भाई ने मुझे खूब चोदा मैं भी कोई कसर नहीं छोड़ी चुदवाने में

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Bahn Bhai sex story- Bhai Behan ki chudai मेरा नाम नेहा है, उम्र 19 साल, गोरी-चिट्टी, कद 5 फीट 4 इंच, फिगर 34-28-36, लंबे काले बाल और चुलबुली सी हंसी। मैं एक कॉलेज स्टूडेंट हूँ, और मेरी जिंदगी में मस्ती और थोड़ा सा नखरा तो बनता है। मेरा भाई राहुल, 22 साल का, लंबा-चौड़ा, 5 फीट 10 इंच, गठीला बदन, और कॉलेज का सबसे स्मार्ट लड़का। उसकी आँखों में एक अलग सी चमक है, जो हर बार मुझे थोड़ा सा बेचैन कर देती थी। हमारी मम्मी, शीला, 40 साल की, जॉब करती हैं, सख्त मिजाज लेकिन प्यार करने वाली। पापा, राजेश, 45 साल के, बैंक में काम करते हैं, और हाल ही में उनका ट्रांसफर कानपुर हो गया। अब घर में सिर्फ मैं, मम्मी और राहुल ही रहते थे।
हमारा घर दिल्ली के एक पॉश इलाके में है, दो मंजिला, ऊपर राहुल का कमरा और नीचे मेरा। मम्मी सुबह जल्दी जॉब के लिए निकल जाती थीं, मैं कॉलेज के लिए स्कूटी से जाती, और राहुल अपनी स्कूटी से अपने कॉलेज। दोपहर में मैं 1 बजे ऑटो से घर आ जाती, और राहुल मम्मी के आने से एक घंटा पहले, यानी करीब 4 बजे। पापा को कानपुर गए 15 दिन हो चुके थे, और मेरे जिस्म में एक अजीब सी बेचैनी थी। सेक्स की तलब, जो मैं पहले पापा के साथ पूरी करती थी, अब मुझे तड़पा रही थी। मैं सोचती थी कि अब क्या करूँ, किसके पास जाऊँ, जो मेरी इस आग को बुझा सके।
एक दिन मम्मी की तबीयत ठीक नहीं थी। राहुल ने उनसे कहा, “मम्मी, आज मुझे चाय नहीं चाहिए।” मम्मी ने ये बात मुझे बताना भूल गईं और सो गईं। मैंने चाय बनाई और राहुल के कमरे की तरफ बढ़ी। उसका कमरा ऊपर था, और खिड़की थोड़ी खुली हुई थी। जैसे ही मैं खिड़की के पास पहुंची, मेरी नजर अंदर पड़ी। राहुल सिर्फ कच्छे और बनियान में था, एक किताब पढ़ रहा था, और उसका लंड, जो कच्छे में साफ दिख रहा था, पूरी तरह खड़ा था। वो धीरे-धीरे उसे सहला रहा था। मैं तो बस वहीँ ठिठक गई। मेरी साँसें तेज हो गईं, दिल की धड़कनें बेकाबू। उसका लंड इतना टाइट था कि कच्छे में टेंट बन गया था। मैं चाय का कप पकड़े हुए भूल गई कि मैं यहाँ क्यों आई हूँ।
राहुल को शायद यकीन था कि आज कोई चाय देने नहीं आएगा, इसलिए वो बेफिक्र था। लेकिन उसे क्या पता कि मैं उसे इस हाल में देख रही हूँ। मेरी चूत में खुजली होने लगी। मैंने एक कदम आगे बढ़ाने की हिम्मत नहीं की, बस वहीँ खड़ी रही। मेरे दिमाग में एक ही ख्याल था—काश मैं अंदर जाकर कह सकूं, “भाई, इसे ऐसे मत सहलाओ, मैं सहलाती हूँ। मैं तुम्हारे लंड को खुश कर दूँगी।” लेकिन मैं मजबूर थी। मैंने चाय का कप साइड में रखा और वहीं बैठकर अपनी चूत को सहलाने लगी। राहुल का खड़ा लंड मेरे लिए किसी जादू से कम नहीं था। मेरी चूत में खलबली मच गई थी।
