Mausi Ki Beti ki chudai – desi cousin chudai हाय दोस्तों, मैं पहली बार अपनी रियल स्टोरी लिख रहा हूँ। मेरा नाम वरुण है और मैं अभी 20 साल का हूँ। मैं एक साधारण सा लड़का हूँ, ठीक-ठाक कद-काठी, गेहुंआ रंग, और चेहरे पर हमेशा एक हल्की सी मुस्कान। अब स्टोरी पर आता हूँ। कई साल बाद मैं अपनी मौसी के घर गया था। उस वक्त मेरी 12वीं के एग्जाम की छुट्टियाँ थीं और मैं 18 साल का था। मौसी का घर दिल्ली में है, एक छोटा सा लेकिन प्यारा सा घर, जहाँ गर्मियों में हमेशा हल्की सी ठंडक रहती थी। मौसी की तीन बेटियाँ हैं, और तीनों मुझसे उम्र में काफी बड़ी हैं। सबसे बड़ी दीदी की शादी हो चुकी थी, बीच वाली, जिसके साथ ये सब हुआ, उसका नाम ममता है, और सबसे छोटी दीदी कॉलेज में थी। ममता उस वक्त 24-25 साल की थी, गोरी, लंबी, और उसकी फिगर ऐसी कि कोई भी देखकर पागल हो जाए। उसकी चूचियाँ भरी-भरी, कमर पतली, और गाँड ऐसी कि पैंट में भी उभरकर दिखती थी।
बचपन में जब मैं 7-8 साल का था, मैं तीनों दीदियों के साथ खूब मस्ती करता था। उस वक्त मैं नासमझ था, लेकिन मुझे याद है कि मैं दीदियों के साथ लिपलॉक किस करता था। मौसी अक्सर डाँटती थीं, “ये क्या करती हो बेचारे बच्चे के साथ?” लेकिन दीदियाँ हँसकर टाल देती थीं। उस वक्त मुझे कुछ समझ नहीं था, बस मज़ा आता था। फिर 3-4 साल बाद मैं मौसी के घर गया, तो पुरानी यादें ताज़ा हो गईं। मैं टॉयलेट में बैठकर मुठ मारते हुए सोचता था, “काश उस वक्त मैं इन सब बातों को समझता, तो तीनों दीदियों के साथ चुदाई करता।” लेकिन अब मैं बड़ा हो चुका था, और मेरे दिमाग में बस यही खयाल घूम रहे थे।
पहली रात की बात है। मैं बिस्तर पर सो रहा था, और ममता दीदी मेरे पास ही लेटी थीं। रात का सन्नाटा था, सिर्फ़ बाहर से कुत्तों की भौंकने की आवाज़ आ रही थी। अचानक मुझे लगा कि ममता दीदी ने मेरा हाथ पकड़ लिया। मैं हैरान था, लेकिन सोने की एक्टिंग करता रहा। मुझे लगा शायद वो सो रही हैं और गलती से मेरा हाथ पकड़ लिया। लेकिन फिर दीदी ने मेरा हाथ खींचकर अपनी चूचियों पर रख दिया। मेरे दिल की धड़कन तेज़ हो गई। उन्होंने मेरे हाथ को अपनी चूचियों पर ज़ोर-ज़ोर से दबाना शुरू किया। मैं हैरान था, लेकिन मज़ा भी आ रहा था। ये मेरा पहला ऐसा अनुभव था। मैं चुपचाप एक्टिंग करता रहा, लेकिन ममता दीदी को पता था कि मैं जाग रहा हूँ।
वो और गर्म हो गईं। उन्होंने मेरा हाथ अपनी सलवार के अंदर डाला और मेरी उंगलियों को अपनी गीली चूत पर रगड़ने लगीं। उनकी चूत इतनी गीली थी कि मेरी उंगलियाँ फिसल रही थीं। मैंने धीरे-धीरे उनकी चूत में एक उंगली डाली, और वो सिसकने लगीं, “आह्ह…” उनकी साँसें तेज़ हो रही थीं। मैं अब भी सोने की एक्टिंग कर रहा था, लेकिन मेरा लंड पैंट में तंबू बना चुका था। कुछ देर बाद ममता दीदी ने मेरा हाथ अपनी चूत से निकाला और चुपचाप लेट गईं। मैं समझ नहीं पाया कि क्या हुआ, लेकिन नींद आ गई और हम दोनों सो गए।
