मेरा नाम अनामिका पाण्डेय है। मैं जोगिया कलां में रहती हूँ, जो बलरामपुर के पास एक छोटा सा गाँव है। मेरा रंग गोरा है, और मेरा बदन ऐसा है कि लोग देखते ही दीवाने हो जाते हैं। मेरा फिगर 36-32-38 है, और मेरी चूंचियाँ इतनी सॉलिड हैं कि हर कोई उन पर नजर गड़ाए रहता है। मेरी भूरी आँखें और सिल्की बाल मेरी खूबसूरती में चार चाँद लगाते हैं। मेरी चूत गोरी है, और उसके दोनों टुकड़े लाल-लाल, रसीले हैं। चूत के दाने पर एक बड़ा सा काला तिल है, जो ऐसा लगता है जैसे किसी ने मेरी चूत को नजर से बचाने के लिए टीका लगा दिया हो। मेरे पति अरविन्द पुलिस में हैं और ज्यादातर बाहर रहते हैं। घर में मेरे ससुर जी, जो अक्सर बीमार रहते हैं, और मेरा देवर निलेश है। मेरी सास तो कई साल पहले गुजर चुकी हैं। निलेश जवान, स्मार्ट, और लंबा है। उसका चेस्ट चौड़ा और मर्दाना है, और वो अपनी गर्लफ्रेंड को भी मुझसे मिला चुका है।
मेरी शादी को तीन साल हो चुके हैं, लेकिन अरविन्द के साथ मेरी चुदाई कभी पूरी नहीं हो पाती। वो दो-चार दिन घर आते हैं, और बाकी दिन मैं चूत में उंगली डालकर अपनी आग बुझाती हूँ। मेरी चूत की खुजली इतनी है कि हर रात मुझे लंड चाहिए। लेकिन अरविन्द की ड्यूटी की वजह से मेरी जवानी प्यासी रह जाती है। निलेश को देखकर मेरे मन में कई बार ख्याल आते थे। उसकी मर्दाना बॉडी और चाल-ढाल मुझे बेकरार कर देती थी। लेकिन मैंने कभी खुलकर कुछ नहीं कहा। फिर एक दिन मौका मिल ही गया।
एक बार ससुर जी रिश्तेदार के यहाँ गए थे। घर में सिर्फ मैं और निलेश थे। दिन भर हम दोनों हंसी-मजाक करते रहे। निलेश ने मजाक में कहा, “भाभी, आप तो मेरी गर्लफ्रेंड से भी ज्यादा हॉट हो। अगर भैया न होते, तो मैं आपसे ही शादी कर लेता।” मैंने हंसकर जवाब दिया, “अरे, निलेश, अब क्या करूँ, तुम तो छोटे ठहरे। लेकिन तुम मुझे सचमुच अच्छे लगते हो।” निलेश ने मेरी आँखों में देखा और बोला, “भाभी, दिन तो मैं आपके साथ बिताता हूँ, बस रात का क्या करूँ?” उसकी बात सुनकर मेरी चूत में हल्की सी गुदगुदी हुई। मैंने हंसते हुए कहा, “तो रात भी बिता लिया करो।” निलेश जोर से हंसा, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी।
उस रात मैंने निलेश से कहा, “निलेश, आज मेरे पास ही सो जाओ। घर में कोई नहीं है, अकेले डर लगता है।” निलेश तुरंत मान गया। रात के 10 बजे हम दोनों एक ही बिस्तर पर लेटे थे। मैंने साड़ी और ब्लाउज पहना था, और निलेश ने लोअर और टी-शर्ट। रात के 11 बज गए, लेकिन नींद किसी को नहीं आ रही थी। मैंने सोने का नाटक किया, लेकिन मेरी आँखें हल्की खुली थीं। निलेश मुझे घूर रहा था। उसकी साँसें तेज थीं, और वो धीरे-धीरे मेरी तरफ खिसक रहा था। मैंने देखा कि उसका लंड खड़ा होकर हाफ कच्छे में तंबू बना रहा था। उसका लंड मेरे पति से कहीं बड़ा लग रहा था, शायद 7 इंच का, मोटा और सख्त। मेरी चूत में गीलापन होने लगा।
