चुदती रही मैं, देखता रहा वो

4.9
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मैं काव्या, 29 साल की एक आम भारतीय पत्नी। शादी को पाँच साल हो चुके हैं। ज़िंदगी में सब कुछ ठीक लग रहा है—प्यार करने वाला पति, स्थिर जिंदगी, और एक सजी हुई गृहस्थी। लेकिन इस “ठीक” के पीछे कुछ ऐसा था जिसे मैं नज़रअंदाज़ कर रही थी।

राजत, मेरे पति, एक सुलझे हुए और सीधे-साधे इंसान हैं। वो मुझे बहुत प्यार करते हैं, पर आजकल हमारा रिश्ता थोड़ा ठंडा पड़ गया है। शुरू-शुरू में वो चाहत, वो दीवानगी, वो जुनून… सब कुछ था। पर अब, महीनों में एक या दो बार ही वो मुझे छूते हैं।

कई बार तो वो बस बिस्तर पर आते हैं, मेरी चुत में हल्के से उंगली करते हैं और सो जाते हैं। मैं अधूरी तड़प के साथ बगल में लेटी रह जाती हूँ। मेरे संस्कार मुझे रोकते हैं कुछ कहने से। आखिर, एक पत्नी को शिकायत करने का हक़ कहाँ? लेकिन दिल में कहीं, एक अधूरी प्यास मचलती है।

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उस रात हम दोनों अपने बिस्तर पर लेटे थे। मैंने हल्के गुलाबी रंग की नाइटी पहनी थी, जो कभी उनके लिए मेरी सबसे पसंदीदा पोशाक हुआ करती थी। लेकिन अब, उनकी नज़रें शायद ही मुझ पर टिकती थीं।

राजत, हमेशा की तरह, चुपचाप अपने ख्यालों में गुम थे। मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए पूछा,
“आज इतने शांत क्यों हो? कोई बात परेशान कर रही है क्या?”

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उन्होंने मेरी ओर देखा, उनकी आँखों में कुछ अजीब सी झिझक थी। बोले,
“काव्या, एक बात कहनी है। पर तुमसे ये कहने में थोड़ा डर लग रहा है।”

मैंने थोड़ा चौंकते हुए कहा, “ऐसी क्या बात है? तुम मुझसे डरने लगे हो?”

उन्होंने हिचकिचाते हुए कहा, “बस वादा करो, मुझे जज नहीं करोगी।”

मैंने सिर हिलाते हुए कहा, “ठीक है। बोलो।”

वो कुछ पल के लिए चुप रहे, फिर बोले,
“तुम्हें नहीं लगता… हमारी ज़िंदगी में कुछ कमी है?”

मैंने हल्के से मुस्कुराते हुए कहा, “कमी? मतलब? ज़िंदगी तो ठीक चल रही है।”

वो गहरी साँस लेते हुए बोले,
“मैं जानता हूँ कि हमारी शादी अच्छी है। पर कभी-कभी मुझे लगता है कि… हम दोनों के बीच से वो रोमांच, वो दीवानगी गायब हो गई है। क्या हमें कुछ नया ट्राई नहीं करना चाहिए?”

मैंने उनकी तरफ देखा, थोड़ा हैरानी में थी।
“नया? जैसे? तुम क्या कहना चाहते हो, राजत?”

वो थोड़ा हिचकिचाए। उनकी आवाज़ धीमी थी, जैसे कुछ ऐसा कह रहे हों जो शायद मैं समझ नहीं पाऊँ।
“अगर… अगर मैं तुम्हें किसी और के साथ देखूं, तो… शायद… मुझे अच्छा लगेगा।”

ये सुनते ही मेरा दिल जैसे एक पल के लिए रुक गया।
“क्या?” मैंने हैरानी से पूछा।
“तुम चाहते हो कि मैं… किसी और के साथ…?”

उन्होंने जल्दी से मेरी ओर देखा और कहा,
“मैं जानता हूँ ये सुनने में अजीब है। पर मैंने इस बारे में पढ़ा है। और मुझे लगा… शायद… अगर हम इसे आज़माएं, तो हमारी ज़िंदगी में कुछ नया आ सकता है।”

उनकी बात सुनकर मैं चुप हो गई। मेरे मन में सवाल उठ रहे थे। क्या ये सच में वही इंसान है जिसने मुझसे शादी की थी? क्या वो वाकई चाहता है कि मैं किसी और के साथ…?

“राजत, क्या तुम समझ रहे हो कि तुम क्या कह रहे हो?” मैंने थोड़ा गुस्से और थोड़ा संदेह भरी आवाज़ में कहा।

उन्होंने गहरी साँस लेते हुए मेरा हाथ थामा।
“हाँ, काव्या। मुझे पता है कि ये सुनने में अजीब है। पर मैं चाहता हूँ कि तुम खुश रहो। और मैं चाहता हूँ कि हमारे रिश्ते में फिर से वही जुनून लौटे। बस… मैं तुम्हें किसी सीमा के बिना महसूस करना चाहता हूँ।”

उनकी बातों ने मुझे अंदर तक हिला दिया। एक तरफ मेरे संस्कार थे, जो मुझे यह सब करने से रोकते थे। दूसरी तरफ, मेरे अंदर एक दबा हुआ रोमांच जाग रहा था।

उस रात, मैं बहुत देर तक नींद में करवटें लेती रही। उनकी बातें मेरे दिमाग में गूंज रही थीं।
क्या मैं ऐसा कर सकती हूँ?
क्या मैं किसी और के साथ अपने पति के सामने…?

मेरे अंदर एक अजीब सी बेचैनी थी। पर कहीं न कहीं, इस ख्याल ने मुझे रोमांचित भी किया।

उस रात नींद मेरी आँखों से कोसों दूर थी। राजत की बातें मेरे दिमाग में बार-बार गूंज रही थीं।
“मैं चाहता हूँ कि तुम खुश रहो… और मैं तुम्हें किसी सीमा के बिना महसूस करना चाहता हूँ।”
क्या ये सच में मेरे वही संस्कारी पति थे, जो शादी के पाँच सालों में कभी मेरी आँखों में आंसू तक नहीं आने देते थे?

पर आज उन्होंने ऐसा ख्याल ज़ाहिर कर दिया, जिसने मेरे अंदर की सारी इच्छाओं और डर को जैसे जगा दिया।
मैं करवट बदलती रही। क्या मैं ऐसा कर पाऊंगी?
मेरे संस्कार मुझे बार-बार रोक रहे थे, पर कहीं न कहीं उनके शब्दों ने मेरे अंदर कुछ बदल दिया था।

सुबह जब मैं रसोई में चाय बना रही थी, तो मैंने उनके कदमों की आहट सुनी। वो मेरे पीछे आकर खड़े हो गए।
“काव्या…” उनकी आवाज़ में झिझक थी।
“क्या बात है?” मैंने बर्तन धोते हुए बिना उनकी ओर देखे पूछा।

“रात की बात के लिए… मैं माफी मांगता हूँ। शायद मैंने कुछ ऐसा कह दिया जो तुम्हें बुरा लगा हो।”
मैंने उनकी ओर पलटकर देखा। उनकी आँखों में सच्चाई और हल्की शर्म थी।

“तुम्हें सच में लगता है कि ये सब करना सही होगा?” मैंने सीधे पूछा।

उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा,
“सही या गलत, मुझे नहीं पता। पर मैं इतना जानता हूँ कि मैं तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ। अगर तुम्हें ये सही नहीं लगता, तो हम इसे भूल जाते हैं।”

दिन भर मैं उनके शब्दों के बारे में सोचती रही। उन्होंने यह सब सिर्फ मेरी खुशी के लिए कहा था, और कहीं न कहीं, वो खुद भी इसे लेकर उत्साहित थे।
शाम तक मैंने तय कर लिया कि अगर यह सब करना ही है, तो इसे हमारे बनाए नियमों के तहत होगा।

रात को जब हम दोनों बिस्तर पर लेटे थे, मैंने उनसे कहा,
“राजत, अगर मैं तुम्हारी बात मान लूं, तो हमें कुछ बातों का ध्यान रखना होगा।”

उन्होंने उत्सुकता से मेरी ओर देखा। “कैसी बातें?”

