Blue film chudai – Dukandar sex story – मेरा नाम शिल्पा है। उम्र 24 साल, कद 5 फीट 4 इंच, पतली-दुबली काया, लेकिन देखने में खूबसूरत। मेरी त्वचा गोरी है, और मेरे बाल लंबे, काले, रेशमी हैं। मैं पनवेल की रहने वाली हूँ। ये कहानी चार साल पुरानी है, जब मैंने कॉलेज में नया-नया दाखिला लिया था। तब मैं 20 साल की थी, और जिंदगी में नया उत्साह लिए कॉलेज की दुनिया में कदम रखा था। कॉलेज में मेरी कुछ नई सहेलियाँ बनीं। हम खूब मस्ती करते, लेकिन लड़कों से थोड़ा दूरी बनाकर रखते थे। मुझे लड़कों पर भरोसा करना मुश्किल लगता था। मेरी एक खास सहेली थी, सुवर्णा। वो दिखने में बहुत सेक्सी थी। लंबे बाल, भरी-पूरी काया, और चाल-ढाल ऐसी कि हर कोई उसकी तरफ देखे। उसकी उम्र भी मेरे जितनी थी, और वो बिंदास टाइप की लड़की थी।
एक दिन मैं सुवर्णा के घर गई। वहाँ मैंने देखा कि वो अपने मोबाइल में ब्लू फिल्म देख रही थी। उसने मुझे भी दिखाई। वो एक ऐसी मूवी थी जिसमें एक स्कूल गर्ल अपने बॉयफ्रेंड का लंड चूस रही थी। उसे देखकर मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मेरी साँसें तेज हो गईं, और शरीर में एक अजीब सी सिहरन होने लगी। तभी सुवर्णा की माँ आ गईं। हमने जल्दी से मोबाइल बंद किया और मैं अपने घर चली गई। घर पहुँचकर भी वो सीन मेरे दिमाग में घूमता रहा। वो लड़की, वो लंड, और वो सीन… मेरे दिमाग में बार-बार वही मंजर आ रहा था। मुझे कुछ अजीब सा महसूस हो रहा था। ऐसा पहली बार हुआ था कि मेरे शरीर में इतनी बेचैनी थी। मैंने उस रात अपने बिस्तर पर लेटकर उस सीन को बार-बार याद किया, और अनजाने में मेरा हाथ मेरे छोटे-छोटे चुचों पर चला गया। मैं उन्हें सहलाने लगी, लेकिन तभी अचानक कुछ समझ नहीं आया कि ये क्या हो रहा है।
अगले दिन कॉलेज में सुवर्णा ने मुझे देखते ही पूछा, “कल घर जाकर क्या किया?” और उसने हल्की सी आँख मार दी। मैंने कहा, “यार, कुछ देखा ही नहीं, तो क्या करना था?” उसने हँसते हुए कहा, “तो फिर आ, मेरे पास देख ले।” मैंने मना किया कि कॉलेज में नहीं देख सकती। उसने कहा, “ठीक है, मेरा मोबाइल ले जा। वैसे भी मैं दो दिन के लिए मम्मी-पापा के साथ बाहर जा रही हूँ। मोबाइल तो ले नहीं जा सकती।” सुवर्णा का वो मोबाइल उसका बॉयफ्रेंड उसे गिफ्ट में दे गया था, और वो अपनी फैमिली से छुपाकर रखती थी। मैंने हाँ कर दी। उसने सिम कार्ड निकाला, और मैं मोबाइल लेकर घर आ गई।
घर पहुँचते ही मैं अपने कमरे में गई। दरवाजा बंद किया, हेडफोन लगाए, और मोबाइल में क्लिप्स देखने लगी। उसमें करीब 200 क्लिप्स थीं, एक से एक मस्त। जैसे-जैसे मैं देख रही थी, मेरी चूत में एक अजीब सी गुदगुदी होने लगी। मेरी आँखें भारी होने लगीं, और मेरा हाथ अनजाने में मेरे चुचों पर चला गया। मैं उन्हें दबाने लगी। मेरे चुचे तब छोटे थे, लेकिन संवेदनशील बहुत थे। तभी अचानक दरवाजे पर खटखट हुई। डर के मारे मेरा हाथ हिल गया, और मोबाइल छूटकर गिर गया। मैंने