Chhote Bhai ne Didi ko choda: नमस्ते दोस्तों, मैं गुलफाम, 24 साल की एक जवान लड़की, आपका दिल से स्वागत करती हूँ। मेरी हाइट 5 फीट 4 इंच है, रंग गोरा, और फिगर 34-28-36, जो गाँव के लड़कों को बेकरार कर देता है। मेरी चूचियाँ बड़ी और रसीली हैं, जैसे दो पके आम, और मेरी गाँड भारी और लचकदार, जो चलते वक्त लहराती है। आज मैं आपको अपनी जिंदगी की वो कहानी सुनाने जा रही हूँ, जो मेरे और मेरे छोटे भाई सुजीत, जिसे मैं प्यार से छोटू बुलाती हूँ, के बीच की है। छोटू 23 साल का है, 5 फीट 8 इंच का गठीला जवान, चेहरे पर शरारती मुस्कान और आँखों में चमक। बचपन से हम दोनों एक-दूसरे के सबसे करीबी दोस्त रहे। साथ में गलियों में क्रिकेट खेलते, माँ की रसोई से चुपके से पराठे चुराते, और रात को छत पर लेटकर तारे गिनते। लेकिन वक्त ने हमें ऐसी राहों पर ला खड़ा किया, जहाँ हमारी दोस्ती ने एक नया रंग ले लिया।
जब मैं 18 की हुई, मेरी जवानी ने सबका ध्यान खींचना शुरू कर दिया। मेरी चूचियाँ गोल और भारी हो गई थीं, जो मेरी कसी हुई कमीज में उभरकर दिखती थीं। मेरी कमर पतली थी, और गाँड का उभार ऐसा कि गाँव के लड़के मेरे पीछे पागल हो जाते। पापा को मेरी शादी की चिंता सताने लगी। लेकिन पापा दिल के मरीज थे, उनकी हालत ज्यादा भागदौड़ की इजाजत नहीं देती थी। उनकी धड़कनें तेज हो जाती थीं, और डॉक्टर ने उन्हें आराम करने को कहा था। इसलिए मेरी शादी की जिम्मेदारी छोटू पर आ पड़ी। छोटू ने दिन-रात एक करके मेरे लिए लड़का ढूँढा। वो गाँव-गाँव, शहर-शहर भटका, रिश्तेदारों से मिला, लड़कों के घरवालों से बात की। चार साल तक उसने मेहनत की, तब जाकर एक अच्छा लड़का मिला। छोटू ने मेरी शादी की सारी तैयारियाँ संभालीं—हलवाई, टेंट, दहेज की शॉपिंग, कपड़े, गहने, सब कुछ। उसने इतनी मेहनत की कि शादी धूमधाम से हो गई। मैं खुश थी, सब कुछ सपने जैसा था।
लेकिन किस्मत ने मेरे साथ खेल खेला। शादी के दो साल बाद मेरे पति का हादसे में देहांत हो गया। मेरी सास ने मुझे चुड़ैल और डायन कहकर घर से निकाल दिया। मैं टूटी-सी अपने मायके लौट आई। मैं दिन-रात घर की चौखट पर बैठकर रोती रहती। छोटू ने मेरी शादी के लिए इतनी मेहनत की थी, और अब मैं फिर से घर का बोझ बन गई थी। मैं खुद को बेकार समझने लगी। मेरे मन में अंधेरा छा गया था। मैं सोचती थी कि मेरी जिंदगी का कोई मतलब नहीं बचा। एक दिन, मैंने हार मानकर बाथरूम में फिनायल की बोतल उठाई और मुँह से लगाने वाली थी। तभी छोटू ने दरवाजा तोड़ा और बोतल मेरे हाथ से छीन ली।
“ये क्या कर रही हो, दीदी?” उसने गुस्से में मुझे एक जोरदार झापड़ मारा। “पागल हो गई हो क्या? अपनी जान लेने की सोच रही हो?”
