दोस्तों, मेरा नाम रोहन है, और मैं आज आपको अपनी और मेरे मामा की लड़की, शालिनी दीदी, की एक गर्मागर्म कहानी सुनाने जा रहा हूँ। ये कहानी गर्मी की छुट्टियों की है, जब मैं नानी के घर गया था। शालिनी दीदी मुझसे 6 साल बड़ी हैं, और यकीन मानिए, वो इतनी खूबसूरत और सेक्सी हैं कि उन्हें देखकर किसी का भी लंड खड़ा हो जाए। उनका फिगर बिल्कुल करीना कपूर जैसा है—मोटे-मोटे बूब्स, गोल-गोल गांड जो बाहर की तरफ निकली हुई है, और एक ऐसा चेहरा जो रातों की नींद उड़ा दे। वो अपनी माँ, यानी मेरी मामी, पर गयी है, जो खुद भी कमाल की माल हैं।
मैं हर साल गर्मी की छुट्टियों में नानी के घर जाता था। वहाँ मेरा बड़ा सा परिवार रहता है—ममेरे भाई-बहन, नानी, मामा-मामी, और शालिनी दीदी। इस बार जब मैं गया, तो कुछ अलग ही माहौल था। मैं 18 साल का था, और मेरे अंदर जवानी की आग भड़क रही थी। शालिनी दीदी को देखकर तो मेरा दिमाग और गर्म हो जाता था। वो जब चलती थीं, तो उनकी गांड का उछाल और बूब्स का हिलना मुझे पागल कर देता था। मैं रात को उनके नाम की मुठ मारता, और सोचता कि काश एक बार उन्हें छू सकूँ।
एक दिन की बात है, मैं और शालिनी दीदी नानी के घर के हॉल में टीवी देख रहे थे। बाकी सब लोग या तो बाहर थे या अपने काम में busy थे। तभी टीवी पर एक डांस नंबर आया, जिसमें हीरो-हीरोइन एक-दूसरे से चिपककर नाच रहे थे। दीदी ने मुझसे मस्ती में कहा, “रोहन, चल ना, हम भी डांस करें!” मैं तो खुशी से पागल हो गया। दीदी ने एक टाइट स्कर्ट और टॉप पहना था, जिसमें उनके बूब्स और गांड और भी उभर रहे थे। हम डांस करने लगे, और दीदी ने मुझसे कहा, “आजा भाई, करीना की तरह थोड़ा स्टाइल में नाच!”
डांस करते-करते दीदी ने मुझे अपनी बाहों में ले लिया। चूँकि मैं उनसे छोटा था, मेरा सिर उनके कंधे तक आता था। अचानक मेरा हाथ गलती से उनकी स्कर्ट के ऊपर से उनकी चूत पर चला गया। यार, क्या बताऊँ, वो जगह इतनी नरम और गद्देदार थी कि मेरा लंड पजामे में तंबू बन गया। मैंने देखा, दीदी की साँसें तेज हो गयीं, और वो एकदम रुक गयीं। कुछ सेकंड हम वैसे ही खड़े रहे। फिर मैंने धीरे से अपना हाथ हटा लिया, और दीदी ने मुझे छोड़ दिया। हमने एक-दूसरे की तरफ देखा, लेकिन कुछ बोला नहीं। मैं चुपके से दूसरे कमरे में चला गया, और सोचने लगा कि ये क्या हो गया। मेरा लंड अभी भी खड़ा था, और मैंने बाथरूम में जाकर मुठ मार ली।
अगले दिन सब कुछ नॉर्मल हो गया, जैसे कुछ हुआ ही न हो। लेकिन मेरे दिमाग में तो दीदी की चूत का वो नरम एहसास बार-बार आ रहा था। कुछ दिन बाद, हम सब ममेरे भाई-बहनों ने मिलकर छुप्पा-छुप्पी खेलने का प्लान बनाया। मेरा एक भाई मेरा बना, और उसे सबको ढूँढना था। मैं और शालिनी दीदी स्टोर रूम में छुप गए। स्टोर रूम छोटा सा था, और वहाँ पुराने सामान के ढेर लगे थे। दीदी ने कहा, “रोहन, चल, देखते हैं वो कहाँ है। तू नीचे बैठ, मैं ऊपर से देखती हूँ।”
मैं नीचे बैठ गया, और दीदी मेरे पीछे खड़ी हो गयीं। उनकी चूत ठीक मेरे कंधों के पीछे थी, और उनकी स्कर्ट मेरे सिर को छू रही थी। मैंने जानबूझकर अपना हाथ पीछे किया और उनकी चूत पर रख दिया। कपड़े के ऊपर से ही मैंने धीरे-धीरे रगड़ना शुरू किया। दीदी ने कुछ नहीं कहा, बस एक हल्की सी मुस्कान दी। मुझे लगा, हरी झंडी मिल गयी। मैंने और जोर से रगड़ा, और दीदी की साँसें और तेज हो गयीं। फिर मैंने हिम्मत करके पूछा, “दीदी, क्या मैं अंदर छू सकता हूँ?”
