college girl BDSM sex story: मेरा नाम देवयानी है। मैं 38 साल की हूँ, मुंबई में रहती हूँ। मेरा बदन गोरा है, फिगर 34-29-39, भरे हुए स्तन, पतली कमर, और उभरी हुई गांड, जो टाइट साड़ी में कातिलाना लगती है। मेरे लंबे काले बाल मेरी कमर तक लहराते हैं, और मेरी भूरी आँखें लोगों को अपनी ओर खींच लेती हैं। मेरे पति डॉक्टर हैं, रात को ज्यादातर अस्पताल में रहते हैं, तो मैं अकेली रहती हूँ। मेरी बेटी छवि 18 साल की है, गोरी, फिगर 33-28-40, उसकी भारी गांड टाइट जीन्स में बाहर उभरती है, और मध्यम आकार के स्तन टॉप में कसे हुए दिखते हैं। उसके काले घने बाल और हल्की भूरी आँखें उसे मेरी तरह हॉट बनाती हैं। ये कहानी मेरे कॉलेज के दिनों से शुरू होती है, जब मेरी हवस की आग ने मुझे एक रंडी बना दिया।
जब मैं कॉलेज में थी, 20 साल की थी। मेरा फिगर 30-28-35 था, छोटे स्तन, पतली गांड, लेकिन मासूम चेहरा और गोरी त्वचा मुझे क्यूट बनाती थी। मेरे लंबे बाल कमर तक लटकते थे। लड़के मेरी तरफ कम ध्यान देते थे, क्योंकि मैं “साधारण” लगती थी। लेकिन मेरे अंदर हवस की आग सुलग रही थी। मैं चाहती थी कि कोई मुझे छुए, मेरी चूत को सहलाए, मेरे साथ जबरदस्ती करे। पर सब मुझे मासूम समझते थे। रात को अकेले में मेरी चूत में आग लग जाती। मैं अपनी स्टडी टेबल से नीला मोटा मार्कर उठाती, अपनी सफेद पैंटी नीचे सरकाती, और अपनी गुलाबी चूत में मार्कर डालकर मुठ मारती।
मार्कर की ठंडक मेरी गीली चूत में बिजली सी दौड़ा देती। मैं अपनी उंगलियों से अपनी चूत का दाना रगड़ती, “आह्ह… उह्ह… कितना मोटा है…” मेरी सिसकारियाँ कमरे में गूंजतीं। मैं मार्कर को धीरे-धीरे अंदर-बाहर करती, अपनी चूत को रगड़ती, और हवस में डूब जाती। कई बार मैं इतनी गर्म हो जाती कि मार्कर चूत में डाले ही सो जाती। एक रात ऐसा ही हुआ। मैंने अपनी पैंटी उतारी, अपनी गुलाबी चूत को सहलाया, मार्कर डाला, और “आह्ह… हाय… और गहरा…” कहते हुए नींद में खो गई।
सुबह देर से उठी। मार्कर मेरी चूत में था, रात की गर्मी में थोड़ा बाहर खिसक आया था। उस दिन कॉलेज में टेस्ट था। मैं जल्दी में थी, सोचा, “कोई नहीं देखेगा।” मैंने नीली टाइट लोअर और सफेद टी-शर्ट पहनी, और कॉलेज भागी। टेस्ट के दौरान मुझे एहसास हुआ कि मार्कर मेरी चूत से और बाहर खिसक आया। मेरी लोअर में हल्का उभार दिख रहा था। मैं घबरा गई, लेकिन टेस्ट छोड़ नहीं सकती थी। मेरी सहेली रिया, जो मुझसे जलती थी, ने मेरी हालत देखी और चुपके से मेरी तस्वीर ले ली। उसने वो तस्वीर कॉलेज के व्हाट्सएप ग्रुप में डाल दी।
बस, फिर क्या था! सारा कॉलेज मुझे हवस भरी नजरों से देखने लगा। मेरे पास अनजान नंबरों से मैसेज आने लगे। “देवयानी, तू तो बड़ी रंडी है, चूत में मार्कर डालती है?” कोई अपने मोटे लंड की फोटो भेजता, “ये ले, अपनी फुद्दी में डाल।” मैं बाहर से गुस्सा दिखाती, लेकिन अंदर मेरी चूत गीली हो जाती। रात को मैं उन तस्वीरों को देखती, अपने गुलाबी निप्पल्स को दबाती, अपनी चूत में उंगली डालती। “आह्ह… कितना मोटा लंड… इसे तो मैं अपनी चूत में लूँगी…” मैं सिसकारियाँ भरती।
