Desi milf fuck sex story – मेरा नाम आकाश है। मैं 20 साल का हूँ, कॉलेज में पढ़ता हूँ, और अपने मोहल्ले में एक छोटे से घर में रहता हूँ। मेरी हाइट 5 फुट 8 इंच है, और मेरा लंड 7 इंच लंबा और 3 इंच मोटा है। इसका सुपारा गुलाबी और चमकदार है, और नसें ऐसी उभरी हुई हैं कि देखकर किसी भी औरत का दिल धड़क जाए। मैं जिम जाता हूँ, तो मेरा बदन गठीला है, और कॉलेज में लड़कियाँ मुझे घूरती रहती हैं। लेकिन मेरी नजर हमेशा अपने पड़ोस की शालिनी आंटी पर थी। आंटी 32 साल की थीं, लेकिन उनका बदन ऐसा था कि 25 की लड़की भी फेल हो जाए। उनका फिगर 36-28-38 का था—बड़े, गोल बूब्स, पतली कमर, और भारी चूतड़ जो साड़ी में हिलते थे तो दिल में आग लग जाती थी। उनकी गोरी चमड़ी, काले लहराते बाल, और काली आँखें किसी को भी दीवाना बना दें। उनके पति को गुजरे 4 साल हो चुके थे। उनके तीन बच्चे थे—रिया, 18 साल की, जो कॉलेज में थी, और दो बेटे, विकास (16) और राहुल (14), जो स्कूल में पढ़ते थे।
एक दिन मेरे घरवाले किसी रिश्तेदार के यहाँ गए। मेरे एग्जाम थे, तो मैं रुक गया। मम्मी ने कहा, “आकाश, दो दिन तक शालिनी आंटी के घर खाना खा लेना।” मैंने हामी भरी और शाम को आंटी के घर चला गया। आंटी ने उस दिन सफेद रंग का सूट पहना था, जो पसीने और कपड़े धोने की वजह से गीला था। उनका सूट उनके बदन से चिपक रहा था, और काली ब्रा साफ दिख रही थी। उनकी पैंटी का उभार भी हल्का-हल्का नजर आ रहा था। जब वो रसोई में काम कर रही थीं, तो झुकने पर उनके बूब्स का गहरा क्लीवेज दिखा। उनके गुलाबी-भूरे निप्पल ब्रा के ऊपर से हल्के से उभर रहे थे। मैंने पहले तो नजरें हटाईं, लेकिन बार-बार मेरी आँखें उनकी छाती पर चली जाती थीं। आंटी ने मुझे देखा और हल्का सा मुस्कुराईं, जैसे कुछ समझ गई हों।
पहले दिन मैंने ज्यादा ध्यान नहीं दिया। लेकिन अगले कुछ दिनों में मैंने देखा कि आंटी मेरे साथ कुछ ज्यादा ही खुलकर बात करती थीं। वो कभी मेरे कंधे पर हाथ रख देतीं, तो कभी मेरे लिए खास तौर पर पूरियाँ बनातीं। एक दिन वो नीली साड़ी में थीं, और जब वो झुकीं तो उनका पल्लू सरक गया। उनके बूब्स का आधा हिस्सा साफ दिखा—गोरे, मुलायम, और इतने रसीले कि मेरा लंड पैंट में तन गया। मैंने सोचा, आंटी को भी तो सेक्स की जरूरत होगी। 4 साल से वो अकेली हैं, और इतनी कम उम्र में उनका मन तो करता ही होगा। मैं उनके साथ और वक्त बिताने लगा। हम देर तक बातें करते, और वो मेरे कॉलेज की बातों पर हँसतीं। उनकी हँसी में एक अजीब सी मिठास थी, जो मुझे और करीब खींच रही थी।
एक रात, करीब 10:30 बजे, मैं उनके घर गया। बच्चे भूख से परेशान थे, क्योंकि आंटी को उस दिन कमर में चोट लग गई थी। वो दर्द से कराह रही थीं। मैंने बाहर से खाना मँगवाया—पिज्जा और कोल्ड ड्रिंक। बच्चे खाकर सो गए। मैंने आंटी से पूछा, “आंटी, आपको ज्यादा दर्द है क्या?” वो बोलीं, “हाँ, आकाश, बहुत तेज दर्द है। दवा लगाई, लेकिन आराम नहीं मिला।” उनकी आवाज में दर्द साफ झलक रहा था। मैंने कहा, “आप पेट के बल लेट जाइए, मैं आयोडेक्स से मलिश कर देता हूँ।” वो पहले मना करने लगीं, बोलीं, “नहीं, रहने दे। ठीक हो जाएगा।” लेकिन मैंने जिद की, “आंटी, ऐसे नहीं ठीक होगा। चलिए, दूसरे कमरे में।”
