मेरा नाम पंकज है, मैं 30 साल का हूँ, और राँची का रहने वाला हूँ। ये कहानी आज से 6 साल पुरानी है, जब मेरी शादी नहीं हुई थी। उस वक्त मेरी राँची में नई-नई जॉब लगी थी, लेकिन जॉब शुरू होने से पहले मुझे पटना में ट्रेनिंग के लिए जाना था। कंपनी की तरफ से रहने के लिए एक कमरा मिलना था, तो मैंने सोचा सब सेट है। तय तारीख को मैं पटना पहुँच गया। वहाँ मेरी मुलाकात अपने पुराने दोस्त कमाल से हुई, जो उसी कंपनी में काम करता था। कमाल ने जिद पकड़ ली कि मैं उसके घर पर ही रुकूँ। मैंने पहले तो मना किया, लेकिन उसकी जिद के आगे हार मानकर मैं उसके साथ चला गया।
कमाल के घर में सिर्फ वो और उसकी बीवी शमा रहते थे। जब हम घर पहुँचे, कमाल ने बेल बजाई। दरवाजा खुला तो मैं एकदम से ठिठक गया। सामने शमा भाभी थी, एक टाइट वन-पीस नाइटी में, जिससे उनका फिगर एकदम साफ झलक रहा था। उनकी कमर, उनके कर्व्स, और वो भरी-भरी छाती… यार, क्या माल थी! मैं तो बस देखता ही रह गया। कमाल ने मुझे हल्का सा धक्का दिया और हँसते हुए बोला, “क्या यार, यहीं खड़ा रहेगा या अंदर भी आएगा?” मैं झेंप गया और जल्दी से अंदर चला गया।
हम दोनों सोफे पर बैठे। शमा भाभी पानी लेकर आईं। मैंने गिलास पकड़ा, लेकिन मेरी नजर बार-बार उनकी नाइटी के उस पार झाँक रही थी। उनकी चाल, वो मुस्कान, सब कुछ जैसे मेरे दिमाग में आग लगा रहा था। हमने खूब बातें कीं, पुरानी यादें ताजा कीं। फिर खाने का वक्त हुआ। शमा भाभी ने आवाज लगाई, “खाना तैयार है, आ जाओ!” कमाल वॉशरूम गया और कपड़े बदलकर आया। हम तीनों ने साथ में खाना खाया। खाने के दौरान कमाल ने कहा, “पंकज, आज से ये रूम तेरा है। आराम से रह।” रूम देखा तो कमाल का, सजा-संवरा, बिल्कुल पर्फेक्ट। मैंने कहा, “ठीक है, भाई।”
खाने के बाद हम टीवी देखने लगे। शमा भाभी किचन में अपना काम निपटाने लगीं। अभी तक मेरे और भाभी के बीच कोई खास बात नहीं हुई थी। थोड़ी देर बाद वो अपने कमरे में जाने लगीं। जाते-जाते बोलीं, “पंकज, कुछ चाहिए तो बेझिझक बोल देना।” उनकी आवाज में एक अजीब सी मिठास थी। मैंने बस “हाँ, ठीक है भाभी” कहकर टाल दिया। फिर मैं भी अपने रूम में चला गया।
रात को मुझे याद आया कि मैं लुंगी लाना भूल गया। मैंने कमाल से कहा, “यार, एक एक्स्ट्रा लुंगी हो तो दे दे।” कमाल ने हँसते हुए कहा, “शमा से माँग ले।” मैं थोड़ा हिचकिचाया, लेकिन फिर उसके रूम की तरफ चला गया। दरवाजा खटखटाया और अंदर गया। जो नजारा देखा, वो मेरे होश उड़ा गया। शमा भाभी सिर्फ पैंटी में थीं, ऊपर से ब्रा पहन रही थीं। उनके गोरे-गोरे बूब्स, वो पतली कमर, और वो पैंटी जो बस नाम की थी… मैं तो बस देखता रह गया। भाभी ने मुझे देखा और बिना जरा भी शर्माए बोलीं, “क्या चाहिए?” मैं हकलाते हुए बोला, “लु…लुंगी मिलेगी?” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “हाँ, मिलेगी। पर पहले इधर आ, मेरी ब्रा का हुक लगा दे।”
मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। मैं उनके पास गया, मेरे हाथ काँप रहे थे। जैसे-तैसे मैंने ब्रा का हुक लगाया। उनकी पीठ की वो मुलायम त्वचा मेरे उंगलियों को छू रही थी। फिर वो उसी हालत में, सिर्फ ब्रा-पैंटी में, अलमारी से लुंगी निकालकर मुझे दे दीं। मैं लुंगी पकड़कर अपने रूम में भागा। दिमाग में बस एक ही बात घूम रही थी—ये क्या हो रहा है? शमा भाभी इतनी बिंदास क्यों थी? क्या कमाल को पता है? मैं बिस्तर पर लेट गया, लेकिन नींद कहाँ आने वाली थी। मेरा लंड खड़ा था, और दिमाग में शमा भाभी का नंगा बदन बार-बार घूम रहा था।
