माँ ने कहा शर्म छोड़ो और मेरी चुदाई करो

5
(898)

Desi Incest Kahani मेरा नाम रवि है, मैं दिल्ली के हौज़ खास में रहता हूँ, जहाँ मेरा अपना मकान है। मैं 21 साल का हूँ, ग्रेजुएशन कर रहा हूँ, और स्वभाव से काफी शर्मीला हूँ। शायद यही वजह है कि मेरे कोई खास दोस्त नहीं हैं। घर में मैं अपनी माँ के साथ अकेला रहता हूँ। मेरे पापा दुबई में कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करते हैं और साल में सिर्फ एक बार घर आते हैं। हमारा परिवार आर्थिक रूप से मजबूत है, किसी चीज़ की कमी नहीं। माँ मेरी 40 साल की हैं, लेकिन उनकी जवानी देखकर कोई नहीं कह सकता कि वो इतनी उम्र की हैं। वो लंबी, गोरी, और बेहद आकर्षक हैं। उनका फिगर इतना मस्त है कि साड़ी में उनकी कमर और नाभि देखकर कोई भी ललचा जाए। उनकी चाल में एक अजीब सी ठसक है, जो हर किसी का ध्यान खींच लेती है।

माँ को देखकर कई बार मेरे मन में अजीब-अजीब ख्याल आते थे। पापा साल में एक बार आते हैं, तो माँ अपनी जवानी की आग कैसे बुझाती होंगी? ये सवाल मेरे दिमाग में बार-बार उठता था। मैं सोचता था कि माँ की उम्र अभी ऐसी नहीं कि वो अपनी इच्छाओं को दबा लें। उनकी जवानी अभी बाकी है, और अगर वो किसी और के साथ भी सेक्स करें तो मुझे कोई ऐतराज नहीं होगा। लेकिन ये बात मैं उनसे कह तो नहीं सकता था। धीरे-धीरे माँ के प्रति मेरी सोच बदलने लगी। कई बार मैंने उन्हें कपड़े बदलते हुए देखा। जब वो ब्रा पहनती थीं, तो उनका भारी-भरकम सीना ऐसा लगता था जैसे दो जंगली घोड़ों को काबू में किया जा रहा हो। उनकी नाभि, उनकी कमर, और उनके भारी कूल्हे मुझे बेकाबू कर देते थे। मैं अब मौका देखकर उन्हें गले लगाने लगा। वो हँसकर कहतीं, “मेरा बच्चा,” और मुझे अपनी बाहों में ले लेतीं। उनके मुलायम, भारी स्तनों का मेरे सीने से टकराना मुझे पागल कर देता था। मेरा लंड तुरंत खड़ा हो जाता, और मैं बाथरूम में जाकर हस्तमैथुन करके अपनी आग शांत करता।

एक रात की बात है, हम दोनों माँ-बेटे बेडरूम में टीवी देख रहे थे। सलमान खान की टाइगर मूवी चल रही थी। मैं अपने कमरे में सोता था, लेकिन उस रात माँ ने कहा कि साथ में ही फिल्म देखते हैं। मैं उनके बगल में लेटा हुआ था। मूवी देखते-देखते मेरी आँख लग गई। रात को नींद में मेरे हाथ माँ के शरीर पर चले गए। मैंने उनके मुलायम, भारी स्तनों को दबाना शुरू कर दिया, और नींद में ही उनके निप्पल को मुँह में ले लिया। मुझे कुछ होश नहीं था कि मैं क्या कर रहा हूँ। अचानक मेरी नींद खुली, और मैंने देखा कि माँ मेरा हाथ पकड़कर अपनी चूत पर रगड़ रही थीं। उनकी नाइटी का हुक खुला हुआ था, और उनके दोनों भारी-भरकम स्तन बाहर लटक रहे थे। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ उनके रस में डूब रही थीं। माँ के मुँह से हल्की-हल्की सिसकारियाँ निकल रही थीं, “आह्ह… इस्स्स…” मैं हड़बड़ाकर उठ बैठा और शर्मिंदगी से बोला, “माँ, सॉरी! ये सब नींद में हो गया। मुझे माफ कर दो।”

इसे भी पढ़ें:  कुंवारी भानजी की वासना और मेरे लंड की मस्ती

माँ ने मेरी तरफ देखा और हल्के से मुस्कुराईं। उनकी आँखों में ना कोई गुस्सा था, ना कोई शिकायत। वो बोलीं, “कोई बात नहीं, रवि। तुम जवान हो गए हो। इसमें तुम्हारा कोई दोष नहीं। दोष मेरा है। मैं जाग रही थी, और जब तुमने मुझे छुआ, तो मैं खुद को रोक नहीं पाई। मैंने तुम्हारा हाथ अपनी चूत पर रख दिया।” उनकी आवाज़ में एक अजीब सी बेचैनी थी। वो आगे बोलीं, “मैं बिना सेक्स के कैसे रहूँ, बेटा? मुझे पता है, मेरी जवानी अभी बाकी है। मेरा शरीर 28 साल की लड़की जैसा है। लेकिन मैं किसी और मर्द के साथ नहीं जाना चाहती। वो बाद में गलत फायदा उठाते हैं।” इतना कहकर माँ ने मुझे अपनी बाहों में खींच लिया और मेरे होंठों पर अपने होंठ रख दिए। मैं शरमा रहा था, लेकिन माँ ने मेरे कान में फुसफुसाया, “शर्म छोड़, बेटा। मेरी चुदाई कर। घर का माल घर में रहे, इससे अच्छा क्या हो सकता है?”

उनकी बात सुनकर मेरे शरीर में बिजली सी दौड़ गई। माँ ने मेरे होंठों को चूमना शुरू किया। उनकी जीभ मेरे मुँह में थी, और वो मेरे होंठों को चूस रही थीं जैसे कोई भूखी शेरनी। मैंने भी हिम्मत जुटाई और उनके नाइटी के बाकी हुक खोल दिए। उनकी भारी चुचियाँ मेरे सामने थीं, और मैंने उन्हें दोनों हाथों से दबाना शुरू किया। उनके निप्पल सख्त हो चुके थे। मैंने एक निप्पल को मुँह में लिया और चूसने लगा। माँ के मुँह से सिसकारियाँ निकलने लगीं, “आह्ह… रवि… और चूस… आह्ह…” मैंने उनकी नाइटी को पूरी तरह उतार दिया। अब वो सिर्फ पैंटी में थीं। उनकी चिकनी जाँघें और भारी कूल्हे देखकर मेरा लंड मेरे पजामे में तंबू बन गया। माँ ने मेरी टी-शर्ट उतारी और मेरे पजामे का नाड़ा खींच दिया। मेरा 7 इंच का लंड बाहर आ गया, और माँ ने उसे अपने मुलायम हाथों में पकड़ लिया। वो बोलीं, “हाय राम, कितना मोटा है तेरा लंड, बेटा।”

इसे भी पढ़ें:  Papa ke Akelepal ko chut chudwa kr dur kiya

माँ ने मेरे लंड को सहलाना शुरू किया, और मैं उनकी पैंटी उतारने लगा। उनकी चूत पूरी तरह गीली थी, और उसकी खुशबू मेरे होश उड़ा रही थी। मैंने उनकी चूत को अपनी उंगलियों से सहलाया, और माँ की सिसकारियाँ तेज हो गईं, “उह्ह… रवि… और कर… आह्ह…” मैंने उनकी चूत को चाटना शुरू किया। मेरी जीभ उनकी चूत के दाने को छू रही थी, और माँ की टाँगें काँपने लगीं। वो बोलीं, “बेटा, तू तो जादूगर है… आह्ह… चाट मेरी चूत को… और तेज…” मैंने अपनी जीभ को उनकी चूत के अंदर डाला, और उनका रस मेरे मुँह में आने लगा। माँ की सिसकारियाँ अब चीखों में बदल गई थीं, “आह्ह… उह्ह… रवि… चोद दे अब… नहीं रुक पा रही मैं…”