जल्दी से दरवाजा खोला। मम्मी थीं। उन्होंने कहा, “मैं रिश्तेदार के यहाँ जा रही हूँ, शाम को देर से आऊँगी।” उनके जाने के बाद मैंने मोबाइल उठाया, लेकिन वो ऑन नहीं हो रहा था। मैं घबरा गई। सोचा, सुवर्णा को क्या जवाब दूँगी? इतना महंगा मोबाइल था। मैं खुद को कोसने लगी। फिर सोचा, किसी दुकान पर जाकर इसे ठीक करवा लूँ। आसपास की दुकानों पर जाने की हिम्मत नहीं हुई, तो मैं ऑटो लेकर सेक्टर 22 की मार्केट पहुँच गई।
वहाँ एक मोबाइल रिपेयर की दुकान पर गई। वहाँ एक लड़के ने मोबाइल चेक किया और कहा, “दो घंटे लगेंगे।” मैंने कहा, “ठीक है, मैं दो घंटे बाद आऊँगी।” दो घंटे बाद जब मैं वापस गई, तो वहाँ एक दूसरा आदमी बैठा था। मैंने पूछा, “मेरा मोबाइल?” उसने कहा, “वो लड़का तो हमारा नौकर है। वो कहीं काम से गया है। आपका मोबाइल ठीक हो गया, ले जाइए।” ये कहते हुए वो मुझे मुस्कुराकर देख रहा था। मैंने पूछा, “क्या है भैया?” वो बोला, “आप कहाँ रहती हैं?” मैंने कहा, “क्यों पूछ रहे हो?” उसने कहा, “बस यूँ ही।” मैंने मोबाइल लिया और घर आ गई। रास्ते में सोचने लगी, इसे कहीं देखा है। अचानक याद आया, अरे! ये तो वही है जो हाल में हमारे पड़ोस में अपनी पत्नी और बच्चों के साथ रहने आया है। मेरी तो धड़कन रुक गई। कहीं उसने मोबाइल की क्लिप्स देख लीं? कहीं वो मुझे पहचान तो नहीं गया? ये सोचते-सोचते मैं घर पहुँच गई।
घर आकर मैंने मोबाइल बैग में रख दिया। दोबारा देखने की हिम्मत नहीं हो रही थी। मन में डर था कि अब क्या होगा? अगर उसने कुछ देख लिया और किसी को बता दिया, तो पापा मुझे मार डालेंगे। मैं तीन-चार दिन घर से बाहर नहीं निकली। घरवालों से कहा कि मेरी तबीयत ठीक नहीं है। फिर एक दिन पापा ऑफिस से जल्दी आए और बोले, “बेटा, चलो कहीं घूमने चलते हैं।” मैं मम्मी-पापा के साथ निकल पड़ी। पापा ने कार सेक्टर 22 की मार्केट में रोकी। वहाँ से कुछ कपड़े खरीदने के बाद पापा मुझे उसी मोबाइल शॉप पर ले गए। बोले, “तेरे लिए मोबाइल खरीदना है, पसंद कर ले।” मैंने बहुत मना किया, लेकिन मम्मी ने कहा, “मोबाइल होगा तो तुमसे कॉन्टैक्ट करना आसान होगा।” मैं डरते-डरते दुकान में गई। वहाँ वही भैया था, जिसे मैंने मोबाइल दिया था। लेकिन दुकान का मालिक वहाँ नहीं था। पापा ने मोबाइल दिखाने को कहा। उसने कुछ मोबाइल दिखाए। हमने एक सैमसंग मोबाइल और सिम कार्ड खरीदा और वापस आ गए।
चार दिन बाद मैंने सुवर्णा का मोबाइल उसे वापस कर दिया। एक दिन मेरे नए मोबाइल पर कॉल आया। दुकान वाले ने कहा, “मैम, आपने सैमसंग मोबाइल लिया था। उसके साथ फ्री मेमोरी कार्ड मिलता है, जो आप ले नहीं गईं।” मैंने कहा, “मुझे नहीं चाहिए,” और फोन काट दिया। शाम को करीब 8 बजे डोरबेल बजी। मैंने दरवाजा खोला तो देखा, वही दुकान का मालिक सामने खड़ा था। मेरे तो होश उड़ गए। उसने पूछा, “पापा हैं?” मैंने पापा को बुलाया। उसने पापा से कहा, “आप मेरी गैरमौजूदगी में मोबाइल और कनेक्शन ले गए। फ्री मेमोरी कार्ड रह गया था। आपका आईडी प्रूफ से पता करके मैं कार्ड देने आया हूँ।” पापा ने उसे अंदर बुलाया। मैं कोल्ड ड्रिंक लाने गई। वो पापा से बात कर रहा था, लेकिन चोरी-छिपे मुझे देख रहा था। पापा ने कहा, “आप ही इस में मेमोरी कार्ड डाल दो।” उसने मेरा मोबाइल लिया, कार्ड लगाया, और चला गया। जाते-जाते पापा को बता गया कि वो पास में ही रहता है।
