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बहन की चुदाई स्लीपर बस में उसकी भी गलती से

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दोस्तों, मेरा नाम रवि है। मैं दिल्ली में रहता हूँ, और ये कहानी मेरी और मेरी बहन सपना की है, जो कल रात की है। हम दोनों दुर्गा पूजा के लिए गाँव जा रहे थे, और स्लीपर बस में कुछ ऐसा हो गया कि हम दोनों से गलती हो गई। मैं आपको सारी बात डिटेल में बताता हूँ, ताकि आप भी महसूस कर सको कि उस रात क्या हुआ।

मैं और सपना दिल्ली में एक साथ पढ़ाई करते हैं। मैं 22 साल का हूँ, और सपना 21 की। वो इतनी सेक्सी और हॉट है कि क्या बताऊँ! उसका गोरा रंग, भरी-भरी चूचियाँ, और गोल-मटोल गांड देखकर किसी का भी मन डोल जाए। पर वो मेरी बहन है, तो मैं हमेशा अपने दिल की बात दबा देता था। मम्मी-पापा ने कहा था कि दुर्गा पूजा में गाँव आना ज़रूरी है, तो हमने दिल्ली से बिहार के लिए स्लीपर बस की टिकट बुक कर ली। मजनू का टीला से वॉल्वो बस मिली, और हमें एक केबिन में ऊपर की दो बर्थ मिल गईं।

केबिन में पूरी प्राइवेसी थी। परदे लगे थे, बाहर का अंधेरा था, और अंदर का माहौल ऐसा कि कोई देख नहीं सकता था। बस शाम 6 बजे दिल्ली से चली। रास्ते में हम दोनों बातें करते रहे। आगरा पहुँचते-पहुँचते रात के 10 बज गए। बस की खिड़की से ताजमहल का नज़ारा दिखा, तो सपना बोली, “देख भैया, कितना प्यार करता था वो बादशाह अपनी बेगम से, जिसके लिए इतना खूबसूरत ताजमहल बनवाया।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी मासूमियत थी, पर उसकी आँखों में कुछ और ही चमक थी। मैंने हल्के से हँसकर कहा, “हाँ, प्यार तो गज़ब का था।”

बस में धीरे-धीरे सन्नाटा छा गया। ज़्यादातर लोग सोने लगे थे। सपना बोली, “भैया, सोने का टाइम हो गया। यहाँ कैसे सोएँ?” मैंने मज़ाक में कहा, “अरे, यहाँ कोई फाइव-स्टार बेड थोड़े है। इसी केबिन में एडजस्ट करना पड़ेगा।” हम दोनों एक ही बर्थ पर लेट गए, क्योंकि दूसरी बर्थ पर सामान रखा था। एक ही कम्बल था, तो हमने उसे ओढ़ लिया।

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करीब आधा घंटा बीता होगा। मैं अपने फोन पर कुछ हॉट कहानियाँ पढ़ रहा था। पढ़ते-पढ़ते मेरा लंड खड़ा हो गया। मैं धीरे-धीरे उसे सहलाने लगा, पर ध्यान रख रहा था कि सपना को पता न चले। अचानक बस ने एक झटका लिया, और सपना की गांड मेरे लंड से सट गई। दोस्तों, क्या बताऊँ, उसकी नरम, गोल-मटोल गांड का वो स्पर्श! मेरा लंड और सख्त हो गया, जैसे आग लग गई हो। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, थोड़ा हट गया, पर सपना फिर से मेरे और करीब आ गई। उसकी गांड फिर से मेरे लंड से टच हो रही थी।

