College Girl Threesome Sex Story – Do Lund se Ek Saath Chudai: मेरा नाम अर्चिता है। मैं उत्तर प्रदेश की रहने वाली हूँ। मेरी उम्र 23 साल है, और मेरा फिगर 34-28-36 का है, जो हर लड़के को दीवाना बना देता है। मेरी गोरी चमकती त्वचा, लंबे काले बाल, और गहरी काली आँखें मेरी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। मैं देखने में इतनी हॉट और सेक्सी लगती हूँ कि लड़के मुझे देखते ही पागल हो जाते हैं। मेरी चूचियाँ भारी और गोल हैं, और मेरी गांड इतनी उभरी हुई है कि हर कोई उसे छूने को तड़पता है। मैंने अब तक कई लड़कों के साथ चुदाई की है, और हर बार मुझे और उनको भरपूर मजा आता है। मेरी चूत की भूख कभी खत्म नहीं होती, चाहे कितनी भी चुदाई करवा लूँ। इसीलिए मैं हमेशा नए-नए बॉयफ्रेंड्स बनाती रहती हूँ। स्कूल के दिनों से ही मैं चुदाई का शौक रखती हूँ, और मेरे बॉयफ्रेंड्स मुझसे बहुत खुलकर रहते हैं। मैं उनसे जमकर चुदवाती हूँ, और वो मेरी चूत को फाड़-फाड़कर मुझे जन्नत की सैर करवाते हैं।
जब मैं कॉलेज में थी, तब मेरी दोस्ती एक साथ दो लड़कों से हो गई थी। एक का नाम रंजीत था, दूसरा था पंकज। दोनों को नहीं पता था कि मैं दोनों की गर्लफ्रेंड हूँ। मैंने ये बात उनसे छुपा रखी थी। रंजीत लंबा-चौड़ा, गोरा, और हैंडसम था, उसकी मस्कुलर बॉडी और गहरी आवाज मुझे तुरंत आकर्षित करती थी। उसका लंड भी इतना मोटा और लंबा था कि मेरी चूत में हर बार तहलका मचा देता था। पंकज थोड़ा छोटे कद का था, लेकिन उसकी पर्सनैलिटी और स्टाइल गजब का था। उसका गोरा रंग, चिकनी त्वचा, और शरारती मुस्कान मुझे पागल कर देती थी। उसका लंड भी कमाल का था, थोड़ा छोटा लेकिन इतना सख्त कि मेरी चूत को रगड़-रगड़कर आग लगा देता था। मैं दोनों को अपनी चूत और गांड सौंप चुकी थी, और दोनों से चुदवाने का मजा ही अलग था।
मैं हमेशा हैंडसम लड़कों की दीवानी हो जाती हूँ। उनका खड़ा लंड देखकर मेरी चूत में आग लग जाती है, और मैं तुरंत उनके नीचे लेटने को बेकरार हो जाती हूँ। रात को जब मैं अकेली होती हूँ, तो सेक्स टॉयज के साथ अपनी चूत को शांत करती हूँ। डिल्डो को अपनी चूत में डालकर मैं उसे अंदर-बाहर करती हूँ, और अपनी चूचियों को मसलते हुए सिसकारियाँ भरती हूँ। लेकिन असली मजा तो लंड से ही आता है।
ये कहानी उस वक्त की है जब मैं कॉलेज के साथ-साथ दिल्ली में कोचिंग कर रही थी। मैंने अपनी कोचिंग में रंजीत और पंकज को पटाया था। दोनों इतने स्मार्ट और हॉट थे कि मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैंने उनसे अपनी दोस्ती को छुपाकर रखा, और दोनों से अलग-अलग मिलती थी। लेकिन तीन महीने बाद, मुझे पता चला कि रंजीत और पंकज अच्छे दोस्त बन गए हैं। ये सुनकर मेरी गांड फट गई, लेकिन मैं किसी तरह दोनों को मैनेज करती रही।
रंजीत और पंकज एक ही रूम में रहने लगे थे, और मुझे इसकी भनक तक नहीं थी। एक दिन रंजीत ने मुझे फोन करके अपने रूम पर बुलाया। उसने बताया कि मकान मालिक घर पर नहीं हैं, और ये चुदाई का सही मौका है। मैंने तुरंत हल्का मेकअप किया, अपनी गोरी चूचियों को उभारने वाली टाइट ब्लू सिल्क की सलवार-कुर्ता पहना, और नीचे सेक्सी ब्लैक लेस वाली ब्रा और पैंटी डाली। मेरी गांड उस सिल्क की सलवार में इतनी हॉट लग रही थी कि कोई भी देखकर मुठ मारने लगे। मैं रंजीत के रूम पर पहुँची और दरवाजा खटखटाया।
