मेरा नाम अनिल है। मैं एक छोटे से गाँव से हूँ, जहाँ मैंने अपनी 12वीं की पढ़ाई पूरी की। फिर शहर में फार्मेसी की पढ़ाई के लिए कॉलेज जॉइन किया। अब मुझे वहाँ दो साल हो चुके थे। मेरे बारे में बताऊँ तो मैं 20 साल का हूँ, जिम जाता हूँ, जिससे मेरी बॉडी काफ़ी अच्छी दिखने लगी है। हाइट भी ठीक-ठाक है, लगभग 5 फीट 10 इंच। और हाँ, मेरे लंड की बात करूँ तो वो 6.5 इंच लंबा और 2 इंच मोटा है। मैंने हमेशा इसका ख्याल रखा, तेल की मालिश की, और कभी-कभी दवाइयाँ भी खा लीं, ताकि मर्दानगी में कोई कमी न आए। लेकिन सच कहूँ, मैंने कभी किसी लड़की को चोदा नहीं था। बस मुठ मारकर ही काम चलाया था।
पढ़ाई पूरी होने वाली थी, तो मैंने एक मेडिकल स्टोर पर काम शुरू कर दिया था। एक दिन दुकान पर एक गाँव की दीदी आईं। क्या माल थी वो! उनके बूब्स इतने बड़े थे कि संतरे से भी बड़े लग रहे थे, हाथ में भी शायद न समाते। उनकी गांड भी काफ़ी भारी थी, एकदम मस्त। मैं ज्यादा देर तक तो नहीं देख पाया, लेकिन जो देखा, वो दिल में उतर गया। उन्होंने एक कंडोम माँगा। मैं उसे ढूँढने लगा, लेकिन मन में सवाल उठा कि पूछ लूँ ये किसके लिए ले रही हैं? डर भी था कि कहीं दुकान के मालिक को शिकायत न कर दें। फिर भी हिम्मत करके पूछ लिया, “ये किसके लिए?”
उन्होंने मुस्कुराते हुए सिर आगे किया और बोलीं, “शादी नहीं हुई है, बॉयफ्रेंड भी नहीं है, तो भाई से ही चुद लूँगी।” ये कहकर वो हँसते हुए चली गईं। मैं तो हक्का-बक्का रह गया। मेरे दिमाग में बस यही बात घूमने लगी।
फिर मैंने सोचा, मेरी भी तो बहन है, सुहानी। वो अब 18 साल की हो चुकी थी। पूरा दिन मैं बस यही सोचता रहा। दुकान पर काम में मन नहीं लग रहा था। सुहानी के बारे में सोच-सोचकर मेरा दिमाग घूम रहा था। आखिरकार मैंने छुट्टी ली और खेतों की तरफ चला गया। वहाँ एक पेड़ के नीचे बैठकर सुहानी के बारे में सोचने लगा। सुहानी का रंग एकदम गोरा था, जैसे दूध। उसके बूब्स भी पिछले कुछ समय से सलवार-कमीज में उभरे हुए दिखते थे। मतलब, वो अब जवान हो रही थी। उसकी गांड भी पहले से ज्यादा चौड़ी लगने लगी थी। एक बार गलती से उसका तौलिया मेरे सामने खुल गया था, तो उसकी नंगी गांड देखकर मेरा लंड खड़ा हो गया था।
अब मैंने ठान लिया था कि सुहानी को ही चोदूँगा, चाहे जो हो जाए। मैंने दिमाग में प्लान बनाना शुरू किया। घर की ओर चलते हुए रास्ते में एक स्टोर से कुछ सेक्स की गोलियाँ ले लीं। घर पहुँचा तो देखा सुहानी किचन में खाना बना रही थी। मम्मी सो रही थीं, और पापा तो हमेशा शहर में ही रहते थे। मैंने मौके का फायदा उठाया और सुहानी को निहारने लगा। वो रोटी बेल रही थी, और उसकी गांड हर बार हिल रही थी। उसकी सलवार में उसकी गांड का उभार ऐसा लग रहा था, जैसे मुझे बुला रहा हो। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया।
तभी सुहानी ने मुझे देख लिया और बोली, “ये क्या कर रहे हो, भाई?” मैंने हँसते हुए कहा, “तुझे देख रहा हूँ, तेरा ये माल देखकर लंड खड़ा हो गया।” सुहानी ने गुस्से में कहा, “अपनी बहन को देख रहे हो? शर्म नहीं आती?” दरअसल, हमारी ऐसी मज़ाकिया बातें होती रहती थीं। हम हँसी-मज़ाक में ऐसी बातें कर लेते थे, लेकिन आज मेरा इरादा कुछ और था।
मैंने मौका देखकर उसकी गांड पर हल्के से हाथ फेर दिया। सुहानी चौंक गई और बोली, “ये क्या था, भाई? ऐसा मत करो!” मैंने बेशर्मी से कहा, “सुहानी, तुझे चोदना है मुझे। बोल, बदले में तू क्या लेगी?” वो गुस्से में आग-बबूला हो गई। उसने अपनी चुनरी सीने पर कसके पकड़ी और बोली, “गंदे, तू मुझे ऐसी नज़र से देखता है?”
