Biwi adla badli sex story – Wife swap sex story: मेरा नाम निश्चय है। मैं गुजरात के एक छोटे से कस्बे में रहता हूँ, जहाँ की गलियों में देसी मस्ती की महक बसी रहती है। मेरा कद 5 फीट 7 इंच है, रंग साँवला, लेकिन मेरी पर्सनालिटी में वो ठसक है कि लड़कियाँ मेरी ओर खींची चली आती हैं। कॉलेज के दिनों में मैं लड़कियों का फेवरेट था। मेरी बातों की चाशनी और 11 इंच के मोटे लौड़े ने कई चूतों को मस्त किया है। लड़कियाँ मेरे लौड़े को चूसकर पागल हो जाती थीं, और मुझे उनकी चूंचियों को दबाने-चूसने में गजब का मजा आता था। लेकिन चोदने के लिए मुझे हर बार पापड़ बेलने पड़ते थे, क्योंकि अच्छी चूत आसानी से नहीं मिलती।
अब मैं अपनी असली कहानी पर आता हूँ। मैं 32 साल का हूँ, शादीशुदा हूँ, और मेरी बीवी रीना 29 साल की है। रीना गोरी-चिट्टी है, उसकी आँखें कजरारी, और बदन ऐसा कि देखकर लौड़ा तन जाए। उसके मम्मे 36D के हैं, जो मैंने दबा-दबाकर और बड़े कर दिए। अब वो हल्के लटकते हैं, लेकिन उनकी मुलायमियत मुझे दीवाना बनाती है। उसकी चूत गुलाबी और रसीली थी, लेकिन दो बच्चों—5 और 3 साल के लड़कों—के बाद उसकी चूत ढीली हो गई। रोज रात को वही चूत चोदने से मैं बोर होने लगा था। लेकिन बीवी है, तो चोदना तो बनता है।
एक बार हमने गर्मियों में घूमने का प्लान बनाया। देहरादून की ठंडी वादियाँ और हरी-भरी पहाड़ियाँ हमें बुला रही थीं। हम एक लग्जरी होटल में रुके, जहाँ का माहौल शांत और मस्त था। कमरे की बालकनी से पहाड़ों का नजारा गजब का था। उसी होटल में हमें एक और जोड़ा मिला—मिथिलेश और उसकी बीवी अमृता। मिथिलेश 32 साल का था, 5 फीट 8 इंच का, साँवला, लेकिन उसकी हँसी और देसी अंदाज में बात करने की स्टाइल मुझे भा गई। उसकी बीवी अमृता 26 साल की थी, गोरी, पतली कमर, और 34C की चूंचियाँ जो ब्रा में कसी हुई गजब ढा रही थीं। उसकी आँखों में एक शरारती चमक थी, जो मुझे तुरंत पसंद आ गई।
सुबह हम और रीना होटल के पास के मैदान में टहलने गए। वहाँ मिथिलेश और अमृता भी घूम रहे थे। मैंने देखा, अमृता ने हल्के नीले रंग का सलवार-सूट पहना था, जो उसके बदन पर चिपककर उसकी कर्व्स को उभार रहा था। मिथिलेश ने क्रीम रंग की शर्ट और जींस पहनी थी। हमारी नजरें मिलीं, और मैंने हल्का सा स्माइल पास किया। वो भी मुस्कुराए, और बात शुरू हो गई। मिथिलेश ने बताया कि वो दिल्ली में एक कपड़ों का बिजनेस चलाता है। मैंने भी अपने बारे में बता दिया कि मैं गुजरात में एक छोटा सा ट्रांसपोर्ट बिजनेस करता हूँ। बातों-बातों में हमारी दोस्ती पक्की हो गई।
रीना और अमृता भी आपस में खूब जम गईं। रीना ने लाल रंग की साड़ी पहनी थी, जिसमें उसकी भारी चूंचियाँ और पतली कमर उभर रही थी। अमृता और रीना दिनभर होटल के गार्डन में बैठकर गप्पे मारतीं, देहरादून के बाजारों में शॉपिंग करतीं, और हँसती-खिलखिलातीं। हम चारों साथ में मसूरी घूमने गए, माल रोड पर चाट-पकौड़े खाए, और रात को होटल के बार में बैठकर मस्ती की।
एक रात, बार में मिथिलेश और मैं व्हिस्की के पेग ले रहे थे। रीना और अमृता अपने कमरों में थीं। दो-तीन पेग के बाद हमारी बातें खुल गईं। मैंने मस्ती में कह दिया, “यार मिथिलेश, मैं तो रीना की चूत चोद-चोदकर पक गया हूँ। रोज वही चूत, वही मजा। तू भी बोर हुआ कि नहीं?”