जैसे ही दरवाजा खुला, मैं चौंक गई। सामने पंकज खड़ा था, उसकी आँखों में हैरानी और गुस्सा साफ दिख रहा था। उसने मुझे देखते ही पूछा, “तू यहाँ क्या कर रही है?” मैंने हँसते हुए कहा, “अरे, पहले तो अंदर तो आने दे।” पंकज घबराया हुआ मुझे देख रहा था। मैं अंदर गई, और रंजीत ने मुझे देखते ही अपनी बाहों में भर लिया। उसने मेरे गालों को चूमा और मेरे होंठों पर एक लंबा किस कर दिया। उसकी जीभ मेरे मुँह में घूम रही थी, और मैं भी उसे चूस रही थी।
रंजीत ने पंकज की तरफ इशारा करते हुए कहा, “पंकज, ये मेरी गर्लफ्रेंड अर्चिता है।” पंकज ने तुरंत जवाब दिया, “अरे, ये मेरी गर्लफ्रेंड है, तुझे क्या लगता है?” दोनों एक-दूसरे को देखकर चुप हो गए। मैंने हँसते हुए कहा, “दोनों शांत हो जाओ, मैं तुम दोनों की गर्लफ्रेंड हूँ।” दोनों के चेहरों पर हैरानी और गुस्सा था, लेकिन मैंने उन्हें समझाया, “देखो, मैं तुम दोनों से प्यार करती हूँ। तुम दोनों मुझे इतना मजा देते हो कि मैं किसी एक को नहीं छोड़ सकती।” काफी देर तक बहस के बाद, दोनों मान गए। मैंने कहा, “तुम दोनों मेरे हो, और मैं तुम दोनों की। अब इसे इंजॉय करो।”
मैं बिस्तर पर बैठ गई। पंकज मेरी दाईं तरफ और रंजीत मेरी बाईं तरफ आकर बैठ गए। मैं पहली बार दो हॉट लड़कों के बीच इस तरह बैठी थी। पंकज ने धीरे-धीरे मेरी पीठ पर हाथ फेरना शुरू किया, और रंजीत मेरे पेट पर। उनकी उंगलियाँ मेरे बदन पर रेंग रही थीं, और मेरी चूत में हल्की-हल्की खुजली होने लगी। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं और उनके स्पर्श का मजा लेने लगी। रंजीत ने मेरे होंठों पर अपने मुलायम होंठ रख दिए और धीरे-धीरे चूमना शुरू किया। उसकी जीभ मेरे होंठों को चाट रही थी, और मैं भी उसे चूस रही थी। उधर, पंकज मेरी चूचियों पर हाथ फेर रहा था, मेरी ब्रा के ऊपर से मेरे निप्पल्स को हल्के-हल्के दबा रहा था।
मैं जोश में आ रही थी। मेरी चूत गीली होने लगी थी, और मेरे निप्पल्स सख्त हो गए थे। रंजीत ने मेरे होंठों को चूस-चूसकर लाल कर दिया। उसने मेरे कुर्ते को ऊपर उठाया, और मैंने अपने हाथ ऊपर करके उसे निकालने में मदद की। अब मैं सिर्फ़ ब्लैक लेस वाली ब्रा में थी। मेरी गोरी चूचियाँ ब्रा में से झाँक रही थीं, और दोनों की आँखें उन पर टिक गईं। पंकज ने मेरी ब्रा की हुक खोल दी, और मेरी चूचियाँ आज़ाद हो गईं। मेरे 34 साइज़ के गोल-मटोल मम्मे उनके सामने थे, और मेरे गुलाबी निप्पल्स सख्त होकर उभरे हुए थे।
रंजीत और पंकज मेरी चूचियों पर टूट पड़े। रंजीत ने मेरे दाएँ निप्पल को अपने मुँह में लिया और उसे चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल को चाट रही थी, और वो उसे हल्के-हल्के काट भी रहा था। मैं सिसकारियाँ भरने लगी, “आह्ह… स्स्सी… रंजीत… धीरे…” पंकज मेरे बाएँ निप्पल को अपनी उंगलियों से मसल रहा था, फिर उसने उसे अपने मुँह में ले लिया। दोनों मेरी चूचियों को चूस रहे थे, और मैं जोश में पागल हो रही थी। मेरी चूत अब पूरी तरह गीली हो चुकी थी, और मेरी पैंटी में गीलापन साफ़ महसूस हो रहा था।
