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बेटे को पेलना सिखाया

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मेरा नाम रितु है, उम्र 45 साल। लोग कहते हैं कि मेरी खूबसूरती और जिस्म का जलवा किसी को भी दीवाना बना दे। मेरे रेशमी, लंबे, काले, घने बाल हवा में लहराते हैं, जैसे किसी को अपनी बाहों में लपेटने को बेकरार हों। मेरे गुलाबी, बड़े, रसीले होंठ हर नजर को ठिठकने पर मजबूर करते हैं। मेरा गोरा रंग चाँदनी की तरह चमकता है, और मेरे भरे हुए बूब्स और भारी, गोल गांड मेरी हर अदा में एक हलचल मचा देते हैं। मेरा बेटा राहुल, 18 साल का, 5 फीट 11 इंच का लंबा लड़का, औसत जिस्म वाला, मेरे इस हुस्न का गुलाम बन चुका है। मेरे घर में दो बेटियाँ भी हैं, उनकी बात बाद में। मेरे पति का बिजनेस दूसरी सिटी में है, वो बस वीकेंड्स पर ही घर आते हैं। जवानी में वो मुझे देखते ही मुझ पर टूट पड़ते थे, पर अब उनकी पीठ का दर्द और उम्र मेरी आग को शांत करने में नाकाम हैं।

जवानी के दिनों में मेरे पति मुझे रात भर चोदते थे। घर में हर रात सिसकारियों और बेड की चरमराहट से भर जाती थी। राहुल, तब छोटा था, कई बार हमारी आवाजें सुनता था—मुझे याद है, वो दरवाजे के पास चुपके से खड़ा रहता। मैं अपने पति की हर हरकत का जवाब देती थी। उनकी ताकत ने मेरे अंदर एक चुदक्कड़ औरत को जगा दिया था, जो अब भी मेरे जिस्म में सुलग रही है। लेकिन अब वो जोश ठंडा पड़ गया है। उनकी पीठ की तकलीफ मुझे अधूरी छोड़ देती है। मेरी चूत की प्यास, मेरे जिस्म की आग पहले से भी ज्यादा भड़क रही है। राहुल की 12वीं की परीक्षा खत्म हुई तो वो घर पर ही रहने लगा। मुझे शक था कि वो पोर्न देख रहा है—देर रात तक उसके कमरे से फोन की रोशनी झाँकती थी। उसकी आँखों में वो भूख दिखती थी जो कभी मेरे पति की थी। रात को वो बिस्तर पर करवटें बदलता, और मैं समझ जाती थी कि उसका लंड उसे सोने नहीं दे रहा। मेरे अंदर भी एक अजीब सी हलचल थी—वो मेरा बेटा था, पर उसकी जवानी मेरे जिस्म को पुकार रही थी।

राहुल को मेरे बालों से बचपन से प्यार है। मेरे लंबे, घने, मुलायम बाल उसके लिए जादू की तरह थे। छोटा था तो वो मेरे बालों में उंगलियाँ फेरता, उन्हें सूँघता, और मेरी गोद में सो जाता। अब भी वो मेरे साथ सोता है, मेरी बेटियाँ दूसरे कमरे में। मुझे उसकी ये आदत हमेशा प्यारी लगी, पर अब उसकी नजरें मेरे बालों से आगे बढ़कर मेरे बूब्स और गांड तक जाती थीं। एक रात मैं सोने का नाटक कर रही थी। मुझे पता था कि वो पोर्न देखकर आया है—उसकी साँसें तेज थीं, और वो बिस्तर पर बेचैन था। मैं दूसरी तरफ मुँह करके लेटी थी, मेरे बाल उसकी तरफ फैले हुए थे, चाँदनी में चमकते हुए। अचानक मुझे उसकी गर्म साँसें अपने बालों पर महसूस हुईं। वो उन्हें सूँघ रहा था। मेरे अंदर एक सिहरन दौड़ गई। मैं सोने का बहाना करती रही, पर मेरी चूत में गीलापन छाने लगा। उसकी साँसों की गर्मी मेरे दिल को तेज कर रही थी। क्या करूँ? वो मेरा बेटा था—ये गलत था। पर मेरे जिस्म की प्यास मुझे चुप रहने को मजबूर कर रही थी।

