काश वो चुदाई खत्म ना होती

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दोस्तो, मेरा नाम सपना जैन है, मैं शादीशुदा हूँ. मेरे पति जॉब करते हैं, मैं अपने पति के साथ बहुत खुश हूँ. मेरे घर में उनके अलावा सास और ससुर भी हैं.

मेरा फिगर 34-27-35 का है, मतलब मैं दिखने मैं बहुत हॉट मस्त माल हूँ. एक बार मेरे पति को उनकी कंपनी ने बिज़नेस वर्क के लिए 2 महीने के लिए दिल्ली भेजा. इससे पहले मैं उनसे इतना दूर कभी नहीं रही हूँ, तो मैं ज़िद करने लगी कि मुझे भी साथ ले जाओ. पर वो नहीं ले जा सकते थे.
मैं मन मसोस कर मान गई. सुबह उनका सामान पैक किया, दोपहर में वो निकल गए.

दो दिन बाद मेरे पति के बड़े भाई का लड़का यानि हमारा भतीजा संजय जैन एग्जाम के लिए हमारे पास रहने के लिए आ गया. उसके साथ रहने और बातचीत आदि करने से कुछ ही दिनों मेरा दिन उसके साथ आराम से निकल जाता था. वो ऊपर के कमरे में पढ़ता और फ्री टाइम में मुझसे बातें भी करता था.

फिर मेरे सास ससुर खेती के काम से गांव के लिए निकल गए. दिन तो मैं अपने काम में निकाल लेती… लेकिन रात को बड़ा अकेलापन महसूस होता था, पति की याद आती थी, उनके लंड की याद आती थी, चुत चुदाई की तलब लगती थी. लेकिन लंड कहाँ से मिलता मुझे!
इस तरह कुछ दिन जैसे कैसे निकल गए लेकिन मेरी चुत में खुजली बढ़ने लगी थी, मैं बहुत मुश्किल से अपनी कामवासना पर कंट्रोल कर पा रही थी.

एक दिन सुबह मैं ऊपर संजय के कमरे में झाड़ू लगाने गई. संजय सो रहा था, मैं कमरे की सफाई करने लगी. झाड़ू लगाते हुए मेरी नजर उसके उठे हुए बॉक्सर पर गई, उसका लंड बॉक्सर से बाहर निकला हुआ एकदम छत की तरफ उठा हुआ था. अपने भतीजे का इतना लंबा लंड देखते ही मेरे शरीर में बिजली दौड़ गई. मेरा हाथ सीधा मेरी चुत पे चला गया और मैंने अपनी चुत में उंगली शुरू कर दी. मेरी चुत से पानी आ गया.

इतने में उसने करवट ली, तो मैं डर के वहां से चली आई.

दिन भर मेरी आँखों में संजय का खड़ा लंड घूमता रहा. मैंने सोच लिया कि अब तो संजय से अपनी प्यासी चूत की सेवा करवानी ही है.

शाम को मैंने अपनी हॉट ब्लैक साड़ी पहनी जिसके ब्लाऊज का गला गहरा था, मैं बार बार उसे अपने मम्मे दिखाती रही, पर वो कुछ भी नहीं समझ रहा था या समझ कर भी नासमझ बन रहा था.
रात में मैंने उसके कमरे में उसके पास बैठ बातें की ओर उसका मन बनाने की कोशिश की, पर मेरी हर मेहनत बेकार थी. वो अपनी चाची की कामुकता को समझ ही नहीं रहा था.

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अगले दिन उसके एग्जाम खत्म हो गए.
उसने मुझसे बोला कि वो दूसरे दिन निकल जाएगा. मेरा मन खराब हो गया. मुझे किसी भी तरह आज ही उससे चुदना था. शाम को हमने भूतों की फ़िल्म देखी, मैं डरने का नाटक करते हुए उसके बदन से चिपक जाती और उसके लंड को छू लेती. मैंने आखिर उसका लंड खड़ा कर ही दिया, पर वो फिर भी नहीं माना.

