मेरा नाम कविता है, और मैं आज आपको अपनी एक ऐसी कहानी सुनाने जा रही हूँ जो मेरे और मेरे छोटे भाई रोहन के बीच की उस रात से शुरू हुई, जब हमारी ज़िंदगी ने एक नया मोड़ लिया। उस रात की बात है जब मैंने अपने भाई को अपने कमरे में मुठ मारते हुए पकड़ा, और फिर जो हुआ, वो शायद मेरी नादानी थी, पर उसने मुझे एक ऐसी दुनिया में ले जा दिया जहाँ चुदाई मेरी आदत बन गई। मैं अपने बारे में थोड़ा बता दूँ। मेरी उम्र 24 साल है, और मेरा जिस्म अब पहले से कहीं ज़्यादा निखर गया है। मेरे बूब्स, जो पहले छोटे-छोटे थे, अब भरे-भरे और रसीले हो गए हैं। मेरी गांड गोल और मांसल हो चुकी है, और मेरे चेहरे पर वो चुदाई की चमक साफ दिखती है। मैं अपने भाई से कई बार चुद चुकी हूँ, और अब बिना लौड़े के मेरा मन नहीं लगता।
उस दिन की बात है जब मम्मी अपने किसी रिश्तेदार के अंतिम संस्कार के लिए मायके गई थीं। पापा तो दुबई में नौकरी करते हैं, और वो साल में एक बार ही कुछ दिनों के लिए घर आते हैं। घर में सिर्फ़ मैं और रोहन थे। रात का समय था, और मैं अपने कमरे में लेटी हुई थी, जब मैंने रोहन के कमरे से कुछ अजीब सी आवाज़ें सुनीं। मैं चुपके से उसके कमरे की तरफ गई और दरवाज़े की झिरी से देखा। रोहन बिस्तर पर लेटा हुआ था, उसका लौड़ा पूरा तना हुआ था, और वो उसे ज़ोर-ज़ोर से हिला रहा था। उसका लौड़ा इतना मोटा और लंबा था कि मैं देखकर हैरान रह गई। मेरी चूत में अचानक से गीलापन होने लगा, और मैं अपने आप को रोक नहीं पाई। मैंने दरवाज़ा खोला और अंदर चली गई। रोहन घबरा गया, लेकिन मैंने उससे कहा, “रोहन, ये क्या कर रहा है? अगर इतना ही मन है, तो मेरे साथ क्यों नहीं करता?”
रोहन ने मुझे हैरानी से देखा, लेकिन उसकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी। उसने कहा, “दीदी, ये गलत है, पर अगर तुम्हें बुरा नहीं लगता, तो मैं तैयार हूँ।” मैंने हँसते हुए कहा, “गलत-सही छोड़, बस चुदाई का मज़ा ले।” फिर क्या था, रोहन ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया। उसने मेरी कमर को ज़ोर से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसका चुंबन इतना गहरा था कि मेरी चूत में आग लग गई। उसने मेरी नाइटी उतार दी, और मैं सिर्फ़ ब्रा और पैंटी में उसके सामने खड़ी थी। मेरे बूब्स ब्रा से बाहर झाँक रहे थे, और मेरी चूत पैंटी के ऊपर से ही गीली दिख रही थी। रोहन ने मेरी ब्रा खींचकर उतार दी और मेरे बूब्स को अपने मुँह में ले लिया। वो मेरे निप्पल्स को चूसने लगा, और मैं सिसकियाँ लेने लगी, “आहह… रोहन… और ज़ोर से चूस… मेरी चूचियाँ तेरे लिए ही हैं।”