मैं चुपचाप बाहर निकल गया और कमरे में जाकर टीवी देखने लगा। थोड़ी देर बाद सुहानी खाना लेकर आई। खाना रखते वक्त वो झुकी, और उसकी चुनरी नीचे गिर गई। उसके बूब्स सलवार से बाहर झाँक रहे थे। इतने बड़े और गोरे बूब्स देखकर मेरा मुँह में पानी आ गया। उसने फट से हाथ से सीना ढका और गुस्से में मुझे घूरकर चली गई।
अगले कुछ दिन मैं हर मौके पर उससे यही सवाल पूछता, “सुहानी, बोल ना, चुदाई के लिए तैयार है?” वो पहले तो गुस्सा होती, लेकिन धीरे-धीरे उसका गुस्सा कम होने लगा। वो बस परेशान होकर “नहीं” बोल देती। एक दिन मैंने उसकी ब्रा देख ली, जो रस्सी पर सूख रही थी। मैंने उसे उठाकर देखा, साइज़ 34D था। मतलब, उसके बूब्स वाकई बड़े थे। पास में ही उसकी पैंटी भी थी, जिस पर चूत का पानी लगा हुआ था। मैंने उसे सूँघा तो मेरा लंड और सख्त हो गया।
एक दिन मौका मिला। सुहानी कपड़े धो रही थी। मैंने पीछे से उसकी गांड पकड़ ली। उसने धक्का देकर मुझे हटाया और गुस्से में अंदर चली गई। मैंने एक नया प्लान बनाया। मैंने सेक्स की गोलियाँ खरीदीं और रोज़ चुपके से सुहानी के खाने में थोड़ी-सी मिलाने लगा। कुछ ही दिनों में फर्क दिखने लगा। सुहानी का मूड बदलने लगा। वो अब मेरे छेड़ने पर ज्यादा गुस्सा नहीं करती थी। मेरी हिम्मत बढ़ गई। अब मैं हर मौके पर उसकी गांड या बूब्स दबा देता था।
एक दिन वो सोफे पर लेटकर टीवी देख रही थी। मम्मी सामने बैठी थीं, लेकिन उनका ध्यान पूरी तरह टीवी पर था। शायद उन्हें नींद भी आ रही थी। मैंने टीवी का वॉल्यूम बढ़ा दिया और सुहानी के पास बैठ गया। मैंने धीरे से उसकी चूत पर हाथ रख दिया। वो चौंक गई और फुसफुसाकर बोली, “बीसी, मम्मी सामने हैं, बेशर्म!” मैंने कहा, “चुप रह, मज़ा आएगा।” मैंने उसकी चूत को सलवार के ऊपर से रगड़ना शुरू कर दिया। वो मेरे हाथ रोकने की कोशिश कर रही थी, लेकिन मैंने एक हाथ से उसके दोनों हाथ पकड़ लिए। आज मैंने उसके खाने में दो सेक्स गोलियाँ और एक नींद की गोली मिला दी थी, जिससे वो कमज़ोर पड़ गई थी।
पाँच मिनट तक उसकी चूत रगड़ने के बाद उसकी सलवार गीली हो गई। मैंने उसकी सलवार का नाड़ा खोल दिया और उसे थोड़ा नीचे सरकाया। उसकी पैंटी के ऊपर से ही मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। सुहानी सिसकते हुए बोली, “आह… भाई, प्लीज़ रुक जा… ये गलत है…” लेकिन मेरा लंड अब रुकने के मूड में नहीं था। मैंने मम्मी की तरफ देखा, वो बैठे-बैठे सो गई थीं। मैंने सुहानी की सलवार और पैंटी को और नीचे खींच दिया। उसकी चूत अब मेरे सामने थी, हल्के-हल्के बालों से ढकी हुई। मैंने उंगलियों से बाल हटाए और उसकी चूत पर जीभ फेर दी।
सुहानी सिसक रही थी, “आह… भाई… प्लीज़… रुक जा… म्म्म…” वो रोने लगी थी, लेकिन मुझे मज़ा आ रहा था। मैंने करीब 10 मिनट तक उसकी चूत चूसी। उसकी चूत से पानी निकलने लगा था। तभी मम्मी हिलीं, तो मैंने फट से सुहानी को छोड़ दिया। वो जल्दी से सलवार ऊपर करके बाथरूम भाग गई। मम्मी उठकर टीवी बंद करके सोने चली गईं।
मैं अब और रुक नहीं सकता था। मैंने मौका देखा और सुहानी के कमरे में चला गया। मैंने उसे पकड़ लिया और दरवाज़ा बंद करके लाइट बंद कर दी। सुहानी बोली, “अब क्या है, भाई? इससे ज्यादा क्या करेगा?” मैंने कहा, “देख सुहानी, अब रुकने का नहीं। तुझे भी मज़ा आएगा।” मैंने उसे ज़बरदस्ती पकड़ लिया और उसकी सलवार उतार दी। मैंने उसे बेड पर लिटाया और उसकी टाँगें फैलाईं। उसकी चूत अब मेरे सामने थी। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रखा और एक ज़ोरदार धक्का मारा। खून की पिचकारी निकली। सुहानी चीख रही थी, “आह… भाई… नहीं… दर्द हो रहा है…” लेकिन मैं रुका नहीं। मैंने उसे और ज़ोर से चोदा। उसकी चीखें अब सिसकियों में बदल गई थीं। मैंने उसे जमकर चोदा और मज़े लिए।
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