छोटी बहन की चुदाई – Desi bhai bahan sex story: मेरा नाम विक्रांत है, और मैं दिल्ली के एक मिडिल-क्लास मोहल्ले में रहता हूँ। मेरी उम्र 24 साल है, कद 5 फुट 10 इंच, गठीला बदन, गेहुंआ रंग, और कॉलेज खत्म करके अब मैं एक छोटी सी जॉब करता हूँ। मेरे घर में पाँच लोग हैं—मम्मी, पापा, मैं, मेरी बड़ी बहन प्रियंका, और मेरी छोटी बहन अनीशा। प्रियंका 26 साल की है, स्लिम फिगर, गोरी, और एक प्राइवेट कंपनी में जॉब करती है। वो हमेशा अपनी सहेलियों के साथ घूमने-फिरने में बिजी रहती है, और घर में उसका ज्यादा ध्यान नहीं रहता। अनीशा 21 साल की है, कॉलेज में पढ़ती है, और उसका फिगर 34-28-36 इतना कातिलाना है कि कॉलोनी का हर लड़का और यहाँ तक कि कुछ अधेड़ मर्द भी उसे ललचाई नजरों से घूरते हैं। उसकी दूध-सी गोरी त्वचा, काले घने बाल जो कमर तक लहराते हैं, और गोल-मटोल गांड किसी का भी दिल धड़का दे। उसकी आँखें बड़ी-बड़ी, और होंठ गुलाबी, जैसे किसी मॉडल के हों। मैंने हमेशा उसे अपनी प्यारी बहन की तरह देखा, लेकिन पिछले कुछ महीनों से मेरे दिमाग में कुछ और ही चल रहा था।
ये कहानी तीन साल पुरानी है, जब मैं 21 का था और अनीशा 18 की। मैं कॉलेज में था, और अनीशा 12वीं में पढ़ रही थी। उस वक्त वो स्कूल यूनिफॉर्म में भी इतनी हॉट लगती थी कि मैं कई बार उसे चोरी-छिपे देखता रहता। उसकी स्कर्ट के नीचे की गोरी जाँघें और टाइट शर्ट में उभरे हुए मम्मे मेरे दिमाग को हिला देते थे। मैंने कभी उसकी तरफ गलत नजर से नहीं देखा था, लेकिन एक बार इंटरनेट पर कुछ देसी सेक्स कहानियाँ पढ़ने के बाद मेरे दिमाग में हलचल मच गई। खासकर भाई-बहन की चुदाई वाली कहानियाँ पढ़कर मेरे मन में अनीशा के लिए गंदे ख्याल आने लगे। मेरा 7 इंच का लंड, जो मोटा और सख्त था, उसे देखते ही तन जाता। उसका गुलाबी सुपारा हर बार फूल जाता, और मैं बस यही सोचता कि अनीशा की चूत में इसे कैसे डालूँ। हम दोनों हमेशा से बहुत फ्रैंक थे, हँसी-मजाक करते, लेकिन सेक्स की बात कभी नहीं हुई थी। फिर भी, मैंने मौके तलाशने शुरू कर दिए। कभी जानबूझकर उसकी गांड को हल्का सा छू लेता, तो कभी उसके मम्मों को टच करने की कोशिश करता। डर भी लगता था कि कहीं वो मम्मी-पापा को बता दे, लेकिन मेरी हवस अब मेरे बस में नहीं थी।
एक दिन मौका मिल ही गया। हमारी दादी की तबीयत अचानक बिगड़ गई, और मम्मी-पापा को गाँव जाना पड़ा। घर में सिर्फ मैं, अनीशा, और प्रियंका रह गए। प्रियंका को हमें सँभालने की जिम्मेदारी दी गई थी, लेकिन वो तो अपनी सहेलियों के साथ मस्ती करने में ज्यादा बिजी थी। एक सैटरडे सुबह वो अपनी सहेली के साथ घूमने निकल गई। उसने कहा, “शाम तक आऊँगी, तुम लोग घर सँभालो।” ये मेरे लिए जन्नत का मौका था। अनीशा उस वक्त एक टाइट ब्लू टी-शर्ट और काली शॉर्ट्स में थी, जो उसकी कसी हुई गांड और