उसने मेरी पैंटी भी उतार दी और मेरी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाने लगा। मेरी चूत इतनी गीली थी कि उसकी उंगलियाँ आसानी से अंदर-बाहर हो रही थीं। मैंने कहा, “रोहन, अब और मत तड़पाओ… अपना लौड़ा डाल दो मेरी चूत में।” रोहन ने देर नहीं की। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया, मेरे पैर फैलाए, और अपने लौड़े को मेरी चूत के मुँह पर रखा। उसका लौड़ा इतना मोटा था कि मुझे डर लगा कि कहीं मेरी चूत फट न जाए। उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका पूरा लौड़ा मेरी चूत में समा गया। मैं चीख पड़ी, “आहह… रोहन… धीरे… तेरा लौड़ा मेरी चूत को चीर देगा।” लेकिन रोहन रुका नहीं। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा, और मेरी चूत की दीवारें उसके लौड़े से रगड़ खाने लगीं। हर धक्के के साथ मेरी सिसकियाँ तेज़ होती जा रही थीं, “आहह… उह्ह… रोहन… चोद मुझे… और ज़ोर से… मेरी चूत को फाड़ दे।”
उस रात के बाद, रोहन मुझे हर मौके पर चोदने लगा। कभी रसोई में, कभी बाथरूम में, तो कभी रात को मेरे कमरे में। मेरी चूत को उसके लौड़े की आदत हो गई थी, और मुझे हर बार मज़ा आता था। लेकिन एक दिन रोहन ने कुछ ऐसा कहा, जिसने मेरी ज़िंदगी को और भी रंगीन कर दिया। उसने कहा, “कविता, तुझे मेरे साथ चुदाई में मज़ा आता है ना?” मैंने हँसते हुए कहा, “हाँ, भैया, तेरा लौड़ा तो मेरी चूत का दीवाना बना देता है। लेकिन तू ये सब क्यों पूछ रहा है?” रोहन ने शरारती मुस्कान के साथ कहा, “बात ये है, दीदी, मेरे कुछ दोस्त भी तेरी चूत का मज़ा लेना चाहते हैं।” मैंने चौंककर कहा, “क्या? तू अपनी बहन को अपने दोस्तों से चुदवाएगा? पागल हो गया है क्या?” लेकिन रोहन ने हँसते हुए कहा, “अरे, तू तो अपनी सहेलियों को मुझसे चुदवाती है ना? फिर मैं अपने दोस्तों को तेरे साथ क्यों नहीं?”
मैंने उसकी बात पर गौर किया। सचमुच, मैंने अपनी एक सहेली को रोहन से चुदवाया था, और उसे भी मज़ा आया था। तो मैं क्यों पीछे रहूँ? मैंने कहा, “ठीक है, भैया, लेकिन ये दोस्त कौन-कौन हैं?” रोहन ने बताया, “दीदी, मैं एक पार्टी में गया था, वहाँ मेरे दोस्त की बहन थी। हम चार लड़कों ने मिलकर उसे जमकर चोदा था। अब वो सब तुझे भी चोदना चाहते हैं। सोच, चार-चार लौड़े एक साथ… तेरी चूत में, मुँह में, गांड में… कितना मज़ा आएगा!” उसकी बात सुनकर मेरी चूत में फिर से गीलापन छा गया। मैंने सोचा, क्यों ना कुछ नया आज़माया जाए? मैंने हाँ कर दी, और हमने एक पार्टी का प्लान बना लिया।
पार्टी का दिन आ गया। हम दिल्ली से कुछ किलोमीटर दूर एक फार्महाउस पर पहुँचे, जो रोहन के दोस्त का था। वो शनिवार की शाम थी, ठंडी हवाएँ चल रही थीं, और माहौल में एक अजीब सी मस्ती थी। मैंने काली टॉप और हल्की हरी स्कर्ट पहनी थी, जो मेरे जिस्म को और भी सेक्सी दिखा रही थी। मेरे बूब्स टॉप में कसकर भरे हुए थे, और स्कर्ट मेरी मांसल जाँघों को बमुश्किल ढक रही थी। वहाँ रोहन के तीन दोस्त पहले से मौजूद थे—अतुल, अमित, और विक्की। तीनों एक से बढ़कर एक गठीले और स्मार्ट थे। उनकी आँखों में मेरे लिए वासना साफ झलक रही थी, और मैं मन ही मन खुश हो रही थी कि आज की रात यादगार होने वाली है।