मैंने दोनों के लंड को उनकी पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू किया। दोनों के लंड सख्त हो चुके थे, और उनकी पैंट में तंबू बन गया था। मैंने उनकी ज़िप खोली और दोनों के लंड बाहर निकाल लिए। रंजीत का लंड 7 इंच का था, मोटा और सख्त, जिसके टोपे पर हल्का सा प्रीकम चमक रहा था। पंकज का लंड 6 इंच का था, लेकिन इतना सख्त कि मेरी चूत में आग लगा दे। मैंने दोनों के लंड को अपने हाथों में लिया और धीरे-धीरे मुठ मारने लगी। दोनों मेरी चूचियों को चूस रहे थे, और मैं उनके लंड को सहला रही थी।
रंजीत ने मेरी सलवार का नाड़ा खींचा और उसे नीचे सरका दिया। अब मैं सिर्फ़ ब्लैक लेस वाली पैंटी में थी। मेरी गोरी टाँगें और उभरी हुई गांड देखकर दोनों पागल हो गए। पंकज ने मेरी पैंटी को धीरे-धीरे नीचे खींचा, और मेरी चिकनी चूत उनके सामने थी। मेरी चूत पूरी तरह शेव्ड थी, और गीली होने की वजह से चमक रही थी। मैंने शीशे में खुद को देखा, और मुझे लगा जैसे मैं किसी ब्लू फिल्म की पोर्नस्टार हूँ।
दोनों ने अपने कपड़े उतार दिए। रंजीत की चौड़ी छाती और पंकज की चिकनी बॉडी देखकर मेरी चूत और गीली हो गई। दोनों के लंड अब पूरी तरह खड़े थे, और मैं उन्हें देखकर बेकरार हो रही थी। मैं बिस्तर पर लेट गई, और पंकज ने मेरी टाँगें खोल दीं। उसने अपनी जीभ मेरी चूत पर रखी और धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। उसकी गर्म जीभ मेरी चूत के दाने को चाट रही थी, और मैं सिसकारियाँ भरने लगी, “आह्ह… पंकज… और चाट… स्स्सी…” रंजीत मेरे पास खड़ा हो गया, और मैंने उसका लंड अपने मुँह में ले लिया। मैं उसके लंड को आइसक्रीम की तरह चाट रही थी, और उसका प्रीकम मेरी जीभ पर फैल रहा था।
पंकज ने मेरी चूत के होंठों को अपनी उंगलियों से खोला और अपनी जीभ को अंदर डाल दिया। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर घूम रही थी, और मैं जोश में पागल हो रही थी। मैंने रंजीत के लंड को अपने गले तक लिया, और वो मेरे मुँह को चोदने लगा। उसका लंड मेरे गले में अटक रहा था, और मेरी साँसें फूल रही थीं। मैंने रंजीत का लंड छोड़ा और लेट गई। पंकज ने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और रगड़ने लगा। मैं बेकरार हो रही थी, “पंकज… डाल दे… मेरी चूत को चोद… जल्दी…”
पंकज ने अपना लंड मेरी चूत के छेद पर रखा और एक जोरदार धक्का मारा। उसका आधा लंड मेरी चूत में घुस गया, और मैं चिल्ला उठी, “आह्ह… मम्मी… स्स्सी… धीरे…” मेरी चूत में दर्द और मजा एक साथ हो रहा था। पंकज ने धीरे-धीरे अपना पूरा लंड मेरी चूत में घुसा दिया, और मैं सिसकारियाँ भरने लगी, “उह्ह… हाँ… चोद… और जोर से…” पंकज ने मेरी चूत को धीरे-धीरे चोदना शुरू किया, और हर धक्के के साथ मेरी चूचियाँ उछल रही थीं।