दीदी ने बिना कुछ बोले, हाँ में सिर हिलाया। मैंने उनकी स्कर्ट को कमर तक उठाया, और देखा कि उनकी गुलाबी पैंटी पर एक गीला धब्बा था। उनकी गोरी, चिकनी जाँघें देखकर मेरा लंड पागल हो गया। मैंने पूछा, “दीदी, ये पैंटी गीली क्यों है? मूत निकल गया क्या?” दीदी हँस पड़ीं और बोलीं, “नहीं भाई, ये मूत नहीं, ये तो माल है। तू अभी छोटा है, तुझे नहीं पता।” फिर उन्होंने मुझसे कहा, “दरवाजे की कुंडी लगा दे।”
मैंने फटाफट कुंडी लगाई और वापस आया। दीदी ने अपनी पैंटी को घुटनों तक सरका लिया। उनकी चूत पर काले, घने झांट के बाल थे, और वो जगह पूरी गीली थी। मैंने मासूमियत से पूछा, “दीदी, ये बाल क्यों हैं?” दीदी बोलीं, “इसे झांट कहते हैं, भाई। सबके होते हैं। मम्मी-पापा के भी हैं, और जल्दी ही तेरे भी आएँगे।” मैंने उनकी झांट को छुआ, तो वो गीली और चिपचिपी थी। मुझे थोड़ा अजीब लगा, तो मैंने हाथ हटा लिया।
दीदी ने मेरा हाथ फिर से पकड़ा और अपनी चूत पर रख दिया। बोलीं, “रगड़ ना, मजे आएँगे।” मैंने उनकी चूत को रगड़ना शुरू किया। उनकी चूत से इतना पानी निकल रहा था कि मेरा हाथ पूरी तरह गीला हो गया। अचानक दीदी की साँसें और तेज हो गयीं, और उनकी चूत से गर्म-गर्म पानी निकलने लगा। वो झड़ गयी थीं। मैंने अपना हाथ सूँघा, तो मुझे गंध थोड़ी अजीब लगी। दीदी ने कहा, “भाई, अब एक उंगली अंदर डाल।”
मैंने एक की जगह दो उंगलियाँ उनकी चूत में डाल दीं। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मेरी उंगलियाँ मुश्किल से घुसीं। दीदी ने अपनी टाँगें बंद कर लीं, और उनकी चूत से फिर से पानी निकलने लगा। मुझे अब वो गर्म पानी का स्पर्श अच्छा लग रहा था। फिर दीदी ने अपनी स्कर्ट ठीक की, और हम बाहर आ गए। अगले एक हफ्ते तक हम रोज स्टोर रूम में यही गंदी हरकतें करते रहे। मैं उनकी चूत रगड़ता, उंगली करता, और वो मेरे लंड को पजामे के ऊपर से सहलाती। मुझे हस्तमैथुन का चस्का लग गया था।
एक रात खाना खाने के बाद, मैं और दीदी छत पर गए। सब सो चुके थे, और घर में सन्नाटा था। दीदी ने दरवाजा बंद किया और अपनी सलवार नीचे सरका दी। उनकी पैंटी भी घुटनों तक थी। मैंने उनकी चूत पर हाथ रखा, तो वो एकदम चिकनी थी। दीदी बोलीं, “तेरे लिए झांट साफ कर दी, भाई।” मैंने उनकी चूत रगड़ना शुरू किया, और मेरा लंड खड़ा हो गया। दीदी ने मेरा पजामा खींचा और मेरा 9 इंच का लंड बाहर निकाला। बोलीं, “यार, ये तो बहुत बड़ा और मोटा है!”