रात में मैंने एक करामात की. मैंने बिजली का फ्यूज खराब कर दिया.. जिससे पूरे घर की लाइट चली गई. फिर संजय ने बहुत कोशिश की, पर लाइट नहीं आई.

मैंने उससे बोला कि अभी सो जाते है सुबह देख लेंगे.
वो बोला- ओके चाची.
फिर मैंने उससे बोला कि मुझे बहुत डर लग रहा है, तुम आज मेरे कमरे में ही सो जाओ.
वो मान गया, मैं बहुत खुश हो गई.

मैंने कमरे में उसके साथ काफी देर तक उससे बातें की, उसे रिझाने की कोशिश की. फिर भी वो बिल्कुल भी नहीं उत्तेजित हो रहा था. मैंने तंग आकर उससे बोल दिया- यार तुम हो क्या.. मैं इतने दिन से तुम्हें ग्रीन सिग्नल दे रही हूँ.. तुम कुछ भी नहीं समझ रहे हो.. क्या प्रॉब्लम है.. तुम गे हो क्या या फ़ीलिंग नहीं आती?

वो कुछ नहीं बोला और चुपचाप नीचे उतरा और जमीन पर सो गया. मैं भी बेड पे सो गई. आधी रात में मुझे फील हुआ मेरी गांड में कुछ लग रहा है. मैंने देखा संजय मेरी गांड में अपना लंड डाल रहा है. मैं खुश हो गई.

फिर उसने मेरी ब्रा में हाथ डाल दिया और मेरे बूब्स मसलने लगा. उसने मुझे किस कर लिया. मैं उसके होंठों को बुरी तरह से चूमने लगी. उसने मुझे सीधा किया और मेरे ऊपर चढ़ गया. अब उसने मेरे कपड़े एक तरफ किए और मेरी टांगें चौड़ी करके चूत पर थूक लगाकर उसे चिकना कर दिया. मेरी चुत उसका मोटा लंड लेने को मचलने लगी थी. मेरी चुत पर उसने अपने लौड़े का सुपारा रखकर धक्का लगाया और लंड को पेल दिया. उसका पूरा लंड मेरी चुत में घुस गया.. मैं एकदम से बेहोश सी हो गई और दर्द के मारे चिल्लाने लगी- आहहहह बाहर निकालो.. बहुत मोटा लंड है.. मुझे दर्द हो रहा है.

वो तेज़ तेज़ धक्के लगाकर बोलने लगा- साली रंडी चाची, आज तुझे बताता हूं, गे बोला था ना मुझे.. आज तेरी चुत को भोसड़ा नहीं बनाया तो देख लेना.
वो जोर जोर से धक्के लगाए जा रहा था. कुछ ही पल बाद मुझे बहुत मजे आने लगे थे. मैं मदहोश होकर टांगें चौड़ी करके अपने भतीजे का लंड अपनी चुत में अन्दर तक ले रही थी. मेरा उत्साह चरम पर था.

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इतने मैं धीरे धीरे उसका गरम पानी मेरी चुत में उतर गया.. आह.. क्या मस्त मजा आ रहा था. वो बेड पर गिर गया.

कुछ देर बाद मैंने उसके लंड को मुँह में ले लिया और मस्त होकर चूसने लगी. वो मेरी चूची दबाता हुआ बोला- वाह मेरी रंडी चाची, तू तो बहुत मजेदार है.. चूस साली चूस लौड़ा चूस मेरा.
उसका लंड फिर से खड़ा हो गया. उसने अबकी बार मेरी गांड पर लंड लगाकर धक्का लगाया और उसका लवड़ा मेरी गांड फाड़ अन्दर घुस गया. मैं बहुत मजे में आ गई और मादक आवाज़ निकाल कर लंड के मजे लेने लगी.

वो मेरी गांड मारते हुए बोला- रानी, आज क्या गजब मजा दिया है तूने.
मैं बोली- मेरे राजा में कब से तुझसे चुदाना चाहती थी.. तुम्हारा लंड लेना चाहती थी.

उसने लंड को खींचा, मुझे सीधा किया और मेरी चुत में लंड घुसा दिया. किस करते हुए वो धक्के लगाने लगा.

