Train sex story in Hindi: कैलाश और नताशा एक ही कंपनी में काम करते थे, लेकिन उनके विभाग अलग-अलग थे। कैलाश सेल्स विभाग में था और नताशा डिस्पैच विभाग में। अक्सर ऑफिस में उनके रास्ते टकराते रहते थे। धीरे-धीरे, उनकी दोस्ती इतनी गहरी हो गई कि वे ऑफिस के बाहर भी मिलने लगे।
जब भी वे ऑफिस में मिलते और आसपास कोई नहीं होता, नताशा अपनी शरारती मुस्कान के साथ कैलाश को चिढ़ा देती। उसकी मुस्कान एक झटके में कैलाश के लंड को खड़ा कर देती। वह अक्सर कैलाश की पैंट में छुपे लंड को देखती और अपनी जीभ निकालकर उसे और चिढ़ाने लगती। कभी-कभी कैलाश भी अपनी जीभ को इशारों में अंदर-बाहर कर ऐसे जताता, जैसे वह नताशा की चूत चाट रहा हो। नताशा का चेहरा शर्म से लाल हो जाता था, लेकिन बाद में वह खुद कहती, “कैलाश, जब तुम अपनी जीभ ऐसे चलाते हो न, तो मेरी चूत गीली हो जाती है।”
एक दिन नताशा ने ऑफिस के इंटरकॉम पर कैलाश को कॉल किया और बताया कि उसका बॉस उसे काम के सिलसिले में दिल्ली भेज रहा है। उसने कैलाश से पूछा कि क्या वह उसके साथ चल सकता है। कैलाश ने तुरंत तारीखें और यात्रा का प्लान पूछा। उसके भी कुछ क्लाइंट दिल्ली में थे, जिनसे वह लंबे समय से नहीं मिला था। उसने अपने बॉस को समझाया कि क्लाइंट्स से मिलना ज़रूरी है, और उसकी बात मान ली गई।
योजना को इस तरह सेट किया गया कि किसी को पता न चले। कंपनी के नियम के अनुसार, नताशा सिर्फ़ 1st या 2-Tier एसी में सफर कर सकती थी, जबकि कैलाश के पास फ्लाइट या 1st Class एसी का विकल्प था। कैलाश ने रेलवे स्टेशन जाकर नताशा की टिकट को कैंसिल करवा दिया और राजधानी एक्सप्रेस के 1st Class कूप में दो सीटें बुक कर लीं।
हफ्ता प्लानिंग और उत्साह में बीता। आखिरकार, दोनों अलग-अलग रेलवे स्टेशन पहुंचे। कैलाश 4:10 बजे स्टेशन पहुंचा और कूप में जाकर अपना सामान रखवा दिया।
जैसे ही नताशा आई, वह अपने कंधे पर बैग और हाथ में सूटकेस लिए हुए थी। कैलाश ने हाथ हिलाकर उसे इशारा किया, और नताशा ने भी मुस्कुराकर हाथ हिलाया।
कूप में दाखिल होते ही दोनों ने हल्के से गालों पर एक चूम लिया और अपनी सीट पर बैठ गए। कूप की भव्यता देखकर नताशा आश्चर्यचकित थी। यह उसका पहला अनुभव था 1st Class एसी में यात्रा का। उसने कैलाश से पूछा, “क्या यहां पूरा एकांत मिलेगा? कोई डिस्टर्ब तो नहीं करेगा, ना?”
कैलाश ने उसका हाथ पकड़ते हुए कहा, “मेरी जान, तुम्हारे साथ हूं, तो सबसे अच्छा इंतजाम होना चाहिए था। आखिर तुम हो ही इतनी खास।”
कैलाश के छूने से ही नताशा के शरीर में सिहरन दौड़ गई। थोड़ी देर में टिकट चेक हुआ, और ट्रेन चल पड़ी। कैलाश ने दरवाजा बंद किया और अपनी बाहें फैला दीं। नताशा तुरंत उसकी बाहों में समा गई।
दोनों एक-दूसरे को चूमने लगे। कैलाश के हाथ नताशा की पीठ पर रेंग रहे थे, और नताशा की उंगलियां उसकी गर्दन पर सरक रही थीं।
नताशा ने मुस्कुराते हुए कहा, “कैलाश, चलो एक खेल खेलते हैं – दिखाओ और बताओ।”
कैलाश ने पूछा, “इस खेल के नियम क्या हैं?”
