Chhoti behen ki chudai मेरा नाम राहुल है, उम्र 24 साल, गठीला बदन, गेहुंआ रंग, और चेहरा ऐसा कि कॉलेज में लड़कियां मेरे पीछे लाइन लगाती थीं। लेकिन मेरा दिल हमेशा से एक ही लड़की पर अटका था—मेरी छोटी बहन कशिश। कशिश 21 साल की है, गोरी-चिट्टी, लंबे काले बाल, और फिगर ऐसा कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। उसकी कमर पतली, नाभि गहरी, और गोल-मटोल चूचियां जो टाइट टी-शर्ट में और भी उभरकर सामने आती हैं। उसके गुलाबी होंठ और गाल इतने रसीले कि मन करता है बस चूमता ही रहूं। उसकी गांड का तो जवाब नहीं, गोल और भारी, जैसे किसी ने तराशा हो। मैंने कई रातें उसकी याद में बिस्तर गीला किया, पर ये बात सिर्फ मेरे दिल में थी।
मम्मी-पापा तीर्थ यात्रा पर गए थे, पड़ोसियों के साथ, तो घर में तीन दिन के लिए सिर्फ मैं और कशिश थे। पहले दिन मैंने उसे दूर से ही निहारा। उसकी टाइट जींस और फिटेड टॉप में उसका हर कर्व मेरे दिमाग में आग लगा रहा था। रात को मैंने बाथरूम में जाकर उसकी याद में मुट्ठ मारी, पर ये आग बुझी नहीं, बल्कि और भड़क गई। मैंने ठान लिया कि अब तो कशिश को चोदकर ही रहूंगा, चाहे कुछ भी हो जाए। लेकिन डर भी था—अगर उसने मम्मी-पापा को बता दिया तो मेरी जिंदगी खत्म। फिर भी, वासना के आगे दिमाग कहां चलता है?
दूसरे दिन सुबह, कशिश नहाने गई। वो सफेद टॉप और नीली शॉर्ट्स पहनकर बाथरूम में घुसी थी। मैं अपने कमरे से फटाफट निकला और बाथरूम के दरवाजे तक पहुंच गया। पुरानी कुंडी की जगह एक छोटा सा छेद था, जिससे मैंने उसे देखना शुरू किया। जैसे ही उसने अपना टॉप उतारा, मेरा दिल धक-धक करने लगा। फिर उसकी ब्रा खुली—उफ्फ, गोल-गोल, रसीली चूचियां, ऊपर छोटे-छोटे गुलाबी निप्पल, जैसे कोई कारीगरी। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो गया, सात इंच का, मोटा और कड़क। मैंने उसे पैंट से निकाला और हल्के-हल्के सहलाने लगा। कशिश मग से अपने बालों पर पानी डाल रही थी, पानी उसकी चूचियों से होता हुआ उसकी चिकनी जांघों तक बह रहा था। जब उसने साबुन लिया और अपनी चूचियों पर रगड़ना शुरू किया, मेरे लंड में आग लग गई। वो अपने निप्पल्स को धीरे-धीरे दबा रही थी, जैसे जानबूझकर मुझे तड़पा रही हो। फिर उसने अपनी चूत पर साबुन लगाया, उंगली अंदर-बाहर करने लगी। मैं पागल हो गया, मन किया दरवाजा तोड़कर अंदर घुस जाऊं। लेकिन मैंने सब्र रखा, सोचा आज रात इसे चोदकर ही रहूंगा।
कशिश करीब 25 मिनट तक नहाई। मैं छेद से उसका नंगा बदन देखता रहा, उसकी चूत, गांड, सब कुछ। जब वो कपड़े पहनने लगी, मैं भागकर अपने कमरे में आ गया। दिनभर मैंने उसका ध्यान रखा—उसके लिए पिज्जा ऑर्डर किया, उसकी पसंद की कॉफी बनाई, और ऑनलाइन एक चमकदार घड़ी भी गिफ्ट की। मैं उसे इम्प्रेस करने की पूरी कोशिश कर रहा था। शाम को मैंने हिम्मत जुटाई और उससे बात शुरू की। “कशिश, तूने देखा है ना आजकल का जमाना? लोग घर में भी अपनी जरूरतें पूरी करते हैं। मेरा दोस्त रिंकू भी अपनी बहन के साथ ऐसा करता है। इससे बदनामी भी नहीं होती, और माल घर में ही रहता है।”
वो चुपचाप सुन रही थी, उसकी आंखों में हैरानी थी। मैंने आगे कहा, “कशिश, मैं तुझसे बहुत प्यार करता हूं। आज रात मैं तेरे साथ सोना चाहता हूं।” मेरे हाथ-पैर कांप रहे थे, दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। कशिश ने गुस्से में कहा, “राहुल, ये क्या बकवास है? भाई-बहन में ऐसा थोड़े होता है!” मैंने कहा, “अरे, तू इंटरनेट पर देख, ऐसी ढेर सारी कहानियां हैं। लोग ऐसा करते हैं, फिर हम क्यों नहीं?” वो बोली, “मैंने कसम खाई है, मैं पहली बार अपने पति के साथ करूंगी।” मैंने हंसते हुए कहा, “अरे, तेरा पति भी कहीं ना कहीं मजे ले रहा होगा। तू क्यों सती-सावित्री बनेगी? जिंदगी जी ले, मजे ले ले।”