मिथिलेश ने हँसकर पेग लगाया और बोला, “अरे भाई, मैं भी तो तंग आ चुका हूँ। अमृता की चूत मस्त है, लेकिन रोज-रोज वही चीज खाकर आदमी पक जाता है।”
मैंने कहा, “कुछ जुगत लगानी पड़ेगी, यार। ये देहरादून टूर यादगार बनाना है।”
मिथिलेश ने आँख मारी और बोला, “अगर बीवियाँ ना होतीं, तो किसी रंडी के पास चले जाते। मस्त चूत चोदकर मजा लेते।”
मैंने हँसकर कहा, “हाँ, लेकिन बीवियाँ तो हैं। वो कहाँ जाने देंगी?”
मिथिलेश ने गिलास टेबल पर रखा और धीरे से बोला, “एक आइडिया है। अगर हम बीवियों की अदला-बदली कर लें? तुझे रीना की चूत, मुझे अमृता की। दोनों को नया मजा मिलेगा।”
उसकी बात सुनकर मेरा लौड़ा पैंट में उछलने लगा। अमृता की कसी हुई चूंचियाँ और उसकी पतली कमर मेरे दिमाग में घूम गई। मैंने कहा, “यार, ये तो गजब का आइडिया है। लेकिन बीवियाँ मानेंगी?”
मिथिलेश बोला, “मानेंगी नहीं, तो मना लेंगे। आज रात बात करते हैं।”
खाने के बाद हमने अपनी-अपनी बीवियों से बात की। रीना ने पहले तो गुस्सा दिखाया, “निश्चय, ये क्या गंदी बात कर रहा है? मैं किसी और के साथ कैसे?” मैंने उसे प्यार से बाँहों में लिया और कहा, “रीना, जिंदगी में थोड़ा मसाला चाहिए। मिथिलेश भी मेरे जैसा है। बस एक रात की बात है, मस्ती कर लेंगे।” अमृता भी पहले ना-नुकुर करती रही, लेकिन मिथिलेश ने उसे मना लिया। आखिरकार दोनों बीवियाँ तैयार हो गईं।
मिथिलेश ने कहा, “क्यों ना एक ही कमरे में सब करें? देखने में ज्यादा मजा आएगा।” मुझे उसकी बात पसंद आई। मुझे लगा कि वो मेरी पर्सनालिटी से थोड़ा डरता है, शायद सोच रहा था कि मैं अमृता की चूत की धज्जियाँ ना उड़ा दूँ। मैंने हँसकर कहा, “ठीक है, जैसा तू कहे।”
हम चारों मेरे कमरे में इकट्ठा हुए। कमरे में हल्की पीली रोशनी थी, और बाहर से ठंडी हवा आ रही थी। रीना ने लाल साड़ी पहनी थी, और अमृता ने नीला सलवार-सूट। दोनों शरमा रही थीं, लेकिन उनकी साँसों में उत्साह साफ दिख रहा था। मैंने अमृता को अपनी ओर खींचा, और मिथिलेश ने रीना को। मैंने अमृता को अपनी बाँहों में कस लिया। उसका बदन गर्म था, और उसकी साँसें तेज। “निश्चय… ये गलत तो नहीं?” उसने धीरे से कहा। मैंने उसके गाल छूए और कहा, “बस मस्ती है, अमृता। आज रात तुझे जन्नत दिखाऊँगा।”
मिथिलेश ने रीना की साड़ी का पल्लू खींचा, और रीना शरमाकर हँसी। “मिथिलेश, धीरे… साड़ी फट जाएगी,” वो बोली। मिथिलेश ने हँसकर कहा, “फटने दे, आज तो तेरी चूत भी फटेगी।”