मैंने गहरी सांस ली और कहा,
“सबसे पहली बात, ये सब सिर्फ हमारी सहमति पर होगा। कोई फोटो, कोई वीडियो नहीं। और ये तभी होगा जब तुम चाहोगे।”

उन्होंने तुरंत सिर हिलाते हुए कहा,
“मुझे तुम्हारी हर शर्त मंजूर है। ये सिर्फ हमारे बीच की बात होगी। मैं वादा करता हूँ।”

“तो अब हमें यह तय करना होगा कि वो कौन होगा,” मैंने कहा।
उन्होंने मेरी तरफ देखते हुए कहा,
“हमें थोड़ा समय लेना होगा। ऐसा इंसान चाहिए जो…”

  • साफ-सुथरा और आकर्षक हो।
  • हमारी सीमाओं का सम्मान करे।
  • और सबसे जरूरी, समझे कि ये सिर्फ एक सीमित खेल है, न कि भावनाओं का जुड़ाव।

मैंने सिर हिलाया।
“और अगर मुझे किसी पर शक हुआ, तो वो बाहर। हमें सिर्फ वही इंसान चाहिए जो इन शर्तों पर सही बैठे।”

अगले कुछ दिनों में हमने अपनी खोज शुरू की।
सबसे पहले, राजत ने अपने पुराने ऑफिस कलीग का नाम सुझाया।
“वो बहुत प्राइवेट इंसान है। और देखने में भी ठीक है,” उन्होंने कहा।

पर जब मैंने उसकी फोटो देखी, मैंने तुरंत मना कर दिया।
“नहीं, राजत। उसकी आँखों में मुझे कुछ अजीब लगा। भरोसेमंद नहीं लगता।”

दूसरी बार, उन्होंने जिम के एक ट्रेनर का नाम लिया।
मैंने उसे देखा—मजबूत शरीर, आकर्षक चेहरा, लेकिन जब मैंने उससे बात करने की कोशिश की, तो उसका घमंडी रवैया मुझे बिल्कुल पसंद नहीं आया।
“ये ठीक नहीं है। हमें ऐसा इंसान चाहिए जो सहज हो, न कि खुद को किसी राजा से कम समझे।”

तीसरी कोशिश एक अनजान व्यक्ति के साथ हुई, जिसे राजत ने एक ऑनलाइन नेटवर्क से जोड़ा था।
शुरुआत में बात सही लगी, लेकिन कुछ ही समय में उसने बहुत ज्यादा सवाल पूछने शुरू कर दिए।
“ये खतरनाक है,” मैंने कहा। “जो ज्यादा जानने की कोशिश करेगा, वो भरोसे के लायक नहीं।”

फिर एक दिन, जब मैं जिम गई, तो मेरी नज़र आदित्य पर पड़ी।
लंबा कद, चौड़ा शरीर, आत्मविश्वास से भरी मुस्कान। वो किसी ट्रेनर जैसा लग रहा था, लेकिन उसमें एक अलग बात थी। उसकी आँखों में अपनापन था, और उसका व्यवहार दूसरों से अलग लगा।

मैंने धीमे से राजत से कहा,
“वो कैसा रहेगा?”
राजत ने आदित्य की ओर देखा और हल्की मुस्कान के साथ सिर हिलाया।
“शायद… लेकिन हमें उसके बारे में और जानना होगा।”

उस शाम, हमने जिम से लौटते वक्त तय किया कि आदित्य से दोस्ती करने की शुरुआत की जाए।
“तुम उससे बात करने की कोशिश करो,” राजत ने कहा।
“ठीक है,” मैंने मुस्कुराते हुए जवाब दिया।

अगले दिन, मैं जिम गई। हमेशा की तरह, माहौल हलचल से भरा था—लोग अपनी-अपनी एक्सरसाइज़ में लगे हुए थे।
आदित्य एकदम कोने में वेट लिफ्ट कर रहा था। उसकी मांसपेशियाँ जैसे पसीने से चमक रही थीं, और उसकी हर हरकत में आत्मविश्वास झलक रहा था।

मैंने उसे कई बार देखा, पर वो शायद मुझसे अनजान था।
“ये इंसान अलग लगता है। कोई घमंड नहीं, बस अपने काम में मसरूफ।”

मैंने अपने दिमाग में एक योजना बनाई। बात करने के लिए एक बहाना चाहिए था।
मैंने जानबूझकर पास रखे एक भारी डम्बल को उठाने की कोशिश की और जाहिर किया जैसे मैं परेशान हो रही हूँ।
“आपको मदद की ज़रूरत है?” आदित्य की गहरी आवाज़ मेरे कानों में गूंजी।

मैंने मुस्कुराते हुए उसकी तरफ देखा। “हाँ, ये थोड़ा भारी है। शायद मुझे गलत वजन चुनना नहीं चाहिए था।”
उसने हल्का सा मुस्कुराते हुए कहा, “कोई बात नहीं। मैं आपकी मदद करता हूँ।”

उसने डम्बल उठाया और मेरी तरफ देखते हुए कहा, “आप नई लग रही हैं। पहली बार वर्कआउट कर रही हैं?”
“नहीं,” मैंने हंसते हुए कहा, “कभी-कभी आती हूँ। पर आपसे पहले मुलाकात नहीं हुई।”

“मैं आदित्य,” उसने हाथ आगे बढ़ाया।
“काव्या,” मैंने हल्के से हाथ मिलाया।

उस दिन के बाद, हमारी बातचीत धीरे-धीरे बढ़ने लगी।
वो हमेशा विनम्र और सहज रहता। मैंने जान-बूझकर उससे कुछ छोटे सवाल पूछने शुरू किए।
“आप यहाँ ट्रेनर हैं?”
“नहीं,” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं सिर्फ खुद को फिट रखने आता हूँ। मेरा अपना बिज़नेस है।”

बिज़नेस? ये सुनकर मैंने सोचा, “शायद ये सही विकल्प हो सकता है।”

शाम को घर पहुंचकर, मैंने राजत को आदित्य के बारे में बताया।
“उसकी पर्सनालिटी अलग है। घमंड बिल्कुल नहीं। बात करने में अच्छा लगता है। और सबसे बड़ी बात, वो इंटरेस्टेड दिखता है, पर ज्यादा सवाल नहीं पूछता।”

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राजत ने गंभीरता से मेरी बात सुनी। “तो अगला कदम क्या होगा?”
“थोड़ा और करीब से जानना होगा। ये सुनिश्चित करना होगा कि वो हमारे नियमों को समझे और उन्हें माने।”

अगले कुछ हफ्तों में, मैंने आदित्य के साथ बातचीत का दायरा बढ़ाया।
उसने बताया कि उसका अपना छोटा बिज़नेस है, और वो शादीशुदा नहीं है।
“आप हमेशा अकेले आते हैं?” मैंने casually पूछा।
“हाँ,” उसने कहा। “वर्क के बाद यही मेरी पर्सनल टाइम है।”

“ये सही हो सकता है,” मैंने मन ही मन सोचा।

एक दिन जिम में, आदित्य ने मुझे कहा,
“आपकी फिटनेस प्रोग्रेस अच्छी हो रही है। मुझे लगता है आपको एक्स्ट्रा गाइडेंस की ज़रूरत होगी।”
“शायद,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
“आपको कभी-कभी नए वर्कआउट टिप्स चाहिए हों, तो मुझे बताइए।”

घर पर, मैंने राजत को यह बात बताई।
“वो खुद से बात बढ़ा रहा है। शायद अब उसे इस प्लान में शामिल करने का समय आ गया है।”

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राजत ने सिर हिलाते हुए कहा,
“ठीक है, लेकिन उसे शुरुआत में ही सब कुछ क्लियर कर दो। ये सिर्फ हमारे बनाए गए नियमों पर होगा। कोई फोटो, कोई वीडियो, और सब कुछ मेरी सहमति से।”

“मैंने भी यही सोचा है,” मैंने कहा।

एक दिन, मैंने आदित्य से कहा,
“आप फ्री टाइम में बिज़नेस के अलावा क्या करते हैं?”
उसने हंसते हुए कहा, “बस फिटनेस और दोस्तों के साथ समय बिताता हूँ।”

मैंने धीरे से कहा,
“अगर आपसे एक बात कहूं, तो आप बुरा तो नहीं मानेंगे?”

