हाय, मैं समीर। मुझे कहानियाँ लिखना बहुत पसंद है, लेकिन मैं कोई बनावटी या काल्पनिक कहानी नहीं लिखता। मेरी कहानियाँ या तो मैंने किसी से सुनी होती हैं या फिर मेरे अपने जीवन की सच्ची घटनाएँ होती हैं। आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरे जीवन में दो साल पहले घटी थी। उस वक्त मैं पुणे में जॉब कर रहा था। वो जॉब भी बस छह महीने की थी, एक तरह से टेम्पररी। मेरी गर्लफ्रेंड अश्विनी भी मेरे साथ पुणे में ही थी। उसकी भी इच्छा थी कि वो मेरे साथ रहकर पुणे में कोई जॉब करे। किस्मत ने उसका साथ दिया और उसे एक प्राइवेट कंपनी में अकाउंटेंट की जॉब मिल गई। वो कंपनी पिंपरी-चिंचवड इलाके में थी। मैं पुणे के कोथरूड में सॉफ्टवेयर का काम करता था।
पहले दो महीने तो ऐसे ही निकल गए। हम दोनों अपने-अपने काम में व्यस्त थे, लेकिन साथ में वक्त बिताना हमें अच्छा लगता था। फिर एक दिन अश्विनी अपने साथ एक लड़की को लेकर आई। वो लड़की 22 साल की रही होगी। अश्विनी तो खूबसूरत थी ही, लेकिन ये लड़की उससे भी ज्यादा आकर्षक लग रही थी। उसका नाम था अरुणा। वो 5 फीट 5 इंच की, गोरी, और एकदम मजबूत कद-काठी वाली लड़की थी। उसका फिगर ऐसा था कि देखकर लगता था वो बहुत ताकतवर है। मैं मन ही मन सोचने लगा, “यार, क्या खूबसूरत लड़की है!” लेकिन कुछ ही देर बाद मेरे मन को निराशा हाथ लगी। अरुणा बातों से बहुत सभ्य और साफ-सुथरी लग रही थी। उसने हमारे साथ करीब एक घंटे तक बात की, लेकिन उसके चेहरे पर कोई गलत भाव नहीं दिखा।
अरुणा और अश्विनी एक ही कंपनी में काम करती थीं और उनकी अच्छी दोस्ती हो गई थी। कुछ देर बाद मैंने भी अरुणा के बारे में बुरा सोचना बंद कर दिया। फिर अरुणा अपने घर चली गई। मैंने अश्विनी से कहा, “बड़ी अच्छी लड़की है।” अश्विनी बोली, “हाँ, इसलिए तो वो यहाँ है। ऑफिस में किसी लड़के से बात तक नहीं करती, अपने में ही रहती है।” मैंने कहा, “हाँ, वो तो दिखता है।”
कुछ दिन ऐसे ही बीत गए। फिर एक छुट्टी के दिन अरुणा हमारे घर खाने पर आई। उसने बहुत सुंदर ड्रेस पहनी थी – स्लीवलेस पंजाबी सूट, हरे रंग का, और मेकअप भी बहुत अच्छा किया था। कुछ देर बात करने के बाद हम खाने की तैयारी करने लगे। अश्विनी किचन में खाना लाने गई थी। अरुणा मेरे सामने खड़ी होकर खाना परोस रही थी। जैसे ही वो झुकी, उसकी ओढ़नी नीचे गिर गई। मेरा ध्यान उधर गया और मैं क्या देखता हूँ – उसके गोरे, गोल-मटोल बूब्स मेरे सामने थे। उसकी ब्रा हल्की-सी पारदर्शी थी, जिसमें से उसके गुलाबी-भूरे रंग के निपल्स साफ दिख रहे थे। मैं एक-दो सेकंड तक बस देखता रहा। फिर मैंने उसकी आँखों में देखा। उसकी आँखें एकदम मादक थीं, भूरी, और जैसे उनमें कोई हवस भरी हो। मैंने ऐसी अरुणा पहले कभी नहीं देखी थी। मैं थोड़ा डर गया, लेकिन फिर खुद को संभाला।
अरुणा खाना परोसकर चली गई, लेकिन मेरा लंड खड़ा हो चुका था। खाना खाते वक्त मैंने कई बार उसकी ओर देखा, लेकिन वो अब एकदम सभ्य बन गई थी। उस दिन तो ऐसा ही बीत गया, लेकिन मैं रातभर सोचता रहा। सोच रहा था कि अरुणा ऐसी कैसे हो गई? और अगर मैंने उससे चुदाई की और अश्विनी को पता चल गया तो? बहुत सोचने के बाद मैंने फैसला किया कि यार, जिंदगी एक बार मिलती है। अगर गलत-सही सोचते रहे तो उम्र निकल जाएगी। मैंने मन में ठान लिया कि अगर अरुणा मुझसे चुदाई करना चाहती है, तो मैं जरूर करूँगा।