रात के 11:30 बज रहे थे। बच्चे गहरी नींद में थे। आंटी ने काले रंग का ढीला सलवार-कुर्ता पहना था। वो बेड पर पेट के बल लेट गईं। मैंने धीरे से उनका कुर्ता पीठ तक उठाया। उनकी गोरी, चिकनी कमर मेरे सामने थी, जैसे कोई मखमली चादर बिछी हो। मैंने आयोडेक्स लिया और उनकी कमर पर लगाने लगा। मेरे हाथ उनकी त्वचा पर फिसल रहे थे। उनकी पीठ इतनी मुलायम थी कि मेरा लंड पैंट में सख्त हो गया। मैंने धीरे-धीरे मलिश शुरू की, और मेरी उंगलियाँ उनकी कमर के हर हिस्से को छू रही थीं। “आआह… आकाश, थोड़ा धीरे,” आंटी ने हल्की सी सिसकारी भरी। उनकी आवाज में दर्द के साथ कुछ और भी था—शायद एक छुपी हुई उत्तेजना।
कुछ देर बाद आंटी बोलीं, “थोड़ा और नीचे दर्द है।” मैंने देखा कि उनकी सलवार का नाड़ा टाइट था। मैंने हिम्मत करके कहा, “आंटी, आपका नाड़ा टाइट है, मैं नीचे कैसे मलिश करूँ?” वो थोड़ी शरमाईं, फिर बोलीं, “ठीक है, मैं ढीला कर देती हूँ।” उन्होंने आगे से हाथ डालकर नाड़ा खोल दिया। मैंने धीरे से उनकी सलवार को नीचे सरकाया। उनकी लाल रंग की साटन पैंटी नजर आई, जो उनके भारी चूतड़ों पर चिपकी हुई थी। उनकी चूतड़ इतने गोल और गोरे थे कि मेरा दिमाग खराब हो गया। मैंने मलिश जारी रखी, लेकिन मेरी उंगलियाँ अब उनकी चूतड़ के पास घूम रही थीं। “उफ्फ… आकाश, वहाँ थोड़ा और दबाओ,” आंटी ने सिसकारी भरी। मैं समझ गया कि वो अब दर्द के साथ-साथ मेरे स्पर्श का मजा भी ले रही थीं।
मैंने हल्के से उनकी पैंटी के किनारे में उँगली डाली। वो थोड़ी हड़बड़ा गईं, लेकिन कुछ नहीं बोलीं। मैंने उनकी चूतड़ को हल्के-हल्के दबाते हुए मलिश की। उनकी साँसें तेज हो रही थीं। “आआह… आकाश, बहुत अच्छा लग रहा है,” वो धीरे से बोलीं। मैंने उनकी पैंटी को थोड़ा और नीचे सरकाया। अब उनकी चूत का ऊपरी हिस्सा दिखने लगा था—गुलाबी, साफ-शेव्ड, और हल्का सा गीला। मेरा लंड अब पैंट में दर्द करने लगा था। मैंने हाफ पैंट पहनी थी, और अंदर अंडरवियर नहीं था। मेरा तना हुआ लंड साफ दिख रहा था।
रात के 1 बजे तक मैं मलिश करता रहा। मेरी नींद भी आ रही थी, लेकिन ये नजारा छोड़ने का मन नहीं था। आंटी की सिसकारियाँ और उनकी गर्म त्वचा ने मुझे पागल कर दिया था। अचानक आंटी नींद में मेरी जाँघ को पकड़कर सो गईं। उनकी गर्म साँसें मेरी जाँघ पर लग रही थीं। मैं हिल नहीं सका। थकान की वजह से मैंने भी उनकी पीठ पर सर रखकर आँखें बंद कर लीं। सुबह 5:15 बजे उनकी नींद खुली। वो बोलीं, “अरे, आकाश, तुम अभी तक यहाँ हो? सोए नहीं?” मैंने कहा, “आंटी, आपने मेरी जाँघ पकड़ रखी थी, मैं कैसे जाता?” मैंने पूछा, “अब दर्द कैसा है?” वो शरमाते हुए बोलीं, “पहले से बहुत आराम है। तुम्हारी मलिश ने जादू कर दिया।”
