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भाभी और बहन दोनों को एक साथ चोदा

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(19897)

हाय, मेरा नाम मनोज है और मैं दिल्ली से हूँ। मैं 20 साल का हूँ और आज मैं अपनी जिंदगी का सबसे गर्म और हसीन अनुभव आपके साथ शेयर करने जा रहा हूँ। मेरे परिवार में कुल चार लोग हैं। मेरे बड़े भाई, उनकी पत्नी यानी मेरी भाभी सोनी, जिनकी शादी को अभी सिर्फ़ एक साल हुआ है, मेरी छोटी बहन पूजा जो 18 साल की है, और मैं। मेरे पापा काम के सिलसिले में हमेशा बाहर रहते हैं। भाभी सोनी 22 साल की हैं, उनका फिगर 34-28-36 है, गोरी चमकती त्वचा, काले लंबे बाल जो कमर तक लहराते हैं, और आँखें जो सीधे दिल में उतर जाएँ। उनकी चूचियाँ एक महीने पहले बच्चे को जन्म देने की वजह से दूध से भरी रहती हैं, और जब वो चलती हैं, तो उनका भारी फिगर और हल्का उछलता हुआ बदन किसी का भी ध्यान खींच लेता है। पूजा का फिगर 32-26-34 है, उसकी जवानी में एक ताज़ा कशिश है, जैसे सुबह की ओस में नहाया फूल। उसकी कसी हुई कमर और मासूम चेहरा हर किसी को दीवाना बना देता है। मैं हमेशा भाभी और पूजा के बारे में सोचता था, लेकिन डर के मारे कभी हिम्मत नहीं जुटा पाया।

ये गर्मी का मौसम था, और दिल्ली की गर्मी अपने चरम पर थी। भाई ऑफिस गए थे, पूजा कॉलेज, और घर में सिर्फ़ मैं और भाभी थे। मैं अपने कमरे में कंप्यूटर पर कुछ काम कर रहा था, हेडफोन लगाए गाने सुनते हुए। तभी भाभी ने दरवाजे पर खड़े होकर आवाज़ लगाई, “मनोज, जरा बाहर से दूध ले आ।” उनकी आवाज़ में एक शरारत थी, जो मैंने उस वक्त नोटिस नहीं की। मैं तुरंत दुकान गया, लेकिन दूध खत्म था। खाली हाथ लौटकर मैंने कहा, “भाभी, दूध नहीं मिला, सारा खत्म हो गया।” भाभी ने अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए, हल्के से मुस्कुराकर कहा, “कोई बात नहीं, मैं कुछ और बना लूँगी।” उनकी मुस्कान में कुछ छुपा था, लेकिन मैं वापस अपने काम में लग गया।

थोड़ी देर बाद भाभी मेरे कमरे में आईं, उनके हाथ में एक कप चाय थी। वो बोलीं, “लो मनोज, चाय पी लो।” मैंने कप उठाया और एक घूँट लिया। चाय दूध वाली थी, गर्म और मीठी। मैं हैरान हो गया। “भाभी, ये दूध वाली चाय? घर में तो दूध था नहीं।” भाभी ने मेरे पास आकर, अपनी आँखों में शरारत भरे अंदाज़ में कहा, “बस, दूध मिल गया।” मैं समझ नहीं पाया और ज़िद करके पूछने लगा। भाभी ने हँसते हुए, अपनी साड़ी का पल्लू थोड़ा सा सरकाते हुए कहा, “किसी को बताएगा तो नहीं ना?” मैंने तुरंत कहा, “नहीं भाभी, आप बताइए।”

भाभी मेरे और करीब आईं, उनकी साँसें मेरे चेहरे पर महसूस हो रही थीं। वो धीरे से बोलीं, “अरे, मैं औरत हूँ, मेरे पास तो हमेशा दूध रहता है। बच्चे को जन्म देने की वजह से मेरी चूचियों में दूध भरा है।” मैं अभी भी समझ नहीं पाया। “मतलब?” मैंने हैरानी से पूछा। भाभी ने साफ़ कहा, “मैंने अपनी चूचियों का दूध निकालकर चाय बनाई। तुम्हारे भैया को तो इसका स्वाद बहुत पसंद है।” मैं सन्न रह गया। “भाभी, आप मुझे अपना दूध पिला रही हैं?” मैंने चौंककर पूछा। भाभी ने हँसते हुए, अपनी साड़ी का पल्लू और थोड़ा सरकाते हुए कहा, “हाँ, और क्या! अरे, इसमें क्या शरम? तुम तो मेरी पैंटी बर्बाद करता रहता है।”