रंजीत मेरी चूचियों को मसल रहा था, और उसकी उंगलियाँ मेरे निप्पल्स को कसकर दबा रही थीं। पंकज ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और उसका लंड मेरी चूत को फाड़ रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… पंकज… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे…” मेरी चूत से पानी बहने लगा, और पंकज का लंड उसमें चप-चप की आवाज़ कर रहा था। कुछ देर बाद पंकज हट गया, और रंजीत ने मेरी टाँगें उठाकर अपने कंधे पर रख लीं। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डालना शुरू किया। उसका मोटा लंड मेरी चूत को और चौड़ा कर रहा था, और मैं सिसकारियाँ भर रही थी, “उह्ह… रंजीत… तेरा लंड… बहुत मोटा है… आह्ह…”
रंजीत ने अपनी स्पीड बढ़ा दी, और उसका लंड मेरी चूत की गहराई में जा रहा था। मैं चीख रही थी, “आह्ह… स्स्सी… चोद… मेरी चूत को रगड़ दे…” पंकज मेरी चूचियों को चूस रहा था, और उसकी जीभ मेरे निप्पल्स पर घूम रही थी। मैं दोनों के बीच सैंडविच बन चुकी थी, और मुझे जन्नत का मजा आ रहा था। रंजीत ने मुझे कुतिया की तरह घुमाया और मेरी गांड के पीछे आ गया। उसने मेरी गांड पर थप्पड़ मारा और कहा, “अर्चिता, तेरी गांड तो जन्नत है… आज इसे भी चोदूँगा।”
मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ रंजीत, मेरी गांड को भी फाड़ दे।” रंजीत ने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड के छेद पर रखा। उसने धीरे-धीरे धक्का मारा, और उसका लंड का टोपा मेरी गांड में घुस गया। मैं चिल्ला उठी, “आह्ह… मम्मी… धीरे… मेरी गांड फट जाएगी…” रंजीत ने धीरे-धीरे अपना पूरा लंड मेरी गांड में घुसा दिया, और मैं दर्द से तड़प रही थी। लेकिन धीरे-धीरे दर्द मजा में बदल गया, और मैं अपनी गांड को हिलाने लगी, “हाँ… रंजीत… चोद… मेरी गांड को भी चोद…”
पंकज ने मेरी चूत में अपनी उंगलियाँ डाल दीं, और वो मेरी चूत को सहलाने लगा। मैं दोनों की चुदाई का मजा ले रही थी। रंजीत मेरी गांड को चोद रहा था, और पंकज मेरी चूत को उंगलियों से रगड़ रहा था। मैं सिसकारियाँ भर रही थी, “आह्ह… उह्ह… स्स्सी… चोदो… दोनों मिलकर मेरी चूत और गांड फाड़ दो…” मेरी चूत से पानी बह रहा था, और मेरी गांड में रंजीत का लंड अंदर-बाहर हो रहा था।
कुछ देर बाद दोनों ने मुझे उठाया। पंकज पीछे गया और रंजीत सामने। दोनों ने मेरी एक-एक टाँग उठा ली, और मैं एक पैर के सहारे खड़ी थी। पंकज ने अपना लंड मेरी गांड में डाला, और रंजीत ने मेरी चूत में। दोनों एक साथ मुझे चोदने लगे, और मैं चीख रही थी, “आह्ह… उह्ह… स्स्सी… हाँ… चोदो… मेरी चूत और गांड को एक साथ फाड़ दो…” दोनों के लंड मेरी चूत और गांड में अंदर-बाहर हो रहे थे, और मेरे पूरे बदन में बिजली दौड़ रही थी।
कुछ देर बाद दोनों झड़ने वाले थे। उन्होंने अपने लंड मेरे मुँह में डाल दिए, और मैंने दोनों के लंड को चूसना शुरू किया। दोनों ने मुठ मारते हुए अपने लंड का रस मेरे मुँह में गिरा दिया। मैंने उनके गर्म-गर्म रस को चाट लिया और निगल लिया। हम तीनों नंगे ही बिस्तर पर लेट गए। थोड़ी देर बाद दोनों ने फिर से मेरी चुदाई शुरू की। पंकज ने मुझे कुतिया बनाकर मेरी चूत चोदी, और रंजीत ने मेरी गांड। मैं फिर से चीख रही थी, “आह्ह… स्स्सी… चोदो… मेरी चूत और गांड को और फाड़ो…”
आखिरकार, हम तीनों थक गए। मैंने अपने कपड़े पहने और अपने घर चली गई। उस दिन की चुदाई मेरे लिए जिंदगी का सबसे हॉट अनुभव था।
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