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फिर उसने मेरे बालों को चूमना शुरू किया। उसके होंठों की गर्मी मेरे बालों से होते हुए मेरे पूरे जिस्म में फैल गई। मेरी साँसें भारी होने लगीं, पर मैंने आँखें बंद रखीं। उसका हाथ काँप रहा था—मुझे उसकी हिचकिचाहट महसूस हुई। फिर उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरे बालों को पकड़ लिया। जब उसने अपने लंड को मेरे रेशमी बालों में रगड़ना शुरू किया, मेरे अंदर एक तूफान उठ गया। उसका सख्त लंड मेरे बालों से टकरा रहा था, और मेरी चूत गीली होकर तड़प रही थी। मैंने सुना—उसकी धीमी सिसकारियाँ, “आह्ह्ह उम्म्म आह्ह आह्ह।” उसकी हवस मेरे जिस्म में आग लगा रही थी। मैं जानबूझकर सोने का नाटक करती रही, पर मेरी चूत उसकी हर हरकत का जवाब दे रही थी। ये गलत था, पर उसका स्पर्श मुझे जगा रहा था। आखिरकार, उसने अपना गर्म वीर्य मेरे बालों में छोड़ दिया। मेरे बाल गीले और चिपचिपे हो गए। मैं जाग चुकी थी, पर कुछ नहीं बोली। मेरे मन में शर्म, गिल्ट, और एक अजीब सा नशा था। वो मेरा बेटा था, पर उसकी हवस मेरी प्यास को बुला रही थी। वो थककर सो गया, और मैं अपनी सुलगती चूत को शांत करने की कोशिश में रात भर जागती रही।

सुबह मैं नहाकर तैयार हुई। मेरे गीले बाल मेरी पीठ पर लिपटे थे। साड़ी मेरे बूब्स और गांड से चिपक गई थी। राहुल की नजर मुझ पर पड़ी, और मैंने देखा कि उसका लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने उसकी तरफ देखकर मुस्कुराते हुए कहा, “मेरा बच्चा अब बड़ा हो गया है।” मेरी आवाज में एक छेड़छाड़ थी, जो उसे उकसा रही थी। मुझे सब पता था, पर मैंने कुछ नहीं कहा। उस दिन रात को वो फिर मेरे बालों के पास आया। उसकी साँसें मेरे बालों को छू रही थीं, उसने उन्हें सूँघा, चूमा, और फिर मुठ मार दी। मेरे जिस्म में आग भड़क रही थी। सुबह मैंने बाल धोए, और जब वो मेरी तरफ देख रहा था, तो मैंने नकली गुस्सा दिखाया। जब मेरी बेटियाँ बाहर गईं, मैं उसके पास गई। मेरी साड़ी का पल्लू हल्का सा सरक गया था, मेरे बूब्स की गहरी लकीर उसे दिख रही थी। मैंने सख्त लहजे में कहा, “तुम दो दिन से मेरे साथ क्या कर रहे हो?”

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उसके चेहरे का रंग उड़ गया। वो काँपने लगा और रोते हुए बोला, “मैं फिर ऐसा नहीं करूंगा। मैं पोर्न मूवी देखकर जोश में आ गया था और फिर तुम्हारे बालों पे मुठ मार दी। मुझे माफ कर दो प्लीज, पापा को मत बताना।” उसकी आँखों से आँसू बह रहे थे। मैं उसे देखकर पहले गुस्सा दिखाई, फिर अचानक हँस पड़ी। वो हैरान था। ये गलत था, पर मेरे जिस्म की प्यास मुझे रोक रही थी। मैंने कहा, “आज के बाद मेरी सारी बात मानोगे, तो मैं तुम्हारे पापा को कुछ नहीं बताऊँगी।” उसने हाँ कहा। मैंने कहा, “पोर्न नहीं देखोगे। किसी रंडी के पास नहीं जाओगे। और मेरे बालों में रोज मुठ नहीं मारोगे।” वो मान गया, पर उसकी आँखों में सवाल थे। मैंने धीरे से कहा, “मैं संडे को बाल धोती हूँ, तो सैटरडे को मेरे बालों में मुठ मार सकते हो।” उसकी खुशी देखकर मेरी चूत फिर गीली हो गई। वो मेरे गले लग गया, और उसकी गर्मी ने मुझे मदहोश कर दिया। मैंने कहा, “इसके बदले मैं तुम्हें सब सिखाऊँगी।” फिर मैंने अपने पति की बात बताई, “पापा अब मुझे नहीं करते। उनकी पीठ की वजह से वो पहले जैसे नहीं रहे। लेकिन मेरी प्यास पहले से भी ज्यादा है।”