मैंने अश्विनी के मोबाइल से अरुणा का नंबर लिया और एक रात 11 बजे उसे मैसेज किया, “हाय, मैं समीर।” मैंने सोचा था कि अगर मैं फंस गया तो अश्विनी को बोल दूँगा कि अरुणा का नंबर पहले से मोबाइल में था और गलती से मैसेज चला गया। लेकिन ऐसा कुछ हुआ नहीं। उसका जवाब आया, “हाय समीर। कितने दिनों से तुम्हारे बारे में सोच रही थी। मुझसे मिलना है।” मैंने उसे पुणे के एक होटल में मिलने बुलाया। मिलने के बाद मैंने उससे सीधे कह दिया, “तेरे बूब्स देखने के बाद मुझे नींद नहीं आई।” और बस, हमारा अफेयर शुरू हो गया।
अगले दिन अरुणा का बर्थडे था। मैंने उसे मेरे घर आने को कहा। वो ऑफिस से छुट्टी लेने वाली थी। अश्विनी सुबह रोज की तरह ऑफिस चली गई। मैं बहुत उत्साहित था। अरुणा आई, उसने साधारण-सा पंजाबी सूट पहना था। उसने अश्विनी को फोन किया, “अश्विनी, आज मेरा बर्थडे है। मैं शॉपिंग करने जा रही हूँ, लेकिन शाम को पार्टी तुम्हारे घर पर करेंगे।” मैंने दरवाजा लॉक किया और बिना देर किए उसके बूब्स दबाने शुरू कर दिए। वो भी तुरंत मेरे साथ जुड़ गई। हम हॉल में ही किस करने लगे। मैंने कहा, “तू तो दिखने में सभ्य है, लेकिन अंदर से बहुत खतरनाक है।” अरुणा बोली, “मैं सभ्य अभी भी हूँ। ये मेरा पहला सेक्स है। मेरी शादी दो महीने बाद अहमदनगर में होने वाली है, लेकिन मुझसे अब रहा नहीं जाता।”
उसके बोलने की हिम्मत और हवस भरी आवाज सुनकर मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने धीरे-धीरे उसके कपड़े उतारने शुरू किए। पहले उसका पंजाबी सूट उतारा, लेकिन ब्रा और पैंटी छोड़ दी। वो बिकिनी में एकदम अप्सरा लग रही थी। फिर मैंने उसकी ब्रा उतारी। उसके बूब्स एकदम गोल, भरे हुए, और निपल्स गुलाबी-भूरे रंग के थे। मैंने उसकी पैंटी उतारी तो मैं तो पागल ही हो गया। उसकी चूत एकदम गुलाबी थी, हल्के-हल्के झांटों से सजी हुई। उसकी कांख में हल्के-हल्के बाल थे, जो उसे और सेक्सी बना रहे थे। मैंने उसकी चूत को छुआ तो वो बहुत टाइट लगी। मैंने कहा, “सचमुच लगता है तूने कभी सेक्स नहीं किया।” अरुणा बोली, “मेरा सील भी सही-सलामत है।” मैंने देखा तो सचमुच उसकी चूत का सील बरकरार था।
मैंने उसे खड़े-खड़े पकड़ लिया और नीचे झुककर उसकी चूत चाटने लगा। उसकी चूत की खुशबू और स्वाद मुझे पागल कर रहे थे। वो ऊपर देखकर “उफ्फ… उफ्फ… आह्ह… आह्ह…” की सिसकारियाँ ले रही थी। मैंने करीब 10 मिनट तक उसकी चूत चाटी। उसकी चूत लाल हो गई थी, और उसका चेहरा भी हवस से लाल हो चुका था। फिर मैं उठा और उसके बूब्स पकड़कर उसे बेड पर ले गया। अरुणा बोली, “मैं तो नंगी हो गई, लेकिन तूने अपने कपड़े कब उतारने हैं?” मैंने झट से अपने कपड़े उतारे और उसके सामने खड़ा हो गया। मेरा 7 इंच का लंड देखकर अरुणा हैरान रह गई। वो बोली, “इतना बड़ा! मैं झेल पाऊँगी?” मैंने उसे हौसला दिया, “डर मत, तू बहुत मजबूत है। कुछ नहीं होगा।”
मैं उसके ऊपर लेट गया। मैंने उसके होंठों को चूमना शुरू किया, उसके गले को चाटा, उसके बूब्स को दबाया। उसकी कांख की खुशबू मुझे और उत्तेजित कर रही थी। मैंने उसके निपल्स को मुँह में लिया, उन्हें चूसा, और हल्के-हल्के काटा। वो “आह्ह… उफ्फ… समीर…” की आवाजें निकाल रही थी। मेरा लंड उसकी चूत के ऊपर रगड़ रहा था, लेकिन मैंने अभी उसे अंदर नहीं डाला था। मैं उसके बदन की हर इंच को चूम रहा था, उसके बूब्स को मसल रहा था, और उसकी कांख के बालों को चाट रहा था। उसकी खुशबू इतनी मादक थी कि मैं पागल हो रहा था।
अरुणा बोली, “अब तो डाल दे, समीर… और कितना तड़पाएगा?” मैंने थोड़ा और उसे तड़पाया, उसके बूब्स को चूमा, उसकी चूत को उंगलियों से सहलाया। फिर मैंने धीरे से अपना लंड उसकी चूत में डाला। मैं बहुत सावधानी से डाल रहा था, क्योंकि उसकी चूत बहुत टाइट थी। 3-4 इंच जाने के बाद अरुणा “आह… आह… आह्ह…” चिल्लाने लगी। उसकी चूत से हल्का-सा खून निकल रहा था, क्योंकि उसका सील टूट चुका था। मैंने उसे सहलाया, उसके बूब्स दबाए, और उसे चूमा। फिर धीरे-धीरे पूरा लंड अंदर डाल दिया। उसे पता भी नहीं चला और वो खुश हो गई।
तभी अश्विनी का फोन आया, “समीर, आज अरुणा का बर्थडे है। हम घर पर उसका बर्थडे सेलिब्रेट करेंगे। अरुणा आ सकती है, मैं भी जल्दी आने की कोशिश कर रही हूँ।” मैं और अरुणा तो अश्विनी को भूल ही गए थे। हमने अपना काम जारी रखा। मैंने उसे सीधे चोदना शुरू किया। उसकी चूत इतनी टाइट थी कि हर धक्के में मुझे मजा आ रहा था। मैंने अपना लंड बाहर निकाला और झड़ गया। लेकिन अरुणा ने कुछ ब्लू फिल्म्स देखी थीं। उसने मेरा झड़ता हुआ लंड मुँह में ले लिया और चूसने लगी। वो बोली, “लंड मुँह में लेने में भी मजा आता है।” मैंने कहा, “अश्विनी को ये पसंद नहीं है।” अरुणा बोली, “लेकिन मैं उनमें से नहीं हूँ।”
हमने अपना सेशन जारी रखा। मैंने उसे अलग-अलग पोजीशन में चोदा। पहले मैंने उसे लेटाकर उसकी चूत में लंड डाला, फिर उसकी टांगें उठाकर उसे चोदा। उसकी सिसकारियाँ “उफ्फ… आह्ह… समीर… और जोर से…” पूरे कमरे में गूँज रही थीं। मैंने उसकी गांड के नीचे तकिया रखा और पीछे से उसकी चूत में लंड डाला। हर धक्के के साथ उसका पूरा शरीर हिल रहा था। उसकी चूत बार-बार पानी छोड़ रही थी। मैंने करीब 20 मिनट तक उसे चोदा। उसका शरीर लाल हो चुका था। मैं दूसरी बार उसकी चूत में ही झड़ गया। इसके बाद मैं आधा घंटा उसके बूब्स पर हाथ रखकर, उसकी चूत में लंड डाले हुए लेटा रहा।
फिर हम उठे। मैंने कपड़े पहन लिए और अरुणा नहाने बाथरूम चली गई। तभी दरवाजे की बेल बजी। अरुणा नंगी ही बाहर आ गई। मैंने कहा, “डर मत, कपड़े लेकर बाथरूम में चली जा।” मैंने दरवाजा खोला। अश्विनी थी। वो बोली, “अरे, मैं केक लिफ्ट में ही भूल गई। अरुणा आई है ना? (उसने अरुणा की चप्पल देख ली थी।) वो कहाँ है?” मैंने घबराते हुए कहा, “वो 5 मिनट पहले ही आई थी, लेकिन तू नहीं थी तो वो टेरेस पर टहलने गई।” अश्विनी बोली, “पर चप्पल तो यहीं है?” मैंने घबराकर कहा, “क्या पता!” अश्विनी बोली, “ठीक है, मैं केक और अरुणा को बुलाकर लाती हूँ।”
जैसे ही अश्विनी गई, अरुणा जल्दी से तैयार होकर बाहर निकल गई। 15 मिनट बाद वो अश्विनी के साथ वापस आई। हमने केक काटा और बर्थडे सेलिब्रेट किया। बीच में अश्विनी ने अरुणा से पूछा, “आज तू कुछ रगड़ी हुई-सी लग रही है?” अरुणा बोली, “आज मैं बाहर गई थी। तुम्हें बताना भूल गई, मेरी दो महीने बाद शादी है। मैंने बॉयफ्रेंड बना लिया है।” अश्विनी बोली, “हाय, क्या बात है!” फिर दोनों लड़कियाँ आपस में बातों में मशगूल हो गईं। रात को अरुणा का मैसेज आया, “थैंक्स गॉड कि आज मेरा बर्थडे था… और उस के लिए भी थैंक्स। काश तुम ही मेरे बॉयफ्रेंड होते।”
क्या आपको लगता है कि समीर और अरुणा का ये रिश्ता आगे बढ़ेगा या अश्विनी को सच पता चल जाएगा? अपनी राय कमेंट में बताएँ!