नमस्ते दोस्तों… मेरा नाम सुनंदा भार्गव है और मैं 24 साल की कुंवारी लड़की हूँ. आज मैं आपको मेरे और मेरे भाई विशाल भार्गव की पहली चुदाई की ऐसी सच्ची घटना बताने जा रही हूँ, जो मेरी जिंदगी में एक बड़ा बदलाव लेकर आई.
हमारे घर में 6 सदस्य हैं – मम्मी-पापा, मेरा भाई विशाल, मेरी दो छोटी बहनें ज्योति (20) और बुलबुल (18). लेकिन इस कहानी का मुख्य किरदार मेरा भाई विशाल है, जो हमेशा मुझे एक अलग नजर से देखता था. मेरी 36-24-36 की फिगर, गोरा रंग और लंबी सिल्की बाल उसे मेरे ओर खींचते थे.
विशाल, जो अभी सरकारी कॉलेज से बी.कॉम कर रहा है, अपनी हरकतों से अक्सर मुझे असहज कर देता था. उसे मैंने कई बार गंदी किताबें पढ़ते और मोबाइल पर देसी पोर्न देखते हुए पकड़ा था. वो अपने बड़े और मोटे लंड को मुठ मारते वक्त कंडोम पहनकर और अलग-अलग पोजिशन की कल्पना करते हुए अपनी गंदी इच्छाओं को बाहर निकालता था.
घर में जब मैं कपड़े बदलती थी, वो हमेशा मौका पाकर मुझे झांकता रहता. एक दिन मैंने उसे बाथरूम में छुपकर मुझे नहाते हुए देखने की कोशिश करते हुए पकड़ लिया, लेकिन शर्म और डर की वजह से मैंने ये बात घरवालों को नहीं बताई.
सर्दियों के दिनों की इस घटना ने सब बदल दिया. उस रात ठंड बढ़ रही थी, लेकिन कमरे के अंदर का माहौल गर्म हो रहा था. विशाल ने मेरे करीब आकर मुझे छूना शुरू किया. उसका मोटा लंड मेरे सामने था, और मैंने महसूस किया कि मेरी वर्जिन चूत अब उसकी कैद में थी.
उसने मेरे साथ ऐसा खेल खेला कि मेरी बूर और बच्चेदानी का कचूमर निकल गया. उसकी हर धक्का और गहराई से लगती चोट ने मुझे दर्द और आनंद की नई दुनिया में पहुंचा दिया.
हुआ यूँ कि एक दिन मेरा गंदा भाई अपना मोबाइल फोन बेडरूम में छोड़कर बाथरूम में नहाने चला गया. उसकी हरकतों को देखते हुए मेरे मन में भी जिज्ञासा थी कि आखिर वो अपने फोन में क्या-क्या देखता है. मैंने उसका मोबाइल उठाया और गैलरी और फोल्डर्स चेक करने लगी. तभी मुझे एक गंदी ब्लू फिल्म मिली.
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उस वीडियो में एक बेहद खूबसूरत और जवान लड़की पूरी तरह नंगी थी. उसका गोरा बदन चमक रहा था, और वो एक लड़के का काला और मोटा लंड अपने मुंह में लेकर ऐसे चूस रही थी जैसे कोई पेशेवर रंडी हो. उसकी जीभ उस लंड के हर कोने को ऐसे चाट रही थी जैसे किसी चॉकलेट आइसक्रीम का मजा ले रही हो.
लेकिन वीडियो यहीं खत्म नहीं हुआ. उसी लड़की के साथ दो और लड़के थे, जो बारी-बारी से उसकी चूत और गांड चोद रहे थे. उनके मोटे और लंबे लंड देखकर मैं तो सिहर उठी. उनकी हर जोरदार धक्के से लड़की की चीखें पूरे कमरे में गूंज रही थीं, लेकिन उसके चेहरे पर अजीब-सा मजा भी झलक रहा था.
मुझे समझ नहीं आ रहा था कि मैं क्या महसूस कर रही हूँ – डर, उत्तेजना, या कुछ और. तभी मुझे एहसास हुआ कि भाई के बाथरूम से बाहर आने का समय हो गया है. मैंने तुरंत मोबाइल को वैसे ही रख दिया जैसे था और अपने बिस्तर पर जाकर लेट गई, लेकिन उस वीडियो के दृश्य मेरे दिमाग में घूमते रहे.
एक बार मैं अपने भाई को जगाने के लिए उसके कमरे में गई. जैसे ही मैंने उसे देखा, मेरा दिल एकदम जोर से धड़कने लगा. उसकी पैंट से उसका काला और मोटा लंड बाहर निकला हुआ था. वो इतना बड़ा और तना हुआ था कि देखकर ही मेरे हाथ-पैर कांप गए. उसका लंड न केवल मोटा था, बल्कि लंबाई में भी ऐसा कि कोई भी लड़की उसे देखकर सिहर जाए. मैं घबराकर तुरंत कमरे से बाहर निकल आई. उस दिन के बाद से मुझे भाई से थोड़ा डर लगने लगा, लेकिन मन में एक अजीब-सी हलचल भी रहती थी.