मैं शर्म से पानी-पानी हो गया। मेरे गाल लाल हो गए, और मैं नज़रें झुकाकर बैठ गया। भाभी ने मेरी शरम देखी और बोलीं, “क्या हुआ? मैं सब जानती हूँ। मैंने देखा है तुझे, मेरी पैंटी सूँघता है, उस पर मूठ मारता है, और अपना माल वहीँ छोड़ देता है।” मेरे पास कोई जवाब नहीं था। मैं चुपचाप सिर झुकाए बैठा रहा। भाभी ने मेरी चुप्पी देखी और और करीब आकर बोलीं, “क्या हुआ? मैं सब जानती हूँ कि तू मेरे बारे में सोचता रहता है। बता, गलत कह रही हूँ क्या?” मैं चुप रहा। भाभी अब पूरी तरह खुल चुकी थीं। वो बोलीं, “अरे, डर क्यों रहा है? जिस तरह तू मुझे देखकर पागल हो जाता है, उसी तरह मैं भी जब से तेरा लंड देखा है, तभी से तेरे बारे में सोचती हूँ।”

ये सुनकर मेरे अंदर जैसे बिजली दौड़ गई। मेरे दिल की धड़कनें तेज़ हो गईं, और मेरा 9 इंच का लंड लुंगी में तन गया। मैंने तुरंत भाभी का हाथ पकड़ा और कहा, “भाभी, सच कहूँ, मैं आपको देखकर पागल हो चुका हूँ। प्लीज़, मुझे सिर्फ़ एक मौका दीजिए।” भाभी ने हल्के से शरमाते हुए, अपनी साड़ी का पल्लू ठीक करते हुए कहा, “ठीक है, लेकिन किसी को पता नहीं चलना चाहिए, खासकर पूजा को।” मैंने तुरंत वादा किया, “कभी नहीं, भाभी। ये हमारा राज़ रहेगा।”

मैंने भाभी को अपनी बाहों में भर लिया। उनका गर्म बदन मेरे सीने से टकराया, और उनकी साड़ी की सिलवटों से उनकी चूचियों की गर्मी मेरे हाथों में महसूस हुई। मैंने उनके होंठों पर अपने होंठ रखे और पागलों की तरह चूमने लगा। उनकी साँसें तेज़ हो रही थीं, और वो भी मुझे उसी जोश से चूम रही थीं। उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और कमरे में सिर्फ़ हमारी साँसों की आवाज़ गूँज रही थी। मैंने उनके गले पर चुम्बन किए, उनके कानों को हल्के से काटा, और उनके गालों को चूमा। मेरा एक हाथ उनकी 34 साइज़ की चूचियों पर चला गया, जो दूध से भरी होने की वजह से भारी थीं। मैंने उनकी साड़ी के ऊपर से ही चूचियों को दबाया। भाभी की सिसकारी निकल गई, “आह्ह… मनोज… धीरे… दूध निकल जाएगा… उह्ह…”

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मैंने उनकी साड़ी का पल्लू सरकाया और ब्लाउज़ के बटन खोलने शुरू किए। हर बटन खुलने के साथ मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था। उनकी काली ब्रा में कसी चूचियाँ देखकर मैं पागल हो गया। मैंने ब्रा के ऊपर से उनकी चूचियों को चूसा, और हल्का सा दबाया। भाभी की साँसें और तेज़ हो गईं, “उह्ह… मनोज… आह्ह… कितना मज़ा…” मैंने उनकी ब्रा उतारी और देखा कि उनकी गुलाबी निप्पल्स से हल्का-हल्का दूध रिस रहा था। मैंने उनकी एक चूची मुँह में ली और चूसना शुरू किया। गर्म, मीठा दूध मेरे मुँह में आया, और इसका स्वाद मुझे जन्नत की सैर कराने लगा। “आह्ह… मनोज… और चूसो… उह्ह…” भाभी सिसकारी, उनकी आवाज़ में मस्ती थी। मैंने दूसरी चूची को हाथ से दबाया, और दूध की बूँदें बाहर निकलकर बेड पर टपकने लगीं।