अगले दिन मैं ममता दीदी से नज़रें नहीं मिला पा रहा था। मुझे शर्मिंदगी भी हो रही थी, और डर भी कि कहीं वो किसी को बता न दें। लेकिन दीदी बिल्कुल नॉर्मल थीं, जैसे कुछ हुआ ही न हो। मैं सोचता रहा कि क्या वो रात में सचमुच ऐसा करना चाहती थीं, या गलती से हुआ? दिनभर मेरे दिमाग में यही चलता रहा। रात को जब सब सो गए, ममता दीदी फिर मेरे पास लेटीं। मैंने सोचा, आज फिर कुछ होगा। मैंने पहले से ही अपना हाथ उनके बिस्तर पर रखा, लेकिन इस बार दीदी ने मेरा हाथ नहीं पकड़ा। वो मुझे जगाने की कोशिश करने लगीं, “वरुण… वरुण…” लेकिन मैं सोने की एक्टिंग करता रहा।
अचानक दीदी गुस्सा हो गईं और मेरा हाथ ज़ोर से फेंक दिया। मैं समझ गया कि वो नाराज़ हैं। लेकिन मुझे अब चुदाई का चस्का चढ़ चुका था। मैंने हिम्मत करके उनके गाल पर हाथ रखा। उनकी आँखें बंद थीं, लेकिन वो गुस्से में थीं। मैंने धीरे से उनके पास जाकर उनके होंठों पर अपने होंठ रख दिए। पहले तो वो हिली नहीं, लेकिन फिर धीरे-धीरे वो भी मुझे किस करने लगीं। उनकी जीभ मेरी जीभ से टकरा रही थी, और मैं उनकी जीभ को चूस रहा था। मेरा लंड अब पूरी तरह खड़ा हो चुका था।
वो बोलीं, “कल रात तो तू बहुत कुछ कर रहा था, आज क्या हुआ?” मैंने शर्माते हुए कहा, “मुझे लगा आप सिर्फ़ मेरा हाथ इस्तेमाल करना चाहती थीं, इसलिए मैं सोने की एक्टिंग कर रहा था।” वो हँस पड़ीं, “मुझे पता था तू जाग रहा था, नाटक मत कर।” फिर वो मुझे ज़ोर-ज़ोर से किस करने लगीं। मैंने उनके भारी-भारी चूचों को दबाना शुरू किया। उनकी चूचियाँ इतनी नरम थीं कि मेरे हाथों में समा नहीं रही थीं। मैंने उनकी सलवार के अंदर हाथ डाला और उनकी चूत में उंगली डाल दी। वो सिसक रही थीं, “आह्ह… वरुण… और कर…” लेकिन वो मेरा लंड नहीं पकड़ रही थीं।
मैंने हिम्मत करके अपना 6 इंच का लंड उनके हाथ में दे दिया। वो खुशी से मुझे और ज़ोर से किस करने लगीं। फिर बोलीं, “किसी और दिन करेंगे, आज बस इतना ही।” हम दोनों सो गए। अगले 3-4 दिन यही सिलसिला चला। हर रात हम किस करते, मैं उनकी चूचियाँ दबाता, उनकी चूत में उंगली करता, लेकिन वो मेरा लंड पकड़ने से हिचक रही थीं। मुझे लग रहा था कि दीदी शायद डर रही हैं, या शर्मिंदगी महसूस कर रही हैं।
फिर वो दिन आया जब हम दोनों घर में अकेले थे। दिन का वक्त था, और मौसी जी कहीं बाहर गई थीं। ममता दीदी बेड पर लेटी थीं, और मैं उनके पास गया। वो बोलीं, “करेगा?” मैंने बनावटी मासूमियत से पूछा, “क्या?” वो हँसकर बोलीं, “ज्यादा नासमझ मत बन, चल ना।” उन्होंने लाइट बंद कर दी और मुझे अपने ऊपर खींच लिया। मैं उनकी चूचियों को दबाने लगा, और वो मेरे लंड को पैंट के ऊपर से सहलाने लगीं। मैंने अपनी पैंट उतार दी, और वो मेरे लंड को सलवार के ऊपर से अपनी चूत पर रगड़ने लगीं। मैंने कहा, “ऐसे नहीं जाएगा, सलवार उतारो।” वो डर गईं और बोलीं, “नहीं, इतना नहीं।”
मैंने कहा, “मेरे पास फोन में पोर्न है, देखोगी?” वो थोड़ा हिचकिचाईं, लेकिन फिर हाँ बोल दी। मैंने एक हॉट पोर्न वीडियो चला दी। वीडियो में लड़का लड़की के चूचों को चूस रहा था। ममता दीदी बोलीं, “कर ना, वैसा ही कर।” मैंने उनकी ब्रा उतारी और उनके गुलाबी निप्पल्स को मुँह में ले लिया। उनके निप्पल्स सख्त हो चुके थे, और वो सिसक रही थीं, “आह्ह… वरुण… चूस और ज़ोर से…” मैं उनके चूचों को चूस रहा था, और वो मेरे लंड को सहला रही थीं।