फिर एक बार की बात है, जब मम्मी-पापा किसी विवाह समारोह में गए थे और चार दिन तक वापस नहीं आने वाले थे. उस दिन हम सब बहन-भाई ने साथ में एक ही कमरे में सोने का फैसला किया. विशाल, मेरा भाई, मेरे ठीक पास लेट गया. मुझे उसकी मौजूदगी में एक अजीब सी बेचैनी महसूस हो रही थी, लेकिन मैंने खुद को शांत रखा.
रात को करीब दो बजे मेरी नींद खुली. मैंने महसूस किया कि मेरे चूतड़ों पर कुछ गर्म और सख्त चीज लग रही है. मैं चौंककर उठी और देखा कि भाई का काला मोटा लंड उसकी पैंट से बाहर निकला हुआ था और मेरी कमर से सटा हुआ था. उसका लंड इतना बड़ा और तना हुआ था कि मेरी सांसें थम गईं. सबसे हैरानी की बात ये थी कि भाई गहरी नींद में था और उसे अपने लंड की हरकतों का कोई अंदाजा नहीं था.
उस पल मैं खुद को संभाल नहीं पाई. मेरा मन जोर-जोर से धड़क रहा था, और मैं सोच रही थी कि अगर मैंने उसे छू लिया तो क्या होगा. लेकिन डर और घबराहट के कारण मैंने खुद को रोका और चुपचाप लेट गई.
एक बार मैं अपने भाई विशाल को उठाने के लिए उसके कमरे में गई. कमरे में पहुंचते ही मेरी नजर उसके पैंट से बाहर निकले हुए काले, मोटे और लंबे लंड पर गई. वो इतना तना हुआ था कि मैं देखते ही डर गई और तुरंत कमरे से बाहर आ गई. उस दिन के बाद से मुझे अपने भाई के पास जाने में अजीब-सा डर और झिझक महसूस होने लगी.
कुछ समय बाद की बात है, पापा-मम्मी किसी शादी में गए थे और चार दिन बाद लौटने वाले थे. उस रात हम सब भाई-बहन एक ही कमरे में सो गए. विशाल मेरे बगल में सोया था. रात के करीब दो बजे मेरी नींद खुली तो मैंने महसूस किया कि मेरे चूतड़ों पर कुछ चुभ रहा है. जैसे ही मैंने देखा, तो पाया कि भाई का वही काला मोटा लंड उसकी पैंट से बाहर निकलकर मेरे चूतड़ों से टकरा रहा था.
भाई गहरी नींद में था और उसे शायद इसका होश भी नहीं था. पहले मैंने उसे हटाने की कोशिश की और जैसे ही मैंने लंड को छुआ, वो सख्त और अजीब-सा प्यारा लगा. मुझे उसे छूने में अजीब-सा मज़ा आ रहा था, लेकिन मैंने खुद को रोका और थोड़ा दूर खिसक गई ताकि वो मेरे चूतड़ों को न छुए.
मैं सोने का नाटक करने लगी, लेकिन 30 मिनट बाद वही लंड फिर मेरी कुंवारी गांड में चुभने लगा. इस बार मुझे समझ आ गया कि भाई इसे जानबूझ कर कर रहा है. लेकिन उस रात कुछ नहीं हुआ, मैंने बस चुपचाप सोने का नाटक किया.
अगले दिन विशाल किसी काम से बाहर चला गया. उसी दोपहर मेरी गली का लड़का, जो मेरा बॉयफ्रेंड भी था, मेरे घर आ गया. उसने पहले मुझे देखकर मुस्कुराया और फिर धीरे-धीरे मुझे किस करने लगा.
मेरा भी मन अजीब-सा हो रहा था, जब मेरा भाई अचानक कमरे में आ गया. उसने मुझे और मेरे बॉयफ्रेंड को किस करते हुए देख लिया था. लेकिन उसने ऐसा नाटक किया जैसे उसने कुछ देखा ही नहीं और चुपचाप अपने कमरे में चला गया. उसकी ये हरकत मुझे और बेचैन कर गई, लेकिन मैंने सोचा कि शायद उसने सच में कुछ ध्यान नहीं दिया होगा.
थोड़ी देर बाद, वो लड़का भी वहाँ से चला गया. उस रात, हम चारों भाई-बहन ने साथ बैठकर खाना खाया. मेरी दोनों मासूम बहनें टी.वी देख रही थीं, और मैं और विशाल सोने के लिए अपने-अपने कमरे में जाने लगे. मैं अपने बिस्तर पर लेटने ही वाली थी कि तभी विशाल मेरे कमरे में आ गया.
वो बिना कुछ बोले मेरे पास बैठ गया. फिर उसने मेरी तरफ देखा और धीरे से बोला, “मैंने सब देख लिया है, तू आज क्या कर रही थी अपने बॉयफ्रेंड के साथ.”
