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दोनों सिस्टर की चुदाई एक साथ माँ-पापा के अनुपस्थिति में

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दोस्तों, मैं आपको अपनी जिंदगी की एक ऐसी सच्ची कहानी सुनाने जा रहा हूँ, जिसे सुनकर आपका दिल धक-धक करने लगेगा। मेरा नाम प्रवीन है, और मैं हरियाणा के रोहतक शहर में रहता हूँ। मेरे पापा एक रिटायर्ड आर्मी ऑफिसर हैं, जिनकी सख्ती और अनुशासन की वजह से घर में हमेशा एक अलग सा माहौल रहता है। मेरी माँ हाई स्कूल में टीचर हैं, और उनकी सादगी और मेहनत हमें हमेशा प्रेरित करती है। हम तीन भाई-बहन हैं—मैं सबसे छोटा हूँ, मेरी उम्र 20 साल है। मेरी दो बहनें हैं: बड़ी बहन रवीना, 25 साल की, जिसने इंजीनियरिंग पूरी कर ली है और अब एक मल्टीनेशनल कंपनी में जॉब करती है। दूसरी है छोटी बहन रिचा, 22 साल की, जो कॉलेज में ग्रेजुएशन कर रही है और अपनी स्टाइल और बोल्डनेस के लिए अपने दोस्तों में फेमस है।

दोनों बहनें एकदम हॉट और सेक्सी हैं। उनकी फिगर इतनी कातिलाना है कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। दोनों का फिगर लगभग एक जैसा है—36D की बड़ी-बड़ी चूचियाँ, 28 की पतली कमर, और 36 की गोल-मटोल गांड। उनकी गोरी रंगत, लंबी हाइट, और कमर तक लहराते काले बाल किसी को भी दीवाना बना दें। उनके गुलाबी होंठ इतने रसीले हैं कि बस देखते ही चूमने का मन करे। मैंने कई बार बाथरूम के दरवाजे में बने छोटे से छेद से उन्हें नहाते हुए देखा है। रवीना अपनी चूचियों को साबुन से रगड़ते हुए बड़े प्यार से नहाती है, और रिचा अपनी चूत को उंगलियों से सहलाते हुए पानी की फुहारों का मजा लेती है। ऐसे नजारे देखकर मैंने न जाने कितनी बार मुठ मारी है। अब मैं सीधे उस रात की कहानी पर आता हूँ, जिसने मेरी जिंदगी को हमेशा के लिए बदल दिया।

बात उस दिन की है जब माँ और पापा हरिद्वार किसी धार्मिक यात्रा के लिए गए थे। हम तीनों भाई-बहन घर पर अकेले थे। उस रात बारिश का मौसम था, और अचानक लाइट चली गई। गर्मी और उमस की वजह से मैं छत पर सोने चला गया, जबकि रवीना और रिचा नीचे अपने कमरे में रुक गईं। देर रात, करीब 2 बजे, मेरी नींद खुली। बाहर हल्की-हल्की बूँदा-बांदी हो रही थी, और आसमान में बिजली चमक रही थी। लाइट वापस आ चुकी थी, तो मैं अपना बिस्तर समेटकर नीचे आ गया। सीढ़ियों से उतरते हुए मैंने हॉल की खिड़की से बहनों के कमरे की ओर देखा, और जो नजारा दिखा, उसने मेरे पैरों तले जमीन खिसका दी।

रवीना और रिचा दोनों एकदम नंगी थीं। कमरे की मद्धम रोशनी में उनकी गोरी चमकती त्वचा किसी चाँदनी रात की तरह लग रही थी। रवीना बेड पर लेटी थी, और रिचा उसकी टांगों के बीच थी, उसकी चूत को बड़े प्यार से चाट रही थी। रवीना की सिसकारियाँ कमरे में गूंज रही थीं— “आह्ह… रिचा… और जोर से… ऊह्ह… कितना मजा आ रहा है!” रिचा अपनी जीभ को रवीना की चूत की दरार में ऊपर-नीचे चला रही थी, और बीच-बीच में उसकी क्लिट को चूस रही थी। रवीना की चूचियाँ हल्के-हल्के हिल रही थीं, और उसके निप्पल एकदम टाइट होकर तन गए थे। रिचा ने अपनी एक उंगली रवीना की चूत में डाल दी, और उसे धीरे-धीरे अंदर-बाहर करने लगी। रवीना की सिसकारियाँ और तेज हो गईं— “हाय… रिचा… तू तो मार डालेगी… आह्ह… और तेज!”

