बाहर नहीं चुदूँगी आप मुझे चोदो रात को मम्मी को जैसे चोद रहे थे

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Sautela baap beti chudai मेरा नाम कुणाल है। मैं अलीगढ़ का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 40 साल है। पिछले साल अगस्त में मेरी दूसरी शादी हुई थी। मेरी पहली बीवी आठ साल पहले अपने पुराने यार के साथ भाग गई थी। तब से मैं अकेला था, बस रातों को सेक्सी कहानियाँ पढ़कर अपनी तन्हाई मिटाता था। लेकिन इस साल फरवरी में मेरी जिंदगी में फिर से रौनक आ गई, जब मेरी दूसरी शादी हुई। मेरी नई बीवी, मंजू, मुझसे तीन साल बड़ी है। उसकी एक बेटी है, दीप्ती, जो 20 साल की है। मंजू का पहला पति गुजर चुका था, और उसने मुझसे शादी इसलिए की, ताकि हम दोनों एक नई शुरुआत कर सकें।

शादी के साथ एक शर्त थी कि मैं दीप्ती की शादी का खर्चा उठाऊँगा। मैंने बिना सोचे हामी भर दी। मुझे क्या पता था कि ये शादी मेरी जिंदगी को ऐसे मोड़ पर ले जाएगी। मंजू एक यूनिसेक्स सैलून में काम करती है। वो खुद को हमेशा हॉट और स्टाइलिश बनाए रखती है। उसका फिगर कमाल का है, 38-30-36, गोरा रंग, और चाल ऐसी कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। रात को वो ऐसे कपड़े पहनती है कि मेरा लंड तुरंत खड़ा हो जाता है। ब्रा तो वो शायद ही पहनती हो, और ऊपर से हल्के, पारदर्शी टॉप में उसकी चूचियाँ साफ दिखती हैं। हम दोनों रात को दो-दो पेग मारते हैं, फिर मस्ती में चुदाई शुरू हो जाती है। मंजू की सिसकारियाँ इतनी कामुक होती हैं कि मैं खुद को रोक ही नहीं पाता। “आह्ह… कुणाल… और जोर से… चोदो ना…” वो ऐसी आवाज़ें निकालती है कि मैं पागल हो जाता हूँ और उसे और जोर-जोर से पेलने लगता हूँ।

अब बात दीप्ती की। दीप्ती 20 साल की है, बीए की स्टूडेंट है। उसका फिगर उसकी माँ से भी कहीं ज्यादा कातिलाना है। 36-28-38, गोरा रंग, लंबी टाँगें, और बड़ी-बड़ी गोल चूचियाँ। उसकी चाल हिरणी जैसी है, आँखें कजरारी, और होंठ गुलाबी। जब वो चलती है, तो उसकी गांड का उछाल देखकर किसी का भी लंड सलामी देने लगे। वो मॉडर्न लड़की है, टाइट जींस और क्रॉप टॉप में रहती है, जिससे उसका फिगर और निखरकर सामने आता है। मैंने कई बार उसे चोरी-छिपे देखा, और मन में सोचा कि ये लड़की तो किसी को भी दीवाना बना दे।

एक दिन की बात है। मंजू सैलून गई थी, और मैं घर पर अकेला था। दीप्ती लिविंग रूम में बैठी थी, मोबाइल में कुछ देख रही थी। उसने टाइट ब्लैक टॉप और शॉर्ट्स पहने थे, जिसमें उसकी चूचियाँ और गांड साफ उभर रही थीं। अचानक उसने मुझसे कहा, “पापा, आप और मम्मी रात को इतनी जोर-जोर से आवाज़ क्यों निकालते हो? आपको पता है ना कि इस घर में एक जवान लड़की भी रहती है? अगर आपको इतना ही शौक है, तो बाहर कहीं हनीमून पर चले जाइए। सोचिए, मैं आपके बारे में क्या सोचती हूँ जब आप दोनों ऐसी आवाज़ें निकालते हो। मेरे मन में भी तो कुछ-कुछ होता है।”