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उसके शब्द सुनकर मेरी तो जैसे सांसें ही रुक गईं. उसने आगे कहा, “अगर ये बात पापा-मम्मी को बता दूँ, तो तेरा क्या होगा?”
उसकी बातों से मेरी हालत खराब हो गई. मैं घबराते हुए बोली, “तू भी तो किसी लड़की के साथ ऐसा करता होगा?” इस पर उसने ठंडी सांस भरते हुए कहा, “मेरी ऐसी किस्मत कहाँ कि मैं किसी लड़की के साथ ऐसा करूँ. कोई लड़की मुझे मौका ही नहीं देती.”
मैंने थोड़ी हिम्मत जुटाई और कहा, “लड़की कभी मौका नहीं देती, लड़के को खुद मौका देखकर उसे बाहों में भर लेना चाहिए.”
उसने मेरी बात सुनकर मेरा हाथ पकड़ा और बोला, “अगर मैं किसी लड़की का हाथ ऐसे पकड़ लूँ, तो इसके बाद क्या करना चाहिए?”
मैंने धीरे से कहा, “तो उसका हाथ खींचकर उसे अपनी बाहों में भर लेना और उसके होंठों को चूम लेना चाहिए.”
मेरे शब्द सुनते ही, विशाल ने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मुझे कसकर किस करने लगा.
मैंने भाई की पकड़ से खुद को छुड़ाने की बहुत कोशिश की, लेकिन वो मुझे अपनी मजबूत बाहों में जकड़े रहा. तभी उसके गंदे हाथों में से एक ने मेरे बूब्स पर कब्जा कर लिया और उन्हें जोर से दबा दिया. मैं सिसकार उठी, लेकिन उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैं चाहकर भी खुद को छुड़ा नहीं सकी.
कुछ देर तक जूझने के बाद, न जाने क्यों, मैंने भी हार मान ली और उसके साथ बहने लगी. मेरे होंठ उसके होंठों से मिलने लगे, और मैं भी उसकी चूमाचाटी का जवाब देने लगी. उसकी हर हरकत ने मुझे उत्तेजित कर दिया था.
फिर उसने मेरा टॉप उतार दिया, और मैं उसके सामने सिर्फ ब्रा में थी. उसकी निगाहों में मुझे देखकर जो चमक थी, उसने मुझे अंदर तक गर्म कर दिया. उसने मेरी ब्रा के हुक को खोल दिया, और अब मैं उसके सामने पूरी तरह अधनंगी खड़ी थी.
उसने अपने हाथों से मेरी चूचियाँ मसलनी शुरू कर दीं, और साथ ही उसने अपना दूसरा हाथ मेरी बूर पर फेरना शुरू कर दिया. मेरी सांसें तेज हो रही थीं, और मेरे अंदर अजीब-सी हलचल हो रही थी. मुझे ग्लानि महसूस हो रही थी कि वो मेरा अपना सगा भाई है, लेकिन उसके छूने से मुझे अजीब-सा मज़ा भी आ रहा था.
लेकिन तभी मेरे दिमाग ने मुझे झकझोरा – “ये गलत है, ये रिश्ता पवित्र है.” मैंने खुद को रोका, उसकी पकड़ से छूटी और दौड़ते हुए दूसरे कमरे में चली गई. दरवाजा बंद कर लिया और फटाफट अपने कपड़े बदल लिए.
मैंने खुद को समझाने की कोशिश की कि ये सब गलत है. ये हमारा पवित्र भाई-बहन का रिश्ता है, और इसमें सेक्स की कोई जगह नहीं होनी चाहिए. हालांकि, दिल में कहीं न कहीं उस पल की यादें मुझे बार-बार घेरने लगीं, और मैं खुद को काबू करने की कोशिश करने लगी.
थोड़ी देर बाद मेरी दोनों बहनें सोने के लिए मेरे कमरे में आ गईं. उन्होंने भाई से पूछा, “दीदी कहाँ हैं?” भाई ने बड़ी सहजता से जवाब दिया, “वो दूसरे कमरे में हैं.” यह सुनकर दोनों बहनें निश्चिंत होकर सो गईं, लेकिन मैं अभी भी अपने कमरे में बैठी थी, शर्म और ग्लानि के बीच उलझी हुई.
कुछ देर बाद मेरे कमरे का दरवाजा खटखटाने की आवाज़ आई. मैंने देखा कि दरवाजे पर मेरा भाई था. उसने मुझे बार-बार दरवाजा खोलने के लिए कहा, लेकिन मैं झिझक रही थी. आखिरकार, उसके लाख बार कहने पर, मैंने धीरे से दरवाजा खोला.
जैसे ही दरवाजा खुला, वो तुरंत कमरे के अंदर आ गया और दरवाजा बंद कर लिया. इससे पहले कि मैं कुछ कह पाती, उसने मुझे अपनी बाहों में भर लिया और मेरे होंठों पर अपनी प्यास उतारने लगा. उसकी पकड़ मजबूत और बेहद जुनूनी थी, और मैं चाहकर भी खुद को रोक नहीं पा रही थी.