निलेश ने धीरे से मेरे सिल्की बालों को छुआ। उसकी उंगलियाँ मेरे बालों में फिरने लगीं, और मेरी चूत में खुजली बढ़ गई। मैंने करवट ली और उसकी तरफ मुँह करके लेट गई, जैसे सो रही हूँ। निलेश ने हिम्मत जुटाई और अपना हाथ मेरे चेहरे के पास लाया। उसकी उंगलियाँ मेरे होंठों को छूने लगीं। मेरे बदन में करंट दौड़ गया। फिर उसने धीरे से अपने होंठ मेरे होंठों पर रख दिए। उसका गर्म स्पर्श मेरे होंठों पर ऐसा लगा जैसे मेरी चूत में आग लग गई हो। मैंने आँखें बंद रखीं, लेकिन मेरे बदन में सिहरन हो रही थी। निलेश ने हल्के-हल्के मेरे होंठ चूसने शुरू किए। उसकी जीभ मेरे होंठों पर फिसल रही थी, और मैं चुपके से उसका मजा ले रही थी।
कुछ देर बाद निलेश की हिम्मत बढ़ी। उसने मेरे होंठों को जोर-जोर से चूसना शुरू किया। उसका एक हाथ मेरी चूंचियों पर आ गया। उसने मेरे ब्लाउज के ऊपर से मेरी चूंचियाँ दबानी शुरू कीं। मेरी 36 साइज की चूंचियाँ सख्त हो गई थीं, और मेरे निप्पल टाइट होकर ब्लाउज में उभर आए थे। निलेश ने मेरे निप्पल को उंगलियों से मसलना शुरू किया। मैंने कोई विरोध नहीं किया। मेरी चूत इतनी गीली हो चुकी थी कि मैंने अपने पेटीकोट में हाथ डालकर चूत में उंगली डाल ली। “आह्ह… सी… सी… उफ्फ…” मेरे मुँह से हल्की सिसकारी निकली।
निलेश ने मेरे ब्लाउज के हुक खोल दिए। मेरी ब्रा के ऊपर से उसने मेरी चूंचियाँ मसलीं, फिर ब्रा की पट्टियाँ खींचकर उतार दी। मेरी गोरी चूंचियाँ आजाद हो गईं। निलेश मेरे निप्पलों पर टूट पड़ा। उसने मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा, जैसे कोई बच्चा दूध पी रहा हो। “आह्ह… निलेश… उफ्फ… सी…” मैं सिसक रही थी। उसने मेरी चूंचियों को इतना दबाया कि वो लाल हो गईं। मैंने अपनी साड़ी उतार दी और सिर्फ पेटीकोट में थी। निलेश ने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींचा, और वो नीचे सरक गया। मेरी चूत की झांटें दिखने लगीं।
निलेश ने मेरी चूत को देखा और बोला, “भाभी, तुम्हारी चूत की झांटें तो जंगल जैसी हैं। कभी साफ नहीं करतीं?” मैंने शरमाते हुए कहा, “क्या करूँ, निलेश, जब चोदने वाला ही नहीं था।” निलेश ने हंसकर कहा, “अब तो मैं हूँ, भाभी। अब साफ रखा करो।” उसने मेरी चूत की झांटों को हटाया और अपनी जीभ मेरी चूत के दाने पर रख दी। “आह्ह… निलेश… उफ्फ… सी… सी…” मैं सिसक उठी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी। वो मेरे दाने को चूस रहा था, और मैं उसका सिर अपनी चूत में दबा रही थी। मेरी चूत का पानी निकलने लगा, और निलेश उसे चाट रहा था। “उफ्फ… निलेश… और चाट… आह्ह…” मैं चीख रही थी।
कुछ देर बाद निलेश खड़ा हुआ और उसने अपना लोअर और कच्छा उतार दिया। उसका 7 इंच का लंड मेरे सामने तनकर खड़ा था। मैंने उसे हाथ में लिया और लॉलीपॉप की तरह चूसना शुरू किया। उसका लंड गर्म और सख्त था। मैंने उसकी गोलियों को सहलाया और लंड को गले तक लिया। “आह्ह… भाभी… तुम तो रंडी की तरह चूस रही हो…” निलेश सिसक रहा था। मैंने उसका लंड चूस-चूसकर गीला कर दिया।
निलेश ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी टांगें फैलाईं। उसने अपने लंड को मेरी चूत पर रगड़ा। “आह्ह… निलेश… डाल दे… उफ्फ…” मैं तड़प रही थी। उसने अपने लंड का टोपा मेरी चूत के छेद पर रखा और धीरे से धक्का मारा। “मम्मी… आह्ह… सी… सी… उफ्फ…” मैं चीख उठी। उसका लंड मेरी चूत में आधा घुसा था। उसने एक और धक्का मारा, और पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। “आह्ह… निलेश… उफ्फ… मार डाला… सी… सी…” मैं चिल्ला रही थी। निलेश ने मेरी चूत में धक्के मारने शुरू किए। उसकी झांटें मेरी झांटों से टकरा रही थीं, और कमरे में “थप-थप-थप” की आवाज गूंज रही थी।
