Bhai Behen Ki Shimla Chudai Kahani कई बार जिंदगी में ऐसा होता है कि सही और गलत की लकीर इतनी धुंधली हो जाती है कि समझ ही नहीं आता क्या हो रहा है। मेरे साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ था, जब हमारा पूरा परिवार शिमला के फेमिली टूर पर गया था। मेरा नाम रूबी है, उम्र उन्नीस साल, और मैं कॉलेज में पढ़ती हूँ। मेरी फिगर 34-28-36 है, और लोग कहते हैं कि मेरी स्माइल और भरी-भरी चूचियां किसी का भी ध्यान खींच लेती हैं। मेरा भाई अमर, इक्कीस साल का, जिम जाता है और उसका बदन कसा हुआ है, चेहरा ऐसा कि लड़कियां उस पर फिदा हो जाती हैं। मम्मी-पापा भी अभी जवान लगते हैं, खासकर मम्मी, जो 38 साल की उम्र में भी 25 की मॉडल जैसी दिखती हैं। उनकी फिगर 36-30-38 है, और वो हमेशा टाइट साड़ी या डीप-कट ब्लाउज में रहती हैं, जिससे पापा की नजरें उन पर से हटती ही नहीं। पापा, 42 साल के, बिजनेसमैन हैं और मम्मी को खुश रखने में कोई कसर नहीं छोड़ते।
हमारा परिवार हर साल फेमिली टूर पर जाता है। इस बार पापा ने शिमला चुना, ताकि वो और मम्मी अपनी रंगरेलियां मना सकें। दिल्ली से हम अपनी SUV में उत्तराखंड की ओर निकले और शिमला के एक थ्री-स्टार होटल में रुके। पापा ने दो कमरे बुक किए—एक उनके लिए और एक मेरे और अमर के लिए। शायद उन्हें लगा कि भाई-बहन एक कमरे में क्या कर लेंगे। लेकिन जो हुआ, वो शायद वो कभी सपने में भी नहीं सोच सकते थे। मैं और अमर, हम दोनों ने तीन रात तक ऐसा तूफान मचाया कि बेड की चरमराहट कमरे की दीवारों से टकराकर गूंजती रही।
शाम को हमने होटल के रेस्तरां में खाना खाया। मम्मी ने टाइट ब्लैक ड्रेस पहनी थी, जिसमें उनकी कर्व्स साफ दिख रहे थे। पापा बार-बार उनकी कमर पर हाथ फेर रहे थे, और दोनों की आँखों में वो चमक थी, जो बता रही थी कि वो जल्दी से कमरे में जाना चाहते हैं। खाना खाते वक्त अमर और मैं एक-दूसरे को देखकर हँस रहे थे, क्योंकि हमें पता था कि मम्मी-पापा आज रात बेड तोड़ने वाले हैं। खाना खत्म होते ही वो दोनों अपने कमरे की ओर बढ़ गए, और हम दोनों को बोला गया कि हम अपने कमरे में जाकर आराम करें।
हम दोनों लॉन में थोड़ी देर बैठे, ठंडी हवा का मजा लिया। रात के करीब 10 बजे हम अपने कमरे में आए। कमरे में दो सिंगल बेड थे, एक टीवी, और एक बड़ा-सा सोफा। मैंने अपनी जींस और टॉप उतारकर नाइटी पहन ली, जो पतली और हल्की गुलाबी थी, जिससे मेरी ब्रा और पैंटी की शेप साफ दिख रही थी। अमर ने अपनी टी-शर्ट और जींस उतारी, और सिर्फ बॉक्सर में था। उसका कसा हुआ बदन देखकर मेरे मन में कुछ अजीब-सा हलचल होने लगी, लेकिन मैंने उसे दबा दिया।