मम्मों को और उभार रही थी। वो बाथरूम में नहाने गई, और मैंने सोच लिया कि आज कुछ न कुछ तो करना ही है। मैं अपने कमरे में गया, अपने पुराने लैपटॉप पर एक देसी पोर्न वीडियो चला दिया, जिसमें एक लड़की जोर-जोर से चुद रही थी। मैंने जानबूझकर दरवाजा खुला छोड़ दिया और इयरफोन्स लगाकर मुठ मारने की एक्टिंग शुरू कर दी। मेरा लंड पहले से ही तना हुआ था, और मैंने अपनी पैंट नीचे सरका ली थी ताकि अनीशा को सब साफ दिखे।
थोड़ी देर में बाथरूम का दरवाजा खुलने की आवाज आई। अनीशा के गीले कदमों की चप-चप की आवाज सुनकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने अपने लंड को और जोर से हिलाना शुरू किया, ताकि वो जरूर देखे। उसने दरवाजा खटखटाया, “भैया, क्या कर रहे हो?” लेकिन मैंने जवाब नहीं दिया। वो अंदर आ गई और मुझे मुठ मारते देख उसका मुँह खुला रह गया। उसने एक गुलाबी टॉवल लपेट रखा था, जो उसके मम्मों के ऊपर बंधा था और उसकी जाँघों तक आ रहा था। उसके गीले बाल उसकी पीठ पर चिपके हुए थे, और पानी की बूँदें उसकी गोरी त्वचा पर मोतियों की तरह चमक रही थीं। मैंने चौंकने की एक्टिंग की, जल्दी से लैपटॉप बंद किया, और अपनी ग्रे ट्रैक पैंट ऊपर खींच ली। “अरे, सॉरी… सॉरी,” मैंने हड़बड़ाते हुए कहा। अनीशा का चेहरा शर्म से लाल हो गया, और वो बिना कुछ बोले टीवी रूम में चली गई।
मैं उसके पीछे गया। वो अब एक ढीली सी सफेद टी-शर्ट और नीली शॉर्ट्स में थी, जो उसने नहाने के बाद पहनी थी। टी-शर्ट इतनी पतली थी कि उसकी काली ब्रा साफ दिख रही थी। वो सोफे पर बैठी टीवी देख रही थी। मैंने एक कुर्सी खींची और उसके पास बैठ गया। “सॉरी यार,” मैंने धीरे से कहा, थोड़ा डरा हुआ सा दिखने की कोशिश करते हुए। वो चुप रही, उसकी नजर टीवी पर थी। “प्लीज, मम्मी-पापा को मत बताना,” मैंने थोड़ा और विनती की। “ठीक है,” उसने छोटा सा जवाब दिया, उसकी आवाज में हल्की सी झिझक थी। “यार, मुझे नहीं पता था कि दरवाजा खुला है,” मैंने बात को आगे बढ़ाया। “ठीक है… मैं कुछ नहीं बताऊँगी,” उसने फिर कहा, लेकिन उसकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी, जैसे वो कुछ सोच रही हो। “थैंक्स,” मैंने राहत की साँस लेते हुए कहा।
कमरे में कुछ देर के लिए सन्नाटा छा गया। टीवी पर कोई रियलिटी शो चल रहा था, लेकिन हम दोनों का ध्यान उस पर नहीं था। मैंने मौके को भुनाने की सोची। “वैसे, ये तो नॉर्मल है। सब करते हैं,” मैंने हल्के अंदाज में कहा। अनीशा ने मेरी तरफ देखा, उसकी भौंहें थोड़ी चढ़ीं, लेकिन वो चुप रही। “यार, सॉरी तो बोल दिया, अब बात तो कर। मैंने तो तुझे बता दिया, तू भी बता, तू पोर्न देखती है?” मैंने थोड़ा शरारती अंदाज में पूछा। “भैया, तेरा दिमाग खराब हो गया है क्या?” उसने गुस्से में कहा, लेकिन उसकी आँखों में हल्की सी हँसी थी। “अरे, मैंने बोला ना, ये नॉर्मल है। हम तो हर बात शेयर करते हैं, बस सेक्स की बात छोड़कर। अब बता ना, देखती है?” मैंने जिद पकड़ ली। थोड़ा झिझकते हुए उसने कहा, “हाँ।” “कब से?” मैंने उत्सुकता दिखाई। “पिछले साल से… मेरी सहेली अंकिता ने दिखाया था,” उसने धीरे से कहा।