“छोटू, मैं मरना चाहती हूँ!” मैं फूट-फूटकर रोने लगी। “मैं तुम सबके लिए बोझ हूँ। मेरी जिंदगी बेकार है।”
“दीदी, तुम मेरी सगी बहन हो!” छोटू ने मुझे अपनी बाँहों में भर लिया। “बहन कभी बोझ नहीं होती। तुम मेरे लिए सब कुछ हो।” उसकी आवाज में प्यार था, और उसकी गर्म बाँहों में मैं घंटों रोती रही। उस दिन अगर छोटू न होता, तो मैं शायद इस दुनिया में न होती। उसकी बातों ने मुझे हिम्मत दी। मैंने मन में ठान लिया कि मैं छोटू के लिए कुछ करूँगी। मैंने उसके सारे काम संभाल लिए—उसके कपड़े धोने, कमरा साफ करने, जूते पॉलिश करने, खाना बनाने। मैं बस उसके लिए जीना चाहती थी।
एक शाम, करीब 9 बजे, मैं छोटू के लिए खाना लेकर उसके कमरे में गई। वो अपने पुराने लकड़ी के बिस्तर पर लेटा था। दरवाजा खुला था, और अंदर का नजारा देखकर मेरी साँसें थम गईं। छोटू अपनी पैंट नीचे सरकाए, लौड़ा हाथ में पकड़कर जोर-जोर से मुठ मार रहा था। उसका लौड़ा, करीब 7 इंच लंबा और मोटा, तनकर खड़ा था। मेरी आहट सुनते ही वो घबरा गया।
“दीदी!” उसने जल्दी से चादर खींचकर लौड़ा छुपाया। उसका चेहरा लाल हो गया था।
मैं खाना रखकर भाग आई। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मेरे मन में अजीब-सी हलचल थी। मैंने वो नजारा पहली बार देखा था, और मेरे शरीर में एक अजीब-सी गर्मी थी। कुछ दिन बाद, मैंने हिम्मत करके छोटू से बात की। हम दोनों रसोई में थे, मम्मी-पापा सो चुके थे।
“छोटू, तू मुठ मारना छोड़ दे,” मैंने धीमे स्वर में कहा, मेरी नजरें नीचे थीं। “इससे तेरा लौड़ा कमजोर हो जाएगा। अगर तुझे जरूरत है, तो… तो मेरी चूत ले ले।”
“दीदी?” वो चौंक गया, उसकी आँखें फटी की फटी रह गईं। “ये क्या बोल रही हो?”
“हाँ, भाई,” मैंने उसकी आँखों में देखते हुए कहा। “मैं बस तेरे काम आना चाहती हूँ। तूने मेरे लिए इतना किया, अब मेरी बारी है।”
छोटू कुछ देर चुप रहा। फिर उसने धीरे से मेरे कंधे पर हाथ रखा। “दीदी, तू सच में ऐसा चाहती है?” उसकी आवाज में हिचक थी, लेकिन आँखों में एक चमक थी।
“हाँ, छोटू। मैं तैयार हूँ,” मैंने कहा। मेरे दिल की धड़कन तेज थी, लेकिन मैंने खुद को समेट लिया।
उसके बाद हमारी बातें बदल गईं। मैं नहाने जाती, तो छोटू को इशारा करती। वो चुपके से बाथरूम में आ जाता। हम दोनों में अब दोस्ती के साथ-साथ कुछ और भी था। हम प्रेमी-प्रेमिका की तरह रहने लगे। एक दिन छोटू का मन मेरी बुर मारने का हुआ। हम दोनों छत पर थे, रात के 11 बज रहे थे। मम्मी-पापा सो चुके थे।
“दीदी, चूत दो ना, प्लीज,” उसने शरारती अंदाज में कहा, उसकी आँखें चमक रही थीं। “कई दिन हो गए, कोई चूत नहीं मारी। मेरे लौड़े को बड़ी तलब है।”
“ले भाई, मेरी चूत को अपनी ही समझ,” मैंने हँसते हुए कहा। मैं भी चुदवाने के मूड में थी। मेरी चूत में गर्मी थी, और छोटू की बातों ने मुझे और गर्म कर दिया।
हम दोनों बाथरूम में गए। मैंने अपनी नीली कमीज उतारी, फिर काली ब्रा निकाली। मेरी बड़ी-बड़ी चूचियाँ आजाद हो गईं। छोटू की नजरें उन पर टिक गईं। “दीदी, तेरे मम्मे तो मस्त हैं!” उसने कहा, उसकी आवाज में लालच था। उसने मुझे दीवार से सटाया और मेरी चूचियों को जोर-जोर से मसलने लगा। “आह्ह…” मेरी सिसकारी निकल गई। उसने मेरे एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। उसकी जीभ मेरे निप्पल पर गोल-गोल घूम रही थी। “उह्ह… छोटू… और चूस…” मैं सिसक रही थी। उसने मेरे दूसरे मम्मे को हाथ से मसला, फिर निप्पल को उंगलियों से रगड़ा। मेरी चूचियाँ सख्त हो गई थीं, और मेरी चूत गीली होने लगी थी।