उसकी हरकतों से मुझे साफ हो चुका था कि आज मैं अपनी कुंवारी चूत को अपने सगे भाई के मोटे और तगड़े लंड से चुदवाए बिना नहीं बच सकती. उसकी आंखों में एक अजीब-सा जुनून था, जिसने मुझे भी मजबूर कर दिया कि मैं उसे रोकने की बजाय उसका साथ दूं.
उसने धीरे-धीरे मेरा टॉप उतार दिया, और मैं उसके सामने आधी नंगी खड़ी थी. उसकी उंगलियां मेरी बूर पर घूम रही थीं, और हर छुअन के साथ मेरे शरीर में एक अजीब-सी सिहरन दौड़ रही थी. उसका स्पर्श मुझे अंदर तक गर्म कर रहा था, और मैं चाहकर भी खुद को रोक नहीं पा रही थी.
मैंने गुस्से और घबराहट में अपने बहनचोद भाई से कहा, “यह गलत है, तू समझ क्यों नहीं रहा?”
उसने एक पल के लिए रुककर मेरी आंखों में देखा और मुस्कुराते हुए कहा, “तू ही तो कह रही थी कि लड़की कभी मौका नहीं देती, लड़के को ही मौका देखकर उसे अपनी बाहों में भर लेना चाहिए. अब जब मैंने मौका देखा है, तो तुझे इससे दिक्कत क्यों हो रही है?”
मैंने झिझकते हुए कहा, “मैं तेरी बहन हूँ! ये सब नहीं हो सकता.”
उसने मेरी बात को अनदेखा करते हुए जवाब दिया, “है तो तू लड़की ही. तुझे भगवान ने चोदने के लिए ही बनाया है. आज नहीं तो कल, तुझे कोई न कोई मर्द अपनी रंडी बनाकर चोदेगा. तो क्यों न वो मर्द मैं ही बन जाऊं?”
उसकी बातों ने मुझे अंदर तक झकझोर दिया, लेकिन उसकी जिद्द और मेरे मन में उठती भावनाओं ने मुझे हार मानने पर मजबूर कर दिया. मैंने कहा, “ठीक है, ऊपर-ऊपर से कुछ भी कर ले, लेकिन उससे ज्यादा मैं नहीं करने दूंगी.”
मेरी बात सुनकर उसने एक ठंडी मुस्कान दी और तुरंत मुझे किस करने लगा. उसका स्पर्श और होंठों का दबाव मुझे गर्म कर रहे थे. उसने धीरे-धीरे अपने हाथों से मेरे बूब्स को दबाना शुरू कर दिया. उसकी हर हरकत मुझे और उत्तेजित कर रही थी, और मैं चाहकर भी खुद को रोक नहीं पा रही थी.
कुछ देर बाद, उसने मेरे बूब्स को अपने होंठों से पकड़ लिया और उन्हें चूसने लगा. उसकी जीभ और होठों की हरकतों ने मुझे पागल कर दिया था. मैं इतनी गर्म हो चुकी थी कि मेरा दिमाग भी जैसे काम करना बंद कर चुका था.
फिर उसने मुझसे अपनी जींस उतारने को कहा. मैंने पहले मना किया, लेकिन उसके बार-बार जिद करने पर मैंने धीरे-धीरे अपनी जींस उतार दी. इसके पहले कि मैं कुछ कर पाती, उसने झपटकर मेरी पैंटी भी उतार दी, और अब मैं उसके सामने पूरी तरह नग्न थी.
अब मैं अपने सगे भाई के सामने पूरी तरह नंगी खड़ी थी। उसकी आंखों में जलती हुई चाहत और मेरी सांसों में बढ़ती बेचैनी थी। उसने धीरे-धीरे अपनी उंगली मेरी वर्जिन बूर में डाली। मेरी पूरी देह सिहर उठी, जैसे बिजली का करंट दौड़ गया हो। उसने उंगली अंदर-बाहर करना शुरू किया, पहले धीमे, फिर तेज़ी से। मेरी बूर में एक अजीब सा खिंचाव और गर्मी पैदा हो गई।
फिर उसने मुझे मेज पर बिठाया। मेरी सील पैक वर्जिन बूर पूरी तरह खुल गई। उसने अपने होंठों से मेरी बूर को छूते ही उसमें गहरी सांसें लीं और फिर उसे चाटना शुरू कर दिया। उसकी ज़ुबान जैसे मेरी बूर को हर तरफ से चूम रही हो। उसकी हरकतें मुझे पागल बना रही थीं, और मैं उसके सिर को अपनी बूर पर और दबाने लगी। मेरी उंगलियां उसके बालों को कसकर पकड़ रही थीं, और मेरा पूरा शरीर उसकी हर हरकत के साथ कांप रहा था।
काफी देर तक उसने मेरी बूर को चाटा, इतना कि मेरी सांसें तेज़ हो गईं और मेरे होंठों से हल्की सिसकारियां निकलने लगीं। फिर उसने अपना लंड निकाला। मैंने जैसे ही देखा, मेरी आंखें खुली की खुली रह गईं। वो 9 इंच लंबा और 3 इंच मोटा लंड ऐसा लग रहा था जैसे मेरी बूर को चीर देगा। उसने धीरे से उसे मेरी बूर पर रखा। मेरी बूर उसकी गर्मी को महसूस कर रही थी।
मैंने तुरंत डरते हुए कहा, “मैंने कहा था कि सिर्फ ऊपर-ऊपर से कुछ भी कर सकते हो!”