उसने मुझे देखा और गंभीरता से कहा,
“बोलिए।”

“ये थोड़ा निजी सवाल है,” मैंने हिचकिचाते हुए कहा।
“क्या आप कभी… किसी शादीशुदा कपल के साथ… कुछ नया ट्राय करने के बारे में सोचा है?”

वो कुछ पल के लिए चुप रहा, फिर मुस्कुराते हुए बोला,
“अजीब सवाल है, पर… हाँ। अगर चीज़ें क्लियर हों और कोई गलतफहमी न हो, तो क्यों नहीं।”

अगले कुछ दिनों तक मैं जिम में आदित्य के साथ बातचीत को और सहज बनाती रही। वो आत्मविश्वासी और विनम्र था, लेकिन जरूरत से ज्यादा जिज्ञासु नहीं।
इस बीच, मैंने और राजत ने तय किया कि उसे हमारे प्लान का हिस्सा बनाना है, लेकिन सबसे जरूरी था इस बातचीत को एक प्राइवेट और सुरक्षित जगह पर करना।

एक दिन जिम खत्म होने के बाद, मैंने आदित्य से कहा,
“आप हमेशा जल्दी चले जाते हैं। कभी फ्री टाइम में कॉफी के लिए मिलते हैं?”
उसने मुस्कुराकर जवाब दिया,
“क्यों नहीं? कब और कहाँ?”

“मैत्री कैफे, कोरामंगला,” मैंने कहा।
“कल शाम?”
“पक्का,” उसने जवाब दिया।

मैत्री कैफे बेंगलुरु का एक मशहूर और शांत कैफे है। अगली शाम जब मैं वहाँ पहुँची, तो आदित्य पहले से इंतजार कर रहा था। उसने एक हल्की नीली शर्ट और डेनिम पहनी हुई थी।
“आप समय की पाबंद हैं,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।
“और आप मुझसे पहले पहुँच गए,” मैंने जवाब दिया।

हमने पहले हल्की-फुल्की बातें कीं—फिटनेस, उसकी लाइफस्टाइल, और कुछ मज़ाक। धीरे-धीरे माहौल सहज हो गया, और मुझे लगा कि अब सही समय है।

मैंने अपनी कॉफी का घूंट लेते हुए कहा,
“आदित्य, मैं तुमसे एक निजी बात करना चाहती हूँ। और उम्मीद करती हूँ कि तुम इसे समझोगे।”

उसने थोड़ी गंभीरता से मुझे देखा। “बोलिए।”

मैंने हल्के संकोच के साथ बात शुरू की।
“मैं और मेरे पति अपनी शादी में कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं। यह सिर्फ हमारी मर्जी और सीमाओं के तहत होगा। हमने महसूस किया कि तुम इस चीज़ के लिए एकदम सही हो सकते हो। लेकिन इससे पहले, हम तुम्हारे सामने कुछ शर्तें रखना चाहते हैं।”

वो थोड़ी देर के लिए शांत हो गया।
“आपकी बात सुन रहा हूँ,” उसने बिना किसी भाव के कहा।

तभी राजत भी कैफे में आ गए। हमने पहले से तय किया था कि बातचीत के इस हिस्से में वह शामिल होंगे।
“हाय, आदित्य। मुझे उम्मीद है कि काव्या ने तुम्हें हमारी बातों का थोड़ा अंदाजा दे दिया होगा,” उन्होंने गर्मजोशी से कहा।

आदित्य ने सिर हिलाया।
“हाँ, थोड़ा समझ में आ रहा है। आप दोनों कुछ नया ट्राई करना चाहते हैं। लेकिन मैं चाहता हूँ कि यह सब क्लियर हो। कोई भी मिसअंडरस्टैंडिंग न हो।”

“यही तो हम चाहते हैं,” राजत ने कहा।
“सबसे पहली बात, यह सिर्फ हमारी मर्जी से होगा। कोई फोटो, कोई वीडियो नहीं। और यह सब हमारी तय की गई जगह और समय पर होगा।”

मैंने जोड़ा, “और यह सिर्फ एक सीमित चीज़ होगी। भावनात्मक जुड़ाव की कोई जगह नहीं होगी। यह केवल हमारी शादी को नई ऊर्जा देने का एक तरीका है।”

आदित्य ने ध्यान से हमारी बात सुनी। उसने गंभीरता से कहा,
“अगर यह सब आपकी सहमति और शर्तों पर है, तो मुझे कोई दिक्कत नहीं। मैं इस बात का सम्मान करता हूँ कि आप दोनों इसे खुले तौर पर मेरे सामने रख रहे हैं।”

यह सुनकर मेरे और राजत दोनों के मन में एक अजीब सी राहत आई।

“अब सबसे जरूरी है कि इसे कहां करना है,” मैंने कहा।
“हम किसी ऐसी जगह पर मिलेंगे, जो सुरक्षित और प्राइवेट हो,” राजत ने तय किया।

हमने बेंगलुरु के ट्रीबो ट्रेंड्स होटल को चुना। यह जगह प्राइवेट और सुरक्षित थी, और शहर के बीचों-बीच होने के बावजूद यहाँ ज्यादा भीड़-भाड़ नहीं होती थी।

अगले कुछ दिनों तक मैंने और राजत ने हर छोटी-बड़ी बात पर ध्यान दिया।

  • हमने होटल का एक निजी कमरा बुक किया।
  • आदित्य को समय और जगह की जानकारी दे दी गई।
  • सबसे जरूरी, हमने यह तय किया कि यह सब सहज तरीके से होगा, बिना किसी दबाव के।

आदित्य ने हर बार हमारी बातों पर सहमति जताई। उसने हमें यह भरोसा दिलाया कि वह हमारी सीमाओं का पूरा सम्मान करेगा।

होटल जाने से एक रात पहले, मैं देर तक जागती रही।
“क्या मैं यह कर पाऊंगी? क्या यह सही होगा?”
मेरे संस्कार और मेरी इच्छाओं के बीच एक जंग चल रही थी।

मैंने अपने आप से कहा,
“यह सिर्फ मेरे पति की खुशी के लिए है। उन्होंने मेरे लिए इतना कुछ किया है, और अगर इससे हमारे रिश्ते को नई ऊर्जा मिले, तो इसमें गलत क्या है?”