हमने टीवी ऑन किया और नेटफ्लिक्स पर एक सीरीज लगाई। सीरीज में एक सौतेले भाई-बहन की कहानी थी, जिसमें कुछ हॉट सीन थे। सीन देखते वक्त अमर ने अचानक कहा, “रूबी, ये सही है ना? मतलब, भाई-बहन में ऐसा हो सकता है?” मैंने हँसते हुए कहा, “पागल हो गया है क्या? ये तो सीरीज है, रियल लाइफ में ऐसा थोड़ी होता है!” लेकिन उसकी आँखों में कुछ अलग-सी चमक थी। उसने कहा, “मेरा एक दोस्त है, राजीव, वो अपनी बहन गुन्नू के साथ ऐसा कर चुका है।” मैं चौंक गई। “क्या बकवास कर रहा है, अमर! ऐसा नहीं हो सकता।” उसने अपना फोन निकाला और एक वीडियो चलाया। वीडियो में राजीव और गुन्नू साफ-साफ चुदाई करते दिख रहे थे। मैं हैरान थी, लेकिन कहीं न कहीं मेरे अंदर भी कुछ हलचल होने लगी।
अमर ने धीरे से कहा, “रूबी, देख, मौका भी है। मम्मी-पापा अपने कमरे में बिजी हैं। हम भी तो कुछ मजा कर सकते हैं। तुझे भी तो मन करता होगा ना? बाहर किसी के साथ करने में रिस्क है, लोग ब्लैकमेल कर सकते हैं। लेकिन हमारा तो घर का मामला है, कोई डर नहीं।” उसकी बातें सुनकर मेरे शरीर में सिहरन-सी दौड़ गई। मैंने हल्के से हाँ में सिर हिलाया, और बस, यहीं से सब शुरू हो गया।
अमर ने तुरंत अपने बेड को मेरे बेड से सटा दिया। उसने मुझसे पूछा, “पक्का ना, तू किसी को नहीं बताएगी? और मैं भी वीडियो नहीं बनाऊँगा, तू टेंशन मत ले।” मैंने कहा, “ठीक है, लेकिन ये सिर्फ हमारे बीच रहेगा।” वो मेरे करीब आया, और उसने मेरी नाइटी के ऊपर से मेरी कमर को सहलाना शुरू किया। उसका स्पर्श ऐसा था कि मेरे रोंगटे खड़े हो गए। मैंने उसकी आँखों में देखा, और वो धीरे से मेरे होंठों के करीब आया। उसने मेरे होंठों को चूमा, पहले हल्के से, फिर गहराई से। उसकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और मेरे शरीर में करंट-सा दौड़ रहा था।
उसने मेरी नाइटी को धीरे-धीरे ऊपर उठाया और मेरे कंधों से नीचे सरका दिया। अब मैं सिर्फ ब्रा और पैंटी में थी। मेरी 34C की चूचियां ब्रा में कसी हुई थीं, और मेरे निप्पल सख्त होकर ब्रा के ऊपर से दिख रहे थे। अमर ने मेरी ब्रा के हुक खोले और मेरी चूचियों को आजाद कर दिया। वो मेरी चूचियों को देखकर बोला, “रूबी, तेरी चूचियां तो मम्मी से भी मस्त हैं!” मैं हँस पड़ी, लेकिन उसकी बातों से मेरी चूत में गीलापन बढ़ने लगा। उसने मेरी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा, दूसरी को अपने हाथ से मसल रहा था। “आह्ह… अमर… धीरे… उफ्फ…” मैं सिसकारियां लेने लगी। उसका एक हाथ मेरी पैंटी के ऊपर से मेरी चूत को सहलाने लगा। मेरी पैंटी पहले ही गीली हो चुकी थी।
उसने मेरी पैंटी को नीचे खींचा और मेरी चिकनी चूत को देखकर बोला, “बाप रे, रूबी, तेरी चूत तो एकदम फुद्दी जैसी है, बिल्कुल गुलाबी!” उसने अपनी एक उंगली मेरी चूत में डाली, और मैं सिहर उठी। “उफ्फ… अमर… आह्ह…” मैं जोश में आ रही थी। उसने धीरे-धीरे उंगली अंदर-बाहर करनी शुरू की, और मेरी चूत से पानी रिसने लगा। फिर वो नीचे गया और मेरी चूत को चाटने लगा। उसकी जीभ मेरी चूत की फांकों को चाट रही थी, और मैं पागल हो रही थी। “आह्ह… अमर… और चाट… उफ्फ… कितना मस्त लग रहा है!” मैं उसका सिर अपनी चूत पर दबा रही थी।
