Girlfriend ki maa sex story: हेल्लो दोस्तों, मेरा नाम सुमित सिंह है। मैं गोरखपुर का रहने वाला हूँ। मेरी उम्र 21 साल है, और मैं एक ऐसा लड़का हूँ जो चुदाई के मामले में किसी को नहीं छोड़ता। मेरा लंड इतना मोटा और लंबा है, बिल्कुल लौकी की तरह, कि जो भी लड़की एक बार मुझसे चुदती है, वो या तो मेरे लंड की दीवानी हो जाती है या फिर डर के मारे दोबारा मेरे पास नहीं आती। मेरी चुदाई का स्टैमिना ऐसा है कि मैं रुकने का नाम ही नहीं लेता। मैंने अपनी उम्र से कहीं ज्यादा लड़कियों और रंडियों की चूत का स्वाद चखा है। लेकिन आज जो कहानी मैं आपको सुनाने जा रहा हूँ, वो मेरी गर्लफ्रेंड श्वेता की माँ की चुदाई की है, जो मैंने उनके ही घर में की। ये कहानी इतनी मस्त और हॉट है कि आपका लंड खड़ा हो जाएगा और चूत गीली हो जाएगी।
मेरी गर्लफ्रेंड श्वेता 18 साल की है। जब मैंने उसे पहली बार देखा था, वो नीले रंग का टॉप और काली टाइट जींस में थी। उसका टॉप पीछे से जालीदार था, जिसमें से उसकी नीली ब्रा साफ दिख रही थी। उसकी जींस इतनी टाइट थी कि उसकी गोल-मटोल गांड की पूरी शेप बाहर निकल रही थी। उसकी बड़ी-बड़ी आँखें, टमाटर जैसे लाल गाल और रसीले होंठ देखकर मैं तो उसी पल उसका दीवाना हो गया। उसकी चुचियाँ दिखने में छोटी थीं, लेकिन जब मैंने उन्हें छुआ, तो इतनी टाइट और चिकनी थीं कि दबाने का मजा ही अलग था। ऐसा लगता था जैसे आज तक किसी ने उन्हें छुआ ही न हो। मैंने दिन-रात मेहनत करके उसे पटाया और फिर उसकी चूत की ऐसी चुदाई की कि वो मेरे लंड की दीवानी हो गई। श्वेता एकमात्र ऐसी लड़की है, जो मेरे साथ बार-बार चुदवाने को तैयार रहती है। वो कहती है, “सुमित, तेरा लंड मेरी चूत के लिए बना है, मुझे इससे चुदने में बहुत मजा आता है।” मैंने उसकी चूत को इतनी बार चोदा कि अब मुझे कुछ नया चाहिए था।
श्वेता के घर में सिर्फ वो और उसकी विधवा माँ रहती हैं। उसकी माँ का नाम रीता है, और उनकी उम्र करीब 35 साल होगी। लेकिन रीता आंटी को देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो श्वेता की माँ हैं। वो इतनी हॉट और कड़क माल हैं कि लगता है जैसे श्वेता की बड़ी बहन हों। उनकी गोरी चमड़ी, भरे हुए मम्मे, पतली कमर और गोल गांड किसी का भी लंड खड़ा कर दे। मैं जब भी उनके घर जाता, रीता आंटी को देखकर मेरा मन करता कि काश इन्हें चोदने का मौका मिल जाए। वो मेरे और श्वेता के रिश्ते के बारे में जानती थीं और मुझे अपने घर बुलाती रहती थीं। कभी-कभी छोटे-मोटे काम के लिए भी फोन कर लेती थीं। मैं श्वेता की चूत से बोर हो चुका था, इसलिए मेरे दिमाग में अब रीता आंटी की चूत की जुगाड़ चल रही थी।
