Aunty Sex Story :पड़ोसन ने लंड ले लिया

Aunty Sex Story :पड़ोसन ने लंड ले लिया

2
(1)

Aunty Sex Story :

नमस्कार दोस्तों ! मैं दीपक हिसार, हरियाणा में रहता हूँ. मेरी उम्र अभी बीस साल है. जिम जाने से मेरा शरीर काफी तंदरुस्त है. मैं दिखने में भी स्मार्ट हूँ. मेरा लंड मोटा और लंबा है, जो किसी भी औरत को खुश करने के लिए काफी है. मैं अभी 20 साल का हूं और मैंने बीएससी कर रखी है.

मेरे घर के सामने एक घर है. उस घर में एक फैमिली रहती है. उस फैमिली में पति पत्नी और उनके 2 बच्चे हैं … एक लड़का और एक लड़की. लड़की भी दिन प्रतिदिन मस्त माल होती आ रही थी. लड़की का नाम अञ्जलि था और आंटी का नाम किरण था. आंटी का 36-34-42 का फिगर एकदम मस्त है. आंटी की गांड बहुत भरी हुई है और बहुत बड़ी भी है. मैं उनकी गांड का ही दीवाना था. आंटी की उम्र 40 साल है. उनका बदन पूरा गदराया हुआ और भरा हुआ है, जिसे देखकर लंड एकदम खड़ा हो जाता था.

अञ्जलि अभी 12वीं में थी और उसके बोर्ड के एग्जाम थे. उसे गणित विषय में बड़ी दिक्कत थी. इसलिए आंटी ने मुझसे बोल दिया कि तुम अञ्जलि को मैथ्स पढ़ा दिया करो.
मैंने भी हामी भर दी और मैं उसको हर रोज़ पढ़ाने जाने लगा. जिससे मैं अञ्जलि से भी बात कर लेता और उसको पटाने की कोशिश भी करने लगता.

साथ ही आंटी से भी मेरी बात होने लगी. मैं जब भी उनके घर जाता, तो आंटी की गांड और चूचों को घूरता रहता. आंटी ने भी इस बात को नोटिस कर लिया था और फिर वो भी मुस्कुरा देती थीं.

धीरे धीरे आंटी मुझसे खुलने लगीं और हमारी बहुत बात होने लगी. आंटी ने मेरा नंबर ले लिया था. फिर उसके बाद आंटी मुझसे व्हाट्सएप्प पर भी बात करने लगी थीं.

आंटी को अब जब भी कोई काम होता, तो वो मुझे बुला लेती थीं. जब भी बाजार का कोई काम होता, तो वो मुझे अपने साथ ले जाती थीं. मैं उन्हें अपनी बाइक पर ले जाता था, तो मुझसे काफी चिपक कर बैठती थीं. मैं भी उनके चूचों के पूरे मजे लेता था. वो भी चूचों को मेरी कमर पर पूरा दबा देती थीं. मतलब साफ था कि आग दोनों तरफ लगी थी, बस शुरूआत करने की देर थी.

एक दिन मैं अञ्जलि को पढ़ा कर और उसको काम देकर आंटी से बात करने आ गया.

मैं आंटी से बात करने लगा.
उन्होंने मुझसे पूछ ही लिया- तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड नहीं है क्या?
मैंने बोल दिया- नहीं है.
तब वो कहने लगीं- ऐसा हो ही नहीं सकता कि तुम्हारी कोई गर्लफ्रैंड न हो.
मैंने कहा- सच में आंटी, नहीं है … कोई आप जैसी मिली ही नहीं, जिसे मैं अपनी गर्लफ्रैंड बना लेता.
आंटी कहने लगीं- हमारे जैसी का क्या करोगे, हम तो इतनी सुंदर भी नहीं हैं.
फिर मैंने कहा- आंटी अगर मुझे आप जैसी बीवी मिल जाए, तो मेरी तो मौज हो जाए. मैं तो कभी आपको अकेला छोड़ूँ ही नहीं. अंकल भी नहीं छोड़ते होंगे आपको.

