दीदी ने मेरा वीर्य अपनी बुर में नहीं गिराने दिया

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Muslim family chudai sex story: मेरा नाम आसिफ है, मैं एक मुस्लिम परिवार से हूँ। उम्र 22 साल, रंग गोरा, कद 5 फीट 10 इंच, और बदन जिम जाने की वजह से कसा हुआ। हमारा परिवार जॉइंट फैमिली है, जिसमें कुल सात लोग हैं। मेरी दीदी रुखसार, जो 25 साल की हैं, खूबसूरत, गदराया बदन, 36-28-36 का फिगर, उनकी शादी मेरे चचेरे भाई यूसुफ से हुई, जो अब मेरा जीजा है। यूसुफ 27 साल का है, और वो अरब में जॉब करता है। मेरी अम्मी, 45 साल की, सख्त मिजाज लेकिन प्यार करने वाली। मेरे चाचा, 50 साल के, और चाची, 42 साल की, जो हमारी फैमिली की रौनक हैं। चाचा और यूसुफ दोनों अरब में काम करते हैं। फिर है मेरी चाची की बेटी सायरा, 20 साल की, एकदम हुस्न की मल्लिका, 34-26-34 का फिगर, और उसकी मासूमियत में छुपा एक शरारती अंदाज। मेरे अब्बू का देहांत हो चुका है, और गरीबी की वजह से हम सब चाचा के साथ एक ही घर में रहते हैं।

हमारा घर पुराना लेकिन बड़ा है, गाँव के एक कोने में। तीन कमरे, एक आँगन, और बाहर एक छोटा सा बरामदा। दीदी की शादी को अभी एक साल ही हुआ था, जब यूसुफ अरब चला गया। उसकी गैरमौजूदगी में दीदी का रंग-ढंग बदल गया। पहले वो सलवार-कुर्ते में सादगी की मूरत थीं, लेकिन अब टाइट सूट, गहरे गले की कुर्तियाँ, और कभी-कभी तो साड़ी में ऐसा जलवा दिखातीं कि मेरा लंड पैंट में तंबू बना देता। दीदी की चूचियाँ अब पहले से ज्यादा भरी-भारी लगती थीं, और उनकी गांड का उभार देखकर कोई भी पागल हो जाए। मैं जब भी दीदी को देखता, मेरा 7 इंच का लंड फनफनाने लगता, लेकिन वो मेरी सगी दीदी थीं, और अब मेरी भाभी भी। इस वजह से मैं मन में लड़ता रहता कि क्या करूँ, क्या न करूँ।

दीदी को शायद मेरी हालत का अंदाजा हो गया था। वो जानबूझकर मेरे आसपास ज्यादा घूमतीं, कभी झुककर कुछ उठातीं तो उनकी चूचियों की गहरी लकीर दिख जाती। एक बार तो रसोई में वो मेरे सामने झुकीं, और उनकी टाइट कुर्ती से चूचियाँ बाहर झाँक रही थीं। मैंने पैंट के ऊपर से अपने लंड को दबाया, लेकिन दीदी ने नजर उठाकर मुझे देखा और मुस्कुरा दी। “क्या बात है, आसिफ? कुछ परेशानी है?” उनकी आवाज में शरारत थी। मैंने हड़बड़ाकर कहा, “न-नहीं, दीदी।” लेकिन मेरी पैंट का तंबू देखकर वो हँसते हुए चली गईं। मुझे यकीन हो गया कि दीदी भी चुदाई के लिए तड़प रही हैं, लेकिन सगी दीदी होने की वजह से मैं हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।

मेरा ध्यान अब सायरा की तरफ गया। सायरा, मेरी चाची की बेटी, जो अब मेरी भाभी की ननद थी। उसका हुस्न दीदी से कम नहीं था। उसकी चूचियाँ गोल और टाइट थीं, और उसकी गांड का उभार देखकर मेरा लंड बेकाबू हो जाता। सायरा और दीदी रात में एक ही कमरे में सोती थीं, जिसकी वजह से मेरे लिए सायरा को अकेले पकड़ना मुश्किल था। एक-दो बार रात में जब सब सो रहे थे, मैंने सायरा की चूचियों को सलवार के ऊपर से दबाया था। उसकी नींद नहीं टूटी, लेकिन मेरे बदन में आग लग गई। मैंने उसकी चूत को पैंट के ऊपर से सहलाया, लेकिन डर की वजह से ज्यादा कुछ नहीं किया। दिन में सायरा को छेड़ना और भी मुश्किल था, क्योंकि दीदी हमेशा आसपास रहती थीं।