उसके जाने के बाद हमने खाना खाया। मैं अपने कमरे में गई और मेमोरी कार्ड खोला। मेरे तो होश उड़ गए। उसमें वही न्यूड क्लिप्स थीं, जो सुवर्णा के मेमोरी कार्ड में थीं। मेरा दिल जोर-जोर से धड़कने लगा। मुझे समझ नहीं आया कि अब क्या करूँ। उस रात मैं सो नहीं पाई। अगले दिन कॉलेज में थी, तभी मेरे फोन पर कॉल आया।
वो: “हैलो, मैम।” मैं: “कौन है?” वो: “वही, जिसे कल तुम मन ही मन गालियाँ दे रही थीं।” मैं: “मैं क्यों किसी को गालियाँ दूँगी?” वो: “वो तो तुम्हें पता होगा।” मैं: “फोन क्यों किया?” वो: “तुमसे बात करने के लिए।” मैं: “मुझे तुमसे बात नहीं करनी।” वो: “ठीक है, फिर तुम्हारे पापा से बात करके मेरा मन बहल सकता है। उनसे कर लूँ?” मैं: “अरे, तुम ऐसा क्यों कर रहे हो? प्लीज, ये सब मत करो। मैं अपने घरवालों से शर्मिंदा हो जाऊँगी।” वो: “मैं तो बस तुमसे दोस्ती करना चाहता हूँ।” मैं: “ठीक है, हम दोस्त हैं। बस।” वो: “तो फोन पर बात कर सकते हैं?” मैं: “कभी-कभी।”
उसके बाद उसका रोज फोन आने लगा। मैं मजबूरी में बात करती थी। एक दिन तेज बारिश हो रही थी। उसका फोन आया। उसने पूछा, “कहाँ हो?” मैंने कहा, “कॉलेज के लिए निकली थी, लेकिन बारिश की वजह से मार्केट में रुकी हूँ।” उसने पूछा, “कौन सी मार्केट?” मैंने झूठ बोला, “सेक्टर 35।” जबकि मैं उसकी दुकान के पास ही थी। उसने कुछ देर बात की और फोन काट दिया। तभी मैंने अपने कंधे पर एक हाथ महसूस किया। मुड़कर देखा, वही सामने खड़ा था। मैंने सफेद टॉप और नीली जींस पहनी थी, जो बारिश में भीग गई थी। उसने कहा, “झूठ बोलना भी आता है तुम्हें। मैंने तुम्हें देखकर ही फोन किया था।” फिर बोला, “बारिश तो रुकने वाली नहीं, मेरी दुकान पर चलो। चाय पीते हैं।” मैंने मना किया, लेकिन वो जिद करने लगा। मैं उसके साथ दुकान पर गई। उसने चाय मँगवाई। दुकान पर कोई नहीं था। उसने मुझे एक छोटा सा तौलिया दिया और कहा, “सिर पोंछ लो।” मैंने मना किया, लेकिन वो जिद करने लगा। तभी उसका हाथ मेरे चुचों पर टच हो गया। मुझे झटका सा लगा। उसने मेरा हाथ पकड़ा और कहा, “शिल्पा, मैं तुम्हें पसंद करने लगा हूँ। क्या हम और करीब नहीं आ सकते?” मैंने कहा, “ये सब गलत है।” मैं बाहर निकलने लगी। उसने मेरा हाथ पकड़कर अपनी तरफ खींचा। मैंने गुस्से में उसे थप्पड़ मार दिया। वो बोला, “मैं जबरदस्ती नहीं करना चाहता। प्यार से तुम्हें पाना चाहता हूँ।” उसने मinnat की। फिर अचानक उसने मेरा चेहरा अपने हाथों में लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैंने उसे धक्का दिया और बाहर निकल आई। बारिश रुकी नहीं थी, लेकिन मैंने अपनी एक्टिवा निकाली और वहाँ से भाग गई। मेरी आँखों से आँसू रुक नहीं रहे थे।