एक दिन रीता आंटी ने मुझे कुछ काम के लिए घर बुलाया। मैं जब उनके घर पहुँचा, तो वो हॉल में बैठी मेरा इंतजार कर रही थीं। उन्होंने एक हल्के गुलाबी रंग की मैक्सी पहनी थी, जो उनके जिस्म से चिपकी हुई थी। उनकी चुचियों का उभार साफ दिख रहा था। जैसे ही मैं अंदर गया, उन्होंने कहा, “बैठो सुमित, मैं अभी आती हूँ।” कुछ देर बाद वो एक पुराना हीटर लेकर आईं और उसे मेरे सामने रखने के लिए झुकीं। जैसे ही वो झुकीं, उनकी मैक्सी का गला नीचे सरक गया और उनकी आधी चुचियाँ बाहर लटकने लगीं। उनकी गोरी-गोरी चुचियों को देखकर मेरा लंड पैंट में तन गया। मैंने चुपके से अपने लंड को दबाया, ताकि वो शांत हो जाए। रीता आंटी ने कहा, “सुमित, ये हीटर खराब हो गया है, क्या तुम इसे ठीक करवा सकते हो?” मैंने कहा, “हाँ, क्यों नहीं, आंटी।” मेरा दिमाग तो बस उनकी चुचियों पर अटक गया था। मैंने पूछा, “श्वेता कहाँ है?” उन्होंने बताया कि वो अपने कमरे में है। मैंने सोचा, चलो पहले श्वेता से मिल लूँ, फिर देखता हूँ क्या होता है।
मैं श्वेता के कमरे में गया, वो बिस्तर पर लेटी थी। उसे देखते ही मेरा मूड बन गया। मैं उसके ऊपर लेट गया और उसे किस करने लगा। मैंने जल्दी से उसका टॉप ऊपर उठाया और उसकी चुचियों को मसलने लगा। लेकिन श्वेता ने मना कर दिया, बोली, “सुमित, मम्मी बाहर हैं, अगर वो आ गईं तो?” मैंने कहा, “यार, बहुत मूड बन रहा है, बस थोड़ा सा कर लेने दे।” लेकिन वो नहीं मानी। मजबूरी में मैंने उसकी चुचियों को मसलकर और किस करके ही काम चलाया। मेरा लंड इतना तन गया था कि मैंने श्वेता के कमरे में ही मुठ मारना शुरू कर दिया। कुछ देर बाद मेरे लंड से पिचकारी छूटी और फर्श गंदा हो गया। श्वेता ने जल्दी से फर्श साफ किया, और मैं वहाँ से निकल गया।
अगले दिन श्वेता को अपने कॉलेज के एनसीसी कैंप के लिए जाना था। उसने मुझसे कहा, “सुमित, जब तक मैं नहीं हूँ, क्या तुम मेरी मम्मी की मदद कर सकते हो? उन्हें बाहर से सामान लाने और कुछ कामों में सहायता चाहिए।” मैंने तुरंत हाँ कह दी और मन ही मन सोचा, “ये तो मौका है रीता आंटी को चोदने का।” मैंने कहा, “क्यों नहीं, आखिर वो मेरी सासू माँ जो हैं।” श्वेता कैंप चली गई। उसी दिन रीता आंटी का फोन आया, “सुमित, बाजार से कुछ सब्जियाँ ले आना।” मैंने तुरंत हाँ कहा और सब्जियाँ लेकर उनके घर पहुँच गया।
जब मैं उनके घर पहुँचा, तो रीता आंटी एक पतली सी साड़ी में थीं। उनकी साड़ी इतनी हल्की थी कि उनके जिस्म का हर कट साफ दिख रहा था। उनकी पतली कमर और भरे हुए मम्मे देखकर मेरा लंड फिर से खड़ा हो गया। वो बोलीं, “बेटा, थोड़ा खाना खा लो, फिर जाना। बस सब्जी बनानी है, और मुझे भी कोई साथ चाहिए, वरना मैं अकेले बोर हो जाती हूँ।” मैंने हाँ कह दी और उनके साथ बैठ गया। खाना बनाते वक्त मैं उनकी चुचियों और गांड को ताड़ रहा था। मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि कैसे इन्हें चोदूँ।
खाना खाते वक्त मैंने उनसे पूछा, “आंटी, आपने दूसरी शादी क्यों नहीं की?” उन्होंने गहरी साँस लेते हुए कहा, “बेटा, दूसरी शादी करती तो शायद वो आदमी श्वेता को प्यार न करता। मैं नहीं चाहती थी कि मेरी बेटी को कोई सौतेला बाप मिले।” उनकी बात सुनकर मुझे थोड़ा दुख हुआ, लेकिन मेरा लंड उनकी चूत की सोच में व्यस्त था। खाना खाने के बाद उन्होंने कहा, “सुमित, तुम चाहो तो रोज सुबह और रात को मेरे साथ खाना खा लिया करो। मुझे अच्छा लगेगा। और हाँ, अगर तुम चाहो तो यहीं सो भी जाया करो, मुझे अकेले थोड़ा डर लगता है।” मैंने तुरंत हाँ कह दी। मैंने घर पर झूठ बोला कि मेरे दोस्त के घर कोई नहीं है, इसलिए मैं वहाँ रुक रहा हूँ।
