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कक की रसीली ख्वाहिश

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(1790)

मेरा नाम अर्जुन शर्मा है। मैं 26 साल का हूँ और दिल्ली के एक मल्टीनेशनल कंपनी में मार्केटिंग मैनेजर हूँ। मेरी गर्लफ्रेंड, नीलम वर्मा, 24 की है और एक मेडिकल कॉलेज में फाइनल ईयर की स्टूडेंट है। हम दोनों ढाई साल से साथ हैं, और हमारा रिश्ता बिल्कुल दोस्ताना और मस्तीभरा है। हम एक-दूसरे को मजाक में “कमीना” या “पागल” कहते हैं, कभी-कभी तो “बेवकूफ” भी बोल देते हैं, और ये हँसी-मजाक हमारी जिंदगी का हिस्सा है। लेकिन कुछ वक्त पहले एक ऐसी रात आई, जिसने मेरी जिंदगी को उलट-पुलट कर दिया। ये कहानी उसी रात की है, जब नीलम ने मेरे दिल की सबसे गहरी, सबसे शर्मनाक ख्वाहिश को खोज लिया और उसे आग की तरह भड़का दिया।

मैं हमेशा से थोड़ा इंट्रोवर्ट और ओवरथिंकिंग करने वाला इंसान रहा हूँ। नीलम के साथ मेरा रिश्ता भले ही प्यार और भरोसे पर टिका है, लेकिन कभी-कभी मुझे जलन होती थी। खासकर तब, जब वो अपने कॉलेज के लैब पार्टनर, विवेक चौहान, के साथ ज्यादा वक्त बिताने लगी। विवेक एक लंबा, गोरा, और कॉन्फिडेंट लड़का है। उसकी स्माइल और बात करने का ढंग ऐसा है कि लड़कियाँ उसकी तरफ खिंची चली जाती हैं। वो और नीलम अपने मेडिकल प्रोजेक्ट्स पर घंटों साथ काम करते थे, कभी लैब में, तो कभी कॉलेज की लाइब्रेरी में। मैंने कभी नीलम से शक की बात नहीं की, लेकिन मेरे दिमाग में सवाल उठते थे। क्या वो सिर्फ़ दोस्त हैं? या कुछ और? ये ख्याल मेरे दिल को चुभते थे, और धीरे-धीरे ये चुभन एक अजीब सी उत्तेजना में बदल गई।

पिछले कुछ महीनों से मैंने इंटरनेट पर कुछ देसी सेक्स कहानियाँ पढ़ना शुरू किया। ऐसी कहानियाँ, जिनमें लोग अपनी गर्लफ्रेंड या बीवी को किसी और मर्द के साथ देखने की फंतासी लिखते थे। अंग्रेजी में इसे cuckolding कहते हैं, लेकिन हमारे देसी मिजाज में ये बस “अपनी औरत को किसी और के साथ देखने की गर्मी” है। पहले मुझे ये सब गलत और अजीब लगा। मैं सोचता था, “कौन ऐसा सोच सकता है?” लेकिन रात को अकेले में, जब मैं ऐसी कहानियाँ पढ़ता, तो मेरा लंड खड़ा हो जाता। मैंने एक ऑनलाइन फोरम पर, जहाँ कोई मेरी पहचान नहीं जान सकता था, अपनी भावनाओं को लिखना शुरू किया। मैंने नीलम और विवेक के बारे में काल्पनिक कहानियाँ लिखीं—कैसे वो लैब में अकेले होते हैं, कैसे विवेक नीलम की कमर को छूता है, कैसे वो उसकी सलवार के ऊपर से उसकी चूत को सहलाता है, और कैसे मैं ये सब देखकर जलता हूँ, लेकिन मेरा लंड बेकाबू हो जाता है। ये मेरी निजी फंतासियाँ थीं, जिन्हें मैं सिर्फ़ अपने दिमाग तक रखना चाहता था।

एक रात की बात है। मैं और नीलम उसके किराए के फ्लैट में थे। बाहर हल्की बारिश हो रही थी, और हम दोनों सोफे पर लेटकर नेटफ्लिक्स देख रहे थे। हमने ऑनलाइन खाना ऑर्डर किया था, और डिलीवरी वाला नीचे लॉबी में आ गया। मैं खाना लेने के लिए नीचे गया, लेकिन जल्दबाजी में अपना फोन सोफे पर ही छोड़ गया। नीलम को मेरा पासवर्ड नहीं पता था, लेकिन मुझे भूल गया था कि उसका फिंगरप्रिंट मेरे फोन में रजिस्टर्ड है। उसने मेरा फोन खोला और मेरे ऐप्स में टहलने लगी। मेरा फोरम वाला ऐप खुला हुआ था, और मेरी सारी कहानियाँ मेरे प्रोफाइल में साफ दिख रही थीं।