कुछ देर बाद उसने अपने बॉक्सर उतारे, और उसका 7 इंच का लंड मेरे सामने था। वो सख्त और मोटा था, और उसकी टोपी गुलाबी थी। मैंने उसे हाथ में लिया और सहलाने लगी। “अमर, ये तो बहुत बड़ा है!” मैंने शरमाते हुए कहा। वो हँसा और बोला, “चूस इसे, रूबी, तुझे मजा आएगा।” मैंने उसका लंड मुँह में लिया और चूसने लगी। उसका लंड मेरे मुँह में अंदर-बाहर हो रहा था, और वो मेरी चूचियों को दबा रहा था। “उफ्फ… रूबी… तू तो रंडी जैसी चूस रही है… आह्ह…” वो सिसकारियां ले रहा था।
कुछ देर बाद उसने मुझे बेड पर लिटाया और मेरी टांगें फैलाईं। उसने मेरी चूत पर अपना लंड सेट किया और बोला, “रूबी, अब तैयार हो जा, तेरी चूत की सैर करवाता हूँ।” मैंने हल्के से सिर हिलाया, और उसने धीरे से अपना लंड मेरी चूत में घुसाया। मेरी चूत पहले से गीली थी, लेकिन उसका लंड इतना मोटा था कि मुझे हल्का-सा दर्द हुआ। “आह्ह… अमर… धीरे… उफ्फ…” मैंने कहा। उसने धीरे-धीरे धक्के देने शुरू किए, और मेरी चूत उसके लंड को पूरा निगल रही थी। “फच… फच… फच…” बेड की आवाज कमरे में गूंज रही थी।
वो मेरे होंठों को चूस रहा था, और मैं उसकी कमर को पकड़कर उसे और अंदर धकेल रही थी। “अमर… और जोर से… चोद मुझे… आह्ह…” मैं चिल्ला रही थी। वो और तेज धक्के देने लगा, और उसका लंड मेरी चूत की गहराइयों को छू रहा था। “रूबी, तेरी चूत तो इतनी टाइट है… उफ्फ… मजा आ रहा है!” वो जोश में था। कुछ देर बाद उसने मुझे घोड़ी बनने को कहा। मैं घुटनों के बल झुकी, और उसने पीछे से मेरी चूत में लंड पेल दिया। “आह्ह… अमर… और जोर से… फाड़ दे मेरी चूत!” मैं जोश में चिल्ला रही थी। उसने मेरी कमर पकड़ी और जोर-जोर से धक्के मारे। “फट… फट… फट…” उसकी जांघें मेरी गांड से टकरा रही थीं।
करीब आधे घंटे तक वो मुझे अलग-अलग पोज में चोदता रहा। कभी मैं उसके ऊपर थी, कभी वो मेरे ऊपर। मेरी चूचियां उछल रही थीं, और वो उन्हें मसल रहा था। आखिरकार उसने कहा, “रूबी, मैं झड़ने वाला हूँ!” मैंने कहा, “अंदर मत करना, बाहर निकाल!” उसने अपना लंड बाहर निकाला और मेरी चूचियों पर अपना माल गिरा दिया। मैं हांफ रही थी, और वो मेरे बगल में लेट गया। हम दोनों पसीने से तर थे, और कमरे में चुदाई की गंध फैली हुई थी।
अगली सुबह हम करीब 12 बजे उठे। मम्मी-पापा भी उसी वक्त अपने कमरे से निकले, और उनकी आँखों से साफ था कि वो भी रात भर चुदाई में डूबे थे। हमने नाश्ता किया और दिनभर शिमला घूमे। लेकिन रात होते ही हम दोनों फिर अपने कमरे में थे। अगली दो रातें भी हमने ऐसे ही बिताईं। अमर ने मुझे हर बार नए तरीके से चोदा—कभी दीवार के सहारे, कभी बाथरूम में शावर के नीचे। एक बार उसने मेरी गांड भी मारने की कोशिश की, लेकिन मैंने मना कर दिया। “अमर, चूत ही काफी है, गांड बाद में!” मैंने हँसते हुए कहा।
तीन दिन तक हम दोनों ने जमकर चुदाई की। मम्मी-पापा को जरा भी शक नहीं हुआ, क्योंकि वो अपने मजे में डूबे थे। अब तो घर पर भी, जब मम्मी-पापा बाहर जाते हैं, हम दोनों मौका देखकर चुदाई कर लेते हैं। लेकिन वो शिमला की तीन रातें, वो हमेशा याद रहेंगी।
आपको मेरी कहानी कैसी लगी? क्या आपने भी कभी ऐसा कुछ किया है? कमेंट में जरूर बताएं!