मैं रोहित श्रीवास्तव, राजकोट से हूँ। दोस्तो, मैं 18 साल का हूँ और अपने स्कूल में कई लड़कियों की चुदाई कर चुका हूँ। लेकिन कुछ दिन पहले मेरे साथ ऐसी घटना घटी कि मैं आज भी सोच में पड़ जाता हूँ कि क्या ऐसा भी हो सकता है। ये कहानी मेरे दोस्त वरुण के पापा और उसकी बहन रागिनी की चुदाई की है, जो इतनी गर्म और पागलपन भरी थी कि मेरे होश उड़ गए। बात उस वक्त की है जब मैं 10वीं के एग्जाम की तैयारी कर रहा था। मैं रोज़ वरुण के घर ग्रुप स्टडी करने जाता था। वरुण के घर में उसके पापा, उसकी बड़ी बहन रागिनी, और छोटी बहन ज्योति रहते थे। उसकी मम्मी इस दुनिया में नहीं थी। वरुण से मेरी गहरी दोस्ती थी, और उसके घर मेरा आना-जाना लगा रहता था। रागिनी और ज्योति से भी मेरी अच्छी बातचीत थी, लेकिन मैंने कभी उन्हें गलत नज़र से नहीं देखा था। पर उस रात जो हुआ, उसने मेरी ज़िंदगी बदल दी।
एक रात हमने नाइट स्टडी का प्लान बनाया। वरुण और मैंने खाना खाया और पढ़ाई शुरू की। रात के करीब एक बज गए, और वरुण थककर सो गया। मैं अभी भी किताबों में डूबा हुआ था। टॉयलेट जाने के लिए उठा तो देखा कि वरुण के पापा के कमरे की लाइट जल रही थी। मैंने सोचा, इतनी रात गए चाचा जी जाग क्यों रहे हैं? वरुण के पापा को मैं जानता था—50 साल के आसपास की उम्र, शराब के शौकीन, और थोड़े ठरकी टाइप के। लेकिन जो मैंने उस रात देखा, वो मेरे दिमाग को हिला देने वाला था।
मैंने पहले दरवाजे की सुराख से झाँकने की कोशिश की, पर कुछ साफ नहीं दिखा। फिर मैंने सीढ़ियों के पास बने वेंटिलेटर से उनके कमरे में झाँका। दोस्तो, मेरे पैरों तले ज़मीन खिसक गई। चाचा जी अपनी बड़ी बेटी रागिनी को अपना 10 इंच का मोटा, काला लंड चुसवा रहे थे। रागिनी, जो 25 साल की थी, पर बार-बार की चुदाई की वजह से 35 की लगती थी, उनके सामने घुटनों पर बैठी थी। उसकी चूचियाँ इतनी बड़ी थीं—शायद 38 साइज़ की—और ढीली-ढाली, जैसे चाचा ने सालों तक उन्हें मसला हो। उसकी गांड भी भारी और चौड़ी थी, मानो ATM (आंटी टाइप माल) जैसी हो गई हो। चाचा ने शराब पी रखी थी, और उनका चेहरा लाल था। वो रागिनी को बोल रहे थे, “अरे मेरी रंडी, तू तो मेरी जान है।” उनकी आवाज़ में वासना और शराब का नशा साफ झलक रहा था।
रागिनी ने चाचा के लंड को मुँह से निकाला और उस पर तेल लगाना शुरू किया। उसकी उंगलियाँ लंड के चारों तरफ फिसल रही थीं, और चाचा की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं—उह्ह्ह, आह्ह्ह। मैं बाहर खड़ा था, और मेरा लंड भी पैंट में तन गया। मैंने उसे बाहर निकाला और धीरे-धीरे हिलाने लगा। चाचा ने रागिनी के कपड़े उतारने शुरू किए। उसकी सलवार खुली, और उसकी गोरी, भारी गांड चाँदनी में चमक रही थी। चाचा ने उसकी चूचियों को ज़ोर से दबाया, और रागिनी के मुँह से सिसकारी निकली, “आह्ह, पापा, धीरे करो।” लेकिन चाचा कहाँ मानने वाले थे। उन्होंने रागिनी को बेड पर लिटाया और उसकी टाँगें चौड़ी कीं। रागिनी की चूत पर घने बाल थे, लेकिन उसकी गुलाबी चूत साफ दिख रही थी, जो पहले से गीली थी।
चाचा ने अपनी उंगली से उसकी चूत को सहलाया, फिर तेल लिया और उसकी गांड के छेद पर मलने लगे। “रागिनी, मेरी रंडी, आज तेरी गांड मारूँगा,” चाचा ने कहा, और रागिनी ने शरमाते हुए कहा, “पापा, धीरे करना, पिछली बार बहुत दर्द हुआ था।” चाचा ने उसकी बात अनसुनी की और अपना मोटा लंड उसकी गांड के छेद पर रखा। धीरे-धीरे उन्होंने दबाव डाला, और रागिनी की सिसकारियाँ तेज़ हो गईं—आह्ह्ह, उह्ह्ह, पापा, धीरे! लंड उसकी तंग गांड में पच-पच की आवाज़ के साथ घुस रहा था। मैं बाहर खड़ा था, और मेरा लंड इतना कड़क हो गया कि मैं उसे ज़ोर-ज़ोर से हिलाने लगा।
चाचा ने रागिनी को उल्टा किया, उसका एक पैर ज़मीन पर और दूसरा बेड पर रखा। अब उसकी चूत पूरी तरह खुल गई थी। चाचा ने अपनी उंगलियों से उसकी चूत को और गीला किया, फिर एक ही झटके में अपना लंड उसकी चूत में पेल दिया। रागिनी चिल्लाई, “उह्ह्ह, आआआह्ह, पापा, कितना बड़ा है!” चाचा ने कोई रहम नहीं किया। वो हल्क की तरह उसकी चूत को चोद रहे थे, और बेड की चरमराहट पूरे कमरे में गूँज रही थी। रागिनी की सिसकारियाँ अब और तेज़ हो गई थीं—आह्ह, उह्ह, पापा, और ज़ोर से! मैंने कभी इतनी गर्म चुदाई नहीं देखी थी। मेरा लंड अब फटने को था, और मैंने उसे और तेज़ी से हिलाया।
तभी मेरा ध्यान वरुण की छोटी बहन ज्योति पर गया। वो 14-15 साल की थी, 9वीं क्लास में पढ़ती थी। मैं चुपके से उसके कमरे में गया। वो एक छोटा सा शॉर्ट्स और स्लीवलेस टॉप पहने सो रही थी। उसकी चूत का आकार शॉर्ट्स के ऊपर से साफ दिख रहा था, और उसकी चूचियाँ आधी टॉप से बाहर झाँक रही थीं। मैंने पहले कभी ज्योति को ऐसी नज़रों से नहीं देखा था, लेकिन उस रात मुझमें एक जंगलीपन जाग गया। मैंने धीरे से उसकी चूत को शॉर्ट्स के ऊपर से चूमा। उसकी नींद नहीं टूटी। फिर मैंने उसकी चूचियों को हल्के से दबाया। उसका गोरा, नरम जिस्म मुझे पागल कर रहा था। मैंने वरुण को चेक किया—वो गहरी नींद में था। मैं फिर ज्योति के पास लौटा। इस बार वो गांड की तरफ मुड़ गई थी। उसकी गोल, मुलायम गांड शॉर्ट्स में कसी हुई थी। मैंने उसे भी चूमा, और मेरा लंड अब बेकाबू हो रहा था।
मैंने ज्योति के गुलाबी होंठों को चूमने की कोशिश की, तभी उसकी आँखें खुल गईं। मैं डर गया, लेकिन उसने मुस्कुराते हुए मेरा हाथ पकड़ा और कहा, “रोहित भैया, आ जाओ।” उसने मेरे होंठों को चूम लिया, और मैं हैरान रह गया। उसने मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाना शुरू किया। मैं तो जैसे सरेंडर हो गया। ज्योति ने मेरा लंड बाहर निकाला और उसे चूसने लगी। उसकी गर्म जीभ मेरे लंड के चारों तरफ घूम रही थी, और मैं सातवें आसमान पर था। उधर, चाचा अभी भी रागिनी को चोद रहे थे। उनकी आवाज़ें—पच-पच, आह्ह, उह्ह—कमरे से बाहर तक आ रही थीं।
जब मेरा लंड पूरी तरह कड़क हो गया, मैंने ज्योति से कहा, “ज्योति, मुझे तेरे साथ चुदाई करनी है।” उसने जवाब दिया, “नहीं, रोहित भैया, कल पापा ने मुझे बहुत चोदा। आज मैं नहीं चुदवाऊँगी।” मैं चौंक गया। क्या चाचा ज्योति को भी चोदते थे? मैंने फिर कहा, “ठीक है, पीछे से कर लेते हैं।” उसने हामी भरी, लेकिन बोली, “पूरा नहीं डालना।” मैंने उसकी गांड पर थूक लगाया, अपने लंड पर भी थूक लगाया, और धीरे से धक्का मारा। लेकिन मेरा लंड उसकी गांड की बजाय उसकी चूत में घुस गया। वो चिल्लाई, “नहीं, रोहित भैया, ये चीटिंग है!” लेकिन मैं अब रुकने वाला नहीं था। मैंने उसकी चूत में ज़ोर-ज़ोर से धक्के मारने शुरू किए। उसकी चूत पहले से ढीली थी, शायद चाचा की चुदाई की वजह से। मेरा लंड पक-पक की आवाज़ के साथ उसकी चूत में अंदर-बाहर हो रहा था।
मैंने उसके मुँह को अपने होंठों से दबा रखा था ताकि वो शोर न करे। उसकी सिसकारियाँ मेरे मुँह में दब रही थीं—उह्ह, आह्ह। कुछ देर बाद मैं झड़ गया। मैंने ज्योति से पूछा, “चाचा तुम दोनों को रोज़ चोदते हैं?” उसने कहा, “हाँ, रोहित भैया।” मैंने फिर कहा, “मैं भी तुम्हें रोज़ चोद सकता हूँ?” उसने मुस्कुराते हुए कहा, “आप मेरे भाई के दोस्त हैं, जब चाहे चोद सकते हैं।” मैंने पूछा, “रागिनी मुझसे चुदवाएगी?” उसने जवाब दिया, “मैं कल उससे पूछूँगी, लेकिन वरुण भैया को ये बात नहीं पता चलनी चाहिए।” मैंने कहा, “पगली, मैं किसी को नहीं बताऊँगा, प्रॉमिस।”
अगली रात, जब चाचा ज्योति को चोदने लगे, मैं रागिनी के पास गया। उसने मुझे देखकर मुस्कुराया और कहा, “रोहित, तू भी मेरी चूत का मज़ा लेना चाहता है?” मैंने हाँ में सिर हिलाया। उस रात मैंने रागिनी की चूत और गांड दोनों मारी। उसकी चूत इतनी गीली थी कि मेरा लंड आसानी से अंदर-बाहर हो रहा था। वो सिसकारियाँ ले रही थी—आह्ह, उह्ह, रोहित, और ज़ोर से! मैंने उसकी चूचियों को चूसा, उसकी गांड पर थप्पड़ मारे, और उसे हर तरह से चोदा। इस तरह मैं दोनों बहनों को चोदने लगा, और ये सिलसिला चलता रहा।