जब मैं खाना लेकर वापस आया, तो देखा कि नीलम मेरा फोन पकड़े हुए है। उसका चेहरा गंभीर था, लेकिन उसकी आँखों में एक शरारत थी। मेरी तो साँस अटक गई। मैंने घबराते हुए कहा, “नीलम, ये क्या कर रही है? मेरा फोन दे!” लेकिन उसने फोन को अपनी छाती से चिपकाया और बोली, “पहले बता, अर्जुन, ये क्या बकवास है? तू इस फोरम पर क्या कर रहा है?” मैंने हकलाते हुए कहा, “अरे, कुछ नहीं… मैं तो बस कुछ टिप्स और आइडियाज पढ़ता हूँ। ये बहुत काम का है।” लेकिन नीलम ने मेरी आँखों में देखा और कहा, “अच्छा? तो ये ‘कक’ वाला क्या माल है? तूने मेरे और विवेक के बारे में क्या-क्या लिखा है?”

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मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मैंने सोचा था कि ये राज मेरे साथ कब्र तक जाएगा, लेकिन अब मैं पकड़ा गया था। मैंने झूठ बोलने की कोशिश की, “अरे, वो मैंने नहीं लिखा… कोई और होगा।” लेकिन नीलम ने मुझे तुरंत टोक दिया, “झूठ मत बोल, अर्जुन। मैंने तेरे प्रोफाइल में सारी पोस्ट्स देखीं। तूने लिखा है कि तुझे विवेक के साथ मुझे… उसी तरह देखने का मन करता है।” मेरी हवा निकल गई। मेरी हथेलियाँ पसीने से भीग रही थीं, और मेरे दिमाग में बस एक ही ख्याल था—अब नीलम मुझे छोड़ देगी, या मेरा मजाक उड़ाएगी।

मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “देख, नीलम, मैं बस थोड़ा परेशान था। मैंने कुछ देसी वीडियोज और कहानियाँ देखीं, जिसमें लोग अपने पार्टनर के चीटिंग की बात करते थे। मुझे गुस्सा आता था, लेकिन… पता नहीं क्यों, ये सब सोचना मुझे थोड़ा… अच्छा लगा। बस, मैंने अपने ख्याल लिख दिए।” नीलम मुझे देख रही थी, और उसके चेहरे पर एक अजीब सी मुस्कान थी। वो मुस्कान, जो वो तब देती है, जब वो किसी की कमजोरी पकड़ लेती है, लेकिन उसे मजा भी आ रहा होता है। उसने मेरे करीब आते हुए कहा, “तो तू एक कक है, अर्जुन? तूने तो लिखा है कि तुझे विवेक के साथ मुझे चुदते हुए देखने का मन करता है। क्या तू सचमुच सोचता है कि मैं वैसी हूँ? या ये तेरी गंदी फंतासी है?”

हम दोनों मजाक में एक-दूसरे को “कमीना” या “पागल” कहते थे, और “कक” भी एक ऐसा शब्द था, जो वो पहले मजाक में बोल चुकी थी। लेकिन अब वो इसे गंभीरता से कह रही थी। मैंने घबराते हुए कहा, “नहीं, नीलम, तू वैसी नहीं है। मैं कक नहीं हूँ। बस मेरे दिमाग में कुछ गलत ख्याल आए, और मैंने उन्हें लिख दिया।” लेकिन नीलम ने मेरी बात को हल्के में लिया और हँस दी। वो मेरे और करीब आई, मेरे कंधे पर हाथ रखा, और बोली, “सचमुच? तू पक्का नहीं है? शायद तुझे ट्राई करना चाहिए। जब तक ट्राई नहीं करेगा, कैसे पता चलेगा?”