शाम को मैं रीता आंटी के घर पहुँच गया। वो हॉल में टीवी देख रही थीं। उन्होंने एक नीली नाइटी पहनी थी, जो उनके जिस्म से चिपकी हुई थी। उनकी चुचियाँ और गांड का उभार साफ दिख रहा था। मैं उनके बगल में बैठ गया। घर में सिर्फ हम दोनों थे, और मेरे दिमाग में बस यही चल रहा था कि कैसे उन्हें अपनी ओर आकर्षित करूँ। मैंने उनकी तारीफ करते हुए कहा, “आंटी, आप आज बहुत खूबसूरत लग रही हैं।” वो मुस्कुराईं और बोलीं, “सच में? तू भी तो बहुत स्मार्ट है।” उनकी मुस्कान देखकर मेरा हौसला बढ़ गया।
थोड़ी देर बाद वो किचन में खाना बनाने चली गईं। मैं भी उनकी मदद करने के बहाने उनके पीछे चला गया। उन्होंने कहा, “चाय बनाऊँ?” मैंने कहा, “हाँ, क्यों नहीं।” वो चाय बनाने लगीं, और मैं उनके बगल में खड़ा होकर उनकी कमर और गांड को ताड़ रहा था। जब चाय बन गई, उन्होंने मुझसे कहा, “सुमित, चाय छान दे।” मैंने दो कप चाय छानी, लेकिन गलती से मेरे हाथ से एक कप छलक गया और गर्म चाय रीता आंटी की नाइटी पर गिर गई। वो जोर से चिल्लाईं, “आह!” और जल्दी से अपनी नाइटी पोंछने लगीं। चाय थोड़ी गर्म थी, जिससे उनकी त्वचा लाल हो गई। उन्होंने बिना सोचे मेरे सामने ही अपनी नाइटी उतार दी।
अब वो सिर्फ काली ब्रा और पेटीकोट में थीं। उनकी गोरी-गोरी चुचियाँ ब्रा में कसी हुई थीं, और उनकी चिकनी कमर देखकर मेरा लंड पैंट में उछलने लगा। उनकी जाँघें इतनी मक्खन जैसी थीं कि मैं उन्हें अभी चोद देना चाहता था। उन्होंने कहा, “सुमित, मेरे कंधे और पीठ पर छाले पड़ गए हैं। क्या तुम दवाई लगा सकते हो?” मैंने तुरंत हाँ कह दी। वो बेड पर पेट के बल लेट गईं, और मैं उनकी पीठ पर दवाई लगाने लगा। उनकी चिकनी पीठ को छूते ही मेरा लंड और सख्त हो गया। मैंने जानबूझकर अपने लंड को उनकी कमर से टच किया, ताकि उन्हें मेरे इरादे पता चलें।
दवाई लगाते वक्त रीता आंटी की साँसें तेज होने लगीं। शायद उन्हें भी किसी मर्द का स्पर्श कई सालों बाद मिला था। वो धीरे-धीरे अपने हाथ मेरे पैरों की ओर ले गईं और मेरी जाँघों को सहलाने लगीं। उनकी उंगलियाँ मेरे लंड के पास पहुँच रही थीं, और मुझे समझ आ गया कि अब उनका मूड बन चुका है। मैंने भी मौके का फायदा उठाया और अपने हाथ उनकी पीठ से हटाकर उनकी बड़ी-बड़ी चुचियों पर रख दिए। उनकी चुचियाँ इतनी मुलायम थीं कि दबाने में मजा आ रहा था। वो सिसकारियाँ लेने लगीं, “आह… सुमित…”
मैंने उन्हें पलटकर बिठाया और उनकी रसीली होंठों को चूमना शुरू कर दिया। उनके होंठ इतने नरम थे कि मैं उन्हें चूसते हुए पागल हो रहा था। वो भी मेरे होंठों को जोर-जोर से चूस रही थीं और मुझे अपनी बाँहों में कसकर जकड़ लिया था। मैंने उनकी ब्रा के हुक खोले और उनकी गोरी-गोरी चुचियों को आज़ाद कर दिया। उनकी चुचियाँ इतनी बड़ी और टाइट थीं कि मैं उन्हें देखकर हैरान रह गया। मैंने उनकी एक चूची को मुँह में लिया और चूसने लगा, जबकि दूसरी को जोर-जोर से मसल रहा था। रीता आंटी सिसकारियाँ ले रही थीं, “आह… सुमित… और जोर से… उफ्फ…”