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मैं खिड़की के पास चुपके से खड़ा सब देख रहा था। मेरा लंड मेरे पजामे में तंबू बना रहा था, और मैं उसे सहलाने लगा। तभी रिचा ने अपनी पोजीशन बदली और 69 की अवस्था में आ गई। अब दोनों एक-दूसरे की चूत चाट रही थीं। रवीना ने रिचा की गांड को दोनों हाथों से पकड़ा और उसकी चूत में अपनी जीभ गहरे तक डाल दी। रिचा सिसकार उठी— “दीदी… आह्ह… तेरी जीभ तो जादू कर रही है… ऊह्ह… और चाट!” दोनों की चूचियाँ एक-दूसरे के पेट से रगड़ रही थीं, और उनकी सिसकारियाँ पूरे कमरे में गूंज रही थीं।

उनका बात करना जारी था। रिचा ने कहा, “दीदी, तेरी चूत तो एकदम पानी-पानी हो रही है। मैं जितना चाटती हूँ, उतना ही और बहता है!”

रवीना ने हँसते हुए जवाब दिया, “तेरी चूत का भी यही हाल है, रिचा। एकदम गर्म और रसीली… आह्ह… इसे तो अब उंगली से काम नहीं चलेगा। इसे तो मोटा लंड चाहिए, कम से कम सात इंच का!”

“हाँ, दीदी,” रिचा ने सिसकारी भरी। “अब एक-दूसरे को चाटने से मन नहीं भर रहा। अब तो बस लंड चाहिए… ऐसा जो मेरी चूत को फाड़ दे!”

तभी मेरा पैर गलती से खिड़की के पल्ले से टकरा गया, और आवाज सुनकर दोनों चौंक गईं। “कौन है बाहर?” रवीना ने तेज आवाज में पूछा।

मैं थोड़ा डर गया, लेकिन दरवाजा खुला था, तो मैं धीरे से अंदर चला गया। “मैं हूँ, दीदी,” मैंने सिर झुकाते हुए कहा।

“अरे, तू?” दोनों ने एक साथ कहा। रिचा ने जल्दी से चादर खींची, और रवीना ने अपने कपड़े ढूंढने शुरू किए। मैंने हिम्मत जुटाकर कहा, “कोई बात नहीं, दीदी। मैं पिछले 40 मिनट से सब देख रहा था।”

“अरे वाह!” रवीना ने हँसते हुए कहा। “तो तू भी चुपके-चुपके मजा ले रहा था? देख, तेरा लंड तो पजामे में एकदम तन गया है। सात इंच का तो होगा ही!”

“चूत मारेगा?” रिचा ने शरारती अंदाज में पूछा, और उसकी आँखों में एक चमक थी।

“हाँ!” मैंने बिना हिचक जवाब दिया। मेरा दिल जोर-जोर से धड़क रहा था, लेकिन मैंने खुद को संभाला।

“दोनों को चोदना पड़ेगा,” रवीना ने कहा, और उसकी आवाज में एक अजीब सी उत्तेजना थी।

“कोई बात नहीं, दीदी। मैं तुम दोनों को ऐसा मजा दूंगा कि तुम जिंदगी भर याद रखोगी। लेकिन एक शर्त है—मम्मी-पापा को कुछ नहीं पता चलना चाहिए,” मैंने कहा।

“बिल्कुल नहीं, प्रवीन। ये हमारा राज रहेगा,” रिचा ने वादा किया।

“गुड!” रवीना ने कहा, और तभी रिचा मेरे पास आई। उसने मेरे चेहरे को अपने नरम हाथों से पकड़ा और मेरे होंठों पर अपने रसीले होंठ रख दिए। उसकी गर्म साँसें मेरे चेहरे पर टकरा रही थीं, और वो धीरे-धीरे मेरे होंठों को चूसने लगी। “आह्ह… ऊह्ह…” उसकी सिसकारियाँ मेरे कानों में मधुर संगीत की तरह गूंज रही थीं। मैंने भी उसे जोर-जोर से चूमना शुरू किया, और मेरी जीभ उसकी जीभ से टकराने लगी। उसका स्वाद इतना नशीला था कि मैं खुद को रोक नहीं पा रहा था।

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रवीना मेरे पास आई और मेरी टी-शर्ट उतारने लगी। उसने मेरे पजामे का नाड़ा खींचा, और मेरा लंड बाहर आ गया। सात इंच लंबा और मोटा, वो एकदम तना हुआ था। रवीना ने उसे अपने नरम हाथों में पकड़ा और धीरे-धीरे सहलाने लगी। “हाय… प्रवीन, तेरा लंड तो एकदम पत्थर जैसा है!” उसने कहा और उसे अपने मुँह में ले लिया। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड के टोपे पर गोल-गोल घूम रही थी, और वो उसे पूरा अंदर तक ले रही थी। “आह्ह… दीदी… कितना मजा आ रहा है!” मैंने सिसकारी भरी।

रिचा ने अपने कपड़े उतार दिए और बेड पर लेट गई। उसने अपने पैर फैलाए और कहा, “चल, प्रवीन, अब और मत तड़पा। अपनी छोटी बहन की चूत को चोद दे!” उसकी चूत एकदम गीली थी, और गुलाबी फांकें चमक रही थीं। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा, और वो सिसकार उठी— “हाय… प्रवीन… डाल दे… और मत सता!”

