देवर ने लगाया मुझे चमड़े का इंजेक्शन और खूब चोदा

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Devar Bhabhi Chudai मेरा नाम लवी है, उम्र 32 साल, गोरी-चिट्टी, भरा हुआ बदन, 36 इंच के भारी-भरकम मम्मे और गोल-मटोल कूल्हे जो साड़ी में लहराते हुए किसी का भी ध्यान खींच लेते हैं। मेरे पति, राजेश, 38 साल के हैं, लंबे-चौड़े थे, पर एक साल पहले हुए रोड एक्सीडेंट ने उनकी जिंदगी को व्हीलचेयर तक सीमित कर दिया। पहले वो मुझे हर रात अपनी बाहों में लेते, उनका लंबा, मोटा लंड, जैसे कोई हॉटडॉग, मेरी चूत को रगड़-रगड़ कर मजा देता था। लेकिन अब वो सिर्फ बिस्तर पर पड़े रहते हैं। मेरे देवर विशाल, 28 साल का, लंबा, गठीला, और नौजवान, जिसकी आँखों में शरारत और जवानी का जोश हमेशा चमकता है, ने पति की जगह कंपनी में नौकरी ले ली। वो अब घर का खर्च चलाता है, हमारा अन्नदाता बन गया है।

पिछले एक साल से मेरी चूत ने कोई लंड नहीं देखा। रातें खाली, बदन तड़पता, और मन बेचैन। धीरे-धीरे मेरा ध्यान विशाल की ओर जाने लगा। वो घर का मालिक था, हर सुबह उसका नाश्ता बनाना, कपड़े धोना, उसकी मोटरसाइकिल चमकाना, मेरा रोज का काम बन गया। कभी-कभी प्यार जागता, तो मैं उसे अपने हाथों से नहलाती। “रहने दो भाभी, मैं नहा लूंगा,” वो शरमाते हुए कहता, पर मैं उसकी पीठ पर साबुन मलते हुए उसके गठीले बदन को छूती, और मेरी चूत में सनसनी होने लगती। मेरा मकसद साफ था – मैं विशाल को अपने जाल में फंसाना चाहती थी, उससे खूब चुदवाना चाहती थी।

एक सुबह मैंने सोच लिया, आज कुछ करना है। मैं जानती थी कि विशाल ठीक 6:10 बजे आंगन में मूतने आता है। मैंने अपनी साड़ी उतार दी, ब्लाउस के बटन खोल दिए, और सिर्फ पेटीकोट में नहाने लगी। बाल्टी से मग-मग पानी अपने बदन पर डाल रही थी, मेरे मम्मे ब्लाउस से बाहर झांक रहे थे, पानी से भीगकर चिपक गए थे। मेरी चूत पहले से ही गीली थी, नहाने के बहाने नहीं, बल्कि विशाल को देखने की चाहत से। मैंने जानबूझकर अपने कूल्हों को मटकाया, पानी को और तेजी से डाला, ताकि मेरे मम्मे और चूतड़ उछल-उछल कर उसका ध्यान खींचें।

ठीक सवा छह बजे विशाल बाहर निकला। उसकी आँखें मेरे भीगे बदन पर टिक गईं। मैंने जानबूझकर फिसलने का नाटक किया, और वो तुरंत मेरी ओर लपका। “अरे भाभी, चोट तो नहीं लगी?” उसने मुझे अपनी मजबूत बाहों में थाम लिया। उसकी छुअन से मेरी चूत में आग लग गई। “हाँ, देवर जी, मेरे कूल्हे में दर्द हो रहा है, जरा मल दो,” मैंने शरारत से कहा और पेटीकोट का नाड़ा ढीला कर दिया। विशाल ने अपने हाथ मेरे पेटीकोट के अंदर डाले और मेरे चिकने, गीले कूल्हों को मलने लगा। “आह्ह… कितना सुकून,” मैंने सिसकारी भरी। उसका हाथ मेरे चूतड़ों पर फिसल रहा था, और मेरी चूत में गुदगुदी होने लगी।