मैंने भाभी को घोड़ी बनने को कहा। वो बेड पर घुटनों और हाथों के बल झुक गईं। उनकी चूचियाँ नीचे लटक रही थीं, और दूध की बूँदें बेडशीट पर गिर रही थीं। मैं उनके पीछे बैठ गया और उनकी चूचियों को नीचे से पकड़ा। मैंने हल्के से दबाया, और दूध की पतली धार निकलकर बेड पर बिखर गई। “आह्ह… मनोज… कितना मज़ा आ रहा है… और दबाओ…” भाभी की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उनकी एक चूची मुँह में ली और चूसते हुए दूध पिया, जबकि दूसरी चूची को दबाकर दूध निकाला। भाभी की कमर हिल रही थी, “उह्ह… मनोज… ऐसे ही… आह्ह…”

मैंने उनकी साड़ी और पेटीकोट ऊपर उठाया, और उनकी काली पैंटी उतारी। उनकी चिकनी, गीली चूत देखकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने उनकी चूत पर अपनी जीभ रखी और धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। भाभी की कमर उछलने लगी, “उह्ह… मनोज… और ज़ोर से… आह्ह… चाटो…” मैंने उनकी चूत को जीभ से चोदा, उनकी गीली चूत का स्वाद मेरे मुँह में घुल रहा था। भाभी की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं, “आह्ह… मनोज… मत रुको… उह्ह…” मैंने उनकी चूत को इतना चाटा कि वो पूरी तरह गीली हो गई।

मैंने अपनी लुंगी उतारी और अपना 9 इंच का लंड उनकी चूत पर रखा। भाभी ने शरमाते हुए कहा, “मनोज, धीरे डालना, बच्चे के बाद पहली बार है।” मैंने धीरे-धीरे लंड डाला। उनकी चूत टाइट थी, लेकिन गीली होने की वजह से मेरा लंड धीरे-धीरे अंदर चला गया। “आह्ह… मनोज… उह्ह… कितना मोटा है…” भाभी सिसकारी। मैंने उनकी एक चूची पकड़ी, चूसते हुए दूध पिया, और धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “चप… चप… चप…” की आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं। भाभी चीख रही थीं, “आह्ह… मनोज… और ज़ोर से… चोदो मुझे… उह्ह…” मैंने उनकी चूचियों से दूध चूसते हुए, 15 मिनट तक चोदा। उनकी सिसकारियाँ और “चप… चप…” की आवाज़ें कमरे में गूँज रही थीं। आखिरकार, हम दोनों एक साथ झड़ गए। भाभी की चूत मेरे माल से भर गई, और उनकी चूचियों से दूध रिस रहा था।

तभी दरवाजे की घंटी बजी। हम दोनों चौंक गए। मैंने जल्दी से लुंगी पहनी, और भाभी ने अपनी साड़ी और ब्लाउज़ ठीक किया। मैंने दरवाजा खोला तो पूजा थी। उसने मुझे देखा और बोली, “भैया, इतनी देर क्यों लगाई?” मैंने बहाना बनाया, “बस, कुछ काम था।” भाभी और मैं अब सिर्फ़ यही सोच रहे थे कि हमें दोबारा मौका कब मिलेगा।

शाम को भैया घर आए और बोले, “मुझे ऑफिस के काम से बैंगलोर जाना है। 4-5 दिन बाद लौटूँगा।” ये सुनकर मेरे मन में लड्डू फूटने लगे। रात को मैंने भैया को एयरपोर्ट छोड़ा और वापस आया। खाना पहले ही खा लिया था, तो हम सब सोने चले गए। लेकिन मुझे नींद कहाँ? मेरा मन भाभी के कमरे में जाने को कर रहा था, लेकिन पूजा के डर से हिम्मत नहीं हो रही थी।

आखिरकार, मैं मूठ मारने बाथरूम चला गया। हमारे बाथरूम का लॉक खराब था, इसलिए दरवाजा खुला रहता था। मैंने दरवाजा खोला और अंदर का नज़ारा देखकर पागल हो गया। पूजा पूरी नंगी थी, एक लकड़ी का डिल्डो अपनी चूत में अंदर-बाहर कर रही थी। उसकी आँखें बंद थीं, और वो सिसकार रही थी, “उह्ह… आह्ह… कितना मज़ा…” उसकी 32 साइज़ की टाइट चूचियाँ हल्के-हल्के हिल रही थीं, और उसकी चूत पूरी तरह गीली थी। मेरा 9 इंच का लंड लुंगी से बाहर आने को बेताब हो गया।