मैंने माँ को बेड पर लिटाया और उनकी टाँगें चौड़ी कीं। उनका चिकना, गीला चूत मेरे सामने था। मैंने अपने लंड का सुपाड़ा उनकी चूत पर रगड़ा। माँ की आँखें बंद थीं, और वो सिसकार रही थीं, “उह्ह… डाल दे, बेटा… चोद दे अपनी माँ को…” मैंने एक जोरदार धक्का मारा, और मेरा लंड उनकी चूत में पूरा घुस गया। माँ की चीख निकल गई, “आह्ह… हाय… कितना मोटा है…” मैंने धीरे-धीरे धक्के मारना शुरू किया। हर धक्के के साथ माँ की चुचियाँ उछल रही थीं। मैंने उनके निप्पल को मुँह में लिया और चूसते हुए धक्के मारने लगा। माँ की सिसकारियाँ कमरे में गूँज रही थीं, “आह्ह… उह्ह… चोद… और तेज… फाड़ दे मेरी चूत को…”

मैंने पोजीशन बदली और माँ को घोड़ी बनाया। उनके भारी कूल्हे मेरे सामने थे। मैंने उनकी कमर पकड़ी और पीछे से अपना लंड उनकी चूत में डाला। हर धक्के के साथ “चप… चप…” की आवाज़ कमरे में गूँज रही थी। माँ चीख रही थीं, “आह्ह… रवि… और जोर से… चोद दे अपनी माँ को…” मैंने अपनी स्पीड बढ़ा दी। माँ की चूत का रस मेरे लंड को और चिकना कर रहा था। मैंने उनके कूल्हों को थपथपाया, और वो और जोश में आ गईं। करीब 20 मिनट तक मैंने उन्हें अलग-अलग पोजीशन में चोदा। कभी वो मेरे ऊपर थीं, तो कभी मैं उनके ऊपर। हर पोजीशन में माँ की सिसकारियाँ और मेरे धक्कों की आवाज़ कमरे को गर्म कर रही थी।

इसे भी पढ़ें:  भैया ने सुबह-सुबह चोदा योगा सिखाने के बहाने

आखिरकार, मैं झड़ने वाला था। माँ बोलीं, “बेटा, मेरे अंदर ही झड़ जा… कोई डर नहीं…” मैंने आखिरी कुछ जोरदार धक्के मारे, और मेरा गर्म वीर्य उनकी चूत में भर गया। माँ की भी चूत सिकुड़ने लगी, और वो जोर से चीखीं, “आह्ह… रवि… मैं गई…” हम दोनों पसीने से तर-बतर होकर बेड पर लेट गए। माँ ने मेरे गाल पर एक चुम्मा दिया और बोलीं, “बेटा, आज तूने मुझे वो सुख दिया जो मैंने सालों से नहीं लिया। अब मुझे बैंगन या किसी और चीज़ की जरूरत नहीं। तू ही मेरी भूख मिटाएगा।” मैंने शर्माते हुए उनकी तरफ देखा और कहा, “माँ, मैं हमेशा आपके लिए हूँ।”

अब हम दोनों का रिश्ता बदल गया है। हम माँ-बेटे कम, प्रेमी-प्रेमिका ज्यादा बन गए हैं। जब भी मौका मिलता है, हम एक-दूसरे की आग बुझाते हैं। हमारी ज़िंदगी अब पहले से ज्यादा मज़ेदार हो गई है।

क्या आपको लगता है कि ऐसी कहानियाँ वास्तव में हो सकती हैं, या ये सिर्फ कल्पना है? अपनी राय नीचे कमेंट करें!

Related Posts

आपको यह कहानी कैसी लगी?

स्टार्स को क्लिक करके आप वोट कर सकते है।

Average rating 5 / 5. Vote count: 898

अभी तक कोई वोट नहीं मिला, आप पहला वोट करें

We are sorry that this post was not useful for you!

Let us improve this post!

Tell us how we can improve this post?

Leave a Comment