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एक दोपहर, जब घर में सिर्फ मैं और सायरा थे, मैंने मौका देखकर उसे दबोच लिया। वो रसोई में बर्तन धो रही थी, उसकी टाइट सलवार में उसकी गांड का उभार साफ दिख रहा था। मैंने पीछे से उसकी कमर पकड़ी और उसकी चूचियों को जोर से दबाया। सायरा चौंकी, लेकिन उसने विरोध नहीं किया। उसने मेरी तरफ मुड़कर देखा और हँसते हुए बोली, “आसिफ भाई, ये क्या कर रहे हो?” मैंने हिम्मत करके कहा, “सायरा, तू तो जानती है, मेरा मन कितना मचल रहा है।” तभी उसने मेरी पैंट के ऊपर से मेरे लंड को पकड़ लिया और हिलाने लगी। मैं हैरान रह गया। उसने धीमे से कहा, “भाई जान, मेरे कमरे में चलो।” मैंने कहा, “वहाँ दीदी होगी।” सायरा ने हँसकर जवाब दिया, “अब तो वो तुम्हारी भाभी बन गई हैं, डर क्यों रहे हो?”

मेरा मन सायरा को चोदने का था, लेकिन दीदी का डर था। मैंने कहा, “सायरा, अगर दीदी ने किसी को बता दिया तो?” सायरा ने शरारती अंदाज में कहा, “भाई जान, रात को मेरे कमरे में आ जाओ। मैं गेट खुला रखूँगी। लेकिन एक शर्त है।” मैंने पूछा, “क्या?” उसने जो कहा, वो सुनकर मेरे होश उड़ गए। सायरा बोली, “तुम्हें पहले भाभी को चोदना होगा। मैं जाग जाऊँगी और उनकी फोटो ले लूँगी, जिसमें तुम्हारा चेहरा नहीं दिखेगा। फिर हम उन्हें ब्लैकमेल करेंगे। अगर वो मान गईं, तो ठीक, वरना फोटो दिखाकर उन्हें चुप कर देंगे।” मैं दो चूत के चक्कर में फँस गया। सायरा का प्लान सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया, लेकिन दीदी को चोदने का ख्याल मन में डर भी पैदा कर रहा था।

रात को मैं अपने कमरे में इंतजार करने लगा। सबके सोने का समय था, लेकिन मैं इतना उत्साहित था कि नींद ही नहीं आई। रात के करीब 2 बजे मैंने घड़ी देखी और चुपके से दीदी और सायरा के कमरे की तरफ बढ़ा। गेट खुला था, जैसा सायरा ने कहा था। अंदर दीदी बुरखे में सो रही थीं, और सायरा सलवार-सूट में दीवार की तरफ मुँह करके लेटी थी। मैंने सायरा को जगाने की सोची, लेकिन दीदी का मस्त बदन देखकर मेरा लंड बेकाबू हो गया। मैंने सारा प्लान भुला दिया और दीदी के बुरखे को धीरे से ऊपर उठाया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था। जब मैंने बुरखा पेट तक उठाया, तो देखा कि दीदी ने नीचे कुछ नहीं पहना था। उनकी चिकनी, गोरी चूत मेरे सामने थी। मैंने खुद को रोकने की कोशिश की, लेकिन मेरा लंड अब मेरे काबू में नहीं था।

मैंने दीदी की जाँघों को धीरे से फैलाया और उनकी चूत पर मुँह रख दिया। उनकी चूत की खुशबू ने मुझे पागल कर दिया। मैंने जीभ से उनकी चूत को चाटना शुरू किया, धीरे-धीरे, फिर तेज। “आह्ह…” दीदी की नींद में से हल्की सी सिसकारी निकली। मैंने उनकी चूत के दाने को जीभ से सहलाया, और वो हल्के-हल्के काँपने लगीं। करीब 5 मिनट तक मैं उनकी चूत चूसता रहा, उनका रस मेरे मुँह में आने लगा। तभी दीदी ने मेरे बाल पकड़े और अपनी चूत पर दबाने लगीं। मैंने उनकी चूत का सारा रस चाट-चाटकर साफ कर दिया। “उम्म… आह्ह…” उनकी सिसकारियाँ अब जोर-जोर से निकल रही थीं। अचानक मुझे होश आया, और मैंने देखा कि दीदी जाग चुकी थीं। वो मुस्कुराते हुए बोलीं, “क्या बात है, आसिफ? आज अपनी दीदी को खुश कर दिया। कब से ये करना चाहता था?”

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मैं घबरा गया, लेकिन दीदी की आँखों में वासना साफ दिख रही थी। मैंने हिम्मत करके कहा, “दीदी, जबसे आप मेरी भाभी बनी हो, तबसे।” दीदी ने अपने बुरखे को पूरी तरह उतार दिया। अब वो बिना ब्रा-पैंटी के पूरी नंगी थीं। उनकी चूचियाँ गोल, भारी, और निप्पल सख्त हो चुके थे। वो बोलीं, “देवर जी, अब क्या देख रहे हो? कपड़े उतारो और अपनी दीदी को भाभी से बीवी बना दो।” मैंने सायरा की तरफ देखा, जो अभी भी सो रही थी। मैंने दीदी को सायरा का प्लान बताया। दीदी हँसकर बोलीं, “मेरी ननद इतनी होशियार है, मुझे नहीं पता था। चलो, पहले मुझे संत करो, फिर उस शैतान को देखेंगे।”

मैंने अपने कपड़े उतारे, मेरा 7 इंच का लंड अब पूरी तरह तना हुआ था। दीदी ने उसे देखा और बोलीं, “हाय अल्लाह, कितना मोटा हथियार है तेरा!” मैंने दीदी को बिस्तर पर लिटाया और उनकी चूत पर लंड सेट किया। मैंने धीरे से एक धक्का मारा, लेकिन उनकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड आधा ही गया। “आह्ह… धीरे, आसिफ!” दीदी ने सिसकारी भरी। मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। उनकी चूत गीली थी, लेकिन फिर भी टाइट। 5 मिनट बाद दीदी की कमर उछलने लगी। वो बोलीं, “बhai जान, कितना मोटा लंड है तेरा! यूसुफ का तो इसके सामने कुछ भी नहीं।” मैंने पूछा, “क्यों, जीजा का छोटा है?” दीदी ने हँसकर कहा, “हाँ, और आज पहली बार मेरी सुहागरात जैसी फीलिंग आ रही है।”

मैंने धक्कों की स्पीड बढ़ा दी। “चटाक… चटाक…” कमरे में चुदाई की आवाजें गूँज रही थीं। दीदी की सिसकारियाँ, “आह्ह… उह्ह… और जोर से, आसिफ!” मेरे जोश को और बढ़ा रही थीं। मैंने उनकी चूचियों को मुँह में लिया और चूसने लगा। उनके निप्पल सख्त हो चुके थे। मैंने एक चूची को दबाया और दूसरी को चूसा। दीदी दो बार झड़ चुकी थीं, लेकिन मेरा लंड अभी भी तना हुआ था। तभी मुझे लगा कि मेरा वीर्य निकलने वाला है। मैंने कहा, “दीदी, मैं झड़ने वाला हूँ।” दीदी ने तुरंत कहा, “भाई, बुर में मत डालना, बाहर निकालो।”

मैंने लंड बाहर निकाला, लेकिन तभी दीदी ने उसे पकड़ा और सायरा के मुँह के पास ले गई। सायरा अभी भी नींद में थी। दीदी ने सायरा की चूचियों को दबाया, और जैसे ही सायरा ने मुँह खोला, दीदी ने मेरा लंड उसके मुँह में डाल दिया। “आह्ह…” मेरा वीर्य सायरा के मुँह में निकलने लगा। सायरा ने आँखें खोलीं और चौंककर बोली, “भाभी, ये क्या?” दीदी हँसकर बोली, “मेरी छोटी बहना, पहले मैं चुद चुकी हूँ। लेकिन तुमने फोटो नहीं खींची, तो मैंने तुम्हारी खींच ली।” दीदी ने फोटो दिखाई, जिसमें सायरा का मुँह मेरे वीर्य से भरा था।