मैंने धीरे से अपने लंड का टोपा उसकी चूत की फांकों के बीच रखा और हल्का सा धक्का दिया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि लंड अंदर जाने में थोड़ी मुश्किल हुई। “आह्ह… धीरे…!” रिचा ने कहा, लेकिन उसकी आँखों में उत्तेजना साफ दिख रही थी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “हायyyyyyyyy… मर गई रे…!” रिचा चिल्ला उठी। “आह्ह… कितना मोटा है तेरा लंड… चोद दे… मेरी चूत फाड़ दे!”

मैंने धीरे-धीरे धक्के मारने शुरू किए। हर धक्के के साथ उसकी चूचियाँ ऊपर-नीचे हिल रही थीं। मैंने उसके निप्पल्स को अपने अंगूठे और उंगली से मसला, और वो और जोर से सिसकारने लगी— “आह्ह… ऊह्ह… प्रवीन… और जोर से… मेरी चूचियाँ दबा… चोद मुझे!” उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ एक चप-चप की आवाज कमरे में गूंज रही थी।

रवीना पास में बैठकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी। वो रिचा की चूचियों को चाट रही थी और बीच-बीच में मेरे लंड को सहला रही थी। “आह्ह… प्रवीन, तू तो रिचा की चूत को रगड़ रहा है!” उसने कहा। “रिचा, तुझे कितना मजा आ रहा है, बता!”

“हाय… दीदी… इसका लंड तो मेरी चूत को फाड़ रहा है… आह्ह… और जोर से चोद, प्रवीन!” रिचा चिल्ला रही थी। मैंने उसकी कमर पकड़ी और और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। करीब 25 मिनट तक मैंने उसे चोदा, और वो बार-बार सिसकार रही थी— “आह्ह… ऊह्ह… हाय… चोद… मेरी चूत को रगड़ दे!”

फिर रवीना की बारी आई। वो बेड पर लेट गई और अपनी टांगें फैला दीं। उसकी चूत भी पूरी तरह गीली थी, और उसकी गुलाबी फांकें मेरे लंड को बुला रही थीं। मैंने अपना लंड उसकी चूत पर रगड़ा, और वो सिसकार उठी— “हाय… प्रवीन… अब और मत तड़पा… डाल दे!” मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा पूरा लंड उसकी चूत में समा गया। “आह्ह… मर गई… कितना बड़ा है तेरा लंड!” रवीना चिल्लाई। मैंने उसके चूचे दबाए और जोर-जोर से धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत मेरे लंड को जकड़ रही थी, और हर धक्के के साथ उसकी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं— “आह्ह… चोद… और जोर से… मेरी चूत को फाड़ दे!”

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रिचा पास में लेटकर अपनी चूत में उंगली कर रही थी। वो रवीना की चूचियों को दबा रही थी और मेरे गालों पर चूम रही थी। “प्रवीन, तू तो रवीना दीदी की चूत को रगड़ रहा है!” उसने कहा।

करीब 25 मिनट तक मैंने रवीना को चोदा, और फिर दोनों को बारी-बारी से फिर से चोदा। दोनों की सिसकारियाँ और चीखें पूरे कमरे में गूंज रही थीं— “आह्ह… ऊह्ह… चोद… फाड़ दे… हाय… और जोर से!” आखिरकार, जब मैं झड़ने वाला था, मैंने दोनों को अपने पास बुलाया। “मेरा निकलने वाला है!” मैंने कहा। दोनों ने अपने मुँह खोले, और मैंने अपना वीर्य उनके मुँह में डाल दिया। दोनों ने उसे चाट-चाटकर साफ कर दिया।

थककर हम तीनों बेड पर लेट गए। मैं बीच में था, और रवीना और रिचा मेरे दोनों तरफ। हम तीनों नंगे ही सो गए, और एक-दूसरे की बाहों में लिपटकर रात बिताई। अब हम तीनों मम्मी-पापा को बाहर भेजने के बहाने ढूंढते रहते हैं। वो लोग सोचते हैं कि उनके बच्चे कितने अच्छे हैं, जो हमेशा कोई न कोई टूर पैकेज लाते हैं। उन्हें क्या पता कि उनके अनुपस्थिति में घर में क्या-क्या होता है! हम तीनों भाई-बहन खूब चुदाई करते हैं, और हर बार नया मजा लेते हैं।

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