ट्रीबो ट्रेंड्स होटल, बेंगलुरु। कमरा बुक हो चुका था। हल्की-हल्की रोशनी, गद्देदार बेड, और कमरे में बहती सन्नाटे की सरसराहट। सब कुछ इस रात के लिए परफेक्ट लग रहा था।
मैंने गुलाबी रंग की साड़ी पहनी थी। उसकी पतली झालर मेरी कमर से सटी हुई थी, और उसकी हल्की चमक मेरे तन के हर हिस्से को उभार रही थी। ब्लाउज की डीप नेकलाइन मेरी कसी हुई छाती को जैसे बेताब दिखा रही थी।

कमरे में माहौल का दबाव महसूस हो रहा था। राजत पास बैठे थे, उनकी आँखों में एक अलग सी चमक थी। वो थोड़े नर्वस थे, लेकिन यह सब देखने के लिए उनके अंदर एक अजीब सा रोमांच था।
“तुम्हें घबराने की जरूरत नहीं,” उन्होंने मेरा हाथ पकड़ते हुए कहा।
“मैं ठीक हूँ,” मैंने हल्के से कहा।

दरवाजे पर दस्तक हुई। आदित्य समय पर आ गया था।
जैसे ही दरवाजा खुला, वो अंदर दाखिल हुआ। उसने हल्की भूरी शर्ट पहन रखी थी, और उसकी कसी हुई मांसपेशियाँ शर्ट से साफ झलक रही थीं। उसकी आँखें सीधी मुझ पर थीं, और उसने बिना कुछ कहे मेरे पूरे शरीर का जायजा लिया।

“तो… ये है वो खास रात,” उसने हल्की मुस्कान के साथ कहा।
“हां,” राजत ने जवाब दिया। “यह सिर्फ हमारे नियमों पर होगी। अगर किसी भी पल कुछ गलत लगे, तो काव्या ‘रुक’ कहेगी। और सब वहीं रुक जाएगा।”

आदित्य ने सिर हिलाया। “मुझे नियम मंजूर हैं।”
फिर उसने मेरी ओर देखा। “पर ये साड़ी… ये जानलेवा है।”

मेरी नज़रें नीचे झुक गईं, पर मेरे शरीर का हर हिस्सा उसकी बात पर जवाब दे रहा था।

आदित्य ने सोफे पर बैठते हुए राजत से पूछा,
“तो, ये सब तुम्हारा आइडिया था, सही?”

राजत ने हिम्मत दिखाते हुए कहा, “हां। मैं चाहता था कि काव्या वो महसूस करे, जो मैं उसे नहीं दे सकता।”

“और तुम्हें देखने में मज़ा आएगा?” आदित्य ने सीधे सवाल किया।
राजत ने बिना झिझक कहा, “हां।”

“तो क्या तुम्हें बुरा नहीं लगता कि तुम्हारी बीवी… किसी और की लंड से चुदेगी?” आदित्य ने तीखे अंदाज में कहा।

यह सुनकर मेरी साँसें रुक गईं। मैंने झिझकते हुए राजत की ओर देखा।
उन्होंने गहरी सांस लेते हुए कहा,
“नहीं। क्योंकि मुझे खुशी होगी कि वो पूरी तरह संतुष्ट हो। मैं चाहता हूँ कि वो हर पल का मज़ा ले।”

मैं गुलाबी साड़ी में खड़ी थी, मेरी पतली कमर से साड़ी की झालर कस कर लिपटी हुई थी। मेरी ब्लाउज की डीप नेकलाइन से मेरे उभरे हुए स्तन साफ दिख रहे थे। आदित्य की नज़रें मेरी पूरी बॉडी पर घूम रही थीं, और मेरे पति, राजत, चुपचाप सोफे से सब देख रहे थे।

आदित्य ने धीरे से कहा, “काव्या, ये साड़ी तुम्हारे बदन से ऐसे चिपकी हुई है, जैसे ये भी तुम्हें नंगा देखना चाहती हो।”
मेरे चेहरे पर हल्की मुस्कान थी, लेकिन मेरी चूत पहले से ही गीली हो रही थी। मैंने उसे उकसाते हुए कहा, “तो तुम बस देखोगे, या मेरे बदन को महसूस भी करोगे?”

आदित्य ने मेरी कमर पर हाथ रखा और धीरे-धीरे मेरी साड़ी का पल्लू खींचना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ मेरी नंगी कमर पर रेंग रही थीं, और मेरी सांसें तेज हो रही थीं।
“तुम्हारे पति का लंड कितना लंबा है?” उसने मुझे एक झटके में पूछ लिया।
मैं थोड़ा चौंकी, लेकिन फिर मुस्कुराते हुए बोली, “बस 5 इंच… लेकिन उससे मेरा पेट कभी नहीं भरता।”

आदित्य ने हंसते हुए कहा, “आज तुम्हारी चूत को असली लंड का मजा मिलेगा। मेरा 9 इंच का लंड तुम्हें अंदर तक भर देगा।”
मेरी चूत से गर्मी उठ रही थी। मैंने जवाब दिया, “तुम्हारे लंड को मेरी चूत का पूरा स्वाद लेना चाहिए।”

आदित्य ने मेरी साड़ी को पूरी तरह उतार दिया, और अब मैं सिर्फ ब्लाउज और पेटीकोट में थी। उसने मेरे ब्लाउज की गांठें खोलनी शुरू कीं।
“तुम्हारे निपल्स को चूसने का मजा ही अलग होगा,” उसने कहा।
जैसे ही मेरा ब्लाउज खुला, मेरे कसे हुए निपल्स ठंडी हवा में तन गए।

उसने अपने होठों से मेरे निपल्स को पकड़ लिया और धीरे-धीरे चूसने लगा।
“आह… आदित्य… जोर से चूसो,” मैंने कहा।
“तुम्हारे पति ने कभी इस तरह चूसा है?” उसने पूछा।
“नहीं… उसका लंड जितना छोटा है, उसकी मर्दानगी भी उतनी ही कम है,” मैंने मस्त होकर कहा।

राजत सब देख रहे थे, और उनका 5 इंच का लंड अब उनके हाथ में था।
“काव्या, तुम्हें इस तरह खुश होते देखना ही मेरी खुशी है,” उन्होंने कहा।
आदित्य ने मेरी चूत पर उंगली फेरते हुए कहा, “तुम्हारी चूत तो इतनी गीली है, जैसे इस लंड का इंतजार ही कर रही हो।”

मैंने उसे और उकसाते हुए कहा, “तो अब और देर मत करो। मेरी चूत तुम्हारे 9 इंच का स्वागत करने को तैयार है।”

आदित्य ने मेरी चूत में अपनी दो मोटी उंगलियाँ डालीं।
“आह… आदित्य… गहराई तक डालो,” मैंने सिसकारी भरते हुए कहा।
उसने अपनी उंगलियों को मेरी चूत में अंदर-बाहर करते हुए कहा, “तुम्हारी चूत इतनी टाइट है। ये छोटा लंड इसे कभी खुश नहीं कर पाया होगा।”
“आज पहली बार मेरी चूत असली मर्द का मजा लेगी,” मैंने जवाब दिया।

आदित्य ने अपने पैंट उतारी और उसका 9 इंच का मोटा लंड बाहर निकला।
“तुम्हारे पति ने कभी ऐसा लंड देखा है?” उसने तंज करते हुए पूछा।
राजत ने हंसते हुए कहा, “नहीं। लेकिन आज मैं अपनी बीवी को इसे लेते हुए देखना चाहता हूँ।”

मैंने आदित्य के लंड को अपने हाथ में लिया।
“कसम से, इतना मोटा और लंबा लंड पहली बार देख रही हूँ। मेरी चूत इसे अंदर महसूस करने के लिए बेताब है,” मैंने कहा।

आदित्य ने मेरा पेटीकोट और पैंटी उतार दी। अब मैं पूरी तरह नंगी थी। उसने मेरा एक पैर उठाया और अपना लंड मेरी चूत के पास रखा।
“तुम्हारे पति के सामने तुम्हारी चूत को भरने का मजा ही अलग है,” उसने कहा।
“तो फिर और इंतजार क्यों? मेरी चूत तुम्हारे लंड की गहराई तक पहुंचना चाहती है,” मैंने कहा।

आदित्य ने अपना 9 इंच का मोटा लंड मेरी चूत में डालने की कोशिश की, लेकिन उसकी मोटाई मेरी टाइट चूत के लिए बहुत ज्यादा थी। मैंने सिसकारी भरते हुए कहा, “आह… आदित्य, धीरे करो… ये बहुत बड़ा है।”