अब मुझसे रहा नहीं गया। बस की हल्की-हल्की हिलन और अंधेरे ने माहौल को और गर्म कर दिया। मैंने सोचा, जो होगा देखा जाएगा। धीरे से मैंने अपना पैर उसकी गांड पर रखा। उसने कोई हलचल नहीं की। मेरी हिम्मत बढ़ी, और मैंने उसकी चूचियों को हल्के से टच किया। उसका टॉप थोड़ा ऊपर सरकाया, और ब्रा के ऊपर से उसकी चूचियाँ दबाने लगा। वो चुप थी, जैसे सो रही हो, पर उसकी साँसें तेज़ हो रही थीं। मेरी धड़कनें भी बढ़ गई थीं। मेरा लंड अब पूरी तरह तन चुका था, मोटा और लंबा।

मैंने हिम्मत करके उसका पेंट नीचे खींचा। उसकी पैंटी भी घुटनों तक सरक गई। मैंने उसकी ब्रा का हुक खोल दिया और उसकी नरम, गर्म चूचियों को अपने हाथों में लिया। सपना ने एक हल्की सी सिसकारी भरी और मेरे और करीब सट गई। उसने अपना एक पैर मेरे ऊपर चढ़ा दिया। मैं समझ गया कि वो जाग रही है। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उसकी बूर पर हल्के से फेरा। दोस्तों, उसकी बूर पूरी गीली थी! मैंने महसूस किया कि वो भी उतनी ही गर्म थी जितना मैं।

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मैंने अपना लंड उसकी बूर पर सेट किया और धीरे से धक्का मारा। पर लंड अंदर नहीं गया। बस की हिलन की वजह से बार-बार कोशिश नाकाम हो रही थी। करीब पाँच मिनट तक मैं परेशान रहा। तभी सपना सीधी हुई, उसने अपनी पैंटी पूरी तरह उतार दी और धीरे से बोली, “भैया, ऊपर आ जाओ।” उसकी आवाज़ में एक अजीब सी प्यास थी। मैं तो जैसे पागल हो गया। मैं तुरंत उसके ऊपर चढ़ गया। उसने अपने दोनों पैर फैला दिए, और मैंने अपना लंड उसकी बूर पर रखकर एक ज़ोरदार धक्का मारा।

सपना की मुँह से “आह्ह… ओह्ह…” की आवाज़ निकली। मैंने धीरे-धीरे धक्के शुरू किए, और उसकी चूचियों को मसलने लगा। उसकी बूर इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और जोश में आ रहा था। सपना भी अपनी गांड हिलाकर मेरा साथ दे रही थी। मैंने उसके होंठ चूसने शुरू किए, और वो मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगी। उसकी सिसकारियाँ, “आह्ह… भैया… और ज़ोर से…” सुनकर मैं और पागल हो गया। मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। उसकी बूर की गर्मी और गीलापन मुझे जन्नत का मज़ा दे रहा था।

करीब आधे घंटे तक मैंने उसे चोदा। उसकी चूचियाँ मेरे हाथों में मसल रही थीं, और उसकी सिसकारियाँ बस में गूँज रही थीं। फिर मैं झड़ गया। हम दोनों एक-दूसरे से लिपट गए, और होंठ चूसने लगे। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर पड़ रही थीं। करीब एक घंटे बाद, सपना फिर से गर्म हो गई। इस बार वो मेरे ऊपर चढ़ गई। उसने मेरा लंड पकड़ा, अपनी बूर पर सेट किया, और धीरे-धीरे उसे अंदर लिया। वो ऊपर-नीचे होने लगी, और मैं उसकी गांड को सहलाने लगा। उसकी चूचियाँ मेरे मुँह के पास उछल रही थीं, और मैं उन्हें चूसने लगा।

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रात भर हम दोनों ने एक-दूसरे को खुश किया। कभी मैं उसके ऊपर, कभी वो मेरे ऊपर। बस का हिलना और अंधेरा हमारे जोश को और बढ़ा रहा था। सुबह गाँव पहुँचे, और हम दोनों थककर चूर थे, पर दिल में एक अजीब सी खुशी थी। अब गाँव में क्या हुआ, वो फिर कभी बताऊँगा।

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