मेरे भाई ने अपनी आवाज़ को और कामुक बनाते हुए कहा, “दीदी, मैं तो वही कर रहा हूँ, इसे बस फिरा रहा हूँ। इसकी ऐसी किस्मत कहाँ कि आप जैसी हूर परी की बूर चोदने को मिले!” उसकी बातों में एक अजीब सा आत्मविश्वास और वासना थी, जिससे मेरा डर और बढ़ गया।
मैंने उसकी बात पर झेंपते हुए हल्के गुस्से में कहा, “अच्छा?” मेरी इस हल्की स्वीकृति ने शायद उसके अंदर के जानवर को और भड़का दिया। उसने बिना किसी चेतावनी के अपने लंड को पकड़कर बहुत तेज धक्का मारा।
उसके लंड का टोपा जैसे ही मेरी वर्जिन बूर में घुसा, मेरे पूरे शरीर में बिजली दौड़ गई। दर्द इतना तीव्र था कि मैं चीख भी नहीं पाई। मेरी वर्जिन बूर से खून निकलने लगा, और दर्द की वजह से मेरी आँखों से आँसू बह निकले। मेरी सांसें तेज हो गईं और मेरा पूरा शरीर कांपने लगा।
मैंने पूरी ताकत लगाकर भाई की पकड़ से छूटने की कोशिश की, लेकिन वो जैसे पत्थर की दीवार हो। उसकी पकड़ इतनी मजबूत थी कि मैंने हार मान ली। उसके चेहरे पर एक वहशी मुस्कान थी, और उसकी आंखों में सिर्फ हवस की आग जल रही थी। मैं अब पूरी तरह समझ चुकी थी कि आज मेरा बहनचोद भाई तब तक नहीं रुकेगा, जब तक मेरी फटी हुई बूर और बच्चेदानी का कचूमर बनाकर अपनी हवस पूरी न कर ले।
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मैं उसकी इस जानवर जैसी ताकत और हवस के आगे पूरी तरह बेबस थी। उसने अपने लंड को और कसकर पकड़ा और एक और ज़बरदस्त धक्का मारा। इस बार उसका आधे से ज्यादा लंड मेरी वर्जिन बूर में घुस गया।
दर्द ने मेरी पूरी देह को जकड़ लिया। मेरी चीख कमरे में गूंज उठी, “अई… अई… मर गई!” मेरी बूर जैसे आग की तरह जल रही थी। मेरी आंखों में आँसू थे, और मेरा शरीर जैसे उसकी पकड़ में ठहर गया था।
फिर उसने एक और ज़बरदस्त धक्का मारा, जिससे उसका सारा लंड मेरी वर्जिन बूर की सील तोड़ते हुए अंदर, मेरी बच्चेदानी तक घुस गया। मैं दर्द और हैरानी के बीच हिल भी नहीं पाई। उसने मेरी कांपती हुई हालत देखकर तुरंत मेरे होंठों पर झुककर मुझे किस करना शुरू कर दिया। उसकी गर्म सांसें और होंठ जैसे मेरे दर्द को मिटाने की कोशिश कर रहे थे। वो लगातार मुझे किस करता रहा, जब तक मेरी सिसकारियां धीरे-धीरे शांत नहीं हो गईं और मैं नार्मल होने लगी।
जैसे ही उसने महसूस किया कि मैं थोड़ी सहज हो गई हूँ, उसने अपने लंड को फिर से अंदर-बाहर करना शुरू कर दिया। हर बार जब उसका काला और मोटा लंड मेरी बूर के अंदर गहराई तक जाता, तो कभी-कभी मेरी बच्चेदानी की दीवार से टकराता। हर टक्कर के साथ मेरी सांसें तेज़ हो जातीं और दर्द के साथ-साथ हल्की सिसकारियां मेरे होंठों से निकलने लगतीं—”आअअहह… अअआहहह… ऊई…”।
दर्द अभी भी था, लेकिन अब उसमें एक अजीब सा सुख मिलने लगा था। मेरे सगे भाई का लंड जैसे मेरी बूर को हर तरफ से भर रहा था। उसका लम्बा और मोटा लंड मेरी वर्जिन चूत की सील तोड़ चुका था और अंदर जगह बना चुका था।
अब मुझे खुद को अपने भाई से चुदवाने में एक अलग तरह का मज़ा आने लगा था। वो हर धक्के के साथ जैसे मेरी चूत के अंदर नहीं, मेरे दिल के अंदर जगह बना रहा था।
अब तो भाई के लंड का हर धक्का मुझे गहराई तक आनंद देने लगा था। जैसे-जैसे उसका लंड मेरी बूर के अंदर जाता, मेरी बच्चेदानी तक उसकी मौजूदगी महसूस होती। हर बार उसकी गति और धक्कों के साथ मेरी सांसें तेज़ हो जातीं।