वो मेरे सामने खड़ी थी, और उसकी आवाज में एक शरारत थी। मैं सोफे पर बैठा था, और उसने अचानक मेरे ऊपर चढ़कर मुझे चिढ़ाना शुरू कर दिया। “बता ना, अर्जुन, तुझे सचमुच मजा आएगा अगर मैं विवेक के साथ…” उसने अपनी बात अधूरी छोड़ी और मेरे गालों को चुटकी से खींचा। मैंने कहा, “नहीं, नीलम, ये सब गलत है। मैं ऐसा नहीं चाहता।” लेकिन उसने मेरी बात अनसुनी कर दी और मेरे कान के पास फुसफुसाते हुए बोली, “तेरी कहानियों में तो ऐसा नहीं लगता, मिस्टर। तू चाहता है कि मैं किसी और का मोटा लंड लूँ, है ना?”

उसके मुँह से “लंड” सुनते ही मेरे बदन में करंट दौड़ गया। मेरा लंड तुरंत टाइट हो गया, और मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाया। मैंने नीलम को अपनी बाहों में खींच लिया और उसे जोर से चूमना शुरू कर दिया। उसकी होंठों की नरमी और उसकी गर्म साँसें मुझे पागल कर रही थीं। वो हँस रही थी, लेकिन मेरी बेताबी देखकर उसने भी मेरा साथ देना शुरू कर दिया। मैंने उसकी टाइट टी-शर्ट उतारी, और उसकी काली ब्रा में कैद उसकी गोल, मुलायम चूचियाँ मेरे सामने थीं। मैंने ब्रा का हुक खोला और उसकी चूचियों को आजाद कर दिया। उसके निप्पल्स गुलाबी और सख्त थे, और मैंने उन्हें मुँह में लेकर चूसना शुरू किया।

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नीलम सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… अर्जुन… इतना जोश? ये क्या हो गया तुझे?” मैंने उसकी आँखों में देखा और कहा, “तूने मुझे दीवाना कर दिया, नीलम।” उसने फिर से शरारत भरी मुस्कान दी और बोली, “तो तुझे ये सब सोचकर मजा आता है, है ना? बोल, तू चाहता है कि मैं विवेक का लंड लूँ?” उसके शब्द मेरे दिमाग में आग लगा रहे थे। मैंने उसकी जीन्स खोली और उसकी गीली पैंटी को एक तरफ सरकाया। उसकी चूत चमक रही थी, और मैंने अपनी उंगलियाँ उसकी चूत पर फिराईं। वो तड़प उठी, “आह… अर्जुन… मत तड़पा…”

मैंने उसकी टाँगें चौड़ी कीं और अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ना शुरू किया। नीलम की चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से फिसल रहा था। मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत में डाला, और उसकी गर्मी ने मुझे और पागल कर दिया। मैंने धक्के मारना शुरू किया, और वो मेरे कंधों को नाखूनों से खरोंचते हुए सिसकारियाँ ले रही थी, “आह… और जोर से… चोद मुझे, अर्जुन!” मैंने उसकी चूचियों को जोर से दबाया और उसकी गर्दन पर काटने लगा। वो चीख रही थी, “हाँ… ऐसे ही… मुझे रंडी बना दे!”

मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियाँ और तेज हो रही थीं। उसने मेरे कान में फुसफुसाया, “बता, अर्जुन… तुझे कैसा लगेगा अगर विवेक मुझे ऐसे चोदे? उसका मोटा लंड मेरी चूत में… तू देखेगा ना?” मैंने कुछ नहीं कहा, लेकिन मेरे धक्के और तेज हो गए। मैंने उसे पलट दिया और उसे घोड़ी बनाया। उसकी गोल, मुलायम गांड मेरे सामने थी, और मैंने अपना लंड उसकी चूत में पीछे से पेल दिया। मैंने उसके बाल पकड़े और जोर-जोर से धक्के मारने लगा। नीलम की चीखें पूरे कमरे में गूंज रही थीं, “आह… अर्जुन… और जोर से… मुझे चोद…!”

कुछ मिनट बाद, मैंने महसूस किया कि वो झड़ने वाली है। उसकी चूत मेरे लंड को और टाइट पकड़ रही थी। मैंने अपनी स्पीड और बढ़ा दी, और कुछ और धक्कों के बाद, नीलम जोर से चीखी और झड़ गई। उसकी चूत से गर्म पानी मेरे लंड पर बहने लगा, और मैं भी अपने चरम पर था। मैंने आखिरी बार जोर से धक्का मारा और अपना सारा माल उसकी चूत में छोड़ दिया। हम दोनों हाँफते हुए सोफे पर गिर पड़े।