वो इतनी गर्म हो चुकी थीं कि उन्होंने अपना पेटीकोट खोल दिया और अपनी चूत को मसलने लगीं। मैंने उनकी चूत को छुआ, जो पूरी तरह गीली थी। उनकी चूत इतनी टाइट और चिकनी थी कि लगता था जैसे कोई जवान लड़की की हो। मैंने अपनी दो उंगलियाँ उनकी चूत में डालीं और अंदर-बाहर करने लगा। वो चिल्लाने लगीं, “….उंह उंह उंह हूँ.. हूँ… हूँ. हमममम अहह्ह्ह्हह.. अई…अई….अई ….. उ उ उ उ ऊऊऊ ….ऊँ..ऊँ…ऊँ… माँ माँ…. ओह माँ”। फिर मैंने तीन उंगलियाँ डालीं, जिससे उनकी चीखें और तेज हो गईं। उनकी चूत से पानी निकलने लगा, और मैंने उसका स्वाद चख लिया। फिर मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू कर दिया। उनकी गाँड को मसलते हुए मैं उनकी चूत को ऐसे चूस रहा था जैसे कोई भूखा शेर माँस खाता है। वो तड़प रही थीं और अपनी कमर उछाल रही थीं, “आह… सुमित… उफ्फ… मार डाला तूने…”
लगभग आधे घंटे तक मैं उनकी चूत को चाटता रहा। फिर मैंने अपना लौकी जैसा मोटा लंड निकाला। रीता आंटी ने उसे देखा और बोलीं, “तव्हारा लण्ड तो बहुत मोटा और बडा है। श्वेता के पापा का इतना बडा और मोटा नही था।”। मैंने अपने लंड को उनकी चूत के आसपास रगड़ा, जिससे वो और तड़पने लगीं। फिर मैंने धीरे से अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत में डाला। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरा लंड को अंदर जाने में थोड़ी मेहनत करनी पड़ी। मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा आधा लंड उनकी चूत में समा गया। वो चीख पड़ीं, “आह… सुमित… धीरे… दर्द हो रहा है…”
मैंने धीरे-धीरे अपनी रफ्तार बढ़ाई और उनकी चूत को चोदना शुरू कर दिया। हर धक्के के साथ उनकी चुचियाँ हिल रही थीं। मैं उनकी चुचियों को मसलते हुए उनकी चूत को जोर-जोर से मार रहा था। वो सिस्कारियाँ ले रही थीं, “उंह… आह… सुमित… और जोर से… चोद मुझे… उफ्फ…” उनकी चीखें पूरे कमरे में गूँज रही थीं। मैंने अपनी स्पीट ड बढ़ाई, और उनकी चूत को ऐसे चोदा जैसे कोई मशीन चल रही हो। वो अपनी कमर उठाकर मुझसे चुदवाने लगीं।। लगातार एक घंटे तक मैं उनकी चूत को बजट करता रहा।
जब मेरा माल निकलने वाला था, मैंने लंड बाहर निकाला और उनकी चुचियों के बीच में रखकर पेलने लगा। कुछ ही देर में मेरे लंड से पिचकारी छूटी और उनका चेहरा और चुचियाँ मेरे माल से चिपचिपा हो गईं। उन्होंने मेरे माल को अपनी उंगलियों से चाट लिया।।
उस रात हमने खाना खाया, और मैंने रीता आंटी की पूरी रात चुदायी की। जब तक श्वेता कैंप से नहीं लौटी, मैं हर दिन उनके साथ चुदाई करता। दिन में छोटी-मोटी चुदाई और रात को लंबी-लंबी चुदाई। रीता आंटी मेरे लंड की दीवानी हो गई थीं, और मैंने उनकी चूत का ऐसा स्वाद लिया कि आज भी याद करके मेरा लंड खड़ा हो जाता है।