एक रात मैं इतनी गर्म थी कि मुझसे रहा नहीं गया। मैंने एक अनजान नंबर से चैट शुरू की। लड़का गंदी बातें करने लगा, “तेरी चूत कितनी टाइट है, रंडी? अपनी नंगी फोटो भेज।” उसकी बातों से मेरी चूत और गीली हो गई। मैंने अपनी सफेद पैंटी उतारी, अपने गोरे स्तनों को दबाया, अपनी गुलाबी चूत को सहलाया, और तस्वीरें खींचकर भेज दीं। अगले दिन वो तस्वीरें पूरे कॉलेज में फैल गईं। लोग मुझे “रंडी” कहने लगे। मैं बाहर से नाराज दिखती, लेकिन अंदर से खुश थी। मुझे वो ध्यान मिल रहा था, जो मैं हमेशा चाहती थी।
एक दिन मैं बस में थी। मैंने काली मिनी स्कर्ट और सफेद टाइट टॉप पहना था, जो मेरे छोटे स्तनों को उभार रहा था। भीड़ थी। मेरे पीछे एक लड़का आया, रवि, मेरे कॉलेज का। उसने मेरी गांड को छुआ। उसका गर्म हाथ मेरी स्कर्ट के अंदर घुस गया, मेरी नंगी गांड को दबाने लगा। मैं चुप रही, क्योंकि मुझे मजा आ रहा था। उसने मेरी चूत को सहलाया, उसकी उंगली मेरी पैंटी के ऊपर से मेरे दाने को रगड़ रही थी। “आह्ह…” मैंने हल्की सिसकारी भरी। उसने मेरी पैंटी को साइड में सरकाया और अपनी मोटी उंगली मेरी गीली चूत में डाल दी। “फच-फच…” मेरी चूत की आवाजें मेरे कानों में गूंज रही थीं। मैंने आँखें बंद कर लीं, मजा ले रही थी। बस से उतरने के बाद मैं चुपचाप चली गई, लेकिन मेरी चूत अब भी गीली थी।
कुछ दिन बाद रवि मुझे कॉलेज में मिला। उसने मुझे लैब की तरफ खींच लिया। मैंने थोड़ा नखरा किया, “रवि, ये क्या कर रहा है?” लेकिन अंदर से मैं चाहती थी कि वो मुझे चोदे। लैब में उसने मुझे घुटनों पर बिठाया और एक थप्पड़ मारा। “रंडी, मेरी पैंट खोल और मेरा लंड चूस!” उसकी आवाज में दबंगई थी। मैंने उसकी नीली जीन्स खोली। उसका 7 इंच का मोटा लंड बाहर आया, उसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था। मैंने उसे मुँह में लिया, अपनी जीभ से उसके सुपारे को चाटा। “उम्म… आह्ह…” मैं उसके लंड को चूस रही थी, मेरी जीभ उसके सुपारे पर गोल-गोल घूम रही थी। वो सिसकारियाँ भर रहा था, “हाँ, रंडी… ऐसे ही चूस… मेरे लंड को चाट…” मैंने और जोश में चूसा, मेरे होंठ उसके लंड को कसकर जकड़ रहे थे। अचानक उसके लंड से गाढ़ा, नमकीन पानी मेरे मुँह में निकल गया। मैंने उसे पूरा पी लिया। उसका स्वाद मुझे और गर्म कर रहा था।
मैंने कहा, “रवि, अब मेरी चूत चोदो।” लेकिन उसने मना कर दिया, “अभी नहीं, बाद में।” मुझे गुस्सा आया। उसने चुपके से मेरी वीडियो बना ली थी और ग्रुप में डाल दी। अब मेरी रंडी वाली इमेज पक्की हो गई। मेरे पास और मैसेज आने लगे। मुझे ये सब अच्छा लग रहा था।
एक दिन मुझे रोहन का मैसेज आया। वो काला, लंबा, गठीला लड़का था। उसने पूछा, “तुझे BDSM पसंद है?” मैंने हाँ कह दिया, हालाँकि मुझे ज्यादा नहीं पता था। मैंने सोचा, “सेक्स ही होगा।” उसने मुझे अपने घर बुलाया। मैंने लाल मिनी स्कर्ट और काला टाइट टॉप पहना, नीचे काली लेस वाली ब्रा और पैंटी। उसके घर पहुंची। उसने मेरी आँखों पर काली पट्टी बांधी और मुझे एक ठंडी लकड़ी की टेबल पर लिटा दिया। उसने मेरे हाथ-पैर रस्सी से बांध दिए। मेरी चूत पहले से गीली थी। उसने मेरी स्कर्ट और टॉप फाड़ दिए। मेरी काली ब्रा और पैंटी नजर आईं। मैं चिल्लाई, “रोहन, ये क्या कर रहा है?” उसने कहा, “ये BDSM है, रंडी। तुझे बांधकर चोदा जाता है।” मैं और गर्म हो गई, “हाँ, चोदो मुझे…”