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मैं हैरान रह गया। उसकी बातों में गुस्सा था, लेकिन उसकी आँखों में कुछ और ही था। मैंने कहा, “दीप्ती, इसमें मेरा क्या कसूर? तुम्हारी मम्मी को ही जोर-जोर से चुदाई पसंद है। मैंने उनसे कहा भी कि तुम सुन लोगी, तो क्या सोचोगी। लेकिन वो कहती हैं कि तुम्हें भी तो पता है कि शादीशुदा लोग सेक्स करते हैं। मैं क्या करूँ, मुझे भी तो उन्हें खुश रखना है।”

दीप्ती ने मेरी आँखों में देखा और बोली, “पापा, मैं भी तो जवान हूँ। मैंने आपको और मम्मी को रात को खिड़की से देख लिया था। तब से मेरा मन बेचैन है। ना पढ़ाई में मन लगता है, ना किसी और काम में। मैं बिना सेक्स के नहीं रह सकती। लेकिन मैं बाहर किसी लड़के के साथ कुछ नहीं करना चाहती। बाहर के लड़के बाद में ब्लैकमेल करते हैं। लेकिन अगर आप मेरे साथ… तो ये बात घर तक ही रहेगी। मम्मी को भी नहीं पता चलेगा। जब आपका मन करे, या मेरा मन करे, हम एक-दूसरे की जरूरत पूरी कर सकते हैं।”

उसकी बात सुनकर मेरे होश उड़ गए। मेरी सौतेली बेटी मुझसे सेक्स की बात कर रही थी! मैं कुछ बोल नहीं पाया। मेरी खामोशी को उसने हामी समझ लिया। वो धीरे-धीरे मेरे पास आई। उसकी साँसें तेज थीं, और उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। उसने मेरे बाल पकड़े और अपने गुलाबी होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। पहले तो मैं हड़बड़ा गया, लेकिन फिर मैंने भी खुद को छोड़ दिया। हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। उसकी जीभ मेरे मुँह में थी, और मेरी जीभ उसके मुँह में। “उम्म… आह्ह…” वो हल्की-हल्की सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने उसे अपनी बाँहों में खींच लिया। उसकी चूचियाँ मेरे सीने से टकराईं, तो ऐसा लगा जैसे कोई मुलायम तकिया मेरे सीने से चिपक गया हो।

मैंने उसे अपनी गोद में उठाया और बेडरूम में ले गया। वहाँ मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया। उसका टॉप इतना टाइट था कि उसकी चूचियाँ बाहर निकलने को बेताब थीं। मैंने धीरे से उसका टॉप ऊपर किया और उसकी ब्रा का हुक खोला। ओह्ह… क्या नज़ारा था! उसकी बड़ी-बड़ी, गोल-गोल चूचियाँ मेरे सामने थीं। पिंक निप्पल्स इतने टाइट थे कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने दोनों हाथों से उसकी चूचियों को दबोच लिया और जोर-जोर से दबाने लगा। “आह्ह… पापा… धीरे…” वो शरमाते हुए बोली, लेकिन उसकी सिसकारियों में मज़ा साफ झलक रहा था। मैंने उसके एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। “ओह्ह… उफ़्फ़… आह्ह…” वो अंगड़ाइयाँ लेने लगी। उसकी साँसें और तेज हो गईं।

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मैंने उसकी शॉर्ट्स उतारी। उसकी पैंटी गीली हो चुकी थी। मैंने उसकी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाया। “आह्ह… पापा… ये क्या कर रहे हो…” वो शरमाते हुए बोली, लेकिन उसकी चूत से पानी टपक रहा था। मैंने उसकी पैंटी उतारी और उसकी चिकनी, गुलाबी चूत मेरे सामने थी। मैंने अपनी जीभ से उसकी चूत चाटना शुरू किया। “ओह्ह… आह्ह… पापा… उफ़्फ़…” वो सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने अपनी एक उंगली उसकी चूत में डाली और अंदर-बाहर करने लगा। वो और जोर से सिसकने लगी। “आह्ह… और… और करो… पापा…”