मैंने अमृता के होंठों पर अपने होंठ रखे और धीरे-धीरे चूसना शुरू किया। उसके होंठ मुलायम और गुलाबी थे, जैसे रसीले आम। “उम्म्म… आह्ह…,” अमृता की सिसकारी निकली। मैंने उसके बाल पकड़े और गहराई से चूमने लगा। उसकी जीभ मेरी जीभ से टकराई, और मैंने उसे चूस लिया। “निश्चय… उफ्फ… कितना जोर से चूमता है,” वो सिसक रही थी। मैंने उसके होंठों को हल्का सा काटा, और वो तड़प उठी। “आह्ह… धीरे… दर्द हो रहा है,” वो बोली, लेकिन उसकी आँखों में मस्ती थी।
“आज तेरी चूत का भोसड़ा बनाऊँगा,” मैंने गंदी बात की। वो शरमाई, लेकिन बोली, “देखते हैं कितना दम है तुझमें।” मैंने उसका नीला कुरता धीरे-धीरे ऊपर उठाया। उसका गोरा पेट चमक रहा था, और उसकी नाभि गहरी और सेक्सी थी। मैंने कुरता पूरा उतार दिया, और उसकी काली लेस वाली ब्रा में कसी चूंचियाँ देखकर मेरा लौड़ा पैंट में उछलने लगा। “क्या मस्त माल है तू,” मैंने कहा और ब्रा के ऊपर से उसकी चूंचियों को दबाया। “आह्ह… निश्चय… उफ्फ… धीरे,” वो सिसक रही थी।
मैंने उसकी ब्रा का हुक खोला, और उसकी चूंचियाँ बाहर उछलीं। वो छोटी, लेकिन सख्त थीं, निप्पल गुलाबी और तने हुए। मैंने एक निप्पल मुँह में लिया और चूसने लगा। “उम्म्म… आह्ह… निश्चय… और जोर से…,” उसकी सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उसकी चूंची को दाँतों से हल्का सा काटा, और वो चीख पड़ी, “ईईई… उफ्फ… मर गई।” उसकी चूंचियों से दूध टपक रहा था, क्योंकि वो हाल ही में माँ बनी थी। मैंने उसका दूध चखा—मीठा और गर्म। “तेरी चूंची का दूध तो अमृत है,” मैंने कहा।
उधर, मिथिलेश ने रीना की साड़ी उतार दी थी। रीना की भारी चूंचियाँ उसकी लाल ब्रा में कसी थीं। मिथिलेश ने उसकी ब्रा उतारी और बोला, “रीना, तेरे मम्मे तो जन्नत हैं।” रीना ने शरमाकर कहा, “देखते हैं तू कितना मजा देता है।” मिथिलेश ने रीना की चूंचियों को मसला, और रीना सिसक रही थी, “आह्ह… मिथिलेश… और जोर से…”
मैंने अमृता की सलवार का नाड़ा खोला और धीरे-धीरे नीचे सरकाया। उसकी काली लेस वाली पैंटी में उसकी चूत की उभरी शेप साफ दिख रही थी। मैंने उसकी पैंटी उतारी, और उसकी गोरी, हल्के काले बालों वाली चूत मेरे सामने थी। उसकी चूत गुलाबी और गीली थी, और उसका दाना उभरा हुआ। “क्या मस्त बुर है तेरी,” मैंने कहा और उसकी चूत पर उंगलियाँ फिराईं। “आह्ह… निश्चय… उफ्फ… छू मत… गुदगुदी हो रही है,” वो सिसक रही थी।
मैंने उसकी टाँगें फैलाईं और उसकी चूत पर अपनी जीभ रख दी। जैसे ही मैंने उसका दाना चाटा, वो चीख पड़ी, “उईईई… आह्ह… निश्चय… ये क्या कर रहा है…” मैंने उसकी चूत में जीभ डाली और उसका रस चाटा। उसका रस नमकीन और गर्म था। “उम्म्म… आआआ… सीसीसी…,” उसकी सिसकारियाँ तेज हो गईं। मैंने उसकी चूत के दाने को दाँतों से हल्का सा काटा, और वो तड़प उठी। “ईईई… मम्मी… मर गई…,” वो चिल्लाई।