कुछ देर बाद, उसने मुझे मेज से उठा लिया और बिस्तर पर ले जाकर धीरे से लिटा दिया। उसकी आँखों में वासना और चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान थी। उसने मुझे चूमना शुरू किया, उसके होंठ मेरी गर्दन, मेरे कंधे, और फिर मेरे सीने तक गए। वो जैसे हर जगह अपनी मौजूदगी छोड़ रहा था।
फिर, उसने अपने लंबे और मोटे लंड को एक बार फिर मेरी बूर में घुसा दिया। जैसे ही उसका लंड गहराई तक पहुंचा, मैं हल्की सिसकारी भरते हुए अपनी बूर की खुजली को मिटते हुए महसूस करने लगी। उसका लंड बार-बार मेरी बच्चेदानी की दीवार से टकरा रहा था, और उस दर्द और सुख का अजीब सा संतुलन मुझे और पागल बना रहा था।
अब हर धक्का मुझे दर्द के साथ-साथ एक गहरा आनंद दे रहा था। मेरी बूर, जो अब पूरी तरह से उसकी पकड़ में थी, जैसे उसी के लिए बनी हो। वो मुझे पूरे 20 मिनट तक चोदता रहा। उसकी गति कभी तेज़ होती, तो कभी धीमी, और मैं पूरी तरह से उसकी हर हरकत में खो चुकी थी।
आखिरकार, उसने एक जोरदार धक्का मारा और उसके लंड का गर्म माल मेरी बूर में भर गया। उसी पल, मेरी बूर का भी पानी निकल गया। उस एहसास ने मेरी पूरी देह को सिहरन से भर दिया। मुझे अब समझ आ चुका था कि चुदाई में ऐसा गहरा आनंद छिपा है।
मैं सोचने लगी कि अगर मुझे पहले पता होता कि चुदाई इतनी मज़ेदार होती है, तो मैं कब की चुद चुकी होती, किसी न किसी मर्द से। वैसे भी, मेरी खूबसूरती के तो पहले से ही कई मर्द दीवाने थे।
फिर मेरा भाई मेरे ऊपर ही सो गया। उसका गर्म शरीर मेरी थकी हुई देह पर पड़ा था, और मैं पूरी तरह से लाचार महसूस कर रही थी। जब हमने अपनी आँखें खोलीं, तो घड़ी रात के 2:00 बजे का समय दिखा रही थी। भाई की आँखों में फिर से वही वासना की आग जल रही थी। उसका मन फिर से मुझे चोदने का कर रहा था। उसने मेरी बूर और बच्चेदानी का कचूमर बनाने के लिए मुझे गर्म करना शुरू किया।
लेकिन इस बार मैंने उसे मना कर दिया। मेरी बूर में अब भी तेज दर्द हो रहा था, और मेरे सिर में चक्कर आ रहे थे। मैंने भाई से कहा कि मैं अब और नहीं सह सकती। वो मेरी हालत देखकर थोड़ी देर रुका और फिर उसी कमरे में सोने चला गया, जहाँ मेरी बहनें पहले से सोई हुई थीं।
मैं किसी तरह खुद को संभालते हुए बाथरूम गई। पेशाब करते वक्त मेरी बूर जलने लगी, और मुझे फिर से दर्द का एहसास हुआ। पेशाब के साथ हल्का खून भी निकला। मैं धीरे-धीरे वापस उसी कमरे में आई और भाई के पास लेट गई। इस बार वो गहरी नींद में सो चुका था, जैसे उसे किसी बात की चिंता ही न हो।
सुबह मेरी बहन ने मुझे उठाया। मैं बिस्तर से उठने की कोशिश कर रही थी, लेकिन दर्द की वजह से सही से खड़ी भी नहीं हो पाई। मेरी चाल लड़खड़ा रही थी। उसने मुझे घूरते हुए पूछा, “क्या हुआ दीदी? इतनी बुरी तरह क्यों चल रही हो?”
मैंने झेंपते हुए कहा, “पता नहीं, शायद पैर में मोच आ गई है।” लेकिन उसकी नज़र मेरी जींस पर लगे खून के धब्बे पर पड़ी। वो बच्ची नहीं थी; उसने तुरंत सब समझ लिया। उसकी आँखों में मेरी तरफ अजीब सा सवाल था, लेकिन उसने कुछ नहीं कहा।
जबसे मैं चुदी थी, मेरा मन किसी काम में नहीं लग रहा था। हर समय बस वो पल याद आता, जब भाई ने मेरी वर्जिन बूर की सील तोड़ी और मुझे चोदते-चोदते पागल कर दिया।
रीना ने मुस्कुराते हुए कहा, “दीदी, भाई को चाय पीने के लिए जगा दो!” उसकी बात सुनकर मैं धीरे-धीरे भाई के कमरे की तरफ बढ़ी। जब मैंने भाई को जगाया, तो उसकी आंखें खुलते ही उसने धीरे से पूछा, “ज्यादा दर्द तो नहीं हो रहा है?”