“दीदी, तेरे मम्मे इतने रसीले हैं, जैसे दूध से भरे हों,” उसने कहा और मेरे दोनों मम्मों को बारी-बारी चूसने लगा। “आह्ह… उह्ह…” मेरी सिसकारियाँ बाथरूम में गूँज रही थीं। छोटू ने मेरे निप्पल को दाँतों से हल्के से काटा, फिर जीभ से चाटा। मैं पागल हो रही थी। उसका एक हाथ मेरी सलवार के नाड़े तक गया। उसने नाड़ा खींचा, और मेरी सलवार नीचे सरक गई। मैं अब सिर्फ लाल पैंटी में थी। छोटू की नजरें मेरी चूत पर टिक गईं। “दीदी, तेरी चूत तो बिल्कुल चिकनी है,” उसने कहा। मैंने सुबह ही अपनी झाँटें साफ की थीं, मेरी चूत मुलायम और गुलाबी थी।
उसने मेरी पैंटी में हाथ डाला और मेरी चूत के होंठों को सहलाने लगा। “आह्ह… छोटू… और कर…” मैं सिसक रही थी। उसकी उंगलियाँ मेरी चूत पर फिसल रही थीं। उसने मेरी चूत का छेद ढूँढा और अपनी बीच वाली उंगली अंदर पेल दी। “उह्ह…” मुझे हल्का-सा दर्द हुआ, लेकिन मजा भी आ रहा था। छोटू ने उंगली निकाली, उस पर थूक लगाया, और फिर मेरी चूत में डाल दिया। “छप… छप…” उसकी उंगली की आवाज बाथरूम में गूँज रही थी। “दीदी, तेरी चूत कितनी गर्म और टाइट है,” उसने कहा और उंगली तेजी से चलाने लगा। मैं सिसक रही थी, “आह्ह… भाई… और तेज…”
छोटू नीचे झुका और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरे क्लिट पर नाच रही थी। “ओह्ह… छोटू… और चाट… आह्ह…” मैं पागल हो रही थी। उसने मेरी चूत के होंठों को चूसा, फिर जीभ अंदर डाल दी। मेरी चूत गीली हो चुकी थी, और छोटू की जीभ मुझे जन्नत की सैर करा रही थी। “आह्ह… उह्ह… भाई… तू तो कमाल है…” मैं सिसक रही थी। उसने मेरी पैंटी पूरी तरह उतार दी और मेरी चूत को और जोर से चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत के हर कोने को छू रही थी। मैंने अपने पैर और खोल दिए, ताकि वो और गहराई तक चाट सके।
कुछ देर बाद छोटू खड़ा हुआ और अपनी पैंट उतारी। उसका लौड़ा, 7 इंच लंबा और मोटा, मेरे सामने तनकर खड़ा था। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाया। “दीदी, इसे मुँह में ले,” उसने कहा। मैं नीचे बैठी और उसका लौड़ा मुँह में लिया। “आह्ह… दीदी… कितना मजा आ रहा है…” छोटू सिसक रहा था। मैंने उसका लौड़ा गले तक लिया, फिर जीभ से टिप को चाटा। उसका लौड़ा मेरे मुँह में और सख्त हो गया। मैंने उसे जोर-जोर से चूसा, मेरी जीभ उसके लौड़े के टिप पर गोल-गोल घूम रही थी। “उह्ह… दीदी… तू तो मेरा लौड़ा खा जाएगी…” उसने सिसकते हुए कहा।
“छोटू, अब पेल दे अपनी दीदी को,” मैंने कहा और बाथरूम की फर्श पर लेट गई। मेरी टाँगें खुली थीं, और मेरी चूत गीली और तैयार थी। छोटू ने अपना लौड़ा मेरी चूत पर रगड़ा। “आह्ह…” मैं सिसक उठी। उसने धीरे से लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया। “उह्ह… छोटू… धीरे…” मैंने कहा, लेकिन वो रुका नहीं। उसका लौड़ा मेरी चूत में पूरा घुस गया। “गप… गप…” चुदाई की आवाज बाथरूम में गूँज रही थी। छोटू ने मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे पेलना शुरू किया। “आह्ह… उह्ह… भाई… और जोर से…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरे होंठ चूसे, मेरे गाल काटे, और मेरी चूचियों को जोर-जोर से दबाया।