अंकिता मेरे दोस्त नितेश की छोटी बहन थी, जो अनीशा के साथ कॉलेज में थी। मैंने बात को और खींचा, “अच्छा, तेरा कोई बॉयफ्रेंड है?” “तू पागल हो गया है क्या? नहीं है,” उसने तुरंत जवाब दिया। “अरे, अगर है तो बता दे, कोई दिक्कत नहीं,” मैंने उसे और छेड़ा। “नहीं है… तेरी गर्लफ्रेंड है?” उसने पलटकर पूछ लिया। “नहीं,” मैंने हँसते हुए कहा।
थोड़ा रुककर मैंने फिर पूछा, “तू किसी से चुदी है?” “क्या?” उसका चेहरा गुस्से से लाल हो गया। “अरे, सीधा सवाल है। चुदी है कि नहीं?” मैंने थोड़ा दबाव बनाया। “मैंने बोला ना, मेरा कोई बॉयफ्रेंड नहीं है,” उसने तीखे स्वर में कहा। “अरे, बॉयफ्रेंड की क्या जरूरत? तू तो इतनी हॉट है, तेरे पीछे तो लाइन लगी होगी। कॉलोनी के लड़के तो तुझ पर मरते होंगे,” मैंने उसे चिढ़ाया। “भैया, अब तू ज्यादा हो रहा है। मुझे ये सब अच्छा नहीं लग रहा,” उसने गंभीर होकर कहा। “अरे, यार, बस बात ही तो कर रहे हैं। तू मेरी बहन है, मुझे तेरी फिक्र है। मैं नहीं चाहता कि तू किसी गलत लड़के के चक्कर में पड़ जाए। बता ना, सच-सच, चुदी है?” मैंने नरम स्वर में पूछा। “नहीं… तूने किया है?” उसने पलटकर सवाल दागा। “क्या?” मैंने जानबूझकर उसे और उकसाया। “तुझे पता है मैं क्या पूछ रही हूँ,” उसने शरमाते हुए कहा। “अरे, शरमा मत। मैं तेरा भाई हूँ। आराम से पूछ,” मैंने उसे हौसला दिया। “तूने सेक्स किया है?” उसने आखिरकार साफ-साफ पूछ लिया। “नहीं यार, लड़कों की इतनी अच्छी किस्मत नहीं होती। हमें तो बस हाथ से काम चलाना पड़ता है,” मैंने मजाकिया अंदाज में कहा। वो हँस पड़ी, “हाँ, वो तो मैंने देख लिया।” “हाँ, हाँ, ले ले मजे,” मैंने हँसते हुए कहा।
फिर मैंने बात को और गर्म किया, “वैसे, तेरा चुदने का मन तो करता होगा?” “हाँ… लेकिन लड़कों के दिमाग में बस एक ही चीज रहती है। मुझे वो सही नहीं लगता,” उसने थोड़ा गंभीर होकर कहा। “हम्म… तो फिर तू कैसे काम चलाती है?” मैंने शरारती अंदाज में पूछा। “तेरी तरह,” उसने हँसते हुए जवाब दिया। “हाहा… वैसे, आज तूने मेरा काम पूरा नहीं होने दिया,” मैंने उसे छेड़ा। “अब जा के कर ले,” उसने तपाक से कहा। “साथ में करें?” मैंने एकदम से बोल दिया। “क्या?” उसका मुँह खुला रह गया। “साथ में पोर्न देखें?” मैंने थोड़ा नरम स्वर में पूछा। “नहीं,” उसने तुरंत मना कर दिया। “अरे, देखते हैं ना। अब तो हमें एक-दूसरे के बारे में पता ही है। अगर अजीब लगे तो रुक जाएँगे,” मैंने उसे मनाने की कोशिश की। थोड़ा सोचने के बाद उसने कहा, “ठीक है।”