“अमृता, अब तेरी चूत में लौड़ा डालूँ?” मैंने पूछा। “हाँ… प्लीज… अब और मत तड़पा,” वो गिड़गिड़ा रही थी। मैंने अपनी जींस और अंडरवियर उतारा। मेरा 11 इंच का लौड़ा बाहर उछला, उसका सुपारा गुलाबी और चमकदार था। अमृता की आँखें फटी की फटी रह गईं। “इतना बड़ा… ये तो मेरी चूत फाड़ देगा,” उसने डरते हुए कहा। मैंने हँसकर कहा, “डर मत, तुझे मजा आएगा।”
उसने मेरा लौड़ा पकड़ा और सहलाने लगी। “उफ्फ… कितना मोटा और गर्म है,” वो बोली और उसे मुँह में ले लिया। वो मेरे लौड़े के सुपारे को जीभ से चाट रही थी, और मेरी गोलियाँ भी मुँह में लेकर चूस रही थी। “उम्म्म… कितना टेस्टी है,” उसने कहा। मैंने उसके बाल पकड़े और लौड़ा उसके मुँह में और गहरा डाला। “उग्ग… उम्म्म…,” वो गों-गों की आवाजें निकाल रही थी।
मैंने उसे बिस्तर पर लिटाया और उसकी टाँगें फैलाईं। मैंने अपना लौड़ा उसकी चूत पर रगड़ा। “उफ्फ… निश्चय… डाल दे… अब और मत तड़पा,” वो बोली। मैंने धीरे से लौड़ा उसकी चूत में डाला। “आआआ… ईईई… मम्मी…,” वो चीख पड़ी। उसकी चूत टाइट थी, और मेरा लौड़ा उसमें जड़ तक गया। “पच-पच… थप-थप…” मेरे धक्कों की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… निश्चय… जोर से… और जोर से…,” वो चिल्ला रही थी।
मैंने उसे कुतिया बनाया और पीछे से उसकी चूत में लौड़ा पेला। “उईईई… आह्ह… मर गई…,” वो सिसक रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारे। उसकी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी, और मेरा लौड़ा उसमें डुबकी लगा रहा था। मैंने उसे घोड़ी बनाकर चोदा, फिर उसे बिस्तर पर लिटाकर मिशनरी स्टाइल में चोदा। “आआआ… सीसीसी… निश्चय… तेरे लौड़े ने तो जान निकाल दी…,” वो चिल्ला रही थी।
“अमृता, अब तेरी गाँड मारूँ?” मैंने पूछा। वो डर गई, लेकिन बोली, “धीरे करना… मैंने कभी नहीं लिया।” मैंने उसकी गाँड पर थूक लगाया और धीरे-धीरे लौड़ा डाला। “आआआ… ईईई… मम्मी… दर्द हो रहा है…,” वो चीखी। लेकिन धीरे-धीरे उसे मजा आने लगा। “उफ्फ… निश्चय… ये तो गजब का मजा है…,” वो बोली। मैंने उसकी गाँड में तेज धक्के मारे, और आखिर में सारा माल उसकी गाँड में छोड़ दिया। वो मेरे लौड़े को चाटकर साफ करने लगी।
उधर, मिथिलेश रीना को अलग-अलग पोजीशन में चोद रहा था। रीना की सिसकारियाँ भी कमरे में गूँज रही थीं। “आह्ह… मिथिलेश… और जोर से…,” वो चिल्ला रही थी। हम चारों ने उस रात जमकर चुदाई की। देहरादून की वो रात हमेशा याद रहेगी। अब हर साल हम बीवियों की अदला-बदली करके चुदाई का मजा लेते हैं।
आपको ये देहरादून की चुदाई की कहानी कैसी लगी? अपनी राय कमेंट में जरूर बताएँ।