राजत, जो अब तक सोफे पर बैठे थे, धीरे-धीरे पास आ गए। उन्होंने मेरी तरफ देखा और कहा, “काव्या, तुम इसे पूरा लो… मैं तुम्हें संभालने के लिए यहीं हूँ।”
आदित्य ने हंसते हुए कहा, “तुम्हारा पति तो सच में एकदम अलग है। अपनी बीवी को ऐसे मदद करते हुए देखना मजेदार है।”

मैं अभी भी अपनी साड़ी के आंचल के नीचे थी, लेकिन पूरा बदन अब खुल चुका था। मेरे निपल्स सख्त हो चुके थे, और मेरी चूत से रस बह रहा था।
“राजत, साड़ी का यह हिस्सा पकड़ो। इसे हटाओ ताकि आदित्य मेरे पूरे बदन का मजा ले सके,” मैंने अपने पति से कहा।

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राजत ने धीरे-धीरे मेरी साड़ी का बचा हुआ हिस्सा हटा दिया और मेरे बालों को पीछे कर दिया। “अब तुम पूरी तरह तैयार हो, काव्या,” उन्होंने कहा।
आदित्य ने मेरी टांगों को थोड़ा और फैलाया और कहा, “अब इसे अंदर जाना ही है। तुम दोनों इसे संभालो, और मैं इसे गहराई तक ले जाऊंगा।”

आदित्य ने धीरे से अपना लंड मेरी चूत के दरवाजे पर रखा। उसकी मोटाई महसूस करते ही मेरी सांसें तेज हो गईं।
“आह… आदित्य, ये बहुत बड़ा है। मेरी चूत इसे संभाल नहीं पाएगी,” मैंने तड़पते हुए कहा।
राजत ने मेरा हाथ पकड़कर कहा, “काव्या, तुम इसे पूरा लो। तुम्हारी चूत इस लंड के लिए तैयार है।”

उन्होंने मेरे कंधे को पकड़ लिया ताकि मैं पीछे न हटूं। आदित्य ने अपनी उंगलियों से मेरी चूत को और गीला किया।
“तुम्हारे पति सही कह रहे हैं। ये लंड तुम्हें अंदर तक भरने के लिए ही बना है,” उसने कहा।

जैसे ही आदित्य ने अपना लंड अंदर डालना शुरू किया, मेरी चूत का कसाव उसे रोकने की कोशिश कर रहा था।
“आह… बहुत टाइट है,” आदित्य ने कहा।
राजत ने मेरी कमर पकड़ते हुए कहा, “काव्या, रिलैक्स करो। इसे अंदर जाने दो। मैं तुम्हारे साथ हूँ।”

आदित्य ने थोड़ा और धक्का दिया, और उसका लंड मेरी चूत के अंदर गहराई तक चला गया।
“आह… आदित्य… ये पहली बार कोई इतनी गहराई तक गया है,” मैंने चिल्लाते हुए कहा।
“तुम्हारी चूत अब सही लंड का मजा ले रही है,” आदित्य ने जवाब दिया।

अब राजत मेरे और करीब आ गए। उन्होंने आदित्य को कहा, “धीरे करो। मैं देखना चाहता हूँ कि मेरी बीवी इसे कैसे लेती है।”
उन्होंने अपनी उंगलियों से मेरी चूत के किनारों को सहलाते हुए कहा, “तुम्हारी चूत इसे सही से संभाल रही है, काव्या। अब इसे और अंदर लो।”

आदित्य ने मेरी चूत में पूरा 9 इंच डाल दिया।
“आह… यह पूरा अंदर है,” मैंने सिसकारी भरते हुए कहा।
राजत ने अपनी उंगलियों से मेरी चूत के आसपास छुआ और कहा, “यह लंड तुम्हारी चूत को पूरा भर रहा है।”

अब आदित्य ने अपनी रफ्तार बढ़ा दी। उसकी हर ठोकर मेरी चूत को और गहराई तक हिला रही थी।
“आह… जोर से, आदित्य… मेरी चूत को फाड़ दो,” मैंने तड़पते हुए कहा।
राजत ने अपने हाथ से अपना 5 इंच का लंड पकड़ लिया और उसे हिलाते हुए कहा, “काव्या, तुमने जो मजा आज लिया है, वो मैं कभी नहीं दे सकता था।”

आदित्य ने कहा, “तुम्हारे पति को और करीब आना चाहिए। काव्या, इसे तुम्हारे साथ महसूस करना चाहिए।”
राजत ने मेरी पीठ पर हाथ रखा और मेरी टांगों को थोड़ा और फैलाने में मदद की।
“अब यह तुम्हारी चूत को और मजा देगा,” आदित्य ने कहा।

उसने मेरी चूत में रफ्तार और बढ़ा दी। मेरी आवाज पूरे कमरे में गूंज रही थी।
“आह… हां… और जोर से,” मैंने चिल्लाते हुए कहा।
राजत ने मेरे माथे को चूमा और कहा, “तुम सबसे खूबसूरत लग रही हो, काव्या। मैं तुम्हें ऐसे ही खुश देखना चाहता हूँ।”

आदित्य ने अपनी रफ्तार और तेज कर दी। उसकी हर ठोकर मेरी चूत के अंदर तक महसूस हो रही थी।
“आह… मैं खत्म होने वाली हूँ, आदित्य… और जोर से,” मैंने चिल्लाते हुए कहा।
आदित्य ने अपनी आखिरी ठोकर मारी, और मैं पूरी तरह संतुष्ट हो गई।

राजत ने धीरे-से कहा, “काव्या, तुमने आज मुझे वो खुशी दी, जो मैंने कभी सोची भी नहीं थी।”

जैसे ही आदित्य ने अपना मोटा लंड फिर से मेरी चूत में घुसाया, मेरा शरीर झटके से आगे बढ़ा। उसकी ठोकरें इतनी गहरी और तेज़ थीं कि मैं तड़पते हुए चिल्ला उठी, “आह… आदित्य, ये बहुत तेज़ है। मैं नहीं सह सकती।”
मैंने उसे रोकने के लिए अपनी टांगों को समेटने की कोशिश की, लेकिन आदित्य ने मेरी कमर कसकर पकड़ ली।

“काव्या, आज मैं तुम्हारी चूत की हर हद को तोड़ दूंगा,” उसने गहरी आवाज़ में कहा।
मैंने राजत की ओर देखा, “मुझे इससे बचाओ। ये बहुत रफ है। मैं नहीं ले सकती।”

राजत ने मेरी पीठ पर हाथ रखा और मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं काव्या, अब रुकने का समय नहीं है। तुम्हारी चूत को इसका पूरा मजा लेना होगा।”
उन्होंने मेरी कमर पकड़ ली ताकि मैं हिल न सकूं। “आदित्य, इसे और तेज़ करो। मैं इसे भागने नहीं दूंगा,” उन्होंने आदित्य को उकसाते हुए कहा।

मैंने अपना शरीर छुड़ाने की कोशिश की, लेकिन आदित्य और राजत दोनों ने मुझे जकड़ लिया।
“छोड़ो मुझे, ये बहुत गहरा जा रहा है,” मैंने गुस्से और तड़प के साथ कहा।
आदित्य ने मेरी गर्दन पकड़कर मेरी आँखों में देखा और कहा, “तुम्हारी चूत ने कभी असली ठोकरें नहीं झेलीं। आज मैं इसे भरकर छोड़ूंगा।”

राजत ने मेरी टांगों को और फैलाते हुए कहा, “काव्या, तुम इससे दूर नहीं जा सकती। तुम्हारी चूत को इसकी आदत डालनी होगी।”