मैंने लैपटॉप उठाया और टीवी रूम में ही एक देसी पोर्न वीडियो चला दिया। स्क्रीन पर एक हॉट लड़की थी, जिसे एक मोटा लंड वाला लड़का चोद रहा था। उसकी चीखें और “आह्ह… उफ्फ…” की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। अनीशा की नजर स्क्रीन पर टिकी थी, और मैं देख सकता था कि उसकी साँसें तेज हो रही थीं। उसने अपनी जाँघें सिकोड़ ली थीं, और उसकी सफेद टी-शर्ट के नीचे उसके निप्पल्स सख्त होकर उभर रहे थे। मैंने धीरे से अपनी पैंट खोली और मेरा 7 इंच का लंड बाहर निकाला। उसका गुलाबी सुपारा चमक रहा था, और नसें फूली हुई थीं। अनीशा की नजर मेरे लंड पर गई, और वो थोड़ा सिहर गई। “भैया, ये क्या?” उसने धीरे से कहा। “कुछ नहीं, बस मजे ले रहे हैं,” मैंने हल्के से हँसते हुए कहा।
मैंने उसका हाथ पकड़ा और धीरे से अपने लंड पर रखा। पहले तो उसने हाथ खींचने की कोशिश की, लेकिन फिर उसकी उंगलियाँ मेरे लंड को सहलाने लगीं। उसकी नरम उंगलियाँ मेरे सुपारे पर फिसल रही थीं, और मैं सिहर उठा। “आह्ह… अनीशा… तू तो कमाल है,” मैंने सिसकारी भरी। वो अब और जोश में आ रही थी। मैंने उसका सिर पकड़ा और धीरे से अपने लंड के पास लाया। उसने मेरी तरफ देखा, उसकी आँखों में शरम, डर, और उत्तेजना का मिश्रण था। “भैया, ये गलत तो नहीं?” उसने धीरे से पूछा। “नहीं, अनीशा, बस एक बार ट्राई कर,” मैंने उसे हौसला दिया।
उसने अपने गुलाबी होंठ खोले और मेरे लंड का सुपारा अपने मुँह में लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी, और मैं आहें भरने लगा, “आह्ह… अनीशा… कितना मस्त चूस रही है तू… उफ्फ…” उसकी चूसने की आवाज—चप-चप—कमरे में गूँज रही थी। मैंने उसके बालों में उंगलियाँ फेरते हुए उसे और प्रोत्साहित किया। वो अब और गहराई तक मेरा लंड चूसने लगी, और उसका एक हाथ मेरे लंड की जड़ को सहला रहा था। मैंने धीरे से उसकी टी-शर्ट के ऊपर से उसके मम्मों को दबाना शुरू किया। उसके 34 साइज के मम्मे सख्त और गोल थे, और काली ब्रा के नीचे उनके निप्पल्स साफ उभर रहे थे। “आह्ह… भैया… ये क्या कर रहे हो?” उसने सिसकारी भरी, लेकिन उसका मुँह मेरे लंड से नहीं हटा।
लगभग सात मिनट तक उसने मेरा लंड चूसा, और अब मुझसे रहा नहीं जा रहा था। मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसकी सफेद टी-शर्ट धीरे-धीरे ऊपर उठाई। उसकी काली ब्रा साफ दिख रही थी, जो उसके गोरे मम्मों को और उभार रही थी। मैंने ब्रा के हुक खोले, और उसके मम्मे आजाद हो गए। क्या नजारा था! गोल, सख्त, और गुलाबी निप्पल्स, जो सख्त होकर तन गए थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि मेरा दूसरा हाथ उसके दूसरे मम्मे को मसल रहा था। “आह्ह… भैया… उफ्फ… ये तो बहुत अच्छा लग रहा है,” अनीशा की सिसकारियाँ तेज हो गईं। मैंने उसकी नीली शॉर्ट्स के बटन खोले और धीरे से नीचे सरकाई। उसने नीचे एक पिंक पैंटी पहनी थी, जो उसकी गीली चूत के ऊपर चिपकी हुई थी। मैंने पैंटी के ऊपर से उसकी चूत को सहलाया, और वो सिहर उठी। “भैया… आह्ह… ये क्या हो रहा है?” उसने शरमाते हुए कहा।