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विशाल भी अब भीग चुका था। मैं उससे लिपट गई, उसके गालों पर पप्पी देने लगी। “भाभी, ये क्या कर रही हो?” उसने शरमाते हुए कहा, पर उसकी आँखों में वासना साफ दिख रही थी। “देवर जी, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूँ, मुझे अपनाओ,” मैंने कहा और उसके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। उसने थोड़ा विरोध किया, पर मेरी जवानी के सामने टिक न सका। वो भी मुझे चूमने लगा, उसके हाथ मेरे भीगे मम्मों पर चले गए। “उफ्फ… भाभी, तुम तो मस्त माल हो, तुम्हारे मम्मे तो तोतापरी आम जैसे हैं,” उसने कहा। “तो पी लो, देवर जी, ये सब तुम्हारा ही है, फिर मुझे कसके चोदो,” मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा।

विशाल ने मेरे ब्लाउस को फाड़ दिया, मेरे मम्मे आजाद हो गए। पानी से भीगे हुए, वो और भी रसीले लग रहे थे। उसने मेरे एक मम्मे को मुँह में लिया और जोर-जोर से चूसने लगा। “आह्ह… ओह्ह… देवर जी, धीरे… उफ्फ,” मैं सिसकारियां लेने लगी। उसकी जीभ मेरे निप्पल को चाट रही थी, कभी दाँतों से हल्का काट रहा था। मेरी चूत में रस टपकने लगा था। उसने मेरे दूसरे मम्मे को अपने हाथ से दबाना शुरू किया, मेरे निप्पल को उंगलियों से मसल रहा था। “आह्ह… माँ… कितना मजा… और जोर से,” मैंने कहा, मेरी आवाज में वासना भरी थी।

विशाल ने मेरे पेटीकोट का नाड़ा खींच दिया, और वो नीचे सरक गया। मेरी चूत, जो मैंने सुबह ही साफ की थी, उसके सामने थी। मैंने अपने पैर खोल दिए, और एक मग पानी अपनी चूत पर डाल दिया। मेरी चिकनी, गोरी चूत चमक रही थी। विशाल की आँखें फट गईं, वो मेरी चूत को भूखे शेर की तरह देख रहा था। “भाभी, तुम्हारी चूत तो कुंदन की तरह चमक रही है,” उसने कहा और मेरी चूत पर टूट पड़ा। उसकी जीभ मेरी चूत के होंठों को चाटने लगी, मेरे क्लिट को चूसने लगा। “आह्ह… ओह्ह… देवर जी, धीरे… उफ्फ… मर गई,” मैं चिल्ला रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत के अंदर तक जा रही थी, मेरे रस को चाट रहा था। मैंने उसके गीले बाल पकड़ लिए और उसका मुँह अपनी चूत में दबा दिया।

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“भाभी, तुम्हारी चूत का स्वाद तो जन्नत है,” उसने कहा और अपनी उंगली मेरी चूत में डाल दी। “आह्ह… माँ… उफ्फ… और अंदर,” मैंने सिसकारी भरी। उसकी उंगली मेरी चूत को फेट रही थी, फच-फच की आवाज पूरे आंगन में गूंज रही थी। मैं अपनी कमर उठा-उठाकर उसकी उंगली का मजा ले रही थी। “देवर जी, अब लंड डालो, चोदो मुझे,” मैंने गिड़गिड़ाते हुए कहा। विशाल ने अपनी शर्ट उतारी, उसका गठीला सीना चमक रहा था। उसने लोअर और अंडरवियर उतार फेंका। उसका लंड, 8 इंच लंबा, मोटा, और सख्त, मेरे सामने था। “बाप रे, इतना बड़ा,” मैंने हँसते हुए कहा।