अब मुझसे रहा नहीं गया। मैंने अपनी पैंट उतारी। मेरा 7 इंच का लंड तनकर खड़ा था। मैंने उसे अपने लंड को छूने को कहा। पहले तो वो शरमाई, बोली, “नहीं… मैं मुँह में नहीं लूँगी…” लेकिन मैंने कहा, “अरे, दीप्ती, तेरी मम्मी तो इसे दिन-रात चूसती है। तू भी ट्राई कर, मज़ा आएगा।” मेरी बात सुनकर वो मान गई। उसने मेरा लंड अपने नाजुक हाथों में लिया और धीरे-धीरे मुँह में डाला। “उम्म… ये तो नमकीन है…” वो हँसते हुए बोली। वो मेरे लंड को लॉलीपॉप की तरह चूसने लगी। “आह्ह… दीप्ती… और जोर से…” मैं सिसक रहा था। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था।

अब मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसके दोनों पैर फैलाए। उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डालने लगा। वो थोड़ा सिकुड़ी, बोली, “पापा… दर्द हो रहा है…” लेकिन मैंने उसे पकड़कर रखा और धीरे-धीरे पूरा लंड उसकी टाइट चूत में डाल दिया। “आह्ह… उफ़्फ़… पापा… धीरे…” वो चिल्लाई, लेकिन धीरे-धीरे उसे मज़ा आने लगा। मैंने धक्के मारना शुरू किया। “पच… पच… पच…” लंड और चूत के टकराने की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। “आह्ह… ओह्ह… पापा… और जोर से…” वो अब मज़े में सिसकार रही थी।

मैंने उसे घोड़ी बनाया। उसकी बड़ी, गोल गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी गांड पर थप्पड़ मारा। “आह्ह… पापा… ये क्या…” वो हँसते हुए बोली। मैंने उसकी चूत में फिर से लंड डाला और जोर-जोर से पेलने लगा। “पच… पच… पच…” वो जोर-जोर से सिसक रही थी। “आह्ह… ओह्ह… पापा… चोदो मुझे… और जोर से…” मैंने उसकी कमर पकड़ी और पूरी ताकत से धक्के मारने लगा। उसकी चूचियाँ हिल रही थीं, और वो बार-बार सिसक रही थी।

फिर मैंने कहा, “दीप्ती, अब तेरी गांड मारनी है। तेरी गांड इतनी सेक्सी है कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा।” वो शरमाई, लेकिन बोली, “पापा, अब तो सब आपका है। जो मर्ज़ी करो।” मैंने उसकी गांड पर थोड़ा तेल लगाया, क्योंकि उसकी चूत का पानी पहले ही उसकी गांड को गीला कर चुका था। मैंने अपना लंड उसकी टाइट गांड के छेद पर रखा और धीरे-धीरे अंदर डाला। “आह्ह… पापा… दर्द हो रहा है…” वो चिल्लाई, लेकिन मैंने धीरे-धीरे उसे सहलाते हुए लंड पूरा अंदर डाल दिया। “उफ़्फ़… ओह्ह… पापा…” वो अब मज़े में सिसक रही थी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। “पच… पच…” उसकी गांड की टाइटनेस मुझे पागल कर रही थी।

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हमने कई पोजीशन ट्राई की। कभी मैंने उसे अपनी गोद में बिठाकर चोदा, कभी उसे खड़ा करके। हर बार वो सिसक रही थी, “आह्ह… ओह्ह… पापा… और जोर से…” करीब डेढ़ घंटे की चुदाई के बाद हम दोनों थक गए। मैंने अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। वो मेरी बाँहों में लेट गई, और हम दोनों एक-दूसरे के होंठ चूसने लगे। “पापा, ये हमारा सीक्रेट रहेगा ना?” उसने शरारती अंदाज़ में पूछा। मैंने हँसकर कहा, “बिल्कुल, मेरी जान।”

अब मेरी जिंदगी मज़े में है। रात को मंजू को चोदता हूँ, और दिन में दीप्ती को। मेरा काम वर्क फ्रॉम होम है, और मंजू सैलून जाती है, तो मुझे दीप्ती के साथ पूरा टाइम मिलता है। हम दोनों जब भी मौका मिलता है, एक-दूसरे की आग बुझाते हैं। दोस्तों, ये तो बस मेरी कहानी की शुरुआत है। जल्द ही अपनी अगली कहानी लेकर आऊँगा। तब तक आप बताइए, आपको मेरी कहानी कैसी लगी?

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