घर पहुँचकर मैंने कपड़े बदले और बिस्तर पर लेट गई। बार-बार वो सीन मेरे सामने आ रहा था। उसके होंठों का स्पर्श मेरे होंठों पर महसूस हो रहा था। मैंने धीरे-धीरे अपने चुचे सहलाने शुरू किए। मेरा हाथ मेरी चूत पर चला गया, जो बिल्कुल चिकनी थी। मेरी आँखें बंद थीं, और मेरी उँगलियाँ मेरी चूत को सहला रही थीं। बार-बार उसका चेहरा मेरे सामने आ रहा था। मेरा शरीर अकड़ने लगा। अचानक एक तेज झटका सा लगा, और मैं शांत हो गई। मुझे बहुत अच्छा लगा। उस रात मैंने पाँच बार उँगलियाँ डालकर मजा लिया। सुबह तक मुझे नींद ही नहीं आई।
अचानक मेरा मोबाइल वाइब्रेट हुआ। देखा तो उसके 80 मैसेज थे। सभी में एक ही बात, “सॉरी, बट आई लाइक यू।” मैंने सोचा, चलो माफ कर देती हूँ। मैंने “इट्स ओके” का मैसेज किया। उसने तुरंत जवाब दिया, “कल मिलोगी?” मैंने पूछा, “क्यों?” वो बोला, “बस यूँ ही।” मैंने हाँ बोल दी। हमने फन रिपब्लिक में मिलने का प्लान बनाया। मैं वहाँ पहुँची और उसे कॉल किया। उसने कहा, “मूवी हॉल के बाहर मिलो।” मैंने कहा, “मूवी नहीं देखनी, कहीं बैठकर बात करेंगे।” वो बोला, “ठीक है।” हम उसकी कार की तरफ चले। उसने कार सुनसान रोड की तरफ ले ली।
मैं: “हम कहाँ जा रहे हैं?” वो: “बस, ड्राइव पर।” मैं: “लेकिन इधर क्यों?” वो: “इधर ट्रैफिक कम होता है। ड्राइव करते-करते बात भी हो सकती है।” मैं: “ओके।”
फिर उसने पूछा, “कल जो हुआ, तुम भूल गई ना?” मैंने कहा, “नहीं भूली, और भूलना भी नहीं चाहती।” पता नहीं कैसे ये बात मेरे मुँह से निकल गई। उसने झट से ब्रेक लगाई और हैरानी से मेरी तरफ देखने लगा। उसने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं काँप गई। वो धीरे-धीरे मेरे करीब आया। मेरी आँखें बंद हो गईं। उसने मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं खुद को रोक नहीं पाई और उसका साथ देने लगी। उसके हाथ मेरे चुचों पर थे। वो उन्हें सहला रहा था। मुझे मजा आने लगा। मेरी साँसें भारी हो रही थीं। तभी किसी कार का हॉर्न बजा, और हम अलग हो गए। मेरी हालत खराब थी। उसने पूछा, “शिल्पा, क्या हुआ?” मैंने कहा, “पता नहीं।” वो बोला, “कहीं और चलें?” मैंने कहा, “घर जाना है।” वो बोला, “कुछ देर साथ नहीं बिताओगी?” मैंने कहा, “ये सब ठीक नहीं है।” वो बोला, “जितनी तुम इजाजत दोगी, उतना ही करूँगा। जबरदस्ती नहीं करूँगा।” उसने पूछा, “चलना है?” मैंने पूछा, “कहाँ?” वो बोला, “मेरे दोस्त के फ्लैट पर। उसका दोस्त फैमिली के साथ बाहर गया है। चाबी मेरे पास है।” मैं मान गई।