उनकी सलवार अब घुटनों तक सरक चुकी थी। उनकी गोरी जाँघें और आधी दिखती चूत मुझे पागल कर रही थी। वो शरमाने लगीं और सलवार ऊपर करने लगीं। मैंने कहा, “आंटी, थोड़ी देर ऐसे ही रहने दीजिए। मैं कुछ नहीं करूँगा, बस देखना चाहता हूँ।” वो हँसते हुए बोलीं, “पागल लड़के, किसी को बताना मत कि तुमने मुझे इस हाल में देखा।” मैंने कहा, “कभी नहीं, आंटी। बस आपकी ये गोरी जाँघें और मस्त चूतड़ देखकर मेरा मन भर गया।” वो शरम से लाल हो गईं और अपना चेहरा दूसरी तरफ कर लिया।
अचानक उनकी नजर मेरी पैंट पर पड़ी। मेरा लंड साफ उभरा हुआ था। वो बोलीं, “ये क्या छुपा रखा है, आकाश? पॉकेट में कुछ है क्या?” मैंने हँसते हुए कहा, “कुछ नहीं, आंटी।” मैं घुटनों के बल खड़ा हुआ, तो मेरा लंड और साफ दिखने लगा। वो हल्के से मुस्कुराईं और बोलीं, “बाप रे, ये तो पूरा तना हुआ है!” मैंने हिम्मत करके कहा, “आंटी, सेक्स करना है क्या?” वो जोर से हँसीं और बोलीं, “पागल हो गया है क्या? मैं बस तुमसे थोड़ा खुल गई हूँ, इसलिए ऐसी बातें कर रही हूँ।”
अचानक उन्होंने मुझे पकड़कर मेरे होंठों पर किस कर दिया। उनके मुलायम होंठ मेरे होंठों से टकराए, और मेरे पूरे बदन में करंट दौड़ गया। “उफ्फ… आंटी,” मैंने सिसकारी भरी। वो बोलीं, “आकाश, मुझे ऐसा कुछ देखे हुए सालों हो गए। मेरे पति के बाद मैंने किसी का… वो… नहीं देखा। क्या तुम मुझे थोड़ा दिखाओगे?” मैंने कहा, “दिखा सकता हूँ, लेकिन आपको भी मुझे दिखाना होगा।” वो थोड़ी हिचकिचाईं, लेकिन फिर बोलीं, “ठीक है, लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए।”
मैंने धीरे से उनकी पैंटी को घुटनों तक खींच दिया। उनकी चूत अब पूरी तरह सामने थी—गुलाबी, साफ-शेव्ड, और हल्की सी गीली। उनकी क्लिट हल्की सी उभरी हुई थी, जैसे कोई छोटा सा मोती। वो शरम से अपनी जाँघें सिकोड़ने लगीं। मैंने अपनी पैंट उतारी। मेरा लंड बाहर आया—7 इंच लंबा, मोटा, और गुलाबी सुपारा चमक रहा था। आंटी की आँखें फटी की फटी रह गईं। “हाय राम, आकाश, ये तो बहुत बड़ा है!” उन्होंने मेरे लंड को हाथ में लिया और धीरे-धीरे सहलाने लगीं। “उफ्फ… कितना गर्म और सख्त है,” वो बोलीं। उनकी उंगलियाँ मेरे सुपारे पर फिसलीं, और मैं सिसकारी भरने लगा, “आआह… आंटी, आप तो कमाल कर रही हैं।”
वो मेरे लंड को ऊपर-नीचे सहलाने लगीं। उनकी साँसें तेज हो रही थीं। “आकाश, कितना मोटा है ये… मेरे पति का भी इतना नहीं था,” वो धीरे से बोलीं। मैंने उनकी चूत की तरफ हाथ बढ़ाया, लेकिन वो बोलीं, “नहीं, बस इतना ही।” फिर वो हँसते हुए बोलीं, “आज रात फिर से मलिश करने आना। मैं तुम्हारे इस लंड को पूरी रात सहलाऊँगी।” मैंने कहा, “पक्का, आंटी। लेकिन आप भी मुझे अपनी चूत का मजा लेने देंगी ना?” वो शरम से मुस्कुराईं और बोलीं, “देखते हैं, पागल लड़के।”
अब आप बताइए, क्या आकाश को आंटी के साथ रात में और आगे बढ़ना चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ!