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दीदी की चुदाई: ब्रा से चूत तक का सफर फिर चुदाई

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(19809)

दोस्तों, आज मैं आपको अपनी ज़िंदगी की एक ऐसी कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जो मेरी बड़ी बहन मेखला के साथ मेरे रिश्ते को एक नए मोड़ पर ले गई। ये कहानी है प्यार, हवस और उस आग की, जो मेरे और मेखला दीदी के बीच जल उठी। मैं आपको बता दूँ कि मेरी दीदी मेखला मुझसे तीन साल बड़ी हैं। उनकी शादी तब हुई थी, जब मैं कॉलेज के दूसरे साल में था। शादी के बाद वो अपने पति, यानी मेरे जीजू, के साथ मुंबई शिफ्ट हो गई थीं, क्योंकि जीजू का बिज़नेस वहीं था। दो साल बाद, जब दीदी की शादी को समय बीता, मेरी इंजीनियरिंग भी पूरी हो चुकी थी। मैं एक अच्छी जॉब की तलाश में जुट गया था।

मैंने कई कंपनियों में अपना रिज्यूमे भेजा और इंटरव्यू के लिए भागदौड़ की। आखिरकार, मुझे मुंबई की एक कंपनी से इंटरव्यू के लिए कॉल आया। मैं मुंबई गया, इंटरव्यू दिया, और किस्मत से मुझे एक शानदार जॉब मिल गई। सोमवार से मैंने जॉइन भी कर लिया। मैं इतना खुश था कि तुरंत मेखला दीदी को फोन करके ये खबर दी। वो भी मेरी खुशी में शामिल हो गईं।

मेखला दीदी ने फोन पर कहा, “रोहन, अगर तुझे मुंबई में ही जॉब मिली है, तो हमारे साथ ही रह ले। वैसे भी यहाँ सिर्फ़ मैं और तेरे जीजू हैं। तेरा ऑफिस भी यहाँ से नज़दीक है, तो कोई दिक्कत नहीं होगी।”

मैंने जवाब दिया, “नहीं दीदी, मैं आपको और जीजू को परेशान नहीं करना चाहता। मैं कोई फ्लैट ढूंढ लूंगा। इंटरनेट पर देखा है, कुछ ऑप्शन्स मिल भी गए हैं।”

दीदी ने हंसते हुए कहा, “पगले, हमारे पास दो रूम का फ्लैट है। एक रूम में मैं और तेरे जीजू रहते हैं, दूसरा रूम लगभग खाली पड़ा है। तू वो रूम ले ले। न मुझे, न तेरे जीजू को कोई परेशानी होगी।”

उनकी बात मानकर मैं उनके साथ रहने को राज़ी हो गया। फिर मैं कुछ दिन के लिए अपने होमटाउन गया, अपना सामान पैक करने। वहाँ मम्मी-पापा ने मुझे नई जॉब के लिए ढेर सारी बधाइयाँ और आशीर्वाद दिए। रविवार को लंच के बाद मैंने अपना सामान लिया और मुंबई की ट्रेन पकड़ ली। शाम को मुंबई पहुँचकर मैंने टैक्सी ली और सीधा दीदी के घर पहुँच गया। उस दिन रविवार था, तो जीजू भी घर पर थे। दोनों ने मेरा गर्मजोशी से स्वागत किया। हम इधर-उधर की बातें करने लगे।

थोड़ी देर बाद कुछ मेहमान आए। मैंने दीदी से पूछा कि ये कौन हैं। उन्होंने बताया कि ये जीजू के मामा जी और उनकी फैमिली हैं। मैंने मेहमानों को नमस्ते कहा और वापस अपने रूम में आकर टीवी पर मूवी देखने लगा। मूवी देखते-देखते समय कैसे बीत गया, पता ही नहीं चला। एक घंटे बाद दीदी अचानक मेरे रूम में आईं और बोलीं, “रोहन, प्लीज़ थोड़ी देर के लिए रूम के बाहर चला जा। मुझे कपड़े बदलने हैं।”

मैंने हैरानी से पूछा, “क्या हुआ, दीदी? जो कपड़े आपने पहने हैं, वो तो ठीक हैं न?”

दीदी ने थोड़ा झुंझलाते हुए कहा, “प्लीज़ बाहर जा, रोहन। मुझे कपड़े चेंज नहीं करने, बस ब्रा निकालनी है। मेरी ब्रा का हुक पीछे से टूट गया है, तो मुझे ब्लाउज़ के अंदर से ब्रा उतारनी है।”

उनकी ये बात सुनकर मैं स्तब्ध रह गया। गर्मी में भी पसीना छूट गया। अपने आप को संभालते हुए मैंने कहा, “दीदी, आप अपने रूम में या बाथरूम में चली जाओ न। मुझे बाहर क्यों निकाल रही हो?”