“भाभी, तुम्हारी चूत तो बहुत टाइट है… भैया चोदते नहीं क्या?” निलेश ने हांफते हुए पूछा। मैंने सिसकते हुए कहा, “तेरे भैया का लंड तेरे जितना मोटा नहीं… आह्ह… तू और जोर से पेल… उफ्फ…” निलेश ने मेरी एक टांग उठाई और साइड से मेरी चूत में लंड डालकर चोदने लगा। “थप-थप-थप… आह्ह… सी… सी…” मैं चीख रही थी। मेरी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी। निलेश ने मेरी चूत को चाटा और सारा पानी पी लिया। “भाभी, तुम्हारी चूत का पानी तो अमृत है…” उसने कहा।
उसने मुझे कुतिया बनाया और पीछे से मेरी चूत में लंड डाला। “आह्ह… निलेश… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत… उफ्फ…” मैं चीख रही थी। उसका लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा था। उसकी गोलियाँ मेरी गांड से टकरा रही थीं। “चट-चट-चट” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मैंने अपनी गांड पीछे-आगे करके चुदाई का मजा लिया। निलेश ने मेरी कमर पकड़ी और तेजी से धक्के मारने लगा। “भाभी, तुम्हारी गांड भी कमाल है…” उसने कहा।
फिर निलेश ने मुझे दीवार के सहारे खड़ा किया। मेरी एक टांग उठाकर उसने मेरी चूत में लंड डाला और तेजी से चोदने लगा। “आह्ह… निलेश… उफ्फ… सी… सी… और जोर से…” मैं चीख रही थी। मेरी चूत गीली होकर चप-चप की आवाज कर रही थी। निलेश ने मेरी चूंचियों को मसला और मेरे होंठ चूसने लगा। मैंने अपने नाखून उसकी पीठ में गड़ा दिए।
निलेश झड़ने वाला था। उसने चुदाई रोक दी और मेरी चूंचियों को चूसने लगा। फिर उसने मुझे झुकाया और मेरी गांड पर थूक लगाया। “निलेश, क्या कर रहा है?” मैंने शरमाते हुए पूछा। “भाभी, तुम्हारी गांड मारना चाहता हूँ…” उसने कहा। उसने अपने लंड पर थूक लगाया और मेरी गांड के छेद पर रखा। “आह्ह… निलेश… धीरे… उफ्फ…” मैं सिसक रही थी। उसने धीरे से अपने लंड का टोपा मेरी गांड में घुसाया। “मम्मी… आह्ह… सी… सी… मार डाला…” मैं चीख उठी। उसने एक जोरदार धक्का मारा, और पूरा लंड मेरी गांड में घुस गया। “आह्ह… उफ्फ… निलेश… धीरे… ओह्ह… माँ…” मैं चिल्ला रही थी।
निलेश ने मेरी गांड में तेजी से धक्के मारने शुरू किए। “थप-थप-थप” की आवाज गूंज रही थी। मेरी गांड दुख रही थी, लेकिन मजा भी आ रहा था। “निलेश… आह्ह… और जोर से… उफ्फ…” मैं चीख रही थी। कुछ देर बाद निलेश ने अपना लंड निकाला और मेरे मुँह के सामने मुठ मारने लगा। “भाभी, मुँह खोलो…” उसने कहा। मैंने मुँह खोला, और उसने अपना सारा माल मेरे मुँह में गिरा दिया। मैंने उसका गर्म माल निगल लिया।
हम दोनों बिस्तर पर गिर गए। मैं निलेश के ऊपर लेट गई, और हम नंगे ही सो गए। अब हम रोज रात को चुदाई करते हैं। निलेश मेरी चूत और गांड दोनों का मजा लेता है, और मैं उसका लंड चूस-चूसकर खुश रहती हूँ।
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