हम फार्महाउस के अंदर गए। वो जगह इतनी आलीशान थी कि मैं दंग रह गई। सोफे पर बैठते ही अतुल मेरे पास आकर बैठ गया। उसकी नज़रें मेरे बूब्स पर टिकी थीं, और मैंने जानबूझकर अपनी टॉप को थोड़ा और नीचे खींच लिया ताकि मेरे बूब्स की गहरी लकीर साफ दिखे। अतुल ने हिम्मत करके मेरे बूब्स पर हाथ रख दिया। उसका स्पर्श ऐसा था कि मेरी चूत में करंट सा दौड़ गया। मैंने अपनी आँखें बंद कर लीं, और वो मेरे बूब्स को धीरे-धीरे दबाने लगा। मेरी साँसें तेज़ होने लगीं, और मैंने कहा, “आहह… अतुल… और ज़ोर से दबा… मेरी चूचियाँ तेरे लिए ही हैं।” तभी अमित और विक्की भी मेरे पास आ गए। अमित ने मेरी जाँघों को सहलाना शुरू किया, और विक्की मेरे गालों को चूमने लगा। मेरे पूरे जिस्म में आग लग रही थी।
अतुल ने मेरा टॉप उतार दिया, और मेरी काली ब्रा में मेरे बूब्स और भी सेक्सी लग रहे थे। अमित ने मेरी स्कर्ट खींचकर उतार दी, और अब मैं सिर्फ़ काली पैंटी और ब्रा में थी। रोहन भी अब अपने कपड़े उतार चुका था और मेरे पास आ गया। उसने मेरी ब्रा खींचकर फाड़ दी, और मेरे बूब्स आज़ाद हो गए। अतुल ने मेरे एक बूब को मुँह में लिया और ज़ोर-ज़ोर से चूसने लगा, जबकि अमित मेरी चूत को पैंटी के ऊपर से सहलाने लगा। मेरी पैंटी पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने सिसकते हुए कहा, “आहह… अमित… पैंटी उतार दे… मेरी चूत को आज़ाद कर… मुझे लौड़ा चाहिए।”
अमित ने मेरी पैंटी उतार दी, और मेरी चूत पूरी तरह नंगी हो गई। उसकी गीली चमक देखकर तीनों लड़कों के लौड़े तन गए। अतुल ने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे ऊपर चढ़ गया। उसने अपना लौड़ा मेरे मुँह के पास लाया। उसका लौड़ा इतना बड़ा था कि मैं देखकर डर गई। मैंने अपनी जीभ से उसके लौड़े के टोपे को चाटा, और अतुल के मुँह से सिसकी निकल गई, “आहह… कविता… चूस मेरे लौड़े को… पूरा मुँह में ले।” मैंने कोशिश की, लेकिन उसका लौड़ा इतना मोटा था कि मेरे मुँह में सिर्फ़ आधा ही जा सका। मैं उसे चूसने लगी, और वो मेरे मुँह को चोदने लगा।
इधर, अमित मेरे पैरों के बीच आ गया। उसने मेरी चूत को अपनी जीभ से चाटना शुरू किया। उसकी जीभ मेरी चूत के दाने को छू रही थी, और मैं पागल हो रही थी। मैंने चीखकर कहा, “आहह… अमित… चाट मेरी चूत को… और ज़ोर से… मुझे रंडी बना दे।” अमित ने अपनी जीभ को मेरी चूत के अंदर डाल दिया, और मैं सिसकियाँ लेने लगी। तभी विक्की मेरे बूब्स को चूसने लगा और मेरे निप्पल्स को हल्के से काटने लगा। मेरे पूरे जिस्म में मस्ती की लहर दौड़ रही थी।