नीलम मेरे सीने पर सिर रखकर हाँफ रही थी। उसने हँसते हुए कहा, “अर्जुन, मैंने कभी नहीं सोचा था कि तू इतना जंगली हो सकता है। ये कक वाला ख्याल तुझे इतना गर्म कर देगा!” मैंने शर्माते हुए कहा, “पता नहीं, नीलम। मुझे बस… ये सोचकर कुछ होता है। लेकिन मैं नहीं चाहता कि ये सच हो।” उसने मेरे होंठों पर एक गहरा चुम्मा दिया और बोली, “सचमुच? मुझे तो लगता है तुझे बहुत मजा आएगा। और मुझे भी… शायद।”

उस रात के बाद, हमारी जिंदगी में एक नया रंग जुड़ गया। नीलम अब हर बार सेक्स के दौरान मुझे चिढ़ाती है। कभी वो विवेक का नाम लेती है, तो कभी कहती है, “क्या पता, मैं किसी और से चुदवाऊँ?” और हर बार, मैं खुद को कंट्रोल नहीं कर पाता। एक हफ्ते बाद, हम फिर से उसके फ्लैट में थे। वो मेरे साथ लिपटकर बैठी थी, और अचानक बोली, “अर्जुन, कल विवेक ने मुझे लैब में अकेले में बुलाया था।” मेरी साँस रुक गई। मैंने पूछा, “क्या हुआ?” उसने हँसते हुए कहा, “कुछ नहीं, बस प्रोजेक्ट की बात थी। लेकिन तू तो जल रहा है, है ना? बोल, तुझे क्या लगता है, मैंने क्या किया?”

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मैंने कुछ नहीं कहा, लेकिन मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। उसने मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को सहलाया और बोली, “देख, कितना गर्म हो रहा है तू। तुझे तो ये सोचकर ही मजा आता है।” उसने मुझे सोफे पर धक्का देकर लिटा दिया और मेरी पैंट उतार दी। उसने मेरा लंड अपने मुँह में लिया और उसे जोर-जोर से चूसने लगी। उसकी जीभ मेरे लंड के टोपे पर घूम रही थी, और मैं सिसकारियाँ ले रहा था। उसने चूसते हुए कहा, “बता, अर्जुन, तुझे कैसा लगेगा अगर मैं विवेक का लंड ऐसे चूसूँ?” मैंने सिसकारी लेते हुए कहा, “नीलम… बस कर… तू मुझे पागल कर देगी।”

उसने मेरे लंड को और गहराई तक लिया, और उसकी गर्म साँसें मेरे बदन में आग लगा रही थीं। कुछ देर बाद, उसने अपनी जीन्स और पैंटी उतारी और मेरे ऊपर चढ़ गई। उसने मेरा लंड अपनी चूत पर सेट किया और धीरे-धीरे उसे अंदर लिया। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर चला गया। वो मेरे ऊपर उछलने लगी, और उसकी चूचियाँ मेरे मुँह के सामने हिल रही थीं। मैंने उसकी चूचियों को पकड़ा और उन्हें जोर से चूसने लगा। वो चीख रही थी, “आह… अर्जुन… तू चाहता है ना कि मैं किसी और से ऐसे चुदूँ? बोल… तुझे मजा आएगा ना?”

मैंने उसकी कमर पकड़ी और उसे और जोर से उछालना शुरू किया। उसकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी, और मैं महसूस कर सकता था कि वो फिर से झड़ने वाली है। मैंने कहा, “नीलम… तू मेरी है… लेकिन… हाँ, मुझे ये सोचकर गर्मी चढ़ती है।” उसने मेरे होंठों पर जोर से चूमा और कहा, “तो फिर देख ले, अर्जुन… मैं तुझे ऐसा मजा दूँगी कि तू भूल जाएगा।”

हमने उस रात कई बार चुदाई की। हर बार, नीलम मुझे विवेक के नाम से चिढ़ाती, और मैं और जंगली हो जाता। लेकिन इस सारे मजे के बीच, मेरे दिल में एक डर भी है। मैं नीलम से बहुत प्यार करता हूँ, और मुझे डर है कि कहीं ये फंतासी हकीकत न बन जाए। मैं नहीं चाहता कि वो सचमुच किसी और के साथ जाए, लेकिन जब वो ये बातें करती है, तो मेरी वासना मुझे कंट्रोल कर लेती है। मैं जानता हूँ कि मैंने एक ऐसी आग में कदम रख दिया है, जो मुझे जला सकती है। लेकिन अभी के लिए, मैं इस आग में जलना चाहता हूँ। नीलम को भी ये खेल पसंद है, और शायद यही हमारा नया सच है।

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