पूजा की आँखें खुलीं और वो मुझे देखकर चौंक गई। उसने जल्दी से डिल्डो निकाला और अपनी टाँगें बंद करने की कोशिश की। लेकिन मैंने बिना सोचे उसे बाहों में भर लिया और बोला, “पूजा, प्लीज़, आज मुझे मत रोक।” मैंने उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए और पागलों की तरह चूमने लगा। मेरा एक हाथ उसकी टाइट चूचियों पर चला गया। कुंवारी चूचियाँ इतनी सख्त थीं कि मज़ा आ गया। मैंने उसकी चूचियों को ज़ोर से दबाया। पूजा ने कोई विरोध नहीं किया और मेरा साथ देने लगी। उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं, “आह्ह… भैया… उह्ह…”

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उसकी टी-शर्ट पहले ही उतरी हुई थी, और वो सिर्फ़ ब्रा में थी। उसकी पैंट और पैंटी भी उतरी हुई थी। मैंने उसकी ब्रा खोली और उसकी चूचियों को चूसना शुरू किया। पूजा की सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं, “आह्ह… भैया… और चूसो… उह्ह…” मैंने उसे बाथरूम के फर्श पर लिटाया और उसकी चूत को चाटना शुरू किया। पूजा की कमर उछल रही थी, “उह्ह… भैया… और ज़ोर से… आह्ह…” उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी जीभ आसानी से अंदर-बाहर हो रही थी। मैंने उसकी चूत को इतना चाटा कि वो सिसकारियों के साथ पागल हो रही थी।

मैंने अपनी लुंगी और जांघिया उतारा और उसे मेरा लंड चूसने को कहा। पूजा ने हिचकिचाते हुए कहा, “भैया, मैंने पहले कभी नहीं किया।” मैंने उसे प्यार से समझाया, “कोई बात नहीं, बस मुँह में लो।” वो मेरे ज़िद करने पर मान गई। उसने मेरे लंड को मुँह में लिया और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। “उह्ह… पूजा… कितना मज़ा आ रहा है…” मैं सिसकार रहा था। उसका गर्म मुँह मेरे लंड पर जादू कर रहा था।

मैंने उसे घोड़ी बनने को कहा। वो तुरंत घुटनों और हाथों के बल झुक गई। मैंने उसकी टाइट चूत के सामने अपना लंड रखा और पूछा, “पूजा, पहले कभी चुदाई की?” उसने शरमाते हुए कहा, “नहीं भैया, ये मेरी पहली बार है।” मैंने कहा, “ठीक है, थोड़ा दर्द होगा, लेकिन सह लेना।” मैंने धीरे-धीरे लंड डाला। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड मुश्किल से अंदर जा रहा था। मैंने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उसकी चूत में घुस गया। पूजा ज़ोर से चीखी, “आह्ह… भैया… दर्द हो रहा है…”

मैंने उसे सीधा किया और उसके मुँह पर अपना मुँह रखकर उसकी चीख को दबा दिया। फिर मैंने एक और ज़ोरदार धक्का मारा। मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। वो दर्द से कराह रही थी, “उह्ह… भैया… धीरे…” मैंने 9-10 धक्के मारे, और धीरे-धीरे उसका दर्द कम होने लगा। अब वो मज़ा लेने लगी, “आह्ह… भैया… और ज़ोर से… उह्ह…” मैंने उसे 20 मिनट तक चोदा। “चप… चप… चप…” की आवाज़ें बाथरूम में गूँज रही थीं। पूजा की सिसकारियाँ और मेरे धक्कों की आवाज़ एक साथ गूँज रही थीं। आखिरकार, हम दोनों एक साथ झड़ गए। मेरा माल उसकी चूत में भर गया, और वो थककर मेरे सीने पर लेट गई।