उसने मेरी ब्रा फाड़ दी। मेरे गोरे स्तन बाहर आ गए, मेरे गुलाबी निप्पल्स सख्त थे। उसने मेरे निप्पल्स को चुटकी में दबाया, “आह्ह… उह्ह…” मैं सिसकारियाँ भर रही थी। उसने मेरी पैंटी उतारी, मेरी गुलाबी चूत चमक रही थी। उसने मेरी चूत पर बर्फ का टुकड़ा रगड़ा। ठंडक से मेरी चूत में सनसनी दौड़ गई, “आह्ह… रोहन… ये क्या… उह्ह…” फिर उसने एक वाइब्रेटर मेरी चूत पर लगाया, जो मेरे दाने को तेजी से रगड़ रहा था। “आह्ह… और जोर से… मेरी चूत…” मैं पागल हो रही थी। उसने अपना 10 इंच का काला लंड मेरे मुँह के पास लाया। उसका सुपारा काला और चमकदार था। मैंने उसे मुँह में लिया, मेरी जीभ उसके सुपारे पर घूम रही थी। “गों… गों…” मेरे गले से आवाजें आ रही थीं।
उसने मेरी चूत पर दूसरी मशीन लगाई, जो लंड की तरह अंदर-बाहर हो रही थी। “फच-फच… थप-थप…” मेरी चूत की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… चोदो… मेरी चूत फाड़ दो…” तभी उसने मशीन हटाई और मेरी रस्सियाँ खोलीं। मैंने देखा कि वहाँ तीन और लड़के थे, सब नंगे, उनके लंड 8-9 इंच के, सुपारे गुलाबी और काले। मैं उनकी तरफ देखकर और गर्म हो गई।
उन्होंने मुझे पकड़ लिया। एक ने मेरे बाल खींचे, “रंडी, ले मेरा लंड!” दूसरा मेरे स्तनों को चूस रहा था, मेरे निप्पल्स को दाँतों से काट रहा था। “आह्ह… धीरे…” तीसरा मेरी गांड पर थप्पड़ मार रहा था, “पट-पट…” मेरी गांड लाल हो गई। रोहन ने मेरी चूत में अपना मोटा लंड डाला। “थप-थप-थप…” उसका लंड मेरी चूत को रगड़ रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… रोहन… और जोर से… मेरी चूत फाड़ दो…” दूसरा लड़का मेरी गांड में लंड डाल रहा था। “आह्ह… मेरी गांड… धीरे…” तीसरा मेरे मुँह में लंड डालकर चुसवा रहा था।
उन्होंने मुझे कुतिया बनाकर चोदा। रोहन ने मुझे गोद में उठाया, मेरी टांगें फैलाईं, और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरे दाने को चूस रही थी, “उम्म… आह्ह…” मैं पागल हो रही थी। उसने बर्फ का टुकड़ा मेरी चूत पर फिर से रगड़ा, फिर अपना लंड डाला। “थप-थप…” मैं चिल्ला रही थी, “हाँ… चोदो… मेरी चूत मारो…” फिर उसने मुझे उल्टा किया, मेरी गांड में लंड डाला। “आह्ह… रोहन… मेरी गांड फट रही है…” वो मेरे बाल खींच रहा था, “रंडी, ले मेरा लंड… तेरी गांड फाड़ दूंगा…” मैं चिल्ला रही थी, “हाँ… मारो… मेरी गांड फाड़ दो…”
सारी रात वो मुझे चोदते रहे। कभी मेरी चूत, कभी मेरी गांड, कभी मेरा मुँह। सुबह तक मैं थककर चूर हो गई। मेरी चूत और गांड सूज गई थीं। लेकिन सुबह फिर से उन्होंने मुझे चोदा। मैं इतना चुद चुकी थी कि मेरे पैर काँप रहे थे। कॉलेज में मैं अब एक रंडी थी। मैं छोटे-छोटे कपड़े पहनने लगी—मिनी स्कर्ट, टाइट टॉप—और पैसे लेकर चुदवाने लगी। मेरे स्तन और गांड का साइज बढ़ गया। मैं ग्रुप सेक्स करती, और मेरी जिंदगी मजे से चल रही थी।