फिर राहुल ने अपना लंड कच्छे से बाहर निकाला। हाय राम, क्या मस्त लंड था! कोई 6.5 इंच लंबा, 3 इंच मोटा, सख्त और गर्म। मैं तो बस देखती रह गई। काश मैं वहाँ होती, तो उसका कच्छा ही चबा जाती। राहुल ने लंड को आगे-पीछे करना शुरू किया। मेरी चूत चिल्ला रही थी, “अरे पागल, ये क्या कर रहा है? तेरी बहन की चूत इसे लेने को तैयार है, और तू मूठ मार रहा है!” लेकिन मैं क्या करती, अपनी चाहत को दिल में दबाना पड़ा। मैंने भी उंगली डालकर फिंगरिंग शुरू कर दी। उधर राहुल के लंड ने पानी छोड़ा, और इधर मेरी चूत का भी पानी निकल गया। मैं उठी, ठंडी चाय लेकर वापस आ गई।
अपने कमरे में आकर मैं बेचैन थी। राहुल का लंड मेरी आँखों के सामने था। अब मेरी चूत और मेरा दिल, दोनों उस लंड को पाने की जुगत में लग गए। मैंने सोचा, पहले राहुल को अपनी चिकनी चूत दिखानी होगी, ताकि उसका लंड मुझे देखते ही खड़ा हो जाए। लेकिन ये होगा कैसे? मेरी समझ में कुछ नहीं आ रहा था। राहुल सुबह 6 बजे ऊपर वाले बाथरूम में नहाकर कॉलेज चला जाता था। मैं और मम्मी 8 बजे से पहले उठते नहीं थे। मेरी आँखों से नींद गायब थी। हर पल राहुल का फनफनाता लंड मेरे सामने घूम रहा था। मैं जब भी आँखें बंद करती, मुझे राहुल अपनी चूत के लिए तड़पता नजर आता। मेरा दिल कहता, “उसे ऐसे तड़पने मत दे, नेहा।”
रात के 2 बज चुके थे, लेकिन मेरी चूत मुझे सोने नहीं दे रही थी। वो बार-बार कह रही थी, “मुझे लंड चाहिए, बस चाहिए!” मैं उसकी मजबूरी में फंस गई थी। तभी मेरे दिमाग में एक आइडिया आया। मैं छत पर गई और राहुल के बाथरूम की टंकी का वाल्व बंद कर दिया, ताकि उसे नहाने के लिए पानी न मिले। फिर अपने कमरे में आकर इंतज़ार करने लगी।
सुबह 5:45 बजे मैं अपने बाथरूम में थी। मैंने कपड़े उतार दिए और दरवाजा थोड़ा सा खुला छोड़ दिया। मुझे पता था कि राहुल पानी के लिए नीचे आएगा। करीब 6 बजे मैंने उसे सीढ़ियों से उतरते सुना। मैंने शावर चालू किया और नहाने का नाटक करने लगी। दरवाजे की कुंडी नहीं लगाई थी। मेरा मुँह दरवाजे की तरफ था। मैंने एक हाथ से अपनी चूचियों को मसलना शुरू किया और दूसरा हाथ अपनी चूत पर ले गई। मैंने अपनी टांगें फैलाईं और चूत को सहलाने लगी। तभी राहुल ने दरवाजा खोला और मुझे इस हाल में देख लिया। मैंने झट से डरने का नाटक किया, जैसे मुझे कुछ पता ही न हो। लेकिन असल में मैं यही चाहती थी कि राहुल मेरी चूत और चूचियों को देख ले।