मैं झड़ गई तो वो भी झड़ गया और फिर सो गया. मैं भी वैसे ही नंगी सो गई. कुछ घण्टे बाद हमने फिर खेल शुरू किया और इस बार हमने डॉगी पोजीशन में सेक्स किया. उस रात में हमने 3 बार चुदाई की, सुबह में चाय बनाने रसोई में गई. वो आया और उसने मुझे किस कर नीचे बिठाया और अपना लवड़ा मुँह में दिया. मैं लंड चूसने लगी.

फिर उसने मुझे खड़ा किया और उल्टा कर मेरी गांड में घुसा दिया. हम दोनों चाची भतीजा किचन में ही एक दूसरे से भिड़ गए. उसने मेरे कपड़े उतार दिए. मैंने उसको भी नंगा कर दिया. हम दोनों किचन के फर्श पर ही लेट गए और चूमाचाटी करने लगे. उसने मुझसे दूध पिलाने का कहा तो मैं उसकी छाती पर चढ़ गई और उसको अपने चूचे चुसाने लगी. वो मेरे दूध को पी रहा था और दूसरे मम्मे को अपनी हथेलियों से मसले जा रहा था. मुझे अपनी चूचियां मिंजवाने में बड़ा मजा आ रहा था.

मैंने उससे कामुकता, मादकता से कहा- चूस भोसड़ी के.. मादरचोद बड़ा मस्त चुदाई करता है तू.
उसने भी मेरी चूची को जोर से भंभोड़ा और बोला- साली हरामन बहन की लौड़ी छिनाल.. आज मुझे जाना जरूरी न होता तो तेरी चुत को गुफा बना देता.
मैंने उसको चूमते हुए कहा- आह.. रुक जा न मेरी जान.. यहीं रह जा.. खूब चोद मुझे.. तेरा लंड बड़ा जानदार है.

उसने मेरी चूत को टटोला तो मैंने अपनी चूत का मुँह खोल दिया. उसने लंड को मेरी चुत पर सैट किया तो मैंने भी उसके लंड को पकड़ कर अपनी चुत में फंसा लिया. उसका लंड मेरी चूत में सरसराता हुआ घुस गया. मैं आह करते हुए उसके लंड को अपनी चूत में लील गई. पूरा लंड मेरी चुत में अन्दर तक घुस गया था. मैं उसके लंड पर कूदने लगी.

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दो मिनट की चुदाई के बाद उसने मुझे अपने ऊपर से हटने का इशारा किया और घोड़ी बनने का कहा. मैंने झट से घोड़ी बन गई. अब वो मुझे घोड़ी बना कर किचन में चोदने लगा और मेरी चूचियों को मसलते हुए मुझे मजा देने लगा.

आज हम दोनों ने काफी देर तक मजा लिया. इसके बाद उसने मुझसे कहा- मजा आ रहा है?
मैंने कहा- हां राजा, चोदते रहो बहुत मजा आ रहा है.

उसने मुझसे किचन की पट्टी पर बैठने को कहा. मैंने झट से किचन की पट्टी पर बैठ कर अपनी चुत खोल दी. उसने मेरी चुत में लंड पेला और मेरी टांगें उठाते हुए मुझे ठोकना चालू कर दिया.

आह.. पूरा लंड अन्दर बच्चेदानी तक जा रहा था.. मुझसे रहा नहीं गया और मैं भलभला कर झड़ गई लेकिन वो मुझे चोदता रहा. कुछ देर बाद उसका भी चरम आ गया और वो भी मेरी चूत में ही झड़ गया. झड़ने के बाद वो नहाने चला गया.

इसके बाद खाना आदि खाने के बाद दिन में उसने मेरी एक बार और चुदाई की.. इस बार भी उसने मुझे जबरदस्त चोदा. फिर वो चला गया. आज भी मैं अपने पति की चुदाई में उसको फील करती हूं.

मेरी सेक्स कहानी पर आप सभी के मेल का इन्तजार रहेगा.
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