कशिश गुस्से में थी, बोली, “तू किसी और को पटा ले, या पैसे देकर कहीं और जा। मैं ये नहीं करूंगी।” मैंने भावुक होकर कहा, “कशिश, अगर तूने मना किया, तो मैं कल घर छोड़कर चला जाऊंगा। मैंने अपने दिल की बात तुझसे कह दी, अगर मेरी बहन मुझे समझ नहीं सकती, तो मेरा इस घर में क्या मतलब?” वो घबरा गई, बोली, “ठीक है, सिर्फ एक बार, और दोबारा मत बोलना। लेकिन ये बात किसी को मत बताना, अपने दोस्तों को भी नहीं।” मैंने कसम खाई कि ये राज रहेगा। फिर वो बोली, “बाजार से कंडोम ले आ, बिना कंडोम के मैं नहीं करूंगी।”
मैं तुरंत स्कूटी लेकर मेडिकल स्टोर गया, कंडोम का पैकेट लिया और घर लौट आया। कशिश ने खाना तैयार किया था। उसने कहा, “पहले खाना खा लेते हैं, फिर सोने चलेंगे।” हमने साथ में खाना खाया, मैंने उसे अपने हाथ से खिलाया, उसने मुझे। खाने के बाद मेरा सब्र जवाब दे रहा था। हम बेडरूम में पहुंचे। मैंने उसका टॉप उतारा, फिर उसकी ब्रा। उसकी चूचियां देखकर मेरा लंड फटने को तैयार था। मैंने धीरे से उसकी चूचियां दबाईं, वो बोली, “आह, धीरे राहुल, दर्द हो रहा है।” मैंने उसके गाल चूमे, उसके होंठों को चूसा, उसकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी। उसकी चूचियों को मैंने दोनों हाथों से मसला, निप्पल्स को दांतों से हल्के से काटा। वो सिसक रही थी, “उह्ह, राहुल, धीरे कर ना…”
मैंने उसकी शॉर्ट्स उतारी, उसकी पैंटी गीली थी। मैंने उसकी चूत को चाटना शुरू किया, उसका स्वाद नमकीन और गर्म था। मेरी जीभ उसके छेद में अंदर-बाहर हो रही थी, वो “आह्ह… उह्ह…” की आवाजें निकाल रही थी। मैंने उसकी गांड को भी चाटा, मेरी उंगली उसकी चूत में थी। वो मुझसे लिपट गई, बोली, “राहुल, तू कितना गंदा है… और कर ना…” उसने मेरा लंड पकड़ा, उसे हिलाया, फिर मुंह में लिया। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, मैं “स्स्स… कशिश, और चूस…” कह रहा था।
हम बेड पर लेट गए, एक-दूसरे के जिस्म को सहलाने लगे। मैंने उसकी टांगें फैलाईं, उसकी चूत गीली और टाइट थी। मैंने पहले उसे चाटा, फिर अपने लंड को उसकी चूत पर रगड़ा। “राहुल, धीरे डाल…” उसने कहा। मैंने हल्का धक्का दिया, मेरा लंड आधा अंदर गया। वो चीखी, “आह्ह… दर्द हो रहा है!” तीन-चार धक्कों में मेरा पूरा लंड उसकी चूत में था। “चप-चप” की आवाज कमरे में गूंज रही थी। मैं जोर-जोर से धक्के मार रहा था, वो “उह्ह… आह्ह… राहुल, और तेज…” चिल्ला रही थी। मैंने उसे कसकर पकड़ा, उसकी चूचियां उछल रही थीं।
मैं नीचे लेट गया, वो मेरे ऊपर आई। उसने मेरा लंड पकड़ा और अपनी चूत में डाला। “आह्ह… कितना मोटा है तेरा…” वो उछल रही थी, उसकी सिसकारियां “उह्ह… आह्ह…” कमरे में गूंज रही थीं। 25 मिनट बाद मैं झड़ गया, लेकिन वो नहीं रुकी। वो मुझे चूमती रही, मेरे लंड को सहलाती रही। 20 मिनट बाद मैं फिर तैयार था। इस बार मैंने उसे घोड़ी बनाया, उसकी गांड मेरे सामने थी। मैंने उसकी चूत में लंड डाला, “पट-पट” की आवाज के साथ वो “आह्ह… राहुल, फाड़ दे…” चिल्ला रही थी। पूरी रात हमने रुक-रुक कर चुदाई की।
सुबह 12 बजे हम उठे, दोनों नंगे एक-दूसरे से लिपटे थे। बाथरूम में साथ नहाए, एक-दूसरे के जिस्म को साबुन से रगड़ा। खाना खाने के बाद फिर से चुदाई शुरू हो गई। अब तो कशिश खुद कहती है, “राहुल, आज हो जाए?” मैं हंसकर कहता हूं, “क्यों नहीं!” मम्मी-पापा नीचे सोते हैं, हम छत वाले कमरे में रातभर रंगरेलियां मनाते हैं। आपकी राय क्या है, क्या ऐसी चुदाई हर रात होनी चाहिए?