आदित्य ने मेरी टांगों को अपने कंधे पर रख लिया और अपने 9 इंच के मोटे लंड को मेरी चूत में जोर से ठोक दिया।
“आह… आदित्य, ये चूत फट जाएगी,” मैंने तड़पते हुए चिल्लाया।
उसने मेरी निपल्स को पकड़ते हुए कहा, “तुम्हारी चूत मेरे लंड को खुद अंदर खींच रही है। अब इसे रोकने का कोई फायदा नहीं।”

राजत ने मेरी कमर पकड़ते हुए कहा, “काव्या, अब इसे पूरा लो। तुम मेरी बीवी हो, और तुम्हें इसे सहना ही होगा।”
मैंने उनकी ओर देखते हुए कहा, “तुम तो बस देख रहे हो। इसे रोकने की कोशिश भी नहीं कर रहे।”
उन्होंने हंसते हुए कहा, “नहीं, मैं सिर्फ तुम्हें खुश देखना चाहता हूँ।”

मैंने खुद को छुड़ाने के लिए झटके मारे, लेकिन आदित्य ने मुझे पलंग पर झुका दिया। उसने मेरी पीठ पर हाथ रखा और कहा, “अब तुम्हारी चूत मेरी हर ठोकर को झेलेगी।”
राजत ने मेरे बाल पकड़कर कहा, “शांत रहो, काव्या। मैं यहीं हूँ। तुम्हें कुछ नहीं होगा।”

आदित्य ने अपनी ठोकरों को और तेज़ कर दिया।
“आह… आदित्य… मेरी चूत जल रही है। ये बहुत ज्यादा है,” मैंने रोते हुए कहा।
“तुम्हारी चूत को अब असली मर्द का लंड झेलने की आदत डालनी होगी,” उसने जवाब दिया।

राजत अब मेरे करीब आ गए। उन्होंने मेरी पीठ को सहलाते हुए कहा, “तुम्हारी चूत ने कभी ऐसा लंड नहीं लिया होगा। अब इसे संभालो।”
आदित्य ने आखिरी ठोकर के साथ अपने लंड को मेरी चूत में और गहराई तक डाल दिया।

“आह… मैं नहीं सह सकती… आदित्य,” मैंने तड़पते हुए चिल्लाया।
आदित्य ने हंसते हुए कहा, “तुम अब पूरी तरह मेरी हो। तुम्हारी चूत अब मेरी ठोकरों के लिए ही बनी है।”

आदित्य की ठोकरें इतनी तेज़ हो गईं कि मेरे पूरे शरीर में झटके लग रहे थे। उसकी हर जोरदार ठोकर मेरी चूत के अंदर तक आग लगा रही थी।
“आह… आदित्य, मैं नहीं सह सकती… बहुत गहराई तक जा रहा है,” मैंने तड़पते हुए कहा।
उसने मेरी कमर को कसकर पकड़ लिया और अपनी रफ्तार और बढ़ा दी।

“काव्या, अब तुम्हारी चूत मेरी पूरी मर्दानगी को महसूस करेगी। मैं इसे आज पूरी तरह से भर दूंगा,” उसने गहरी आवाज़ में कहा।
मेरी चूत से रस बहकर मेरे पैरों तक आ गया था। हर ठोकर के साथ मेरा पूरा शरीर थरथरा रहा था।

राजत अब पूरी तरह पास आ चुके थे। उन्होंने मेरी पीठ पकड़कर मुझे सहारा दिया।
“आदित्य, इसे और गहराई तक ले जाओ। मैं देखना चाहता हूँ कि मेरी बीवी तुम्हारे लंड से पूरी तरह भरी हुई कैसी लगती है,” उन्होंने कहा।
मैंने गुस्से और तड़पते हुए कहा, “तुम दोनों मुझे पागल कर दोगे… मेरी चूत अब और नहीं झेल सकती।”

आदित्य ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, “अभी तो मैं खत्म नहीं हुआ हूँ। अब तुम्हारी चूत को मेरी मर्दानगी पूरी तरह महसूस करनी होगी।”

आदित्य ने मेरी टांगों को अपने कंधे पर रखकर अपनी ठोकरें और तेज कर दीं।
“आह… और जोर से, आदित्य। मेरी चूत फट जाएगी, लेकिन इसे पूरा लेगी,” मैंने तड़पते हुए कहा।
राजत ने मेरे बालों को सहलाते हुए कहा, “काव्या, तुम्हारी चूत इतनी गीली और टाइट है कि इसका लंड रुक ही नहीं सकता। इसे पूरा अंदर जाने दो।”

अब आदित्य का पूरा 9 इंच का लंड मेरी चूत के अंदर बाहर हो रहा था।
“तुम्हारी चूत इतनी गर्म है, मैं अब और नहीं रुक सकता,” उसने तेज आवाज़ में कहा।

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आखिरकार आदित्य ने अपनी आखिरी ठोकर मारी।
“आह… काव्या, तुम्हारी चूत में मैं अब खत्म हो रहा हूँ,” उसने चिल्लाते हुए कहा।
जैसे ही उसने अपना लंड अंदर पूरी गहराई तक डाला, उसकी गर्म मर्दानगी मेरी चूत में फटने लगी।

“ओह… ये क्या है… इतना ज्यादा…” मैंने अपनी चूत में उसकी गर्मी महसूस करते हुए कहा।
उसका गर्म और गाढ़ा वीर्य मेरी चूत को भरते हुए बाहर तक बहने लगा।
“तुम्हारी चूत ने सब ले लिया। तुम सच में असली रानी हो,” उसने मुस्कुराते हुए कहा।

राजत ने मेरी तरफ देखते हुए कहा, “काव्या, तुम्हें इस तरह भरा हुआ देखकर मुझे और भी खुशी हो रही है। तुम्हारी चूत ने आज असली मजा लिया है।”
मैंने गहरी सांस लेते हुए कहा, “आदित्य, तुमने मुझे वो दिया जो मैंने कभी नहीं सोचा था। मेरी चूत आज पूरी तरह संतुष्ट है।”

आदित्य ने मेरे निपल्स को चूमते हुए कहा, “तुम्हारी चूत मेरी मर्दानगी के लिए परफेक्ट है। अगर तुम्हें फिर कभी जरूरत हो, तो मैं तैयार हूँ।”

कमरे में अब सिर्फ हमारी तेज सांसें सुनाई दे रही थीं। मेरी चूत से आदित्य का गाढ़ा वीर्य बह रहा था, और मेरे पति इसे देख रहे थे।
“काव्या, तुम्हें देखकर मैं और भी मस्त हो गया हूँ। तुम मेरी सबसे बड़ी खुशी हो,” राजत ने कहा।

जैसे ही आदित्य ने अपने लंड को मेरी चूत से बाहर निकाला, मैंने गहरी सांसें लेते हुए उसे देखा। मेरी चूत अब भी उसकी गाढ़ी गर्मी से भरी हुई थी।
“आह… आदित्य, तुमने तो मुझे पूरा तोड़ दिया,” मैंने मुस्कुराते हुए कहा।
उसने अपने बड़े और मोटे लंड को अपने हाथ में लेते हुए कहा, “तोड़ने का खेल अभी खत्म नहीं हुआ, काव्या। ये लंड तीन राउंड तो कम से कम मांगता है। अब इसे चूसकर फिर से तैयार करो।”

मैंने उसे घबराई हुई नजरों से देखा और कहा, “इतना लंबा और मोटा लंड… मैं इसे फिर से कैसे संभालूंगी?”
राजत ने मेरे कंधे पर हाथ रखकर कहा, “काव्या, तुम इसे पूरा ले सकती हो। अभी तुमने पहली बार इसका असली स्वाद लिया है। अब इसे पूरी तरह चूसो और इसे फिर से तैयार करो। मैं यहीं हूँ तुम्हारे साथ।”