थोड़ी देर बाद कमाल ने आवाज लगाई, “पंकज, चाय पी ले!” मैं अपने लंड को लुंगी में एडजस्ट करके हॉल में गया। शमा भाभी ने मेरी तरफ देखकर एक नशीली सी मुस्कान दी और चाय की ट्रे रख दी। चाय पीते वक्त कमाल ने कहा, “यार, मुझे एक जरूरी काम से बाहर जाना है। अब तू यहाँ है, तो मुझे शमा की कोई चिंता नही।” मैंने कहा, “हाँ भाई, तू बेफिक्र होकर जा।” कमाल रात को ही निकल गया। अब घर में सिर्फ मैं और शमा भाभी थे।
मैं अपने रूम में लौटा, लेकिन मेरा लंड शांत होने का नाम ही नहीं ले रहा था। मैं बाथरूम गया, ठंडा पानी डाला, लेकिन वो साला और तन गया। आधा घंटा परेशान रहने के बाद मैंने सोचा, चलो देखते हैं भाभी क्या कर रही हैं। मैं कमाल के रूम की तरफ गया। दरवाजा हल्का सा खुला था। मैंने पर्दा थोड़ा सा हटाया और जो देखा, उससे मेरा दिमाग और लंड दोनों पागल हो गए। शमा भाभी बिल्कुल नंगी बिस्तर पर लेटी थीं, जैसे मेरा ही इंतजार कर रही हों।
मैं खड़ा ही रहा, तो भाभी ने नशीली आवाज में कहा, “पंकज, अंदर आ जा!” मैं अंदर गया और हिम्मत जुटाकर पूछा, “भाभी, ये क्या माजरा है? मेरी चाय में क्या मिलाया था?” वो हँसते हुए बोलीं, “वायग्रा की गोली, और क्या!” मैं गुस्से में बोला, “ये गलत किया तुमने!” लेकिन मेरे बोलने से पहले ही भाभी ने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। वो मेरे होंठों को ऐसे चूस रही थीं जैसे भूखी शेरनी। मैं एक पल को कमाल के बारे में सोचने लगा—ये साला अपनी बीवी को मेरे हवाले करके कहाँ चला गया? लेकिन फिर भाभी की गर्मी ने मेरे सारे डर भगा दिए।
मैंने भी अब साथ देना शुरू किया। भाभी मेरे होंठ चूसते हुए मेरे बालों में उंगलियाँ फिराने लगीं। धीरे-धीरे वो मेरी छाती पर आईं, मेरे निप्पल्स को चाटने लगीं। मेरी लुंगी कब खुल गई, पता ही नहीं चला। अचानक भाभी ने मुझे धक्का दिया, और मैं बिस्तर पर गिर गया। वो मेरे ऊपर चढ़ीं और मेरे लंड को अपने मुलायम हाथों में पकड़ लिया। यार, क्या बताऊँ, मेरी तो साँसें रुक गईं। फिर उन्होंने मेरे लंड को अपने मुँह में लिया और चूसने लगीं। उनकी जीभ मेरे सुपारे पर ऐसे घूम रही थी जैसे कोई लॉलीपॉप चूस रही हो। मैं “आह… आह…” करने लगा। मैंने उन्हें अपनी ओर खींचना चाहा, लेकिन वो मेरे लंड को छोड़ने को तैयार ही नहीं थीं।
दस मिनट तक मेरे लंड को चूसने के बाद वो मेरे ऊपर चढ़ीं और मेरे सीने को चाटने लगीं। उनकी जीभ मेरे निप्पल्स पर फिसल रही थी, और मैं बस सिहर रहा था। फिर मैंने एकदम पलटकर उन्हें नीचे किया और उनके होंठों को चूसने लगा। मेरे हाथ उनके भारी-भारी बूब्स पर चले गए। मैंने उनके बूब्स को जोर-जोर से दबाया, उनके निप्पल्स को मुँह में लेकर चूसा। वो सिसकारियाँ भरने लगीं, “आह पंकज… और जोर से…” मैं उनके गले को चाटते हुए नीचे गया, उनके बूब्स को दाँतों से हल्का-हल्का काटा। फिर मैं उनकी नाभि तक पहुँचा। मैंने अपनी जीभ उनकी नाभि में डाली, उनकी लार से उसे भिगोया, और फिर चूसने लगा। शमा भाभी तड़प रही थीं, उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं— “आह… उह… पंकज, और करो!”