थोड़ी देर बाद पूजा ने मेरे गाल पर चुम्बन दिया और बोली, “भैया, आज इतना मज़ा आया। प्लीज़, मुझे रोज़ चोदना।” मैंने हँसते हुए कहा, “क्यों नहीं, अब तुझे रोज़ चोदूँगा, और आज से भी अच्छा।” पूजा को दर्द हो रहा था, वो ठीक से चल नहीं पा रही थी। मैंने उसे गोद में उठाया और उसके कमरे तक छोड़ा। फिर मैं अपने कमरे में लौट गया।

अगली सुबह, मैं जल्दी उठा। भाभी किचन में थीं, अपनी साड़ी में खाना बना रही थीं। मैंने पीछे से उन्हें बाहों में भरा और बोला, “भाभी, कल रुक गए थे।” भाभी चौंक गईं और तुरंत पीछे हटीं। “मनोज, ये क्या? पूजा घर पर है! अगर उसने देख लिया तो? ये गलत है!” उनकी आवाज़ में डर और गुस्सा था। मैंने शांत स्वर में कहा, “भाभी, शांत हो जाइए। पूजा को सब पता है। कल रात बाथरूम में मैंने और पूजा ने…” भाभी की आँखें फटी रह गईं। “क्या? तुमने पूजा के साथ…? ये गलत है, मनोज! वो तुम्हारी बहन है!” मैंने उन्हें शांत करते हुए कहा, “भाभी, पूजा भी यही चाहती है। वो हमें जॉइन करना चाहती है। ये हमारा राज़ रहेगा।”

भाभी लंबी देर सोचती रहीं। उनकी साँसें तेज़ थीं, और वो बार-बार साड़ी का पल्लू ठीक कर रही थीं। आखिरकार, उन्होंने धीरे से कहा, “ठीक है, लेकिन ये बात बाहर नहीं जानी चाहिए।” मैंने वादा किया, “भाभी, ये हमारा राज़ रहेगा।”

हम तीनों लिविंग रूम में गए। मैंने भाभी और पूजा को सोफे पर बिठाया। मैंने धीरे-धीरे भाभी की साड़ी का पल्लू सरकाया और उनकी चूचियों को ब्लाउज़ के ऊपर से सहलाया। भाभी की साँसें तेज़ हो गईं, “आह्ह… मनोज… धीरे…” मैंने पूजा की टी-शर्ट उतारी और उसकी टाइट चूचियों को ब्रा के ऊपर से दबाया। पूजा सिसकारी, “उह्ह… भैया… और ज़ोर से…” मैंने भाभी का ब्लाउज़ खोला और उनकी ब्रा उतारी। उनकी चूचियों से दूध रिस रहा था। मैंने उनकी एक चूची मुँह में ली और चूसना शुरू किया। गर्म दूध मेरे मुँह में आया, और इसका स्वाद मुझे पागल कर रहा था। “आह्ह… मनोज… और चूसो…” भाभी सिसकारी। मैंने पूजा की ब्रा उतारी और उसकी टाइट चूचियों को चूसा। “उह्ह… भैया… कितना मज़ा…” पूजा की सिसकारियाँ गूँज रही थीं।

मैंने भाभी की साड़ी और पेटीकोट उतारा, उनकी पैंटी गीली थी। मैंने पूजा की जीन्स और पैंटी उतारी। दोनों की चूतें गीली थीं। मैंने पहले भाभी की चूत चाटी। उनकी चूत का स्वाद और गर्मी मुझे पागल कर रही थी। “आह्ह… मनोज… और ज़ोर से… उह्ह…” भाभी की कमर उछल रही थी। फिर मैंने पूजा की चूत चाटी। उसकी टाइट चूत की खुशबू और स्वाद अलग था। “उह्ह… भैया… और चाटो…” पूजा सिसकारी। मैंने दोनों को बारी-बारी चाटा। तभी भाभी ने पूजा की चूचियों को सहलाना शुरू किया। पूजा ने शरमाते हुए भाभी की चूचियों को चूसा, और दूध की बूँदें उसके मुँह में गईं। “आह्ह… भाभी… कितना मीठा है…” पूजा सिसकारी। भाभी ने पूजा की चूत को सहलाया, और पूजा ने भाभी की चूत में उंगली डाली। “उह्ह… पूजा… और करो…” भाभी की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। दोनों एक-दूसरे को चूम रही थीं, उनकी जीभें आपस में उलझ रही थीं।