राहुल ने तुरंत दरवाजा बंद किया। मैंने अंदर से कुंडी लगाई और नहाने का नाटक पूरा किया। मैंने जानबूझकर अपनी पैंटी बाथरूम में छोड़ दी। नहाकर कपड़े पहनकर बाहर आई तो राहुल बाहर खड़ा था। मैं शरमाने का नाटक करते हुए अपने कमरे में भाग गई। राहुल नहाने के बाद अपने कमरे में चला गया। मैं चाय लेकर उसके कमरे में गई और बोली, “भाई, सॉरी, मुझे नहीं पता था कि तुम आ जाओगे।” मेरी नजरें झुकी थीं। राहुल ने कहा, “नहीं, सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए। ऊपर पानी नहीं आ रहा था, इसलिए नीचे आया।” मैंने चोर नजरों से देखा कि वो मेरी चूचियों को घूर रहा था, जो टाइट टी-शर्ट में उभरकर सामने आ रही थीं। मैं समझ गई कि मेरा प्लान काम कर रहा है।
मैं नीचे आ गई। राहुल ट्यूशन के लिए चला गया। मैं उस दिन कॉलेज नहीं गई। मम्मी को बोला कि मेरी तबीयत खराब है। सारा दिन मैं सोचती रही कि अब आगे क्या करूँ। शाम को मम्मी और राहुल घर आए। मैंने मम्मी से कहा, “मुझे स्कूटी सीखनी है।” मम्मी बोलीं, “मेरी तबीयत ठीक नहीं है, पापा आएंगे तो उनसे सीख लेना।” लेकिन मैंने जिद की, “नहीं, मुझे अभी सीखना है।” मम्मी ने राहुल से कहा, “तू इसे सिखा दे।” राहुल पहले मना करने लगा, लेकिन फिर उसे ख्याल आया कि मेरे पीछे बैठने का मौका मिलेगा। वो मान गया। मैं तो यही चाहती थी। मेरा प्लान था कि राहुल का लंड मेरी गांड को टच करे, तो उसकी रातों की नींद उड़ जाएगी।
राहुल कुर्ता-पायजामा पहनकर आया। मैंने स्कर्ट और टॉप पहना था, ताकि उसे मेरी चूचियाँ और जांघें दिखें। हम ग्राउंड पर गए। मैं स्कूटी पर दोनों टांगें फैलाकर बैठी। राहुल मेरे पीछे था। वो जानबूझकर बार-बार ब्रेक लगाता, और मैं अपनी चूचियों को उसकी पीठ से टच करा देती। मेरी चूत में हलचल मच रही थी। मैं सोच रही थी, “बस, भाई का लंड मेरी गांड को टच कर ले, तो मज़ा आ जाएगा।” एक घंटे तक स्कूटी सीखने के बहाने हम दोनों एक-दूसरे को छूते रहे। मेरी चूत पूरी गीली हो चुकी थी, और राहुल का लंड भी पायजामे में टेंट बनाकर लार टपका रहा था।
अगले दिन शुक्रवार था। मम्मी ने कहा, “मैं शाम को कानपुर जा रही हूँ, तुम्हारे पापा के पास।” मैंने कहा, “मैं भी चलूँगी।” मम्मी बोलीं, “नहीं, तुम राहुल के साथ रुको।” ये सुनकर मेरी खुशी का ठिकाना नहीं था। मैंने सोचा, “ये मौका है। तीन दिन हैं, राहुल को पटा लूँगी।” राहुल को जब ये बात पता चली, तो उसकी मुस्कान में एक शरारत थी, जो मैंने पकड़ ली। रात को मम्मी अपनी पैकिंग कर रही थीं। मैं उनके पास बैठी थी। राहुल आया और मेरी चूचियों को घूरते हुए बोला, “मम्मी, मुझे आज दूध पीना है, वो भी फ्रेश।” मम्मी हंस पड़ीं, “तुझे क्या हो गया? तू तो दूध पीता नहीं।” मैं समझ गई कि वो मेरी चूचियों की बात कर रहा है। मैंने कहा, “कोई बात नहीं, भाई, मैं कल तुम्हें फ्रेश दूध पिलाऊँगी।” मैंने मुँह नीचे करके हंस दिया। राहुल ने मम्मी के पीछे से मुझे आँख मारी। मैंने शरमाने का नाटक किया, लेकिन मन में ठान लिया कि कल तो चुदवाकर ही रहूँगी।