दीदी ने जवाब दिया, “तेरे जीजू बाथरूम में नहाने गए हैं। मेरे बेडरूम में मामा जी सो रहे हैं, और ड्रॉइंग रूम में मामी जी और उनके बच्चे हैं। अब तू बहस मत कर, प्लीज़ थोड़ी देर के लिए बाहर जा।”

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मैं चुपचाप रूम से बाहर निकल गया और बच्चों के साथ खेलने लगा। लेकिन दिमाग में दीदी की बात बार-बार गूंज रही थी। मेरे ज़हन में दीदी की ब्रा और उनके बूब्स की तस्वीर उभरने लगी। मैं परेशान हो गया, क्योंकि दीदी के बारे में मेरे मन में पहले कभी ऐसे ख्याल नहीं आए थे। हाँ, ये सच है कि दीदी ने भी मुझसे पहले कभी ऐसी बात नहीं की थी।

इन्हीं ख्यालों में खोया हुआ था कि दीदी ने रूम का दरवाज़ा खोला और किचन की ओर चली गईं। जब वो जा रही थीं, तो पहली बार मैंने उन्हें हवस भरी नज़रों से देखा। उनके ब्लाउज़ में ब्रा के स्ट्रैप्स के निशान गायब थे, मतलब उन्होंने सचमुच ब्रा उतार दी थी। ये देखकर मेरा लंड खड़ा होने लगा। मैं वापस अपने रूम में गया और दरवाज़ा बंद कर लिया। लेकिन जैसे ही मैंने दरवाज़ा बंद किया, मेरी नज़र बेड पर पड़ी। वहाँ दीदी की क्रीम कलर की 34B साइज़ की ब्रा पड़ी थी। उसे देखकर मैं पागल हो गया। मैंने ब्रा को हाथ में लिया और सोचने लगा कि अगर दीदी की ब्रा इतनी सेक्सी है, तो उनके बूब्स कितने मस्त होंगे।

मैंने ब्रा को मसलना शुरू किया और उसकी खुशबू सूंघने लगा। दीदी के परफ्यूम और उनकी बॉडी की फ्लोरल खुशबू ने मुझे मदहोश कर दिया। मैं आँखें बंद करके दीदी को इमेजिन करने लगा, एक हाथ से ब्रा को सूंघते हुए और दूसरे हाथ से अपना लंड मसलते हुए। तभी अचानक मेरे गाल पर ज़ोरदार थप्पड़ पड़ा। मैंने आँखें खोलीं तो देखा, दीदी मेरे सामने खड़ी थीं। मैं इतना खोया हुआ था कि मुझे पता ही नहीं चला कि वो कब रूम में आईं। मैंने दरवाज़ा सिर्फ़ बंद किया था, लॉक करना भूल गया था।

थप्पड़ पड़ते ही मैं होश में आया और सिर झुकाकर खड़ा हो गया। दीदी ने कुछ नहीं कहा, बस मेरे हाथ से ब्रा छीनी और बोलीं, “खाना लग गया है।” मैं घबराते हुए खाना खाने गया। सबके साथ खाना खाया और वापस अपने रूम में आकर बैठ गया। मन में डर था कि कहीं दीदी ने जीजू को बता दिया, तो मेरी खैर नहीं। इन्हीं ख्यालों में मैं कब सो गया, पता ही नहीं चला।

अगले दिन सुबह जब मैं उठा, तो मेहमान जा चुके थे। जीजू नाश्ता कर रहे थे। मैं दीदी और जीजू को अवॉइड करने के लिए सीधा बाथरूम में घुस गया और आधा घंटा वहाँ रहा। अचानक दीदी ने दरवाज़ा खटखटाया और बोलीं, “रोहन, बाथरूम में ही पड़ा रहेगा या बाहर भी आएगा?” मैं जल्दी से बाहर आया, तैयार हुआ और डाइनिंग टेबल पर नाश्ता करने बैठा। तब तक जीजू ऑफिस जा चुके थे। दीदी किचन से मेरे लिए नाश्ता लाईं और अपनी प्लेट लेकर मेरे सामने बैठ गईं। अचानक उन्होंने प्यार भरी नज़रों से मुझे देखा और बोलीं, “रोहन, आई एम सॉरी।”

मैंने कहा, “दीदी, सॉरी तो मुझे बोलना चाहिए। मेरी ऐसी हरकत के लिए मैं शर्मिंदा हूँ। अब ऐसा दोबारा नहीं होगा।”

दीदी ने कहा, “हाँ, ठीक है, लेकिन मुझे बुरा लग रहा है कि मैंने तुझे थप्पड़ मारा।”

मैंने जवाब दिया, “इट्स ओके, दीदी। थैंक यू।”

दीदी ने फिर कहा, “रोहन, क्या मैं तुझसे एक बात पूछ सकती हूँ, अगर तुझे बुरा न लगे?”