मैंने हल्की झेंप और गुस्से में कहा, “कहा था ना कि सब ऊपर-ऊपर से करना, पर तूने मेरी सील भी तोड़ दी और मेरा वो घमंड भी, जो मैं हमेशा से रखती थी कि मैं अपने पति के अलावा किसी और से नहीं चुदाऊंगी। तेरा लंड इतना मोटा था, फिर भी मेरी बूर में कैसे घुस गया? यह कैसे कर दिया तूने?”
भाई ने चेहरे पर एक शैतानी मुस्कान लाते हुए जवाब दिया, “यह मेरे लंड का कमाल है।”
उसकी बात पर मैंने नज़रें नीचे कर लीं। थोड़ी देर बाद, हम सबने साथ में खाना खाया। मेरी बहनें अपने-अपने काम में लग गईं। रीना टी.वी. देख रही थी, और मैं रसोई में काम कर रही थी।
तभी अचानक भाई चुपचाप पीछे से आ गया। उसने मेरे मोटे-मोटे बूब्स को अपने दोनों हाथों से इतनी जोर से भींचा कि मैं दर्द से चिल्ला उठी, “आह्ह्ह… क्या कर रहा है तू!”
मेरी आवाज़ इतनी तेज़ थी कि यह आवाज़ रीना के कानों तक पहुंच गई।
मेरी बहन रसोई की तरफ आई और चुपचाप दरवाजे पर खड़ी होकर हमारी गंदी हरकतों को देखने लगी। उसकी आँखों में हैरानी और जिज्ञासा साफ झलक रही थी, लेकिन उसने कुछ भी कहने के बजाय बस खामोशी से देखा।
उधर, भाई ने मुझ पर जैसे पूरी तरह से कब्जा कर लिया था। उसने बिना देर किए मेरे कपड़े उतार दिए, और कुछ ही पलों में मुझे पूरी तरह नंगी कर दिया। मैं हड़बड़ाई, लेकिन उसकी तेज़ हरकतों ने मुझे कुछ सोचने का मौका ही नहीं दिया। उसने झुककर मेरी बूर को चाटना शुरू कर दिया। उसकी जुबान जैसे मेरी हर नब्ज को छू रही थी। मैं थोड़ी ही देर में गर्म हो गई और उसकी तरफ देखने लगी, जैसे अब मेरे शरीर पर मेरा कोई हक ही न हो।
फिर उसने अपना तगड़ा और मोटा लंड निकाला। उसकी नसें साफ दिखाई दे रही थीं, और वो पूरी तरह तैयार था। उसने मुझसे कहा, “इसे चूसो।” मैंने पहले तो घबराते हुए मना कर दिया। लेकिन जब उसने बार-बार ज़िद की, तो मैंने झेंपते हुए उसका लंड चूसना शुरू किया।
उसके लंड का स्वाद नमकीन और मर्दाना था। मैं उसकी हर जिद पूरी करती जा रही थी, और वो मुझ पर पूरी तरह हावी होता जा रहा था। जब उसने महसूस किया कि मैं पूरी तरह तैयार हूँ, तो उसने मुझे घोड़ी बना दिया।
आप यह कुवारी बहन की चुत और गांड की चुदाई भाई से कहानी हमारे इंडियन सेक्स स्टोरीज की नम्बर 1 वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर पढ़ रहे है।
मैंने घबराकर उसे मना किया, लेकिन उसकी आंखों में जलती हुई वासना ने मुझे और कुछ कहने का मौका नहीं दिया। उसने अपने तगड़े मोटे लंड पर थूक लगाया, और मेरी कुंवारी गांड की ओर निशाना साधा।
जैसे ही उसने पहली बार जोर लगाया, उसका काला और मोटा लंड मेरी गांड में आधा घुस गया। मैं दर्द से क़राह उठी, “आह्ह्ह… अरे मर गई!” मेरी सांसें तेज हो गईं, और मेरी आंखों से आँसू बहने लगे। दर्द के बावजूद, मेरा शरीर उसकी पकड़ में था, और मैं पूरी तरह से उसके हवाले हो चुकी थी।
मैंने अपनी कांपती हुई आवाज़ में रोते हुए कहा, “भाई, तू मुझे मार ही डालेगा गांड की चुदाई करते करते, बस कर, अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा… दर्द बहुत हो रहा है।” पर उसने मेरी बात पर ज़रा भी ध्यान नहीं दिया, जैसे मेरी तकलीफ उसे और ज्यादा मजा दे रही हो। उसने एक बार और जोर से धक्का मारा, इतना जोर का कि उसका 9 इंच लंबा और 4 इंच मोटा लंड मेरी कुंवारी गांड की गहराइयों में पूरी तरह समा गया।