आदित्य पलंग पर बैठ गया और अपने 9 इंच के लंड को मेरी तरफ बढ़ाते हुए बोला, “आ जाओ, मेरी सेक्सी बेबी। अपनी जुबान से इसे फिर से जिंदा करो।”
मैंने झिझकते हुए उसके लंड को अपने हाथों में पकड़ा।
“ओह… ये तो अब भी गर्म है,” मैंने कहा।
उसने मेरी तरफ देखकर कहा, “अब इसे अपनी चूत की तरह अपनी जुबान का भी पूरा मजा दो।”

मैंने धीरे-धीरे अपनी जुबान उसके मोटे लंड के सिरे पर फेरनी शुरू की।
“हां… ऐसे ही। इसे गीला करो। ये तुम्हारी गीली चूत का इंतजार कर रहा है,” आदित्य ने गहरी आवाज़ में कहा।

जैसे ही मैंने उसका पूरा लंड अपने होठों के अंदर लिया, उसकी मोटाई ने मेरे जबड़ों को खींच दिया।
“आह… आदित्य, ये बहुत मोटा है। मेरे मुँह में पूरा नहीं आ रहा,” मैंने थोड़ा परेशान होते हुए कहा।
“कोशिश करती रहो, मेरी बेबी। तुम्हारा मुँह इसे पूरी तरह लेने के लिए परफेक्ट है,” उसने कहा।

मैंने और जोर लगाकर उसका लंड अपने गले तक लेने की कोशिश की।
“ओह… हां, ऐसे ही। तुम सच में कमाल हो,” उसने मेरी पीठ सहलाते हुए कहा।

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राजत अब और करीब आ गए। उन्होंने मेरी कमर पर हाथ रखा और कहा, “काव्या, तुम्हारा मुँह इस लंड के लिए बना है। इसे पूरी तरह चूसो।”
मैंने उनकी ओर देखा और कहा, “तुम इसे इतना एंजॉय कर रहे हो कि मुझे और मस्ती करनी पड़ेगी।”

राजत ने हंसते हुए कहा, “हां, तुम्हें इसे पूरी तरह तैयार करना होगा। ये लंड तीन राउंड के लिए पूरी तरह तैयार होना चाहिए।”

आदित्य ने मेरे बाल पकड़ लिए और कहा, “अब इसे जोर से अंदर लो। मुझे तुम्हारे गले की गर्मी चाहिए।”
मैंने पूरी ताकत लगाकर उसका लंड अपने गले तक ले लिया।
“आह… बेबी, तुमने तो मुझे पागल कर दिया,” उसने सिसकारी भरते हुए कहा।
मेरी आँखों से हल्के आंसू आ गए, लेकिन मैंने अपने मुँह को हटाए बिना उसकी ठोकरों का सामना किया।

मैंने उसकी पूरी लंबाई को चूसने के लिए अपनी जुबान को उसके चारों तरफ घुमाया।
“तुम्हारी जुबान तो जादू कर रही है। अब मैं इसे अंदर डालने के लिए और भी तैयार हूँ,” उसने कहा।
उसका लंड अब पूरी तरह से सख्त हो चुका था।

उसका लंड अब पूरी तरह से तैयार था—मोटा, लंबा, और पूरी तरह सख्त। मेरे पति, राजत, अब तक पास खड़े थे, अपने 5 इंच के छोटे लंड को हाथ में पकड़े हुए, लेकिन उनकी नज़रें मेरे बदन और आदित्य के लंड पर टिकी हुई थीं।

“काव्या, अब तुम्हारी चूत को फिर से तैयार करना होगा,” आदित्य ने मेरी आँखों में देखते हुए कहा।
मैंने धीरे-धीरे अपने बाल पीछे किए और हांफते हुए कहा, “करो, आदित्य। मेरी चूत को तुम्हारे इस असली लंड की जरूरत है। मेरे पति तो कभी ऐसा मजा नहीं दे पाए।”

आदित्य ने मुझे पलंग पर लिटाते हुए कहा, “तुम्हारे पति को अपनी बीवी को खुश करना पहले से ही आना चाहिए था।”
मैंने गहरी सांस लेते हुए कहा, “आह… काश, ये सब पहले होता। राजत, तुमने पहले ही मुझे किसी असली मर्द के हवाले क्यों नहीं किया?”

राजत ने मेरे बालों को सहलाते हुए कहा, “काव्या, मुझे पता नहीं था कि तुम्हारी चूत को ऐसा लंड चाहिए। अब मैं देख रहा हूँ कि तुम कितनी खुश हो।”
मैंने अपनी आँखों में गुस्से और तड़प का मेल दिखाते हुए कहा, “तुम्हारे छोटे से लंड ने मुझे कभी खुश नहीं किया। मुझे आज पता चला कि असली मजा क्या होता है। तुम सिर्फ देखते रहो और सीखो।”

आदित्य ने मेरी टांगों को फैलाकर अपने लंड को मेरी चूत के पास रखा।
“अब इसे संभालो। तुम्हारी चूत को फिर से फाड़ने वाला हूँ,” उसने कहा।
जैसे ही उसने पहली ठोकर मारी, मेरी चीख कमरे में गूंज उठी।
“आह… आदित्य, और अंदर डालो। मेरी चूत इसे पूरा लेगी,” मैंने तड़पते हुए कहा।

राजत ने मेरी कमर को पकड़ लिया ताकि मैं हिल न सकूं।
“काव्या, तुमने जो चाहा था, वो अब तुम्हें मिल रहा है,” उन्होंने कहा।
मैंने हंसते हुए कहा, “तुम सिर्फ देखते रहो। तुम्हारी बीवी अब असली मर्द के लंड का मजा ले रही है।”

जैसे ही आदित्य ने अपनी ठोकरों की रफ्तार तेज की, मेरी चूत में तेज जलन और गर्मी महसूस हो रही थी।
“आह… आदित्य, जोर से करो। ये लंड मेरी चूत के अंदर तक जा रहा है,” मैंने चिल्लाते हुए कहा।
फिर मैं राजत की ओर पलटी और कहा, “तुमने तो कभी मेरे निपल्स भी ढंग से नहीं चूसे। ये देखो, कैसे आदित्य मुझे पूरा महसूस करवा रहा है।”

राजत ने अपने लंड को जोर-जोर से हिलाते हुए कहा, “काव्या, मुझे तुम्हें ऐसे खुश देखकर बहुत अच्छा लग रहा है।”
मैंने गुस्से में कहा, “तो पहले क्यों नहीं किया? मुझे इतने साल बर्बाद करने की जरूरत क्यों पड़ी? तुम्हारा ये छोटा सा लंड किसी काम का नहीं है।”

आदित्य ने मेरी चूत में ठोकरें मारते हुए कहा, “तुम्हारी बीवी अब मुझसे पूरी तरह संतुष्ट होगी। तुम्हें अपनी कमी का एहसास हमेशा रहेगा।”
मैंने अपनी उंगलियां उसकी पीठ पर चलाते हुए कहा, “आदित्य, ये लंड मेरी चूत के लिए बना है। मेरी चूत इसे कभी भूल नहीं पाएगी।”

उसने मेरी निपल्स को अपने मुंह में लिया और जोर से चूसा।
“आह… हां… और जोर से, आदित्य। तुमने मेरी चूत को जिंदा कर दिया,” मैंने तड़पते हुए कहा।

राजत ने मेरे बालों को खींचकर मुझे सीधा कर दिया।
“काव्या, तुम इसे पूरा लो। तुम्हारी चूत इस लंड को पूरी तरह deserve करती है,” उन्होंने कहा।
आदित्य ने मेरे बाल पकड़कर मेरे चेहरे को ऊपर उठाया।
“अब तुम्हारी चूत मेरे लिए पूरी तरह खुल चुकी है। इसे और सहना होगा,” उसने गहरी आवाज़ में कहा।