मैंने कहा, “हाँ, दीदी, पूछो।”

दीदी ने पूछा, “तेरी कोई गर्लफ्रेंड है?”

मैंने जवाब दिया, “कॉलेज में थी, अब नहीं है।”

दीदी ने फिर पूछा, “तो क्या तू उसकी ब्रा के साथ भी ऐसा करता था?”

ये सवाल सुनकर मैं दंग रह गया। मैंने सोचा, दीदी को क्या जवाब दूँ। फिर बोला, “नहीं, दीदी।”

दीदी ने हंसते हुए कहा, “क्यों? क्या वो मेरे जैसी सेक्सी ब्रा नहीं पहनती थी? या उसके बूब्स मेरे जैसे मस्त नहीं थे?”

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मैं तो बिल्कुल शॉक्ड हो गया, जैसे कोई बर्फ में जम गया हो। फिर थोड़ा होश में आकर बोला, “दीदी, आप ये क्या बोल रही हैं? मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा।”

दीदी ने मुस्कुराते हुए कहा, “ठीक है, पगले। तो मैं तुझे समझाती हूँ।”

ये कहते ही दीदी अपनी डाइनिंग चेयर से उठीं और मेरे पास आ गईं। मैं कुछ समझ पाता, इससे पहले ही उन्होंने अपने गर्म, रसीले होंठ मेरे होंठों पर रख दिए और मेरी जांघों पर बैठ गईं। उनकी इस हरकत ने मेरे होश उड़ा दिए। मैं खुद को रोक नहीं पाया और उनके रसीले होंठों को चूसने लगा। किस करते-करते दीदी ने मेरा बायाँ हाथ उठाया और अपने बूब्स पर रख दिया। मैं तो एकदम उत्तेजित हो गया। धीरे-धीरे मैंने उनके गोल-मटोल बूब्स को सहलाना शुरू किया। उनके ब्लाउज़ के ऊपर से उनके निप्पल्स की सख्ती महसूस हो रही थी। कुछ देर बाद दीदी ने मेरे होंठों से अपने होंठ हटाए और बोलीं, “रोहन, तू अपनी बहन को टेबल पर ही चोदेगा या बेडरूम में ले जाएगा?”

मैंने शरमाते हुए कहा, “बेडरूम में अच्छा रहेगा, दीदी। वहाँ ज़्यादा मज़ा आएगा।”

हम दोनों बेडरूम की ओर चल पड़े। कमरे में घुसते ही मैं दीदी के ऊपर लेट गया और वो मेरे नीचे। मैंने फिर से उनके रसीले होंठों को चूमना शुरू किया। उनके गालों पर, गर्दन पर, मैं चूमता हुआ नीचे की ओर बढ़ने लगा। दीदी के ब्लाउज़ के बटन खोलते हुए मैं उनकी क्लीवेज तक पहुँचा। हर बटन खुलने के साथ मेरी उत्तेजना बढ़ती जा रही थी। ब्लाउज़ उतारते ही दीदी पर्पल ब्रा में थीं। उनकी ब्रा में कैद बूब्स इतने मस्त लग रहे थे कि मैं खुद को रोक नहीं पाया। मैंने उनकी ब्रा भी उतार दी। उनके गोल, मुलायम बूब्स मेरे सामने थे, जिनके गुलाबी निप्पल्स सख्त हो चुके थे। मैं एक भूखे बच्चे की तरह उनके बूब्स पर टूट पड़ा। उनके निप्पल्स को चूसने लगा, जीभ से सहलाने लगा और हल्के-हल्के दाँतों से काटने लगा।

दीदी उत्तेजना में पागल सी हो रही थीं। उनकी सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं, “आआहह… रोहन… उउउफफ… स्स्स्स… और ज़ोर से…!” मैंने उनके बूब्स को और ज़ोर से दबाया, चूसा और उनके निप्पल्स को जीभ से चाटा। दीदी की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं, “हहह… ईईई… रोहन… तू तो कमाल है…!”