अंकल की चर्चा होते ही वो थोड़ा उदास सी हो गयीं.

मैंने यह देख कर कहा- आंटी मैंने कोई गलत बात थोड़े ना कह दी, जो आप उदास हो गयीं.
आंटी ने आह भरते हुए कहा- कोई बात नहीं, कह दिया तो कह दिया.
यह कह कर रोने लग गयीं.

इसे भी पढ़ें:  Devar Bhabhi Chudai Kahani : मैं चोदा एक कुंवारी नई नवेली भाभी

मैंने सोचा कि यह मैंने क्या कर दिया. अब मैं उन्हें चुप कराने लगा, जिससे मैं उनसे कुछ ज्यादा ही चिपक गया. चुप कराने के बहाने मैं उनकी पीठ पर धीरे-धीरे सहलाने लगा.

आंटी थोड़ा गर्म होने लगीं और मुझसे और चिपक गयीं. शायद वे मुझसे चुदना चाहती थीं. मैंने भी इस बात का फायदा उठाया और उन्हें चुप कराने के बहाने अपना एक हाथ उनके चुचे से टच कराने लग गया. आंटी को हाथ से स्पर्श का आभास हो रहा था, मगर वह कोई विरोध नहीं कर रही थीं.

उनकी तरफ से सहमति देख कर मैं भी अपना काम आगे बढ़ाने में लगा रहा. मैंने उनसे कहा कि शायद अंकल आप को अच्छे से वो सुख नहीं दे पा रहे हैं.

तब उन्होंने कहा- वो तो मुझे हाथ भी बहुत ही कम लगाते हैं. जब कभी उनका मूड होता है, तो वो अपना काम जल्दी से दो मिनट में करके सो जाते हैं और मैं अपने शरीर की आग अपनी उंगली से शांत करती हूँ.

ये सब बातें सुन कर मैं धीरे-धीरे उनसे और चिपक गया, जिस कारण उनके चुचे मेरे सीने से टच होने लगे.
मैंने उनको चुप कराते हुए कहा- आंटी मैं हूँ न, मैं आपकी मदद करूँगा.
यह सुन कर वो चुप हो गईं और मेरी तरफ देखने लगीं.

मैंने उसी वक़्त उन्हें किस किया. पहले तो वो थोड़ा ना नुकर कर रही थीं, पर पर थोड़ी देर बाद वो भी मेरा साथ देने लगीं. अब मैं उन्हें लगातार किस किये जा रहा था. हम दोनों की जीभें एक दूसरे के मुँह में ऐसे खेल रही थीं, जैसे हम दोनों एक दूसरे में समा जाना चाहते हों.

कुछ दस मिनट बाद हम दोनों अलग हुए, तो हमें होश आया कि यहां हमें अञ्जलि भी देख सकती है. तब हम दोनों अलग हुए.

आंटी ने कहा- कल सुबह 10 बजे आ जाना, तुम्हारे अंकल भी काम पर जा चुके होंगे और बच्चे भी स्कूल जा चुके होंगे.
मैंने उनकी बात मान ली और जाकर अञ्जलि को काम करवा कर वापिस आ गया. घर आने से पहले मैं आंटी को जोरदार किस करके आया.

घर आकर अब मैं अगले दिन का इंतजार करने लगा. मैंने लंड की मालिश भी की और बाल भी साफ कर लिए.

अगले दिन मैं जब उनके घर गया, तो आंटी ने मुस्कुरा कर मेरा स्वागत किया. घर के अन्दर जाते ही मैं आंटी के ऊपर टूट पड़ा और वो भी मुझ पर टूट पड़ीं. हम दोनों एक दूसरे को पागलों की तरह किस कर रहे थे.

फिर मुझे याद आया कि गेट तो बन्द ही नहीं किया है. हमें कोई बाहर से भी देख सकता था.
उसके बाद आंटी गेट बन्द करके आईं और फिर मुझे लेकर बेडरूम में चली गईं. आंटी ने एक पतली सी नाइटी पहन रखी थी, जिसमें वो गजब का माल लग रही थीं.