रात को मम्मी राहुल को चाय देकर आईं। मैं 15 मिनट बाद ऊपर गई। खिड़की खुली थी। राहुल बेड पर लेटा था, मेरी एक फोटो हाथ में थी, जिसे वो पागलों की तरह चूम रहा था। उसका एक हाथ अपने लंड को सहला रहा था। मैं ये देखकर मुस्कुरा उठी। वो मेरी फोटो देखकर मूठ मारने लगा। मैं भी अपनी चूत में उंगली डालकर फिंगरिंग करने लगी। राहुल ने मेरी फोटो पर अपना माल गिरा दिया और बुदबुदाया, “कल तुझे ऐसा ही माल खिलाऊँगा।” मैं पागल सी हो गई। मन कर रहा था कि अभी जाकर कहूँ, “भाई, मुझे चोद डालो!” लेकिन मम्मी के डर से नीचे आ गई। सारी रात मुझे नींद नहीं आई। राहुल की भी यही हालत थी।
सुबह मम्मी जॉब पर चली गईं। मैं कॉलेज गई। 1 बजे छुट्टी हुई तो मैं ऑटो लेने बाहर आई। राहुल स्कूटी लेकर मेरा इंतज़ार कर रहा था। मैं समझ गई कि वो अब और इंतज़ार नहीं कर सकता। मैं उसके पीछे बैठी। रास्ते में वो बार-बार ब्रेक लगाता, और मैं अपनी चूचियों को उसकी पीठ से टच कराती। मेरी चूत स्कूटी पर ही गीली हो रही थी। मैं पूरी तरह तैयार थी राहुल के लंड से मज़े लेने के लिए।
घर पहुँचकर मैंने कहा, “भाई, तुम कपड़े चेंज कर लो, मैं भी चेंज कर लेती हूँ। फिर खाना बनाते हैं।” मैंने टाइट टी-शर्ट और स्कर्ट पहनी। राहुल लोअर में नीचे आया। मैं किचन में खाना बनाने लगी। राहुल मेरे पीछे आया और बोला, “नेहा, मुझे खाना नहीं चाहिए। मुझे दूध पीना है, वो भी फ्रेश।” मैंने नाटक किया, “पहले बताते तो बाजार से दूध ले आती। अब शाम को लाऊँगी।” लेकिन राहुल ने मुझे पीछे से पकड़ लिया। उसका खड़ा लंड मेरी गांड से सट गया। उसने मेरी चूचियों को मसलना शुरू किया और बोला, “मुझे ये वाला दूध चाहिए, अपनी बहन का ताज़ा दूध।” मेरी चूत में आग लग गई। मैंने नखरे दिखाए, “छोड़ो भाई, ये क्या कर रहे हो? मैं तुम्हारी बहन हूँ, शर्म नहीं आती?”
राहुल ने मेरी गर्दन पर किस करना शुरू किया। उसका लंड पायजामे में फनफना रहा था, जैसे मेरी चूत में घुसने को बेताब हो। मैंने फिर कहा, “भाई, ये गलत है, मुझे छोड़ दो!” लेकिन वो कहाँ मानने वाला था। वो मेरी चूचियों को मसलता रहा, मेरी गांड पर लंड का दबाव बढ़ाता रहा। मैं भी अब मस्ती में आ गई। मैंने कहा, “आह भाई, उफ्फ, ये क्या कर रहे हो!” उसने मेरा मुँह अपनी तरफ किया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका रसपान मुझे पागल कर रहा था। फिर उसने मुझे गोद में उठाया और मेरे कमरे में ले जाकर बेड पर लिटा दिया।
मेरी चूत खुशी से किलकारियाँ मार रही थी। राहुल मेरे ऊपर आया, मेरे होंठों को चूसने लगा, मेरी चूचियों को सहलाने लगा। मैं बोली, “नहीं भाई, ये पाप है, छोड़ दो!” लेकिन मैं चाहती थी कि वो मेरी एक न सुने। वो मेरी टी-शर्ट उतारने लगा। मेरी चूचियाँ आज़ाद हो गईं। वो उन्हें देखकर पागल हो गया। बोला, “नेहा, जब से इन्हें देखा, बस यही तमन्ना थी।” मैंने कहा, “तो पी लो ना भाई, मना किसने किया? आहह, जी भर के पीलो!”