मैं दर्द से बेकाबू हो गई और चीखने लगी, “उई माँ… आह… हा…हा… उईऊईऊई!” मेरी आवाज़ अब कांपने लगी थी, और मेरी आँखों से आंसुओं की धार बह रही थी। दर्द ऐसा था कि जैसे मेरी गांड फट ही जाएगी। पर मेरे भाई का मन मानो पत्थर का हो गया था। उसे मेरी तकलीफ से कोई फर्क ही नहीं पड़ रहा था। उसने तो जैसे मुझे बस अपनी गंदी इच्छाओं को पूरा करने का एक खिलौना मान लिया था।
दोस्तों, मेरे भाई के लंबे और मोटे लंड से अपनी कुंवारी गांड मरवाते वक्त मुझे ऐसा महसूस हो रहा था जैसे पहली बार वर्जिन बूर की चुदाई हो रही हो। दर्द इतना तीव्र था कि हर बार जब वो झटका मारता, मेरी पूरी काया हिल जाती। उसने बिना रुके करीब आधे घंटे तक मेरी कुंवारी गांड की गहराइयों में अपनी प्यास बुझाई। हर धक्के के साथ मेरी चीखें और तेज़ हो रही थीं, लेकिन उसकी आँखों में सिर्फ अपनी हवस की आग थी।
जब वो आखिरकार अपनी मंज़िल पर पहुंचने वाला था, उसने लंड को मेरी गांड से बाहर निकालकर अपने गर्म, चिपचिपे माल की धार मेरे खूबसूरत चेहरे पर गिरा दी। मैं शर्म से लाल हो गई, लेकिन उसकी आँखों में मुझे अपने कारनामे की जीत साफ नज़र आ रही थी। उसने एक शरारती मुस्कान के साथ पूछा, “मज़ा आया?” मैं लाज के मारे चुप ही रही, जैसे शब्द मेरे होंठों तक पहुँच ही नहीं पाए।
जैसे ही मैं खुद को बाथरूम में जाकर ठीक करने के लिए उठी, मेरी नज़र अचानक रीना पर पड़ी। मेरी बहन रीना, जो हमारी भाई-बहन की यह चुदाई देख चुकी थी। मेरी तरफ देखते ही वो बिना कुछ कहे वहाँ से चली गई। मेरे दिल की धड़कनें और तेज़ हो गईं, जैसे किसी ने हमारे गहरे राज़ पर से पर्दा उठा दिया हो।
बाद में जब मैंने यह बात भाई को बताई, तो उसने शरारत भरी मुस्कान के साथ कहा, “उसे भी चुदवा दे, उसका भी मन करता होगा किसी से अपनी वर्जिन चूत चुदवाने का और गांड मरवाने का!” उसकी बात सुनकर मेरे अंदर एक अजीब-सी जलन और प्यार का मिला-जुला एहसास हुआ।
दोस्तों, अब मुझे अपने भाई से गहरा प्यार हो गया था। उसकी गर्म बाँहों और लंबे-मोटे लंड के साथ बिताए हर पल ने मेरे दिल में उसकी एक अलग ही जगह बना दी थी। अब मुझे यह समझ आने लगा था कि मेरे भाई के लंड पर सिर्फ मेरी चूत और गांड का हक़ है। मैं अपनी यह खुशियों भरी दुनिया किसी और के साथ, यहाँ तक कि अपनी सगी बहन के साथ भी, शेयर नहीं करना चाहती थी।
मेरा दिल इस बात पर अड़ गया था कि मेरे भाई का लंड सिर्फ मेरा है। चाहे जो भी हो, मैं अपने भाई की चूत और गांड की रानी बनकर रहना चाहती थी, और किसी और को उसकी इस दुनिया में घुसने का मौका नहीं देना चाहती थी।
मैं बिलकुल नहीं चाहती थी कि मेरा बहनचोद भाई मेरे अलावा किसी और महिला के साथ सेक्स करे। मेरे भाई का लंड सिर्फ और सिर्फ मेरा था, और किसी और के साथ उसे शेयर करने का ख्याल भी मेरे अंदर जलन की आग भड़का देता था।
मैंने उसकी आँखों में देखकर साफ शब्दों में कहा, “वो अभी बच्ची है। उसे तेरे लंड को अपनी गांड और चूत में लेने लायक बड़ी होने दे।” मेरी बात में न सिर्फ जलन बल्कि अधिकार भी झलक रहा था।
“तब मैं उससे तेरे लंड से चुदवाने के बारे में बात करूंगी,” मैंने ठंडे लेकिन अधिकार भरे लहजे में कहा। मेरी बात सुनकर मेरा भाई धीरे-धीरे मुस्कुराने लगा। उसकी आँखों में हवस की वही चिंगारी थी, लेकिन अब वह समझ चुका था कि अभी उसे मेरी ही चूत और गांड से अपनी इच्छाओं को पूरा करना होगा।
दोस्तों, मैं उम्मीद करती हूँ कि आपको मेरी और मेरे बहनचोद भाई की दर्द भरी चुदाई की यह हिंदी सेक्स कहानी पसंद आई होगी।
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