“दीदी, तेरी चूत तो स्वर्ग है,” उसने कहा और अपनी कमर तेजी से चलाने लगा। “खप… खप…” उसकी जाँघें मेरी गाँड से टकरा रही थीं। मैंने अपनी टाँगें उसकी कमर पर लपेट दीं। “आह्ह… छोटू… पेल दे… मेरी चूत फाड़ दे…” मैं सिसक रही थी। उसने मुझे घोड़ी बनाया। मैंने अपने हाथ फर्श पर टिकाए और गाँड पीछे की। छोटू ने पीछे से मेरा भोसड़ा पकड़ा और लौड़ा पेल दिया। “खप… खप…” उसकी चुदाई की रफ्तार बढ़ गई। “दीदी, तेरी गाँड कितनी मस्त है,” उसने कहा और मेरी गाँड पर एक हल्का-सा थप्पड़ मारा। “आह्ह… भाई… और मार… और पेल…” मैं चिल्ला रही थी।
कुछ देर बाद उसने मुझे फिर सीधा लिटाया और मेरी एक टाँग अपने कंधे पर रखी। उसने लौड़ा मेरी चूत में पेल दिया। “उह्ह… छोटू… कितना गहरा जा रहा है…” मैं सिसक रही थी। उसने मेरे निप्पल को चूसा, मेरे गाल काटे, और मेरी चूत को रगड़ते हुए पेला। “गच… गच…” उसकी चुदाई की आवाज बाथरूम में गूँज रही थी। मैं जन्नत में थी। छोटू ने मुझे अपनी गोद में बिठाया और नीचे से धक्के मारने लगा। मेरी चूचियाँ उसके मुँह के सामने उछल रही थीं। “आह्ह… दीदी… तेरे मम्मे तो कमाल हैं…” उसने कहा और मेरे निप्पल को चूसने लगा।
पहली बार में छोटू मेरी चूत में झड़ गया। उसने मुझे बाँहों में भर लिया और मेरे बगल में लेट गया। “दीदी, तू तो जन्नत की सैर करा देती है,” उसने कहा और मेरी चूचियों को फिर चूसने लगा। कुछ देर बाद उसका लौड़ा फिर खड़ा हो गया। “दीदी, एक बार और?” उसने पूछा।
“हाँ, भाई। जितना मन करे, उतना चोद,” मैंने कहा। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत में लौड़ा पेल दिया। इस बार उसने मुझे अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी घोड़ी बनाकर, कभी मेरी टाँगें हवा में उठाकर, कभी मुझे अपनी गोद में बिठाकर। हर बार वो मेरी चूचियों को चूसता, मेरे गाल काटता, और मेरी चूत को रगड़ता। “आह्ह… उह्ह… छोटू… तू तो मेरे पति से भी बेहतर चोदता है…” मैं सिसक रही थी।
उस रात छोटू ने मुझे पूरी रात नंगा रखा। उसने मुझे 6 बार चोदा। हर बार वो मेरी चूत को चाटता, मेरी चूचियों को चूसता, और फिर लौड़ा पेलकर मुझे जन्नत की सैर कराता। “खप… खप… गप… गप…” चुदाई की आवाजें पूरी रात गूँजती रहीं। मैं थककर चूर हो गई थी, लेकिन मजा इतना था कि मैं रुकना नहीं चाहती थी।
अब मैं डिप्रेशन से बाहर आ गई थी। छोटू मेरा सब कुछ बन गया था। जब मम्मी-पापा सो जाते, मैं चुपके से उसके कमरे में चली जाती। वो मुझे हर रात चोदता, मेरी चूत की गर्मी शांत करता। एक रात, मैं अपनी चूत में उंगली कर रही थी। मुझे छोटू के लौड़े की तलब लगी। मैं उसके कमरे में गई। वो चादर तानकर सो रहा था।
“छोटू, उठ!” मैंने उसे हिलाया।
“क्या है, दीदी?” उसने आँखें मलते हुए पूछा।
“भाई, मेरी चूत में आग लगी है। प्लीज, मुझे चोद दे,” मैंने कहा और अपनी सलवार और पैंटी उतार दी। छोटू की नींद उड़ गई। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरी चूत में लौड़ा पेल दिया। “आह्ह… छोटू… और जोर से…” मैं चिल्ला रही थी। उसने मेरी चूचियों को चूसा, मेरे गाल काटे, और मेरी चूत की गर्मी शांत की।
दोस्तों, छोटू ने मुझे न सिर्फ जिंदगी दी, बल्कि मेरी चूत की प्यास भी बुझाई। अब जब भी मुझे लौड़े की तलब होती है, मैं छोटू के पास चली जाती हूँ। “भाई, मेरी चूत को पेल दे,” मैं कहती हूँ, और वो मुझे जन्नत की सैर कराता है।
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