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मैंने भाभी को घोड़ी बनाया। उनकी चूचियाँ नीचे लटक रही थीं, और दूध की बूँदें सोफे पर टपक रही थीं। मैंने उनकी चूचियों को दबाया, और दूध की धार निकलकर सोफे पर बिखर गई। “आह्ह… मनोज… और दबाओ… उह्ह…” भाभी सिसकारी। मैंने पूजा को सोफे पर लिटाया और उसकी चूत चाटी, जबकि भाभी की चूचियों से दूध निकाल रहा था। “उह्ह… भैया… और ज़ोर से…” पूजा की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं। पूजा ने भाभी की चूत को चाटना शुरू किया, और भाभी की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं, “आह्ह… पूजा… और चाटो… उह्ह…”

मैंने भाभी को सोफे पर लिटाया, उनका एक पैर सोफे की पीठ पर रखा। उनकी चूत पूरी तरह खुल गई। मैंने उनकी चूची चूसते हुए दूध पिया और अपना लंड उनकी चूत में डाला। “चप… चप… चप…” की आवाज़ें गूँज रही थीं। भाभी चीख रही थीं, “आह्ह… मनोज… फाड़ दो मेरी चूत… उह्ह…” पूजा उनकी चूचियों को चूस रही थी, और दूध उसके मुँह से टपक रहा था। मैंने भाभी को 15 मिनट तक चोदा, और हम दोनों एक साथ झड़ गए। मैं थककर सोफे पर बैठ गया, मेरा लंड अभी भी तना हुआ था, लेकिन मुझे थोड़ा आराम चाहिए था। भाभी और पूजा एक-दूसरे को चूम रही थीं, उनकी चूचियाँ आपस में टकरा रही थीं। “आह्ह… पूजा… तेरी चूचियाँ कितनी टाइट हैं…” भाभी सिसकारी। पूजा ने भाभी की चूत को फिर से चाटा, “उह्ह… भाभी… तुम्हारी चूत कितनी रसीली है…”

थोड़ी देर आराम करने के बाद मैं फिर से तैयार था। मैंने पूजा को गोद में उठाया और दीवार के सहारे खड़ा होकर चोदा। उसकी टाइट चूत में मेरा लंड फंस रहा था। वो चीखी, “आह्ह… भैया… और ज़ोर से… उह्ह…” भाभी हमारे पास आई और पूजा की चूचियों को चूसने लगी। उनकी चूचियों से दूध रिस रहा था, जो मेरे सीने पर गिर रहा था। मैंने पूजा को 20 मिनट तक चोदा, और हम फिर से झड़ गए। मैं फिर से थककर सोफे पर बैठ गया। भाभी और पूजा एक-दूसरे की चूत चाट रही थीं, उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… उह्ह…”

अगले चार दिन हमने घर के हर कोने में चुदाई की। बेडरूम में मैंने भाभी को मिशनरी में चोदा, उनकी चूचियों से दूध चूसते हुए। पूजा मेरे मुँह पर बैठकर अपनी चूत चटवाती थी, “उह्ह… भैया… और चाटो…” पूजा ने भाभी की चूचियों को चूसा, और भाभी ने पूजा की चूत में उंगली डाली। डाइनिंग टेबल पर मैंने पूजा को लिटाया और उसकी चूत चाटी, जबकि भाभी मेरा लंड चूस रही थी। “आह्ह… मनोज… तेरा लंड कितना मोटा है…” भाभी सिसकारी। बाथरूम में शावर के नीचे हमने चुदाई की, कोई फोरप्ले नहीं, बस तुरंत चुदाई। मैंने भाभी को दीवार के सहारे चोदा, “चप… चप…” की आवाज़ें पानी की फुहारों के साथ गूँज रही थीं। फिर मैंने पूजा को चोदा, उसकी टाइट चूत में मेरा लंड बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। “आह्ह… भैया… और ज़ोर से…” पूजा चीखी। भाभी और पूजा एक-दूसरे की चूचियाँ और चूत चूस रही थीं, “आह्ह… उह्ह…” उनकी सिसकारियाँ घर में गूँज रही थीं।

पाँचवे दिन भैया लौट आए। हम तीनों ने वादा किया कि ये हमारा राज़ रहेगा। आपको मेरी कहानी कैसी लगी, ज़रूर बताइए। आपके जवाब का इंतज़ार रहेगा।

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