उसकी आँखों में आग भड़की। उसने मुझे जोर से पकड़ा और मेरे होंठों पर किस कर दिया। मेरे रसीले होंठों का स्वाद उसे पागल कर रहा था। मैंने भी उसका साथ दिया—ये गलत था, पर मेरी चूत की तड़प मुझे रोक नहीं पा रही थी। मेरी जीभ उसके मुँह में घूमने लगी। जब उसने मेरे कपड़े उतारने की कोशिश की, मैंने रोका और बोली, “तुम अनाड़ी हो। अभी कोई आ सकता है, रात में करेंगे।” वो दिन मेरे लिए तड़प से भरा था। रात को मैं लाल साड़ी में कमरे में गई, मेरे बाल खुले थे। मैंने दरवाजा बंद किया और एक गिलास दूध लेकर आई। मैंने कहा, “धीरे बात करना, ज्यादा शोर मत करना, और मुझे फॉलो करना।” फिर मैंने उसे किस करना शुरू किया। मेरे हाथ उसके बालों में घूम रहे थे। मैंने उसका एक हाथ मेरी कमर पर और दूसरा मेरे रेशमी बालों में रखवाया। उसकी उंगलियाँ मेरे बालों की चिकनाहट में खो गईं। मैंने उसके होंठ चूसे, अपनी जीभ उसके मुँह में डाली। वो मेरी जीभ चूस रहा था, फिर उसने अपनी जीभ मेरे मुँह में डाली। हमारी साँसें गर्म हो चुकी थीं। हम नंगे हो गए। मैं उसे बाथरूम ले गई। उसका लंड लोहे की तरह सख्त था। मैंने इसे पानी से धोया, अपनी उंगलियाँ उस पर फेरीं, और उसकी सिसकारियाँ मेरी चूत में आग लगा रही थीं।

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मैंने उसका लंड चूसना शुरू किया। पहले टोपे को होंठों से दबाया, फिर जीभ से घुमाया। उसकी “आह्ह आह्ह उम्म्म” की आवाजें मेरे जिस्म को तड़पा रही थीं। उसके हाथ मेरे बालों में थे। फिर मैं उसे बेड पर ले गई, टाँगें फैलाकर लेट गई। मेरी चूत गीली और गुलाबी थी। मैंने कहा, “पहले ऊपर से चाटो, फिर हाथ से खोलो और उंगली डाल के चोदो।” उसने मेरी चूत को चाटा, और मेरी सिसकारियाँ निकल पड़ीं—“आह्ह्ह उम्म्म ओह्ह आह्ह।” उसकी उंगली मेरे अंदर गई, और मेरा पानी उसके होंठों तक पहुँच गया। मैंने कहा, “जल्दी चूसो।” उसने चूसा, और हम 69 में आ गए। मैं उसका लंड चूस रही थी, वो मेरी चूत। फिर मैंने कहा, “अब मेरी चूत में लंड पेलो।” उसका लंड फिसल रहा था, तो मैंने इसे पकड़कर अपनी चूत पर सेट किया और बोली, “पेलो।” उसका लंड मेरे अंदर घुसा, दर्द हुआ, पर वो मज़ा मेरी प्यास को शांत कर रहा था। दो धक्कों में ही उसका वीर्य निकल गया। वो निढाल हो गया, और मैं हँस पड़ी। मैंने उसे पास खींचा, माथे पर किस किया और बोली, “बेटा, पहली बार ऐसा होता है। अभी शुरुआत है।”

मैंने उसे दूध पिलाया, फिर उसका लंड चूसकर खड़ा किया। इस बार वो आसानी से मेरे अंदर गया। मेरी सिसकारियाँ—“आह्ह आह्ह ओह्ह उम्म्म”—कमरे में गूँज रही थीं। मैं झड़ गई। फिर मैंने कहा, “डॉगी में चोदो।” मैं घुटनों पर झुकी, मेरी गांड उसके सामने थी। उसने धक्के दिए, “पच पच” की आवाज गूँजी। उसने मेरे कुल्हों पर थप्पड़ मारे, और मैं फिर झड़ गई। फिर मैं उसके लंड पर बैठी, घुड़सवारी की। मेरे बाल हिल रहे थे, बूब्स उछल रहे थे। वो झड़ गया। मैं गुस्सा हुई, “मुझे तुम्हारा वीर्य पीना था।” उसने कहा, “चूस के निकाल लो।” मैंने उसके लंड को अपने बालों से रगड़ा, चूसा, और आखिरकार उसका वीर्य मेरे मुँह में आया। मैंने सारा पी लिया। फिर हमने कपड़े पहने, एक-दूसरे को चूमा, और गले लगकर सो गए।

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