सायरा गुस्से में मुझे देखने लगी, लेकिन दीदी ने उसे शांत किया। दीदी बोलीं, “मेरी बहना, ये फोटो मैं किसी को नहीं दिखाऊँगी। मैं तो चाहती हूँ कि हम दोनों बहनें मिलकर मजे करें। तुम्हें पता है, यूसुफ दो साल बाद आएगा।” सायरा ने गुस्से से कहा, “भाभी, मैं तुम्हारी ननद नहीं, सौतन बनूँगी।” दीदी ने हँसकर कहा, “आसिफ, अब तू क्या चाहता है?” मैंने कहा, “दीदी, पहले आपको माँ बनाना चाहता हूँ।” दीदी बोलीं, “भाई, मैं तो तुम्हारे बच्चे की माँ बनूँगी, लेकिन पहले सायरा को माँ बनाओ।”

दीदी ने सायरा के कपड़े उतारने शुरू किए। सायरा ने पहले विरोध किया, लेकिन फिर चुप हो गई। जब सायरा पूरी नंगी हुई, तो उसकी चूत और चूचियाँ देखकर मेरा लंड फिर से तन गया। मैं सायरा के ऊपर चढ़ गया और उसके होंठ चूसने लगा। “उम्म…” सायरा भी अब जोश में आ रही थी। दीदी ने मेरे लंड पर तेल लगाया और सायरा की चूत में उंगली डालकर तेल लगाने लगी। फिर दीदी ने मेरा लंड पकड़कर सायरा की चूत पर सेट किया और बोली, “लगा दे दम, ये कुँवारी चूत है।” मैंने एक जोरदार धक्का मारा, मेरा लंड पूरा सायरा की चूत में घुस गया। “आह्ह… मर गई!” सायरा चीखी, लेकिन फिर चुदवाने लगी।

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मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। “चट… चट…” चुदाई की आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। सायरा की सिसकारियाँ, “आह्ह… उह्ह… भाई जान, और जोर से!” मुझे और जोश दिला रही थीं। मैंने उसे घोड़ी बनाया और पीछे से उसकी चूत में लंड डाला। दीदी पास में बैठकर हमारी चुदाई देख रही थीं। सायरा तीन बार झड़ चुकी थी, और हर बार दीदी मेरे लंड को बाहर निकाल देती थी। आखिरकार, जब मैं झड़ने वाला था, दीदी बोली, “इस बार सायरा की चूत में डाल दे।” मैंने पूरी ताकत से धक्के मारे और सायरा की चूत में झड़ गया। “आह्ह… उह्ह…” हम दोनों एक साथ झड़े। मैं 10 मिनट तक सायरा से चिपका रहा।

सुबह होने से पहले दीदी बोलीं, “आसिफ, अब छोड़ दे, नहीं तो अम्मी जाग जाएँगी।” मैंने लंड बाहर निकाला और दीदी से कहा, “भाभी, इसे चाटकर साफ कर दो।” दीदी हँसकर बोलीं, “मैं तुम्हारी दीदी हूँ, भाभी नहीं।” मैंने कहा, “अब तो सायरा मेरी बीवी बन गई, तो तुम मेरी भाभी हो।” दीदी ने मेरा लंड मुँह में लिया और चूसकर साफ कर दिया।

इसके बाद चार महीने तक हमारा सिलसिला चलता रहा। दीदी और सायरा दोनों मेरे साथ रात में चुदवाती थीं। जब भी मैं झड़ने वाला होता, दीदी कहतीं, “सायरा की चूत में डाल दे।” चार महीने बाद सायरा प्रेग्नेंट हो गई। दीदी ने अम्मी और चाची को बता दिया कि सायरा माँ बनने वाली है। फिर दीदी ने प्लान बनाया और यूसुफ को अरब से बुलवाया। एक हफ्ते में मेरा निकाह सायरा से हो गया। यूसुफ वापस चला गया, और उसी रात दीदी ने मेरे साथ 5 बार चुदवाया। हर बार वो मेरा वीर्य अपनी चूत में लेती। दो महीने बाद दीदी भी मेरे बच्चे की माँ बन गई। इस तरह मैंने अपनी दीदी और सायरा, दोनों को माँ बनाया।

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