हम मोहाली पहुँचे। उसका दोस्त का फ्लैट अच्छा था। उसने दरवाजा बंद किया और मुझे पीछे से पकड़ लिया। उसके हाथ मेरे चुचों पर घूमने लगे। वो मेरी गर्दन पर किस करने लगा। मैं मदहोश होने लगी। मैंने कहा, “मैं फ्रेश होना चाहती हूँ।” उसने मुझे वॉशरूम दिखाया। मैं फ्रेश होकर आई तो देखा वो दो ग्लास में कोल्ड ड्रिंक डाल रहा था। मैंने एक ग्लास पिया। थोड़ी देर बाद मुझे सेक्स की तीव्र भूख महसूस होने लगी। वो मुझ पर टूट पड़ा। उसने मेरे कपड़े उतारने शुरू किए। मेरे छोटे-छोटे चुचे बाहर आए। वो उन्हें चूसने लगा। मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… म्म्म…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। उसने मेरी सलवार का नाड़ा खोला और सलवार उतार दी। मैं उसका साथ दे रही थी। वो खुद भी सिर्फ़ अंडरवियर में रह गया। उसका उभरा हुआ लंड साफ दिख रहा था। उसने मुझे बिस्तर पर लिटाया और मेरे चुचे चूसने लगा। उसका एक हाथ मेरी चूत पर था। “म्म्म… आह्ह… प्लीज…” मेरी सिसकारियाँ तेज हो रही थीं। मेरी चूत ने तीन बार पानी छोड़ दिया था।
वो उठा और मेरी टाँगों के बीच आ गया। उसने अपने होंठ मेरी चूत के होंठों पर रख दिए। मैंने उसका सिर अपनी चूत में दबा दिया। वो जोर-जोर से मेरी चूत चूसने लगा। “आह्ह… ओह्ह… लालालालालाला… प्लीज… छोड़ दो… आह्ह…” मैं चीख रही थी। उसकी जीभ मेरी चूत पर नाच रही थी। मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा था। मैंने चीखकर कहा, “चोद दो मुझे… प्लीज… अब बर्दाश्त नहीं होता!” ये सुनकर वो जोश में आ गया। उसने अपना अंडरवियर उतारा। उसका लंड 6 इंच लंबा और बहुत मोटा था। मैं डर गई और बोली, “ये इतना बड़ा… कहाँ जाएगा?” वो बोला, “चिंता मत कर, मेरी जान। ये मुझ पर छोड़ दे।” उसने तेल की शीशी ली और आधा तेल मेरी चूत में डाल दिया। बाकी अपने लंड पर लगाया। मेरी चूत एकदम चिकनी हो गई थी। वो पूरे जोश में था। उसने अपना लंड मेरी चूत पर रखा और धक्का मारा। लंड फिसल गया। उसने फिर कोशिश की। इस बार उसने जोर से धक्का मारा। मेरी चीख निकल गई। ऐसा लगा जैसे किसी ने गरम लोहा डाल दिया हो। मुझे बहुत दर्द हुआ। उसने फिर धक्का मारा। इस बार उसका पूरा लंड मेरी चूत को चीरता हुआ अंदर चला गया। मैंने उसे बाहर निकालने को कहा, लेकिन वो मेरे चुचे मसलने लगा और मुझे किस करने लगा।
कुछ देर बाद उसका जोश बढ़ा। वो धक्के लगाने लगा। कमरे में “धप्प… धप्प… थप्प… थप्प…” की आवाजें गूँज रही थीं। मेरी चूत चिकनी होने की वजह से लंड सटासट अंदर-बाहर हो रहा था। “आह्ह… ऊऊऊ… माँआआ… और जोर से चोदो… आह्ह…” मेरे मुँह से सिसकारियाँ निकल रही थीं। वो लगातार स्पीड बढ़ा रहा था। मैं हल्का-हल्का दर्द महसूस कर रही थी, लेकिन मजा भी आ रहा था। “म्म्म… आह्ह… ऊईई… आआह्ह…” मेरी आवाजें कमरे में गूँज रही थीं। करीब एक घंटे तक वो मुझे चोदता रहा। मैं कई बार झड़ चुकी थी। फिर उसकी स्पीड और तेज हो गई। उसने गरम-गरम लावा मेरी चूत में छोड़ दिया और मेरे ऊपर लेट गया। हम एक घंटे तक नंगे पड़े रहे। जब मैं उठी, तो बेडशीट पर खून और सफेद-सफेद कुछ था। मुझे मुश्किल से उठा गया।
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