अमित ने अब अपना लौड़ा मेरी चूत के मुँह पर रखा। उसने एक ज़ोरदार धक्का मारा, और उसका लौड़ा मेरी चूत में पूरा समा गया। मुझे हल्का सा दर्द हुआ, क्योंकि उसका लौड़ा रोहन के लौड़े से ज़्यादा मोटा था। मैंने कहा, “आहह… अमित… धीरे… मेरी चूत फट जाएगी।” लेकिन अमित ने मेरी एक न सुनी। वो ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने लगा, और मेरी चूत की दीवारें उसके लौड़े से रगड़ खाने लगीं। हर धक्के के साथ मेरी सिसकियाँ तेज़ होती जा रही थीं, “आहह… उह्ह… अमित… चोद मुझे… मेरी चूत को रगड़ दे… और ज़ोर से।”
रोहन और विक्की अपने लौड़ों को हिलाते हुए मुझे देख रहे थे। रोहन ने कहा, “दीदी, तू तो सच्ची रंडी बन गई है। अब मेरी बारी है।” उसने मुझे घोड़ी बनाया और मेरी गांड के छेद पर अपना लौड़ा रखा। मैंने डरते हुए कहा, “रोहन, धीरे… मेरी गांड अभी तक नहीं चुदी।” लेकिन रोहन ने हँसते हुए कहा, “दीदी, आज तेरी गांड का उद्घाटन होगा।” उसने अपने लौड़े पर थूक लगाया और मेरी गांड में धीरे-धीरे डालने लगा। दर्द से मेरी चीख निकल गई, “आहह… रोहन… मत डाल… मेरी गांड फट जाएगी।” लेकिन वो रुका नहीं। उसने धीरे-धीरे अपना पूरा लौड़ा मेरी गांड में डाल दिया, और मैं दर्द और मज़े के बीच झूलने लगी।
अब अमित मेरी चूत चोद रहा था, रोहन मेरी गांड, और अतुल मेरे मुँह को चोद रहा था। तीनों लौड़े मेरे तीनों छेदों में थे, और मैं बस सिसकियाँ ले रही थी, “आहह… उह्ह… चोदो मुझे… मेरी चूत… मेरी गांड… सब फाड़ दो।” विक्की मेरे बूब्स को दबाते हुए अपने लौड़े को हिला रहा था। मेरी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी, और कमरा मेरी सिसकियों और उनके धक्कों की आवाज़ों से गूंज रहा था।
कई घंटों तक वो चारों मुझे बारी-बारी से चोदते रहे। कभी मेरी चूत, कभी मेरी गांड, तो कभी मेरे मुँह में उनके लौड़े थे। मैंने हर लौड़े का पानी पिया, और मेरी चूत और गांड उनके वीर्य से भर गईं। रात भर की चुदाई के बाद, मैं थककर बिस्तर पर लेट गई। रोहन ने हँसते हुए कहा, “कविता दीदी, क्या हुआ? थक गई?” मैंने मुस्कुराकर कहा, “रोहन, मैं तेरी दीदी हूँ, कोई रंडी नहीं, जो इतनी जल्दी थक जाऊँ। अभी तो मैं और चुद सकती हूँ।”
अमित ने हँसते हुए कहा, “छिनाल, तू तो हम सबको चैलेंज दे रही है। चल, शर्त लगाते हैं। अगर तू रात भर हमसे चुदने के बाद थक गई, तो एक महीने तक किसी से नहीं चुड़ेगी। और अगर नहीं थकी, तो हम एक महीने तक सिर्फ़ तुझे चोदेंगे।” मैंने हँसते हुए कहा, “मंज़ूर है। देखती हूँ तुम सबके लौड़ों में कितना दम है।” उस रात मैंने चारों के लौड़ों का पानी निकाला, और वो सब थककर चूर हो गए। मैंने मुस्कुराते हुए कहा, “क्या हुआ, लड़कों? लौड़े जवाब दे गए?”
उस रात के बाद, मेरी और रोहन की ज़िंदगी और भी रंगीन हो गई। वो और उसके दोस्त अब मेरे लिए हर वीकेंड एक नई पार्टी का इंतज़ाम करते हैं, और मैं हर बार नए मज़े लेती हूँ। मेरी चूत, गांड, और मुँह को अब लौड़ों की आदत हो चुकी है, और मैं हर बार और ज़्यादा मज़े की तलाश में रहती हूँ।