आदित्य की ठोकरें इतनी तेज हो गईं कि मेरे पूरे शरीर में झटके लगने लगे।
“आह… आदित्य, ये बहुत गहराई तक जा रहा है। मैं पागल हो जाऊंगी,” मैंने तड़पते हुए कहा।
“तुम्हारी चूत इसे पूरा झेल रही है। अब इसे मेरी मर्दानगी से फिर से भरने का समय है,” उसने चिल्लाते हुए कहा।

उसने आखिरी ठोकर मारी और मेरी चूत में अपनी गर्म मर्दानगी छोड़ दी।
“ओह… ये क्या है। इतना ज्यादा…” मैंने चिल्लाते हुए कहा।
उसका वीर्य मेरी चूत से बहकर पलंग पर गिरने लगा।

राजत, जो अब तक खुद को शांत कर रहे थे, ने मेरी कमर को पकड़े हुए अपना लंड जोर से हिलाया।
“काव्या, तुम्हें ऐसे देखकर मैं भी अब और रुक नहीं सकता,” उन्होंने कहा।
उन्होंने मेरा माथा चूमते हुए कहा, “तुमने आज मेरी बीवी होने का सबसे बड़ा मतलब समझा दिया।”

आदित्य ने अपनी आखिरी ठोकर मारते हुए चिल्लाया, “काव्या, मैं अब भी पूरी तरह खत्म नहीं हुआ हूँ। तुम्हारी चूत मुझे पूरा निचोड़ नहीं पाई। अब इसे और सहना होगा।”
मैं हांफते हुए चिल्लाई, “आह… आदित्य, तुमने मेरी चूत का कबाड़ा कर दिया है। लेकिन अभी भी तुम मुझे छोड़ने वाले नहीं हो।”

मेरे पति, राजत, जो अब भी पास खड़े थे, अपनी हालत पर हंसते हुए बोले, “काव्या, तुम इसे deserve करती हो। तुम्हारी चूत को असली मर्द का पूरा स्वाद चाहिए।”
मैंने गुस्से और मस्ती में उनकी ओर देखा और कहा, “तुम बस देखते रहो। तुम्हारा छोटा सा लंड तो कभी मेरी चूत को ऐसे नहीं भर सकता था।”

आदित्य ने मेरी टांगों को उठाकर मेरी चूत में फिर से अपना लंड डाल दिया।
“आह… ये तो अब और गहरा लग रहा है,” मैंने तड़पते हुए कहा।
“चुप रह, रंडी। अब तेरी चूत को ऐसा सबक मिलेगा कि तू इसे कभी भूल नहीं पाएगी,” आदित्य ने गुस्से में कहा।
उसकी ठोकरें इतनी तेज हो गईं कि मेरा शरीर झटके मारने लगा।

“आह… हां… और जोर से। मेरी चूत तुम्हारी है,” मैंने चिल्लाते हुए कहा।
“तू अपने पति से ये सब क्यों नहीं कह पाई? जब तेरी चूत भूखी थी, तब इससे क्यों नहीं मांग लिया?” आदित्य ने ताने मारते हुए कहा।

राजत ने मेरी पीठ सहलाते हुए कहा, “काव्या, आदित्य सही कह रहा है। तुम्हें मुझसे पहले ही मांग लेना चाहिए था।”
मैंने गुस्से में उनकी ओर देखा और कहा, “तुम्हारे जैसे नामर्द को क्या कहती? तुम्हारे 5 इंच के लंड से तो मेरी चूत कभी खुश ही नहीं हुई। मुझे हमेशा ऐसे ही असली मर्द की जरूरत थी।”

आदित्य ने जोर से मेरी गांड पर एक थप्पड़ मारते हुए कहा, “आज तेरी हर कमी पूरी होगी। तेरी चूत ने जो मजा लिया है, अब तेरी गांड तैयार होगी।”

जैसे ही आदित्य ने अपनी रफ्तार और तेज की, मेरी चूत से अचानक पानी की तेज धार निकली।
“ओह… मैं खत्म हो रही हूँ। आदित्य, तुमने मेरी चूत को पागल कर दिया है,” मैंने जोर से चिल्लाते हुए कहा।
पानी मेरे पैरों और पलंग पर फैल गया। आदित्य ने मेरी चूत से अपना लंड बाहर निकाला और हंसते हुए कहा, “तू तो सच में रंडी निकली। तेरी चूत ने मेरा पूरा लंड नहला दिया। अब तेरी गांड की बारी है।”

आप यह ककोल्ड कपल की चुदाई की कहानी हमारे इंडियन सेक्स स्टोरीज की नम्बर 1 वेबसाइट दी इंडियन सेक्स स्टोरी डॉट कॉम पर सुन रहे है।

आदित्य ने अपना लंड मेरी गीली चूत से बाहर निकाला और उसे मेरे गीले रस से और चिकना किया।
“तेरी गांड तो अब तक सील पैक है। अब इसे असली मर्द का दर्द सहना होगा,” उसने गुस्से से कहा।
मैंने झट से पलटकर कहा, **”नहीं… वहां नहीं। मैं इसे सह नहीं पाऊंगी।”

लेकिन राजत ने मेरी कमर पकड़कर मुझे नीचे झुका दिया।
“काव्या, अब ये तेरी गांड में भी जाएगा। तूने हमेशा असली मर्द का मजा चाहा है। अब इसे पूरी तरह ले,” उन्होंने कहा।

आदित्य ने धीरे-धीरे अपना मोटा लंड मेरी गांड के दरवाजे पर रखा।
“तू चुपचाप इसे झेल, रंडी। तेरी गांड आज मेरी है,” उसने कहा।
जैसे ही उसने पहली ठोकर मारी, मेरी चीख पूरे कमरे में गूंज उठी।
“आह… आदित्य, ये बहुत ज्यादा है। मेरी गांड इसे नहीं ले सकती,” मैंने तड़पते हुए कहा।

“तू चुप रहेगी। तेरी गांड को आज मर्द का असली दर्द महसूस होगा,” उसने गुस्से में कहा।
उसने अपनी ठोकरें और तेज कर दीं। मेरा शरीर झटके खा रहा था।

राजत ने मेरे बाल पकड़कर मेरी कमर को नीचे दबाया।
“काव्या, अब ये पूरा लंड तेरी गांड में जाएगा। तू रुकने का नाम भी मत लेना,” उन्होंने कहा।
मैंने उनकी तरफ रोते हुए देखा और कहा, “तुम दोनों मुझे पागल कर दोगे। मेरी गांड फट जाएगी।”

आदित्य ने जोर से एक ठोकर मारी, और उसका पूरा लंड मेरी गांड के अंदर चला गया।
“आह… मेरी गांड फट गई। तुम दोनों नामर्द हो,” मैंने चीखते हुए कहा।
“नामर्द तेरे पति को कह। मैं तुझे असली मजा दे रहा हूँ,” आदित्य ने गुस्से में कहा।

अब आदित्य ने मेरी गांड को जोर-जोर से ठोकना शुरू किया।
“आह… आदित्य, मेरी गांड जल रही है। इसे निकालो,” मैंने चिल्लाते हुए कहा।
“चुप रह, रंडी। तेरी गांड मेरी है,” उसने ठोकरें जारी रखते हुए कहा।

जैसे ही उसने आखिरी ठोकर मारी, उसने मेरी गांड के अंदर अपनी मर्दानगी छोड़ दी।
“ओह… ये तो बहुत ज्यादा है। मेरी गांड इसे नहीं संभाल सकती,” मैंने तड़पते हुए कहा।
उसका गर्म वीर्य मेरी गांड के अंदर तक भर चुका था।

राजत ने मेरे गालों को चूमते हुए कहा, “काव्या, अब मुझे पता चला कि तुम्हें असली मर्द का मजा चाहिए था। तुम्हारी चूत और गांड दोनों ने आज जो सहा है, वो हमेशा याद रहेगा।”
मैंने गहरी सांस लेते हुए कहा, “काश, तुमने पहले ही मुझे ऐसे किसी मर्द के हवाले कर दिया होता।”

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