मैंने उसकी पैंटी भी उतार दी, और उसकी चूत मेरे सामने थी। छोटे-छोटे काले बाल, गुलाबी फाँकें, और उसका दाना सख्त होकर उभरा हुआ था। उसकी चूत पहले से ही गीली थी, और उसका रस चमक रहा था। मैंने अपनी जीभ उसकी चूत पर रखी और धीरे-धीरे चाटना शुरू किया। उसकी चूत का स्वाद हल्का नमकीन और उत्तेजक था। मैंने उसकी फाँकों को जीभ से अलग किया और उसके दाने को चूसने लगा। “आह्ह… ओह्ह… भैया… ये तो जन्नत है… आह्ह…” अनीशा की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। वो अपने कूल्हे हिलाने लगी, और मैंने अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर तक डाला। उसका रस मेरे मुँह में आ रहा था, और मैं उसे चाट-चाटकर साफ कर रहा था। मैंने उसकी गांड के नीचे हाथ डाला और उसे थोड़ा ऊपर उठाया ताकि उसकी चूत मेरे मुँह में और गहराई तक जाए। “आह्ह… भैया… और चाटो… उफ्फ… मेरी चूत पागल हो रही है,” उसने सिसकारी भरी।
अब मुझसे और बर्दाश्त नहीं हो रहा था। मैंने उसे सोफे पर लिटाया और उसकी टाँगें फैलाईं। मेरा लंड उसकी चूत के मुहाने पर था। मैंने अपने सुपारे को उसकी गीली फाँकों पर रगड़ा, और वो सिहर उठी। “भैया, ये क्या करने जा रहे हो?” उसने डरते हुए पूछा, अपनी चूत को हाथ से ढकते हुए। “अनीशा, बस एक बार ट्राई कर, बहुत मजा आएगा,” मैंने उसे समझाया। “नहीं भैया, ये गलत है… और अगर कुछ हो गया तो? कंडोम भी तो नहीं है,” उसने घबराते हुए कहा। “कुछ नहीं होगा, मैं पिल्स ले आऊँगा। तू बस मजे ले,” मैंने उसे मनाया।
थोड़ा झिझकने के बाद उसने अपना हाथ हटाया और मेरा लंड पकड़कर अपनी चूत पर रखा। “भैया, मेरी सील तोड़ दे,” उसने धीरे से कहा। ये सुनते ही मेरे अंदर का जानवर जाग गया। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उसकी चूत में आधा घुस गया। “आह्ह… भैया… दर्द हो रहा है!” उसकी चीख निकल गई। मैंने उसके मुँह पर हाथ रखा और धीरे से एक और धक्का मारा। इस बार मेरा पूरा 7 इंच का लंड उसकी टाइट चूत में समा गया। उसकी चूत से हल्का सा खून टपकने लगा, और उसकी आँखों में आँसू आ गए। मैं कुछ देर रुका, ताकि उसका दर्द कम हो। “अब कैसा लग रहा है?” मैंने पूछा। “दर्द कम हो गया… लेकिन धीरे करो,” उसने धीरे से कहा।
मैंने धीरे-धीरे लंड को अंदर-बाहर करना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि हर धक्के में मेरा लंड जन्नत का मजा ले रहा था। “थप-थप-थप” की आवाज कमरे में गूँज रही थी। अनीशा अब मजे में आ रही थी और सिसकारियाँ ले रही थी, “आह्ह… भैया… और तेज… आह्ह… उफ्फ…” मैंने अपनी रफ्तार बढ़ा दी और उसे जोर-जोर से चोदने लगा। मैंने उसे उठाया और गोद में बिठाकर चोदना शुरू किया। उसकी गांड मेरी जाँघों पर उछल रही थी, और मैं उसके मम्मों को चूस रहा था। “आह्ह… भैया… तेरा लंड मेरी चूत को फाड़ रहा है… उफ्फ… और जोर से,” उसने सिसकारी भरी।