बेडरूम में जाते ही आंटी और मैं, एक दूसरे पर टूट पड़े. हम दोनों एक दूसरे को किस करने लगे. किस करते करते हम बेड पर आ गए. मैंने आंटी को बेड पर लिटा दिया और मैं उनके ऊपर आकर उनको किस करने लगा. आंटी भी मेरा पूरा साथ दे रही थीं. मैं उनको किस करते करते नीचे की तरफ आने लगा. पहले मैं उनकी गर्दन पर किस करने लगा और साथ की साथ नाइटी के ऊपर से ही उनके चुचे भी दबाने लगा. आंटी को भी मजा आने लगा, वो भी सिसकारी लेने लगीं.

इसे भी पढ़ें:  चलती ट्रेन में आंटी को चोदा

‘अहहा … उम्म्ह… अहह… हय… याह… उम्म्म्म … ओह ओह … और चूस और चूस उम्म्म्म … आह आह..’

उसके बाद मैंने आंटी की नाइटी को उतार कर उनको नंगी कर दिया.

अह्हा … क्या मस्त बदन था आंटी का. … एकदम दूध की तरह गोरा और मुलायम.

मैंने फिर से उन्हें किस करना शुरू कर दिया. हम एक दूसरे को छोड़ ही नहीं रहे थे, तभी आंटी ने अपना हाथ मेरी टी शर्ट के अन्दर किया और अपने मुलायम हाथों से मेरी कमर को सहलाते हुए मेरी टी-शर्ट उतार फेंकी. अब आंटी पूरी नंगी थी और मैं सिर्फ जींस में था.

उन्होंने मेरे होंठ चूमना छोड़ कर मेरी छाती को चूमना शुरू कर दिया. मेरा लंड अब मेरी जींस को फाड़ने पर तैयार था और मुझे वहां दर्द भी होने लगा था.

तभी जैसे आंटी ने मेरा दर्द समझा और मेरी जींस का बटन खोल कर मेरी जींस और चड्डी को उतार दिया. फिर मेरे होंठों को अपने होंठों में लेकर चूमने लगीं.

हम दोनों आदमजात नंगे होकर काफी देर तक चुम्बन करते रहे. मैंने आंटी के मस्त मस्त चूचों पर हमला कर दिया और दबा दबा कर चूसने लगा.

आंटी की सिसकारियां निकलने लगीं- अहहा … उम्म्ह … अहह … हय … याह … उम्म्म्म … ओह ओह … और चूस और चूस उम्म्म्म … आह आह.

मैंने आंटी के चूचों को चूसते चूसते उनकी चूत में उंगली करने लगा और फिर उनके चूचों से होता हुआ उनके पेट और नाभि पर चूमने लगा. आंटी का बुरा हाल होने लगा. मैं उनकी चूत चूसने लगा और चूत को चूसते टाइम उनके चूचों को अपने हाथों से दबाने लगा.

आंटी की मस्त सिसकारियां निकल रही थीं- आहह … अहहा … अहह … अहह … उम्म्म्म … उफफ्फ़ … और चूस और चूस उम्म्म्म … आह आह.

तभी आंटी का पानी निकल गया और मैंने उनका सारा पानी पी लिया. मैंने उनकी चूत को चाट चाट कर साफ कर दिया और वापिस उनके ऊपर आकर उनके होंठ चूसने लगा.

किरण आंटी फिर से गर्म होने लगीं और कहने लगीं- अब और मत तड़पाओ … जल्दी से डाल तो अन्दर.
मैंने कहा- पहले मेरा लंड तो चूसो.
उन्होंने मेरा लंड हाथ में पकड़ा और बोलीं- तेरा लंड तो तेरे अंकल से भी बहुत बड़ा है और मोटा भी है.
मैंने कहा- आंटी जी, ये सिर्फ़ आपको देख कर कुछ ज्यादा ही मचल रहा है, अब इसको अपने मुँह में लो और इसे शांत कर दो.