नताशा ने समझाया, “तुम जो देखना चाहोगे, मैं दिखाऊंगी। और मैं जो देखना चाहूंगी, तुम दिखाओगे। लेकिन हर बार सिर्फ़ एक कपड़ा उतारने की शर्त है।”
कैलाश ने खेल में रुचि दिखाई। उसने नताशा से उसके पेट को देखने की मांग की। नताशा ने अपनी शर्ट उतार दी, और उसके गुलाबी ब्रा में बंद मम्मे साफ़ झलकने लगे। इसके बाद नताशा ने कैलाश की छाती देखने की इच्छा जताई, और वह भी अपनी शर्ट उतारने लगा।
अब कैलाश ने नताशा से उसकी चुचियां दिखाने को कहा। नताशा ने हल्की मुस्कान के साथ ब्रा के हुक खोले। जैसे ही उसकी नंगी चुचियां सामने आईं, कैलाश ने उसकी तारीफ की।
कैलाश ने धीरे से नताशा को पीछे लिटा दिया और कहा, “अब मुझे तुम्हारी चूत चाटने दो।” नताशा ने सहमति में सिर हिलाया और अपनी टांगें फैला दीं। कैलाश ने उसके चूत के होंठों को उंगलियों से अलग किया और अपनी जीभ को उसकी चूत के अंदर-बाहर चलाने लगा।
नताशा की सिसकारियां बढ़ने लगीं। उसने कैलाश के सिर को अपनी चूत पर दबा दिया। कैलाश और जोर से उसकी चूत चूसने लगा। नताशा ने पानी छोड़ा और सिसकते हुए बोली, “कैलाश, मेरी जान, तुम्हारे बिना ये मज़ा अधूरा था।”
नताशा ने चूत का रस छोड़ने के बाद सांसें संभालते हुए कैलाश को देखा। कैलाश का लंड तना हुआ था, और वह नताशा की ओर देख मुस्कुरा रहा था। उसने नताशा से कहा, “देखो, तुम्हारी चूत ने मेरा लंड और भी सख्त कर दिया है।”
नताशा ने झुककर उसके लंड को अपने हाथ में लिया। उसकी नाजुक उंगलियां लंड के ऊपर-नीचे चलने लगीं। वह धीरे-धीरे उसके सूपड़े पर अपनी जीभ फिराने लगी। कैलाश के शरीर में सनसनी दौड़ने लगी।
फिर नताशा ने अपना मुंह खोला और लंड को चूसने लगी। कैलाश ने सिर पीछे कर लिया और गहरी सांसें लेने लगा। नताशा अपने एक हाथ से उसके लंड को रगड़ रही थी और दूसरे हाथ से उसके अंडकोषों को सहला रही थी।
“जानू, अगर तुम इसी तरह चूसती रही, तो मैं खुद को रोक नहीं पाऊंगा,” कैलाश ने सिसकते हुए कहा।
“और मैं चाहती भी नहीं कि तुम रुको,” नताशा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया और और तेजी से लंड चूसने लगी।
कैलाश ने उसके सिर को पकड़कर और जोर से दबाया। उसका लंड एक-एक करके पिचकारियां छोड़ने लगा। नताशा उसका सारा वीर्य अपने मुंह में ले रही थी। वह निगलते हुए बोली, “तुम्हारे लंड ने आज बहुत सारा पानी छोड़ा है। बड़ी मुश्किल से संभाल पाई।”
कैलाश ने नताशा को अपने पास खींचते हुए कहा, “अब तुम्हारी बारी है। मुझे तुम्हारी चूत को भर देना है।”
नताशा मुस्कुराई और खिड़की के पास झुक गई। उसने अपनी टांगें फैला दीं, और उसकी गीली चूत साफ दिखाई देने लगी। “कैलाश, अब मुझे कसकर चोद दो। मेरा शरीर तुम्हारे लंड का इंतजार कर रहा है,” उसने कामुक आवाज़ में कहा।
कैलाश ने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा और एक जोर का धक्का मारा। लंड उसकी चूत में गहराई तक घुस गया। नताशा ने सिसकारियां लेते हुए कहा, “ओह हां, मेरे भगवान! कैलाश, तुम्हारा लंड मेरी चूत को पूरा भर चुका है। और जोर से धक्के मारो!”
कैलाश ने उसकी चूत को कसकर पकड़ते हुए और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू कर दिए। नताशा अपने चूतड़ों को पीछे धकेलते हुए उसका साथ दे रही थी।
कैलाश और नताशा दोनों की उत्तेजना चरम पर पहुंच चुकी थी। नताशा अपनी चूत का रस छोड़ते हुए चिल्लाई, “ओह हां, कैलाश! मेरी जान, और जोर से चोदो। मेरी चूत तुम्हारे लंड की दीवानी हो चुकी है।”
कैलाश ने भी अपनी रफ्तार तेज कर दी और आखिरकार उसने अपना वीर्य नताशा की चूत के अंदर छोड़ दिया। वह दोनों हांफते हुए शांत हुए और एक-दूसरे को बाहों में भरकर बिस्तर पर लेट गए।
थोड़ी देर बाद, कूप के दरवाजे पर दस्तक हुई। वेटर ने खाने के लिए पूछा। दोनों ने जल्दी से अपने कपड़े पहने और खाना ऑर्डर किया। खाना खाने के बाद, नताशा कैलाश की छाती पर सिर रखकर लेट गई और प्यार भरी नजरों से उसे देखती रही।
“कैलाश, मैं तुमसे बहुत प्यार करती हूं,” नताशा ने धीरे से कहा।
“और मैं तुमसे,” कैलाश ने उसे बाहों में भरते हुए जवाब दिया।
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