फिर मैंने उनकी साड़ी खींचकर उतार दी। उनका पेटीकोट भी नीचे सरका दिया। अब दीदी मेरे सामने सिर्फ़ पर्पल पैंटी में थीं, जो उनकी चूत के रस से पूरी गीली हो चुकी थी। मैंने उनकी पैंटी भी उतार दी। दीदी की क्लीन शेव्ड, गुलाबी चूत मेरे सामने थी, जो बटर की तरह मुलायम और चमक रही थी। मैंने अपने कपड़े भी फटाफट उतार दिए। मेरा 8 इंच का लंड तनकर खड़ा था। दीदी ने उसे देखा और खुशी से झूम उठीं। वो बोलीं, “वाह, रोहन! तेरा लंड तो तेरे जीजू से भी बड़ा और मोटा है। आज तो मज़ा आएगा।”

दीदी ने मेरा लंड हाथ में लिया और उसका सुपाड़ा अपने मुँह में डालकर चूसने लगीं। वो ऐसे चूस रही थीं जैसे कोई लॉलीपॉप चूसता हो। उनकी जीभ मेरे लंड के टॉप पर घूम रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। कुछ देर बाद दीदी ने कहा, “अब तू मेरी चूत चूस, रोहन।”

मैंने कहा, “दीदी, मैंने कभी चूत नहीं चूसी।”

दीदी ने हंसते हुए कहा, “एक बार चूस ले, फिर तू हर रोज़ मेरी चूत चूसेगा।”

मैंने उनकी टाँगें फैलाईं और उनकी चूत के होंठों को धीरे से खोला। उनकी चूत गीली थी और उसकी खुशबू मुझे पागल कर रही थी। मैंने जीभ से उनकी चूत चाटनी शुरू की। उनकी क्लिट को चूसने लगा। दीदी ज़ोर-ज़ोर से सिसकारियाँ ले रही थीं, “आआहह… उउउ… स्स्स्स… रोहन… और ज़ोर से… ईईई… हहह…!” उनकी चूत का रस मेरे मुँह में आ रहा था। मैंने उनकी क्लिट को और तेज़ी से चूसा, जिससे दीदी की सिसकारियाँ और तेज़ हो गईं, “उउउफफ… रोहन… तू तो मेरी जान ले लेगा…!”

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कुछ देर बाद मैंने कहा, “दीदी, अब नहीं रहा जाता। मैं अंदर डालूँगा।”

दीदी हंस पड़ीं और बोलीं, “ठीक है, मेरे राजा। आ जा, अपनी बहन को चोद दे।”

मैं उनके ऊपर आ गया। दीदी ने मेरे लंड को पकड़कर अपनी चूत की ओर गाइड किया। मैंने धीरे-धीरे लंड अंदर डालना शुरू किया। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड अंदर जाते ही मुझे जन्नत का मज़ा आने लगा। दीदी की सिसकारियाँ फिर शुरू हो गईं, “आआहह… उउउफफ… रोहन… धीरे… तेरा लंड बहुत बड़ा है…!” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ दीदी की सिसकारियाँ बढ़ती जा रही थीं, “हहह… स्स्स्स… ईईई… और ज़ोर से…!”

मैंने स्पीड बढ़ा दी। मेरा लंड उनकी चूत में बार-बार अंदर-बाहर हो रहा था। कमरे में हमारी चुदाई की आवाज़ें गूंज रही थीं, “थप… थप… थप…” दीदी की चूत का रस मेरे लंड को और गीला कर रहा था। वो मुझे अपनी छाती से चिपका रही थीं, कभी अपनी टाँगों से मुझे जकड़ लेती थीं। मैं उनके बूब्स को चूसते हुए, उनकी चूत में धक्के मार रहा था। दीदी की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आआआ… उउउ… रोहन… चोद दे मुझे… और ज़ोर से… ईईई…!”

कभी वो नीचे होतीं, कभी मेरे ऊपर आ जातीं। उनकी चूत मेरे लंड को निचोड़ रही थी। मैंने उनके निप्पल्स को फिर से चूसा, जिससे दीदी और पागल हो गईं। वो बोलीं, “रोहन, तू तो मेरी चूत फाड़ देगा… आआहह… और ज़ोर से…!”

कुछ देर बाद दीदी ने कहा, “रोहन, अपना माल बाहर निकालना। अंदर मत करना।” मैंने उनकी बात मानी और आखिरी धक्कों के साथ मैंने अपना लंड बाहर निकाला और उनका पेट उनके माल से भर दिया। दीदी हांफ रही थीं, लेकिन उनकी आँखों में एक अजीब सी चमक थी। वो बोलीं, “रोहन, तू तो कमाल का चोदू है।”

उस दिन के बाद मेरी ज़िंदगी बदल गई। मेरे पास एक अच्छी जॉब थी, और घर में चुदाई का पूरा इंतज़ाम। जीजू अक्सर टूर पर रहते थे, तो मुझे और दीदी को मौका मिल जाता था। अब तो पता ही नहीं चलता कि मेखला दीदी मेरी बहन हैं या जीजू की बीवी।

दोस्तों, आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने कभी ऐसी हवस भरी सिसकारी सुनी है? अपनी राय ज़रूर बताएँ।

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