किरण आंटी ने मेरे लंड को अपने मुँह में ले लिया और चूसने लगीं. साली आंटी ने पहली बार में ही पूरा का पूरा लंड मुँह के अन्दर ले लिया. दोस्तो … क्या मजा दे देकर चूस रही थी लंड … मुझे तो बहुत मजा आ रहा था.

इसे भी पढ़ें:  Bhai-Bahan Chudai Kahani :चचेरे भाई के साथ वो रात

थोड़ी देर लंड चूसने के बाद आंटी बोली- अब तो मुझसे भी नहीं रहा जा रहा है. जल्दी से डाल दे लंड को मेरी चूत के अन्दर और मिटा दे इस चूत की गर्मी.
मैंने लंड को आंटी की चूत पे लगा दिया. एक ही झटके से मेरा आधा लंड उनकी चूत के अन्दर चला गया.
आंटी की आवाज़ निकली- आह … मर गई.

मैंने फिर से एक और झटका मारा, तो मेरा पूरा का पूरा लंड आंटी की चूत में चला गया. वो एकदम से जोर से चिल्लाने लगीं कि आह साले फाड़ दी मेरी चूत … आराम से कर मादरचोद … बहुत दिनों से चुदी नहीं हूँ.

आंटी की चुदाई का सिलसिला शुरू हो गया. मैं उनकी धकापेल चुदाई करने लगा. आंटी की चूत में अब मेरा लौड़ा ने जगह बना ली थी और धीरे धीरे आंटी भी अब अपनी गांड उठा उठा कर चुदाई का मजा ले रही थीं ‘आह आह … उम्म्म … उफ़फ्फ़ … फक फक … ऊऊऊईइ माँ … आहह्ह्ह ऊह्ह्ह स्सस्सीई … आज तो मज़ा आ गया..’

मैं आंटी की चूत की चुदाई में मस्त था. दस मिनट तक की चुदाई के बाद आंटी झड़ने लगीं. आंटी बोलीं- तू तो बहुत मस्त चुदाई करता है … और चोद … चोद मुझे … आहह … अहहा … अहह … अहह … उम्म्म्म … उफफ्फ़ … आहह..
पूरा बेडरूम आंटी की मादक सिसकारियों से गूँज रहा था.

कुछ मिनट की और चुदाई के बाद मेरा भी झड़ने वाला था. मैं आंटी से बोला- मैं झड़ने वाला हूँ.
आंटी बोलीं- तो अन्दर ही झाड़ दे, मेरा भी होने वाला है.

मैं और ज़ोर ज़ोर से चुदाई करने लगा. थोड़ी देर बाद उनका भी पानी निकल गया और मैंने भी अपना माल उनकी चूत में ही गिरा दिया. मैं उनके ऊपर ही लेट गया.

उस दिन मैंने उनको दो बार और चोदा. वो तो जैसे मेरे लंड की दीवानी ही हो गयी थीं.
उसके बाद मैं अपने घर वापिस आ गया.

और अब हमें जब भी मौका मिलता है, हम दोनों चुदाई कर लेते हैं.

उसके बाद मैंने उनकी गांड भी मारी. वो मैं अगली बार बताऊँगा कि कैसे मैंने उनकी गांड मारी. अञ्जलि की जवानी का रस भी मुझे चखना है और इसके लिए आंटी ने कैसे मुझे इजाजत दी, इस सबका बखान भी जल्द ही करूंगा.

आपको यह कहानी कैसी लगी?

स्टार्स को क्लिक करके आप वोट कर सकते है।

Average rating 2 / 5. Vote count: 1

अभी तक कोई वोट नहीं मिला, आप पहला वोट करें

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Comments

No comments yet. Why don’t you start the discussion?

    प्रातिक्रिया दे

    आपका ईमेल पता प्रकाशित नहीं किया जाएगा. आवश्यक फ़ील्ड चिह्नित हैं *