अब मेरे वर्तमान की बात। मेरी जिंदगी बोरिंग हो गई थी। मेरे पति को मेरे अतीत का कुछ नहीं पता था। एक दिन हमारे घर में किराए के लिए एक आदमी आया। वो रोहन था, वही जो कॉलेज में मुझे BDSM में चोदता था। हमने एक-दूसरे को पहचान लिया। मैं अंदर से गर्म हो गई। मैंने उसे किराए पर रख लिया। उस रात मेरे पति घर पर नहीं थे। रोहन का मैसेज आया। मैंने उससे उसके काले लंड की तस्वीर मांगी। उसने भेजी, उसका 10 इंच का लंड और मोटा हो गया था। मैं हवस में डूब गई। मैंने उसे नीचे वाले कमरे में बुलाया।
मैंने पारदर्शी लाल साड़ी पहनी थी, नीचे काली लेस वाली ब्रा और पैंटी। मेरे गुलाबी निप्पल्स ब्रा से दिख रहे थे। रोहन ने मुझे कमरे में खींचा, मेरे होंठों पर अपने होंठ रखे। हम पागलों की तरह चूमने लगे। उसने मेरी गांड को दबाया, मेरी साड़ी ऊपर उठाई। मैंने उसकी काली पैंट खोली, उसका मोटा काला लंड बाहर आया। मैं घुटनों पर बैठ गई, उसके सुपारे को चाटने लगी। “उम्म… आह्ह…” उसका लंड मेरे मुँह में था। वो मेरे बाल पकड़कर गालियाँ दे रहा था, “रंडी, चूस मेरा लंड… पूरा ले…” मैंने और जोश में चूसा। फिर उसने मुझे बेड पर फेंका, मेरी साड़ी उतारी। मेरी काली ब्रा और पैंटी नजर आईं। उसने मेरी ब्रा फाड़ दी, मेरे गुलाबी निप्पल्स को चूसा। “आह्ह… रोहन… मेरे चूचे चूसो…”
उसने मेरी पैंटी उतारी, मेरी गीली चूत को चाटा। उसकी जीभ मेरे दाने पर थी, “उम्म… आह्ह…” मैं सिसकारियाँ भर रही थी। उसने बर्फ का टुकड़ा मेरी चूत पर रगड़ा, फिर अपना लंड डाला। “थप-थप-थप…” उसका लंड मेरी चूत को फाड़ रहा था। मैं चिल्ला रही थी, “आह्ह… रोहन… चोदो… मेरी चूत फाड़ दो…” तभी छवि कमरे में आ गई। उसने लाइट जलाई। मैं और रोहन नंगे थे। छवि चिल्लाई, “मम्मी, ये क्या कर रही हो?” रोहन ने छवि को पकड़ लिया, उसे बेड पर बिठाया। मैंने कहा, “छवि, ये सब नॉर्मल है। अगर तेरा मन है, तो तू भी कर सकती है।”
छवि ने पहले थोड़ा नखरा किया, लेकिन रोहन ने उसका मुँह पकड़ा, अपना लंड उसके मुँह में डाला। छवि ने चूसना शुरू किया, “उम्म… गों…” उसकी आवाजें आ रही थीं। मैंने छवि की नीली जीन्स और सफेद टॉप उतारा। उसकी भारी गांड और मध्यम स्तन नजर आए। उसकी गुलाबी चूत गीली थी। रोहन ने छवि की चूत चाटी, उसकी जीभ उसके दाने पर थी। “आह्ह… मम्मी… ये कितना मोटा है…” छवि सिसकारियाँ भर रही थी। मैं उसकी गांड पर थप्पड़ मार रही थी, “हाँ, बेटी… ले इस लंड को…” रोहन ने हमें रात भर चोदा, कभी मेरी चूत, कभी छवि की गांड। उसने छवि को कुतिया बनाकर चोदा, फिर मुझे गोद में उठाकर चोदा। “थप-थप… फच-फच…” हमारी चूतों की आवाजें कमरे में गूंज रही थीं।
अब हमारी जिंदगी मजे से चल रही है। रोहन की वजह से हमें और लंड मिल जाते हैं। छवि भी मेरी तरह बन गई है। मैं चाहती हूँ कि हर लड़की अपनी हवस को जीए, और लड़कों से कहना चाहती हूँ कि जबरदस्ती न करें। हम जैसी लड़कियाँ खुशी से सब करती हैं।
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