुझे धक्का दिया और बोलीं, “ये क्या कर रहे हो? ये गलत है, तुम यहाँ से चले जाओ।” लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और उन्हें चूमने लगा। पहले तो वो मना करती रहीं, लेकिन थोड़ी देर बाद वो भी मेरे होंठ चूसने लगीं। हम दोनों एक-दूसरे की जीभ चूस रहे थे। दीदी मेरे साथ नंगी लिपटी हुई थीं। उन्होंने मेरे होंठों को हल्का सा काटा, और मुझे मज़ा आ गया।

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थोड़ी देर बाद जब हम अलग हुए, तो दीदी ने फिर कहा, “गुरु, ये गलत है। तुम मेरे छोटे भाई जैसे हो।” मैंने कहा, “दीदी, भाई होने के नाते मेरा फर्ज़ है कि मैं आपको हमेशा खुश रखूँ।” मैंने उन्हें बेड पर लिटा दिया और अपने सारे कपड़े उतार दिए। मेरा 7 इंच का लंड एकदम खड़ा था। दीदी मना करने लगीं, “प्लीज़, ऐसा मत करो, मैं तुम्हारी दीदी हूँ।” लेकिन मैंने उनकी एक न सुनी। मैं उनके ऊपर लेट गया और उनकी चूचियों को ज़ोर-ज़ोर से मसलने लगा। एक चूची मेरे मुँह में थी, और दूसरी को मैं ज़ोर से दबा रहा था। दीदी के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आआह्ह… गुरु… प्लीज़…”

मैंने अपना एक हाथ उनकी चूत पर रखा और फिंगरिंग शुरू कर दी। उनकी चूत एकदम गीली थी। वो सिसकारियाँ लेने लगीं, “आआह्ह… गुरु… प्लीज़ रुको… मुझे बर्दाश्त नहीं हो रहा…” मैंने उनकी चूत पर मुँह रखा और जीभ अंदर डाल दी। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि लगता था अभी तक किसी ने नहीं चोदा। जैसे ही मैंने जीभ अंदर डाली, वो उछल पड़ीं और चिल्लाईं, “आआह्ह… गुरु… ये क्या कर रहे हो… मैं पागल हो जाऊँगी…” उनकी सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं, “आआह्ह… मम्मी… मैं मर गई…”

थोड़ी देर बाद दीदी ज़ोर से चीखीं और झड़ गईं। उनका पूरा बदन काँप रहा था। मैंने अपना लंड उनके मुँह के सामने रखा और चूसने को कहा। पहले तो उन्होंने मना किया, लेकिन मेरे ज़ोर देने पर वो मान गईं। जैसे ही उन्होंने मेरा लंड मुँह में लिया, मुझे जन्नत का मज़ा आ गया। वो बड़े प्यार से मेरे लंड को चाट रही थीं, जीभ से चूस रही थीं। मैं तो पागल हो गया।

फिर मैंने दीदी को बेड पर सीधा लिटाया और उनकी गाण्ड के नीचे तकिया रख दिया। उनकी टाँगों के बीच बैठकर मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। वो पागल हो रही थीं, “गुरु, प्लीज़… ऐसा मत करो… मुझे बहुत दर्द होगा… तुम्हारा बहुत बड़ा है…” मैंने उनकी एक न सुनी। मैंने तेल लिया और उनकी चूत और अपने लंड पर लगाया, ताकि आसानी से अंदर जाए। फिर मैंने लंड उनकी चूत के छेद पर रखा और एक ज़ोर का झटका मारा। दीदी ज़ोर से चिल्लाईं, “आआह्ह… मम्मी… मर गई…” मैंने उन्हें स्मूच करना शुरू किया, ताकि उनकी आवाज़ बाहर न जाए।

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मेरा आधा लंड अंदर गया था, और दीदी रोने लगीं, “प्लीज़… इसे निकाल दो… मैं मर जाऊँगी…” उनकी चूत से खून निकलने लगा। वो डर गईं। मैंने उनकी चूचियाँ दबाना और चूसना शुरू किया। मैं उनका पूरा बदन चाटने लगा। वो फिर से गर्म हो गईं। मैंने दोबारा स्मूच करते हुए एक ज़ोर का झटका मारा। मेरा पूरा लंड उनकी चूत में चला गया। वो उछल पड़ीं और रोने लगीं। मैंने लंड को थोड़ा रुकने दिया। जब उनका दर्द कम हुआ, तो मैंने धीरे-धीरे झटके मारना शुरू किया।

थोड़ी देर बाद दीदी को भी मज़ा आने लगा। वो अपनी गाण्ड उठा-उठाकर मुझसे चुदने लगीं। पूरा कमरा हमारी चीखों और सिसकारियों से गूँज रहा था। “आआह्ह… गुरु… चोदो मुझे… हाँ… और ज़ोर से… आआह्ह… मेरी चूत फाड़ दो…” दीदी चिल्ला रही थीं। मैंने झटके और तेज़ कर दिए। वो भी अपनी गाण्ड ज़ोर-ज़ोर से हिला रही थीं। “आआह्ह… गुरु… आई लव यू… चोदो… और ज़ोर से…”

जब मैं झड़ने वाला था, तो मैंने और तेज़ झटके मारे। दीदी भी झड़ने वाली थीं। “आआह्ह… गुरु… मैं गई… आआह्ह…” हम दोनों एक साथ झड़ गए। पूरा कमरा हमारी सिसकारियों और चुदाई की आवाज़ों से भरा हुआ था। कच-कच… फच-फच… की आवाज़ें गूँज रही थीं।

काफी देर तक हम दोनों वैसे ही लेटे रहे। फिर हम साथ में नहाने गए। मैंने दीदी की चूत साफ की, और दीदी ने मेरा लंड साफ किया। दीदी बहुत खुश लग रही थीं। इसके एक घंटे बाद हमारे मम्मी-पापा आ गए। मैं अपने घर चला गया। सच में, वो दिन मेरी ज़िंदगी का सबसे मज़ेदार दिन था। मैं उस दिन को कभी नहीं भूल सकता। फिर मैं सो गया।

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