विशाल ने मेरे पैर और चौड़े किए, मेरी चूत को एक बार फिर चाटा, और फिर अपना लंड मेरी चूत के मुँह पर रख दिया। “तैयार हो, भाभी?” उसने पूछा। “हाँ, देवर जी, पेल दो, फाड़ दो मेरी चूत,” मैंने कहा। उसने एक झटके में अपना लंड मेरी चूत में उतार दिया। “आह्ह… माँ… उफ्फ… कितना बड़ा है,” मैं चिल्लाई। उसका लंड मेरी चूत को रगड़ता हुआ अंदर-बाहर होने लगा। फच-फच… पच-पच… की आवाज गूंज रही थी। “आह्ह… ओह्ह… देवर जी, और जोर से… उफ्फ… मर गई,” मैं सिसकारियां ले रही थी। विशाल मेरे मम्मों को दबाते हुए, मेरे होंठों को चूमते हुए मुझे पेल रहा था।

मैंने बाल्टी से एक मग पानी उठाया और विशाल के चेहरे पर छप्प से मार दिया। “शरारती भाभी,” उसने हँसते हुए कहा और मेरी चूत में और जोर से धक्के मारने लगा। “आह्ह… माँ… उफ्फ… फाड़ दो… और जोर से,” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरे मम्मों को पकड़ लिया, मेरे निप्पल्स को मसलते हुए मुझे ठोक रहा था। “भाभी, तुम्हारी चूत तो कितनी टाइट है,” उसने कहा। “हाँ, देवर जी, ये तुम्हारे लंड के लिए ही टाइट है,” मैंने जवाब दिया।

करीब 20 मिनट की चुदाई के बाद विशाल ने मेरी चूत में अपना माल छोड़ दिया। “आह्ह… उफ्फ… कितना गर्म है,” मैंने सिसकारी भरी। हम दोनों पसीने और पानी से भीगे हुए थे। मैं उससे लिपट गई, उसके होंठों को चूमने लगी। “देवर जी, तुमने मुझे आज पूरा औरत बना दिया,” मैंने कहा। लेकिन विशाल रुका नहीं। उसने मुझे आंगन में ही कुतिया बना दिया। “भाभी, अब पीछे से मजा लो,” उसने कहा और मेरे चूतड़ों को सहलाने लगा। उसकी उंगलियां मेरे चिकने चूतड़ों पर फिसल रही थीं, फिर उसने मेरी चूत को पीछे से चाटना शुरू किया। “आह्ह… ओह्ह… देवर जी, क्या कर रहे हो,” मैं सिसकारियां ले रही थी।

उसका लंड फिर से टन्न हो गया। उसने मेरे कंधे पकड़े और पीछे से मेरी चूत में लंड डाल दिया। “आह्ह… माँ… उफ्फ… कितना गहरा जा रहा है,” मैं चिल्लाई। वो मुझे कुतिया की तरह पेल रहा था, फच-फच की आवाज फिर से गूंजने लगी। उसने मेरे गीले बाल पकड़ लिए, उन्हें लपेटकर मुझे खींचने लगा। “आह्ह… देवर जी, धीरे… दर्द हो रहा है,” मैंने कहा, पर मजा इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी। वो मेरे चूतड़ों पर थप्पड़ मारते हुए मुझे ठोक रहा था। “भाभी, तुम्हारी गांड तो कितनी मस्त है,” उसने कहा। “हाँ, देवर जी, ये सब तुम्हारा है, और पेलो,” मैंने जवाब दिया।

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आधे घंटे की चुदाई के बाद विशाल ने अपना लंड निकाला और मेरे चूतड़ों पर माल गिरा दिया। “आह्ह… कितना गर्म है,” मैंने सिसकारी भरी। मैंने उसका लंड पकड़ा और चूसने लगी, उसके रस को चाट लिया। “भाभी, तुम तो रंडी से भी बढ़कर हो,” उसने हँसते हुए कहा। “हाँ, देवर जी, तुम्हारे लिए तो मैं रंडी बन जाऊंगी,” मैंने जवाब दिया।

पांच साल बीत गए, मेरे पति का एक्सीडेंट हुए। पिछले चार साल से विशाल मेरा मर्द है। हर रात मैं उसके कमरे में जाती हूँ, अपने पति की नजरों से बचकर उससे चुदवाती हूँ। वो मुझे हर बार नए तरीके से चोदता है, और मैं हर बार जन्नत में पहुंच जाती हूँ।

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