वो मेरे लंड की चमड़ी ऊपर-नीचे करने लगीं, और मैं उनकी चूत में उंगली करने लगा। हम दोनों एक-दूसरे की मुठ मार रहे थे। करीब 10 मिनट बाद हम दोनों झड़ गए। दीदी की चूत से इतना पानी निकला कि उनकी सलवार गीली हो गयी। हमने कपड़े ठीक किए और नीचे आ गए। अगले दो दिन कुछ खास नहीं हुआ, बस हमने कपड़ों के ऊपर से एक-दूसरे की चूत और लंड रगड़ा।
एक रात मुझे इतनी ठरक चढ़ी कि मैं अपने कमरे में मुठ मारने लगा। मेरे कमरे की खिड़की कोरिडोर में खुलती थी, और शायद दीदी ने मुझे मुठ मारते देख लिया। अचानक मेरे दरवाजे पर दस्तक हुई। मैंने जल्दी से लंड पजामे में छुपाया। दीदी अंदर आईं, खिड़की बंद की, और मेरा पजामा नीचे खींच दिया। मेरा खड़ा लंड उनके सामने स्प्रिंग की तरह उछला। दीदी ने मेरे लंड को पकड़ा और चमड़ी ऊपर-नीचे करने लगीं। मैं बिस्तर पर लेट गया, और आँखें बंद करके मजे लेने लगा।
तभी दीदी ने अपनी जीभ मेरे लंड के सुपारे पर फिराई। मैं चौंक गया, लेकिन मजे में था। उन्होंने दो-तीन बार और चाटा, फिर पूरा लंड मुँह में ले लिया। यार, क्या बताऊँ, मैं तो जन्नत में पहुँच गया था। मैंने उनकी स्कर्ट और पैंटी नीचे सरकाई, और हम 69 की पोजीशन में आ गए। दीदी मेरा लंड चूस रही थीं, और मैं उनकी चूत चाट रहा था। उनकी चूत पहले से गीली थी, और उसका नमकीन रस मेरे मुँह में जा रहा था। मैंने अपनी जीभ उनकी चूत की दरार में डाल दी, और वो मेरे लंड को और जोर से चूसने लगीं।
हम दोनों इतने गर्म हो चुके थे कि बस झड़ने वाले थे। दीदी की चूत से गर्म-गर्म रस निकला, और वो मेरे मुँह में झड़ गयीं। मैं भी उनके मुँह में झड़ गया, लेकिन उन्होंने मेरा लंड बाहर निकाल लिया, और मेरा माल उनके चेहरे पर गिर गया। हम दोनों हाँफ रहे थे। 10 मिनट बाद मेरा लंड फिर खड़ा हो गया। मैंने कहा, “दीदी, अब घुसाने दे।”
दीदी बोलीं, “नहीं, मैं वर्जिन हूँ। सील टूट जाएगी।” मैंने जिद की, “दीदी, बस ऊपर-ऊपर से रगड़ने दे। मैं वादा करता हूँ, सील नहीं तोड़ूँगा।” दीदी मान गयीं। मैंने अपना लंड उनकी चूत पर रखा और रगड़ना शुरू किया। उनकी चूत फिर से गीली हो गयी थी। मैंने तेजी से रगड़ा, और गलती से मेरा लंड का सुपारा उनकी चूत में घुस गया। दीदी ने तुरंत निकाल लिया। मैंने कहा, “दीदी, बस इतना डालने दे।”
काफी जिद करने पर दीदी मानीं। मैंने फिर से लंड उनकी चूत पर रगड़ा, और धीरे-धीरे सुपारा अंदर डाला। उनकी चूत इतनी टाइट थी कि मुझे भी दर्द हुआ। दीदी की साँसें तेज हो गयीं, और वो बोलीं, “रोहन, धीरे कर।” मैंने धीरे-धीरे रगड़ना जारी रखा, और 15 मिनट बाद हम दोनों फिर झड़ गए। मैंने उनकी सील नहीं तोड़ी, बस ऊपर-ऊपर से चोदा।
दीदी बोलीं, “भाई, तूने तो मजा दे दिया। अब से हम रोज ऐसा करेंगे।” और यकीन मानिए, हमने अगले कई दिन तक रोज रात को छत पर या मेरे कमरे में यही सब किया। शालिनी दीदी की चूत का स्वाद और उनका चूसना मुझे पागल कर देता था। दोस्तों, ये थी मेरी और मेरे मामा की कुंवारी लड़की की सच्ची कहानी।
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