राहुल मेरी चूचियों को चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पलों पर नाच रही थी। मैं सिसक रही थी, “आहह भाई, उफ्फ, हाईई, बहुत मज़ा आ रहा है!” मैंने उसका लोअर नीचे खींचा। उसने कच्छा नहीं पहना था। उसका 6.5 इंच का लंड मेरे सामने था, फनफनाता हुआ। मैंने उसे हाथ में लिया और चूमने लगी। फिर मुँह में लेकर चूसने लगी। राहुल सिसक रहा था, “आहह नेहा, मेरी जान, खा जाओ इसे! आहह, क्या मस्त चूस रही हो!” मैंने उसका लंड पूरा मुँह में लिया, जीभ से चाटा, लॉलीपॉप की तरह चूसा। उसका पानी निकल गया, और मैंने उसे पी लिया।
राहुल ने मुझे लिटाया और मेरी पैंटी उतार दी। मेरी चिकनी चूत को देखकर बोला, “उस दिन तुम्हारी पैंटी बाथरूम में मिली थी। उसकी खुशबू ने मुझे पागल कर दिया।” मैं मन ही मन मुस्कुराई। उसने मेरी चूत पर मुँह रखा। उसकी गर्म साँसों से मेरी चूत सनसना उठी। वो मेरी चूत को चाटने लगा, जीभ अंदर-बाहर करने लगा। मैं चिल्ला रही थी, “आहह भाई, उफ्फ, हाईई, खा जाओ मेरी चूत को! आहह, माआ, बहुत मज़ा आ रहा है!” उसने मेरी क्लिट को मुँह में लिया। मेरी जान निकलने लगी। मैं चिल्लाई, “भाई, अब लंड डाल दो! आहह, हाईई, मेरी चूत को चोद दो!”
राहुल ने मेरी चूत पर थूक लगाया, अपने लंड पर भी। फिर लंड को मेरी चूत के मुँह पर रखकर एक धक्का मारा। आधा लंड अंदर चला गया। मैं चिल्लाई, “हाय मर गई!” उसने दूसरा धक्का मारा, और पूरा लंड मेरी चूत में समा गया। दर्द हुआ, लेकिन मज़ा उससे कहीं ज्यादा था। राहुल ने लंड अंदर-बाहर करना शुरू किया। मेरी चूत उसके लंड को गले लगा रही थी। मैं नीचे से गांड हिलाकर साथ दे रही थी। “आहह भाई, और ज़ोर से! फाड़ दो मेरी चूत को! उफ्फ, हाईई, माआ, बहुत मज़ा आ रहा है!”
राहुल मेरी चूचियों को मसल रहा था, मेरी चूत को चोद रहा था। उसका लंड मेरी चूत की दीवारों से रगड़ रहा था। चुप-चुप की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। मैं एक बार झड़ चुकी थी, लेकिन फिर भी मज़ा ले रही थी। “आहह भाई, और तेज़! फाड़ दो मेरी चूत! उफ्फ, हाईई, माआ!” राहुल की स्पीड बढ़ गई। कोई 20 मिनट की चुदाई के बाद हम दोनों एक साथ झड़ गए। उसका गर्म माल मेरी चूत में पिचकारी की तरह छूटा। मैं चिल्लाई, “हाय मर गई!” मुझे ऐसा लगा जैसे मेरे जिस्म से जान निकल गई हो।
राहुल मेरे ऊपर लेट गया। 15 मिनट बाद उसने लंड निकालना चाहा। मैंने कहा, “भाई, इसे ऐसे ही रहने दो।” 10 मिनट बाद उसने लंड निकाला और मेरी चूत को चाटकर साफ किया। बोला, “क्या नमकीन चूत है तेरी!” मैंने भी उसके लंड को चाटकर साफ किया। फिर मैंने कहा, “भाई, ये मज़ा रोज़ दोगे?” वो खुशी से पागल हो गया। बोला, “हाँ बहना, मैं तो हर पल तुझे चोदने को तैयार हूँ!” मैंने उसे गले लगाया।
मैंने उसके लंड को फिर से सहलाना शुरू किया। 10 मिनट बाद वो फिर फनफनाने लगा। राहुल बोला, “नेहा, ये तेरी चूत को हर पल चोदने को तैयार है।” मैंने कहा, “भाई, मेरी चूत भी तुम्हारी ही है। जब चाहो चोद डालो।” फिर तो जब भी मस्ती चढ़ती, हम एक-दूसरे का पूरा साथ देते।
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