मैंने उसे फिर से लिटाया और उसकी टाँगें अपने कंधों पर रखीं। इस बार मैंने उसे “कुत्तिया” स्टाइल में चोदा। उसकी गोल गांड को पकड़कर मैंने जोर-जोर से धक्के मारे, और वो चीख रही थी, “आह्ह… भैया… मेरी चूत को फाड़ दो… आह्ह… उफ्फ…” उसकी चूत अब पूरी तरह गीली थी, और मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। बीच-बीच में मैंने उसकी चूत को फिर से चाटा, और वो पागल हो गई। “भैया, तू तो मेरी चूत का दीवाना है… आह्ह… और चाट,” उसने सिसकारी भरी।
लगभग 25 मिनट तक मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा—कभी मिशनरी, कभी डॉगी, कभी गोद में। फिर मैंने उसे “पटरा” स्टाइल में चोदा, जहाँ वो मेरे ऊपर बैठकर मेरे लंड पर उछल रही थी। उसकी चूत मेरे लंड को निगल रही थी, और उसके मम्मे मेरे सामने हिल रहे थे। “आह्ह… भैया… तेरा लंड मेरी चूत की गहराई तक जा रहा है… उफ्फ…” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। आखिर में मैंने उसे फिर से लिटाया और पूरी ताकत से चोदने लगा। “आह्ह… अनीशा… तेरी चूत जन्नत है… आह्ह…” मैंने सिसकारी भरी। वो भी चीख रही थी, “आह्ह… भैया… और तेज… मैं झड़ने वाली हूँ… आह्ह…” वो जल्दी ही झड़ गई, और उसकी चूत ने मेरे लंड को और टाइट कर दिया। मैंने भी आखिरी धक्के मारे और उसकी चूत में ही झड़ गया। हम दोनों हाँफते हुए एक-दूसरे के बगल में गिर गए।
कुछ मिनट बाद, जब हमारी साँसें सामान्य हुईं, मैंने पूछा, “कैसा लगा?” “वाह… अगर पता होता कि चुदाई में इतना मजा है, तो कब की चुद लेती,” उसने हँसते हुए कहा। “कोई बात नहीं, अब तो तेरा भाई है ना, जब मन करे चुद लेना,” मैंने मजाक किया। “वैसे, तू वर्जिन नहीं है ना?” उसने शरारती अंदाज में पूछा। “क्यों?” मैंने हँसते हुए पूछा। “क्योंकि कोई वर्जिन इतनी देर तक नहीं चोद सकता,” उसने हँसकर कहा। “तुझे तो बड़ी नॉलेज है। नाराज तो नहीं ना?” मैंने पूछा। “बिल्कुल नहीं… लेकिन तुझे मुझे सब कुछ बताना पड़ेगा,” उसने शरारती अंदाज में कहा। “जरूर। लेकिन अभी और चुदेगी?” मैंने पूछा।
उस दिन मैंने अनीशा को चार बार चोदा। हर बार अलग-अलग पोजीशन में, और हर बार वो पहले से ज्यादा मजे ले रही थी। शाम को प्रियंका घर आ गई, लेकिन अगले दिन वो फिर से सहेलियों के साथ निकल गई। हमने फिर जमकर मजे किए। कुछ दिन बाद मम्मी-पापा वापस आ गए, लेकिन हम दोनों को जब भी मौका मिलता, हम अपनी चुदाई का मजा लेते। अनीशा अब मेरी सबसे अच्छी “मस्ती पार्टनर” बन गई थी।
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