वीडियो में अब लड़की लड़के का लंड चूस रही थी। मैंने कहा, “तुम भी करो ना।” वो बोलीं, “ये अच्छा नहीं लगता, मैं नहीं करूँगी।” मैंने ज़िद की, “तुमने कहा तो मैंने तुम्हारे चूचे चूसे ना, अब तुम भी करो।” वो थोड़ा गुस्सा हुईं, लेकिन फिर बोलीं, “ठीक है, बस टॉप को किस करूँगी, ज्यादा अंदर नहीं लूँगी।” उन्होंने मेरे लंड के टॉप को अपनी जीभ से छुआ, और फिर धीरे-धीरे पूरा लंड मुँह में ले लिया। वो चूस रही थीं, और मैं सातवें आसमान पर था। मैंने कहा, “तुम तो मना कर रही थीं।” वो बोलीं, “मस्त है यार, करने दे।” मैं झड़ने वाला था, और मैंने कहा, “रुक, मैं झड़ने वाला हूँ।” वो बोलीं, “मेरे मुँह में झड़ जा।” मैं उनके मुँह में झड़ गया, और वो सारा माल पी गईं।
फिर मैंने उनकी चूत में उंगली डाली और चाटना शुरू किया। उनकी चूत का स्वाद नमकीन और गर्म था। वो सिसक रही थीं, “आह्ह… वरुण… और चाट…” हम दोनों झड़ चुके थे। तभी बाहर से मौसी जी के आने की आवाज़ आई। हमने जल्दी-जल्दी कपड़े पहने। उस रात मैंने मौसी जी से कहा, “यहाँ मच्छर बहुत हैं, मैं दूसरे कमरे में सोऊँगा।” ममता दीदी ने भी कहा, “हाँ माँ, मैं भी वहाँ सोऊँगी।” मौसी जी ने हाँ बोल दी और कहा, “ठीक है, दोनों सो जाना।” हम दोनों मन ही मन बहुत खुश थे।
रात होते ही हम दूसरे कमरे में गए। जब सब सो गए, मैंने देखा कि कोई जाग तो नहीं रहा। फिर मैं ममता दीदी के पास गया और उन्हें किस करने लगा। मैंने उनके कपड़े उतार दिए, और अपने भी। वो लेटी थीं, और मैं उनके चूचों को चूस रहा था। फिर मैं उनके पीछे लेट गया और उनकी टाँगें उठाकर उनकी चूत में लंड डालने की कोशिश करने लगा। वो मना करने लगीं, “नहीं वरुण, ये गलत है।” मैं रुक गया और उनसे लिपटकर सोने लगा। उन्हें लगा कि मैं नाराज़ हो गया।
फिर दीदी ने मेरा लंड अपनी चूत पर रगड़ना शुरू किया और बोलीं, “कर ले।” मैंने कहा, “पहले मेरा लंड चूसो।” वो मेरा लंड चूसने लगीं, और मैं उनकी टाँगें उठाकर उनकी चूत में लंड डालने लगा। उनका सील टूट गया, और उन्हें बहुत दर्द हुआ। मैं रुक गया। मेरा लंड उनकी चूत में था। कुछ देर बाद उन्हें मज़ा आने लगा, और वो बोलीं, “कर ना, अच्छा लग रहा है।” मैंने धक्के मारना शुरू किया, और वो चिल्ला रही थीं, “आह्ह… और तेज़… चोद मुझे…” मैं उनके ऊपर आ गया और उनकी चूत में लंड डालकर ज़ोर-ज़ोर से चोदने लगा। मैं उनके चूचों को दबा रहा था, और वो सिसक रही थीं, “आह्ह… वरुण… और ज़ोर से…”
हम दोनों झड़ गए, और मैंने सारा माल उनकी चूत में डाल दिया। हम सो गए। सुबह मैंने देखा कि चादर पर खून के धब्बे थे। मेरा लंड रातभर उनकी चूत में रहा था। मैंने ममता दीदी को जगाया और कहा, “चादर पर खून है।” उन्होंने जल्दी-जल्दी चादर धो दी और कपड़े पहनकर काम करने लगीं। वो बोलीं, “अच्छा हुआ किसी ने नहीं देखा।” मैं एक महीने तक वहाँ रहा, और रोज़ उनकी चूत मारी। अब मैं मेरठ में हूँ, और जब भी दिल्ली जाता हूँ, मौका नहीं मिलता चोदने का।
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