जब मेरी जीभ उनकी चूत तक पहुँची, वो एकदम अकड़ गईं। उनकी चूत गीली थी, और मैंने उनकी चूत का सारा रस पी लिया। वो जोर-जोर से सिसक रही थीं, “आह… पंकज… बस करो ना!” लेकिन मैं कहाँ रुकने वाला था। मैंने अपने लंड को उनकी चूत पर रगड़ा। वो बोलीं, “पंकज, अब डाल भी दो!” मैंने हँसते हुए कहा, “रंडी साली, क्या डालूँ?” वो इठलाकर बोलीं, “अपना लंड पेल दे बाबू!” मैंने उनके चूत के होंठों को अपने सुपारे से हल्का सा खोला और धीरे-धीरे लंड अंदर डालने लगा। वो सिहर उठीं, “आह… धीरे डालो पंकज… तेरा लंड कमाल से दुगना मोटा है!”
मैंने चौंकते हुए पूछा, “क्या? कमाल को सब पता है?” वो बोलीं, “हाँ, उसी ने तो मुझे कहा कि तुझे चोदने दूँ। मैं उससे प्यार करती हूँ, लेकिन उसका लंड छोटा है। तू बस मुझे चोद, बाकी बाद में सोचेंगे।” ये सुनकर मेरा सारा डर खत्म हो गया। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया। वो चिल्लाईं, “आह… मर गई!” मैंने फिर एक और धक्का मारा, और इस बार मेरा पूरा लंड उनकी चूत की जड़ तक चला गया। वो रोने लगीं, लेकिन मैंने उनके एक बूब को मुँह में लिया और चूसने लगा। धीरे-धीरे उनका दर्द कम हुआ, और वो कमर उठाकर मेरा साथ देने लगीं।
मैंने धीरे-धीरे धक्के लगाने शुरू किए। वो सिसकार रही थीं, “आह पंकज… पेल दे… और जोर से!” मैं उनके बूब्स चूसते हुए, उनकी चूत को धकाधक चोदने लगा। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड हर धक्के में और कड़क हो रहा था। थोड़ी देर बाद वो बोलीं, “आह… और जोर से… मैं झड़ने वाली हूँ!” मैंने ताबड़तोड़ धक्के मारे, और वो चादर को मुट्ठियों में भींचते हुए झड़ गईं। मैंने उन्हें घोड़ी बनाया और पीछे से उनकी गांड को थपथपाते हुए लंड पेल दिया। उनकी गांड का गोलापन देखकर मैं और पागल हो गया। मैंने उनकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से चोदने लगा। वो फिर से सिसक रही थीं, “आह… पंकज… फाड़ दे मेरी चूत!”
मैं भी अब झड़ने के करीब था। मैंने और तेज धक्के मारे, और आखिरकार “आह… उह…” करते हुए उनकी चूत में ही झड़ गया। झड़ते वक्त मेरा पूरा शरीर काँप रहा था। मैं उनके ऊपर ही ढेर हो गया। थोड़ी देर बाद हम अलग हुए और बाथरूम गए। वहाँ हमने एक-दूसरे को साबुन लगाया। मैंने उनके बूब्स, उनकी गांड, और उनकी चूत पर खूब साबुन मला। वो मेरे लंड को सहलाते हुए बोलीं, “पंकज, तू तो कमाल से कहीं बेहतर है।” मैंने कहा, “शमा, क्या तू मुझसे प्यार नहीं कर सकती?” वो बोलीं, “प्यार तो कमाल से है, लेकिन जब तू चाहे, मैं तेरे लंड के लिए तैयार हूँ।”
उनके स्पर्श से मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने उन्हें बाथरूम में ही घोड़ी बनाया और फिर से चोदना शुरू कर दिया। इस बार मैंने उनकी गांड को और जोर-जोर से थपथपाया, और वो चिल्ला रही थीं, “आह… पंकज… और मार… मेरी गांड लाल कर दे!” मैंने उन्हें फिर से चोदा, और जब फारिग हुआ, तो रात के दो बज चुके थे। शमा भाभी ने कहा, “आज मेरे साथ ही सो जा।” मैं हँस दिया और उनके साथ नंगा ही सो गया।
दोस्तो, मैं कमाल के घर में एक महीना रहा। उस दौरान मैंने शमा भाभी को ना जाने कितनी बार चोदा। हर बार वो मुझे पूरी गर्मी के साथ मिलीं। अब भी जब मैं पटना जाता हूँ, उनकी चूत और गांड का मजा लेता हूँ। ये मेरी पहली सेक्स कहानी है। आप सबको कैसी लगी? अपनी राय जरूर बताएँ, ताकि मैं और ऐसी चुदाई की कहानियाँ लिख सकूँ। मेरा ईमेल है [email protected]।